नाबार्ड डेयरी सब्सिडी लोन क्या है ? कैसे मिलेगा?

योजना के उद्देश्य

  • स्व-रोजगार पैदा करना और डेयरी क्षेत्र के लिए सुविधाएं उपलब्ध करना
  • मिट्टी की उर्वरता और फसल की पैदावार में सुधार के लिए अच्छा स्रोत।
  • गोबर से गोबर गैस, घरेलू प्रयोजनों के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल, इंजन चलने के लिए, अच्छी तरह से पानी के लिए।
  • दूध के उत्पादन के लिए डेयरी फार्म की स्थापना को बढ़ावा देना।

डेयरी फार्मिंग नाबार्ड सब्सिडी योग्यता

  • किसान व्यक्तिगत उद्यमी और असंगठित और संगठित क्षेत्र का समूह हो।
  • एक आवेदक इस योजना के तहत  केवल एक बार सहायता का लाभ उठाने के पात्र होंगे।
  • इस तरह के दो फार्मों की सीमाओं के बीच की दूरी कम से कम 5oo मीटर होनी चाहिए।

दुग्ध उत्पाद बनाने के लिए उपकरण पर सब्सिडी

  • डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत दुग्ध उत्पाद (मिल्‍क प्रोडक्‍ट) बनाने की यूनिट शुरू करने के लिए भी सब्सिडी दी जाती है|
  • योजना के तहत आप दुग्ध उत्पाद की प्रोसेसिंग के लिए उपकरण खरीद सकते हैं|अगर आप इस तरह की मशीन खरीदते हैं और उसकी कीमत 13.20 लाख रुपये आती है तो आपको इस पर 25 फीसदी (3.30 लाख रुपये) की कैपिटल सब्सिडी मिल सकती है|अगर आप एससी/एसटी कैटेगरी से आते हैं तो आपको इसके लिए 4.40 लाख रुपये की सब्सिडी मिल सकती है|

मिल्‍क कोल्‍ड स्‍टोरेज भी बना सकते हैं

  •  आप डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत दूध और दूधे से बने उत्पाद के संरक्षण के लिए कोल्‍ड स्‍टोरेज यूनिट शुरू कर सकते हैं|
  • इस तरह का कोल्ड स्टोरेज बनाने में अगर आपकी लागत 33 लाख रुपये आती है तो इसके लिए सरकार सामान्‍य वर्ग के आवेदक को 8.25 लाख रुपये और एससी/एसटी वर्ग के लोगों को 11 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है|

 डेरी फार्मिंग योजनाएं

1.संकर गायों / साहीवाल, लाल सिंधी, गिर, राठी आदि जैसे स्वदेशी विवरण दुधारू गायों / श्रेणीबद्ध भैंस 10 पशुओं के लिए छोटे डेयरी इकाइयों को बढ़ने के साथ स्थापना।

निवेश: 10 जानवरों की यूनिट के लिए 5.00 लाख रुपये – न्यूनतम इकाई का आकार 2 और अधिकतम 10 जानवरों की सीमा के साथ है।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33 .33%,) के 25% से 10 जानवरों की एक यूनिट के लिए 1.25 लाख रुपये की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी विषय (अनुसूचित जाति के लिए 1.67 लाख रुपये / अनुसूचित जनजाति के किसानों,) । अधिकतम अनुमेय पूंजी सब्सिडी 25000 रुपये 2 पशु इकाई के लिए (अनुसूचित जाति के लिए 33,300 रुपये / अनुसूचित जनजाति के किसानों) है। सब्सिडी इकाई आकार के आधार पर एक यथानुपात आधार पर प्रतिबंधित किया जाएगा।

2.बछिया बछड़ों के पालन – 20 बछड़ों के लिए ऊपर – पार नस्ल, स्वदेशी मवेशियों और वर्गीकृत भैंसों दुधारू नस्लों का विवरण।

निवेश: 20 बछड़ा इकाई के लिए 4.80 लाख रुपये –  5 बछड़ों की न्यूनतम इकाई आकार और 20 बछड़ों की अधिकतम सीमा के साथ।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) की 25% 20 बछड़ों (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 1.60 लाख रुपये) की एक इकाई के लिए 1.20 लाख रुपये की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन। अधिकतम अनुमेय पूंजी सब्सिडी 30,000 रुपये 5 बछड़ा इकाई के लिए (अनुसूचित जाति के लिए 40,000 रुपये / अनुसूचित जनजाति के किसानों) है। सब्सिडी इकाई आकार के आधार पर एक यथानुपात आधार पर प्रतिबंधित किया जाएगा।

3.वर्मीकम्पोस्ट (दुधारू पशु यूनिट के साथ अलग से नहीं दुधारू पशुओं के साथ विचार किया जा छेनी और)।

निवेश:  20,000 / -रु।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%)                     के 25% या 5,000 रुपये की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी विषय – (रुपये      6700 / – अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए)।

4.दुहना मशीनों की खरीद / दूध परीक्षकों / थोक दूध ठंडा इकाइयों (2000 जलाया क्षमता)।

निवेश: 18 लाख रु।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% 4.50 लाख रुपये (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 6.00 लाख रुपये) की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन।

5.स्वदेशी दूध उत्पादों का निर्माण करने के लिए डेयरी प्रसंस्करण के उपकरण की खरीद।

निवेश: 12 लाख रुपये

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% 3.00 लाख रुपये (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 4.00 लाख रुपये) की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन।

6.डेयरी उत्पाद परिवहन सुविधाओं और कोल्ड चेन की स्थापना।

निवेश: 24 लाख रु।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% से 6.00 लाख रुपये (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 8.00 लाख रुपये) की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन।

7.दूध और दूध उत्पादों के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा।

निवेश: 30 लाख रुपये।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% 7.50 लाख रुपये (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 10.00 लाख रुपये) की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन।

8.प्राइवेट पशु चिकित्सा क्लीनिक की स्थापना।

निवेश: मोबाइल क्लिनिक के लिए 2.40 लाख रुपये और स्थिर क्लिनिक के लिए 1.80 लाख रुपये।

सब्सिडी: – परिव्यय के 25% (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी 45,000 / – रुपये और 60,000 / रुपये की सीमा  (रुपये 80,000 / – और 60,000 रुपये / – अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए)क्रमश: मोबाइल और स्थिर क्लीनिक के लिए।

9.डेयरी विपणन आउटलेट / डेयरी पार्लर।

निवेश: 56,000 रुपये / –

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% या14,000 रुपये की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी विषय – (रुपये 18600 / – अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए)।

नाबार्ड डेयरी फार्मिंग सब्सिडी |ऑनलाइन आवेदन फॉर्म, रजिस्ट्रेशन 2020  

  • सबसे पहले नाबार्ड की आधिकारिक वेबसाइट(https://www.nabard.org/) पर जाएँ
  • मेनू में जाकर ” Govt. Sponsored Schemes” लिंक पर क्लिक करें
  • इसके बाद “Dairy Entrepreneurship Development Scheme” लिंक पर क्लिक करें
  • अब दी गई सारी जानकारी ध्यानपूर्वक पढ़ें
  • उसी पेज में नीचे जाकर आवेदन पात्र का प्रारूप डाउनलोड करें और आवेदन कर दें
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पशु खरीदते समय पशु की उम्र कैसे जानें ?

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एक किसान और पशुपालक की आय का बड़ा हिस्सा पशु के जरिए प्राप्त दूध एवं दूध से बने उत्पादों से ही आता है। ऐसे में पशुपालक पशु खरीदते समय उनके दूध की मात्रा का तो ख्याल करते हैं। लेकिन पशु की आयु के बारे में पता नहीं लगाते। जिसकी वजह से कई बार पशुपालक एक बूढ़ी गाय या भैंस खरीद लेते हैं। ऐसे में एक बूढ़ी गाय या भैंस कई बार कुछ ही महीनों में मर जाती है। जिसके चलते पशुपालक को आर्थिक नुकसान हो जाता है। इसलिए पशुपालक को हमेशा एक कम उम्र की ही गाय या भैंस खरीदनी चाहिए।

अब सवाल उठता है कि गाय या भैंस की उम्र का पता कैसे लगाया जाए। अगर आप भी ऐसे ही किसी सवाल से परेशान हैं तो आपकी इस समस्या का अंत हम अपने इस लेख में करने वाले हैं। हम इस लेख के माध्यम से न केवल आपको बताएंगे कि आप किस तरह गाय भैंस की उम्र का पता लगा सकते हैं। बल्कि यह भी बताएंगे कि गाय या भैंस का पूरा जीवन काल है वह कितने साल का होता है। इन सब के अलावा अगर आप एक सही पशु खरीदना या बेचना चाहते हैं तो यह ऑनलाइन कैसे कर सकते हैं, यह भी बताएंगे। 

गाय भैंस का पूरा जीवन काल कितना होता है 

एक पशुपालक को यह मालूम होना चाहिए कि एक भैंस या गाय की उम्र अधिकतम 20 से 22 साल ही हो सकती है। इस आयु के बाद भैंस का जीवित रहना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है। अगर पशुपालक भैंस या गाय को खरीदने का विचार बना रहे हैं तो ध्यान रहे कि हमेशा कम उम्र का ही पशु खरीदें। 

गाय भैंस की उम्र पता लगाने का तरीका 

भैंस की उम्र कम है या अधिक यह उसके सामने के दांतों को देखकर पता लगाया जा सकता है। आपको बता दें कि भैंस के आगे 8 दांत होते हैं। भैंस की उम्र जब छोटी होती है, तो उसके दांतों का आकार तिकोना होता है। वहीं अगर भैंस युवावस्था में है तो उसके दांतों का आकार चौकोर होगा।  इसके अलावा दूध के दांत और बाद में आए दांतों में कई भिन्नताएं हो सकती हैं। आपको बता दें कि दूध के दांत दिखने में छोटे होते हैं। वहीं बाद में आए दांत बड़े होते हैं।  

पता हो कि भैंस के दांत जोड़ों में आते हैं। जब भैंस की आयु 2 साल होती है,तो उसके दूध के दो दांतों की जगह 2 स्थाई दांत आ जाते हैं। इसके बाद भैंस की आयु तीन साल के होने पर उसके 4 स्थाई दांत आ जाते हैं। वहीं जब भैंस की आयु 4 साल होती है, तो भैंस के 6 चौकोर दांत आ जाते हैं। भैंस की उम्र 5 साल होने पर भैंस के 8 दांत आ जाते हैं। यही प्रक्रिया भैंस के पूरे जीवन काल तक देखने को मिलती है। इसी तरह जब भैंस बूढ़ी हो जाती है तो स्थाई दांत भी घिसने लगते हैं। उम्र के साथ सभी स्थाई दांत भी घिस जाते हैं। पशुपालक भैंस के दांतों को देखकर उनकी आयु का अंदाजा लगा सकते हैं और यह तय कर सकते हैं कि उन्हें भैंस खरीदने हैं या नहीं। 

किसान और पशुपालक भाई जो भैंस या गाय की आयु को लेकर चिंतित हैं। वह पशु Animall App के जरिए खरीद सकते हैं। ऐप पर आपको पशु की आयु से लेकर उससे जुड़ी संपूर्ण जानकारियां मिल जाएंगी। यही नहीं अगर आप किसी पशु को बेचना चाहते हैं या किसी पशु को लेकर चिकित्सक की सलाह लेना चाहते हैं तो आप यह भी ऐप के जरिए कर सकते हैं। Animall App को डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 

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जानिये क्या है गाय को होने वाले थनैला रोग के घरेलू उपचार!

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एक दुधारू गाय या भैंस किसान और पशुपालक की आय का जरिया होती है। लेकिन कई बार यह पशु कुछ खतरनाक रोग से संक्रमित हो जाते हैं। जिसका असर पशुधन पर होता है। ऐसा ही एक रोग थनैला भी है। गाय को होने वाला थनैला रोग बहुत खतरनाक होता है। इस रोग के चलते गाय के दूध देने की क्षमता प्रभावित हो जाती है और कई बार गाय के थन को काटने तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में किसान और पशुपालक गाय को होने वाले थनैला रोग के घरेलू उपचार की खोज में लग जाते हैं।

अगर आप भी एक पशुपालक हैं और गाय के थनैला रोग के घरेलू उपाय खोज रहे हैं तो आप सही स्थान पर आए हैं। आज हम अपने इस लेख में गाय को होने वाला थनैला रोग के घरेलू उपचार से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देंगे। इसके अलावा यह भी बताएंगे कि आप किस तरह अपनी गाय को थनैला रोग से बचाकर रख सकते हैं। थनैला रोग के घरेलू उपाय के बारे में जानने के लिए लेख पर अंत तक बने रहें। 

क्या है गाय को होने वाला थनैला रोग

थनैला दुधारू पशुओं को होने वाला एक रोग है। इस रोग के दौरान पशु के थनों का आकार बड़ा हो जाता है और इनमें सूजन आ जाती है। इसके अलावा गाय और भैंस के थनों में गांठ पड़ने लगती है एवं पस जम जाता है। यही नहीं दूध का रास्ता भी संकरा हो जाता है और दूध के स्थान से पस एवं दूषित दूध निकलने लगता है। इस दौरान पशु का व्यवहार पूरी तरह बदल जाता है। 

थनैला रोग के लक्षण

गाय को पूरी तरह स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आप उसके व्यवहार को सही प्रकार से समझें। अगर गाय के व्यवहार में किसी तरह का बदलाव आ रहा है तो सतर्क हो जाएं। गाय के थनैला रोग के कुछ लक्षण हैं जो आसानी से पहचाने जा सकते हैं, जैसे – 

  • थन का आकार बढ़ना
  • थनों में सूजन आ जाना 
  • थन में गांठ पड़ जाना 
  • गाय का बेचैन रहना और चिल्लाना
  • गाय के थन से दूध में खून या पस निकलना
  • थनों का रास्ता संकरा हो जाना
  • थनों में दर्द रहना
  • थनैला होने पर गाय सही तरह से चारा नहीं खाती

गाय को थनैला रोग होने का कारण

गाय या अन्य दुधारू पशु को थनैला रोग कई कारणों की वजह से हो सकता है, जैसे – 

  1. अगर पशु का दूध निकालते समय हाथों को ठीक से साफ न किया गया हो तो यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है 
  2. थनैला रोग विषाणु, जीवाणु, माइकोप्लाजमा तथा कवक की वजह से हो सकता है
  3. अगर गाय संक्रमित पशु के संपर्क में आती है तो भी थनैला रोग हो सकता है
  4. गाय का दूध पूरी तरह से न निकालने की स्थिति में दूध थनों में रह जाता है। जिसकी वजह से भी थनैला हो सकता है
  5. पशु के रहने के स्थान की सफाई न होने की स्थिति में भी थनैला हो सकता है
  6. थन में चोट लगने या किसी अन्य संक्रमण की वजह से थनैला हो सकता है

गाय के थनैला रोग के घरेलू उपचार

थनैला एक बेहद संक्रामक रोग है। ऐसे में अगर गाय इस रोग से संक्रमित हो जाए तो इसका उपचार समय पर होना बहुत जरूरी है। अगर समय पर थनैला रोग का उपचार न किया जाए तो यह अधिक खतरनाक हो सकता है। इसकी वजह से गाय के थन तक काटने पड़ सकते हैं। इसलिए गाय को थनैला से राहत दिलाने के लिए लक्षणों की पहचान जल्द से जल्द हो जानी चाहिए। इसके अलावा अगर गाय को थनैला है तो कुछ घरेलू उपाय भी आजमाए जा सकते हैं। गाय को थनैला से राहत दिलाने वाले इन उपायों के बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बता रहे हैं।

गाय को होने वाले थनैला रोग के उपाय

  1. थनैला रोग होने पर अरंडी तेल को 4 बार छानकर अच्छी तरह से गाय के थनों की मालिश करें। ऐसा करने से गाय को राहत मिल सकती है। 
  2. इस रोग के होने पर गाय को कुछ दिन तक आधा किलो दही और गुड़ खाने में सुबह शाम दे सकते हैं। 
  3. गाय को पोस्ता का फल और नीम की पत्ती की भाप दी जाए तो इससे भी थनैला में आराम हो सकता है। 
  4. थनैला के दौरान गंधक की धूनी दिए जाने पर गाय को लाभ हो सकता है।
  5. नीम के पत्तों को पानी में उबालकर इसके पानी से थनों की नियमित रूप से सिकाई की जाए, तो पशु की हालत में सुधार हो सकता है। 
  6. थनैला होने पर हल्दी, सेंधा नमक को पीसकर घी मिलाएं। इसके बाद पशु के थनों पर दूध निकालने से पहले और दूध निकालने के बाद लगाएं। इसके साथ ही मसाज भी करें। ऐसा करने से पशु को इससे राहत मिल सकती है। 
  7. नीम के उबले हुए पानी से गाय के थनों की सिकाई करनी चाहिए। ऐसा करने से पशु को थनैला की समस्या से राहत मिल सकती है। 
  8. गाय को थनैला होने पर गाय का घी,काली मिर्च आधा छटाक और नींबू का रस लें। इन तीनों को मिलाएं और पशु को नियीमित रूप से हिलाते रहें। ऐसा करने से पशु को थनैला से कुछ हद तक राहत मिल जाएगी। 
  9. गाय के दूध में खून आने पर रोजाना उसे पत्थरचट्टा की धूनी देनी चाहिए। 
  10. दूध में खून आने पर गाय को केले में कपूर की गोली डालकर दी जा सकती है। ऐसा करने से गाय का खून रुक जाएगा। 

गाय के थनैला रोग के जो उपचार आपको बताए गए हैं। यह इस रोग का ठोस इलाज नहीं है। इन उपायों को आप आजमा कर गाय को कुछ हद तक फायदा पहुंचा सकते हैं। लेकिन अगर गाय की स्थिति में किसी तरह का सुधार न हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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जानिए कैसे करें गाय के चिचड़ी का इलाज!

गाय और भैंस को पालने के दौरान पशुपालक वैसे तो कई चीजों का ध्यान रखते हैं। लेकिन कई बार उनकी छोटी सी चूक भी पशु को बड़ी समस्या में डाल देती है। ऐसी ही एक समस्या है जिसकी चपेट में ज्यादातर गाय और भैंस आ जाती हैं। हम बात कर रहे हैं गाय और भैंस में लगने वाली चिचड़ी और जूँ के बारे में।
यह छोटे – छोटे परजीवी न केवल गाय और भैंस के शरीर से लगातार खून चूसते रहते हैं। बल्कि यह उन्हे शारीरिक रूप से कमजोर भी बना देते हैं। इसके अलावा यह जूँ और चिचड़ी लगने की वजह से गाय और भैंस के दूध देने की क्षमता भी प्रभावित होती है। यही नहीं कई बार इन परजीवियों की वजह से पशु के बछड़ों और कटड़ों की जान तक चली जाती है। इसलिए आज हम यह लेख लेकर आए हैं। इस लेख में हम आपको गाय के चिचड़ी का इलाज कैसे करें, यह बताएंगे।  इसके अलावा जानेंगे कि किस तरह आप अपनी गाय को चिचड़ी और जूँ के प्रकोप से बचा सकते हैं। 

गाय पर चिचड़ी से होने वाला प्रभाव

एक पशुपालक या किसान को यह बात पता होनी चाहिए कि चिचड़ी और जूँ केवल पशु का खून नहीं चूसते। बल्कि इसका प्रभाव गाय के शरीर पर कई तरह से देखने को मिलता है जैसे – 

  1. गाय के शरीर पर चिचड़ी और जूँ होने से उन्हें कब्ज की समस्या हो सकती है। कब्ज एक ऐसी स्थिति है। जिसमें पशु को मल त्यागने में दिक्कत आती है।
  2. अगर गाय के शरीर पर लगी चिचड़ी का इलाज समय पर न कराया जाए तो इसकी वजह से एनीमिया की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस स्थिति में पशु के शरीर में खून की कमी होने लगती है। 
  3. चिचड़ी और जूँ के चलते गाय को पेट दर्द की समस्या भी रहने लगती है। 
  4. डायरिया की समस्या पशुओं में होने की एक मुख्य वजह जूँ और चिचड़ी होना है। 
  5. अगर चिचड़ी का इलाज समय पर न कराया जाए तो इसकी वजह से गाय के दूध देने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। यही नहीं गाय के बछड़ों की कई बार इनकी वजह से मौत तक हो जाती है।  

गाय के चिचड़ी का इलाज का तरीका 

गाय के शरीर पर लगने वाली जूँ और चिचड़ी का इलाज कई तरह से करते हैं। जिनमें से ज्यादातर इलाज या उपचार घरेलू ही होते हैं। लेकिन अगर घरेलू उपाय या उपचार काम न आए तो इस स्थिति में गाय को डॉक्टरी इलाज की जरूरत पड़ सकती है। गाय को चिचड़ी होने पर डॉक्टर अमूमन इन्हें कृमिनाशक दवा देते हैं। यह दवा पशुओं को लगभग साल में दो बार चिचड़ी से बचाव के लिए भी दी जाती है।

इसके अलावा गाय को चिचड़ी से राहत दिलाने के लिए आप चाहें तो कुछ देसी दवा का भी उपयोग कर सकते हैं। इसमें अगर आप कुछ समय तक गाय को नमक के पानी से साफ करेंगे तो इससे गाय को चिचड़ी से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन ध्यान रहे की गाय पर किसी भी दवा या उपाय केवल डॉक्टर की राय पर ही आजमाएं। वरना कई बार यह उपाय नुकसानदायक भी हो सकते हैं। 

 

गाय भैंस में जूँ, चिचड़ी, कलनी का देसी उपचार कैसे करें ?

गाय भैंस में जूँ, चिचड़ी क्यों होता है और कैसे रोकें ?

अगर आप भी अपनी गाय या भैंस की सेहत से जुड़ी समस्याओं के समाधान चाहते हैं, तो तुरंत ही Animall ऐप पर पशु चिकित्सक से बात करें। साथ ही अगर आप पशु खरीदना या बेचना चाहते हैं तो वो भी आप ऐप के जरिये कर सकते हैं।

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गाय भैंस में जूँ, चिचड़ी क्यों होता है और कैसे रोकें ?

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पशुपालक भाइयों को पशुओं से संबंधित कई तरह की समस्याओं का सामना अक्सर करना पड़ता है। कभी गाय भैंस की दूध उत्पादन क्षमता कम हो जाती है तो कभी पशु किसी रोग से संक्रमित हो जाता है। ऐसी ही एक समस्या है जिसका समाधान देश में मौजूद लगभग हर पशुपालन करने वाला व्यक्ति चाहता है। यह समस्या है पशुओं में जूँ, चिचड़ी होना। साधारण से दिखने वाले यह जीव पशुओं का खून चूसते रहते हैं। जिसकी वजह से पशु पूरी तरह तनाव में रहने लगता है और कमजोर हो जाता है।

जिसकी वजह से पशु की दूध उत्पादन क्षमता भी घटने लगती है। ऐसे में आज हम अपने इस लेख में आपको बताएंगे कि आप किस तरह पशुओं में जूँ और चिचड़ी होने का कारण क्या है और पशुओं को इस स्थिति से कैसे बचाकर रखा जा सकता है। अगर आप एक पशुपालक हैं और अपनी गाय या भैंस को जूँ, चिचड़ी के प्रकोप से बचाना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख पर अंत तक बने रहें।

पशु में जूँ चिचड़ी होने के कारण 

किसान भाई यूं तो अपने पशुओं से बच्चों जैसा स्नेह करते हैं। लेकिन कई बार उनसे कुछ गलतियां हो जाती हैं। जिसकी वजह से पशु न केवल बीमारियों का शिकार हो जाता है। बल्कि कई बार पशु कमजोर होने लगता है। ऐसी ही कुछ गलतियां या लापरवाही हैं जो जूँ और चिचड़ी को पनपने का मौका देती हैं। 

  1. पशुओं में जूँ और चिचड़ी का सबसे मुख्य कारण होता है, गंदगी। अगर पशुपालन करने वाले व्यक्ति पशु के शरीर की सफाई समय – समय पर नहीं करेंगे तो इसकी वजह से भी उनके शरीर में जूँ और चिचड़ी पैदा हो सकती हैं।  
  2. पशुशाला का निर्माण कराते समय अक्सर पशुपालक कुछ भूल कर बैठते हैं। जिसके चलते पशुशाला में गोबर एकत्रित होने लगता है और वह आसानी से बाहर नहीं निकलता। यही गंदगी पशुओं में जूँ और चिचड़ी का तो कारण बनती ही है। इसके साथ ही यह कई दूसरे रोग की वजह भी बन जाती है। 
  3. ऐसा कई बार होता है कि पशु खुले में चरते हुए किसी गंदी जगह पर पहुंच जाते हैं या फिर उस पशु के संपर्क में आ जाते हैं जो जूँ और चिचड़ी की समस्या से पीड़ित है। यह भी एक कारण है जिसकी वजह से पशु जूँ चिचड़ी का शिकार हो जाता है। 

पशु को जूँ और चिचड़ी से बचाने का तरीका

किसान भाई अब तक समझ गए होंगे कि पशु आखिर क्यों जूँ और चिचड़ी का शिकार हो जाते है। ऐसे में अब बारी आती है कि किस तरह अपने पशु को जूँ और चिचड़ी से बचाकर रख सकते हैं और उन्हें स्वस्थ रख सकते हैं। 

  • किसान भाई अगर समय – समय पर पशुओं को नहलाते रहें और इसके साथ ही उनके थनों कानों आदि की सफाई गर्म पानी के जरिए करते हैं तो इससे पशु जूँ और चिचड़ी की चपेट में आने से बच सकते हैं।
  • पशुशाला का निर्माण सही तरह से करें ताकि वहां गंदगी एकत्रित न हो। इसके अलावा रोजाना पशुशाला को पानी से धोएं और झाड़ू भी लगाएं। अगर संभव हो तो पशुशाला साप करने वाले पानी के अंदर 5 ग्राम लाल दवा को मिलाएं। इसके साथ ही कोशिश करें की सप्ताह में एक बार फिनाइल से पशुशाला को साफ करें। इस तरह पशुशाला में खतरनाक जीवाणु भी पैदा नहीं होंगे और पशु जूँ और चिचड़ी से बचे रहेंगे। 
  • अगर पशु को खुले में चरने के लिए छोड़ा है तो पशुशाला में आते ही उन्हें अच्छे से नहलाएं और उनकी सफाई करें। 
  • पशुओं को अन्य खतरनाक रोगों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूर करवाएं। 

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख से आपकी कुछ समस्या हल हो जाएगी। अगर आपको इसी तरह की जानकारी पढ़नी है या पशुओं के चिकित्सक से संपर्क करना है, तो आप हमारी Animall App डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा ऐप के जरिए आप गाय और भैंस खरीद या बेच भी सकते हैं। हमारी Animall App को डाउनलोड करने के लिए इस विकल्प का चुनाव करें 

गाय भैंस में जूँ, चिचड़ी, कलनी का देसी उपचार कैसे करें ?

 

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