वह विधि जिसके द्वारा हरे चारे अपने रसीली अवस्था में ही सिरक्षित रूप में रखा हुआ मुलायम हर चारा होता है जो पशुओं को ऐसे समय खिलाया जाता है जबकि हरे चने का पूर्णतया आभाव होता है। साईलेस के लाभ :
• साईलेस सूखे चारे कि अपेक्षा कम जगह घेरता है।
• इसे पौष्टिक अवस्था में अधिक समय तक रखा जा सकता है।
• साईलेस से कम खर्च पर उच्च कोटि का हरा चारा प्राप्त होता है।
• जड़े के दिनों में तथा चरागाहों के अभाव में पशुओं को आवश्यकता अनुसार खिलाया जा सकता है।
विषय
खनिज लवण जहां पशुओं के शरीरिक क्रियाओं जिसे विकास, प्रजनन,भरण , पोषण के लिए जरूरी है वहीं प्रजनन एवं दूध उत्पादन में भी अति आवश्यक हैं। खनिज तत्वों का शरीर में उपयुक्त मात्रा में होना अत्त्यंत आवश्यक है क्योंकि इनका शरीर में असंतुलित मात्रा में होना शरीर कि विभिन्न अभिक्रियाओं पर दुष्प्रभाव डालता ही तथा उत्पादन क्षमता प्र सीधा असर डालता है।
जी हाँ, टीकाकरण पूर्णरूप से सुरक्षित हैं। टीकों के उत्पादन में पूर्ण सावधानी बरती जाती है। तथा इनकी क्षमता, गुणवत्ता एवं सुरक्षा सम्बंधी परीक्षण किये जाते है, तत्पश्चात ही इन्हें उपयोग हेतु भेजा जाता है। मद्धिम ज्वर अथवा टीकाकरणस्थान पर हल्की सूजन य्दाक्य हो जाति है जोकि स्वयै दिनों में नियंत्रित हो जाति है। किसी भी शंका समाधान के लिये पशुचिकित्सक से सलाह लेनी चाहिये।
टीकाकरण कार्यक्रम रोग के प्रकार , पशुओं कि प्रगति एवम् टिके के प्रकार पर निर्भर करता है। समान्यतः टीकाकरण 3 महीने की पर किया जाता हैं। व्यवहारिक तौर पर पशुपालकों को सलाह दी जाती है की टीकाकरण के लिये पशुचिकित्सक की सलाह लें।
संक्रामक रोगों के रोकथाम के लिये उचित आयु एवं उचित अंतराल पर टीकाकरण करना चाहिये।