जानें सुरती भैंस के बारे में सारी जानकारी!

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आज के समय में किसान पशुपालन के जरिये अच्छी कमाई कर पा रहे हैं। भारत में काफी बड़े पैमाने पर पशुपालन का काम किया जा रहा है। भारत पशुपालन के क्षेत्र में पूरी दुनिया में दुसरे स्थान पर आता है। वहीं जब बात दूध उत्पादन और दुधारू पशुओं के पालन की होती है, तो उसमें भैंस को काफी बेहतर माना जाता है। आज हम आपको इस लेख में भैंस की विशेष नस्ल के बारे में बताएंगे, जो काफी ज्यादा मात्रा में दूध का उत्पादन करती हैं। इस नस्ल का नाम है सूरती

सूरती नस्ल आमतौर पर गुजरात में पाई जाती है। ये भूरे और काले रंग की होती है। वहीं अगर वजन की बात करें तो सुरती भैंस आमतौर पर लगभग 400 किलोग्राम की होती है। इस नस्ल के सबसे अच्छे पशु गुजरात के आणंद, बड़ौदा और कैरा में पाए जाते हैं। सुरती को चारोटारी, दक्कनी, गुजराती, नडियादी और तालाबड़ा के नाम से भी जाना जाता है।

सुरती भैंस की पहचान

सुरती के कोट का रंग रस्टी ब्राउन से सिल्वर-ग्रे तक होता है। और इसकी त्वचा काली या भूरी होती है। इसके शरीर पर सफेद धब्बे होते हैं। ये धब्बे माथे, पैर और पूंछ पर भी होते हैं। इसका शरीर अच्छी तरह से आकार और मध्यम आकार का होता है। सुरती का सिर लंबा होता है। इसके सींग मध्यम आकार के होते हैं और नुकीले होते हैं। सुरती की पूंछ काफी लंबी और पतली होती है। इसके कान ढंके हुए और सफेद बालों से घिरे हुए होते हैं। नस्ल की खासियत 2 सफेद कॉलर हैं, एक गोल जबड़े और दूसरा ब्रिस्केट पर। इसका वजन 400 किलोग्राम के आसपास होता है।

सुरती भैंस के दूध की जानकारी

आमतौर पर सुरती भैंस एक ब्यात में 900 से 1300 लीटर तक का दूध देती है। इसकी खासियत ये है कि सुरती बाकी भैंसों की तुलना में कम फीड लेती है। अगर बात करें इसके दूध में मौजूद फैट की तो वो 8 फीसदी से 12 फीसदी तक होता है। इसका दूध काफी अच्छी गुणवत्ता का होता है।

सुरती भैंस के स्तनपान की अवधि 290 दिनों तक की होती है। सुरती भैंस की पहली ब्यात लगभग 40 महीने से 55 महीनों तक होती है। 

सुरती भैंस की देखरेख कैसे करें

सुरती भैंस को चारे में क्या दें

इस नसल की भैंसों को जरूरत के अनुसार ही खुराक दें। वहीं फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें। ताकि अफारा या बदहजमी की शिकायत ना हो। 

एक सुरती भैंस को आवश्यक खुराकी तत्व में उर्जा, प्रोटीन, कैलशियम, फासफोरस, विटामिन ए की जरूरत होती है। उसे दाने के रूप में मक्की, गेहूं, जौं, जई, बाजरा दे सकते हैं। इसके अलावा गेहूं का चोकर, चावलों की पॉलिश, बिना तेल के चावलों की पॉलिश दे सकते हैं।

शेड की आवश्यकता:

भैंस के बेहतर प्रदर्शन के लिए अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। भैंस को भारी वर्षा, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड से बचाने के लिए शेड जरूरी है। ध्यान रखें की शेड में साफ हवा और पानी रहे। इसके अलावा आसानी से चारा खाने के लिए जगह खुली होनी चाहिये। 

गर्भवती जानवरों की देखभाल:

अच्छे प्रबंधन के अभ्यास से अच्छे बछड़े पैदा होंगे और दूध का उत्पादन भी बेहतर होगा। इसके अलावा गर्भवती भैंस को 1 किलो अधिक चारा दें क्योंकि वो भी शारीरिक रूप से बढ़ रही हैं।

कटड़ों की देखभाल और प्रबंधन:

जन्म के बाद नाक या मुंह से कफ को तुरंत हटा दें। अगर बछड़ा सांस नहीं ले पा रहा है, तो उसे बनावटी सांस दे।

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सुरती भैंस को होने वाली आम बीमारियां और उनका इलाज

बदहजमी: भैंस को बदहजमी होने की स्थिति बेहद आम बात होती है, लेकिन इसमें ध्यान देना जरूरी होता है। जब भी आपकी बैंस को बदहजमी हो जाए तो उसे जल्दी पचने वाली खुराक दें।

भैंसों का गल-घोटू रोग

गल-घोटू रोग भैंसों में होने वाली एक जानलेवा बीमारी है, जो ज्यादातर 6 महीने से लेकर 2 साल के पशु को होती है। गल घोटू रोग का कारण पासचुरेला मलटूसिडा नामक जीवाणु होता है, जो पशु के टांसिल में होता है। इसके अलावा ज्यादा काम का बोझ, खराब पोषण, गर्मी और अन्य बीमारियां जैसे कि खुरपका-मुंहपका रोग होते हैं। ज्यादातर ये बीमारी बारिश के मौसम में होती है।

गल-घोटू के लक्षण

  •   बुखार होना
  •   मुंह से लार टपकना
  •   आंख और नाक से पानी निकलना
  •   भूख न लगना
  •   पेट दर्द होना और दस्त होना आदि

रोकथाम

  •   गर्मियों के मौसम में पशुओं को इक्ट्ठे और तंग जगह पर ना बांधे।
  •   बीमार पशुओं को बाकी पशुओं से अलग रखें।
  •   मॉनसून आने से पहले ही टीकाकरण करवाएं। पशुओं के पहले टीका 6 महीने की उम्र में और फिर हर साल जरूरी करवाएं।
  •   लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स)

इस बीमारी में सुरती भैंस को काफी तेज बुखार होता है। ये बीमारी आमतौर पर कीटाणु और दूषित पानी या फिर खराब खुराक की वजह से होती है। ये बीमारी अचानक होती है या कुछ समय भी ले सकती है।

लक्षण:

  • इसमें जानवर का शरीर अकड़ जाता है
  • चारों टांगे बाहर को खींची जाती हैं।

रोकथाम: इसका कोई असरदायक इलाज नहीं है। हर साल इसके बचाव के लिए टीके लगवाये जाने चाहिए।

Animall पर कैसे खरीदें भैंस

आप अगर अपने घर बैठे ही भैंस खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अब मार्केट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे क्योंकि ये तुरंत Animall की ऐप से आप कर सकते हैं। सबसे पहले आप प्ले स्टोर से Animall ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। अपने एंड्रॉयड स्मार्ट फोन में ये ऐप डाउनलोड करने के लिए आप प्ले स्टोर पर जाएं, या नीचे दिए गए विकल्प  पर क्लिक करें। Click Here

       

  1. ऐप डाउनलोड होने के बाद आप अपना मोबाइल नंबर इसमें डालें और फिर अपनी जगह का चुनाव करें।
  2. अब आप अपनी मर्जी के मुताबिक ऐप की भाषा को चुन सकते हैं।
  3. इसके बाद आप ऐप को पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं। यहां पर आपके सामने पशु खरीदने या बेचने का विकल्प आ जाएगा।
  4. अगर आपको भैंस खरीदनी है तो आपको भैंस के विकल्प का चुनाव करना होगा।
  5. जो भी भैंस बिकाऊ होगी, यहां पर आपको उनकी पूरी सूची दिख जाएगी।
  6. इसके बाद आपको पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प दिखाई देंगे। आप अपनी जरूरत के हिसाब से पशु की सूची हासिल कर सकते हैं।
  7. इस सूची के आधार पर आप अपनी भैंस का चुनाव कर सकते हैं और सीधा बेचने वाले व्यक्ति से बात कर सकते हैं।
  8. आप बेचने वाले व्यक्ति से मोल भाव भी कर सकते हैं और भैंस से जुड़ी अन्य जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं।

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ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. अगर आप भैंस को बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आप ऐप के ठीक नीचे देखें। वहां बीचों बीच आपको पशु बेचने का विकल्प दिखाई दे जाएगा।
  2. यहां पर क्लिक करने के बाद आपको पशु से जुड़ी सारी जानकारी देनी होगी। जैसे की भैंस की ब्यात, नस्ल, कीमत, दूध देने की क्षमता, भैंस की फोटो अपलोड करना।
  3. इसके बाद आपका पशु Animall ऐप पर लिस्ट हो जाता है, और जो भी खरीदार आपका पशु लेने में रुचि लेगा, वो आपसे सीधा संपर्क कर सकेगा।

Animall ऐप पर जहां आप पशु आसानी से बेच या खरीद सकते हैं तो वहीं पर आप पशु से जुड़ी सारी जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। अगर आपका पशु बीमार भी हो जाता है, तो उसके लिए हमारे डॉक्टर आपकी पूरी मदद करेंगे।