खुरपका मुंहपका रोग दुधारू पशुओं में होने वाला एक बेहद ही आम रोग है। ये एक तरह का वायरल संक्रमण है, तो कि पशुओं में काफी तेजी से फैलता है। गाय को खुरपका मुंहपका रोग होने पर उसके मुंह और खुरों में घाव बनने लगते हैं, जो कि गंभीर होने पर पूंछ और थनों में भी हो सकते हैं।
ये रोग एफ्थोवायरस के कारण होता है, इस वायरस के कई प्रकार होते हैं, जिनकी वजह से ये संक्रमण पैदा होता है। आमतौर पर संक्रमण के चार दिन बाद इसके लक्षण पशु में दिखने लग जाते हैं। मुंह और खुरों में छाले पड़ना और घाव बनना इसके सबसे प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा गाय की सेहत के मुताबिक भी कुछ और लक्षण पशु में हो सकते हैं, जैसे कि बुखार होना।
खुरपका मुंहपका रोग का कोई भी सटीक इलाज नहीं है। हालांकि, इसके लक्षणों के मुताबिक डॉक्टर इसकी दवा दे सकते हैं। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो इससे गाय पूरी तरह से दूध देना बंद भी कर सकती है। यहां तक की कई बार पशु की जान तक चली जाती है।
क्या है खुरपका मुंहपका रोग
खुरपका मुंहपका एक वायरल संक्रमण है, जो कि पैर में दो खुर वाले जानवरों को होता है। ये काफी तेजी से फैलने वाला संक्रमण है, जो कि संक्रमित जानवर को गंभीर रूप से बीमार कर देता है। जैसा कि इस रोग का नाम है, इस से जानवर का मुंह और खुर दोनों काफी ज्यादा प्रभावित होते हैं। अंग्रेजी भाषा में इसे “फुट एंड माउथ डिजीज” के नाम से भी जाना जाता है। खुरपका मुंहपका रोग वाली गाय शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाती है और उसके दूध उत्पादन में भी काफी कमी आ जाती है।
खुरपका मुंहपका रोग के लक्षण
गाय के खुरों और मुंह पर घाव और छाले बनना इस रोग का सबसे साफ लक्षण होता है, ये छाले आमतौर पर खुरों के बीच में और मुंह के अंदर के हिस्से में बनते हैं। इसके अलावा कुछ गंभीर मामलों में गाय की पूंछ और थन आदि पर भी ये घाव बन सकते हैं। ये सभी लक्षण गाय को संक्रमण होने के चार दिनों के बाद ही नजर आते हैं। हालांकि, कुछ गायों में लक्षण नजर आने में ज्यादा वक्त भी लग सकता है।
इतना ही नहीं खुरपका मुंहपका रोग में मुंह और खुरों पर छालों के साथ कुछ और लक्षण भी दिखते हैं, जैसे कि –
- गाय को 3 दिन या उससे ज्यादा वक्त तक बुखार रह सकता है।
- गाय के मुंह में जरूरत से ज्यादा झाग बनने लगती है
- उसे चारा और दाना खाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है
- पशु लंगड़ाते हुए चलता है या फिर वो तल ही नहीं पाता है
- गाय शारीरिक रूप से काफी ज्यादा कमजोर हो जाती है और उसकी हड्डियां तक नजर आने लगती है
- गाय जुगाली करना बंद कर देती है
- पशु दूध देना कम कर देती है, ज्यादा फैलने की स्थिति में दूध देना बिलकुल ही बंद कर देती है
कब दिखाएं डॉक्टर को
अगर आपकी गाय के मुंह और खुरों में घाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है, तो जल्द से जल्द पशु चिकित्सक को दिखा लेना चाहिए।
क्यों होता है खुरपका मुंहपका रोग
खुरपका मुंहपका रोग को एक वायरल संक्रमण कहा जाता है। ये रोग एफ्थोवायरस की वजह से होता है। एफ्थोवायरस के प्रमुख सात प्रकार होते हैं, जो खुरपका मुंहपका रोग का कारण बनते हैं। इन्हें ए (A), ओएचएसएस(O), सी(C), एसएटी1 (SAT1), एसएटी 2 (SAT2), एसएटी3 (SAT3) और एशिया1 (ASIA) के नाम से जाना जाता है। ये वायरस जंगली जानवरों के जरिये आया है।
कैसे फैलता है वायरस?
एफ्थोवायरस से होने वाला संक्रमण आमतौर पर दूसरे संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से होता है। ये वायरस संक्रमित जानवरों की लार, गोबर, दूध और बाकी शारीरिक द्रवों के जरिये ये फैलता है। अगर कोई स्वस्थ पशु इनमें से किसी के संपर्क में आता है, तो उसे ये रोग बहुत आसानी से हो सकता है।
कुछ परिस्थितियों में गाय को खुरपका मुंहपका रोग होने का खतरा बढ़ जाता है –
- गाय को अगर आप संक्रमित पशुओं के साथ रखेंगे
- एक ही खुरली से बांधना
- एक ही बर्तन में पानी पिलाना
- संक्रमित पशु का झूठा खिलाना
कई बार गाय में संक्रमण के लक्षण कम होने लगते हैं, लेकिन फिर भी वो अन्य जानवरों में संक्रमण फैला सकती है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि लक्षणों के जाने के बाद भी कुछ दिन तक गाय के शारीरिक द्रवों में वायरस थोड़ा बहुत सक्रिय रह सकता है।
कैसे करें खुरपका मुंहपका रोग से पशु का बचाव
खुरपका मुंहपका रोग एक प्रकार का वायरल संक्रमण है, जिसका परीक्षण सिर्फ डॉक्टर के जरिये ही किया जा सकता है। इस स्थिति को जांचने के लिए डॉक्टर गाय के मुंह और खुर के घावों को काफी पास से देखता है। वायरस के संक्रमण की पुष्टि के लिए घाव से द्रव का सैंपल लेकर कुछ टेस्ट भी डॉक्टर करवा सकता है।
खुरपका मुंहपका की जांच
खुरपका मुंहपका रोग होने के बाद घरेलू उपायों की मदद से उसकी रोकथाम नहीं की जा सकती है। हालांकि, इस रोग को बाकी जानवरों में फैलने से रोका जा सकता है। खुरपका मुंहपका रोग के लिए टीका भी तैयार किया जा सकता है, जिसे उचित समय पर लगवाने से गाय को खुरपका मुंहपका रोग होने से बचाया जा सकता है।
हालांकि एक ही टीके से एफ्थोवायरस के सभी प्रकारों को रोका नहीं जा सकता है, इन सबके लिए अलग टीकाकरण किया जाता है और इसके साथ ही ये टीका एक सीमित समय तक ही वायरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
खुरपका मुंहपका रोग का इलाज क्या है
खुरपका मुंहपका रोग के लिए कोई पक्का इलाज नहीं है। संक्रमित गाय को बाकी जानवरों से दूर रखना ही इसका सबसे पहला और जरूरी इलाज है। गाय के लक्षणों के अनुसार ही उसे दवाएं दी जाती हैं। पशु चिकित्सक इस रोग के इलाज के लिए आमतौर पर एंटी इंफ्लामेटरी, बुखार और दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि, अगर रोग ज्यादा गंभीर नहीं होता है, तो कई बार वो बिना दवाओं के भी अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन रोग की गंभीरता की पुष्टि डॉक्टर के द्वारा की जाती है, वो ही ये तय करता है कि कब रोग को इलाज की जरूरत है और कब नहीं। क्योंकि कुछ मामलों में ये रोग इलाज नहीं करवाने पर भी धीरे-धीरे गंभीर होने लगता है। जो कि बाद में इलाज से भी नियंत्रित नहीं हो पाता है। जिस वजह से पशुओं की मृत्यु होने लगती है।
