ऑस्ट्रेलियन गायों की सारी जानकारी जानें

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ऑस्ट्रेलिया में पाई जानी वाले गायों को ऑस्ट्रेलियन गाय के नाम से जानते हैं। इस देश ने अपने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सात अलग अलग नस्लों पर जोर दिया है। यहां एच एफ , जर्सी, औसी रेड, इल्लावारा, ब्राउन स्विस, आयर शायर और गुअर्नसी, जैसी गायों की नस्लें पाली जाती हैं। इन सातों नस्ल में एच एफ, जर्सी और औसी रेड काफी लोकप्रिय है

 

ऑस्ट्रेलियन एच

ऑस्ट्रेलियन एच.एफ गाय की पहचान कैसे करें

इस नस्ल की गाय का मूल स्थान यूरोप है। ऑस्ट्रेलिया में भी यह गाय काफी लोकप्रिय है। देश में एच एफ गायों की संख्या 14 लाख के करीब है। वहीं कई ऑस्ट्रेलियन गाय उजले रंग के होते हैं और शरीर पर काला धब्बा रहता है।

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ऑस्ट्रेलियन एच. एफ गाय के दूध की विशेषताएं

साल भर में ऑस्ट्रेलियन एच एफ गाय 10,000 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। एक औसत गाय का वजन तकरीबन 600 किलोग्राम का होता और साढ़े चार फीट लम्बी होती है। इन गायों के दूध में 4 प्रतिशत फैट पाया जाता है। ऑस्ट्रेलियन एच. एफ गाय प्रतिदिन 25 से 30 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है।

ऑस्ट्रेलियन जर्सी गाय की पहचान

ऑस्ट्रेलियन जर्सी गाय इस नस्ल की गायें सफ़ेद और हल्का धूसर रंग की होती है। चेहरा लम्बा और पतला होता है। माथा चपता और पतली टांगें होती है । इस नस्ल के गायों के उनके लम्बा और संकीर्ण चेहरा से पहचान कर सकते हैं

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ऑस्ट्रेलियन जर्सी के गाय का दूध

ऑस्ट्रेलियन जर्सी गाय अपने दूध के लिए प्रसिद्द हैं । एक जर्सी गाय प्रतिदिन 15- 25 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। अधिक दूध देने की क्षमता के कारण इनकी बहुत ख़रीद बिक्री होती है। एक ब्यात में जर्सी गाय 5500 से 6500 किलो दूध देने की क्षमता रखती है।

ऑस्ट्रेलियन औसी रेड गाय की पहचान

ऑस्ट्रेलियन औसी रेड गाय मध्यम बनावट की होती है। ये गायें दिखने में भूरे रंग की होती है । बीच बीच में उजले रंग का धब्बा होता है। इस नस्ल के दूध में भरपूर प्रोटीन मिलता है। औसी रेड के दूध में औसत फैट पाया जाता है।

ऑस्ट्रेलियन औसी रेड गाय का दूध

ऑस्ट्रेलियन जर्सी गाय अपने दूध के लिए प्रसिद्द हैं । एक औसी रेड गाय प्रतिदिन 15- 20 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। अधिक दूध देने की क्षमता के कारण इनकी बहुत ख़रीद बिक्री होती है। एक ब्यात में जर्सी गाय 3000 से 35000 किलो दूध देने की क्षमता रखती है

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ऑस्ट्रेलियन गायों की देख रेख कैसे करें ?

ऑस्ट्रेलियन गायों के रखने के स्थान को नियमित रूप से पानी से साफ करते रहे।
सफाई रखने से पशुओं को कई गंभीर बिमारियों से बचाया जा सकता है। साफ सफाई रखने से गौशाला में पनपने वाले जीवाणु और परजीवीयों का खतरा नही बना रहता है। साफ सुथरे गौशाला वातावरण में रहने से पशु के दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है। जहाँ ऑस्ट्रेलियन नस्ल को बांध रखा है वहां पानी से साफ करने के बाद रोगाणु नाशक दवाई (5ग्राम पोटाशियम परमेगनेट या 50 एम.एल फिनाईल/बाल्टी पानी) से सफाई करें। इसके अलावा डेटॉल से भी गौशाला की सफाई कर सकते हैं। खुरपका मुंह पका,लंगड़ी रोग,एवं थिलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए गौशाला की साफ सफाई का महत्वपूर्ण योगदान है।

गौशाला में साफ सफाई में नहीं रखने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। फेफड़ों और आंत सम्बन्धी बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ जाता है। गोबर और अन्य ठोस पदार्थ जैसे नीचे गिरा हुआ भूसा आदि को गौशाला में से दिन में कम से कम 2 बार हटाना चाहिए। इन्हें पशु घर से कम से कम 100 मीटर दूरी पर किसी गड्ढे में इकट्ठा करें, जिससे खाद बनाकर खेतों में डाला जा सके।

स्वस्थ पशुओं की आंखें चमकीली होती हैं। इसमें किसी भी तरह के तरल पदार्थ जैसे पानी या खून के धब्बे नजर नहीं आते। स्वस्थ ऑस्ट्रेलियन गायें बहुत ज्यादा खांसती नहीं हैं, घर्राने की आवाजें भी नहीं आती है। इसमें सांस लेने की प्रक्रिया बिल्कुल सामान्य होती है। आपको स्वस्थ्य ऑस्ट्रेलियन गाय का चमड़ा भी चमकदार दिखाई देगा, शरीर पर कही से भी जूं-चीचड़ नहीं दिखाई देगा। स्वस्थ पशु के चलने-फिरने या उठने-बैठने में परेशानी नहीं होती है।

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चारा

दुधारू ऑस्ट्रेलियन गाय को ये पशु आहार दें

ऑस्ट्रेलियन गाय की क्षमता का पूरा उपयोग करने के लिए 40 से 50 किलोग्राम हरा चारा और 3 किलो दाना प्रति किलोग्राम दूध देने के लिए दें। जब पशु आहार में प्रोटीन, वसा और खनिज लवन मिलता है तो दूध में बढ़ोतरी देखने को मिलती है।

गाभिन ऑस्ट्रेलियन गाय को ये पशु आहार दें

एक 250 किलोग्राम वजन के गाय को एक दिन में कितना पशु आहार दें।

भूसा – 4 किलो
दाना मिश्रण – ढाई किलो

चारा बाँट कर दिन में 3-4 बार खिलाएं। साथ में दाना मिश्रण भी 2 बार बराबर मात्रा में खिलाएं। हरा और सूखा चारा दोनों मिलाकर खिलाएं। चारा के दाना मिश्रण के अलावा प्रतिदिन 35- 40 लीटर पानी गाय को जरुर पिलायें।

 

ऑस्ट्रेलियन गायों में होने वाली बीमारियां

1. ब्रुसेला बीमारी

घर की सभी ऑस्ट्रेलियन नस्ल के गायों को ब्रुसेला का टीका लगायें। यदि ऑस्ट्रेलियन नस्ल की गाय ने बछड़ी को जन्म दिया है तो पैदा होने के 6 महीने बाद ब्रुसेला बीमारी का टीका लगायें। ब्रुसेला एक जानलेवा बीमारी है, जो मनुष्यों से गायों में फैलता है। इसकी चपेट में आने पर गायें तुरंत बीमार हो जाती हैं। भारत में ही बने टीका ब्रुसेला S-19 पशुओं को लगाया जाता है।

ऑस्ट्रेलियन गायों में ब्रुसेला बीमारी के क्या लक्षण हैं?

पशुपालक साथी अभी हम आपको ऑस्ट्रेलियन नस्ल के गायों में होने वाले ब्रुसेला बीमारी के लक्षण के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आपकी ऑस्ट्रेलियन गाय इस बीमारी से ग्रसित है तो उसे बुखार की शिकायत रहेगी। उस गाय का वजन भी लगातार कम होता जायेगा। रात में गाय को पसीना भी आएगा। अगर आपकी गाय को ये सारे लक्षण दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से बात करें।

2. सर्रा बीमारी

यह एक परजीवी से होने वाला रोग है। ट्रिपैनोसोमा ईवांसी नामक सूक्ष्म परजीवी से ये बीमारी फैलता है। इस बीमारी के फैलने से पशुओं की उत्पादन क्षमता में भारी कमी आती है। तुरंत ही पशुओं की मृत्यु हो जाती है जिससे पशुपालकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। सबसे पहले साल 1885 में सर्रा बीमारी को देखा गया था।

मान लीजिए अगर कोई पशु सर्रा बीमारी से ग्रसित है अगर मक्खी उसका खून चूसकर स्वस्थ पशु को काट लेगा तो उसे ये बीमारी फ़ैल जाएगी। पशु विज्ञान में सर्रा रोग के लिए जिम्मेदार मक्खी को टेबनेस मक्खी कहते हैं। भारत में पशुओं को काटने वाले मक्खी को लोग डांस मक्खी के नाम से जानते हैं।

ऑस्ट्रेलियन गाय में सर्रा रोग के क्या लक्षण हैं ?

आपके ऑस्ट्रेलियन गाय को रुक रुक कर बुखार आएगा। वो बार बार पेशाब करेगी। इतना ही नहीं आपकी ऑस्ट्रेलियन गाय गोल गोल चक्कर भी काटने लगेगी। सर्रा बीमारी से ग्रसित आपकी जर्सी गाय को भूख भी कम लगेगा। गाय के मुंह से लार गिरने लगेगा । उसके आंख और नाक से पानी गिरने लगेगी।

सर्रा बीमारी से ग्रसित आपके दुधारू ऑस्ट्रेलियन गाय का दूध कम हो जायेगा।
वो धीरे धीरे कमज़ोर होते चली जाएगी। कई बार गायों का पिछला भाग लकवाग्रस्त हो जाता है। अगर कोई ऑस्ट्रेलियन गाय इस बीमारी से ग्रसित है तो आँखों में सफेदी आने लगता है। उस पशु के निचले भाग में भी सूजन आने लगता है।

3. थनैला रोग

पशुओं के बांधे जाने वाले स्थान और दूध दुहने के स्थान की सफाई का विशेष ध्यान रखें। दूध दुहने की तकनीक सही होनी चाहिए जिससे थन को किसी प्रकार की चोट न पहुंचे। थन में किसी प्रकार की चोट (मामूली खरोंच भी) का तुरंत इलाज कराएं। थन का उपचार दुहने से पहले व बाद में दवा के घोल में (पोटेशियम परमैगनेट 1:1000 या क्लोरहेक्सिडीन 0.5 प्रतिशत) डुबो कर करें। दूध की धार कभी भी फर्श पर न मारें। रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें तथा उन्हें दुहने वाले भी अलग हों। अगर ऐसा संभव न हो तो बीमार पशु का दूध सबसे बाद में निकालें। समय-समय पर दूध की जाँच करवाते रहें। अगर थनों में सुधार न दिखें तो पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।

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