ग्वेर्नसे गाय की संपूर्ण जानकारी पढ़ें

feature-image

भारतीय किसानों और पशुपालकों को विदेशी गाय अक्सर लुभाती है। आज किसानों के लिए हम चैनल आइसलैंड की ऐसी ही गाय की जानकारी लेकर आए हैं, जो किसानों और पशुपालकों को अच्छा मुनाफा दे सकती है। दरअसल हम बात कर रहे हैं ग्वेर्नसे गाय की। ग्वेर्नसे गाय की मांग बाजारों में काफी अधिक रहती है। इसका कारण है कि इनकी दूध देने की क्षमता और इनके द्वारा होने वाला आर्थिक लाभ।

आज हम आपको अपने इस लेख में ग्वेर्नसे गाय से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देंगे। इसमें ग्वेर्नसे गाय कितना दूध देती है और इसे किस तरह से रखा जा सकता है। इसके बारे में भी बताएंगे। इसके अलावा अगर कोई किसान भाई ग्वेर्नसे गाय खरीदना या बेचना चाहते हैं तो वह Animall ऐप के जरिए कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें : जानिए क्या है, दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का सही तरीका

ग्वेर्नसे गाय

ग्वेर्नसे गाय की पहचान कैसे करें

ग्वेर्नसे गाय एक विदेशी गाय है जिसे दुनियाभर में भेजा जाता है। आपको बता दें कि यह एक छोटी नस्ल की गाय है जो डेयरी उद्देश्य के लिए ही पाली जाती है। यह गाय मुख्यतौर पर सुनहरे रंग में ही पाई जाती है। यह एक दुधारू गाय है जो कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की होती है। इस गाय का कद न तो अधिक ज्यादा और ना ही अधिक कम होता है। ग्वेर्नसे गाय का ऊपरी शरीर बेहद भारी होता है और इनके पैर काफी पतले होते हैं। इनके सींग बेहद छोटे होते हैं और आगे की तरफ रहते हैं। ग्वेर्नसे गाय के कान बाहर की तरफ सीधे रहते हैं। वहीं इनकी पूंछ जमीन तक जाती है। इस नस्ल की गाय का वजन 450 – 500 किलोग्राम तक हो सकता है। वहीं ग्वेर्नसे बैल का वजन 600 से 700 किलो तक भी होता है।

ग्वेर्नसे गाय के दूध की विशेषताएं

ग्वेर्नसे गाय को पालने की पीछे की वजह ही, इसका दूध और दूध के गुण है। ग्वेर्नसे गाय की दूध देने की क्षमता देसी गायों से काफी अधिक है। यही नहीं ग्वेर्नसे गाय के दूध की गुणवत्ता भी काफी बेहतर मानी जाती है। इस गाय के दूध में प्रोटीन और फैट अधिक होता है। इसके अलावा ग्वेर्नसे गाय के दूध में बीटा कैरोटीन भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। जिसकी वजह से इस गाय के दूध का रंग भी हल्का पीला और सुनहरा होता है। यह गाय एक ब्यात में 6000 लीटर तक दूध दे सकती है।

ये भी पढ़ें : पशु के लिए संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनायें, जानें इसका तरीका

ग्वेर्नसे गाय की देखरेख कैसे करें

यह गाय एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाला जीव है। इसलिए इस गाय का अधिक ध्यान रखना पड़ता है। वरना इस गाय की देखरेख में की गई गलती का असर इसकी दूध देने की क्षमता पर भी पड़ सकता है। ऐसे में गाय के रहने की व्यवस्था अच्छी तरह होनी चाहिए। गाय को गर्मी, धूप और बारिश से बचाए रखने के लिए एक शेड का निर्माण कराना चाहिए। इसके साथ ही शेड में पशु को गर्मी न लगे इसलिए हवा के इंतजाम भी करने चाहिए। वहीं ग्वेर्नसे गाय के शेड के द्वारा किया गया गोबर और अन्य गंदगी को थोड़े – थोड़े समय में साफ करवा देना चाहिए।

ग्वेर्नसे गाय को लगाए जाने वाले टीके

यह गाय भले ही दूध देने की क्षमता के लिए जानी जाती है। लेकिन इनका ध्यान रखना उतना ही कठिन होता है। इसलिए गाय के पैदा होने के 6 महीने बाद ब्रुसेला से बचाने के लिए ब्रुसेला का टीका दिया जाता है। इसके साथ ही मुंह खुर और गलघोटू का टीका भी समय पर लगवाना जरूरी होता है। यही नहीं गाय को किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना पड़ता है। अगर आप इस गाय को डेयरी में लाने की सोच रहे हैं तो इसे किस तरह रखा जाए। इसके बारे में ऐप पर डॉक्टर से भी जान सकते हैं।

ये भी पढ़ें : जानिए क्या है, दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का सही तरीका

ग्वेर्नसे गाय को होने वाली बीमारियां और इलाज

किसान भाईयों को जैसे की हमने बताया कि इस गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसलिए गाय को रोग से बचाए रखना बेहद जरूरी होता है। लेकिन कई बार सावधानियों के बावजूद कुछ छोटी मोटी गलतियां हो जाती है और इन्हीं गलतियों की वजह से पशु बेहद बीमार पड़ जाता है। आइए जानते हैं ऐसी ही बीमारियों के बारे में जो ग्वेर्नसे गाय को हो सकती हैं।

1. थनैला बीमारी और इसकी उपचार प्रक्रिया

थनैला गाय और दुधारू पशु को होने वाला वह रोग है, जो इनके दूध देने की क्षमता को प्रभावित करता है। इस रोग के दौरान गाय के थन का आकार बड़ा हो जाता है। साथ ही इनमें भयंकर दर्द भी होता है। इसके अलावा थनैला रोग होने पर पशु के दूध का रास्ता संकरा हो जाता है और इनसे खून और पस भी निकलने लगता है। यही नहीं दर्द के चलते कई बार गाय खाना पीना भी छोड़ देती है।

थनैला के उपचार – अगर आपके पशु को यह रोग दुर्भाग्यवश हो गया है, तो बता दें कि इसका पता शुरुआत में ही चल जाना ही बेहतर होता है। अगर अधिक समय निकल जाए तो पशु के थनों को काटने की नौबत आ जाती है। समय पर रोग का पता लगाने के लिए आप दूध और थनों की जांच कराते रहें। ऐसा करने से ही आपका पशु थनैला के रोग से बच सकता है।

ये भी पढ़ें : जानिए कैसे बढ़ाएं मानसून में पशु की दूध देने की मात्रा

2. एनाप्लाजमोसिस रोग और इसका इलाज

गाय को होने वाला यह रोग बहुत संक्रामक है। आपको बता दें कि यह रोग एनाप्लाज्मा मार्जिनल जीवाणु के कारण पैदा होता है। इस रोग के होने पर पशु के नाक से काफी गाढ़ा तरल निकलने लगता है। इसके अलावा इस रोग के होने पर शरीर का तापमान भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसके साथ ही पशु को मुंह से लार भी गिरने लगती है।

एनाप्लाजमोसिस का इलाज – यह एक खतरनाक और तेजी से फैलने वाला रोग है। इसलिए अगर इस रोग के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर हो सके तो डॉक्टर की राय पर पशु को तुरंत अकार्डीकल दवा दें।

3. ब्लैक क्वार्टर और उपचार

ब्लैक क्वार्टर नाम का यह जीवाणु बारिश में मिट्टी के जरिए पैदा होता है। यह पशुधन को प्रभावित कर सकता है। इस रोग के होने पर पशु तेज बुखार और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। हालांकि यह रोग केवल उन पशुओं को प्रभावित करता है जो 2 साल या उससे छोटे हैं।

ब्लैक क्वार्टर की उपचार प्रक्रिया – थनैला रोग की तरह ही इस रोग का उपचार भी केवल तभी संभव है। जब इस रोग का पता शुरुआत में चल जाए। इस रोग के होने पर अमूमन डॉक्टर पेनिसिलिन का टीका संक्रमित स्थान पर देते हैं। इसके अलावा घाव होने पर डॉक्टर ड्रेसिंग भी करते हैं।

 

Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

Animall ऐप के जरिए पशु खरीदने या बेचने के लिए पहले आपको इस ऐप को डाउनलोड करना होगा। एनिमॉल ऐप को आप इस Click Here लिंक के द्वारा डाउनलोड कर सकते हैं।

  1. ऐप के डाउनलोड होने के बाद आपको अपना फोन नंबर दर्ज करना होगा।
  2. अब जो भाषा आप जानते हैं उसके विकल्प पर क्लिक करें।
  3. अब आप ऐप पर रजिस्ट्रेशन संपन्न हो गया है। इसके बाद आप ऐप से गाय या अन्य पशु खरीद सकते हैं और बेच भी सकते हैं।
  4. गाय खरीदने के लिए सबसे पहले गाय के विकल्प पर क्लिक करें।
  5. यहां आपके पास गाय की एक सूची आ जाएगी।
  6. अब आपको किस तरह की और कितना दूध देने वाली गाय चाहिए। यह ऐप पर दर्ज करना होगा।
  7. जैसे ही आप ऐप पर अपनी मांग की जानकारी देंगे। उसी के अनुसार पशुओं की सूची आपके सामने आ जाएगी।
  8. अब सूची में से किसी भी पशु को खरीदने से पहले आप पशु के मालिक से बात कर सकते हैं और उनसे गाय का दाम कम भी करवा सकते हैं।

 

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. ऐप पर पशु को बेचने के लिए होम पेज के ठीक बीचों बीच नीचे की तरफ देखें। आप मदद के लिए नीचे दिए गए चित्र को भी देख सकते हैं।
  2. अब पशु से संबंधित पूछी गई संपूर्ण जानकारी दर्ज करें।
  3. जैसे ही आप पशु की जानकारी डालेंगे आपका पशु, ऐप पर लिस्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद जिस भी किसी व्यक्ति को आपकी गाय खरीदनी होगी। वह आपसे संपर्क कर पाएगा।

ये भी पढ़ें : पशुओं की संक्रामक बीमारियों से रक्षा किस प्रकार की जा सकती है?

… और पढ़ें arrow

ऑस्ट्रेलियन गायों की सारी जानकारी जानें

feature-image

ऑस्ट्रेलिया में पाई जानी वाले गायों को ऑस्ट्रेलियन गाय के नाम से जानते हैं। इस देश ने अपने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सात अलग अलग नस्लों पर जोर दिया है। यहां एच एफ , जर्सी, औसी रेड, इल्लावारा, ब्राउन स्विस, आयर शायर और गुअर्नसी, जैसी गायों की नस्लें पाली जाती हैं। इन सातों नस्ल में एच एफ, जर्सी और औसी रेड काफी लोकप्रिय है

 

ऑस्ट्रेलियन एच

ऑस्ट्रेलियन एच.एफ गाय की पहचान कैसे करें

इस नस्ल की गाय का मूल स्थान यूरोप है। ऑस्ट्रेलिया में भी यह गाय काफी लोकप्रिय है। देश में एच एफ गायों की संख्या 14 लाख के करीब है। वहीं कई ऑस्ट्रेलियन गाय उजले रंग के होते हैं और शरीर पर काला धब्बा रहता है।

ये भी पढ़ें : ऐसे करें अपनी गाय और भैंस के ब्याने के लक्षणों की पहचान!

ऑस्ट्रेलियन एच. एफ गाय के दूध की विशेषताएं

साल भर में ऑस्ट्रेलियन एच एफ गाय 10,000 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। एक औसत गाय का वजन तकरीबन 600 किलोग्राम का होता और साढ़े चार फीट लम्बी होती है। इन गायों के दूध में 4 प्रतिशत फैट पाया जाता है। ऑस्ट्रेलियन एच. एफ गाय प्रतिदिन 25 से 30 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है।

ऑस्ट्रेलियन जर्सी गाय की पहचान

ऑस्ट्रेलियन जर्सी गाय इस नस्ल की गायें सफ़ेद और हल्का धूसर रंग की होती है। चेहरा लम्बा और पतला होता है। माथा चपता और पतली टांगें होती है । इस नस्ल के गायों के उनके लम्बा और संकीर्ण चेहरा से पहचान कर सकते हैं

ये भी पढ़ें : Kankrej Cow: Identification, Milk And Purchase Information

ऑस्ट्रेलियन जर्सी के गाय का दूध

ऑस्ट्रेलियन जर्सी गाय अपने दूध के लिए प्रसिद्द हैं । एक जर्सी गाय प्रतिदिन 15- 25 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। अधिक दूध देने की क्षमता के कारण इनकी बहुत ख़रीद बिक्री होती है। एक ब्यात में जर्सी गाय 5500 से 6500 किलो दूध देने की क्षमता रखती है।

ऑस्ट्रेलियन औसी रेड गाय की पहचान

ऑस्ट्रेलियन औसी रेड गाय मध्यम बनावट की होती है। ये गायें दिखने में भूरे रंग की होती है । बीच बीच में उजले रंग का धब्बा होता है। इस नस्ल के दूध में भरपूर प्रोटीन मिलता है। औसी रेड के दूध में औसत फैट पाया जाता है।

ऑस्ट्रेलियन औसी रेड गाय का दूध

ऑस्ट्रेलियन जर्सी गाय अपने दूध के लिए प्रसिद्द हैं । एक औसी रेड गाय प्रतिदिन 15- 20 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। अधिक दूध देने की क्षमता के कारण इनकी बहुत ख़रीद बिक्री होती है। एक ब्यात में जर्सी गाय 3000 से 35000 किलो दूध देने की क्षमता रखती है

ये भी पढ़ें : संकर पशुओं से कितनी बार दूध निकालना चाहिए?

ऑस्ट्रेलियन गायों की देख रेख कैसे करें ?

ऑस्ट्रेलियन गायों के रखने के स्थान को नियमित रूप से पानी से साफ करते रहे।
सफाई रखने से पशुओं को कई गंभीर बिमारियों से बचाया जा सकता है। साफ सफाई रखने से गौशाला में पनपने वाले जीवाणु और परजीवीयों का खतरा नही बना रहता है। साफ सुथरे गौशाला वातावरण में रहने से पशु के दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है। जहाँ ऑस्ट्रेलियन नस्ल को बांध रखा है वहां पानी से साफ करने के बाद रोगाणु नाशक दवाई (5ग्राम पोटाशियम परमेगनेट या 50 एम.एल फिनाईल/बाल्टी पानी) से सफाई करें। इसके अलावा डेटॉल से भी गौशाला की सफाई कर सकते हैं। खुरपका मुंह पका,लंगड़ी रोग,एवं थिलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए गौशाला की साफ सफाई का महत्वपूर्ण योगदान है।

गौशाला में साफ सफाई में नहीं रखने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। फेफड़ों और आंत सम्बन्धी बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ जाता है। गोबर और अन्य ठोस पदार्थ जैसे नीचे गिरा हुआ भूसा आदि को गौशाला में से दिन में कम से कम 2 बार हटाना चाहिए। इन्हें पशु घर से कम से कम 100 मीटर दूरी पर किसी गड्ढे में इकट्ठा करें, जिससे खाद बनाकर खेतों में डाला जा सके।

स्वस्थ पशुओं की आंखें चमकीली होती हैं। इसमें किसी भी तरह के तरल पदार्थ जैसे पानी या खून के धब्बे नजर नहीं आते। स्वस्थ ऑस्ट्रेलियन गायें बहुत ज्यादा खांसती नहीं हैं, घर्राने की आवाजें भी नहीं आती है। इसमें सांस लेने की प्रक्रिया बिल्कुल सामान्य होती है। आपको स्वस्थ्य ऑस्ट्रेलियन गाय का चमड़ा भी चमकदार दिखाई देगा, शरीर पर कही से भी जूं-चीचड़ नहीं दिखाई देगा। स्वस्थ पशु के चलने-फिरने या उठने-बैठने में परेशानी नहीं होती है।

ये भी पढ़ें : क्या हरे चारे के अभाव में दाने की मात्रा को बढाया जा सकता है?

चारा

दुधारू ऑस्ट्रेलियन गाय को ये पशु आहार दें

ऑस्ट्रेलियन गाय की क्षमता का पूरा उपयोग करने के लिए 40 से 50 किलोग्राम हरा चारा और 3 किलो दाना प्रति किलोग्राम दूध देने के लिए दें। जब पशु आहार में प्रोटीन, वसा और खनिज लवन मिलता है तो दूध में बढ़ोतरी देखने को मिलती है।

गाभिन ऑस्ट्रेलियन गाय को ये पशु आहार दें

एक 250 किलोग्राम वजन के गाय को एक दिन में कितना पशु आहार दें।

भूसा – 4 किलो
दाना मिश्रण – ढाई किलो

चारा बाँट कर दिन में 3-4 बार खिलाएं। साथ में दाना मिश्रण भी 2 बार बराबर मात्रा में खिलाएं। हरा और सूखा चारा दोनों मिलाकर खिलाएं। चारा के दाना मिश्रण के अलावा प्रतिदिन 35- 40 लीटर पानी गाय को जरुर पिलायें।

 

ऑस्ट्रेलियन गायों में होने वाली बीमारियां

1. ब्रुसेला बीमारी

घर की सभी ऑस्ट्रेलियन नस्ल के गायों को ब्रुसेला का टीका लगायें। यदि ऑस्ट्रेलियन नस्ल की गाय ने बछड़ी को जन्म दिया है तो पैदा होने के 6 महीने बाद ब्रुसेला बीमारी का टीका लगायें। ब्रुसेला एक जानलेवा बीमारी है, जो मनुष्यों से गायों में फैलता है। इसकी चपेट में आने पर गायें तुरंत बीमार हो जाती हैं। भारत में ही बने टीका ब्रुसेला S-19 पशुओं को लगाया जाता है।

ऑस्ट्रेलियन गायों में ब्रुसेला बीमारी के क्या लक्षण हैं?

पशुपालक साथी अभी हम आपको ऑस्ट्रेलियन नस्ल के गायों में होने वाले ब्रुसेला बीमारी के लक्षण के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आपकी ऑस्ट्रेलियन गाय इस बीमारी से ग्रसित है तो उसे बुखार की शिकायत रहेगी। उस गाय का वजन भी लगातार कम होता जायेगा। रात में गाय को पसीना भी आएगा। अगर आपकी गाय को ये सारे लक्षण दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से बात करें।

2. सर्रा बीमारी

यह एक परजीवी से होने वाला रोग है। ट्रिपैनोसोमा ईवांसी नामक सूक्ष्म परजीवी से ये बीमारी फैलता है। इस बीमारी के फैलने से पशुओं की उत्पादन क्षमता में भारी कमी आती है। तुरंत ही पशुओं की मृत्यु हो जाती है जिससे पशुपालकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। सबसे पहले साल 1885 में सर्रा बीमारी को देखा गया था।

मान लीजिए अगर कोई पशु सर्रा बीमारी से ग्रसित है अगर मक्खी उसका खून चूसकर स्वस्थ पशु को काट लेगा तो उसे ये बीमारी फ़ैल जाएगी। पशु विज्ञान में सर्रा रोग के लिए जिम्मेदार मक्खी को टेबनेस मक्खी कहते हैं। भारत में पशुओं को काटने वाले मक्खी को लोग डांस मक्खी के नाम से जानते हैं।

ऑस्ट्रेलियन गाय में सर्रा रोग के क्या लक्षण हैं ?

आपके ऑस्ट्रेलियन गाय को रुक रुक कर बुखार आएगा। वो बार बार पेशाब करेगी। इतना ही नहीं आपकी ऑस्ट्रेलियन गाय गोल गोल चक्कर भी काटने लगेगी। सर्रा बीमारी से ग्रसित आपकी जर्सी गाय को भूख भी कम लगेगा। गाय के मुंह से लार गिरने लगेगा । उसके आंख और नाक से पानी गिरने लगेगी।

सर्रा बीमारी से ग्रसित आपके दुधारू ऑस्ट्रेलियन गाय का दूध कम हो जायेगा।
वो धीरे धीरे कमज़ोर होते चली जाएगी। कई बार गायों का पिछला भाग लकवाग्रस्त हो जाता है। अगर कोई ऑस्ट्रेलियन गाय इस बीमारी से ग्रसित है तो आँखों में सफेदी आने लगता है। उस पशु के निचले भाग में भी सूजन आने लगता है।

3. थनैला रोग

पशुओं के बांधे जाने वाले स्थान और दूध दुहने के स्थान की सफाई का विशेष ध्यान रखें। दूध दुहने की तकनीक सही होनी चाहिए जिससे थन को किसी प्रकार की चोट न पहुंचे। थन में किसी प्रकार की चोट (मामूली खरोंच भी) का तुरंत इलाज कराएं। थन का उपचार दुहने से पहले व बाद में दवा के घोल में (पोटेशियम परमैगनेट 1:1000 या क्लोरहेक्सिडीन 0.5 प्रतिशत) डुबो कर करें। दूध की धार कभी भी फर्श पर न मारें। रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें तथा उन्हें दुहने वाले भी अलग हों। अगर ऐसा संभव न हो तो बीमार पशु का दूध सबसे बाद में निकालें। समय-समय पर दूध की जाँच करवाते रहें। अगर थनों में सुधार न दिखें तो पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।

ये भी पढ़ें : दुधारू पशुओं मे बांझपन का कारण और उपचार क्या है ?

… और पढ़ें arrow

नीली रावी से जुड़ी पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें

feature-image

दो नदियों के नाम वाली नीली रावी नस्ल आज किसानों के घर दूध की नदियाँ बहाती हैं।

नीली रावी भैंस की उत्पत्ति पंजाब और उसके आसपास के इलाकों में हुई है। दो नदियों के नाम पर इसका नाम नीली रावी रखा गया। नीली रावी बहुत ही बेहतरीन नस्ल की भैंस है जो पंजाब के फिरोजपुर, अमृतसर और तरणतारण इलाकों में पाई जाती है। भारत के अलावा ये नस्ल पाकिस्तान में भी पाई जाती है।

नीली रावी भैंसों की पहचान कैसे करें?

आमतौर पर नीली रावी भैंसों के माथे पर उजले रंग की आकृति बनी होती है। ये भैंसें दिखने में काफी मजबूत होती है। माथे के अलावा इनके पूंछ, और पैरों पर उजले रंग की निशान होते हैं। नीली रावी भैंसों के सींग छोटे और मुड़े हुए होते हैं। नीली रावी भैंसों का सिर छोटा होता है। इनकी आंखें भी चमकीली होती हैं और दोनों आंखों के बीच में छोटा सा गड्ढा भी होता है।

स्वस्थ नीली रावी भैंस की आंखें चमकीली होती हैं। इसमें किसी भी तरह के तरल पदार्थ जैसे पानी या खून के धब्बे नजर नहीं आते। स्वस्थ नीली रावी भैंसें बहुत ज्यादा खांसती नहीं हैं और न ही घर्राने की आवाजें आती है। स्वस्थ्य नीली रावी भैंसों की चमड़ी भी चमकदार होती है, इसमें जूं-चीचड़ बिलकुल भी नहीं दिखता है। स्वस्थ नीली रावी भैंस में सांस लेने की प्रक्रिया बिल्कुल सामान्य होती है। इसके अलावा इन भैंसों में अगर चलने -फिरने, उठने -बैठने में कोई परेशानी नहीं है, तो इसका मतलब पशु बिलकुल स्वस्थ है।

नीली रावी भैंस कितना दूध देती हैं?

नीली रावी भैंस मुर्रा भैंस जितना ही दूध देने की क्षमता रखती है। प्रतिदिन ये भैंसें 15 से 25 लीटर दूध देने की क्षमता रखती हैं। डेयरी बिजनेस में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए ये भैंसें काफी सही हैं। साल के दस महीने ताबड़तोड़ दूध देना इस भैंस की खासियत है। नीली रावी भैंस का ड्राई पीरियड सिर्फ दो महीने होता है। प्रति ब्यात नीली रावी भैंस 3000 से 5000 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। नीली रावी भैंसों के दूध में 6 प्रतिशत फैट पाया जाता है। दूर दूर तक बिना घूमे और पैसे खर्च किए गाय भैंस वाले Animall ऐप पर नीली रावी भैंसों की खरीदारी बड़ी आसानी से कर सकते हैं।

नीली रावी को होने वाले रोग

1. नीली रावी भैंसों में होने वाला पुछकटवा रोग क्या है?

ये बीमारी फफूंद की वजह से होती है। ये बीमारी भैंसों में अधिक देखने को मिलता है। इसे गांव में लोग पुछकटवा या डेगनाला रोग के नाम से भी जानते हैं। इस बीमारी से ग्रसित नीली रावी भैंसों का कान, पूंछ और खुर खिसक कर गिरने लगते हैं। इतना ही नहीं भैंस चारा खाना बंद कर देती है। धीरे धीरे पशु का शरीर कमजोर होने लगता है।

2. पुछ कटवा बिमारी से ग्रसित अपने नीली रावी भैंस की ऐसे रक्षा करें!!

भूल से भी अपनी भैंसों को सड़ा गला हुआ भूसा खाने को न दें। पशुओं के रखने की जगह को फिनायल एवं चूने के पानी से साफ करें। भैंस के शरीर के जिस भाग में घाव हुआ है उसे गुनगुने पानी से साफ करें। अगर घाव में सुधार ना दिखे तो तुरंत ही नजदीकी पशु चिकित्सक से मिलें।

3. नीली रावी भैंसों में होने वाला थनैला रोग क्या है?

थनैला एक संक्रामक रोग है जो दुधारू भैंसों में देखने को मिलता है। यह रोग एक पशु से दुसरे पशु में फैलता है। इसमें रोगाणु पशु के थन में प्रवेश करते हैं, जिससे संक्रमण फैलना शुरु होता है। संतुलित आहार न देने से भी ये रोग हो सकता है।

अगर आप चाहते हैं कि आपकी नीली रावी भैंस को थनैला रोग न हो। तो उसके लिए आपको ध्यान देना होगा की गंदे हाथों से भैंस का दूध बिल्कुल भी न निकालें। अगर भैंस के थनों में चोट लगती है तो उसे थनैला रोग होने का खतरा लगा रहता है। अगर भैंस को गंदी जगह पर रखा है तो भी उसे ये बीमारी होने की संभावना हो सकती है।

4. नीली रावी भैंस को थनैला रोग से बचाने के लिए क्या करें

नीली रावी भैंस को अगर थनैला रोग से बचाना है तो उसका दूध हमेशा सिर्फ साफ बर्तन में ही निकाले। दूध दुहने से पहले अच्छे तरीके से हाथ साफ करें और दूध दुहने के बाद अच्छे से पशु के थन को भी साफ करें।

अगर आपके नीली रावी भैंस को थनैला रोग है तो उसके थनों में सुजन दिखाई देगी। भैंस के दूध में भी खारापन आने लगता है। आपकी भैंस दूध देने से कतराने लगेगी। भैंस के दूध का रंग भी पीला होने लगता है। भैंस के दूध में खून के छिचड़े भी आने लगता है। थन में गांठ आनी शुरू हो जाती है।

नीली रावी भैंस को Animall ऐप से ऐसे खरीदें?

Animall ऐप पर अपने आसपास की ढेर सारी नीली रावी भैंस खरीद सकते हैं। नीली रावी भैंसों की खरीदारी करने के लिए अपने मोबाइल फोन में गाय-भैंस वाला Animall ऐप डालें। ऐप में अपना मोबाइल नंबर दर्ज करा कर गाय पर दबाएं। दबाते ही आप ढेर सारी गायों की नस्ल के नाम देख पाएंगे। यहां पर नीली रावी नस्ल को चुने और अपने घर मनचाहे ब्यात और दूध क्षमता वाली भैंस ले जायें।

इन तीन आसान तरीकों से खरीदें नई नीली रावी भैंस

  1. अपने गांव या जिले का नाम या पिनकोड डालें।
  2. पिनकोड डालने के बाद, पशु में भैंस का चयन करें। यहां पर नस्ल में नीली रावी का चयन करें। इतना करने के बाद अपने मन के अनुसार दूध क्षमता और ब्यात का चुनाव भी कर सकते हैं।
  3. अब आपको अपने आसपास की सारी दुधारू नीली रावी नस्ल की भैंस दिखने लगेंगी। इनमे से अपने पसंद का पशु चुनकर खरीदार से बात करें।

बड़े आराम से ऐसे अपनी नीली रावी भैंस Animall ऐप पर बेचें

इन आसान तरीकों को अपनाकर नीली रावी भैंस को Animall ऐप पर बेचें। सबसे पहले तो अपना मोबाइल नंबर डालकर Animall ऐप पर रजिस्टर करें। इसके बाद मोबाइल में दिख रहे पशु बेचें पर दबाएं। इस बटन पर दबाते ही आप अपने नीली रावी भैंस की दूध क्षमता, ब्यात और कीमत लिख सकते हैं। इससे खरीदने वाले आसानी से आपकी भैंस के बारे में जान सकेंगे।

अपने नीली रावी भैंस की सभी जानकारियां डालने के बाद आपका पशु ऐप पर दर्ज हो जायेगा। जिसके बाद खरीदार आपका पशु ऐप पर देख सकेंगे।

अगर आप भी एक किसान है और अपने लिए पशु खरीदना चाहते हैं या फिर पशु से संबंधित कोई जानकारी हासिल करना चाहते हैं। तो बिना देरी किए अपने स्मार्टफोन में Animall ऐप डाउनलोड करें। इस ऐप पर आप पशु खरीदने और बेचने के अलावा बीमारी होने पर डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं। साथ ही आपको पशु से जुड़ी सारी जरूरी जानकारी भी ऐप पर बेहद आसानी से मिल जाएगी।

… और पढ़ें arrow

देवनी गायों से जुड़ी पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें

feature-image

देवनी गाय

देवनी गाय देसी नस्ल की एक महत्त्वपूर्ण गाय है। ये गाय महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पाई जाती है। ये नस्ल गिर गाय, डांगी गाय के वंशज हैं। देवनी गाय की बनावट भी इन्हीं गाय के जैसी है। ऐसा माना जाता है कि देवनी गाय की उत्त्पत्ति आँध्र प्रदेश राज्य में हुई है। धीरे-धीरे नस्ल की लोकप्रियता कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी बढ़ती गई है। दूध उत्पादन के अलावा देवनी नस्ल के बैलों का खेती के कामों में भी काफी ज्यादा उपयोग किया जाता है।

देवनी गाय की पहचान कैसे करें

देवनी गाय औसत बनावट की होती है। ये गाय तीन रंगों में मिलती है। देवनी गाय और गिर गाय में बहुत समानता मिलती है। देवनी गाय का कान चौड़ा होता है। इसकी त्वचा चिकनी और मुलायम होती है।
सिर चौड़ा और मोटा होता है। देवनी गायों के सींग मध्यम आकार के होते हैं। देवनी गाय की छाती गहरी और चौड़ी होती है। देवनी गाय के कान लंबे होते हैं और झुके हुए होते हैं।

ये भी पढ़ें : दुधारू पशु के दूध को सुखाना क्यों जरूरी है?

देवनी गाय के दूध की जानकारी

देवनी गाय हर दिन लगभग 10 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। ये गाय साल के 10 महीने दूध दे सकती है। देवनी गाय की पहली बार ब्याने की उम्र 894 से 1540 दिनों के बीच होती है। अगर एक ब्यात में इस गाय के दूध की बात करें तो देवनी गाय रोजाना का 10 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। वहीं देवनी गाय के दूध में 4.9 फीसदी फैट होता है। हर देवनी गाय 447 दिनों एक अन्तराल पर बच्चा देती है।

ये भी पढ़ें : जानें क्या है भैंस और गाय का दूध बढ़ाने का मंत्र?

स्वस्थ देवनी गाय के लिए ये जरुरी लक्षण जानने हैं जरुरी

एक स्वस्थ देवनी गाय की आंखें चमकीली होती हैं। इसमें किसी भी तरह के तरल पदार्थ जैसे पानी या खून के धब्बे भी नजर नहीं आते है। स्वस्थ गायें बहुत ज्यादा खांसते नहीं हैं, घर्राने की आवाजें भी नही आती है। इनके सांस लेने की प्रक्रिया भी बिल्कुल सामान्य होती है। वहीं स्वस्थ्य देवनी गाय की चमड़ी भी चमकदार होती है, इसके शरीर पर जूं-चीचड़ भी नहीं दिखती है। एक स्वस्थ देवनी गाय को चलने -फिरने, उठने-बैठने में भी कोई परेशानी नहीं होती है।

देवनी गाय को होने वाली बीमारियां और कैसे रखें इन बीमारियों से दूर!

1. ब्रुसेला बीमारी से देवनी नस्ल की गायों को ऐसे दूर रखें.

अपने घर की सभी देवनी नस्ल की गायों को ब्रुसेला का टीका लगायें। अगर आपकी गाय ने बछड़ी को जन्म दिया है तो पैदा होने के 6 महीने बाद ही ब्रुसेला बीमारी का टीका लगायें। ब्रुसेला एक जानलेवा बीमारी है, जो मनुष्यों से गायों में फैलती है। इसकी चपेट में आने पर गायें तुरंत बीमार हो जाती हैं।

2. देवनी नस्ल की गायों में ब्रुसेला बीमारी के क्या लक्षण हैं?

पशुपालक साथी अभी हम आपको देवनी नस्ल के गायों में होने वाले ब्रुसेला बीमारी के लक्षण के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आपकी देवनी गाय इस बीमारी से ग्रसित है तो उसे बुखार की शिकायत रहेगी। उस गाय का वजन भी लगातार कम होता जायेगा। रात में गाय को पसीना भी आएगा। अगर आपकी गाय को ये लक्षण दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से बात करें। भारत में ही बने टीका ब्रुसेला S-19 पशुओं को लगाया जाता है।

3. सर्रा बीमारी से कैसे बचाएं अपनी देवनी गाय

यह एक परजीवी से होने वाला रोग है। ट्रिपैनोसोमा ईवांसी (trypanosoma evansi) नाम के सूक्ष्म परजीवी से ये बीमारी फैलती है। इस बीमारी के फैलने से पशुओं की उत्पादन क्षमता में भारी कमी आती है। तुरंत ही पशुओं की मृत्यु हो जाती है जिससे पशुपालकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। सबसे पहले साल 1885 में सर्रा बीमारी को देखा गया था।

अगर वहीं हम बात करें की सर्रा बीमारी कैसे फैलती है तो मान लीजिए अगर कोई पशु सर्रा बीमारी से पीड़ित है। अगर मक्खी उसका खून चूसकर स्वस्थ पशु को काट लेगा तो उसे भी ये बीमारी हो सकती है। पशु विज्ञान में सर्रा रोग के लिए जिम्मेदार मक्खी को टेबनेस मक्खी कहते हैं। भारत में पशुओं को काटने वाले मक्खी को लोग डांस मक्खी के नाम से भी जानते हैं।

4. देवनी नस्ल के गाय में सर्रा रोग के क्या लक्षण हैं ?

आपकी देवनी गाय को रुक रुक कर बुखार आएगा। वो बार-बार पेशाब करेगी। इतना ही नहीं आपकी देवनी गाय गोल-गोल चक्कर काटने लगेगी। सर्रा बीमारी से ग्रसित आपकी देवनी गाय को भूख भी कम लगेगी। गाय के मुंह से लार गिरने लगेगी। उसके आंख और नाक से पानी गिरने लगेगा।

सर्रा बीमारी से ग्रसित आपकी दुधारू देवनी गाय का दूध कम हो जायेगा। वो धीरे-धीरे कमज़ोर होते चली जाएगी। कई बार गायों का पिछला भाग लकवाग्रस्त हो जाता है। अगर कोई देवनी गाय इस बीमारी से ग्रसित है तो उसकी आँखों में सफेदी आने लगती है। उस पशु के निचले भाग में भी सूजन आने लगती है।

ये भी पढ़ें : क्या अजोला से पशुओं में दूध बढ़ा सकते है ?

देवनी गायों को Animall ऐप से कैसे खरीदें?

Animall ऐप पर आप अपने आसपास की ढेर सारी देवनी गाय खरीद सकते हैं। देवनी गायों की खरीदारी करने के लिए अपने मोबाइल फ़ोन में गाय-भैंस वाला Animall ऐप डालें। ऐप में अपना मोबाइल नंबर दर्ज करा कर गाय पर दबाएँ। दबाते ही आप ढेर सारी गायों की नस्लों के नाम देख पाएंगे। यहाँ पर देवनी नस्ल को चुने और अपने घर मनचाहे ब्यात और दूध की क्षमता वाली गाय ले जायें।

इन तीन आसान तरीकों से घर लायें देवनी गाय ।

  1. अपने गाँव या जिले का नाम या पिनकोड डालें।
  2. पिनकोड डालने के बाद, गाय पर दबाएँ। यहाँ पर नस्ल देवनी का चयन करें। क्लिक करने के बाद यहाँ आप नस्ल के साथ-साथ अपने मन के अनुसार दूध की क्षमता और ब्यात का चुनाव भी कर सकते हैं।
  3. अब आपको अपने आसपास की सारी दुधारू देवनी नस्ल की गाय दिखने लगेंगी। इनमे से अपने पसंद का पशु चुनकर ख़रीदार से बात करें और घर ले जायें नया पशुधन।

आपको अपनी देवनी गाय बेचनी है ?

Animall ऐप पर ऐसे अपना पशु बेचें।

अगर आप अपनी देवनी गाय बेचना चाहते हैं तो इन आसान तरीकों को अपनाएं और Animall ऐप पर बेचें। ऐसे Animall ऐप से तुरंत देवनी गाय बेचें। ऊपर लिखे गये तरीके से Animall ऐप में खुद को रजिस्टर कर लें। इसके बाद पशु बेचें पर दबाएँ। इस बटन पर दबाते ही आप देवनी गाय की दूध क्षमता, ब्यात और कीमत लिख सकते हैं। अपने देवनी गाय की सभी जानकारियाँ डालने के बाद आपका पशु ऐप पर दर्ज हो जायेगा। मुबारक हो, आपकी देवनी गाय ऐप पर दर्ज हो गई है।अब ख़रीदार आपको गाय के लिए कॉल करेंगे।

अगर आप डेयरी बिजनेस कर रहे हैं, या फिर पशु खरीदना/ बेचना चाहते हैं। अगर डॉक्टर से बात करनी है या फिर पशु से जुड़ी कोई जानकारी चाहिये। हर सवाल का जवाब, हर परेशानी का समाधान और हर नस्ल का पशु मिलेगा सिर्फ आपके अपने गाय-भैंस वाले ऐप Animall पर। तो बिना देरी किए सभी किसान भाई Animall ऐप को तुरंत डाउनलोड करें।

ये भी पढ़ें : यहां पढ़े कंगायम गाय से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।

… और पढ़ें arrow

आयरशायर गाय: ताबड़तोड़ दूध के लिए नाम ही काफी है

feature-image

आयरशायर नस्ल की स्कॉटलैंड में प्रसिद्ध है। पहली बार अमेरिका से इन गायों को स्कॉटलैंड लाया गया था। ये भी एक संकर नस्ल को गाय है। प्रथम श्वेत क्रांति के समय इन गायों को भारत लाया गया था। आयर शायर नस्ल की गायें अधिक दूध देने के लिए जानी जाती है। इस नस्ल के बच्चे भी दूध देने के लिए प्रसिद्द हैं।

इन गायों का शरीर भूरा रंग का होता है। बीच बीच में शरीर पर उजले रंग के बड़े धब्बे भी होते हैं। वहीं कई आयर शायर गाय उजले रंग के होते हैं और शरीर पर भूरा रंग का घब्बा रहता है। एक औसत गाय का वजन तकरीबन 500 किलोग्राम का होता है।

ये एक दूधारू नस्ल की गाय है। प्रतिदिन आयरशायर गाय 20 से 30 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। इस गाय के दूध में 4 प्रतिशत फैट पाया जाता है। डेयरी बिजनेस में के लिए यह गाय उपयुक्त है।

आयरशायर गाय की पहचान

इन गायों की सबसे बड़ी पहचान दूध क्षमता है। ठंडी, गर्मी या हो बरसात हर मौसम में आयरशायर गायें 20 से 25 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। 10 से 15 सालों तक आयरशायर गाय दूध देती हैं।

आयरशायर गाय की दूध क्षमता

इन गायों की सबसे बड़ी पहचान दूध क्षमता है। ठंडी, गर्मी या हो बरसात हर मौसम में आयरशायर गायें 20 से 25 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। 10 से 15 सालों तक आयरशायर गाय दूध देती हैं। Animall ऐप पर पहले, दुसरे और तीसरे ब्यात की बेहतरीन आयरशायर गायें खरीद बिक्री के लिए उपलब्ध रहती है। आयरशायर गाय के दूध में 4 से 5 प्रतिशत फैट पाया जाता है। मात्र एक फ़ोन कॉल पर गाय-भैंस वाला Animall ऐप से शानदार आयरशायर गायें खरीद सकते है ।

क्या दूध में पाउडर मिला कर फैट और SNF बढ़ा सकते है ?

आयरशायर गायों की देख रेख कैसे करें ?

आयरशायर गायों के रखने के स्थान को नियमित रूप से पानी से साफ करते रहें। सफाई रखने से पशुओं को कई गंभीर बिमारियों से बचाया जा सकता है। साफ सफाई रखने से गौशाला में पनपने वाले जीवाणु और परजीवीयों का खतरा नही बना रहता है। साफ सुथरे गौशाला वातावरण में रहने से पशु के दूध के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है। जहाँ आयरशायर नस्ल को बांध कर रखा जाता है वहां पर पानी से साफ करने के बाद रोगाणु नाशक दवाई (5ग्राम पोटाशियम परमेगनेट या 50 एम.एल फिनाईल/बाल्टी पानी) से सफाई करें। इसके अलावा डेटॉल से भी गौशाला की सफाई कर सकते हैं। खुरपका मुंह पका,लंगड़ी रोग,एवं थिलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए गौशाला की साफ़ सफाई का महत्वपूर्ण योगदान है।

गौशाला में साफ़ सफाई में नहीं रखने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। फेफड़ों और आंत सम्बन्धी बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ जाता है। गोबर और अन्य ठोस पदार्थ जैसे नीचे गिरा हुआ भूसा आदि को गौशाला में से दिन में कम से कम 2 बार हटाना चाहिए। इन्हें पशु घर से कम से कम 100 मीटर दूरी पर किसी गड्ढे में इकट्ठा करें, जिससे खाद बनाकर खेतों में डाला जा सके।

स्वस्थ पशुओं की आंखें चमकीली होती हैं। इसमें किसी भी तरह के तरल पदार्थ जैसे पानी या खून के धब्बे नजर नहीं आते। स्वस्थ आयरशायर गायें बहुत ज्यादा खांसती नहीं हैं, घर्राने की आवाजें भी नही आती है। इसमें सांस लेने की प्रक्रिया बिल्कुल सामान्य होती है। आपको स्वस्थ्य आयरशायर गाय का चमड़ा भी चमकदार दिखाई देगा, शरीर पर कही से भी जूं-चीचड़ नहीं दिखाई देगा। स्वस्थ पशु के चलने-फिरने या उठने-बैठने में परेशानी नहीं होती है।

चारा

दुधारू आयरशायर गाय को ये पशु आहार दें

आयरशायर गाय की क्षमता का पूरा उपयोग करने के लिए 40 से 50 किलोग्राम हरा चारा और 3 किलो दाना प्रति किलोग्राम दूध देने के लिए दें। जब पशु आहार में प्रोटीन, वसा और खनिज लवन मिलता है तो दूध में बढ़ोतरी देखने को मिलती है।

गाभिन आयरशायर गाय को ये पशु आहार दें

एक 250 किलोग्राम वजन के गाय को एक दिन में कितना पशु आहार दें।

भूसा – 4 किलो
दाना मिश्रण – ढाई किलो

चारा बाँट कर दिन में 3-4 बार खिलाएं। साथ में दाना मिश्रण भी 2 बार बराबर मात्रा में खिलाएं। हरा और सूखा चारा दोनों मिलाकर खिलाएं। चारा के दाना मिश्रण के अलावा प्रतिदिन 35- 40 लीटर पानी गाय को जरुर पिलायें।

आयर शायर गायों में होने वाली बीमारियां

1. ब्रुसेला बीमारी

घर की सभी आयरशायर नस्ल के गायों को ब्रुसेला का टीका लगायें। यदि आयरशायर नस्ल की गाय ने बछड़ी को जन्म दिया है तो पैदा होने के 6 महीने बाद ब्रुसेला बीमारी का टीका लगायें। ब्रुसेला एक जानलेवा बीमारी है, जो मनुष्यों से गायों में फैलता है। इसकी चपेट में आने पर गायें तुरंत बीमार हो जाती हैं। भारत में ही बने टीका ब्रुसेला S-19 पशुओं को लगाया जाता है।

बीमारियों से बचाए रखने के लिए गाय का टीका कब लगाना चाहिए

आयरशायर गायों में ब्रुसेला बीमारी के क्या लक्षण हैं?

पशुपालक साथी अभी हम आपको आयरशायर नस्ल के गायों में होने वाले ब्रुसेला बीमारी के लक्षण के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आपकी आयरशायर गाय इस बीमारी से ग्रसित है तो उसे बुखार की शिकायत रहेगी। उस गाय का वजन भी लगातार कम होता जायेगा। रात में गाय को पसीना भी आएगा। अगर आपकी गाय को ये सारे लक्षण दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से बात करें।

2. सर्रा बीमारी

यह एक परजीवी से होने वाला रोग है। ट्रिपैनोसोमा ईवांसी नामक सूक्ष्म परजीवी से ये बीमारी फैलता है। इस बीमारी के फैलने से पशुओं की उत्पादन क्षमता में भारी कमी आती है। तुरंत ही पशुओं की मृत्यु हो जाती है जिससे पशुपालकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। सबसे पहले साल 1885 में सर्रा बीमारी को देखा गया था।

मान लीजिए अगर कोई पशु सर्रा बीमारी से ग्रसित है अगर मक्खी उसका खून चूसकर स्वस्थ पशु को काट लेगा तो उसे ये बीमारी फ़ैल जाएगी। पशु विज्ञान में सर्रा रोग के लिए जिम्मेदार मक्खी को टेबनेस मक्खी कहते हैं। भारत में पशुओं को काटने वाले मक्खी को लोग डांस मक्खी के नाम से जानते हैं।

आयरशायर गाय में सर्रा रोग के क्या लक्षण हैं ?

आपके आयरशायर गाय को रुक रुक कर बुखार आएगा। वो बार बार पेशाब करेगी। इतना ही नहीं आपकी आयरशायर गाय गोल गोल चक्कर भी काटने लगेगी। सर्रा बीमारी से ग्रसित आपकी जर्सी गाय को भूख भी कम लगेगा। गाय के मुंह से लार गिरने लगेगा । उसके आंख और नाक से पानी गिरने लगेगी।

सर्रा बीमारी से ग्रसित आपके दुधारू आयरशायर गाय का दूध कम हो जायेगा।
वो धीरे धीरे कमज़ोर होते चली जाएगी। कई बार गायों का पिछला भाग लकवाग्रस्त हो जाता है। अगर कोई आयरशायर गाय इस बीमारी से ग्रसित है तो आँखों में सफेदी आने लगता है। उस पशु के निचले भाग में भी सूजन आने लगता है।

3. थनैला रोग

पशुओं के बांधे जाने वाले स्थान और दूध दुहने के स्थान की सफाई का विशेष ध्यान रखें। दूध दुहने की तकनीक सही होनी चाहिए जिससे थन को किसी प्रकार की चोट न पहुंचे। थन में किसी प्रकार की चोट (मामूली खरोंच भी) का तुरंत इलाज कराएं। थन का उपचार दुहने से पहले व बाद में दवा के घोल में (पोटेशियम परमैगनेट 1:1000 या क्लोरहेक्सिडीन 0.5 प्रतिशत) डुबो कर करें। दूध की धार कभी भी फर्श पर न मारें। रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें तथा उन्हें दुहने वाले भी अलग हों। अगर ऐसा संभव न हो तो बीमार पशु का दूध सबसे बाद में निकालें। समय-समय पर दूध की जाँच करवाते रहें। अगर थनों में सुधार न दिखें तो पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।

जानिए क्या है मानसून में थनैला रोग फैलने की वजह, लक्षण और उपचार (वीडियो)

कुछ ही मिनटों में आयरशायर गाय को Animall ऐप से कैसे खरीदें?

Animall ऐप पर अपने आसपास की ढेर सारी आयरशायर गाय खरीद सकते हैं। आयरशायर गायों की खरीदारी करने के लिए अपने मोबाइल फ़ोन में गाय-भैंस वाला Animall ऐप डालें। ऐप में अपन मोबाइल नंबर दर्ज करा कर गाय पर दबाएँ। दबाते ही आप ढेर सारी गायों के नस्ल के नाम देख पाएंगे । यहाँ आयरशायर नस्ल चुने और अपने घर मनचाहे ब्यात और दूध क्षमता वाली गाय ले जायें।

अपनाएं ये तीन आसान तरीका अपनाएं

  1. अपने गाँव या जिले का नाम या पिनकोड डालें।
  2. पिनकोड डालने के बाद गाय पर दबाएँ । यहाँ आयरशायर का चयन करें । क्लिक करने के बाद यहाँ आप नस्ल के साथ साथ अपने मन के अनुसार दूध क्षमता और ब्यात का का चुनाव भी कर सकते है।
  3. अब आपको अपने आसपास की सारी दुधारू आयरशायर नस्ल गाय दिखने लगेंगी । इनमे से अपने पसंद का पशु चुनकर ख़रीदार से बात करें और घर ले जायें नया पशुधन।

 

ऐप पर आयरशायर गाय बेचें

आपको अपनी आयरशायर गाय बेचनी है ? Animall ऐप पर ऐसे अपना पशु बेचें

इन सरल तरीकों को अपनाकर आयरशायर गाय Animall ऐप पर बेचें। ऐसे Animall ऐप से तुरंत आयरशायर गाय बेचें। ऊपर लिखे गये तरीके से Animall ऐप में खुद को रजिस्टर कर लें। इसके बाद पशु बेचें पर दबाएँ। इस बटन पर दबाते ही आप आयरशायर गाय की दूध क्षमता, ब्यात और कीमत लिख सकते हैं। अपने आयरशायर गाय की सभी जानकारियाँ डालने के बाद आपका पशु ऐप पर दर्ज हो जायेगा। मुबारक हो, आपकी आयरशायर गाय ऐप पर दर्ज हो गया है। अब ख़रीदार आपको गाय के लिए कॉल करेंगे।

 

… और पढ़ें arrow