जब बात भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गायों की हो, तो उसमें देसी गाय राठी का नाम जरूर लिया जाता है। राजस्थान के उत्तर पश्चिमी जिलों (गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर) में राठी गाय पाई जाती है। राजस्थान के अलावा राठी गाय को गुजरात के कुछ इलाकों में भी पाला जाता है। इन इलाकों के किसानों के लिए ये गाय काफी अहम है। इस नस्ल की गाय अत्यधिक दूध देने के लिए मशहूर है।
इसके नाम की उतपत्ति बंजारा चरवाहे राठ से हुई थी। प्रगतिशील किसानों में राठी गाय काफी प्रसिद्ध है। वहीं जब बात हो कि राठी गाय कितना दूध देती है? तो आमतौर पर राठी गाय रोजाना 12 लीटर तक दूध आराम से दे सकती है, यहां तक की कई बार तो इसे 18 लीटर दूध देते भी देखा गया है। ये गाय कम चारे में भी ज्यादा दूध दे सकती है। इसके दूध में फैट की मात्रा 5% से ज्यादा होती है।
राठी गाय की खूबी ये भी है कि भारत के किसी भी इलाके में रह लेती है। इसे ‘राजस्थान की कामधेनु’ के नाम से भी जाना जाता है।
राठी गाय की पहचान कैसे करें?
राठी गाय दिखने में काफी सुंदर मानी जाती है। राठी गाय की त्वचा बहुत ज्यादा आकर्षित होती है। इसका चेहरा थोड़ा सा चौड़ा होता है। राठी गाय का वजन आमतौर पर 280-300 किलोग्राम होता है।
राठी गाय मध्यम आकार की होती है, इसका रंग भूरा होता है और उस पर सफेद धब्बे बने होते हैं। जबकि इनके शरीर के नीचे की त्वचा का रंग, शरीर के बाकी हिस्सों के रंग से हल्का होता है। इस नस्ल की गाय के सींग मध्यम आकार के होते हैं, जो कि ऊपर और अंदर की तरफ घुमावदार होते हैं।
राठी गाय का मुंह चौड़ा होता है, जबकि इसकी पूंछ लंबी होती है और चमड़ी लटकी हुई, कोमल और ढीली होनी चाहिए।
राठी और गिर में अंतर
राठी और गिर गाय दोनों के शरीर में ही काफी धब्बे होते हैं, यहां तक की इनका रंग भी एक जैसा होता है। जिस कारण लोग अक्सर राठी को गिर समझ लेते हैं। लेकिन राठी के कान और सिंग गिर से काफी अलग होते हैं।
राठी गाय के दूध की जानकारी
राठी नस्ल भारतीय गायों में एक महत्वपूर्ण गाय है। ये गाय रोजाना 12 लीटर तक दूध दे सकती है। हालांकि ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि गाय को खाने में क्या दिया जाता है। इसके अलावा इलाके का हवा-पानी गाय के लिए कितना सही है। साथ ही आप उसका ध्यान कैसे रख रहे हैं। हालांकि ये गाय ज्यादा इलाकों में और अलग तरह के हवा पानी में भी रह लेती है।
ये एक ब्यात में औसतन 2500 किलो दूध पैदा करती है। पहले ब्यात के समय इसकी उम्र 36 से 52 महीने होती है। तो वहीं इसका एक ब्यात 15-20 महीनों का होता है।
राठी गाय की विशेषताएं
राठी गाय की रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी की इम्युनिटी बहुत ही शानदार होती है। सर्दियों में जहां 0 डिग्री की ठंड सहती है तो वहीं गर्मियों में 50 डिग्री को भी सहन कर लेती है। इसके बावजूद राठी बेहद खुश रहती है और वो दूध देने में कोई कटौती नहीं करती है।
इतना ही नहीं राठी जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा पाई जाती है, वहां पर पानी की कमी होती है। साथ ही वहां पर चारा भी जो मिलता है वो सूखा मिलता है। अक्सर कहा जाता है कि हरे चारे के बिना पशु पालन संभव नहीं है लेकिन राठी गाय के साथ ये संभव है। क्योंकि राठी भूसे तक पर भी रह लेती है और अच्छी मात्रा में दूध देती है।
इसके साथ ही क्योंकि ये इतने विपरीत वातावरण में रह सकती है, तो इसे बीमारियों का खतरा भी काफी कम होता है। राठी गाय सभी की पहली पसंद बनती जा रही है, क्योंकि इसके रख रखाव में बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है।
राठी गाय को चारे में क्या दें?
इस नसल की गायों को जरूरत के जितना ही खाना दें। फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारे को भी जरूर मिला लें। ताकि गाय को बदहजमी की परेशानी ना हो।
अनाज और इसके अन्य पदार्थ: मक्की, जौं, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चोकर, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, बरीवर शुष्क दाने, मूंगफली, सरसों, तिल, अलसी, मक्की से तैयार खुराक, टरीटीकेल आदि।
हरे चारे: बरसीम (पहली, दूसरी, तीसरी, और चौथी कटाई), लूसर्न (औसतन), लोबिया (लंबी ओर छोटी किस्म), गुआरा, सेंजी, ज्वार (छोटी, पकने वाली, पकी हुई), मक्की (छोटी और पकने वाली), जई, बाजरा, हाथी घास, नेपियर बाजरा, सुडान घास आदि।
सूखे चारे और आचार: बरसीम की सूखी घास, लूसर्न की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, मक्की के टिंडे, ज्वार और बाजरे की कड़बी, गन्ने की आग, दूर्वा की सूखी घास, मक्की का आचार, जई का आचार आदि।
अन्य रोजाना खुराक: मक्की/ गेहूं/ चावलों की कणी, चावलों की पॉलिश, छाणबुरा/ चोकर, सोयाबीन/ मूंगफली की खल, छिल्का रहित बड़ेवे की ख्ल/सरसों की खल, तेल रहित चावलों की पॉलिश, शीरा, धातुओं का मिश्रण, नमक, नाइसीन आदि।
राठी गाय की देखरेख कैसे करें?
शेड की आवश्यकता
राठी गाय या फिर किसी भी पशु के रख रखाव में बहुत जरूरी है कि उनके अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों का ध्यान रखा जाए। पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड से बचाने के लिए एक शेड की आवश्यकता होती है। इस बात का खास ध्यान रखें कि चुने हुए शेड में साफ हवा और पानी की सुविधा भी होनी चाहिए। पशुओं की संख्या के अनुसार भोजन के लिए जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वो आसानी से खाना खा सकें। पशुओं के व्यर्थ पदार्थ की निकास पाइप 30-40 सैंटीमीटर चौड़ी और 5-7 सैंटीमीटर गहरी होनी चाहिए।
गाभिन पशुओं की देखभाल
गाभिन गाय की अच्छी देखभाल का परिणाम अच्छे बछड़े के रूप में होगा। इतना ही नहीं दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है। गाभिन गाय को 1 किलो अधिक फीड दें, क्योंकि वो शारीरिक रूप से भी बढ़ती है।
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बछड़ों की देखभाल कैसे करें
बछड़ों के जन्म के तुरंत बाद नाक या मुंह के आस पास चिपचिपे पदार्थ को साफ करना चाहिए। अगर बछड़ा सांस नहीं ले रहा है तो उसे दबाव द्वारा बनावटी सांस दें और हाथों से उसकी छाती को दबाकर आराम दें। शरीर से 2-5 सैंटीमीटर की दूरी पर से नाभि को बांधकर नाडू को काट दें। 1-2 प्रतिशत आयोडीन की मदद से नाभि को आस पास से साफ करना चाहिए।
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टीकाकरण
जन्म के बाद बछड़े को 6 महीने के हो जाने पर पहला टीका ब्रूसीलोसिस का लगवाएं। फिर एक महीने बाद आप मुंह खुर का टीका लगवाएं और गलघोटू का भी टीका लगवाएं। एक महीने के बाद लंगड़े बुखार का टीका लगवाएं। बड़ी उम्र के पशुओं की हर तीन महीने बाद डीवॉर्मिंग करें। बछड़े के एक महीने से पहले सींग ना दागें। एक बात का और ध्यान रखें कि पशु को बेहोश करके सींग ना दागें आजकल आने वाले इलैक्ट्रोनिक हीटर से ही सींग दागें।
बीमारियों से बचाए रखने के लिए गाय का टीका कब लगाना चाहिए
राठी गाय को होने वाली बीमारियां
– बदहजमी: इस बीमारी से बचाने के लिए गाय को जल्दी पचने वाली खुराक दें
– कब्ज: बार-बार कब्ज होने पर गाय को 800 ग्राम मैगनीशियम सल्फेट पानी में घोलकर और 30 ग्राम अदरक का चूरा मुंह द्वारा दें।
– मरोड़/ खूनी दस्त: मुंह द्वारा या टीके से सलफा दवाइयां दें और साथ ही 5 प्रतिशत गुलूकोज़ और नमक का पानी ज्यादा दें।
– अनीमिया: मासपेशियों में कमजोरी आना, तनाव होना गाय में अनीमिया की बीमारी को दर्शाता है। इसके इलाज के लिए खाने में विटामिन ए, बी, ई की मात्रा बढ़ाएं।
– मैगनीश्यिम की कमी: खाने में 5 ग्राम मैगनीश्यिम ऑक्साइड डाल कर कमी को पूरा किया जा सकता है।
– रिंडरपैस्ट (शीतला माता): ये गाय में होने वाली गंभीर बीमारी है। इस बीमारी को होने में 6-9 दिन लगते हैं। इसमें तेज बुखार, मुंह से पानी बहना और खूनी दस्त लग जाते हैं। इसका पेंसीलिन से इलाज किया जा सकता है।
– निमोनिया: गीले फर्श के कारण गाय को ये बीमारी होती है। इसमें ध्यान रखना होता है कि जगह को सूखा रखा जाए।
– थनैला: ये सिर्फ राठी में नहीं बल्कि हर दुधारू पशुओं को लगने वाला एक रोग है। थनैला रोग में पशु के थन गर्म हो जाते हैं और उसमें दर्द, सूजन होने लगती है। इसके अलावा दूध में खून और पस आने लगता है। इसका इलाज शुरुआत में ही संभव है, बीमारी बढ़ने के बाद थन बचाना मुश्किल होता है।
राठी गाय को कैसे खरीदें
अगर आप राठी गाय खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए Animall ऐप को तुरंत डाउनलोड कर लें। इस तरह से आप अपने आसपास की ढेर सारी राठी गाय खरीद सकते हैं। राठी गायों की खरीदारी करने के लिए अपने मोबाइल फोन में गाय-भैंस वाला Animall ऐप डाउनलोड करें। ऐप में अपना मोबाइल नंबर डालें और फिर गाय पर क्लिक करें। जैसे ही आप गाय दबाते हैं, वैसे ही आप ढेर सारी गायों की नस्लें देखना शुरु कर देंगे। आप राठी नस्ल चुनें और फिर पसंद की ब्यात और दूध देने की क्षमता वाली गाय खरीद सकते हैं।
इन तीन आसान तरीकों से घर लायें देवनी गाय ।
- अपने गांव या जिले का नाम या पिनकोड डालें।
- पिनकोड डालने के बाद, गाय पर दबाएँ। यहाँ पर नस्ल राठी का चयन करें। क्लिक करने के बाद यहाँ आप नस्ल के साथ-साथ अपने मन के अनुसार दूध की क्षमता और ब्यात का चुनाव भी कर सकते हैं।
- अब आपको अपने आसपास की सारी दुधारू राठी नस्ल की गाय दिखने लगेंगी। इनमे से अपने पसंद का पशु चुनकर खरीदार से बात करें और चुटकी में खरीद लें अपनी पसंद की राठी गाय।
इस तरह से बेच सकते हैं अपनी राठी गाय?
अगर आप अपनी राठी गाय बेचना चाहते हैं तो इन आसान तरीकों को अपनाएं और Animall ऐप पर बेचें। ऐसे Animall ऐप से तुरंत राठी गाय बेचें। एक बार खुद को Animall ऐप पर रजिस्टर करने के बाद, पशु बेचें पर जाएं। आप फिर वहां पर अपनी राठी गाय की सारी जानकारी दे सकते हैं। जैसे ही आप अपनी गाय की सारी जानकारी देंगे तुरंत ही आपका पशु ऐप पर दर्ज हो जाएगा। जिसके बाद खरीदार आपको गाय बेचने के लिए कॉल करेंगे।
राठी गाय एक बेहद ही उच्च गुणवत्ता की गाय है। जो आपको काफी कम रेट में भी मिल जाती है और साथ ही उसकी देखभाल में भी बहुत ज्यादा खर्चा नहीं होता है। राठी बेहद ही कम देखभाल के साथ भी आपको अच्छी मात्रा में दूध दे सकती है। हालांकि अगर आप इसका ज्यादा ध्यान रखेंगे तो दिन का 20 लीटर तक दूध आसानी से हासिल कर सकते हैं।
अगर आप भी एक पशुपालक है और पशु खरीदना या बेचना चाहते हैं, तो परेशान नहीं होना पड़ेगा। Animall ऐप पर आप एकदम उचित दाम और बिना कमीशन दिए पशु खरीद या बेच सकते हैं। साथ ही अगर आपको पशु के लिए डॉक्टर से बात करनी है तो वो भी ऐप पर आसानी से कर सकते हैं।