देसी नस्ल के गायों की खूबी।
देसी गाय प्राकृतिक गुणों से भरपूर है। आदि काल से देसी गायें भारत की संस्कृति का हिस्सा रही हैं। हर घर में इन्हे इंसानों जैसा मान सम्मान मिलता रहा है। पशु गणना के अनुसार पूरे भारत में 14 करोड़ से अधिक गायें हैं। इसमें गिर, राठी थारपारकर, साहीवाल, कांकरेज, हरियाणा आदि देसी नस्लें शामिल हैं।
आपको ये सारी नस्ल की गायें खरीदनी है तो Animall ऐप अपने फोन में डालें। यहां आपके आसपास के सारे पशु मिल जाएंगे। देसी नस्ल की गायें भारतीय मौसम के अनुकूल आराम से सकती है। आसान शब्दों में कम लागत में अधिक मुनाफा डेयरी किसान इन गायों के जरिए कमा सकते हैं। पशु आहार और रख रखाव के लिए किफायती दाम पर इन नस्लों का पालन किया जा सकता है। ये देसी नस्ल की गायें प्रति ब्यात 1500 से 3000 लीटर तक दूध देती हैं। शुरूआत में एक दो गाय के साथ भी डेयरी किसान दूध बेच कर घर की आमदनी बढ़ा सकते हैं। धीरे धीरे गायों की संख्या बढ़ाकर बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।
संकर नस्ल की गायों की खूबी।
संकर नस्ल की गायों को दूध उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से भारत लाया गया। यूरोप और अमेरिका से ये भारत आएं। जर्सी और एच. एफ जैसे नस्ल इसमें शामिल हैं। संकर नस्ल की गायें प्रतिदिन 8 से 25 लीटर के बीच दूध देती हैं। संकर नस्ल में एच. एफ गाय प्रति ब्यात 7200 से 9200 किलोग्राम के बीच दूध देती है। वहीं जर्सी गाय प्रति ब्यात 7000 से 9000 किलोग्राम दूध देती है।
अगर डेयरी बिजनेस को बड़ा कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते है तो Animall ऐप से संकर नस्ल की गाय ख़रीद सकते हैं। यहां आसपास के सारे दूधारू गाय बिकने के लिए उपलब्ध है। बस एक कॉल से घर बैठे बैठे गाय खरीद सकते हैं।
देसी नस्ल की प्रमुख गायें.
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साहीवाल
साहीवाल नस्ल के गायों का मूल जन्म स्थान पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में है। साहीवाल नस्ल की गायें प्रति ब्यात 1400 से 3175 लीटर दूध देने की क्षमता रखती हैं। जबकि प्रतिदिन दूध देने की क्षमता 10 से 16 लीटर प्रतिदिन है। एक साहीवाल गाय सालभर में 10 महीने तक दूध सकती है | इन्ही गुणों के कारण डेयरी बिजनेस के लिए साहीवाल भारत के किसानों की पसंदीदा गायों में से एक है। दिखने में माथा चौड़ा होता है,सींग काफी छोटे होते हैं। वहीँ चमड़ी की बात करें तो इनकी चमड़ी काफी मोटी और सख्त होती है। जबकि टाँगे छोटी और बाकी शेष शरीर लंबा होता है। ।
ढीली चमड़ी के कारण कुछ लोग इस नस्ल की गाय को लोला के नाम से जानते हैं। देसी नस्ल के साहीवाल गायों का वजन 300 से 500 किलोग्राम के बीच पाया जाता है। यह गाय आम तौर पर लाल या गहरे भूरे रंग में पाई जाती है ।इनके शरीर पर सफेद चमकदार धब्बे भी मौजूद होते हैं।
अपने आसपास की दुधारू साहीवाल नस्ल की गायें अब Animall ऐप पर भी उपलब्ध हैं। अपने फोन में ऐप इंस्टॉल कर घर बैठे बैठे इन गायों की खरीद बिक्री कर सकते है।
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राठी
देसी नस्ल की गायों में हमारे किसानों के बीच लोकप्रिय है राठी गाय। कम चारा खा कर भी अधिक दूध देती है राठी गाय। इस नस्ल के गायों की बनावट मध्यम आकार और अच्छी किस्म की होती है। राठी नस्ल के पशुओं का ललाट धंसा हुआ होता है। वहीँ सींगे छोटी होती और त्वचा ढीली होती है। राठी नस्ल के पशुओं की पूंछ काली और छोटी होती है जो टखने के नीचे तक पहुंच जाती है।
एक देसी नस्ल की राठी गाय का औसत वजन 280 से 300 किलो तक होता है। वही अगर बात दूध की करें तो एक देसी नस्ल की गाय राठी आपको प्रतिदिन 6 से 8 लीटर तक दूध निकाल सकती है। मतलब आपके बिजनेस और घर दोनों स्थिति में राठी गाय दूध की कमी महसूस नही होने देगी। अगर आप दूध फैट यानि वसा जानना चाहते हैं तो देसी नस्ल राठी गायों के दूध में फैट की मात्रा 5% से भी अधिक मिलेगा। Animall ऐप पर आपको बहुत सी देसी नस्ल की दुधारू राठी गायें मिल जायेंगी।
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गिर
इस नस्ल के गायों का जन्म स्थान गुजरात है। गिर भारत की सबसे पुरानी देसी नस्लों में से एक है। गिर गायों का माथा चौड़ा होता है और शरीर गठीला होता है। गिर गाय एक ब्यात में 1600 से 3100 लीटर दूध देती है। नर गिर गायों का औसत वजन 540 किलोग्राम के आसपास रहता है तो वहीं मादा गिर गायों का औसत वजन 310 किलोग्राम रहता है।
गिर गाय का रंग
80% से अधिक गिर गायें लाल रंग की होती हैं। लाल रंग के गिर गायों पर उजला धब्बा देखने को मिलता है, वहीं कुछ इलाकों में उजले रंग के गिर गायों पर लाल रंग का धब्बा भी देखने को मिलता है।
देश में सबसे अधिक गिर गायों की संख्या गुजरात में है। दूसरे स्थान पर राजस्थान और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र हैं। इनमें से किसी भी राज्यों में दुधारू देसी नस्ल की गिर गाय खरीदने के लिए Animall ऐप अपने फ़ोन में डालें।
गिर गाय की पहचान
गिर गायों को उनकी सींगें अलग पहचान दिलाती हैं। इनकी सीगें घुमावदार होती हैं। ध्यान से देखने पर सींगें अर्ध चांद जैसी आकृति जैसी दिखती हैं। गिर नस्ल के
गिर गाय दूध
एक साल में औसतन देसी नस्ल के गिर गाय 3000 लीटर दूध देने की क्षमता रखती हैं। वहीं साल के 300 दिन आप इनका दूध निकाल सकते है। इस देसी नस्ल के गाय को डेयरी बिजनेस के नजरिए से काफ़ी अच्छा माना जाता है।
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थारपारकर गाय
डेयरी किसानों के बीच ये देसी नस्ल की गाय काफ़ी पसंद की जाती है। थारपारकर नस्ल की गाय मुख्यतः राजस्थान में पाई जाती है। इस नस्ल का नाम हुई राजस्थान स्थित थार रेगिस्तान के नाम पर रखा गया। राजस्थान के अलावा नस्ल की गायें गुजरात के कच्छ इलाके में पाई जाती है।
थारपारकर नस्ल की गायें गर्म स्थानों में भी आसानी से रहने की लिए जानी जाती हैं। राजस्थान में गर्म स्थानों में किसान इस देसी नस्ल को आसानी से रखते हैं।
थारपारकर गाय की पहचान
इस नस्ल के गायों का औसत दर्जे का लंबा चेहरा, चौड़ा मस्तक तथा उभरा हुआ ललाट होता है। सींग मध्यम दर्जे के होते हैं। पशुओं का थन विकसित होता है। दुग्ध शिराएं थनों पर स्पष्ट दिखाई देती है। वहीं काले झंवर वाली पूंछ ऐड़ी तक पहुंचती है।
थारपारकर गायों का दूध
प्रति ब्यात थारपारकर गायें 1400 लीटर दूध देने की क्षमता रखती हैं। थारपारकर गायों के दूध में 5 प्रतिशत वसा पाया जाता है। आपके आसपास की दुधारू थारपारकर गायें Animall ऐप पर उपलब्ध हैं। अपने फ़ोन में ऐप डालकर आप दुधारू थारपारकर गाय खरीद सकते हैं।
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रेड सिन्धी
इस देसी नस्ल के गाय का मूल जन्म स्थान पाकिस्तान का सिंध प्रांत है। रेड सिंधी गायों को मलीर या लाल सिंधी भी कहते हैं। अधिक दूध देने की वजह से डेयरी किसान इसे अपने घर या फार्म पर रखते हैं।
रेड सिंधी गाय की पहचान
लाल सिंधी गाय देखने में त्रिकोणीय आकार के होते हैं। सिर औसत आकार का होता है तथा विकसित होता है। इस नस्ल की गायों का रंग गहरा लाल होता है।
वहीं देसी नस्ल की रेड सिंधी गायों के थनों की बात करें तो यह काफी विकसित होते हैं। देसी नस्ल की एक रेड सिंधी गाय प्रति ब्यात 1500 से 5400 लीटर दूध देने की क्षमता रखता है।
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हरियाणा गाय
इस देसी नस्ल की गाय हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसानों के बीच लोकप्रिय है। देसी नस्ल की हरियाणा गाय सफेद रंग की होती है। छोटे कान और चमकीली आंखें , चपटा माथा, लंबी और पतली टांगे इसकी पहचान हैं। देसी नस्ल की गाय प्रति ब्यात 1500 लीटर दूध देती हैं। वहीं एक देसी नस्ल की हरियाणा गाय का औसत भार 350 से 400 किलोग्राम के बीच होता है। प्रतिदिन एक गाय 10 से 15 लीटर दूध देती करती है। डेयरी बिजनेस के नजरिए से देखें तो देसी नस्ल की हरियाणा नस्ल की देसी गायें अच्छा मुनाफा देती हैं। अपने आसपास की दुधारू हरियाणा नस्ल की गायें अब Animall ऐप पर भी उपलब्ध हैं। अपने फोन में ऐप इंस्टॉल कर घर बैठे बैठे देसी गायों की खरीद बिक्री कर सकते है।
