TMR मशीन का उपयोग कैसे करें और इसके लाभ?

इस वीडियो में हम TMR मशीन के बारे में चर्चा कर रहे हैं। इस प्रणाली का उपयोग जानवरों के लिए भोजन बनाने के लिए किया जाता है। इस उपकरण का मालिक वर्तमान में एक डेयरी नाम श्री कृष्ण डेयरी फार्म चला रहा है। वर्तमान में वह अपनी गायों के लिए तैयार भोजन बनाने के लिए इस प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने इस मशीन के लाभों पर चर्चा के अलावा उन्होंने कहा कि एक बार इस प्रणाली को लागू करने के बाद श्रम लागत का वजन कम से कम हो गया है और यह भी कहा कि। इस गैजेट के उपयोग से वह अपनी गायों के लिए उच्च उपज खनिज भोजन का उत्पादन करने में सक्षम है। उन्होंने उच्चारण की सहायता से निष्कर्ष निकाला कि इस प्रणाली का शुल्क लगभग 400000 लाख रुपये है और इस प्रणाली को चलाने के लिए एक मनुष्य पर्याप्त है। एक बार में इस मशीन की वजन क्षमता लगभग 1000 किलोग्राम है

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गाय भैंस में जूँ, चिचड़ी, कलनी का देसी उपचार कैसे करें ?

पशुओं में कई तरह के रोग तो सामान्य रूप से पहचान में आ जाते हैं। लेकिन अगर पशु के शरीर में जूँ, चिचड़, किलनी आदि लग जाए तो इस स्थिति का पशुपालकों को आसानी से पता नहीं चलता। पशुओं के शरीर पर लगी यह जूं, चिचड़ी निरंतर उनका खून चूसती रहती हैं। इसकी वजह से पशु  तनाव में रहने लगता है और कमजोर भी हो जाता है। इसके अलावा पशु के शरीर से बाल झड़ने लगते हैं और कई बार पशु के बच्चों की जान तक चली जाती है।

इसके साथ ही पशु की दूध उत्पादन क्षमता भी प्रभावित होती है। इन सबके कारण पशुपालकों को आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए आज हम यह लेख लेकर आए हैं। अपने इस लेख में हम पशुपालकों को बताएंगे कि वह किस तरह जूँ, चिचड़ी और कलनी आदि की समस्या से राहत पा सकते हैं। खास बात यह है कि इसके लिए पशुपालकों को किसी चिकित्सक के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। हमारे द्वारा बताए गए उपाय पशुपालक घर पर ही अपना सकते हैं।

किलनी, जूँ और चिचड़ हटाने के घरेलू उपाय 

पशुओं का स्वस्थ रहना पशुपालकों के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन अगर पशुओं को चिचड़, किलनी, और जूँ की समस्या हो जाए, तो इन्हें इस स्थिति से निकालने के केवल दो ही तरीके होते हैं। एक है डॉक्टर से संपर्क करके दवा और इलाज की प्रक्रिया का पालन करना। इसके अलावा दूसरा कुछ घरेलू उपाय को अपनाना। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ घरेलू उपाय के बारे में। 

खाद्य तेल का उपयोग

गाय या भैंस को चिचड़ी, जूँ या किलनी जैसे कीड़ों की समस्या से बचाने के लिए अलसी का तेल उपयोग में लिया जा सकता है। आप अलसी के तेल के लेप पशु को लगा सकते हैं। इसके अलावा पशुपालक कई तरह के अन्य खाद्य तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 

साबुन का घोल 

पशु को यह समस्या अमूमन गंदगी की वजह से होती है। ऐसे में अगर पशुपालक उनकी साफ – सफाई का ध्यान रखें तो इससे पशुओं को चिचड़ी और जूँ आदि की समस्या नहीं होगी। इसके अलावा अगर पशु को यह समस्याएं हो गई है तो पशु को साबुन के गाढ़े घोल से नहला सकते हैं। इस उपाय को पशुपालक सप्ताह में दो बार करें।

आयोडीन का उपयोग

ऐसे पशु जिन्हें यह समस्या हो गई है। उन पशुओं को इस समस्या के प्रकोप से बचाने के लिए पशुपालक आयोडीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। जूँ , चिचड़ से राहत दिलाने के लिए गाय या पशु के शरीर पर सप्ताह में दो बार आयोडीन को रगड़ना चाहिए। 

जूँ, चिचड़ के लिए लहसुन 

लहसुन का उपयोग भारत के लगभग हर घर में होता है। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि लहसुन के अंदर कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो खतरनाक परजीवियों से राहत दिलाने में काम आ सकते हैं। जूँ और किलनी से छुटकारा पाने के लिए पशुपालक लहुसन के पाउडर का उपयोग कर सकते हैं। इस पाउडर को पशु के शरीर पर सप्ताह में दो बार लगाना होगा। ऐसा करने से पशु को कुछ हद तक जूँ और चिचड़ से छुटकारा मिल जाएगा। 

एसेंशियल तेल 

इंसानों की कई तरह की शारीरिक समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी एसेंशियल या अस्थिर तेल उपयोग में लिए जाते हैं। लेकिन बहुत ही कम पशुपालक जानते हैं कि पशुओं पर भी इसका उपयोग किया जा सकता है। जूँ, चिचड़ और किलनी होने पर अगर एसेंशियल तेल का उपयोग अन्य खाद्य तेलों के साथ किया जाए, तो इससे पशुओं इन कीड़ों से राहत मिल सकती है। इसके लिए केवल पशुपालकों को एसेंशियल तेल और खाद्य तेल को पशु के शरीर पर रगड़ना होगा।

कीटनाशक का उपयोग 

जूँ, चिचड़ और किलनी से पशुओं को राहत दिलाने के लिए पशुपालक पाइरिथ्रम नामक वानस्पतिक कीटनाशक उपयोग कर सकते हैं। 

चूना और सल्फर

गाय या भैंस को इन जीवों से राहत दिलाने के लिए पशुपालक चूने और सल्फर का उपयोग कर सकते हैं। जूँ, चिचड़ और किलनी से छुटकारा दिलाने के लिए चूना और सल्फर का घोल बनाना होगा। इसे 7 से 10 दिन के अंतराल में पशुओं को लगाना चाहिए। इस उपाय का उपयोग कम से कम 6 बार करना होगा। ऐसा करने से पशु को इन जीवों से छुटकारा मिल सकता है। 

आइवरमेक्टिन इंजेक्शन

पशुओं में किलनी की समस्या बहुत अधिक देखी जाती है। ऐसे में पशुपालक उन्हें आइवरमेक्टिन इंजेक्शन दे सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि यह इंजेक्शन पशुपालक डॉक्टर की सलाह पर ही दें। वहीं अगर पशु को इंजेक्शन दिया गया है तो पशु के दूध का इस्तेमाल कम से कम दो तीन सप्ताह तक न करें। 

जूं, चिचड़ और किलनी की रोकथाम 

पशुपालन का काम काज करने वाले लोगों की लापरवाही के चलते ही यह जीव पैदा होते है। जब पशु के शेड में साफ सफाई नहीं की जाती और पशु के रहने के स्थान पर गंदगी एकत्रित होने लगती है। इसके अलावा जब पशु की साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता। तभी पशु इनकी चपेट में आते हैं। इस स्थिति से पशुओं को बचाने के लिए पशुपालकों को साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए।  

चिचड़, जूँ और किलनी होने के लक्षण

  • इस स्थिति में पशु को लगातार खुजली होती रहती है। 
  • गाय या भैंस के दूध देने की क्षमता घट जाती है। 
  • पशु को भूख लगनी कम हो जाती है। 
  • चमड़ी खराब होने लगती है। 
  • पशु के बाल झड़ने लगते हैं। 
  • गाय या अन्य पशु जब इनकी चपेट में आते हैं तो वह तनाव में रहने लगते हैं। 

किलनी, जूँ और चिचड़ का इलाज 

पशुओं पर यह समस्या दिखाई देने के बाद पशुपालक चाहें तो इससे राहत पाने के लिए घरेलू उपाय अपना सकते हैं। इसके अलावा अगर पशुपालक डॉक्टर से भी संपर्क कर उनकी राय लेना चाहें तो ले सकते हैं। पशुपालक डॉक्टर से ऑनलाइन संपर्क करने के लिए Animall App डाउनलोड  कर सकते हैं। 

गाय भैंस में जूँ, चिचड़ी क्यों होता है और कैसे रोकें ?

जानिए कैसे करें गाय के चिचड़ी का इलाज!

 

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गाय भैंस में जूँ, चिचड़ी क्यों होता है और कैसे रोकें ?

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पशुपालक भाइयों को पशुओं से संबंधित कई तरह की समस्याओं का सामना अक्सर करना पड़ता है। कभी गाय भैंस की दूध उत्पादन क्षमता कम हो जाती है तो कभी पशु किसी रोग से संक्रमित हो जाता है। ऐसी ही एक समस्या है जिसका समाधान देश में मौजूद लगभग हर पशुपालन करने वाला व्यक्ति चाहता है। यह समस्या है पशुओं में जूँ, चिचड़ी होना। साधारण से दिखने वाले यह जीव पशुओं का खून चूसते रहते हैं। जिसकी वजह से पशु पूरी तरह तनाव में रहने लगता है और कमजोर हो जाता है।

जिसकी वजह से पशु की दूध उत्पादन क्षमता भी घटने लगती है। ऐसे में आज हम अपने इस लेख में आपको बताएंगे कि आप किस तरह पशुओं में जूँ और चिचड़ी होने का कारण क्या है और पशुओं को इस स्थिति से कैसे बचाकर रखा जा सकता है। अगर आप एक पशुपालक हैं और अपनी गाय या भैंस को जूँ, चिचड़ी के प्रकोप से बचाना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख पर अंत तक बने रहें।

पशु में जूँ चिचड़ी होने के कारण 

किसान भाई यूं तो अपने पशुओं से बच्चों जैसा स्नेह करते हैं। लेकिन कई बार उनसे कुछ गलतियां हो जाती हैं। जिसकी वजह से पशु न केवल बीमारियों का शिकार हो जाता है। बल्कि कई बार पशु कमजोर होने लगता है। ऐसी ही कुछ गलतियां या लापरवाही हैं जो जूँ और चिचड़ी को पनपने का मौका देती हैं। 

  1. पशुओं में जूँ और चिचड़ी का सबसे मुख्य कारण होता है, गंदगी। अगर पशुपालन करने वाले व्यक्ति पशु के शरीर की सफाई समय – समय पर नहीं करेंगे तो इसकी वजह से भी उनके शरीर में जूँ और चिचड़ी पैदा हो सकती हैं।  
  2. पशुशाला का निर्माण कराते समय अक्सर पशुपालक कुछ भूल कर बैठते हैं। जिसके चलते पशुशाला में गोबर एकत्रित होने लगता है और वह आसानी से बाहर नहीं निकलता। यही गंदगी पशुओं में जूँ और चिचड़ी का तो कारण बनती ही है। इसके साथ ही यह कई दूसरे रोग की वजह भी बन जाती है। 
  3. ऐसा कई बार होता है कि पशु खुले में चरते हुए किसी गंदी जगह पर पहुंच जाते हैं या फिर उस पशु के संपर्क में आ जाते हैं जो जूँ और चिचड़ी की समस्या से पीड़ित है। यह भी एक कारण है जिसकी वजह से पशु जूँ चिचड़ी का शिकार हो जाता है। 

पशु को जूँ और चिचड़ी से बचाने का तरीका

किसान भाई अब तक समझ गए होंगे कि पशु आखिर क्यों जूँ और चिचड़ी का शिकार हो जाते है। ऐसे में अब बारी आती है कि किस तरह अपने पशु को जूँ और चिचड़ी से बचाकर रख सकते हैं और उन्हें स्वस्थ रख सकते हैं। 

  • किसान भाई अगर समय – समय पर पशुओं को नहलाते रहें और इसके साथ ही उनके थनों कानों आदि की सफाई गर्म पानी के जरिए करते हैं तो इससे पशु जूँ और चिचड़ी की चपेट में आने से बच सकते हैं।
  • पशुशाला का निर्माण सही तरह से करें ताकि वहां गंदगी एकत्रित न हो। इसके अलावा रोजाना पशुशाला को पानी से धोएं और झाड़ू भी लगाएं। अगर संभव हो तो पशुशाला साप करने वाले पानी के अंदर 5 ग्राम लाल दवा को मिलाएं। इसके साथ ही कोशिश करें की सप्ताह में एक बार फिनाइल से पशुशाला को साफ करें। इस तरह पशुशाला में खतरनाक जीवाणु भी पैदा नहीं होंगे और पशु जूँ और चिचड़ी से बचे रहेंगे। 
  • अगर पशु को खुले में चरने के लिए छोड़ा है तो पशुशाला में आते ही उन्हें अच्छे से नहलाएं और उनकी सफाई करें। 
  • पशुओं को अन्य खतरनाक रोगों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूर करवाएं। 

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख से आपकी कुछ समस्या हल हो जाएगी। अगर आपको इसी तरह की जानकारी पढ़नी है या पशुओं के चिकित्सक से संपर्क करना है, तो आप हमारी Animall App डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा ऐप के जरिए आप गाय और भैंस खरीद या बेच भी सकते हैं। हमारी Animall App को डाउनलोड करने के लिए इस विकल्प का चुनाव करें 

गाय भैंस में जूँ, चिचड़ी, कलनी का देसी उपचार कैसे करें ?

 

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पशुओं में गलघोंटू रोग के आम लक्षण क्या है?

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गलघोंटू रोग के आम लक्षण निम्नलिखित है:-
(क) पिछले पुट्ठे का फड़फड़ाना व कम्पन होना|
(ख) ग्लूटियल गले की मांस पेशियों में सूजन होना|
(ग) शरीर की भारी मांस पेशियों में सूजन जैसे गर्दन, कंधा, पीठ छाती आदि|
(घ) शुरुआत में सूजन वाला भाग सख्त व दर्द भरा होता है परन्तु बाद में मृत्यु पहले ठंडा व दर्दरहित हो जाता है|
(ङ) रोग ग्रसित भाग को दबाने पर चुर-चुर की आवाज़ आती है|
(च) पशु 48 घण्टों के अन्दर मर जाता है|

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गर्भवस्था के मुख्य क्या लक्षण है?

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आम लक्षण निम्नलिखित है:-
(क) जब पशु गर्भधार्ण कर लेता है तो 21 दिनों के बाद मद में नहीं आता|
(ख) 3-4 महीनों के बाद पेट सूजा हुआ लगता है|
(ग) जब गुदा के रास्ते निदान किया जाता है तो गर्भाश्य बड़ा हुआ महसूस होता है यह निदान केवल पशुपालन में प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ही किया जाना चाहिए|

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