जानिए क्या है, कृतिम गर्भाधान ( Artificial Insemination ) के लाभ

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किसान और पशुपालन करने वालों की आय को बढ़ाने के लिए हर तरफ से प्रयास किए जाते हैं। इसके लिए जहां सरकार योजनाएं चलाती हैं। वहीं दूसरी तरफ किसान और पशुपालकों को आय बढ़ाने के कई तरीके भी बताते हैं। ऐसे में एक पशुपालक जो दूध और उससे बने उत्पादों के जरिए आय अर्जित करते हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती आती है, पशु को गाभिन कराने की। 

पशुपालक गाय या भैंस को गाभिन कराने के लिए एक सांड या बैल को नहीं पाल सकता। इसी समस्या से राहत दिलाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान अपनाया जा रहा है। आज हम अपने इस लेख में पशुपालक भाइयों को कृत्रिम गर्भाधान के लाभ से जुड़ी जानकारी देने वाले हैं। अगर आप पशुपालन के कारोबार से जुड़े हुए व्यक्ति हैं तो यह लेख आपके बहुत काम आ सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है कृत्रिम गर्भाधान के लाभ। 

कृत्रिम गर्भाधान के लाभ जानिए 

किसान और पशुपालन से जुड़े लोग अक्सर पशु की दूध उत्पादन क्षमता को बेहतर करना चाहते हैं। लेकिन आस पास अच्छी नस्ल का सांड या बैल न मिलने की वजह से वह किसी भी पशु के जरिए अपनी गाय या भैंस को गाभिन करवा लेते हैं। जिसकी वजह से पशु की दूध उत्पादन क्षमता कम रह जाती है। ऐसी स्थिति  में कृत्रिम गर्भाधान के फायदे हो सकते हैं। कृत्रिम गर्भाधान से जुड़े कुछ लाभ की सूची हम आपको अपने इस लेख में नीचे बता रहे हैं। लाभ जानने के लिए लेख पर अंत तक बने रहें। 

  • एक बैल या सांड को पालने में पशुपालक की आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो सकता है। वहीं अगर किसी पशु को किराए पर भी लाकर गाय या भैंस को गाभिन कराया जाए, तो इसमें भी पशुपालक को अधिक धन खर्च करना पड़ता है। लेकिन वहीं कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया में पशुपालन करने वाले को बेहद कम पैसा ही खर्च करना पड़ता है। 
  • कृत्रिम गर्भाधान का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस प्रक्रिया के जरिए एक समय पर कई गाय या भैंस को गाभिन किया जा सकता है। 
  • कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया में उत्तम विदेशी नस्ल के पशु के वीर्य को उपयोग किया जा सकता है। वहीं अगर इस नस्ल के पशु को बुलवाया जाए तो इसमें अधिक पैसा खर्च होगा। 
  • कृत्रिम गर्भाधान के दौरान पशु के गाभिन होने की संभावना अधिक रहती है। 
  • अगर पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान का रास्ता अपनाते हैं तो इससे पशु के किसी रोग के संपर्क में आने की संभावना कम रहती है। 
  • कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया बेहद सुरक्षित होती है और इसे करने में भी कम ही समय लगता है। जबकि बैल या सांड के जरिए गर्भाधान कराने के समय अधिक वक्त की लग जाता है।
  • इस प्रक्रिया के जरिए उन नस्लों के पशुओं को बचाया जा सकता है जो विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं। 
  • पशु के वीर्य को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर उपयोग किया जा सकता है। 
  • यह प्रक्रिया अमूमन 100 से 150 रुपए में हो जाती है। जबकि बैल या सांड के जरिए पशु को गाभिन करवाने पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। 

किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी सूरत में कृत्रिम गर्भाधान केवल एक जानकार व्यक्ति से ही कराना चाहिए। अगर कृत्रिम गर्भाधान करने वाला व्यक्ति नौसिखिया हुआ तो इससे पशुपालक को नुकसान हो सकता है और पशु के भी किसी रोग से संक्रमित होने का खतरा बढ़ सकता है। 

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