जानिए क्या है मानसून में थनैला रोग फैलने की वजह, लक्षण और उपचार (वीडियो)
मानसून के दौरान पशुपालक भाइयों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से वह खासे परेशान हो जाते हैं। पशुपालक भाइयों को इसी समस्या का समाधान आज हम लेकर आए हैं। हमारे इस लेख में हम पशुपालक भाइयों को मानसून में होने वाले थनैला रोग के बारे में बताएंगे।
हम कोशिश करेंगे कि पशुपालक भाइयों को थनैला रोग के कारण, लक्षण, उपचार और बचाव की जानकारी से अवगत कराएं। अगर आप एक पशुपालक हैं और मानसून के दौरान पशुओं को थनैला से बचाकर रखना चाहते हैं तो हमारे इस लेख पर अंत तक बने रहें।
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क्या है थनैला रोग
थनैला रोग बारिश के दिनों में दुधारू पशुओं को हो सकता है। थनैला रोग की वजह कुछ बैक्टीरिया या बाहरी जीव होते हैं जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं।
- स्टैफाइलोकोकस
- स्ट्रेप्टोकोकस
- माइकोप्लाज्मा
- कोराइनीबैक्टिरीयम
- इ.कोलाई,
- फफूंद
मानसून में क्यों फैलता है थनैला रोग
- मौसम में नमी होती है ज्यादातर समय फर्श गीला रहता है। जिसकी वजह से पशु के थनों में परजीवी प्रवेश कर जाते हैं। इसकी वजह से थनैला हो सकता है।
- जब पशुपालक भाई दूध दुहने में अंगूठा अंदर की तरफ रखते हैं तो पशु के थनों में गांठ पड़ जाती है, जिसकी वजह से थन खुले रह जाते हैं और बारिश के दिनों में पैदा हुए परजीवी के चलते थनैला की स्थिति पैदा हो सकती है।
- बारिश के दौरान अगर पशु के थनों पर चोट लग जाए तो घाव नहीं भरता और थनैला की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
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मानसून में थनैला के लक्षणों की पहचान का तरीका
- थनैला में पशु के थनों में गांठ हो जाती है।
- पशु के थन का आकार सामान्य से अधिक बड़ा हो जाता है।
- थनों को दबाने पर दूध की जगह खून या पस निकलने लगता है।
- पशु के थनों में दर्द रहने लगता है।
- थन से फटा हुआ या दूषित दूध निकलने लगता है।
मानसून में थनैला के उपचार और सावधानियां
- पशु को थनैला होने पर उसे हरा धनिया खिलाया जाना चाहिए।
- थनैला की स्थिति में पशु को केले के अंदर कुछ कपूर डालकर खिलाया जा सकता है।
- थनैला रोग होने पर सबसे पहले पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
- रोग के होने पर पशु के नीचे धुआं या गर्म आंच नहीं दिखानी चाहिए।
- रोग के हो जाने पर पशु को किसी तरह की बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं देनी चाहिए।
- थनैला के लक्षण दिखने पर पशु के दूध की जांच करानी चाहिए।
मानसून में पशुओं को थनैला से कैसे बचाएं
- मानसून के दिनों में पशु के रहने के स्थान को गीला न रहने दें।
- थनों में चोट या गांठ पड़ने पर डॉक्टर की सहायता तुरंत लेनी चाहिए।
- पशु को खुरदरे और गीले फर्श पर नहीं छोड़ना चाहिए।
- पशु को खुले में चरने के लिए या बैठने के लिए न छोड़ें।
- पशु के थनों की सफाई नीम के गर्म पानी से करनी चाहिए।
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