जानिए रामबुतान की खेती का तरीका और इससे होने वाली आय

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खेती में लगे हुए किसानों के सामने अक्सर ये चुनौती होती है कि वो किस चीज की खेती करें, जिससे लंबे समय तक आय अर्जित हो सके। इसी दुविधा को दूर करने के लिए हम ले आए हैं, रामबुतान। रामबुतान एक ऐसा फल है जिसकी खेती कर एक किसान महज एक पेड़ से ही 70 हजार रुपए तक कमा सकता है। आपको बता दें कि इस फल की उत्पत्ति सबसे पहले मलेशिया से हुई थी।

इसी के बाद ये दुनिया भर में फैलने लगा। ये एक ऐसा फल है जिसकी खेती कर किसान लगभग 50 साल तक कमाई कर सकते हैं। यानी की एक बार की मेहनत करीब 50 साल तक की कमाई करा देगी। आज हम अपने इस लेख और वीडियो के माध्यम से आपको बताएंगे कि आप इसकी खेती कैसे कर सकते हैं और इसके जरिए कितनी आय अर्जित हो सकती है। चलिए विस्तार से जानते हैं इस बारे में।  

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रामबुतान कहां पाया गया था

सबसे पहले आपको बता दें कि रामबुतान फल की उत्पत्ति मलेशिया से हुई थी। इसके बाद ही ये दुनिया के अलग – अलग कोनों में उगाया जाने लगा। 

रामबुतान की खेती के लिए जलवायु 

अब बात करें कि इसकी खेती किस जगह पर की जा सकती है। तो बता दें कि इसकी खेती के लिए एक उपयुक्त तापमान होना चाहिए। अगर आपकी जगह का तापमान 20 से 35 डिग्री के बीच है तो ये फसल आप लगा सकते हैं। 

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रामबुतान की खेती कैसे करें 

  • यूं तो रामबुतान की 20 से ज्यादा किस्में पाई जाती हैं। लेकिन इसकी कुछ किस्में काफी ज्यादा पसंद की जाती है। 
  • इसकी उपज को पैदा करने के लिए जमीन की पहले अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए। 
  • आप इसकी खेती के लिए सीड्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं या किसी नर्सरी से कॉलम या पौधे भी सीधे ले सकते हैं। अगर आप इसे सीड्स से ही बोना शुरू करते हैं, तो ये बड़ने में करीब 7 साल का समय लगता है। वहीं पौधा लगाने पर इससे 3 साल के भीतर ही फल प्राप्त किए जा सकते हैं। 
  • अगर आप बड़े स्तर पर भी इसकी खेती कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच कम से कम 10 मीटर का गैप होना चाहिए। वरना ये पेड़ पूरी तरह से नहीं पनपेगा। जानकारों की मानें तो आप एक एकड़ भूमि पर अधिकतम 30 पौधे या पेड़ ही लगाए। ऐसा करने से फलों की पैदावार अधिक होगी। 
  • इसके अलावा रामबुटान की खेती में कुछ अलग तरह के संसाधनों की या देखरेख की जरूरत नहीं होती। बस आपको सालाना खाद और कभी – कभी कीटनाशक दवा की आवश्यकता पड़ती है। वहीं इन्हें पानी आप ड्रिप सिस्टम से भी दे सकते हैं और अन्य किसी तरीके से भी। 

रामबुतान की खेती से कमाई 

  • अब बात करें इसकी खेती के फायदे के बारे में तो बता दें कि इसे एक बार लगाने पर आप इससे 50 साल तक फल ले सकते हैं। 
  • ये फल उस समय हार्वेस्टिंग के जून से अगस्त के बीच में हार्वेस्ट होता है। इस समय अक्सर बाजार में ज्यादा फल नहीं होते और जिसके चलते ये आसानी से बिक भी जाते हैं। 
  • इस फल की कीमत थोक में 200 रुपए किलो है, वहीं अगर आप इसकी पैकेजिंग करके बेचते हैं तो इसके जरिए आप एक किलो पर 350 रुपए तक भी कमा सकते हैं। 
  • इसके एक पेड़ से 7 साल बाद आपको 200 किलो तक फल प्राप्त होते हैं। यानी कि अगर आप 200 किलो को 350 रुपए से गुणा करें तो महज एक पेड़ से ही आप 70 हजार रुपए तक कमा सकते हैं। 
  • इन्हें लगाने में और इनकी देखरेख का खर्च अधिक नहीं है। आपको इसका एक पौधा करीब 50 से 100 रुपए के बीच मिल जाएगा। अब आप कितने पौधे लगाते हैं इस बात पर ही आपका खर्च निभर करता है। इसके अलावा खाद और कीटनाशक आदि पर 20 हजार तक खर्च आ सकता है। 
  • ध्यान रहे जो किसान भाई लंबे समय में आय अर्जित करना चाहते हैं वो लोग ही इसकी खेती करें। अगर किसान भाई सही तरह से इसकी खेती करते हैं तो महज एक पेड़ से 70 हजार रुपए तक कमाए जा सकते हैं। ऐसे में जितने ज्यादा पेड़ उतनी अधिक आय।

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जानिए गाय भैंस में कैल्शियम की कमी के लक्षण क्या हो सकते हैं

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इंसान हो या पशु हर किसी के शरीर को कई तरह के  पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ऐसे में जब भी शरीर में पोषक तत्व की कमी हो जाए तो इसकी वजह से शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती है। आज हम एक ऐसे ही पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों के बारे में जानकारी देंगे। दरअसल हम बात कर रहे हैं कैल्शियम की। 

कैल्शियम की कमी की वजह से पशु में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं। यही समस्या न केवल पशुपालक को आर्थिक नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा पशु की दूध उत्पादन क्षमता से लेकर कई तरह की दिक्कते होने लगती हैं। अगर आप भी कैल्शियम की कमी के लक्षणों से जुड़ी जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहे।

कैल्शियम की कमी के लक्षण 

  • प्रसव के तुरंत बाद गाय का बैठ जाना और गर्दन मोड़ के थनों को देखना। 
  • आहार के बाद भी लगातार कमजोर होते रहना। 
  • गर्भावस्था में लड़खड़ा कर चलना और गिर जाना 
  • हड्डियां मुड़ जाती है और हड्डियां कमजोर हो जाती है। 
  • चलते समय पशु के हड्डियों से आवाज आने लगती है। 
  • पशु दूध कम देने लगता है। 
  • गाभिन न हो पाना
  • गर्भ न ठहरना 
  • गर्भपात हो जाना
  • चोट या घाव होने पर लगातार खून बहते रहना। खून न रुकना। 
  • लंगड़ा पन आ जाना। 
  • इसके अलावा जो भी रोग फास्फोरस और मैग्नीशियम के बिगड़ते अनुपात की वजह से होते हैं। यह भी कैल्शियम की कमी का ही नतीजा है
  • रियूमन की गति कम होना जिससे पाचन क्रिया का प्रभावित होना। 

ये सभी लक्षण इशारा करते हैं कि गाय या भैंस के शरीर में कैल्शियम की कमी हो गई है।

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पशु में कैल्शियम की कमी पता चलने पर क्या करें 

गाय भैंस के शरीर में पोषक तत्वों की कमी पता चलने पर और लक्षणों की पहचान होने पर आपको तुरंत पशुओं की उपचार प्रक्रिया को प्रारंभ कर देना चाहिए। इसके अलावा पशुओं को कैल्शियम के डोज भी दिलवाने चाहिए। ध्यान रहे कि खुद से डॉक्टर बनने की कोशिश न करें और पशु चिकित्सक की ही सहायता लें। पशु की इलाज प्रक्रिया में किस तरह की लापरवाही न करें

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गाय भैंस के थनों की सूजन ठीक करने के लिए सबसे जबरदस्त ऑइंटमेंट

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देश में पशुपालन करने वाले लोगों को न जाने कितनी ही समस्या का सामना करना पड़ता है। इसमें चाहे पशु का दूध कम देना हो या फिर पशु को किसी तरह की समस्या हो जाना। आज हम आपको एक ऐसी ही समस्या के बारे में बताएँगे, जो लगभग हर पशुपालक को कभी न कभी झेलनी ही पड़ती है। दरअसल हम बात कर रहे हैं पशु के थनों में आने वाली सूजन के बारे में। आज इस लेख और वीडियो में हम इसी समस्या का समाधान बताने वाले हैं. अगर आप एक पशुपालक हैं और पशु के थनों की सूजन की समस्या से परेशान हैं तो ये लेख और वीडियो आपके काफी काम आ सकता है। 

क्यों आती है पशु के थनों में सूजन 

गाय भैंस के थनों में सूजन आने की समस्या बेहद आम है और अक्सर ये सूजन पशु के थनों में किसी तरह की चोट लगने की वजह से होती है, या फिर पशु के सही तरह से दूध न निकालने की वजह से होती है। इसके अलावा अन्य दूसरे कई कारण है जिसकी वजह से ये समस्या पशु में हो सकती है।

पशु के थनों का उपचार कैसे करें 

पशुपालक थनों की सूजन दूर करने के लिए कई तरह के उपाय या उपचार अपनाते हैं। लेकिन फिर भी सूजन की स्थिति ठीक नहीं हो पाती। इसका मुख्य कारण है कि ये उपचार या उपाय उतने कारगर नहीं होते। ऐसे में पशुपालक भाइयों को एक सही जानकारी और उपचार की आवश्यकता होती है। 

इस स्थिति में पशुपालक भाई अपनी गाय और भैंस के थन पर Inflamin ऑइंटमेंट लगा सकते हैं। इस ऑइंटमेंट को अच्छी तरह से पशु के थनों पर लगाना है। इस ऑइंटमेंट को लगाते हुए ध्यान रखें कि इसकी एक परत पशु के थन पर बन जाए। जब ऐसा हो जाएगा तभी पशु के थनों को सूजन से राहत मिलेगी 

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दवा लगाने का समय 


अगर पशु के थनों में सूजन अधिक है तो आप इसे पशु को थन में दो से तीन बार लगा सकते हैं। लेकिन अगर सूजन कम है तो आप एक बार सुबह और एक बार शाम को पशु के थनों पर इसे लगाए। 

दवा के अन्य विक्ल्प

अगर पशुपालक भाइयों को Inflamin ना मिले तो वो Thrombophob भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि ये क्रीम इंसानों के लिए है। लेकिन अगर इंफ्लामिन ना मिले तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही पशुपालक भाई देसी उपचार भी कर सकते हैं। ध्यान रहे कि नियमितता से उपचार प्रक्रिया पालन करने से ही पशु ठीक हो पाएगा। 

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जानिए क्या है Calcium Gel और कैसे किया जाता है इसका इस्तेमाल। Ionic Calcium

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डेयरी क्षेत्र से जुड़े किसान और पशुपालक अक्सर अपने पशु की दूध उत्पादन क्षमता को लेकर परेशान रहते हैं। ऐसे में ये लोग अपने पशु का दूध बढ़ाने के लिए उन्हें उचित आहार से लेकर उनका पूरा ध्यान रखते हैं। लेकिन बावजूद इसके कई बार पशु की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ती ही नहीं है। 

आपको बता दें कि ऐसा अक्सर तब होता है जब पशु के शरीर में आयनिक कैल्शियम की कमी हो जाती है। ज्ञात हो कि ये साधारण कैल्शियम से अलग होता है। ऐसे में आज हम आपको समस्या का समाधान बताने वाले हैं। अगर आप भी अपने पशु की दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कैल्शियम जेल से होगी ये समस्या खत्म


पशु के दूध कम देने से पशुपालकों को खासा नुकसान होता है। ऐसे में पशुपालक आहार के साथ  न जाने कितने ही जतन अपनाते हैं। लेकिन पशु का दूध जरा भी नहीं बढ़ता। आपको बता दें ऐसा तब होता है जब पशु के शरीर में आईयनिक कैल्शियम की कमी हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए पशुपालक भाई अक्सर पशु को कैल्शियम के इंजेक्शन दिलवा दे देते हैं। लेकिन ये तरीका कारगर नहीं होता। 

ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्थिति में पशु की हड्डियों और खून में सीधा कैल्शियम चाहिए होता है। इसके लिए पशु को आयनिक कैल्शियम सीधा पशु को देने की जरूरत होती है। जो बाजार में कैल्शियम जेल के नाम से भी जाना जाता है। 

ये कैल्शियम जैल पशु को देते ही उसकी स्थिति में सुधार हो जाता है। आपको बता दें कि ये सीधा पशु की हड्डियों और खून तक पहुंचता है और उनकी दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है। 

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कैल्शियम जैल की कीमत और डोज  

इस कैल्शियम जैल को आप आसानी से पशु की दवाओं की दुकान से खरीद सकते हैं। ये महज 170 रुपए से शुरू होता है और 300 रुपए तक इसकी कीमत जाती है। बाजार में कई कैल्शियम जैल मौजूद हैं जो आपकी जेब के लिए सही लगे उसे खरीदें। 

ध्यान रहे कि ये कैल्शियम जैल की तीन डोज पशु को देनी है। इसमें एक डोज कुल 300 एमएल की होगी। इस डोज को पूरा करने के लिए आप तीन डोज खरीदें। लगातार तीन दिन देने पर पशु की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी। 

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जानिए क्या है Downer Cow Syndrome और कैसे होता है इसका उपचार।

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डेयरी जगत और इस उद्योग को बल देने में छोटे पशुपालकों का भी बहुत बड़ा योगदान होता है। लेकिन कई बार इन पशुपालकों पर बहुत सी समस्याएं आन पड़ती है। जिनमें से सबसे खतरनाक होती है पशु के बीमार पड़ने की या उसे किसी तरह की दिक्कत होने की। ऐसी ही एक दिक्कत है जो गाय और भैंस में देखी जाती है। जिसे डाउनर काऊ सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। 

इस स्थिति में मौजूद पशु अक्सर अपने खड़े होने की क्षमता खो देता है। ऐसे में पशु कई बार अनुपयोगी तक हो जाता है। आज हम यही जानेंगे कि आखिर क्यों ऐसा होता है और इस डाउनर काऊ सिंड्रोम समस्या का क्या उपचार किया जा सकता है। अगर आप एक पशुपालक हैं और गाय या भैंस पालते हैं तो ये लेख और वीडियो आप इस पर अंत तक बने रहें। इससे आपको इस समस्या का कारण और उपचार दोनों पता चल जाएंगे। 

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किस नस्ल की गाय में होता है डाउनर काऊ सिंड्रोम 

यूं तो डाउनर काऊ सिंड्रोम की समस्या गाय और भैंस में देखी जा सकती है। लेकिन ज्यादातर ये समस्या एचएफ नस्ल की गाय और उन गायों में होती है जिसके अंदर एचएफ नस्ल के सीमेन का इस्तेमाल किया गया हो। 

कब होता है डाउनर काऊ सिंड्रोम 

ये स्थिति एचएफ गाय में ब्याने के बाद पैदा होती है। वह भी तब जब गाय के शरीर में फास्फोरस और प्रोटीन और कैल्शियम की कमी हो जाए। इस बीमारी को ठीक करने के लिए शुरुआती लक्षणों की पहचान होना बहुत ज्यादा जरूरी है। 

डाउनर काऊ सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं 

जब किसी गाय को डाउनर काओ सिंड्रोम की समस्या होती है तो वह अधिक देर तक खड़ी नहीं रह पाती और खाना पीना भी ठीक से नहीं करती। अगर आपको ये लक्षण गाय में नजर आए तो सावधान हो जाएं और तुरंत इसकी उपचार प्रक्रिया प्रारंभ कर दें। 

लक्षण दिखने पर पशुपालक क्या करें 

  • गाय को कुछ – कुछ देर में हिलाते डुलाते रहें। 
  • गाय के लिए ऐसी व्यवस्था करें कि वह किसी चीज के सहारे खड़ी रहे। 
  • गाय के नीचे एक मुलायम बिस्तर या भूसा बिछा दें और समय समय पर इसकी सफाई करते रहें। 
  • गाय को तालाब के पानी में ले जाएं ताकि गाय पैरों की  मूवमेंट करती रहे। 
  • अगर गाय को कैल्शियम और फास्फोरस के डोज दे रहे हैं तो ये काम बिना डॉक्टर की सलाह पर ही करें। 
  • इन सब के अलावा गाय के खाने पीने का सही तरह ध्यान रखें और उनका दूध समय – समय पर निकालते रहे। इसके अलावा दूध दुहने के बाद थनों की अच्छी तरह सफाई करें। 

गाय को इस रोग से बचाने के लिए गर्भावस्था से लेकर प्रसव के समय तक गाय के आहार को अच्छा रखें और अगर पशु को मिल्क फीवर आदि की समस्या है तो इसका तुरंत इलाज कराएं। आपके द्वारा उठाए गए ये छोटे छोटे कदम आपकी गाय को स्वस्थ रखेंगे। 

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