जानिए कैसे गाय भैंस के गोबर से बनता है वर्मी कंपोस्ट।

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किसान और पशुपालक भाई अगर अपने आस पास के संसाधनों का उपयोग सही प्रकार करें तो वो आसानी से एक अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। आज हम पशुपालक भाइयों को ऐसी ही एक चीज का बेहतरीन उपयोग बताने वाले हैं। हम सभी जानते हैं कि गाय भैंस का दूध भले ही साल के कुछ माह न मिले। 

लेकिन गोबर हर रोज कई बार मिलता है। ऐसे में पशुपालक भाई इसी गोबर से वर्मी कंपोस्ट कैसे बना सकते हैं। इसी की जानकारी हम अपने इस लेख और वीडियो में देने वाले हैं। अगर आप भी गाय भैंस के गोबर से एक अच्छी आय कम लागत पर कमाना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर बने रहें। 

गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधि

गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाकर न केवल किसान भाई मोटी आय अर्जित कर सकते है। बल्कि इसी के जरिए भूमि के पोषक तत्वों को भी जीवित किया जा सकता है। आइए जानते हैं इसकी प्रक्रिया के बारे में। 

  1. इसके लिए सबसे पहले आपको एक ऐसा गोबर लेना होगा। जो कम से कम 10 से 15 दिन पुराना हो। 
  2. इस गोबर को आपको दो से तीन दिन तक पानी देना है। ताकि इसकी सारी गर्मी बाहर निकल जाए। 
  3. इसके बाद आपको वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए जमीन के ऊपर एक प्लास्टिक की शीट बिछानी है। 
  4. इस पर 4 फुट चौड़ा, 1.5 फुट ऊंचा और 24 फुट लंबा बैड बनाना है। इस पर आपको गोबर डालना है। 
  5. ध्यान रहे कि बेड के ऊपर शेड हो या फिर हरी रंग की जालीदार चादर हो। ताकि ये धूप से बचें रहे। 
  6. इसके बाद आपको कुछ अच्छी नस्ल के केचुंए लेने हैं और इस  बैड पर डाल देने हैं। 
  7. इसके बाद एक गिली बोरी इस बैड पर अच्छे से ढकनी है और बैड के ऊपर ड्रिप सिस्टम का पाइप लगाना है। ताकि इस बैड पर नमी बनी रहे। इसके लिए आप गर्मियों में रोजाना 15 मिनट पानी चलाए और सर्दियों में एक दिन छोड़कर एक दिन पानी दें। 
  8. इसके 60 दिन बाद आपको आपका वर्मी कम्पोस्ट मिल जाएगा। 

वर्मी कम्पोस्ट की जांच कैसे करें 

अब बात आती है कि आप कैसे देखेंगे कि वर्मी कम्पोस्ट तैयार हुआ या नहीं। इसे देखने के लिए आपको बैड के ऊपर से बोरी हटानी है अगर बैड पर बिछा गोबर पूरी तरह काल हो गया है तो वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो गई है। इसे पूरी तरह देखने के लिए आप नीचे तक हाथ मारकर देखें। ऐसा करने से आपको सही अनुमान हो जाएगा। 

वर्मी कम्पोस्ट से केंचुए अलग करने की विधि

अब केंचुए और वर्मी कम्पोस्ट को अलग करने के लिए आप बेड के साइड में 15 से 20 दिन पुराने गोबर को रख सकते हैं। इससे केंचुए इस बैड से निकलकर गोबर में आ जाएंगे और वर्मी कम्पोस्ट खुद ही अलग हो जाएगा।

वर्मी कम्पोस्ट से होने वाली आय 

अब बात करें कि एक ट्राली गोबर से आपकी कितनी कमाई हो सकती है। अगर आप एक ट्राली गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाते हैं तो इससे आपको 9 हजार रुपए का वर्मी कम्पोस्ट मिल जाता है। वहीं इसके अलावा इसमें केंचुए की संख्या भी बढ़ जाती है और केंचुए बेचकर भी आप 20 हजार रुपए तक कमा सकते हैं। आपको इसमें लागत 2 से 5 हजार रुपए के बीच में आ सकती 

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जानिए रामबुतान की खेती का तरीका और इससे होने वाली आय

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खेती में लगे हुए किसानों के सामने अक्सर ये चुनौती होती है कि वो किस चीज की खेती करें, जिससे लंबे समय तक आय अर्जित हो सके। इसी दुविधा को दूर करने के लिए हम ले आए हैं, रामबुतान। रामबुतान एक ऐसा फल है जिसकी खेती कर एक किसान महज एक पेड़ से ही 70 हजार रुपए तक कमा सकता है। आपको बता दें कि इस फल की उत्पत्ति सबसे पहले मलेशिया से हुई थी।

इसी के बाद ये दुनिया भर में फैलने लगा। ये एक ऐसा फल है जिसकी खेती कर किसान लगभग 50 साल तक कमाई कर सकते हैं। यानी की एक बार की मेहनत करीब 50 साल तक की कमाई करा देगी। आज हम अपने इस लेख और वीडियो के माध्यम से आपको बताएंगे कि आप इसकी खेती कैसे कर सकते हैं और इसके जरिए कितनी आय अर्जित हो सकती है। चलिए विस्तार से जानते हैं इस बारे में।  

रामबुतान कहां पाया गया था

सबसे पहले आपको बता दें कि रामबुतान फल की उत्पत्ति मलेशिया से हुई थी। इसके बाद ही ये दुनिया के अलग – अलग कोनों में उगाया जाने लगा। 

रामबुतान की खेती के लिए जलवायु 

अब बात करें कि इसकी खेती किस जगह पर की जा सकती है। तो बता दें कि इसकी खेती के लिए एक उपयुक्त तापमान होना चाहिए। अगर आपकी जगह का तापमान 20 से 35 डिग्री के बीच है तो ये फसल आप लगा सकते हैं। 

रामबुतान की खेती कैसे करें 

  • यूं तो रामबुतान की 20 से ज्यादा किस्में पाई जाती हैं। लेकिन इसकी कुछ किस्में काफी ज्यादा पसंद की जाती है। 
  • इसकी उपज को पैदा करने के लिए जमीन की पहले अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए। 
  • आप इसकी खेती के लिए सीड्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं या किसी नर्सरी से कॉलम या पौधे भी सीधे ले सकते हैं। अगर आप इसे सीड्स से ही बोना शुरू करते हैं, तो ये बड़ने में करीब 7 साल का समय लगता है। वहीं पौधा लगाने पर इससे 3 साल के भीतर ही फल प्राप्त किए जा सकते हैं। 
  • अगर आप बड़े स्तर पर भी इसकी खेती कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच कम से कम 10 मीटर का गैप होना चाहिए। वरना ये पेड़ पूरी तरह से नहीं पनपेगा। जानकारों की मानें तो आप एक एकड़ भूमि पर अधिकतम 30 पौधे या पेड़ ही लगाए। ऐसा करने से फलों की पैदावार अधिक होगी। 
  • इसके अलावा रामबुटान की खेती में कुछ अलग तरह के संसाधनों की या देखरेख की जरूरत नहीं होती। बस आपको सालाना खाद और कभी – कभी कीटनाशक दवा की आवश्यकता पड़ती है। वहीं इन्हें पानी आप ड्रिप सिस्टम से भी दे सकते हैं और अन्य किसी तरीके से भी। 

रामबुतान की खेती से कमाई 

  • अब बात करें इसकी खेती के फायदे के बारे में तो बता दें कि इसे एक बार लगाने पर आप इससे 50 साल तक फल ले सकते हैं। 
  • ये फल उस समय हार्वेस्टिंग के जून से अगस्त के बीच में हार्वेस्ट होता है। इस समय अक्सर बाजार में ज्यादा फल नहीं होते और जिसके चलते ये आसानी से बिक भी जाते हैं। 
  • इस फल की कीमत थोक में 200 रुपए किलो है, वहीं अगर आप इसकी पैकेजिंग करके बेचते हैं तो इसके जरिए आप एक किलो पर 350 रुपए तक भी कमा सकते हैं। 
  • इसके एक पेड़ से 7 साल बाद आपको 200 किलो तक फल प्राप्त होते हैं। यानी कि अगर आप 200 किलो को 350 रुपए से गुणा करें तो महज एक पेड़ से ही आप 70 हजार रुपए तक कमा सकते हैं। 
  • इन्हें लगाने में और इनकी देखरेख का खर्च अधिक नहीं है। आपको इसका एक पौधा करीब 50 से 100 रुपए के बीच मिल जाएगा। अब आप कितने पौधे लगाते हैं इस बात पर ही आपका खर्च निभर करता है। इसके अलावा खाद और कीटनाशक आदि पर 20 हजार तक खर्च आ सकता है। 
  • ध्यान रहे जो किसान भाई लंबे समय में आय अर्जित करना चाहते हैं वो लोग ही इसकी खेती करें। अगर किसान भाई सही तरह से इसकी खेती करते हैं तो महज एक पेड़ से 70 हजार रुपए तक कमाए जा सकते हैं। ऐसे में जितने ज्यादा पेड़ उतनी अधिक आय। 
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जानिए क्या है काली जीरी और कैसे ये पशु का दूध बढ़ाने में आती है काम।

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किसान और पशुपालक भाइयों के सामने पशु को स्वस्थ रखने और  उनकी उत्पादकता को बढ़ाने जैसी कई चुनौतियां आती हैं। ऐसे में इन चुनौतियों से पार पाने के लिए किसान भाई अक्सर कई तरह के उपाय अपनाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे खास उपायों को नहीं जानते जो उनकी समस्याओं को पूरी तरह खत्म कर सकते हैं। ऐसे ही एक उपाय या औषधि हम लेकर आ गए हैं आपके सामने। दरअसल हम बात कर रहे हैं काली जीरी के बारे में। 

काली जीरी कहने को एक मसाला है लेकिन इसका इस्तेमाल खाने पीने की सामान में नहीं किया जाता। बल्कि इसका उपयोग पशुओं को कई तरह की समस्याओं से बचाने के लिए और रोगों से ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा काली जीरी के जरिए पशु की उत्पादकता को भी बढ़ाया जा सकता है। आज हम पशुपालक भाइयों को यही बताने वाले हैं कि काली जीरी का उपयोग कब – कब किया जा सकता है। अगर आप काली जीरी के इस्तेमाल से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहे।  

क्या है काली जीरी

काली जीरी कहने को एक मसाला है। लेकिन इसका उपयोग खाने में बिल्कुल भी नहीं किया जाता। आपको बता दें कि पशुओं को काली जीरी कई तरह से फायदा पहुंचा सकता है। 

काली जीरी किन समस्याओं में आती है काम

अगर पशु को कब्ज, पेशाब न आने, दस्त , स्किन समस्या , या फिर मुहं और नाक से पानी गिरने की समस्या हो जाए तो इस समस्या से पशु को ठीक करने के लिए आप काली जीरी का उपयोग कर सकते हैं। 

इन सभी समस्याओं में पशु को काली जीरी खिलाने पर पशु की स्थिति बेहतर हो जाती है। लेकिन ज्यादातर पशु इसे नहीं खाते क्योंकि ये खाने में बेहद कड़वी होती है। ऐसे में पशु को गुड़ या अन्य किसी आहार या दाने के साथ काली जीरी दी जा सकती है। 

क्या काली जीरी से दूध बढ़ता है

अब अगर बात करें कि काली जीरी से दूध कैसे बढ़ता है तो बता दें कि इसका सीधा असर दूध की उत्पादकता पर नहीं पड़ता। लेकिन ये दूध बढ़ाने का काम कर सकता है।

दरअसल ये पशु की डीवॉर्मिंग करने के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। अब अगर देखा जाए तो पशु के पेट में कीड़े होने पर दिया जाता है। यही कीड़े पशु को कमजोर कर देते हैं और पशु की दूध उत्पादन क्षमता को कम करने का काम करते हैं। 

लेकिन जब पशु को काली जीरी दी जाती है तो इससे उसके ये पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट पूरी तरह साफ हो जाता है। जिससे पशु स्वस्थ होता है और उसकी दूध उत्पादकता भी बढ़ जाती है 

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जानिए ड्रैगन फ्रूट की खेती की लागत, आय और होने वाला निवेश।

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ड्रैगन का नाम सुनते ही हमारे जहन में एक दैत्य नुमा बड़ा सा जीव बन जाता है। लेकिन हर ड्रैगन ऐसा हो, ये जरूरी तो नहीं। आज  हम ऐसे ही एक फल के बारे में बात करने वाले हैं, जिसे ड्रैगन फ्रूट के नाम से जाना जाता है। ये अमेरिकी फल दुनियाभर में काफी पसंद किया जा रहा है। वहीं भारत में भी इसकी मांग काफी अधिक है। लेकिन इसकी पूर्ति का 80 प्रतिशत भाग बाहरी देशों के द्वारा ही पूरा किया जा रहा है।

ऐसे में अगर किसान भाई ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दें तो आसानी से अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। चलिए आज विस्तार से जानते हैं आखिर ड्रैगन फ्रूट क्या है, इसकी खेती में कितनी लागत आती है और कितनी आय अर्जित की जा सकती है। अगर आप ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का मन बना रहे हैं तो ये लेख और वीडियो आपके काफी काम आ सकती है।  

ड्रैगन फ्रूट की खेती से जुड़ी जरूरी बातें 

  • इसकी खेती करने के लिए जमीन पर पोल्स लगाए जाते हैं जो 2.50 से 3 फीट गहरे गड्ढे में लगाए जाते हैं। हर पोल के बीच में 6 फुट का गैप होता है। वहीं एक लाइन से दूसरी लाइन के बीच में 8 फुट का गैप रखा जाता है। 
  • एक पोल के चारों तरफ एक – एक पौधा लगाया जाता है। 
  • पौधों को सपोर्ट देने के लिए किसी धागे से सीधा पोल से चिपका कर रखा जाता है। ताकि पौधे सही से पनप सके और फल अधिक लग सकें। 
  • खेत का निर्माण ऐसा होना चाहिए जिससे पानी एकत्रित न हो और साथ की साथ निकलता रहे। 
  • फसल में  एक पोल पर हर तीन महीने में 1.5 किलो खाद डालनी होती है। वहीं एक सप्ताह में हर पोल पर केवल 700 एमएल से लेकर 1 लीटर तक पानी दिया जाता है। 
  • ये फ्रूट सर्दियों में कम बढ़ता है। इसलिए कोशिश करें कि थोड़ी गर्मी के दौरान ही ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू करें। 

ड्रैगन फ्रूट की खेती में लागत 

अब बात करें ड्रैगन फ्रूट की लागत और आय की तो बता दें कि एक बार में इसकी फसल पर और पोल्स लगाने का खर्च आपकी जमीन के क्षेत्रफल पर निर्भर करेगा। अमूमन 1 से 1.5 लाख रुपए का खर्च एक किसान को करना पड़ सकता है। 

ड्रैगन फ्रूट के खेती से होने वाली कमाई

अब बात करें इससे होने वाली आय की तो आपको बता दें कि इस फसल का व्यापार करने के लिए आपको 2 से 3 साल का समय लग सकता है। लेकिन अगर सब सही रहा तो आप एक पोल से करीब 15 से 20 किलो फल हासिल कर सकते हैं।  ज्ञात हो कि ड्रैगन फ्रूट के एक किलो की कीमत करीब 200 से 250 रुपए किलो है। 

ऐसे में अगर आपने 4 बीघा जमीन पर इसके 800 पोल लगाते हैं और एक पोल पर 15 किलो फल हासिल करते हैं तो आप इससे 3000 रुपए हासिल कर लेंगे। यानी की 800 पोल पर आप 24 लाख रुपए एक बार की फसल पर प्राप्त कर पाएंगे। 

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जानिए गाय भैंस में कैल्शियम की कमी के लक्षण क्या हो सकते हैं

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इंसान हो या पशु हर किसी के शरीर को कई तरह के  पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ऐसे में जब भी शरीर में पोषक तत्व की कमी हो जाए तो इसकी वजह से शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती है। आज हम एक ऐसे ही पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों के बारे में जानकारी देंगे। दरअसल हम बात कर रहे हैं कैल्शियम की। 

कैल्शियम की कमी की वजह से पशु में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं। यही समस्या न केवल पशुपालक को आर्थिक नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा पशु की दूध उत्पादन से क्षमता से लेकर कई तरह की दिक्कते होने लगती हैं। अगर आप भी कैल्शियम की कमी के लक्षणों से जुड़ी जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहे। 

कैल्शियम की कमी के लक्षण 

  • प्रसव के तुरंत बाद गाय का बैठ जाना और गर्दन मोड़ के थनों को देखना। 
  • आहार के बाद भी लगातार कमजोर होते रहना। 
  • गर्भावस्था में लड़खड़ा कर चलना और गिर जाना 
  • हड्डियां मुड़ जाती है और हड्डियां कमजोर हो जाती है। 
  • चलते समय पशु के हड्डियों से आवाज आने लगती है। 
  • पशु दूध कम देने लगता है। 
  • गाभिन न हो पाना
  • गर्भ न ठहरना 
  • गर्भपात हो जाना
  • चोट या घाव होने पर लगातार खून बहते रहना। खून न रुकना। 
  • लंगड़ा पन आ जाना। 
  • इसके अलावा जो भी रोग फास्फोरस और मैग्नीशियम के बिगड़ते अनुपात की वजह से होते हैं। यह भी कैल्शियम की कमी का ही नतीजा है
  • रियूमन की गति कम होना जिससे पाचन क्रिया का प्रभावित होना। 
  • ये सभी लक्षण इशारा करते हैं कि गाय या भैंस के शरीर में कैल्शियम की कमी हो गई है। 

पशु में कैल्शियम की कमी पता चलने पर क्या करें 

गाय भैंस के शरीर में पोषक तत्वों की कमी पता चलने पर और लक्षणों की पहचान होने पर आपको तुरंत पशुओं की उपचार प्रक्रिया को प्रारंभ कर देना चाहिए। इसके अलावा पशुओं को कैल्शियम के डोज भी दिलवाने चाहिए। ध्यान रहे कि खुद से डॉक्टर बनने की कोशिश न करें और पशु चिकित्सक की ही सहायता लें। पशु की इलाज प्रक्रिया में किस तरह की लापरवाही न करें।

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