जानिए गाय के गोबर से बनने वाले सामान और उससे होने वाली आय के बारे में।

feature-image

देश में पशुपालन के जरिए आय अर्जित करने वाले लोगों का हिस्सा खासा बड़ा है। लेकिन इनमें से भी ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि पशु के दूध के जरिए ही आय अर्जित की जा सकती है। पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अगर नजरिया सही हो तो केवल दूध ही नहीं गोबर के जरिए भी कमाई हो सकती है। हाल ही के दिनों में गाय के गोबर के उपयोग से कई तरह के उत्पाद बनाए जाने लगे हैं। इन उत्पादों की मांग बाजार में बहुत अधिक बढ़ भी गई है। 

जिसके जरिए लोग मोटी कमाई कर रहे हैं। आज हम अपने इस लेख और वीडियो के अंदर इसी तरह की जानकारी साझा करने वाले हैं। हम आपको बताएंगे कि आप गाय के गोबर का उपयोग क्या कर सकते हैं और इसके इस्तेमाल से आपकी कितनी कमाई हो सकती है। ऐसे में अगर आप एक पशुपालक हैं और गाय के गोबर के इस्तेमाल से जुड़ी हुई किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख पर अंत तक बने रहें। 

ये भी पढ़ें: कनैडा छोड़ बनाया देसी साहीवाल गाय डेयरी फार्म

गोबर से तैयार बनने वाले उत्पाद 

गाय के गोबर से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। लेकिन हर उत्पाद के लिए गाय के गोबर को अलग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। आइए जानते हैं गाय के गोबर से क्या – क्या बन सकता है। 

  • गाय के गोबर के जरिए हाल ही में कई उत्पाद तैयार किए जाने लगे हैं जैसे घर की सजावट का सामान, फोटो फ्रेम, दीवार की घड़ी, ट्रॉफी आदि। आपको बता दें इन सभी सामान को तैयार करने के लिए गोबर को सुखाकर चूरा बनाया जाता है। इसके बाद गोबर और अन्य पदार्थों की सहायता से इसे लकड़ी के जैसे दिखने वाली वस्तुएं तैयार की जाती हैं। इन सामान को तैयार करने के लिए गोबर को 24 घंटे के अंदर ही एक सांचे में डाल दिया जाता है और सूखा दिया जाता है। इसके बाद गोबर का चूरा तैयार होता है और फिर उप्ताद बनाने की प्रक्रिया आरंभ होती है। 
  • गाय के गोबर से ईंट तक तैयार की जाती है। इसमें नदी की मिट्टी, चूना और गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है। आपको बता दें कि इसके अलावा लेंटर की सामग्री, प्लास्टर का मसाला और दीवार एंव फर्श को लीपने के लिए भी सामग्री तैयार की जाती है। इसे गोक्रीट तकनीक कहा जाता है। 
  • गाय के गोबर के लिक्विड को अलग करके और सॉलिड भाग को अलग करके भी इस्तेमाल में लिया जाता है। इसका सूखा भाग जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं लिक्विड वाला भाग फसल को पोषक तत्व देने के लिए किया जाता। इसमें जैविक खाद 5 से 10 रुपए किलो और लिक्विड भाग 10 रुपए किलो तक बेचा जा सकता है। 
  • गोबर के जरिए पत्तल गमले जैसे सामान भी बनाए जाते हैं। इसके अलावा हाल ही के दिनों में गोबर के जरिए की दूसरा सामान भी बनाया जाता है।

    ये भी पढ़ें: गिर गाय की संपूर्ण जानकारी पढ़ें

गोबर से सामान बनाने के फायदे 

गोबर के जरिए अगर किसान पशुपालक भाई सामान बनाना शुरू करते हैं तो इससे कई तरह की चीजें बनाई जाती हैं। जिसके जरिए प्रदूषण कम हो सकता है। इसके अलावा ट्रॉफी जैसी चीजों के लिए बहुत से पेड़ काटे जाते हैं। अगर गोबर के जरिए ये चीजे बनाई गई तो इससे न केवल पेड़ कम कटेंगे बल्कि प्लास्टिक का इस्तेमाल भी घट जाएगा। इन सबके अलावा किसान और पशुपालक भाइयों की आय में भी इजाफा हो जाएगा।

ये भी पढ़ें: सुरती भैंस की संपूर्ण जानकारी पढ़ें

… और पढ़ें arrow

एक ऐसी तकनीक जिससे नहीं होगी फसल की बर्बादी। Fasal System

feature-image

खेती महज एक व्यापार या काम नहीं बल्कि इससे बढ़कर बहुत कुछ है। ये भी एक कारण है, जिसकी वजह से किसानों को देश में अन्नदाता भी कहा जाता है। लेकिन किसानों को इतनी बड़ी उपाधि देने के बाद भी किसानों की आर्थिक हालत बेहद बेकार है। जिसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है, हर साल फसल का बर्बाद होना या फसल की उत्पादकता बेहतर न होना। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए एक एग्रीटेक कंपनी ने एक तकनीक ईजाद की है।

इस तकनीक के जरिए किसानों को फसल और मौसम से जुड़ी कई जानकारियां मिल जाएंगी। इन्हीं जानकारियों के जरिए फसल को समय पर बचाया जा सकेगा। इस तकनीक को फसल सिस्टम का नाम दिया गया है। आज हम आपको अपने इस लेख और वीडियो में इसी फसल सिस्टम से जुड़ी जानकारियां देंगे। अगर आप इस फसल सिस्टम से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारियां हासिल करना चाहते हैं तो इस लेख पर अंत तक बने रहें। 

ये भी पढ़ें: पंढरपुरी भैंस की संपूर्ण जानकारी पढ़ें

क्या है फसल सिस्टम 

ये फसल सिस्टम एक ऐसी तकनीक पर बना है जिसमें कई सेंसर और मशीन लगी हैं। जिनके जरिए किसान भाइयों को कई जानकारियां मिलती हैं। ये सिस्टम खेत में लगता है और यहां से सारी जानकारी किसान के फोन में मौजूद ऐप पर आ जाती है। ऐसे में अगर फसल में किसी भी तरह की दिक्कत है या फिर मौसम खराब होने वाला है या बारिश होने वाली ये बाते वक्त रहते पता चल जाती है। आइए चलिए जानते हैं आखिर कैसे काम करता है ये फसल सिस्टम

ये भी पढ़ें: जानिए SBI से पशुपालन के लिए लोन कैसे ले सकते हैं

फसल सिस्टम कैसे काम करता है

फसल सिस्टम कैसे काम करता है इसे आपको विस्तार से समझाने के लिए हमने नीचे कुछ पॉइंट दिए हुए हैं। इसके जरिए आप समझ जाएंगे कि ये फसल सिस्टम कैसे काम करते हैं। 

  • इस फसल सिस्टम के तीन हिस्से हैं  जो आपको अलग – अलग जानकारी देते हैं। जिसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं। 
  • इसमें आपको महज एक बार ये सिस्टम खेत में लगाना होता है। जिसके बाद 24 घंटे 7 दिन ये आपको सटीक जानकारी देता रहता है। 
  • इस सिस्टम के सबसे ऊपरी स्थान पर कई सेंसर लगे हैं जिसके जरिए वेदर कंडीशन, हवा का बहाव , बारिश से जुड़ी जानकारी मिल जाती है। 
  • इसके अलावा इस सिस्टम के बीच में ब्रेन लक्स सिस्टम लगा होता है जो धूप छांव से जुड़ी जानकारी देता है। 
  • इसमें लीव वेटनेस सिस्टम भी है जिससे आपको पता चलता है कि फसल में कितनी नमी है। 
  • वहीं इस सिस्टम के दो सिरे जमीन में रहते हैं जिसमें लगे सेंसर मिट्टी की नमी से जुड़ी जानकारी देते हैं। इससे पता चल जाता है कि फसल को कब कितनी मात्रा में पानी चाहिए। 
  • इसके अलावा फसल को मौसम के अनुसार किस तरह के कीटनाशक की जरूरत है ये भी पता चलता है। 
  • वहीं अगर मिट्टी में पोषक तत्व कम हैं तो इस मशीन से ये भी जानकारी मिल जाती है।

फसल सिस्टम के फायदे 

ये एक ऐसी तकनीक है जो न केवल किसानों को नुकसान से बचा सकती है। बल्कि उनकी आय को बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभा सकती है। इस फसल सिस्टम के कुछ फायदे इस प्रकार हैं। 

  • इस मशीन के जरिए पानी की खपत को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। 
  • बारिश का अनुमान सटीक पता रहने पर फसल को पानी देने की जरूरत नहीं पड़ती और फसल को दो बार पानी मिलने से वो बर्बाद नहीं होती। 
  • कीटनाशक पर होने वाला 50 प्रतिशत तक का खर्च कम किया जा सकता है। 
  • फसल की उत्पादन क्षमता को 40 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

    ये भी पढ़ें: आप किसान क्रेडिट कार्ड से कितनी राशि लोन ले सकते हैं?

… और पढ़ें arrow

जानिए कैसे फसल को जंगली जानवरों से बचाएगा सोलर फेंसिंग सिस्टम

feature-image

देश के अंदर मौजूद किसानों अक्सर बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिनमें से एक है जंगली जानवरों का फसल बर्बाद करना। आज भी देश के ज्यादातर किसान खेती के जरिए ही अपना गुजारा करते हैं। लेकिन जंगली जानवरों के चलते हर साल  1 से 1.50 लाख रुपए तक का नुकसान हो जाता है। जिसकी वजह से किसान कर्ज के तले भी दब जाते हैं। ऐसे में कई बार किसान फसल को बचाने के लिए कई तरह के इंतजाम तो करते है। 

लेकिन ये इंतजाम कारगर साबित नहीं होते। किसानों की इसी समस्या को सुलझाने के लिए हम लेकर आए है एक ऐसी तकनीक जिसके जरिए फसल को जंगली जानवरों से बचाया जा सकेगा। हम बात कर रहे हैं झटका मशीन या सोलर फेंसिंग सिस्टम के बारे में। इस मशीन के जरिए पशुओं को करंट लगता है और वो खेत में प्रवेश नहीं कर पाते। जिससे किसानों की फसल सुरक्षित रहती है। आइए विस्तार से समझते हैं। इस मशीन के बारे में और इससे जुड़ी हुई जानकारी के बारे में। 

ये भी पढ़ें: जानिए क्या है जेरेनियम और कैसे करते हैं इसकी खेती। GERANIUM के फायदे

क्या है सोलर फेंसिंग मशीन और कैसे करती है काम

  1. सोलर वायर फेंसिंग सिस्टम के अंदर आपको क्लच वायर और सीसीएम मशीन मिलती है 
  2. इसमें तार के अंदर एक करंट चलता रहता है। ऐसे में पशु जैसे ही खेत के अंदर आने की कोशिश करते हैं तो उन्हें करंट लगता है। ये करंट बहुत मामूली होता है और पशु को इससे नुकसान नहीं होता। 
  3. लेकिन करंट की वजह से पशु अंदर आने से घबरा जाता है। इस तरह आपकी फसल नुकसान से बच जाती है। 
  4. आपको बता दें कि इस मशीन के जरिए आप हाथी जैसे बड़े जानवर से भी फसल को बचा सकते हैं। 
  5. इसके अलावा तार के अलावा इसमें सीसीएम मशीन होती है जिसमें कुछ बटन और सिग्नल लाइट दी होती है। इसके जरिए आप करंट की मात्रा और मशीन को ऑन ऑफ और उसकी बैटरी से जुड़ी जानकारी देख पाते हैं। 

झटका मशीन की लागत 

अब बात करें इसकी लागत की तो कांटेदार तार जहां आपको 10 रुपए मीटर मिलती है। वहीं ये तार आपको केवल 2.5 मीटर मिलती है। इसके अलावा मशीन आपको अलग से लेनी पड़ती है। मशीन के साथ ये सिस्टम आपको 10 हजार के आस पास पड़ जाता है। एक मशीन 45 एकड़ तक एक ही मशीन आपकी फसल को सुरक्षित रख सकती है। 

ये भी पढ़ें: क्या है कोडीसेप या कीड़ा जड़ी ? कीड़ा जड़ी की खेती, फायदे और कीमत। Cordyceps militaris

सोलर फेंसिंग सिस्टम के फायदे 

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश भले ही है। लेकिन देश के ज्यादातर किसान महज छोटी सी भूमि के मालिक है या छोटी सी भूमि पर खेती करते हैं। ऐसे में जंगली जानवर जब किसान के खेत में घुस जाते हैं, तो न केवल इससे किसानों की फसल खराब हो जाती है। बल्कि इसकी वजह से उनका गुजारा भी मुश्किल हो जाता है। वहीं ज्यादातर किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं और फसल न होने पर उनको अधिक नुकसान होता है। ये सोलर फेंसिंग सिस्टम किसानों को इसी तरह के नुकसान से बचाने के लिए है। इससे वह न केवल हर साल होने वाले डेढ़ लाख के नुकसान से बच सकेंगे। बल्कि फसल का उत्पादन भी बराबर कर सकेंगे। 

ये भी पढ़ें: नीली रावी भैंस की संपूर्ण जानकारी पढ़ें

… और पढ़ें arrow

जानिए क्या है जेरेनियम और कैसे करते हैं इसकी खेती। GERANIUM के फायदे

feature-image

आज देश में किसानों की आर्थिक हालत भले ही बहुत ज्यादा खराब हो। लेकिन अगर किसान सही फसल की खेती करें तो वे आसानी से अपनी आर्थिक हालत में सुधार ला सकते हैं। देश में ऐसी कई फसल है, जिसकी मांग बाजार में बहुत अधिक है। इन्हीं में से एक है जेरेनियम। जेरेनियम की खेती न केवल आसानी से की जा सकती है। बल्कि इसके जरिए आय भी आसानी से अर्जित की जा सकती है।

आज हम अपने किसान भाइयों को इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करेंगे।  इसमें आप जेरेनियम की खेती में लगने वाले संसाधन लागत और जेरेनियम के उपयोग से जुड़ी हुई जानकारी भी हासिल करेंगे। अगर आप जेरेनियम की खेती या इसके फायदे से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी साझा करना चाहते हैं तो आप इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

क्या है जेरेनियम 

जेरेनियम एक प्रकार का फूल है जिसे गरीबों को गुलाब भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इसके जरिए निकाले जाने वाले तेल से जो खुशबू आती है वो गुलाब जैसी ही होती है। जेरेनियम की खेती भारत में बहुत कम ही की जाती है। इसका कारण है ज्यादातर लोगों को जेरेनियम के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते। आपको बता दें कि जेरेनियम की मांग भारत में लगातार बढ़ती जा रही है। इसके अलावा आज के समय में भी जेरेनियम की मांग करीब 120 से 130 टन तक है। जबकि इसकी पूर्ति का केवल एक या दो प्रतिशत ही भारत में उगाया जाता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि जेरेनियम की खेती करना एक फायदे का सौदा है। 

जेरेनियम का उपयोग 

जेरेनियम आज के समय के उन महत्वपूर्ण पदार्थों में से है जो मानव जीवन के लिए बेहद उपयोगी है। आपको बता दें कि जेरेनियम के जरिए तेल निकाला जाता है। इस तेल का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। जिसकी सूची हम आपको नीचे दे रहे हैं। 

  • अल्जाइमर एक खतरनाक रोग है, जिसमें व्यक्ति अपनी याद रखने की शक्ति खोने लगता है। इस रोग के इलाज में जेरेनियम का तेल इस्तेमाल किया जाता है। 
  • मांसपेशियों से जुड़ी समस्या में भी जेरेनियम का तेल इस्तेमाल किया जाता है। 
  • सूजन और एक्जिमा जैसी समस्या में भी जेरेनियम का तेल उपयोगी सिद्ध होता है। 
  • स्किन की देखभाल करने में भी जेरेनियम काफी उपयोगी माना जाता है।
  • जेरेनियम का तेल बालों के लिए भी उपयोगी होता है। 
  • दांतों से जुड़ी कई समस्याओं में जेरेनियम का तेल इस्तेमाल में लिया जा सकता है। 
  • कील मुहांसों में भी जेरेनियम का उपयोग किया जाता है। 
  • स्किन से जुड़े उत्पादों में भी जेरेनियम का तेल इस्तेमाल किया जाता है। 

जेरेनियम की खेती के लिए संसाधन और जानकारी 

ऐसे लोग जो जेरेनियम की खेती करना चाहते हैं उन लोगों को इसकी खेती से जुड़ी कई तरह की चीजों के बारे में पता होना चाहिए। इसकी खेती और संसाधन से महत्वपूर्ण जानकारी कुछ इस प्रकार है। 

  • जेरेनियम की खेती के लिए किसी खास तापमान की जरूरत नहीं होती। 
  • जेरेनियम का बारिश के दौरान खराब होने का खतरा अधिक बना रहता है। इसलिए खेती करने से पहले जेरेनियम की फसल को साधारण सतह से ऊपर लगाना चाहिए। इसके अलावा बारिश से बचाने के लिए प्लास्टिक की शेड भी लगानी चाहिए। 
  • शुरुआत में जेरेनियम की खेती करने के लिए आपको इसके पौधे खरीदने होंगे। फिर इन्हीं पौधों के जरिए आप हजारों पौधे तैयार कर सकते हैं। एक बार ये फसल तैयार हो जाए तो इसे सालों तक इस्तेमाल में लिया जा सकता है। 
  • फसल की खेती करने से पहले फसल से जुड़ी एक छोटी सी ट्रेनिंग ले लेनी चाहिए। 
  • अगर आप ये खेती करते हैं तो इसके लिए सरकार आपको कुछ सब्सिडी भी देती है। इस सब्सिडी की जानकारी के लिए आपको कृषि विभाग से बात करनी चाहिए। 

जेरेनियम की खेती से होने वाली आय 

अगर आप एक एकड़ के अंदर भी जेरेनियम की खेती करते हैं तो इससे अच्छी खासी आय अर्जित कर सकते हैं। आपको बता दें कि एक एकड़ के अंदर इस फसल के करीब 17000 पौधे लगाए जा सकते हैं। इन पौधों की 6 महीने में दो बार कटाई की जा सकती है। इसकी पहली कटाई पर आपको 20 लीटर तक तेल मिल सकता है। वहीं दूसरी बार कटाई करने पर तेल 10 लीटर तक प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे में अगर एक लीटर तेल की कीमत आपको 15000 भी पड़ी तो आप आसानी से  6 महीने में 450000 तक कमा सकते हैं। 

… और पढ़ें arrow

क्या है कोडीसेप या कीड़ा जड़ी ? कीड़ा जड़ी की खेती, फायदे और कीमत। Cordyceps militaris

feature-image

प्रकृति में मौजूद ऐसी कई फल या फूल है जिनकी खेती करने पर न केवल किसान अधिक आय अर्जित कर सकते हैं. बल्कि ये चीज मानव जीवन के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। आज हम एक ऐसी ही चीज के बारे में आपको बताने वाले हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं कीड़ा जड़ी या कोडीसेप के बारे में। ये एक ऐसी जड़ी बूटी या सुपर फूड है जिसका उपयोग कैंसर, एचआईवी, पीसीओडी आदि में किया जाता है। यही नहीं स्टेमिना बढ़ाने के लिए और ऊर्जावान रहने के लिए भी ये बेहद उपयोगी मानी जाती है। 

कोडीसेप या कीड़ा जड़ी की सबसे खास बात ये है कि पहले के समय में ये केवल हिमालय जैसे क्षेत्रों में ही होती थी। लेकिन आज के समय में इसे लैब बनाकर भी उगाया जा सकता है। इसकी कीमत बाजार में 3 लाख रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक है। आइए इस लेख और वीडियो के जरिए कोडी सेप या कीड़ा जड़ी से जुड़ी हुई जानकारी हासिल करते हैं। अगर आप इससे जुड़ी हुई किसी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं आप इस लेख पर अंत तक बने रहे। 

क्या है कोडीसेप (कीड़ा जड़ी) 

कोडीसेप एक खास किस्म की जड़ी बूटी या सुपर फूड है। जिसका उपयोग बहुत सी समस्याओं और उपचार प्रक्रियाओं में किया जाता है। इसके अलावा ये रोजमर्रा की जिंदगी में भी इसे डाइट में शामिल किया जा सकती है। आपको बता दें कि जो लोग कैंसर जैसे गंभीर रोग की चपेट में हैं और कीमोथेरेपी की उपचार प्रक्रिया में हैं। उनके लिए ये अधिक लाभदायक है। दरअसल कीमोथेरेपी की प्रक्रिया में बहुत से ऑर्गन्स को नुकसान होता है। इन ऑर्गन्स को नुकसान से बचाने के लिए कोडीसेप या कीड़ा जड़ी का सेवन किया जा सकता है। 

कोडी सेप या कीड़ा जड़ी के फायदे 

कोडीसेप या कीड़ा जड़ी के ऐसे कई फायदे हैं, जो आपकी सेहत पर  दिखाई दे सकते हैं। जिनके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं। 

  • ऐसी महिलाएं जिन्हें पीसीओडी की स्थिति पैदा हो गई है। उन महिलाओं को कोडी सेप का सेवन करना चाहिए। पीसीओडी में सुधार हो सकता है। 
  • आजकल की जीवनशैली के अंदर व्यक्ति अपने रोजाना के काम में ही बहुत ज्यादा थक जाता है। ऐसे में कीड़ा जड़ी का सेवन किया जा सकता है। इसके जरिए व्यक्ति लंबे समय तक ऊर्जावान रहता है और थकान भी नहीं रहती। 
  • कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों से बचाने में कोडीसेप काफी कारगर होता है। 
  • जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने और इससे बचाने में भी कोडीसेप फायदेमंद माना जाता है। 
  • कई हेल्थ सप्लीमेंट में भी कोडीसेप का इस्तेमाल किया जाता है। 
  • कोडीसेप का इस्तेमाल कई तरह की दवाओं में भी किया जाता है। 

कोडी सेप की खेती में आने वाली लागत 

अगर आप छोटे स्तर से कोडी सेप की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कम से कम 1 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं। इसके अलावा अगर आप बड़े स्तर पर इसकी खेती करते हैं तो पूरी लैब लगाने में और फसल अधिक मात्रा में पैदा करने के लिए एक करोड़ तक का खर्च आ जाता है। 

कोडीसेप से होने वाली आय 

एक समय था जब कोडीसेप की कीमत 50 लाख रुपए किलो तक हुआ करती थी। लेकिन आज के समय में इसकी उपलब्धता बढ़ गई है। जिसका असर कोडीसेप की कीमत पर भी पड़ने लगा है। इसकी कीमत आज के समय में करीब 2 से 3 लाख रुपए किलो है। ऐसे में किसान भाई अगर दो महीने के इसके पीरियड में 1 किलो भी कोडी सेप पैदा कर पाएं, तो इससे वो आसानी से अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। 

… और पढ़ें arrow