मिल्क फीवर को कैसे पहचान सकते है?

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इस रोग के लक्षण ब्याने के 1-3 दिन तक प्रकट होते है। पशु को बेचैनी रहती है। मांसपेशियों में कमजोरी आ जाने के कारण पशु चल फिर नही सकता पिछले पैरों में अकड़न और आंशिक लकवा की स्थिती में पशु गिर जाता है।
उस के बाद गर्दन को एक तरफ पीछे की ओर मोड़ कर बैठा रहता है। शरीर का तापमान कम हो जाता है।

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जानिए क्या हैं दूध निकालने वाली मशीन के फायदे

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तकनीक के इस युग ने न केवल इंसान के काम को आसान बना दिया है। बल्कि यही तकनीक लोगों का बहुत सा कीमती समय भी बचा रही  है। इसके अलावा उत्पादकता बढ़ाने में भी तकनीक का एक अहम योगदान है। आज तकनीक का उपयोग देश के हर हिस्से अलग – अलग स्तर पर किया जा रहा है। आज ऐसी ही तकनीक के कुछ फायदे हम आपको बताने वाले हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं दूध निकालने वाली मशीन के बारे में।

आज देश के बड़े – बड़े हिस्सों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक दूध दुहने की मशीन पहुंच चुकी है। लेकिन फिर भी कुछ लोग दूध दुहने की इस मशीन का उपयोग करने से कतराते हैं। आज हम ऐसे ही लोगों के लिए यह लेख लेकर आए हैं। हमारे इस लेख में हम आपको दूध दुहने की मशीन के फायदे क्या हो सकते हैं। यह बताने वाले हैं। दूध दुहने की मशीन के फायदे जानने के लिए हमारे लेख पर अंत तक बने रहें। 

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मशीन के जरिए दूध निकालने के फायदे 

पशुपालन के जरिए आय अर्जित करने वाले ज्यादातर लोग कई तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं। पशुपालकों की इन्हीं चुनौतियों को कम करने और उनकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कई तरह की मशीन या तकनीक आती रहती है। ऐसी ही एक मशीन दूध दुहने के लिए भी आई है। इस मशीन का उपयोग करने वाले बहुत ही कम लोग है। इसलिए इस मशीन के जरिए क्या फायदे हो सकते हैं, यह भी लोग नहीं जानते। इसलिए हम आपको बताते हैं कि दूध दुहने की मशीन के फायदे क्या हैं।

  • दूध निकालने की इस मशीन का उपयोग कई पशुओं पर किया जा सकता है। यानी कि अगर आप एक बड़ी डेयरी के मालिक हैं तो आपको इसके लिए अधिक लोग रखने की जरूरत नहीं होगी। यह मशीन आसानी से कुछ ही देर में कई पशुओं का दूध निकाल पाएगी। 
  • यह मशीन एक वैक्यूम तकनीक के जरिए ही काम करती है। इसके लिए किसी तरह की बिजली या ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता नहीं होती। 
  • मशीन चलाने में जितनी सरल है उससे कहीं ज्यादा आसान है इस मशीन को साफ करना। यानी आपको मशीन की साफ सफाई में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। 
  • इस मशीन के जरिए निकाला गया दूध अधिक शुद्ध और साफ रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मशीन का एक सिरा जहाँ थनों पर लगा होता है। वहीं इसका दूसरा सिरा एक मुंह बंद कंटेनर में होता है। जिससे दूध में कुछ भी गिरने की संभावना कम हो जाती है। 
  • इस मशीन के जरिए दूध दुहने से दूध की मात्रा 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि दूध निकालने के लिए वैक्यूम तकनीक का उपयोग किया जाता है। जिसकी वजह से थनों से पूरा दूध आसानी से निकल जाता है। 
  • मशीन के जरिए दूध निकालना इसलिए भी फायदेमंद है क्योंकि इस तकनीक के जरिए एक मिनट में 1.5 से 2.0 लीटर तक दूध निकाला जा सकता है। 
  • दूध में बाहरी कण नहीं गिरते जिसकी वजह से दूध अधिक साफ और शुद्ध होता है। 

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आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे। अगर आप इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करना चाहते हैं, तो आप हमारी एनिमॉल ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप के माध्यम से पशुओं को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया भी आसान हो जाती है। इसके अलावा पशु चिकित्सक से भी सहायता ली जा सकती है। हमारी Animall App को डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

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संक्रामक रोगों की रोकथाम के क्या उपाय हैं?

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संक्रामक रोगों के रोकथाम के लिये उचित आयु एवं उचित अंतराल पर टीकाकरण करना चाहिये।

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बारिश के दौरान पशुओं में होने वाले रोग और बचाव के तरीके

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किसान और पशुपालन से जुड़े हुए लोगों के जीवन से जुड़ी कई समस्याओं को समाप्त करने की कोशिश हम कर चुके हैं। आज हम फिर से इसी ओर एक कदम बढ़ाने जा रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि पशुपालन से जुड़े हुए लोगों की आय का एक बड़ा हिस्सा पशुओं की देखरेख में चला जाता है। लेकिन पशुपालक भाई अपनी कमाई के एक मोटे हिस्से को बचा भी सकते हैं। पर जरूरी है कि वह इसके लिए कुछ सावधानी बरतें। 

दरअसल पशुओं में सबसे अधिक रोग या बीमारियां बारिश के मौसम के दौरान ही देखने को मिलती है। ऐसे में अगर पशुपालन से जुड़े लोग बारिश के मौसम के दौरान पशुओं की देखरेख सही तरह से करें तो वह अपनी मेहनत की कमाई को बचा भी सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं आखिर वह कौन से रोग हैं जो पशुओं में बारिश के दौरान होते हैं और पशुओं को कैसे इन बीमारियों से बचाया जा सकता है। 

बारिश के दौरान होने वाले रोग 

किसान भाइयों को यह बात समझनी होगी कि बारिश के मौसम के दौरान कई तरह के जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं और यह परजीवी पशुओं को रोग से संक्रमित कर देते हैं। चलिए जानते हैं बारिश के दौरान पशुओं को कौन – कौन सी बीमारियां हो सकती है। 

गलघोंटू 

पशुओं में बारिश के दौरान गलघोंटू नामक रोग पैदा हो सकता है। आपको बता दें कि यह रोग Multocida नामक जीव के कारण होता है। इस रोग का यह जीव बारिश के दिनों में पशुओं को अपनी चपेट में ले लेता है। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान पशु के शरीर का तापमान बहुत तेजी से बढ़ने लगता है, आंखें लाल हो जाती है और दोनों टांगों के बीच सूजन पैदा हो जाती है।

लंगड़ा बुखार

लंगड़ा बुखार या ब्लैक क्वार्टर यह एक बेहद संक्रामक और खतरनाक रोग है जो बारिश में मिट्टी के अंदर पैदा होता है। इस रोग का खतरा उन पशुओं को अधिक रहता है जिनके शेड का फर्श मिट्टी वाला होता है। गीली मिट्टी में इस रोग का जीवाणु बीजाणु पैदा करता है और सालों तक मिट्टी में रहता है और दशकों तक पशुओं को संक्रमित करता रहता है। 

खुरपका और मुंहपका रोग 

यह रोग भी बारिश के दिनों में पशुओं को अधिक परेशान करता है। इस रोग के दौरान पशु के मुंह और जीभ के आस पास छाले पड़ने लगते हैं। यूं तो इस रोग का उपचार संभव है। लेकिन इसमें पशुपालक का पैसा अधिक खर्च हो सकता है। इसलिए बारिश के दौरान पशुओं का ध्यान अधिक रखें। 

दस्त 

बारिश के मौसम के दौरान पशुओं की स्थिति बिगड़ने का खतरा अधिक रहता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इस मौसम में पशुआहार में भी कीड़े या जीवाणु मिल जाते हैं। यह जीव पशु का पेट खराब कर देते हैं। जिसकी वजह से पशुओं को दस्त हो सकते हैं। 

बारिश में पशुओं को रोग से बचाने का तरीका

किसान भाइयों को बारिश के दौरान इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि पशुओं को गीली मिट्टी पर न रहने दें। इसके अलावा उनके आस पास अधिक सफाई बनाकर रखें और पशुशाला गीली न रहे। इसके अलावा बारिश से पहले पशुओं को रोग से बचाने वाले टीके जरूर लगवाएं। 

हमें उम्मीद है कि पशुपालकों को यह लेख पसंद आया होगा। अब अगर पशुपालक भाई पशुओं को इस तरह के रोग से बचाना चाहते हैं तो जरूरी इंतजाम करके रखें। इसके अलावा अगर पशुपालक भाई इस तरह की जानकारी पढ़ते रहना चाहते हैं तो हमारी एनिमॉल ऐप को डाउनलोड कर लें। ऐप के जरिए पशु बेचने और खरीदने का काम भी किया जा सकता है। इसके साथ ही पशु चिकित्सक से भी सहायता ली जा सकती है। 

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