जानिए क्या है काली जीरी और कैसे ये पशु का दूध बढ़ाने में आती है काम।

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किसान और पशुपालक भाइयों के सामने पशु को स्वस्थ रखने और  उनकी उत्पादकता को बढ़ाने जैसी कई चुनौतियां आती हैं। ऐसे में इन चुनौतियों से पार पाने के लिए किसान भाई अक्सर कई तरह के उपाय अपनाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे खास उपायों को नहीं जानते जो उनकी समस्याओं को पूरी तरह खत्म कर सकते हैं। ऐसे ही एक उपाय या औषधि हम लेकर आ गए हैं आपके सामने। दरअसल हम बात कर रहे हैं काली जीरी के बारे में। 

काली जीरी कहने को एक मसाला है लेकिन इसका इस्तेमाल खाने पीने की सामान में नहीं किया जाता। बल्कि इसका उपयोग पशुओं को कई तरह की समस्याओं से बचाने के लिए और रोगों से ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा काली जीरी के जरिए पशु की उत्पादकता को भी बढ़ाया जा सकता है। आज हम पशुपालक भाइयों को यही बताने वाले हैं कि काली जीरी का उपयोग कब – कब किया जा सकता है। अगर आप काली जीरी के इस्तेमाल से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहे।  

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क्या है काली जीरी

काली जीरी कहने को एक मसाला है। लेकिन इसका उपयोग खाने में बिल्कुल भी नहीं किया जाता। आपको बता दें कि पशुओं को काली जीरी कई तरह से फायदा पहुंचा सकता है। 

काली जीरी किन समस्याओं में आती है काम

अगर पशु को कब्ज, पेशाब न आने, दस्त , स्किन समस्या , या फिर मुहं और नाक से पानी गिरने की समस्या हो जाए तो इस समस्या से पशु को ठीक करने के लिए आप काली जीरी का उपयोग कर सकते हैं। 

इन सभी समस्याओं में पशु को काली जीरी खिलाने पर पशु की स्थिति बेहतर हो जाती है। लेकिन ज्यादातर पशु इसे नहीं खाते क्योंकि ये खाने में बेहद कड़वी होती है। ऐसे में पशु को गुड़ या अन्य किसी आहार या दाने के साथ काली जीरी दी जा सकती है। 

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क्या काली जीरी से दूध बढ़ता है

अब अगर बात करें कि काली जीरी से दूध कैसे बढ़ता है तो बता दें कि इसका सीधा असर दूध की उत्पादकता पर नहीं पड़ता। लेकिन ये दूध बढ़ाने का काम कर सकता है।

दरअसल ये पशु की डीवॉर्मिंग करने के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। अब अगर देखा जाए तो पशु के पेट में कीड़े होने पर दिया जाता है। यही कीड़े पशु को कमजोर कर देते हैं और पशु की दूध उत्पादन क्षमता को कम करने का काम करते हैं। 

लेकिन जब पशु को काली जीरी दी जाती है तो इससे उसके ये पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट पूरी तरह साफ हो जाता है। जिससे पशु स्वस्थ होता है और उसकी दूध उत्पादकता भी बढ़ जाती है 

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जानिए ड्रैगन फ्रूट की खेती की लागत, आय और होने वाला निवेश।

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ड्रैगन का नाम सुनते ही हमारे जहन में एक दैत्य नुमा बड़ा सा जीव बन जाता है। लेकिन हर ड्रैगन ऐसा हो, ये जरूरी तो नहीं। आज  हम ऐसे ही एक फल के बारे में बात करने वाले हैं, जिसे ड्रैगन फ्रूट के नाम से जाना जाता है। ये अमेरिकी फल दुनियाभर में काफी पसंद किया जा रहा है। वहीं भारत में भी इसकी मांग काफी अधिक है। लेकिन इसकी पूर्ति का 80 प्रतिशत भाग बाहरी देशों के द्वारा ही पूरा किया जा रहा है।

ऐसे में अगर किसान भाई ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दें तो आसानी से अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। चलिए आज विस्तार से जानते हैं आखिर ड्रैगन फ्रूट क्या है, इसकी खेती में कितनी लागत आती है और कितनी आय अर्जित की जा सकती है। अगर आप ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का मन बना रहे हैं तो ये लेख और वीडियो आपके काफी काम आ सकती है।  

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ड्रैगन फ्रूट की खेती से जुड़ी जरूरी बातें 

  • इसकी खेती करने के लिए जमीन पर पोल्स लगाए जाते हैं जो 2.50 से 3 फीट गहरे गड्ढे में लगाए जाते हैं। हर पोल के बीच में 6 फुट का गैप होता है। वहीं एक लाइन से दूसरी लाइन के बीच में 8 फुट का गैप रखा जाता है। 
  • एक पोल के चारों तरफ एक – एक पौधा लगाया जाता है। 
  • पौधों को सपोर्ट देने के लिए किसी धागे से सीधा पोल से चिपका कर रखा जाता है। ताकि पौधे सही से पनप सके और फल अधिक लग सकें। 
  • खेत का निर्माण ऐसा होना चाहिए जिससे पानी एकत्रित न हो और साथ की साथ निकलता रहे। 
  • फसल में  एक पोल पर हर तीन महीने में 1.5 किलो खाद डालनी होती है। वहीं एक सप्ताह में हर पोल पर केवल 700 एमएल से लेकर 1 लीटर तक पानी दिया जाता है। 
  • ये फ्रूट सर्दियों में कम बढ़ता है। इसलिए कोशिश करें कि थोड़ी गर्मी के दौरान ही ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू करें।

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ड्रैगन फ्रूट की खेती में लागत 

अब बात करें ड्रैगन फ्रूट की लागत और आय की तो बता दें कि एक बार में इसकी फसल पर और पोल्स लगाने का खर्च आपकी जमीन के क्षेत्रफल पर निर्भर करेगा। अमूमन 1 से 1.5 लाख रुपए का खर्च एक किसान को करना पड़ सकता है। 

ड्रैगन फ्रूट के खेती से होने वाली कमाई

अब बात करें इससे होने वाली आय की तो आपको बता दें कि इस फसल का व्यापार करने के लिए आपको 2 से 3 साल का समय लग सकता है। लेकिन अगर सब सही रहा तो आप एक पोल से करीब 15 से 20 किलो फल हासिल कर सकते हैं।  ज्ञात हो कि ड्रैगन फ्रूट के एक किलो की कीमत करीब 200 से 250 रुपए किलो है। 

ऐसे में अगर आपने 4 बीघा जमीन पर इसके 800 पोल लगाते हैं और एक पोल पर 15 किलो फल हासिल करते हैं तो आप इससे 3000 रुपए हासिल कर लेंगे। यानी की 800 पोल पर आप 24 लाख रुपए एक बार की फसल पर प्राप्त कर पाएंगे। 

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जानिए गाय भैंस में कैल्शियम की कमी के लक्षण क्या हो सकते हैं

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इंसान हो या पशु हर किसी के शरीर को कई तरह के  पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ऐसे में जब भी शरीर में पोषक तत्व की कमी हो जाए तो इसकी वजह से शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती है। आज हम एक ऐसे ही पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों के बारे में जानकारी देंगे। दरअसल हम बात कर रहे हैं कैल्शियम की। 

कैल्शियम की कमी की वजह से पशु में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं। यही समस्या न केवल पशुपालक को आर्थिक नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा पशु की दूध उत्पादन क्षमता से लेकर कई तरह की दिक्कते होने लगती हैं। अगर आप भी कैल्शियम की कमी के लक्षणों से जुड़ी जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहे।

कैल्शियम की कमी के लक्षण 

  • प्रसव के तुरंत बाद गाय का बैठ जाना और गर्दन मोड़ के थनों को देखना। 
  • आहार के बाद भी लगातार कमजोर होते रहना। 
  • गर्भावस्था में लड़खड़ा कर चलना और गिर जाना 
  • हड्डियां मुड़ जाती है और हड्डियां कमजोर हो जाती है। 
  • चलते समय पशु के हड्डियों से आवाज आने लगती है। 
  • पशु दूध कम देने लगता है। 
  • गाभिन न हो पाना
  • गर्भ न ठहरना 
  • गर्भपात हो जाना
  • चोट या घाव होने पर लगातार खून बहते रहना। खून न रुकना। 
  • लंगड़ा पन आ जाना। 
  • इसके अलावा जो भी रोग फास्फोरस और मैग्नीशियम के बिगड़ते अनुपात की वजह से होते हैं। यह भी कैल्शियम की कमी का ही नतीजा है
  • रियूमन की गति कम होना जिससे पाचन क्रिया का प्रभावित होना। 

ये सभी लक्षण इशारा करते हैं कि गाय या भैंस के शरीर में कैल्शियम की कमी हो गई है।

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पशु में कैल्शियम की कमी पता चलने पर क्या करें 

गाय भैंस के शरीर में पोषक तत्वों की कमी पता चलने पर और लक्षणों की पहचान होने पर आपको तुरंत पशुओं की उपचार प्रक्रिया को प्रारंभ कर देना चाहिए। इसके अलावा पशुओं को कैल्शियम के डोज भी दिलवाने चाहिए। ध्यान रहे कि खुद से डॉक्टर बनने की कोशिश न करें और पशु चिकित्सक की ही सहायता लें। पशु की इलाज प्रक्रिया में किस तरह की लापरवाही न करें

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गाय भैंस के थनों की सूजन ठीक करने के लिए सबसे जबरदस्त ऑइंटमेंट

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देश में पशुपालन करने वाले लोगों को न जाने कितनी ही समस्या का सामना करना पड़ता है। इसमें चाहे पशु का दूध कम देना हो या फिर पशु को किसी तरह की समस्या हो जाना। आज हम आपको एक ऐसी ही समस्या के बारे में बताएँगे, जो लगभग हर पशुपालक को कभी न कभी झेलनी ही पड़ती है। दरअसल हम बात कर रहे हैं पशु के थनों में आने वाली सूजन के बारे में। आज इस लेख और वीडियो में हम इसी समस्या का समाधान बताने वाले हैं. अगर आप एक पशुपालक हैं और पशु के थनों की सूजन की समस्या से परेशान हैं तो ये लेख और वीडियो आपके काफी काम आ सकता है। 

क्यों आती है पशु के थनों में सूजन 

गाय भैंस के थनों में सूजन आने की समस्या बेहद आम है और अक्सर ये सूजन पशु के थनों में किसी तरह की चोट लगने की वजह से होती है, या फिर पशु के सही तरह से दूध न निकालने की वजह से होती है। इसके अलावा अन्य दूसरे कई कारण है जिसकी वजह से ये समस्या पशु में हो सकती है।

पशु के थनों का उपचार कैसे करें 

पशुपालक थनों की सूजन दूर करने के लिए कई तरह के उपाय या उपचार अपनाते हैं। लेकिन फिर भी सूजन की स्थिति ठीक नहीं हो पाती। इसका मुख्य कारण है कि ये उपचार या उपाय उतने कारगर नहीं होते। ऐसे में पशुपालक भाइयों को एक सही जानकारी और उपचार की आवश्यकता होती है। 

इस स्थिति में पशुपालक भाई अपनी गाय और भैंस के थन पर Inflamin ऑइंटमेंट लगा सकते हैं। इस ऑइंटमेंट को अच्छी तरह से पशु के थनों पर लगाना है। इस ऑइंटमेंट को लगाते हुए ध्यान रखें कि इसकी एक परत पशु के थन पर बन जाए। जब ऐसा हो जाएगा तभी पशु के थनों को सूजन से राहत मिलेगी 

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दवा लगाने का समय 


अगर पशु के थनों में सूजन अधिक है तो आप इसे पशु को थन में दो से तीन बार लगा सकते हैं। लेकिन अगर सूजन कम है तो आप एक बार सुबह और एक बार शाम को पशु के थनों पर इसे लगाए। 

दवा के अन्य विक्ल्प

अगर पशुपालक भाइयों को Inflamin ना मिले तो वो Thrombophob भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि ये क्रीम इंसानों के लिए है। लेकिन अगर इंफ्लामिन ना मिले तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही पशुपालक भाई देसी उपचार भी कर सकते हैं। ध्यान रहे कि नियमितता से उपचार प्रक्रिया पालन करने से ही पशु ठीक हो पाएगा। 

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जानिए क्या है Calcium Gel और कैसे किया जाता है इसका इस्तेमाल। Ionic Calcium

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डेयरी क्षेत्र से जुड़े किसान और पशुपालक अक्सर अपने पशु की दूध उत्पादन क्षमता को लेकर परेशान रहते हैं। ऐसे में ये लोग अपने पशु का दूध बढ़ाने के लिए उन्हें उचित आहार से लेकर उनका पूरा ध्यान रखते हैं। लेकिन बावजूद इसके कई बार पशु की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ती ही नहीं है। 

आपको बता दें कि ऐसा अक्सर तब होता है जब पशु के शरीर में आयनिक कैल्शियम की कमी हो जाती है। ज्ञात हो कि ये साधारण कैल्शियम से अलग होता है। ऐसे में आज हम आपको समस्या का समाधान बताने वाले हैं। अगर आप भी अपने पशु की दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कैल्शियम जेल से होगी ये समस्या खत्म


पशु के दूध कम देने से पशुपालकों को खासा नुकसान होता है। ऐसे में पशुपालक आहार के साथ  न जाने कितने ही जतन अपनाते हैं। लेकिन पशु का दूध जरा भी नहीं बढ़ता। आपको बता दें ऐसा तब होता है जब पशु के शरीर में आईयनिक कैल्शियम की कमी हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए पशुपालक भाई अक्सर पशु को कैल्शियम के इंजेक्शन दिलवा दे देते हैं। लेकिन ये तरीका कारगर नहीं होता। 

ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्थिति में पशु की हड्डियों और खून में सीधा कैल्शियम चाहिए होता है। इसके लिए पशु को आयनिक कैल्शियम सीधा पशु को देने की जरूरत होती है। जो बाजार में कैल्शियम जेल के नाम से भी जाना जाता है। 

ये कैल्शियम जैल पशु को देते ही उसकी स्थिति में सुधार हो जाता है। आपको बता दें कि ये सीधा पशु की हड्डियों और खून तक पहुंचता है और उनकी दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है। 

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कैल्शियम जैल की कीमत और डोज  

इस कैल्शियम जैल को आप आसानी से पशु की दवाओं की दुकान से खरीद सकते हैं। ये महज 170 रुपए से शुरू होता है और 300 रुपए तक इसकी कीमत जाती है। बाजार में कई कैल्शियम जैल मौजूद हैं जो आपकी जेब के लिए सही लगे उसे खरीदें। 

ध्यान रहे कि ये कैल्शियम जैल की तीन डोज पशु को देनी है। इसमें एक डोज कुल 300 एमएल की होगी। इस डोज को पूरा करने के लिए आप तीन डोज खरीदें। लगातार तीन दिन देने पर पशु की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी। 

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