दुधारू पशुओं को कितना आहार देना चाहिए?

feature-image

दूधारू पशुओं में क्षमता अनुसार दूध प्राप्त करने के लिए लगभग 40-50 कि.ग्रा. हरे चारे एवम 2.5 कि.ग्रा. दाने की प्रति किलोग्राम दूध उत्पादन पर आवश्यकता होती है।

… और पढ़ें arrow

गाय व भैंसों के लिए सन्तुलित आहार कैसी होनी चहिये?

feature-image

वैज्ञानिक दृष्टि से दुधारू पशुओं के शरीर के भार के अनुसार उसकी आवश्यकताओं जसे जीवन निर्वाह, विकास तथा उत्पादन आदि के लिए भोजन के विभिन्न तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट्स, वसा, खनिज,विटामिन तथा पानी की आवश्यकता होती है|पशु को 24 घण्टों में खिलाया जाने वाला आहार (दाना व चारा) जिसमें उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतू भोज्य तत्व मौजूद हों, पशु आहार कहते है| जिस आहार में पशु के सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित अपुपात तथा मात्रा में उपलब्ध हों, उसे संतुलित आहार कहते हैं|
पशुओं में आहार की मात्रा उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन की अवस्था पर निर्भर करती है| पशु को कुल आहार का 2/3 भाग मोटे चारे से तथा 1/3 भग दाने के मिश्रण द्वारा मिलाना चाहिए| मोटे चारे में दलहनी तथा गैर दलहनी चारे का मिश्रण दिया जा सकता है| दलहनी चारे की मात्रा आहार में बढने से काफी हद तक दाने की मात्रा को कम किया जा सकता है|
वैसे तो पशु के आहार की मात्रा का निर्धारण उसके शरीर की आवश्यकता व कार्य के अनुरूप तथा उपलब्ध भोज्य पदार्थों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के आधार पर गणना करके किया जाता है लेकिन पशुपालकों को गणना कार्य की कठिनाई से बचाने के लिए थम्ब रुल को अपनाना अधिक सुविधा जंक है| इसके अनुसार हम मोटे तौर पर व्यस्क दुधारू पशु के आहार को तीन वर्गों में बांट सकते है|1.जीवन निर्वाह के लिए आहार 2.उत्पादन के लिए आहार तथा 3.गर्भवस्था के लिए आहार|

1.जीवन निर्वाह के लिए आहार:-

यह आहार की वह मात्रा है जिसे पशु को अपने शरीर को स्वत रखने के लिए दिया जाता है| इसे पशु अपने शरीर के तापमान को उचिर सीमा में बनाए रखने, शरीर की आवश्यक क्रियायें जैसे पाचन क्रिया ,रक्त परिवाहन,श्वसन, उत्सर्जन, चयापचय आदि के लिए काम में लाता है| इससे उसके शरीर का बजन भी एक सीमा में स्थिर बना रहता है|चाहे पशु उत्पादन में हो या न हो इस आहार को उसे देना ही पड़ता है इसके आभाव में पशु कमज़ोर होने लगता है जिसका असर उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन क्षमता पर पड़ता है|इस में देसी गाय (ज़ेबू) के लिए तूड़ी अथवा सूखे घास की मात्रा 4 किलो तथा संकर गाय, शुद्ध नस्ल के लिए यह मात्रा4 से 6 किलो तक होती है| इसके साथ पशु को दाने का मिश्रण भी दिया जाता है जिसकी मात्रा स्थानीय देसी गाय (ज़ेबू) के लिए 1 से 1.25 किलो तथा संकर गाय, शुद्ध नस्क की देशी गाय याँ भैंस के लिए इसकी मात्रा 2.0 किलो रखी जाती है|
इस विधि द्वारा पशु को खिलने के लिए दाने का मिश्रण उचित अवयवों को ठीक अनुपात में मिलाकर बना होना आवश्यक है| इसके लिए स्व्स्म निम्नलिखित घटकों को दिए हुए अनुपात में मिलाकर सन्तोषजनक पशु दाना बना सकते हैं|

खलियां (मूंगफली,सरसों ,तिल,बनौला, आलसी आदि की खलें)
25-35 प्रतिशत

मोटे अनाज
(गेहूं, जौ, मक्की, जार आदि)
25-35 प्रतिशत

अनाज के बाईप्रोडक्ट्स
(चोकर,चून्नी,चावल की फक आदि )
10-30 प्रतिशत

खनिज मिश्रण
1 प्रतिशत

आयोडीन युक्त नमक
2 प्रतिशत

विटामिन्स ए,डी.-3 का मिश्रण
20-30 ग्रा.प्रति 100 किलो

2.उत्पादन के लिए आहार:-

उत्पादन आहार पशु की वह मात्रा है जिसे कि पशु को जीवन निर्वाह के लिए दिए जाने वाले आहार के अतिरिक्त उसके दूध उत्पादन के लिए दिया जाता है| इसमें स्थानीय गाय (ज़ेबू) के लिए प्रति 2.5 किलो दूध के उत्पादन के लिए जीवन निर्वाह आहार के अतिरिक्त 1 किलो दाना देना चाहिए जबकि संकर/देशी दुधारू गायों/भैंसों के लिए यह मात्रा प्रति 2 कोलो दूध के लिए दी जाती है| यदि हर चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तो हर 10 किलो अच्छे किस्म के हरे चारे को देकर 1 किलो दाना कम किया जा सकता है| इससे पशु आहार की कीमत कुछ कम हो जाएगी और उत्पादन भी ठीक बना रहेगा| पशु को दुग्ध उत्पादन तथ आजीवन निर्वाह के लिए साफ पानी दिन में कम से कम तीन बार जरूर पिलाना चाहिए|

3.गर्भवस्था के लिए आहार:-

पशु की गर्भवस्था में उसे 5वें महीने से अतिरिक्त आहार दिया जाता है क्योंकि इस अवधि के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे की वृद्धि बहुत तेज़ी के साथ होने लगती है| अत: गर्भ में पल रहे बच्चे की उचित वृद्धि व विकास के लिए तथा गाय/भैंस के अगले ब्यांत में सही दुग्ध उत्पादन के लिए इस आहार का देना नितान्त आवश्यक है|इसमें स्थानीय गायों (ज़ेबू कैटल) के लिए1.25 किलो तथा संकर नस्ल की गायों व भैंसों के लिए 1.75 किलो अतिरिक्त दाना दिया जाना चाहिए| अधिक दूध देने वाले पशुओं को गर्भवस्था में 8वें माह से अथवा ब्याने के 6 सप्ताह पहले उनकी दुग्ध ग्रंथियों के पूर्ण विकास के लिए की इच्छानुसार दाने की मात्रा बढा देनी चाहिए| इस के लिए ज़ेबू नस्ल के पशुओं में 3 किलो तथा संकर गायों व भैंसों में 4-5 किलो दाने की मात्रा पशु की निर्वाह आवश्यकता के अतिरिक्त दिया जाना चाहिए|इससे पशु अगले ब्यांत में अपनी क्षमता के अनुसार अधिकतम दुग्धोत्पादन कर सकते हैं|

… और पढ़ें arrow

कृत्रिम गर्भाधान ( Artificial Insemination ) किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

feature-image

गर्मी के मध्य या अंतिम काल में कृत्रिम गर्भाधान करना से चाहिए।
पशुओं में अक्सर गर्मी सांयकाल 6 बजे से प्रातः 6 बजे 14, के मध्य आती है।
भैंस अधिकतर अगस्त से जनवरी तथा गाय अधिकतर जनवरी से अगस्त माह के मध्य गर्मी पर आती है वैसे उत्तम वैज्ञानिक ढंग से पालन पोषण से वर्ष भर में गर्मी में आ सकती है।
कृत्रिम गर्भाधान के तुरन्त उपरान्त पशुको मत दौड़ायें।
बच्चा देने के बाद से तीन माह के अन्दर पुनः गर्भित करायें।
कृत्रिम गर्भाधान के समय शांत वातावरण हो तथा पशु को तनाव मुक्त रखें।
कृत्रिम गर्भाधान करने के पहले व बाद में पशु को छाया में रखें।
पशु को सुबह व सायंकाल के वक्त ही गर्भधारण करवाएं।

… और पढ़ें arrow

जानिए क्या है, कृतिम गर्भाधान ( Artificial Insemination ) के लाभ

feature-image

किसान और पशुपालन करने वालों की आय को बढ़ाने के लिए हर तरफ से प्रयास किए जाते हैं। इसके लिए जहां सरकार योजनाएं चलाती हैं। वहीं दूसरी तरफ किसान और पशुपालकों को आय बढ़ाने के कई तरीके भी बताते हैं। ऐसे में एक पशुपालक जो दूध और उससे बने उत्पादों के जरिए आय अर्जित करते हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती आती है, पशु को गाभिन कराने की। 

पशुपालक गाय या भैंस को गाभिन कराने के लिए एक सांड या बैल को नहीं पाल सकता। इसी समस्या से राहत दिलाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान अपनाया जा रहा है। आज हम अपने इस लेख में पशुपालक भाइयों को कृत्रिम गर्भाधान के लाभ से जुड़ी जानकारी देने वाले हैं। अगर आप पशुपालन के कारोबार से जुड़े हुए व्यक्ति हैं तो यह लेख आपके बहुत काम आ सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है कृत्रिम गर्भाधान के लाभ। 

कृत्रिम गर्भाधान के लाभ जानिए 

किसान और पशुपालन से जुड़े लोग अक्सर पशु की दूध उत्पादन क्षमता को बेहतर करना चाहते हैं। लेकिन आस पास अच्छी नस्ल का सांड या बैल न मिलने की वजह से वह किसी भी पशु के जरिए अपनी गाय या भैंस को गाभिन करवा लेते हैं। जिसकी वजह से पशु की दूध उत्पादन क्षमता कम रह जाती है। ऐसी स्थिति  में कृत्रिम गर्भाधान के फायदे हो सकते हैं। कृत्रिम गर्भाधान से जुड़े कुछ लाभ की सूची हम आपको अपने इस लेख में नीचे बता रहे हैं। लाभ जानने के लिए लेख पर अंत तक बने रहें। 

  • एक बैल या सांड को पालने में पशुपालक की आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो सकता है। वहीं अगर किसी पशु को किराए पर भी लाकर गाय या भैंस को गाभिन कराया जाए, तो इसमें भी पशुपालक को अधिक धन खर्च करना पड़ता है। लेकिन वहीं कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया में पशुपालन करने वाले को बेहद कम पैसा ही खर्च करना पड़ता है। 
  • कृत्रिम गर्भाधान का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस प्रक्रिया के जरिए एक समय पर कई गाय या भैंस को गाभिन किया जा सकता है। 
  • कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया में उत्तम विदेशी नस्ल के पशु के वीर्य को उपयोग किया जा सकता है। वहीं अगर इस नस्ल के पशु को बुलवाया जाए तो इसमें अधिक पैसा खर्च होगा। 
  • कृत्रिम गर्भाधान के दौरान पशु के गाभिन होने की संभावना अधिक रहती है। 
  • अगर पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान का रास्ता अपनाते हैं तो इससे पशु के किसी रोग के संपर्क में आने की संभावना कम रहती है। 
  • कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया बेहद सुरक्षित होती है और इसे करने में भी कम ही समय लगता है। जबकि बैल या सांड के जरिए गर्भाधान कराने के समय अधिक वक्त की लग जाता है।
  • इस प्रक्रिया के जरिए उन नस्लों के पशुओं को बचाया जा सकता है जो विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं। 
  • पशु के वीर्य को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर उपयोग किया जा सकता है। 
  • यह प्रक्रिया अमूमन 100 से 150 रुपए में हो जाती है। जबकि बैल या सांड के जरिए पशु को गाभिन करवाने पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। 

किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी सूरत में कृत्रिम गर्भाधान केवल एक जानकार व्यक्ति से ही कराना चाहिए। अगर कृत्रिम गर्भाधान करने वाला व्यक्ति नौसिखिया हुआ तो इससे पशुपालक को नुकसान हो सकता है और पशु के भी किसी रोग से संक्रमित होने का खतरा बढ़ सकता है। 

आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो और आप इसी तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं तो आप हमारी ऐप भी डाउनलोड कर सकते हैं। हमारे द्वारा तैयार की गई Animall App का इस्तेमाल आप पशु खरीदने और बेचने के लिए भी कर सकते हैं। इसके अलावा पशुओं से जुड़ी किसी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं। ऐप को डाउनलोड करने के इस विकल्प का चुनाव करें। 

… और पढ़ें arrow

कृत्रिम गर्भाधान ( Artificial Insemination ) क्या है?

feature-image

कृत्रिम गर्भाधान ( Artificial Insemination ) का तात्पर्य मादा पशु को स्वाभाविक रूप से गर्भित करने के स्थान पर कृत्रिम विधि से गर्भित कराया जाना है। स्वच्छ और सुरक्षित रूप से कृत्रिम विधि से एकत्र नर पशु के वीर्य को इस प्रक्रिया में जननेंद्रिय अथवा प्रजनन मार्ग में प्रवेश कराकर मादा पशु को गर्भित किया जाता है।

वीर्य उत्पादन हेतु सांडो का चुनाव सांड की माता के दुग्ध उत्पादन तथा उस सांड से उत्पन्न बछिया के दुग्ध उत्पादन को देखकर किया जाता है। चुने हुए अच्छे नस्ल के सांड से कृत्रिम विधि द्वारा वीर्य एकत्रित किया जाता है।

कृत्रिम विधि से निकाले गए वीर्य को (dilute) कर सैकड़ों मादाओं को गाभिन किया जा सकता है। एकत्रित वीर्य को – 196 डिग्री सेंटीग्रेड पर तरल nitrogen में वर्षो तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है। भारत में दुग्ध उत्पादन बड़ाने में कृत्रिम गर्भाधान का खासा योगदान रहा है।

… और पढ़ें arrow