एचएफ गाय पर होने वाला खर्च और कमाई की संपूर्ण जानकारी

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देश में गाय का दूध बेचकर आय अर्जित करने का काम बहुत से पशुपालक करते हैं। यही कारण भी है कि पशुपालक गाय खरीदने से पहले कई सवालों के जवाब जानना चाहते हैं, जैसे गाय की कीमत, गाय के रखरखाव में होने वाला खर्च, गाय के दूध देने की क्षमता और गाय से होने वाली आय आदि। इसलिए आज हम अपने पशुपालक भाइयों के लिए एचएफ गाय से जुड़ी जानकारी लेकर आए हैं।

अपने इस लेख के जरिए हम पशुपालक भाईयों को बताएंगे कि एचएफ गाय को रखने का खर्च कितना हो सकता है। इसके अलावा गाय के दूध को बेचकर कितनी आय अर्जित की जा सकती है। अगर आप एक पशुपालक हैं और एचएफ गाय को खरीदने का मन बना रहे हैं, तो आप हमारे इस लेख पर अंत तक बने रह सकते हैं। 

एचएफ गाय की जानकारी 

यह गाय दुनियाभर में अधिक दूध देने वाली गायों की श्रेणी में गिनी जाती है। आपको बता दें कि यह गाय रोजाना 25 से 30 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। इसका शरीर अन्य गाय के मुकाबले काफी भरा हुआ होता है। एचएफ गाय का वजन करीब 580 किलो तक हो सकता है। हालांकि यह गाय अधिक गर्म क्षेत्रों में नहीं रह पाती। यह गाय खरीदना उन पशुपालकों के लिए फायदे का सौदा है जो एक ठंडे इलाके में रहते हैं और अधिक पैसा कमाना चाहते हैं। 

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एचएफ गाय के रखरखाव का खर्च 

एचएफ गाय एक विदेशी गाय है वहीं यह दूध भी अधिक मात्रा में देती है। इसलिए इसे रखने का खर्च अन्य गाय से थोड़ा अधिक हो सकता है। लेकिन यह उतना ही मुनाफा भी दे सकती है। आपको बता दें कि एचएफ गाय के एक दिन का कुल खर्च 239 रुपए तक हो सकता है। 

  1. आपको बता दें कि एचएफ गाय को रोजाना 21 किलो हरे चारे का सेवन कराया जाना चाहिए। जिसकी कुल कीमत 40 रुपए है
  2. वहीं एचएफ गाय को रोजाना 2 किलो सूखा चारा भी दिया जाना चाहिए। जिसकी लागत करीब 10 रुपए या उससे कुछ हद तक हो सकती है
  3. एचएफ गाय को रोजाना 9 किलो तक फीड दी जानी चाहिए, जिसकी कुल कीमत 180 रुपए तक हो सकती है
  4. रोजाना एचएफ गाय को 10 रुपए का मिनरल मिक्सचर दिया जाना चाहिए
  5. आपको बता दें कि गाय की रोजाना के रखरखाव का कुल खर्च अधिकतम 230 से लेकर 250 रूपए तक हो सकता है

एचएफ गाय से कमाई  

किसान भाईयों को जैसा की हमने बताया कि एचएफ गाय रोजाना करीब 25 से 30 लीटर तक दूध दे सकती है। ऐसे में अगर पशुपालक भाई इस दूध को बेचते हैं तो वह इसके जरिए रोजाना 65 रुपए किलो के हिसाब से रोजाना 1625 से लेकर 1950 रूपए तक कमा सकते हैं। ध्यान रहे कि ग्रामीण इलाकों में और शहरी इलाकों में दूध अलग – अलग कीमतों पर बेचा जाता है। हमने आपको एक अंदाजा दिया है, जिसके जरिए आप समझ सकें कि आप गाय से कितनी आय अर्जित कर सकते हैं।

किसान और पशुपालक ऐसी ही जरूरी जानकारियां हमारी साइट और ऐप के जरिए हासिल कर सकते हैं। अगर पशुपालक चाहें तो हमारी ऐप का इस्तेमाल गाय खरीदने और बेचने के लिए भी कर सकते हैं। हमारी Animall App को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें।

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कैसे लाये अपनी गाय या भैंस को हीट में ?

पशुओं के गर्मी में ना आने के कारण

  • मादा गर्मी के लक्षण तब नहीं दिखा सकती है जब वह बहुत बूढ़ी हो या वह बिना मालिक के ज्ञान के मेल-मिलाप हो जाए I
  • कभी-कभी पशु किसी भी संकेत के बिना गर्मी में आते हैं इसे “चुप्प गर्मी” कहा जाता है और भैंसों में ये आम तौर पर पायी जाती है ।
  • यदि फ़ीड पर्याप्त नहीं है या प्रोटीन, लवण या पानी की कमी है, तो पशु गर्मी में आने में विफल हो सकता है। गर्मी में लाने के लिए आपको मादा की फीड में सुधार करने की आवश्यकता होगी।
  • पशुओं के पेट में कीड़ों क होना या बच्चेदानी में संक्रमण के कारण भी पशु गर्मी में नहीं आते I

पशुओं को गर्मी में लाने के लिए देशी इलाज

  • “बड़ा गोखरू (पेडलियम म्युरेक्स)” 500 ग्राम किण्वित चावल के पानी के 1000 मिलीलीटर में धोया जाता है जो एक तेलीय उत्सर्जन प्रदान करता है। यह पशुओं के मदकाल की शुरुआत से तीन दिन पहले मौखिक रूप से दिया जाता है। स्पष्ट योनि स्राव को देखने के बाद पशु को टीका लगवाया जा सकता है I

बड़ा गोखरू

  • “अश्वगंधा” (विदेनिया सोमनीफेरा) के राइज़ोम्स 150 ग्राम, जिन्जेली बीज 150 ग्राम को अच्छी तरह से 2 मुर्गी के अण्डों और 2 केले के फलों में मिलाकर पेस्ट तैयार करें और पशु को 7 दिनों के लिए दें I यदि पशु तब भी गर्मी में नहीं आता तो 7 दिनों के अंतराल पर फिर से इलाज (केवल 1 दिन के लिए) दोहराएं।

अश्वगंधा

  • पशुओं को गर्मी में लाने के लिए प्रजना या जनोवा नामक गोलियों का सेवन करायें I ये गोलियां केवल पशु चिकित्सक की निगरानी में अपने पशु को दें I

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अन्य नुस्खे

  • यदि गाय या भैंस गर्मी में नही आती है तो कुछ गर्म पदार्थ खिलाना चाहिए। जैसे बाजरा, भूसी, खली, मसूर, चुन्नी, अरहर, अण्डा कबूतर का मल इत्यादि। ये सब खिलाने से जानवर को अवश्य ही लाभ मिलेगा।
  • इसके साथ ही साथ खनिज मिश्रण पर्याप्त मात्रा में (20 से 30 मिलीग्राम प्रतिदिन 20 दिनों के लिए) पशु के आहार में जरूर सम्मिलित करना चाहिए।
  • कभी भी गाय या भैंस को गाभिन (टीका लगवाने) कराने के बाद ठण्ड में या छाया वाले स्थान पर रखना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि गाभिन होने के तुरन्त बाद जानवर को बैठने नहीं देना चाहिए, क्योंकि गाभिन होने के तुरन्त बाद बैठ गया तो सारा वीर्य बाहर निकल जाएगा और वो गाभिन नहीं हो पायेगी। गाभिन होने पर जानवर को कुछ ठण्डा चारा खिलाना चाहिए। जैसे चरी, पुआल, बरसीम, जौ, उर्द, चुन्नी इत्यादि।
  • पशुओं को हर 3 महीने बाद पेट के कीड़ों की दवाई दें I

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क्या दूध में पाउडर मिला कर फैट और SNF बढ़ा सकते है ?

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ध की गुणवत्ता अच्छी हो तो उसकी कीमत और मांग दोनों ही बढ़ जाती है। इस बात को डेयरी उद्योग के लोग भली भांति जानते हैं। यही कारण भी है जिसकी वजह से डेयरी उद्योग के लोग दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय अपनाते हैं। आज के समय में दूध के अंदर फैट और एसएनएफ बढ़ाने के लिए पाउडर, वनस्पति तेल, इंजेक्शन और घी आदि का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या यह तरीका सही है और क्या सच में इन पदार्थों के जरिए दूध में मौजूद फैट और एसएनएफ को बढ़ाया जा सकता है।

आइए आज विस्तार से जानते हैं, आखिर दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने के लिए मिलाया जाने वाला पाउडर कितना कारगर है और इसके क्या, नुकसान हो सकते हैं। इसके अलावा एक नजर इस बात पर भी डालेंगे कि आखिर क्यों दूध में यह मिलावट की जा रही है।

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दूध में फैट और एसएनएफ क्यों है जरूरी

दूध का उपभोग करने वाले और उसे बेचकर आय अर्जित करने वाले लोग दूध में मौजूद फैट को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। यह फैट और एसएनएफ ही है जो दूध के जरिए शरीर को लाभ पहुंचाते हैं। आपको बता दें कि दूध के अंदर फैट और एसएनएफ जितना अधिक होता है उतनी ही दूध की कीमत भी बढ़ जाती है। ज्ञात हो की दूध के अंदर फैट के अलावा पाए जाने वाले यौगिक पदार्थ और विटामिन को ही एसएनएफ कहा जाता है। 

फैट और एसएनएफ की मात्रा के लिए जिम्मेदार कारण 

गाय या भैंस के जरिए प्राप्त दूध में फैट और एसएनएफ कितना होगा यह कई बातों पर निर्भर करता है। इसमें दूध की गुणवत्ता अच्छी न होने का सबसे पहला कारण पशु को दिया जाने वाला आहार होता है। अगर पशु को सही मात्रा में सही आहार न दिया जाए तो इसका असर दूध की गुणवत्ता पर पड़ता है। इसके अलावा अगर पशु किसी रोग से पीड़ित हो तो इसका असर भी दूध की गुणवत्ता पर देखा जा सकता है। इसके साथ ही गाय या भैंस की नस्ल भी दूध के फैट और एसएनएफ की मात्रा के लिए जिम्मेदार होती है। अगर पशुपालक पशु को सही आहार दे और उसे रोग से बचाकर रखें तो पशु के दूध की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है, या फिर एक अच्छी नस्ल की गाय या भैंस Animall App के जरिए खरीदें।  

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दूध में पाउडर मिलाना या मिलावट करना कितना फायदेमंद

एक पशुपालक या डेयरी उद्योग का व्यक्ति जब दूध में पाउडर, वनस्पति तेल, घी आदि की मिलावट करता है, तो इससे दूध गाढ़ा तो हो जाता है। लेकिन इसका स्वाद और इसके गुण अवगुणों में भी बदल जाते हैं। जिसका पता ग्राहक आसानी से दूध के स्वाद के जरिए भी लगा लेता है। यही नहीं दूध में पाउडर मिलाने की वजह से एसएनएफ तो बढ़ जाता है। लेकिन इससे दूध के फैट में कोई बढ़ोतरी नहीं होती। इसलिए दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने के लिए सही तरीकों को अपनाया जाना चाहिए। 

दूध में मिलावट की वजह 

आमतौर पर पशुपालक या डेयरी उद्योग के लोग दूध के अंदर मिलावट इसलिए करते हैं, ताकि वह अधिक मुनाफा कमा सकें। दरअसल डेयरी उद्योग के अंदर जिस गाय या भैंस के दूध में फैट और एसएनएफ अधिक होता है। उस गाय और भैंस का दूध अधिक दामों पर बेचा जा सकता है। ऐसे में पशुपालकों और छोटे किसानों के पास आय का जरिया एक पशु के जरिए प्राप्त दूध ही है। यह कारण भी है जिसकी वजह से दूध में मिलावट की जाती है।

दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का सही तरीका 

दूध में फैट और एसएनएफ को बढ़ाने के लिए पशुपालक भाई उन्हें ब्याने से पहले और ब्याने के बाद सही मात्रा में हरा चारा और सूखा चारा दें। इसके अलावा पशुओं की साफ सफाई का भी ध्यान रखें और इन्हें रोग से बचाकर रखें। वह पशुपालक भाई जो दूध की गुणवत्ता बेहतर चाहते हैं, वे एक अच्छी नस्ल का पशु खरीदें।  पशुपालक भाई इस बात का खास ध्यान रखें कि एक अच्छी नस्ल ही बेहतर दूध उत्पादन क्षमता रखती है। इसलिए अगर आप डेयरी उद्योग के लिए एक गाय या भैंस खरीद रहे हैं तो उसकी नस्ल का चुनाव सोच समझकर करें।  

इन सभी बातों के अलावा एक पशुपालक को यह ध्यान रखना चाहिए कि पशु को अधिक इंजेक्शन या खराब खाद्य सामग्री कभी न दें। ऐसा करने पर न केवल पशु की दूध देने की क्षमता प्रभावित होती है। बल्कि कई बार पशु के द्वारा दिया गया दूध भी दूषित हो जाता है। इसके साथ ही पशु के व्यवहार पर भी नजर बनाकर रखें।

Animall ऐप करें डाउनलोड

किसान और पशुपालक भाई इस लेख के माध्यम से समझ गए होंगे कि एसएनएफ बढ़ाने का सही और गलत तरीका क्या है। अगर आपको अब भी एसएनएफ से संबंधित किसी तरह की जानकारी हासिल करनी है तो आप हमारी ऐप पर जुड़ सकते हैं। ऐप पर आप न केवल एसएनएफ से जुड़ी जानकारी हासिल कर पाएंगे। बल्कि ऐप के माध्यम से गाय और भैंस खरीद और बेच भी पाएंगे। यानी आप इस ऐप का इस्तेमाल हर तरह से कर सकते हैं। चाहे आपको गाय या भैंस बेचनी हो या खरीदनी हो। इसके अलावा अगर आपका पशु बीमार है तो आप  Animall App पर डॉक्टर से मदद भी मांग सकते हैं। अगर आप एक पशुपालक हैं तो आप इसे आसानी से प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं या फिर आप ऐप डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए विकल्प पर क्लिक करें

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अगर बार-बार आपकी गाय लात मारती है तो क्या करना चाहिए!

गाय और भैंस का पालन करने वाले पशुपालकों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इनमें से सबसे मुख्य एक समस्या है कि गाय और भैंस का दूध दोहते समय उनका लात मारना। पशु के इस व्यवहार के चलते कई बार दूध की पूरी बाल्टी ही गिर जाती है और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है। यही नहीं कई बार पशु के लात मारने पर पशुपालक भी उन्हें मारने पीटने लगते हैं। तो अब जानिए कि अगर आपकी गाय लात मारती है तो क्या करना चाहिए।

जिसकी वजह से पशु अधिक चिड़चिड़ा हो जाता है और दूध भी कम देने लगता है। गाय भैंस की इसी समस्या का कारण और समाधान हम अपने इस लेख में लेकर आए हैं। अगर आपकी गाय या भैंस दूध निकालते समय लात मारती है तो आप उसे कई तरह से काबू में कर सकते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं आखिर क्यों गाय या भैंस दूध दुहते समय लात मारती है और कैसे उन्हें काबू में करें। 

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गाय या भैंस के लात मारने की वजह 

एक पशुपालक को यह समझना बहुत जरूरी है कि गाय या भैंस दूध दुहते समय कुछ कारणों की वजह से लात मार सकती है। इनमें से कुछ हम आपको नीचे बता रहे हैं। 

  1. गाय अगर लंबे समय बाद हीट में आई हो या गर्भाधान किया गया हो तो गाय चिड़चिड़ी हो जाती है और लात मारने लगती। 
  2. गाय को अगर किसी तरह का रोग हो जाए या उसके थनों में दर्द हो तो भी वह लात मारने लगती है। 
  3. ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि पशु किसी विशेष व्यक्ति से चिड़ता है। जिसकी वजह से वह उसे दूध दुहने नहीं देता और बार – बार लात मारने लगता है। 
  4. गर्भधारण करने के दौरान पशु के शरीर में कई बदलाव आते हैं। जिसकी  वजह से पशु दूध दुहते समय लात मारने लगता है। 
  5. अगर पशु को सही तरह से चारा न दिया जा रहा हो और वह शारीरिक रूप से कमजोर हो जाए तो भी वह दूध दुहते समय लात मार सकता है। 
  6. अगर गाय या भैंस की तबीयत खराब हो या वह किसी पीड़ा में हों तो भी वह बार – बार लात मार सकते हैं। 

गाय लात मारती है तो क्या करना चाहिए

गाय या भैंस दूध देते समय कई कारणों के चलते लात मार सकते हैं। पशुपालकों को ऐसे में सब्र और समझदारी से काम लेना चाहिए। अगर पशुपालक ऐसे में किसी तरह की जोर जबरदस्ती करें या पशु के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं तो इससे पशु अधिक गुस्से में या तनाव में आ जाता है और उसके दूध देने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। इसलिए पशु को बहुत प्यार से और तरीके से काबू में करना चाहिए। ऐसे ही कुछ तरीके हम आपको बताते हैं जो दूध दुहते समय आप आजमा सकते हैं। लेकिन इन उपाय को आजमाते हुए पशुपालक को यह समझना होगा कि पशु लात मार क्यों रहा है। 

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गाय न मारे लात इसके उपाय

  • अगर पशु किसी विशेष व्यक्ति से चिड़ा हुआ है तो बेहतर है कि पशु का दूध कोई दूसरा व्यक्ति निकाले। लेकिन अगर कोई दूसरा व्यक्ति मौजूद नहीं है तो ऐसे में पशुपालक उसके आगे के एक पैर को मोड़ कर बांध दे और फिर दूध निकाले। ऐसा करने से पशु लात नहीं मार पाएगा। लेकिन ध्यान रहे कि इससे पशु अधिक चिड़चिड़ा हो सकता है। इसलिए किसी भी सूरत में यह आखिरी उपाय है जो आपको करना है। 
  • अगर पशु दूध दुहते समय लात मारता है तो बेहतर है कि आप उसे खाने में दाना डालना शुरू करें। जब भी दूध निकालना हो तो पशु को दाना खाने को दें। ऐसा करने से पशु का पूरा ध्यान दाना खाने में लगा रहेगा और वह खुशी – खुशी दूध दे देगा। 
  • गाय या भैंस को दूध निकालते समय अगर उनकी मनपसंद चीज या चारा खाने में दिया जाए, तो इससे वह दूध निकालते समय लात नहीं मारते। 
  • गाय या भैंस शारीरिक रूप से कमजोर है तो उसे अधिक मात्रा में चारा दें। ताकि वह कमजोरी का शिकार न रहे। 
  • अगर पशु को गर्मी में रखा गया है तो इसकी वजह से भी वह लात मार सकती है। इसलिए पशु के आस पास कूलर या पंखे का इंतजाम करें।  
  • पशु अपनी चोट या दर्द बता नहीं सकता। ऐसे में अगर कोई उपाय काम नहीं कर रहा है तो आप इस सूरत में चिकित्सक की मदद लें, हो सकता है किसी दर्द या रोग के चलते वह ऐसा कर रहा हो। 

आप इसी तरह की जानकारी हमारी Animall App के जरिए भी पढ़ सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो पशु खरीदने और बेचने के लिए भी Animall App का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐप को डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें और अपनी पसंद का पशु खरीदें।

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जानें गाय भैंस को ठंड में होने वाले रोग के बारे में और उनसे बचाव के तरीके!

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सर्दियों के मौसम का लुत्फ इंसान तो लेते हैं। लेकिन यह मौसम पशुओं के लिए बहुत खतरनाक होता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इस दौरान गाय भैंस को कई खतरनाक बीमारियां लग जाती हैं। यह बीमारियां इतनी खतरनाक होती है कि जिसकी वजह से पशुओं की जान तक चली जाती है। जिसके चलते पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी होता है। 

इसलिए पशुपालकों के लिए जरूरी है कि वह सर्दियों के मौसम में होने वाली बीमारियों से पशुओं को बचाकर रखें। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि ऐसे कौन से रोग हैं जो  गाय भैंस को सर्दियों के दौरान लग सकते हैं। इसके अलावा किस तरह इन रोगों से पशुओं को बचाया जा सकता है। 

दुधारू पशुओं के 10 प्रमुख रोग और उनके उपचार

अफारा रोग 

पशुओं को होने वाला यह रोग पशुपालकों की लापरवाही का नतीजा है। आमतौर पर पशुपालक गाय या भैंस को सर्दियों के दौरान अधिक हरा चारा या बचा हुआ और खराब खाना दे देते हैं। जिसके चलते उन्हें अफारा रोग हो जाता है। आपको बता दें कि इस रोग की स्थिति में पशु के पेट में गैस बन जाती है। जिसकी वजह से पशु खासा परेशान रहता है और चिड़चिड़ा हो जाता है। यही नहीं इसकी वजह से पशु की दूध उत्पादन क्षमता भी कम हो जाती है।  

पशुपालक भाई अपने पशु को इस रोग से बचाए रखने के लिए घर का बचा हुआ खाना कम मात्रा में या कभी – कभी ही दें। इसके अलावा हरे चारे के साथ सर्दियों के दौरान गाय भैंस को गुड़ भी खिलाएं। अगर पशुपालक इन छोटी बातों को ध्यान में रखते हैं तो वह पशु को अफारा रोग से बचा पाएंगे।  

निमोनिया रोग

किसान अक्सर कई बार शेड का निर्माण कुछ इस तरह करा देते हैं, जिसमें हवा की आवा जाही सही प्रकार नहीं हो पाती। इसके अलावा शेड में मौजूद गंदगी या धूल मिट्टी के चलते पशु इस रोग से पीड़ित हो जाता है। इस रोग के दौरान पशु की आंख और नाक से पानी गिरने लगता है।

किसान भाई पशु को निमोनिया के रोग से बचाए रखने के लिए उन्हें एक साफ वातावरण में रखे। इसके अलावा पशु के शेड का निर्माण ही तरह से कराएं। ताकि शेड को साफ भी आसानी से किया जा सके और हवा की आवा जाही भी बाधित न हो। 

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ठंड लगना 

सर्दियों के दौरान अगर पशु को बाहर रखा जाए या उसके ऊपर शेड मौजूद न हो तो ऐसे में उसके शरीर पर ओस गिरती रहती है। जिसकी वजह से पशु बीमार पड़ जाता है और उसका नाक बंद हो जाता है। जिसकी वजह से पशु को सांस लेने में भी खासी दिक्कत होने लगती है। 

पशु को ठंड से बचाए रखने के लिए उन्हें एक अच्छे शेड में रखें। जहां वह सूखे रह सकते हैं। इसके अलावा पशु को ठंड लग जाने की स्थिति में उन्हें भांप दिलाएं। भाप दिलाने के लिए सबसे पहले एक बाल्टी में खौलता हुआ पानी लें और उसके ऊपर घास रख लें। अब पशु के नाक पर एक भारी कपड़ा रखें ताकि पानी से उठता हुई भांप उसके नाक को खोल सके। ऐसा करके आप अपने पशु को सर्दियों में होने वाली बीमारियों से बचा सकते हैं। 

किसान भाइयों को अगर हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई हो, तो इसे अपने साथियों के साथ जरूर शेयर करें। आपको बता दें कि हमारे द्वारा Animall App भी बनाई गई है। आप इस ऐप से पशु खरीद और बेच तो सकते ही हैं। इसके अलावा आप पशुओं के डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं। हमारी ऐप डाउनलोड करने के लिए या तो प्ले स्टोर पर जा सकते हैं या फिर इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। 

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