ऐसे करें अपनी गाय और भैंस के ब्याने के लक्षणों की पहचान!

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किसान और पशुपालकों को न केवल पशुओं का ध्यान रखना चाहिए। बल्कि उनके व्यवहार को भी समझना चाहिए। क्योंकि पशु के व्यवहार को समझकर ही पशुपालक पशु की समस्या और उसकी तकलीफ का पता लगा सकता है। इसके अलावा पशुपालक पशु के बदले हुए व्यवहार के जरिए ही उसके ब्याने के लक्षण का भी पता लगा सकता है। 

अगर आप एक पशुपालक हैं और गाय या भैंस से प्राप्त दूध के जरिए ही गुजारा करते हैं, तो आपके लिए गाय या भैंस के ब्याने के लक्षणों की पहचान रखना बहुत जरूरी है। आज हम अपने इस लेख में आपको बताएंगे कि गाय या भैंस में ब्याने से पहले कौन से लक्षण देखें जा सकते हैं। हमारे द्वारा बताए गए इन लक्षणों के आधार पर न केवल आपको भैंस और गाय के ब्याने का सही अंदाजा हो जाएगा। बल्कि अगर भैंस और गाय को कोई समस्या है तो इसका भी पता चल जाएगा

जानिए कैसी होनी चाहिए एक गाभिन गाय की खुराक!

गाय भैंस के ब्याने से पहले की अवस्था 

गाय और भैंस ब्याने से पहले एक लंबे समय तक गर्भावस्था में होती हैं। ऐसे में एक पशुपालक के लिए जरूरी है कि वह उनके प्रसव के इंतजाम सही समय पर करके रखें। आपको बता दें कि गाय और भैंस ब्याने से पहले तीन स्थितियों से गुजरती हैं जो कुछ इस प्रकार हैं। 

  1. ब्याने से 24 घंटे पहले के लक्षण 
  2. ब्याना
  3. गर्भनाल या जेर निकलना

गाय और भैंस के ब्याने से पहले लक्षण 

गाय और भैंस ब्याने से पहले कुछ ऐसे संकेत देती हैं, जिन्हें देखकर आप पता लगा सकते हैं कि उनके ब्याने का समय नजदीक आ गया है। ब्याने के यही लक्षण कुछ इस प्रकार हैं। 

  • भैंस या गाय ब्याने से पहले दूसरे पशुओं से दूर रहने लगती है। 
  • ब्याने से कुछ समय पहले पशु खाने पीने में दिलचस्पी नहीं दिखाता। 
  • अगर पशु की योनि से श्लेष्मा निकलने लगा हो और थनों में दूध भरने लगा हो तो इसका मतलब है कि गाय के ब्याने का समय करीब आ गया है। 
  • गाय या भैंस ब्याने से पहले पेट पर लात मारने लगते हैं और बेचैन हो जाते हैं। 
  • भैंस या गाय के ब्याने से पहले उनका आकार बड़ा हो जाता है। 
  • प्रसव का समय आने से पहले गाय और भैंस के पेट का आकार बदलने लग जाता है। 

ग्याभिन पशु की पहचान कैसे की जा सकती है?

गाय के ब्याने के सही दिन का पता लगाना

अगर पशुपालक भाई गाय या भैंस के ब्याने के सटीक समय का पता लगाना चाहते हैं तो वह ऐसा बहुत आसानी से कर सकते हैं। इसका पता करने के लिए पशुपालकों को कुछ बातों का पता होना जरूरी है। जिनके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।

  1. गाय या भैंस का जिस दिन भी गर्भाधान करवाया है उस तारीख को लिखकर रख लें। 
  2. अगर गर्भधान की तारीख जानते हैं तो आपको बता दें कि फिर पशु के प्रसव के समय का पता लगाना और भी आसान है। आपको पता हो कि गाय का गर्भकाल करीब 280 से 290 दिन का होता है। वहीं भैंस का गर्भकाल 305 से 318 दिन तक का होता है। ऐसे में इस आधार पर गर्भधान की तारीख से प्रसव की तारीख आप निकाल सकते हैं। 

गाय और भैंस के ब्याने से कुछ देर पहले के लक्षण

  1. अगर पशु के प्रसव का समय आ गया है तो ऐसे में आपको बछड़े के आगे पैर और मुंह बाहर निकलता हुआ दिखाई दे जाएगा। 
  2. गाय या भैंस के ब्याने से पहले पानी की थैली दिखाई दे जाएगी। 
  3. पशु के पानी का थैला फटने के आधे घंटे के अंदर प्रसव हो जाएगा। 
  4. अगर पशु पहली बार ब्या रहा है तो ऐसे में उसे ब्याने में 4 घंटे तक लग सकते हैं। 
  5. अगर पशु को ब्याने से पहले पानी का थैला दिखाई न दें तो तुरंत डॉक्टर को बुलाना चाहिए। 

ब्यात के बाद पशु को कब गाभिन करवाना चाहिए?

जेर का निकलना 

  1. जब पशु ब्या चुका होता है तो उसके तीन से आठ घंटे बाद जेर निकल आती है। 
  2. अगर पशु के ब्याने के बारह घंटे बाद तक जेर न निकले तो इसे गर्भनाल के रूकाव के नाम से जाना जाता है। 
  3. गर्भनाल के खुद न निकलने पर इसे जोर लगाकर नहीं खींचना चाहिए। ऐसा करने से पशु के शरीर से रक्त निकलने लगता है और कई बार पशु की मौत तक हो जाती है।

अगर आप एक किसान या पशुपालक हैं तो हमारे द्वारा शुरू की गई ऐप आपके काफी काम आ सकती है।  आप हमारी Animall App के जरिए पशु को खरीद और बेंच सकते हैं। इसके अलावा आप पशु चिकित्सक से भी सीधीा बात कर सकते हैं। Animall App को अपने फोन में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें। Click Here 

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दूध उत्पादन के लिए केंद्र सरकार की क्या क्या योजनाएं है ?

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दूध उत्पादन के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी कई योजनाओं को संचालित किया जा रहा है। इसके लिए दुग्ध उत्पादकों को कई तरह के अनुदान दिए जाते हैं। डेयरी एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट स्कीम के तहत दुग्ध उत्पादन करने वालों को वित्तीय सहयोग किया जाता है। यह वित्तीय सहयोग छोटे किसानों तथा भूमिहीन मजदूरों को प्रमुख रूप से दिया जाता है। डेयरी इंटरप्रेन्योर शिप डवलपमेन्ट स्क्रीम भारत सरकार की योजना है, इसके तहत डेयरी और इससे जुड़े दूसरे व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

इसके तहत छोटे डेयरी फार्म खोलने, उन्नत नस्ल गाय अथवा भैस की खरीद के लिए 5 लाख रूपये की सहायता की जाती है। यह राशि दूध खरीद दुधारू मवेशी के लिए दी जाती है। दूध उत्पादन में रोजगार इसके अलावा जानवरों के मल में जैविक खाद बनाने के लिए एक यूनिट की व्यवस्था करने के लिए 20,000 की मदद मिलती है।

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जानिए क्या है कृत्रिम गर्भाधान का सही तरीका और सावधानियां

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देश में डेयरी उद्योग और पशुपालन तेजी से फल फूल रहा है। इसलिए  सरकार भी डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती रहती है। लेकिन इन सब के बावजूद कई बार पशु समय पर गर्भधारण नहीं कर पाता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब पशु हीट पर होता है, तो पशुपालकों को बैल या सांड नहीं मिलता।

जिसके चलते पशुपालक समय पर दूध का काम शुरू नहीं कर पाते और उन्हें आर्थिक रूप से काफी नुकसान होता है। इसलिए आज हम यह लेख लेकर आए हैं। आज हम अपने इस लेख मे हम पशुपालक को कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी हुई जानकारी देने वाले हैं। यह एक ऐसा अनोखा तरीका है। जिसके जरिए बिना नर पशु के मादा पशु को गाभिन किया जा सकता है। आइए जानते हैं कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और तरीका।

क्या है कृत्रिम गर्भाधान

आपको बता दें कि यह आज के समय में पशु को सबसे जल्दी गाभिन करने का तरीका है। इस प्रक्रिया के अंदर बैल या सांड का वीर्य लेकर मादा पशु के शरीर में संचित कर दिया जाता है। इसके जरिए पशु आसानी से गर्भ धारण कर लेता है। इस प्रक्रिया के दौरान नर और मादा पशु का आपस में संभोग करना जरूरी नहीं होता। आपको जानकर हैरानी होगी कि वीर्य तरल नाइट्रोजन में कई सालों तक सुरक्षित रहता है। इसी प्रक्रिया को कृत्रिम गर्भाधान कहा जाता है। 

कृत्रिम गर्भाधान के फायदे 

वह किसान और पशुपालक जो अपनी मासिक आय को बढ़ाना चाहते हैं या फिर अपने पशु के दूध की उत्पादन क्षमता को बेहतर करना चाहते हैं। उनके लिए कृत्रिम गर्भाधान काफी फायदेमंद हो सकता है। दरअसल इस तकनीक के जरिए पशुपालक किसी विदेशी सांड का वीर्य भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जिससे दूध उत्पादन क्षमता तो बेहतर होगी ही। इसके अलावा भैंस की आगे की नस्ल भी बेहतर हो जाएगी। इसके साथ ही पशु के जरिए पूरे साल में जहां कुछ गिनी चुनी भैंस या गाय को गाभिन किया जाता है। वहीं इस तकनीक के जरिए एक साल में हजारो पशुओं को गाभिन किया जा सकता है

अच्छी नस्ल के लिए कृत्रिम गर्भाधान क्यों जरूरी है ?

कृत्रिम गर्भाधान का तरीका और सीमाएं 

कृत्रिम गर्भाधान के लिए भले ही पशु की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन इसमें कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है। इसके अलावा एक पशु चिकित्सक और टेक्नीशियन की जरूरत पड़ती है। इसके साथ ही कुछ उपकरणों की भी आवश्यकता पड़ती है। यही नहीं पशु की साफ सफाई भी ठीक से होनी जरूरी है। अगर इन बातों का ध्यान न रखा जाए तो पशु गाभिन नहीं हो पाता।   

कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें 

  1. कृत्रिम गर्भाधान के दौरान ध्यान रखें कि मादा पशु ऋतु चक्र में हो। 
  2. पशु चिकित्सक गर्भाधान से पहले गन की सफाई अच्छी तरह से करें। 
  3. गन को सही जगह रखें और वीर्य को अंदर छोड़ दे। 
  4. गर्भाधान के लिए कम से कम 10 से 12 मिलियन तक शुक्राणु आवश्यक होते हैं। 

कृत्रिम गर्भाधान ( Artificial Insemination ) किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

हमें उम्मीद है कि आप कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी सारी बातें समझ गए होंगे। अगर आप ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करना चाहते हैं, या फिर पशु खरीदना और बेचना चाहते हैं तो आप हमारी Animall App डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप डाउनलोड करने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करें।

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जानें क्या है भैंस और गाय का दूध बढ़ाने का मंत्र?

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भारत में खेती और पशुपालन का क्या महत्व है इसके बारे में हर कोई जानता है। सदियों से भारत में कृषि और पशुपालन आमदनी और जीवनयापन का बहुत बड़ा स्त्रोत रहा है। आज भी भारत में किसान खेती और पशुपालन कर अपनी आमदनी चला रहे हैं। ऐसे में पशुपालक किसान के साथ सबसे बड़ी समस्या ये हैं कि उनका दुधारू पशु जैसे कि गाय-भैंस कम दूध देते हैं। आज आप इस आर्टिकल में जानेंगे भैस और गाय का दूध बढ़ाने का मंत्र क्या है?

कई बार देखा गया है कि ज्यादा दूध के चक्कर में पशुपालक किसान अपने दुधारू पशु गाय, भैंस को इंजेक्शन लगवा देते हैं जिससे वो दूध तो ज्यादा देने लगती है, लेकिन उसका स्वास्थ्य खराब हो जाता है। वहीं जो इस दूध का सेवन करता है ये उसकी सेहत के लिए भी अच्छा नहीं है।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन आसान तरीकों के बारे में, जिनके जरिये आप अपनी गाय, भैंस जैसे दुधारू पशुओं का दूध बढ़ा सकते हैं।

गाय का दूध बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करें पाउडर

आजकल बाजार में कई तरह के पाउडर भी उपलब्ध है जो पशुओं का दूध बढ़ाने में काफी ज्यादा कारगर है। अलग अलग तरह की कंपनियां ये पाउडर बना रही है। इन पाउडरों के इस्तेमाल से पशु ज्यादा दूध देने लग जाता है। वहीं इसके अलावा किसान भी कई तरह के देशी तरह के चूर्ण (पाउडर) बनाते हैं जिनका इस्तेमाल कर पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है।

लोबिया घास खाने से ज्यादा दूध देगा पशु

अगर आप गाय के दूध देने की क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं, तो उसे लोबिया घास खिलाएं। लोबिया घास में काफी ज्यादा औषधीय गुण होते हैं, जिससे पशु के दूध देने की मात्रा मिल जाती है। इसके साथ ही दूध की गुणवत्ता भी बढ़ती है। लोबिया घास से गाय को किसी भी तरह का कोई गलत असर नहीं होता है। लोबिया घास की खासियत ये है कि ये बाकी घास की तुलना में ये ज्यादा पाचन क्षमता रखती है। इसमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा होती है। जो कि दूधारू पशुओं के लिए काफी जरूरी होता है।

घर पर ही बनाएं दवाई

अगर आप अपनी गाय का दूध बढ़ाने का मंत्र जानना चाहते हैं तो उसके लिए घर पर ही दवा बना सकते हैं। ये बेहद ही आसान तरीके से और बेहद ही आम चीजों से बन सकती है। इस औषधी को बनाने के लिए आपको नीचे लिखी चीजों की जरूरत होगी

  • 250 ग्राम गेहूं का दलिया
  • 100 ग्राम गुड़ सर्बत (आवटी)
  • 50 ग्राम मैथी
  • एक कच्चा नारियल
  • 25-25 ग्राम जीरा और अजवाईन

क्या है औषधी बनाने का तरीका

इस औषधी को बनाने के लिए सबसे पहले आप दलिया, मैथी और गुड़ को पका लें। इसके बाद उसमें नारियल पीसकर डालें। जब ये ठंडा हो जाए तो इसे पशु को खिला दें। ध्यान रखें की ये सुबह खाली पेट ही देना होता है।

सरसों के तेल और आटे से बना सकते हैं दूध बढ़ाने की दवा

आप घर पर मिलने वाले सरसों के तेल और आटे से भी पशु के दूध देने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं। दवा बनाने का तरीका भी काफी सरल है – 

सबसे पहले 200 से 300 ग्राम सरसों का तेल, 250 ग्राम गेहूं का आटा लें। अब दोनों को आपस में मिला लें और फिर शाम के वक्त पशु को चारा और पानी पिलाने के बाद खिला दें। ध्यान रहे की दवा खिलाने के बाद या दवा के साथ में पशु को पानी नहीं देते हैं। ये दवा पशु को 7 से 8 दिनों तक ही खिलानी होती है, इसके बाद इस दवा को बंद कर देना चाहिए।

अगर आप भी अपने पशु की सेहत को लेकर चिंतित है, तो बिना किसी देरी के तुरंत ही Animall ऐप पर जाएं और हमारे डॉक्टर से बात करें। इतना ही नहीं आप Animall ऐप को डाउनलोड कर पशु खरीद या बेच भी सकते हैं। इसके लिए आपको किसी भी तरह का कमीशन नहीं देना होता है।

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दुधारू पशुओं मे बांझपन का कारण और उपचार क्या है ?

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झडेयरी उद्योग से जुड़े हुए लोगों की आय केवल तभी बढ़ सकती है। जब पशु सही मात्रा में दूध दे और उसके जरिए कुछ दूसरे उत्पाद भी तैयार किए जा सकें। लेकिन यह इतना सरल नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज के समय में बहुत से पशु बांझपन का शिकार हो जाते हैं। जिसकी वजह से डेयरी उद्योग को खासा नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं छोटे स्तर पर पशुपालन करने वाले लोगों पर तो इसका और भी बुरा असर पड़ता है।

 पर ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गाय या भैंस बांझपन का शिकार क्यों हो जाती हैं और क्या इस बांझपन का कोई उपचार भी है। अगर आपके जेहन में भी यही सवाल घूमते रहते हैं तो आप बिल्कुल सही स्थान पर आए हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि पशु बांझपन का शिकार क्यों हो जाते हैं और इसका उपचार क्या किया जा सकता है। पशु बांझपन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। 

ये भी पढ़ें : पशु में गर्भपात होने से कैसे बचाये?

पशु में बांझपन के कारण

पशुओं में बांझपन वह स्थिति है, जिसमें पशु या तो गर्भधारण नहीं कर पाता या फिर पशु का बार – बार गर्भपात हो जाता है। पशुओं में बांझपन की समस्या के कुछ निम्नलिखित कारण हैं जो कुछ इस प्रकार हैं। 

  • जब मादा पशु कुपोषण का शिकार होती है तो उसके लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। 
  • कुछ पशुओं में बांझपन की समस्या जन्म से ही होती है। इसे जन्मजात दोष भी कहा जा सकता है। 
  • पशु के आहार में की गई लापरवाही भी पशु के बांझपन का कारण बन सकती है। 
  • अगर पशु के शरीर में हार्मोन असंतुलित हो तो इसकी वजह से भी पशु बांझपन का शिकार हो सकता है। 
  • पशु की देखरेख में की गई लापरवाही या फिर किसी रोग के चलते भी पशु बांझपन का शिकार हो जाता है।   

पशु के बांझपन हेतु उपाय और उपचार 

ऐसा कई बार होता है कि पशु पूरी तरह बांझपन का शिकार नहीं होता। बल्कि कुछ दूसरे कारणों के चलते गर्भधारण नहीं कर पाता। ऐसे में पशुपालक भाई कुछ उपाय या उपचार को अपनाकर पशु को ठीक कर सकते हैं। यह उपाय कुछ इस प्रकार हैं। 

  • पशु को बांझपन से बचाने का सबसे आसान तरीका है कि उसकी ब्रीडिंग हीट के समय पर ही कराई जाए। 
  • पशु के   हीट में न आने पर पशु चिकित्सक से बात करनी चाहिए। 
  • अगर पशु के पेट में कीड़े हो गए हों तो डीवॉर्मिंग कराए और उसके बाद आने वाली हीट को खाली जाने दें।
  • पशु को बांझपन की समस्या से बचाने के लिए उसे सही मात्रा में प्रोटीन और खनिज पदार्थ देने चाहिए। ऐसा करने से पशु में बांझपन की समस्या खत्म हो सकती है। 
  • पशु की ब्रीडिंग के बाद 60 से 90 दिनों बाद पशु चिकित्सक से पशु के गर्भ की जांच कराएं। 
  • पशु को बांझपन से बचाने के लिए अधिक गर्म तापमान में न रखें।  

आशा करते हैं आप समझ गए होंगे कि पशु के बांझपन का क्या कारण है और इसके उपाय क्या हैं। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो और आप ऐसी जानकारी पढ़ते रहना चाहते हैं तो आप हमारी Animall App डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप के माध्यम से आप पशु खरीद और बेच तो सकते ही है। इसके साथ ही पशु चिकित्सक से भी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। एनिमॉल ऐप डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।   

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