यहां पढ़ें राठी गाय से जुड़ी सारी जानकारी!

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जब बात भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गायों की हो, तो उसमें देसी गाय राठी का नाम जरूर लिया जाता है। राजस्थान के उत्तर पश्चिमी जिलों (गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर) में राठी गाय पाई जाती है। राजस्थान के अलावा राठी गाय को गुजरात के कुछ इलाकों में भी पाला जाता है। इन इलाकों के किसानों के लिए ये गाय काफी अहम है। इस नस्ल की गाय अत्यधिक दूध देने के लिए मशहूर है।

इसके नाम की उतपत्ति बंजारा चरवाहे राठ से हुई थी। प्रगतिशील किसानों में राठी गाय काफी प्रसिद्ध है। वहीं जब बात हो कि राठी गाय कितना दूध देती है? तो आमतौर पर राठी गाय रोजाना 12 लीटर तक दूध आराम से दे सकती है, यहां तक की कई बार तो इसे 18 लीटर दूध देते भी देखा गया है। ये गाय कम चारे में भी ज्यादा दूध दे सकती है। इसके दूध में फैट की मात्रा 5% से ज्यादा होती है।

राठी गाय की खूबी ये भी है कि भारत के किसी भी इलाके में रह लेती है। इसे ‘राजस्थान की कामधेनु’ के नाम से भी जाना जाता है। 

राठी गाय की पहचान कैसे करें?

राठी गाय दिखने में काफी सुंदर मानी जाती है। राठी गाय की त्वचा बहुत ज्यादा आकर्षित होती है। इसका चेहरा थोड़ा सा चौड़ा होता है। राठी गाय का वजन आमतौर पर 280-300 किलोग्राम होता है।

राठी गाय मध्यम आकार की होती है, इसका रंग भूरा होता है और उस पर सफेद धब्बे बने होते हैं। जबकि इनके शरीर के नीचे की त्वचा का रंग, शरीर के बाकी हिस्सों के रंग से हल्का होता है। इस नस्ल की गाय के सींग मध्यम आकार के होते हैं, जो कि ऊपर और अंदर की तरफ घुमावदार होते हैं।

राठी गाय का मुंह चौड़ा होता है, जबकि इसकी पूंछ लंबी होती है और चमड़ी लटकी हुई, कोमल और ढीली होनी चाहिए।

राठी और गिर में अंतर

राठी और गिर गाय दोनों के शरीर में ही काफी धब्बे होते हैं, यहां तक की इनका रंग भी एक जैसा होता है। जिस कारण लोग अक्सर राठी को गिर समझ लेते हैं। लेकिन राठी के कान और सिंग गिर से काफी अलग होते हैं।


राठी गाय के दूध की जानकारी 

राठी नस्ल भारतीय गायों में एक महत्वपूर्ण गाय है। ये गाय रोजाना 12 लीटर तक दूध दे सकती है। हालांकि ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि गाय को खाने में क्या दिया जाता है। इसके अलावा इलाके का हवा-पानी गाय के लिए कितना सही है। साथ ही आप उसका ध्यान कैसे रख रहे हैं। हालांकि ये गाय ज्यादा इलाकों में और अलग तरह के हवा पानी में भी रह लेती है।

ये एक ब्यात में औसतन 2500 किलो दूध पैदा करती है। पहले ब्यात के समय इसकी उम्र 36 से 52 महीने होती है। तो वहीं इसका एक ब्यात 15-20 महीनों का होता है।

राठी गाय की विशेषताएं

राठी गाय की रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी की इम्युनिटी बहुत ही शानदार होती है। सर्दियों में जहां 0 डिग्री की ठंड सहती है तो वहीं गर्मियों में 50 डिग्री को भी सहन कर लेती है। इसके बावजूद राठी बेहद खुश रहती है और वो दूध देने में कोई कटौती नहीं करती है।

इतना ही नहीं राठी जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा पाई जाती है, वहां पर पानी की कमी होती है। साथ ही वहां पर चारा भी जो मिलता है वो सूखा मिलता है। अक्सर कहा जाता है कि हरे चारे के बिना पशु पालन संभव नहीं है लेकिन राठी गाय के साथ ये संभव है। क्योंकि राठी भूसे तक पर भी रह लेती है और अच्छी मात्रा में दूध देती है।

इसके साथ ही क्योंकि ये इतने विपरीत वातावरण में रह सकती है, तो इसे बीमारियों का खतरा भी काफी कम होता है। राठी गाय सभी की पहली पसंद बनती जा रही है, क्योंकि इसके रख रखाव में बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। 


राठी गाय को चारे में क्या दें?

इस नसल की गायों को जरूरत के जितना ही खाना दें। फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारे को भी जरूर मिला लें। ताकि गाय को बदहजमी की परेशानी ना हो।

अनाज और इसके अन्य पदार्थ: मक्की, जौं, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चोकर, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, बरीवर शुष्क दाने, मूंगफली, सरसों, तिल, अलसी, मक्की से तैयार खुराक, टरीटीकेल आदि।

हरे चारे: बरसीम (पहली, दूसरी, तीसरी, और चौथी कटाई), लूसर्न (औसतन), लोबिया (लंबी ओर छोटी किस्म), गुआरा, सेंजी, ज्वार (छोटी, पकने वाली, पकी हुई), मक्की (छोटी और पकने वाली), जई, बाजरा, हाथी घास, नेपियर बाजरा, सुडान घास आदि।

सूखे चारे और आचार: बरसीम की सूखी घास, लूसर्न की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, मक्की के टिंडे, ज्वार और बाजरे की कड़बी, गन्ने की आग, दूर्वा की सूखी घास, मक्की का आचार, जई का आचार आदि।

अन्य रोजाना खुराक: मक्की/ गेहूं/ चावलों की कणी, चावलों की पॉलिश, छाणबुरा/ चोकर, सोयाबीन/ मूंगफली की खल, छिल्का रहित बड़ेवे की ख्ल/सरसों की खल, तेल रहित चावलों की पॉलिश, शीरा, धातुओं का मिश्रण, नमक, नाइसीन आदि।


राठी गाय की देखरेख कैसे करें?

शेड की आवश्यकता

राठी गाय या फिर किसी भी पशु के रख रखाव में बहुत जरूरी है कि उनके अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों का ध्यान रखा जाए। पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड से बचाने के लिए एक शेड की आवश्यकता होती है। इस बात का खास ध्यान रखें कि चुने हुए शेड में साफ हवा और पानी की सुविधा भी होनी चाहिए। पशुओं की संख्या के अनुसार भोजन के लिए जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वो आसानी से खाना खा सकें। पशुओं के व्यर्थ पदार्थ की निकास पाइप 30-40 सैंटीमीटर चौड़ी और 5-7 सैंटीमीटर गहरी होनी चाहिए।

गाभिन पशुओं की देखभाल

गाभिन गाय की अच्छी देखभाल का परिणाम अच्छे बछड़े के रूप में होगा। इतना ही नहीं दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है। गाभिन गाय को 1 किलो अधिक फीड दें, क्योंकि वो शारीरिक रूप से भी बढ़ती है। 

जानिए कैसी होनी चाहिए एक गाभिन गाय की खुराक!

बछड़ों की देखभाल कैसे करें

बछड़ों के जन्म के तुरंत बाद नाक या मुंह के आस पास चिपचिपे पदार्थ को साफ करना चाहिए। अगर बछड़ा सांस नहीं ले रहा है तो उसे दबाव द्वारा बनावटी सांस दें और हाथों से उसकी छाती को दबाकर आराम दें। शरीर से 2-5 सैंटीमीटर की दूरी पर से नाभि को बांधकर नाडू को काट दें। 1-2 प्रतिशत आयोडीन की मदद से नाभि को आस पास से साफ करना चाहिए।

जानिए गाय के बछड़े की देखभाल किस तरह से करें

टीकाकरण

जन्म के बाद बछड़े को 6 महीने के हो जाने पर पहला टीका ब्रूसीलोसिस का लगवाएं। फिर एक महीने बाद आप मुंह खुर का टीका लगवाएं और गलघोटू का भी टीका लगवाएं। एक महीने के बाद लंगड़े बुखार का टीका लगवाएं। बड़ी उम्र के पशुओं की हर तीन महीने बाद डीवॉर्मिंग करें। बछड़े के एक महीने से पहले सींग ना दागें। एक बात का और ध्यान रखें कि पशु को बेहोश करके सींग ना दागें आजकल आने वाले इलैक्ट्रोनिक हीटर से ही सींग दागें।

बीमारियों से बचाए रखने के लिए गाय का टीका कब लगाना चाहिए 

 

राठी गाय को होने वाली बीमारियां

बदहजमी: इस बीमारी से बचाने के लिए गाय को जल्दी पचने वाली खुराक दें

कब्ज: बार-बार कब्ज होने पर गाय को 800 ग्राम मैगनीशियम सल्फेट पानी में घोलकर और 30 ग्राम अदरक का चूरा मुंह द्वारा दें।

मरोड़/ खूनी दस्त: मुंह द्वारा या टीके से सलफा दवाइयां दें और साथ ही 5 प्रतिशत गुलूकोज़ और नमक का पानी ज्यादा दें।

अनीमिया: मासपेशियों में कमजोरी आना, तनाव होना गाय में अनीमिया की बीमारी को दर्शाता है। इसके इलाज के लिए खाने में विटामिन ए, बी, ई की मात्रा बढ़ाएं।

मैगनीश्यिम की कमी: खाने में 5 ग्राम मैगनीश्यिम ऑक्साइड डाल कर कमी को पूरा किया जा सकता है।

रिंडरपैस्ट (शीतला माता): ये गाय में होने वाली गंभीर बीमारी है। इस बीमारी को होने में 6-9 दिन लगते हैं। इसमें तेज बुखार, मुंह से पानी बहना और खूनी दस्त लग जाते हैं। इसका पेंसीलिन से इलाज किया जा सकता है।

निमोनिया: गीले फर्श के कारण गाय को ये बीमारी होती है। इसमें ध्यान रखना होता है कि जगह को सूखा रखा जाए।

थनैला: ये सिर्फ राठी में नहीं बल्कि हर दुधारू पशुओं को लगने वाला एक रोग है। थनैला रोग में पशु के थन गर्म हो जाते हैं और उसमें दर्द, सूजन होने लगती है। इसके अलावा दूध में खून और पस आने लगता है। इसका इलाज शुरुआत में ही संभव है, बीमारी बढ़ने के बाद थन बचाना मुश्किल होता है। 

 

राठी गाय को कैसे खरीदें

अगर आप राठी गाय खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए Animall ऐप को तुरंत डाउनलोड कर लें। इस तरह से आप अपने आसपास की ढेर सारी राठी गाय खरीद सकते हैं राठी गायों की खरीदारी करने के लिए अपने मोबाइल फोन में गाय-भैंस वाला Animall ऐप डाउनलोड करें। ऐप में अपना मोबाइल नंबर डालें और फिर गाय पर क्लिक करें। जैसे ही आप गाय दबाते हैं, वैसे ही आप ढेर सारी गायों की नस्लें देखना शुरु कर देंगे। आप राठी नस्ल चुनें और फिर पसंद की ब्यात और दूध देने की क्षमता वाली गाय खरीद सकते हैं।

इन तीन आसान तरीकों से घर लायें देवनी गाय ।

   

  1. अपने गांव या जिले का नाम या पिनकोड डालें।
  2. पिनकोड डालने के बाद, गाय पर दबाएँ। यहाँ पर नस्ल राठी का चयन करें। क्लिक करने के बाद यहाँ आप नस्ल के साथ-साथ अपने मन के अनुसार दूध की क्षमता और ब्यात का चुनाव भी कर सकते हैं।
  3. अब आपको अपने आसपास की सारी  दुधारू राठी नस्ल की गाय दिखने लगेंगी। इनमे से अपने पसंद का पशु चुनकर खरीदार से बात करें और चुटकी में खरीद लें अपनी पसंद की राठी गाय।

इस तरह से बेच सकते हैं अपनी राठी गाय?

अगर आप अपनी राठी गाय बेचना चाहते हैं तो इन आसान तरीकों को अपनाएं और Animall ऐप पर बेचें। ऐसे Animall ऐप से तुरंत राठी गाय बेचें। एक बार खुद को Animall ऐप पर रजिस्टर करने के बाद, पशु बेचें पर जाएं। आप फिर वहां पर अपनी राठी गाय की सारी जानकारी दे सकते हैं। जैसे ही आप अपनी गाय की सारी जानकारी देंगे तुरंत ही आपका पशु ऐप पर दर्ज हो जाएगा। जिसके बाद खरीदार आपको गाय बेचने के लिए कॉल करेंगे।

राठी गाय एक बेहद ही उच्च गुणवत्ता की गाय है। जो आपको काफी कम रेट में भी मिल जाती है और साथ ही उसकी देखभाल में भी बहुत ज्यादा खर्चा नहीं होता है। राठी बेहद ही कम देखभाल के साथ भी आपको अच्छी मात्रा में दूध दे सकती है। हालांकि अगर आप इसका ज्यादा ध्यान रखेंगे तो दिन का 20 लीटर तक दूध आसानी से हासिल कर सकते हैं।

अगर आप भी एक पशुपालक है और पशु खरीदना या बेचना चाहते हैं, तो परेशान नहीं होना पड़ेगा। Animall ऐप पर आप एकदम उचित दाम और बिना कमीशन दिए पशु खरीद या बेच सकते हैं। साथ ही अगर आपको पशु के लिए डॉक्टर से बात करनी है तो वो भी ऐप पर आसानी से कर सकते हैं। 

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पुंगनूर गाय से जुड़ी सारी जानकारी यहां पढ़ें!

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Source – ZeeNews

भारत जैसे देश में गाय की कई नस्लें पाई जाती हैं। इन्हीं में से एक पुंगनूर गाय है। यह अपने छोटे कद और अपने दूध के गुणों के चलते बेहद प्रसिद्ध है। पुंगनूर गाय उन चुनिंदा गाय में से एक है जिसका मूत्र और गोबर बेचकर भी पैसे कमाए जा सकते हैं। पूंगनूर गाय एक दुर्लभ प्रजाति है जो लगभग विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है। साथ ही पुंगनूर गाय को लेकर कई तरह के भ्रम और बातें भी लोगों के बीच फैली हुई है।

आज हम आपको अपने इस लेख में पूंगनूर गाय की कीमत से लेकर इसके दूध देने की क्षमता के बारे में बताएंगे। इसके अलावा पुंगनूर गाय से जुड़े भ्रम को भी दूर करेंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि आप कैसे पुंगनूर गाय को आसानी से खरीद या बेच सकते हैं। 

पुंगनूर गाय की पहचान कैसे करें


Source – Bollywoodtopic.com 

पुंगनूर एक दुर्लभ प्रजाति की गाय है, जिसका इतिहास भारत के दक्षिणी भाग आंध्र प्रदेश से जुड़ा हुआ है। इस गाय का नाम आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के शहर पुंगनूर पर ही रखा गया है। पुंगनूर गाय सफेद और हल्के भूरे रंग की होती है। जिनका माथा काफी चौड़ा और सींग छोटे होते हैं। पुंगनूर गाय की औसत ऊंचाई महज 70 से 90 सेमी ही होती है। वहीं पुंगनूर गाय का अधिकतम वजन 150 से 200 किलोग्राम तक हो सकता है। पुंगनूर की पूंछ लंबी होती है और जमीन तक जाती है। वहीं पुंगनूर के कान बाहर और पीछे की तरफ खड़े रहते हैं। इनकी कमर के हिस्से में एक छोटा सा कर्व भी देखने को मिलता है।

पुंगनुर की दूध देने की क्षमता और गुण

सोशल मीडिया के जरिए कई भ्रम फैलाए गए हैं, कि पुंगनूर एक दिन में 100 लीटर दूध देती है। वहीं कई लोगों ने तो यह तक भ्रम फैलाया है कि पुंगनूर गाय की कीमत 12 करोड़ रुपए है। यही नहीं एक बात यह भी प्रचलित है कि केवल पुंगनूर गाय का दूध ही तिरुपति बालाजी पर चढ़ाया जाता है। लेकिन आपको बता दें कि यह केवल सुनी सुनाई हुई ही बातें हैं।

पुंगनूर गाय एक साल में करीब 1200 से लेकर 1500 लीटर तक ही दूध देती है। पुंगनूर गाय के दूध की खास बात यह है कि इसमें 8 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है। जबकि अन्य गाय के दूध में फैट केवल 3 से 5 प्रतिशत ही फैट होता है।

बात पुंगनूर गाय से मुनाफे की करें, तो इसमें मौजूद अधिक फैट और दूसरे औषधीय गुण, इसे दूसरी गाय के दूध से अलग बनाते हैं। इस आधार पर पुंगनूर गाय के दूध को अधिक कीमत पर बेचा जा सकता है। इसके अलावा पुंगनूर गाय के मूत्र के अंदर एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, एवं इसका इस्तेमाल आंध्र प्रदेश के किसान फसलों पर छिड़काव के लिए करते हैं। जिसकी वजह से पुंगनूर का मूत्र 10 रुपए किलो तक बेचा भी जाता है। यही नहीं पुंगनूर का गोबर भी 5 रूपए किलो में बेचा जाता है। 

पुंगनूर गाय की कीमत 

एक भ्रम यह भी है कि पुंगनूर गाय की कीमत 12 करोड़ रुपए तक है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। पुंगनूर गाय आपको एक लाख रुपए से लेकर 3 लाख रुपए तक की कीमत पर आसानी से मिल जाती है। इसके अलावा बताया जाता है कि पुंगनूर गाय की आयु जितनी कम होगी उसकी कीमत उतनी ही अधिक होगी।  ऐसा इसलिए क्योंकि आंध्र प्रदेश के लोगों के लिए एक स्टेटस सिंबल बन गई है। वहीं इसकी कीमत अधिक होने का कारण इनकी कम संख्या भी है। 

पुंगनूर गाय की देखरेख कैसे करें 

जैसे की हमने आपको बताया कि पुंगनूर गाय का आकार बेहद छोटा होता है। इसकी वजह से यह चारा भी बेहद कम मात्रा में ही खाती है और इसके रखरखाव का खर्च कम हो जाता है। एक रिपोर्ट की मानें तो पुंगनूर गाय एक दिन में 5 किलो तक ही चारा खाती है। 

पुंगनूर गाय को होने वाली बीमारियां


Source – sbs.com

पुंगनुर गाय एक बहुत छोटे कद वाली गाय है। जिसे बीमारियों से बचाने के लिए सावधान रहना आवश्यक है। वहीं कई बार इस गाय को कुछ गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। जिसकी सूची हम आपको नीचे दे रहे हैं। 

पुंगनूर को होने वाला सर्रा रोग

सर्रा रोग पहली बार पशुओं में 1885 में देखा गया था। यह रोग ट्रिपैनोसोमा इवांसी (Trypanosoma evansi) नाम के सूक्ष्म परजीवी (parasite) से होता है। इसके कारण पशु की दूध देने की क्षमता बेहद कमजोर पड़ जाती है। साथ ही कई बार गाय की मौत तक हो जाती है। जिसकी वजह से पशु पालन करने वालों को बहुत नुकसान होता है। ऐसे में अगर गाय को सर्रा रोग है तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

सर्रा रोग कैसे फैलता है 

सर्रा रोग से पीड़ित गाय को जब कोई मक्खी काट ले या उसका खून पीकर, किसी स्वस्थ गाय को काट ले तो उसे भी सर्रा रोग हो सकता है। पशुओं के विज्ञान के मुताबिक सर्रा रोग के लिए जिम्मेदार मक्खी को टेबनेस कहते हैं। वहीं भारतीय लोग इस मक्खी को डांस मक्खी के नाम से भी जानते हैं। 

सर्रा रोग के पुंगनूर पर दिखने वाले लक्षण

सर्रा रोग से पीड़ित गाय की स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है और इसके कई लक्षण गाय पर देखने को मिल सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं। 

  • गाय को बार – बार बुखार आने लगता है। 
  • मुंह से लार और आंख नाक से पानी गिरता रहता है। 
  • सर्रा रोग होने पर गाय गोल – गोल चक्कर लगाने लगती है 
  • यह रोग होने पर गाय के पिछले हिस्से में लकवा भी पड़ सकता है। 
  • गाय के दूध देने की क्षमता काफी कमजोर पड़ जाती है। 
  • गाय के निचले हिस्से में सूजन आने लगती है। 
  • सर्रा रोग होने की वजह से आंखों पर सफेद अधिक दिखाई देने लगती है। 

सर्रा रोग का इलाज 

अगर पशु को सर्रा रोग हो गया है तो डॉक्टर की राय पर उनके आस पास चूने का छिड़काव कर देना चाहिए। साथ ही पशु को गुड़ आदि खिलाना भी इस रोग से राहत दे सकता है।  इसके अलावा गाय पर सर्रा रोग के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से बात करें। 

पुंगनूर गाय को होने वाले ब्रुसेला रोग

ब्रुसेला रोग एक संक्रामक रोग है जो एबोरटस नामक जीवाणु के जरिए फैलता है। यह पशुओं से इंसानों में और इंसानों से पशुओं में भी फैल सकता है। आपको बता दें कि यह जीवाणु गर्भावस्था में स्तनधारी जीव के बच्चेदानी में रहता है और अंतिम तिमाही में गर्भपात की वजह बनता है। आपको बता दें कि एक बार संक्रमित होने पर गाय के गर्भाशय और दूध के जरिए यह पूरे जीवनकाल में निकलता ही रहता है। 

ब्रुसेला के दिखाई देने वाले लक्षण

अगर आपकी गाय या स्तनधारी जीव ब्रुसेला रोग से पीड़ित है तो इसके कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे बुखार का बार – बार आना, वजन घटना, रात के समय अधिक पसीना आना। गाय पर इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

गाय को ब्रुसेला से बचाने का तरीका 

ब्रुसेला आपकी गाय या भैंस के लिए एक बेहद खतरनाक बीमारी है। ऐसे में ब्रुसेला रोग से पशु को बचाए रखने के लिए समय पर ब्रुसेला S -19 टीका लगवाएं। बता दें कि यह टीका भारत में ही बना है और यह पशु को इस रोग से बचाकर रखता है। अगर आपकी गाय ने बछड़ी को जन्म दिया है तो उसे भी 6 महीने के बाद ब्रुसेला का टीका जरूर लगवाएं। 

Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

क्या आप घर बैठे – बैठे कोई भी गाय खरीदना चाहते हैं, अगर हां तो आप  Animall ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। आप अपने  स्मार्ट फोन में यह ऐप डाउनलोड करने के लिए आप प्ले स्टोर पर जाएं, या नीचे दिए गए विकल्प  पर क्लिक करें। Click Here

  1. ऐप डाउनलोड होने के बाद आप इसमें मोबाइल नंबर डालें और अपने स्थान को चुनें।
  2. अब आप ऐप की भाषा का चुनाव करें।
  3. अब इस ऐप को आप उपयोग कर सकते हैं। यंहा से आप गाय, भैंस या अन्य पशु खरीद और बेच सकते हैं।
  4. अगर आप गाय खरीदनी है तो आप गाय का चुनाव करें।
  5. यहां आपको जो भी गाय बिकाऊ है, उनकी सूची दिख जाएगी।
  6. अब आपको पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प के हिसाब से अपने लिए सही सूची बना सकते हैं। 
  7. इस सूची के आधार पर आप अपनी गाय चुन सकते हैं और सीधा बेचने वाले व्यक्ति से बात कर सकते हैं।
  8. आप बेचने वाले व्यक्ति से मोल भाव भी कर सकते हैं और गाय से जुड़ी अन्य जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं।

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. पशु को बेचने के लिए आप ऐप के नीचे दिए गए पशु बेचे के विकल्प पर जाएं। विकल्प अगर दिखाई न दे तो आप इस तस्वीर का सहारा ले सकते हैं, जो हमने आपको नीचे दी है।
  2. यहां क्लिक करने के बाद आपको पशु से संबंधित जानकारी देनी होगी। इसमें गाय की ब्यात, नस्ल, कीमत, दूध देने की क्षमता, गाय की फोटो अपलोड कर दें।
  3. इस तरह आपकी गाय या अन्य पशु ऐप पर लिस्ट हो जाएगा। अब गाय खरीदने के इच्छुक व्यक्ति आप से स्वयं संपर्क करेगा।
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यहां पढ़ें विदेशी नस्ल चियानिना गाय की सारी खूबियां

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चियाननिना नस्ल की गाय दुनिया की सबसे भारी गायों की नस्ल में से एक है। इसका उपयोग मुख्य रूप से परिवहन के लिए और साजो सामान की ढुलाई के लिए किया जाता है। आपको बता दें कि यह एक विदेशी गाय है, जिसका इतिहास इटली से जुड़ा है।

अब यह गाय दुनियाभर के देशों में फैल चुकी है। इसके साथ ही विदेशों से भी इसे निर्यात किया जाता है। चियानिना गाय का न केवल वजन बहुत अधिक होता है। बल्कि इनकी ऊंचाई भी आम लोगों को हैरान कर देती है। यह एक दुधारू गाय तो नहीं है। लेकिन छोटे किसानों और पशुपालकों के लिए फायदेमंद हो सकती है।

वह इसके दूध से अपनी निजी मांग की पूर्ति कर सकते हैं। इसके साथ ही चियनिना गाय खेत जोतने में भी काम आ सकती है। आज अपने इस लेख में हम आपको चियानिना गाय से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे। इसके अलावा अगर आप चियानिना गाय को बिना कहीं आए जाए खरीदना या बेचना चाहते हैं, तो आप यह भी हमारी गाय भैंस वाली ऐप यानी Animall App के जरिए कर सकते हैं। आइए आज हम चियानिना गाय के बारे में विस्तार से जानते हैं।

चियानिना गाय की पहचान कैसे करें

चियानिना गाय की पहचान मुख्य तौर पर इनकी ऊंचाई और इनके शरीर को देखकर की जा सकती हैं। आपको बता दें कि चियानिना गाय की ऊंचाई 5 फुट से भी अधिक हो सकती है। चियानिना गाय के पैर लंबे होते हैं और शरीर कम फैट के साथ मजबूत होता है। इस गाय के सींग आकार में छोटे होते हैं और आगे की तरफ बिल्कुल सीधे होते हैं। यह अधिकतर सफेद और स्लेटी रंग की होती है।

इनकी पूंछ घुटनों से ऊपर तक ही रहती है। इसके साथ ही बता दें कि इस गाय के कान बाहर की तरफ सीधे होते हैं और आंखों का रंग काला होता है। चियानिना गाय को लेकर सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि इनका वजन 800 से 1000 किलो तक होता है। वहीं चियानिना बैल का वजन 1200 से 1500 किलोग्राम होता है। हालांकि चियानिना गाय की ऊंचाई और बनावट देश के हिसाब से कुछ हद तक बदल भी सकती है।

चियानिना गाय का दूध और विशेषताएं

चियानिना गाय बहुत ज्यादा मात्रा में दूध नहीं देती है लेकिन बताया जाता है कि यह गाय कुछ दूध देने की क्षमता रखती है। यह एक बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली गाय है जो लगभग सभी मौसम की मार झेल सकती है। इसके अलावा आपको बता दें कि चियानिना गाय सामान ढोने और खेत जोतने की बेहतरीन क्षमता रखती है। यही कारण भी है जिसकी वजह से इस गाय को छोटे किसानों के लिए फायदेमंद बताया जाता है।

चियानिना गाय की देखरेख कैसे करें

चियानिना गाय की देखभाल करने के लिए कुछ चीजों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। सबसे पहले तो गाय को समय – समय पर चारा देते रहें। ज्ञात हो कि इस गाय का वजन और ऊंचाई अधिक है। इसलिए इन्हें अन्य गाय से अधिक आहार की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही गाय के रहने के लिए एक शेड का निर्माण करें। इस शेड में हवा सही तरह से आए – जाए इसका निर्माण कुछ इस तरह से करें। वहीं गाय धूप और बारिश से बची रहे। इस बात का भी खास ध्यान रखें।

चियानिना गाय के लिए टीके

किसान और पशुपालकों के लिए यह जरूरी है कि वह चियानिना गाय को ब्रुसेला जैसे टीके लगवा कर रखें। ज्ञात हो कि ब्रुसेला का टीका गाय को जन्म के 6 महीने बाद ही लगाया जाता है। इसके अलावा चियानिना गाय मुंह खुर और अन्य टीके भी जरूर लगवाएं। अगर आपको यह समझ नहीं आ रहा कि चियानिना गाय को किस तरह के टीके कब – कब लगेंगे, तो इसके बारे में डॉक्टर से बात करें।

चियानिना गाय को होने वाले रोग और उसके उपचार

यूं तो चियानिना एक ऐसी नस्ल है जो एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ जन्मी होती हैं। लेकिन कई बार पशुओं को कुछ रोग लग जाते हैं। ऐसे में इन रोगों से बचे रहने के लिए और इनका उपचार करने के लिए रोग के लक्षणों का पता होना बहुत जरूरी है। इसलिए चलिए अब हम चियानिना गाय को होने वाली बीमारियों पर एक बार नजर डाल लेते हैं।

थनैला बीमारी और इसके उपचार

थनैला रोग यूं तो एक दुधारू गाय को ही होता है। लेकिन कई बार यह उन गायों को भी हो सकता है जो अधिक दूध नहीं देती। आपको बता दें कि इस बीमारी के दौरान गाय के थनों का आकार काफी बड़ा हो जाता है। इसके अलावा दूध निकालने के दौरान थनों से खून तक निकलने लगता है। यही नहीं इस रोग से पीड़ित गाय को एक भयंकर दर्द का भी सामना करना पड़ता है। इसके चलते कई बार पशु खाना पीना भी छोड़ देता है।

थनैला के उपचार का तरीका – यह रोग न केवल पशु को बहुत पीड़ा पहुंचाता है। बल्कि इस रोग की वजह से कई बार पशु के थन तक काटने की नौबत आ जाती है। इस रोग का इलाज केवल तभी हो सकता है। जब थनैला रोग का जल्दी पता चल जाए। थनैला से गाय को बचाने के लिए समय – समय पर दूध की जांच करवाते रहें। वहीं अगर गाय के थनों के आकार में किसी तरह का बदलाव दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। और पढ़ें

 

तिल्ली बीमारी और इसके उपचार का तरीका

तिल्ली रोग एक ऐसा रोग है जो अमूमन गाय को खराब आहार और पानी की वजह से होता है। यह अचानक होता है और इसके लक्षण भी डरा देने वाले होते हैं। इस रोग के दौरान पशु के शरीर से लुक जैसा खून निकलने लगता है। इसके साथ ही गाय के शरीर का तापमान भी अधिक हो जाता है। इसके अलावा कई बार गाय का शरीर अकड़ने लगता है और उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है।

तिल्ली के उपचार – इस बीमारी का कोई ऐसा इलाज नहीं है, जिससे पशु जल्दी ठीक हो जाए। लेकिन अगर पशु को शुद्ध आहार और पानी दिया जाए तो इस बीमारी को पैदा होने से रोका जा सकता है। इसके अलावा यह रोग पशु को होने पर उसे दूसरे पशुओं से दूर बांध देना चाहिए। वहीं पशु की रोग से मौत होने पर उसे दूर कहीं गहरे गड्ढे में दबा देना चाहिए।

 

एनाप्लाजमोसिस और इसके उपचार की प्रक्रिया

यह एक काफी संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर एनाप्लजमा मार्जिलन के कारण फैलती है। इस रोग के दौरान पशु की स्थिति वक्त के साथ बेहद गंभीर होती जाती है। इस रोग में पशु के नाक से एक गाढ़ा तरल बहने लगता है। इसके साथ ही गाय को बुखार भी हो जाता है। वहीं शरीर में कमजोरी और खून की कमी भी होने लगती है।

एनाप्लाजमोसिस के उपचार की प्रक्रिया – इस रोग के दौरान लक्षणों को समझना बेहद जरूरी होता है। स्थिति बिगड़ने पर गाय की मौत भी हो सकती है। अगर गाय में इस तरह के कोई भी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वहीं डॉक्टर की राय के बाद ही इस रोग में इस्तेमाल की जाने वाली अकार्डिकल दवा देनी चाहिए।

 

ब्लैक क्वार्टर और इसका उपचार

ब्लैक क्वार्टर एक ऐसा जीवाणु है जो सीधा पशुधन पर असर डालता है। इसका खतरा अधिक उन पशुओं को होता है। जिनकी उम्र 6 महीने से लेकर 24 महीने तक होती है। ज्ञात हो कि रोग का यह जीवाणु बारिश के मौसम में मिट्टी में पैदा होता है। इस जीवाणु के चलते पशु को तेज बुखार हो जाता है और सांस लेने में भी दिक्कत होती है।

ब्लैक क्वार्टर का उपचार – यह उन रोगों में से एक है। जिसका उपचार समय रहते ही संभव है। अगर बीमारी का पता समय पर चल जाए तो उसे पैनसीलिन का टीका दिया जा सकता है। वहीं अगर पशु को घाव गहरा होने पर ड्रेसिंग कराना भी जरूरी हो जाता है। और पढ़ें

 

Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

अगर आप घर से कोई भी गाय खरीदना चाहते हैं, तो आप Animall ऐप को डाउनलोड करके ऐसा कर सकते हैं। अपने एंड्रॉयड फोन में यह ऐप डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए विकल्प पर क्लिक करें। Click Here

  1. ऐप डाउनलोड करने के बाद आप इसमें मोबाइल नंबर डालें ।
  2. अब भाषा का चुनाव करें।
  3. अब आप ऐप को इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद पशु खरीदने या बेचने का विकल्प सामने आएगा।
  4. अगर आपको गाय खरीदनी है तो आप गाय के विकल्प को चुनें।
  5. यहां जो भी गाय बिकने के लिए तैयार हैं। आपको इनकी सूची नजर आएगी।
  6. इसके बाद आपको पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प चुनना होगा। अब आपको जो भी गाय ठीक लगे, उसे चुन लें।
  7. इस सूची के आधार पर आप अपनी गाय चुन सकते हैं और सीधा बेचने वाले व्यक्ति से बात कर सकते हैं।
  8. अगर आप गाय का दाम कम कराना चाहते हैं तो ऐसा करा सकते हैं। जिन गाय पर मोल भाव संभव है। वहां आपको यह विकल्प मिल जाएगा।

 

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. अगर आप गाय बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आप ऐप के ठीक नीचे देखें। वहां बीचों बीच आपको पशु बेचने का विकल्प दिखाई देगा।
  2. इसके बाद आपको पशु से संबंधित जानकारी देनी होगी। इसमें गाय की ब्यात, नस्ल, कीमत, दूध देने की क्षमता, गाय की फोटो अपलोड कर दें।
  3. आपका पशु Animall ऐप पर लिस्ट हो गया है, जो भी खरीदार आपका पशु लेने में रुचि लेगा, वो आपसे सीधा संपर्क कर पाएगा।

 

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दूध उत्पादन में उस्ताद है जाफराबादी भैंस, जानें इस नस्ल की सारी जानकारी!

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भारत पूरी दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादन वाला देश है। जब भारत में दूध देने की बात होती है, तो उसमें भैंस को काफी महत्व दिया जाता है। आज हम आपको भैंस की एक ऐसी ही नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो काफी ज्यादा मात्रा में दूध देती है। ये खास नस्ल और कोई नहीं बल्कि जाफराबादी भैंस ही है।

जाफराबादी भैंस आमतौर पर गुजरात के भावनगर इलाके में पाई जाती है। हालांकि इसका मूल स्थान गुजरात का जाफराबाद इलाका है, जिसकी वजह से इसका नाम जाफराबादी भैंस पड़ा है। ये भैंस गुजरात के भावनगर, जूनागढ़, अमरेली, पोरबंदर में बहुत बड़ी संख्या में पाली जाती है। 

जाफराबादी भैंस की पहचान

जाफराबादी भैंस का शारी काफी भारी भरकम और लंबा होता है। ये भैंस की सबसे भारी नस्ल है। इसका रंग काला होता है और जाफराबादी का माथा भारी और उठा होता है। इसका मुंह छोटा होता है। अगर बात इसके सींग की करें तो वो चौड़े और गर्दन की तरफ झुके हुए होते हैं। इसके सींग के आगे का हिस्सा गोल छल्लेदार होता है। वहीं इसकी पूंछ के निचले हिस्से में सफेद धब्बे होते हैं। जाफराबादी भैंस लगभग 450 से 500 किलो की होती है।

जाफराबादी भैंस के दूध की जानकारी

आमतौर पर जाफराबादी भैंस एक दिन में 30 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। इसके दूध में फैट की मात्रा भी 7 फीसदी से ज्यादा होता है। इसका दूध काफी अच्छी गुणवत्ता का होता है। दूध का व्यवसाय करने वालों के लिए जाफराबादी भैंस काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। 

जाफराबादी भैंस को चारे में क्या दें

इस नसल की भैंसों को आहार और आराम दोनों की बहुत ज्यादा जरूरत होती है और इन दोनों चीजों का खास ध्यान रखना होता है। भैंस को आराम देना इसलिए जरूरी है ताकि दूध उत्पादन पर किसी भी तरह का कोई असर ना पड़े। 

वहीं जाफराबादी को देने वाले आहार का भी खास ध्यान रखना होता है। आहार में संतुलन बनाना काफी जरूरी होता है। आहार में दाने और चारे का मिश्रण करना होता है। इस नस्ल की भैंस को उतना ही हरा चारा देना होता है जितना उसकी खुराक के लिए जरूरी है। 

जाफराबादी भैंस का वजन काफी ज्यादा होता है। इसलिए उसकी खुराक भी ज्यादा होती है। आमतौर पर चारे में दाने का हिस्सा 35 फीसदी होता है। इसके अलावा चना, अलसी, मुंगफली खिला सकते हैं। संतुलित आहार के लिए भैंस को कई चीजें दी जाती है। बड़ी दुधारू भैंस को हर रोज 3 से 4 किलो दाना जरूर देना होता है। 

दाने में जाफराबादी को गेहूं, जौ, बाजरा, मक्का दिया जा सकता है। वहीं दाना मौसम के हिसाब से देना चाहिये। इसका सीधा असर दूध पर होता है। 

 

जाफराबादी की देखरेख कैसे करें

शेड की आवश्यकता:

जाफराबादी भैंस को एक शेड में रखने की जरूरत होती है। ताकि भैंस को भारी बारिश, तेज धूप, ठंड, बर्फबारी से बचाया जा सके। इतना ही नहीं शेड में साफ हवा और पानी रहना चाहिये। पशुओं की संख्या के हिसाब से उनके खाने के लिए जगह होनी चाहिये।

गर्भवती जानवरों की देखभाल:

अच्छा प्रबंधन करने से जाफराबादी भैंस के बछड़े अच्छे पैदा होते हैं। साथ ही उनका दूध उत्पादन भी बेहतर होता है। इसके अलावा गर्भवती भैंस को 1 किलो चारा भी ज्यादा देना चाहिए।

कटड़ों की देखभाल और प्रबंधन:

जन्म के बाद नाक या मुंह से कफ को तुरंत हटाना होता है और अगर बछड़ा सांस नहीं ले पा रहा है, तो उसे बनावटी सांस देनी जरूरी होती है। 

 

जाफराबादी भैंस को होने वाली आम बीमारियां और उनका इलाज

भैंसों का गल-घोटू रोग

गल-घोटू रोग भैंसों में होने वाली एक जानलेवा बीमारी है, जो ज्यादातर 6 महीने से लेकर 2 साल के पशु को होती है। गल घोटू रोग का कारण पासचुरेला मलटूसिडा नामक जीवाणु होता है, जो पशु के टांसिल में होता है। इसके अलावा ज्यादा काम का बोझ, खराब पोषण, गर्मी और अन्य बीमारियां जैसे कि खुरपका-मुंहपका रोग होते हैं। ज्यादातर ये बीमारी बारिश के मौसम में होती है। 

गल-घोटू के लक्षण

  •   बुखार होना
  •   मुंह से लार टपकना
  •   आंख और नाक से पानी निकलना
  •   भूख न लगना
  •   पेट दर्द होना और दस्त होना आदि

रोकथाम

  •   गर्मियों के मौसम में पशुओं को इक्ट्ठे और तंग जगह पर ना बांधे।
  •   बीमार पशुओं को बाकी पशुओं से अलग रखें।
  •   मॉनसून आने से पहले ही टीकाकरण करवाएं। पशुओं के पहले टीका 6 महीने की उम्र में और फिर हर साल जरूरी करवाएं।
  •   लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स)

इस बीमारी में सुरती भैंस को काफी तेज बुखार होता है। ये बीमारी आमतौर पर कीटाणु और दूषित पानी या फिर खराब खुराक की वजह से होती है। ये बीमारी अचानक होती है या कुछ समय भी ले सकती है।

लक्षण:

  • इसमें जानवर का शरीर अकड़ जाता है
  • चारों टांगे बाहर को खींची जाती हैं।

रोकथाम: इसका कोई असरदायक इलाज नहीं है। हर साल इसके बचाव के लिए टीके लगवाये जाने चाहिए।

Animall पर कैसे खरीदें भैंस

अगर आप भैंस खरीदना चाहते हैं तो उसके लिए अब आपको बाजारों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। आप सिर्फ Animall ऐप को डाउनलोड कर ही पसंद की जाफराबादी भैंस घर ले जा सकते हैं। ऐसा करने के लिए सबसे पहले आपको प्ले स्टोर से Animall ऐप को डाउनलोड करना होगा। अपने एंड्रॉयड स्मार्ट फोन में ये ऐप डाउनलोड करने के लिए आप प्ले स्टोर पर जाएं, या नीचे दिए गए विकल्प पर क्लिक करें। Click Here

  1. ऐप डाउनलोड होने के बाद आप अपना मोबाइल नंबर डालें और फिर अपनी जगह को चुनें।
  2. अब आप अपनी मर्जी के मुताबिक ऐप की भाषा चुनें।
  3. अब आप Animall ऐप को इस्तेमाल कर सकते हैं। यहां पर आपके सामने पशु खरीदने या बेचने का विकल्प आ जाएगा।
  4. अगर आप भैंस खरीदना चाहते हैं तो आपको ऐप पर भैंस के विकल्प का चुनाव करना होगा।
  5. जो भी भैंस बिकाऊ होगी, यहां पर आपको उनकी पूरी लिस्ट मिल जाएगी।
  6. इसके बाद आप पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प देख सकेंगे। आप अपनी जरूरत के मुताबिक पशु की सूची हासिल कर सकेंगे।
  7. इस सूची के आधार पर आप अपनी जाफराबादी भैंस का चुनाव कर सकते हैं और सीधा बेचने वाले व्यक्ति से बात कर सकते हैं।
  8. आप बेचने वाले व्यक्ति से मोल भाव भी कर सकते हैं और भैंस से जुड़ी अन्य जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं।

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. वहीं अगर आप जाफराबादी भैंस बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आप ऐप के ठीक नीचे देखें। वहां बीचों बीच में आपको पशु बेचने का विकल्प भी दिखाई देगा।
  2. यहां पर क्लिक करने के बाद आपको पशु से जुड़ी सारी जानकारी डालनी होगी। जैसे की भैंस कौनसी नस्ल की है, ब्यात, भैंस की कीमत, दूध देने की क्षमता और फोटो भी अपलोड करनी होगी।
  3. इसके बाद आपका पशु Animall ऐप पर लिस्ट हो जाएगा। जिसके बाद जो भी खरीदार होगा वो आपसे सीधा संपर्क कर सकता है और आप अपना पशु बेच सकते हैं।

Animall ऐप जहां आपको बिना किसी कमीशन के पशु बेचने और खरीदने का विकल्प देता है। साथ ही आपको पशु से जुड़ी सारी जानकारी भी ऐप पर ही मिल जाएगी। वहीं अगर आपका पशु बीमार हो जाता है तो उसके लिए ऐप पर डॉक्टर से बात भी कर सकते हैं। और पढ़ें

 

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थारपारकर गाय के बारे में जानें सारी बातें

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भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गायों में से एक थारपारकर गाय है। गाय की ये नस्ल राजस्थान में जोधपुर और जैसलमेर जिलों में पाई जाती है। हालांकि इस नस्ल की उत्पत्ति “मालाणी” (बाड़मेर) में हुई थी। इसी वजह से स्थानीय लोग इसे “मालाणी” के नाम से भी जानते हैं। इसे ग्रे सिंधी, वाइट सिंधी और थारी के नाम से भी जाना जाता है।

थारपारकर गौवंश के साथ प्राचीन भारतीय परम्परा की भी एक कहानी है। इस गाय के स्वरूप को देखकर कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के पास यही गाय थी, जो अब पश्चिमी राजस्थान की ‘कामधेनु’ कहा जाता है। 

थारपारकर गाय की पहचान

थारपारकर नस्ल की गाय को दूर से ही पहचाना जा सकता है। इस गाय का रंग राख जैसा होता है। इसका सिर मध्यम आकार का होता है और माथा काफी चौड़ा होता है। इसके सींग कानों की तरफ मुड़े हुए मध्यम लंबाई के होते हैं। इसके कान लंबे चौड़े होते हैं और कान के अंदर की त्वचा हल्की पीली होती है। इसकी पूंछ लंबी, पतली होती है। इसकी ऊंचाई साढ़े तीन से पौने चार फीट के करीब होती है। थारपारकर का वजन लगभग 400 किलोग्राम का होता है।

थारपारकर गाय के दूध की जानकारी

शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम होने के साथ ही सबसे कम खर्च में काफी अच्छी मात्रा में दूध दे देती है। थारपारकर गाय एक ब्यात में 1600 से 2500 लीटर तक दूध दे सकती है। इस गाय के दूध में फैट 4.88 फीसदी होता है।

थारपारकर गाय दूध देने की क्षमता में तो बेहतर है ही साथ ही इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी अच्छी होती है। थारपारकर गाय का विकास कांकरेज, सिन्धी और नागोरी नस्लों से किया गया है। इस नस्ल के बैल भी काफी मेहनती होते हैं। ये जानवर सूखे और चारे की कमी की स्थिति के दौरान छोटे जंगली वनस्पतियों पर भी फल-फूल सकते हैं।

थारपारकर गाय की विशेषताएं

इस नस्ल की गाय 45 डिग्री से ज्यादा के तापमान में भी रह सकती है। इस गर्मी में भी थारपारकर अच्छी मात्रा में दूध दे सकती है। जहां तापमान बढ़ने की वजह से अन्य गायों में दूध देने की क्षमता कम होने लगती है तो वहीं थारपारकर इन विपरीत परिस्थितियों में भी ज्यादा दूध देने में सक्षम है। इस नस्ल की उम्र आमतौर पर 25-30 साल होती है। और इनकी बच्चा देने की क्षमता भी बाकी नस्लों से बेहतर होती है।

ऐसा नहीं है कि थारपारकर सिर्फ गर्मी में ही बेहतर दूध देती है, ये 0 डिग्री के तापमान में भी अच्छे से रहती है। क्योंकि ये नस्ल इतनी विपरीत परिस्थितियों में रह सकती है, जिस कारण ये अलग अलग इलाकों में आराम से पाली जा सकती है।

थारपारकर गाय की देखरेख कैसे करें

गाय को सर्दी, गर्मी, बारिश से बचाने के लिए एक शेड की जरूरत होती है। इस बात का खास ध्यान रकें की शेड में साफ सफाई बनी रहे और पानी की भी उचित सुविधा हो। इसके साथ ही पशुओं के खाने के लिए भी वहां पर उचित व्यवस्था होनी चाहिए। 

एक बछड़े के पैदा होने पर उसका खास ध्यान रखें। उसके जन्म के वक्त मुंह, नाक और शरीर को अच्छे से साफ करें। जन्म के बाद अगर बछड़े को सांस लेने में परेशानी हो रही है तो दबाव द्वारा बनावटी सांस दें। इसके अलावा, बछड़े की छाती को अच्छी तरह से दबाएं।

कौन सा टीका लगाना चाहिए

बछड़े को जन्म के 6 महीने बाद ब्रूसीलोसिस का पहला टीका लगवाएं। इसके एक महीने बाद गलघोटू, मुंह और खुर पका का टीका लगवाएं। इन टीकों को लगवाने के एक महीने बाद लंगड़े बुखार का टीका लगवाएं। बड़े पशुओं को हर तीन महीने के अंतराल पर डीवॉर्मिंग करना चाहिए।

चारा में क्या दें

ये गाय सूखे और चारे की कमी की स्थिति के दौरान छोटे जंगली वनस्पतियों पर भी फल-फूल सकते हैं। अगर इसको आहार के रूप में कम और सूखा चारा मिले तो ये उसमें भी दूध उत्पादन कर सकती है लेकिन अच्छे चारे से इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है। 

इसे  मक्का, गेहूं, जौं, बाजरा, ज्वार, जई की चोकर, तिल, मूंगफली, सरसों दे सकते हैं। वहीं हरे चारे के रूप में बरसीम रिजका, लोबिया, जई, मक्की, ज्वार, बाजरा, नेपियर घास दे सकते हैं। जबकि सूखे चारे के रूप में बरसीम की सूखी घास, रिजका की सूखी घास, जई की सूखी घास दिया जा सकता है। हालांकि गाय को चारा उसकी जरूरत के हिसाब से ही देना होगा। और पढ़ें

  थारपारकर को होने वाली बीमारियां

बदहजमी: गाय को जल्द पचने वाला खाना दें, ताकि उसे बदहजमी ना हो।

कब्ज: अगर पशु को बार-बार कब्ज हो रही है तो उसे 800 ग्राम मैगनीशियम सल्फेट पानी में घोलकर और 30 ग्राम अदरक का चूरा मुंह के जरिये दें।

अनीमिया: अनीमिया की बीमारी होने पर गाय की मासपेशियों में कमजोरी होने लगती है, तनाव होने लगता है। इसके इलाज के लिए खाने में विटामिन ए, बी, ई की मात्रा बढ़ाएं।

रिंडरपैस्ट (शीतला माता): ये गाय में होने वाली गंभीर बीमारियों में से एक है। इस बीमारी को होने में 6 से 9 दिनों का वक्त लगते हैं। इसमें तेज बुखार, मुंह से पानी बहना और खूनी दस्त लग जाते हैं। इसका पेंसीलिन से इलाज किया जा सकता है।

निमोनिया: गाय को ये बीमारी गीले फर्श से होती है। इसमें ध्यान रखना होता है कि जिस जगह पर गाय को रखा जाए वो सूखी होनी चाहिये।

थनैला: थनैला रोग में थारपारकर के थन गर्म होने लगते हैं और उसमें दर्द, सूजन होने लगती है। इसके अलावा दूध में खून और पस होने लगती है। इसका इलाज शुरुआत में ही संभव है, जब बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है तो थन बचाना काफी मुश्किल हो जाता है। और पढ़ें

 

Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

अगर आप घर बैठे – बैठे कोई भी गाय खरीदना चाहते हैं तो आप Animall ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। अपने एंड्रॉयड स्मार्ट फोन में यह ऐप डाउनलोड करने के लिए आप प्ले स्टोर पर जाएं, या नीचे दिए गए विकल्प  पर क्लिक करें। Click Here

  1. ऐप डाउनलोड होने के बाद आपको इसमें मोबाइल नंबर डालें और अपनी जगह का चुनाव करें।
  2. अब आप ऐप की भाषा का चुनाव करें।
  3. इसके बाद आप ऐप को पूरी तरह इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं और यहां पर आपके सामने पशु खरीदने या बेचने का विकल्प आएगा।
  4. अगर आपको गाय खरीदनी है तो आप गाय के विकल्प का चुनाव करें।
  5. यहां आपको जो भी गाय बिकाऊ है, उनकी सूची दिख जाएगी।
  6. इसके बाद आपको पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प दिखाई देंगे। इसमें आप अपनी जरूरत के हिसाब से पशु की सूची हासिल कर सकेंगे।
  7. इस सूची के आधार पर आप अपनी गाय चुन सकते हैं और सीधा बेचने वाले व्यक्ति से बात कर सकते हैं।
  8. आप बेचने वाले व्यक्ति से मोल भाव भी कर सकते हैं और गाय से जुड़ी अन्य जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं।

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. अगर आप गाय बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आप ऐप के ठीक नीचे देखें। वहां बीचों बीच आपको पशु बेचने का विकल्प दिखाई देगा।
  2. यहां क्लिक करने के बाद आपको पशु से संबंधित जानकारी देनी होगी। इसमें गाय की ब्यात, नस्ल, कीमत, दूध देने की क्षमता, गाय की फोटो अपलोड कर दें।
  3. आपका पशु Animall ऐप पर लिस्ट हो गया है, जो भी खरीदार आपका पशु लेने में रुचि लेगा, वो आपसे सीधा संपर्क कर सकेगा।

आप Animall ऐप पर सिर्फ पशु खरीद या बेच ही नहीं बल्कि उनके अच्छे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी भी ले सकते हैं। पशु बीमार होने पर आप डॉक्टर की मदद भी ऐप के जरिये ले सकते हैं।

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