पॉली हाउस फार्मिंग तकनीक से बदलेगी किसानों की किस्मत और बढ़ेगी आय

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क्या आप खेती की दुनिया से जुड़े हैं अगर हां तो शायद आपने पॉली हाउस फार्मिंग के बारे में जरूर सुना होगा। अगर आप इस तकनीक के बारे में नहीं जानते तो बता दें कि पॉली हाउस फार्मिंग को प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तकनीक के जरिए खेती करने से फसल प्राकृतिक मार से बहुत हद तक सुरक्षित रहती है। 

आज हम आपको अपने इस लेख और वीडियो के जरिए बताएंगे कि आखिर किस तरह पॉली हाउस फार्मिंग की जाती है। इसमें किन साधनों की जरूरत होगी और किस तरह फसल की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। अगर आप पॉली हाउस फार्मिंग से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं आप हमारे इस लेख और वीडियो पर बने रहें। 

क्या है पॉली हाउस फार्मिंग और इसे करने का तरीका 

  • पॉली हाउस फार्मिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें खेती की जमीन के ऊपर एक पॉलिथीन का शेड बनाया जाता है। 
  • इसके बाद इसमें फसल के बीज न डालकर फसल के पौधों को अलग से तैयार करके फसल पर तैयार किए गए बैड पर लगाया जाता है। इन पौधों के बीच में अक्सर 40 सेमी की दूरी बनाई जाती है। ताकि सभी पौधे सही तरीके से पनपते रहें। 
  • इसके साथ ही पौधों को बड़ा होने पर किसी धागे के सहारे सीधा रखने का प्रयास किया जाता है। 
  • इन सबके अलावा पॉली हाउस फार्मिंग में तापमान नियंत्रित करने का इंतजाम होता है। 
  • हवा की आवा जाही बनी रहे ये इंतजाम किया जाता है। 
  • मॉइस्चर, फर्टिलाइजर, और इरिगेशन सिस्टम भी लगाया जाता है। 

पॉली हाउस फार्मिंग के फायदे

  • इसके जरिए फसल की उत्पादकता अधिक रहती है। 
  • फसल मौसम और कीड़ों की मार से बची रहती है। 
  • पॉली हाउस के जरिए ऑफ सीजन सब्जियों और फलों की खेती की जा सकती है। 
  • पॉली हाउस पर किया गया एक बार का निवेश 10 साल तक आसानी से चल जाता है। 

कितनी है पॉली हाउस फार्मिंग की लागत 

अब बात करें पॉली हाउस की लागत की तो इसके सेट अप में करीब लाखों का खर्च आ जाता है। लेकिन अगर दिमाग लगाकर खुद से काम किया जाए तो यही लागत हजारों में भी रह सकती है। 

किसान भाइयों को ध्यान में रख कर निवेश करना चाहिए। ऐसे में अगर आप पॉली हाउस का सेटअप करने की सोच रहे हैं तो सभी चीजों की कीमत को जोड़कर प्लान बनाकर ही इसे लगवाएं। 

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दुनिया की सबसे महंगी कॉफी की खेती का तरीका। सिवेट कैट कॉफी।

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खेती की दुनिया से ताल्लुक रखने वाले किसान अक्सर कुछ गलतियां कर देते हैं। जिसकी वजह से या तो उनकी फसल कोई खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाता या फिर उन्हें उनकी फसल के सही दाम नहीं मिलते। ऐसे में अगर किसान भाई थोड़ा समझदारी से काम ले तो वो इन दोनों समस्याओं से बच सकते है। आज हम लेकर आए हैं किसानों के लिए दुनिया की सबसे महंगी कॉफी की जानकारी।

इस कॉफी को उगाने के साथ बाजार में उतारने के लिए सिवेट कैट या बीलाऊ बिल्ली की जरूरत भी होती है। शायद आप सोच में पड़ गए होंगे कि आखिर किसी फसल के उत्पादन के लिए बिल्ली की क्या जरूरत है। आज हम आपको इसी सिवेट कैट कॉफी के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। अगर आप इस तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

क्यों है सिवेट कैट कॉफी इतनी महंगी 

सिवेट कैट कॉफी को दुनिया की सबसे महंगी कॉफी भी कहा जाता है। आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस कॉफी की कीमत करीब 20 से 25 हजार रुपए किलो है। दरअसल ये कॉफी बिल्ली की पॉटी के जरिए तैयार की जाती है। इस कॉफी को बनाने के लिए किसान कॉफी की बैरीज के पौधे लगाते हैं। इन्हीं पौधों पर लगे हुए फलों को ये सिवेट कैट खा लेती हैं। 


इसमें ये बिल्ली बैरीज को तो खा लेती है। लेकिन इसके बीज को नहीं पचा पाती। यही बीज बिल्ली के मल के जरिए बाहर आ जाते हैं। इसमें मल को साफ करके बीज अलग किए जाते हैं और इसी से कॉफी तैयार की जाती है। ये भी एक कारण है जिसकी वजह से इस कॉफी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 20 से 25 हजार रुपए किलो है। 

सिवेट कैट कॉफी की खेती कहां होती है 

भारत के अंदर सिवेट कैट कॉफी की खेती कुर्ग में की जाती है। इस कॉफी की खेती को करने के लिए एक खास किस्म की जलवायु की आवश्यकता होती है। लेकिन अगर किसान भाई किसी तकनीक का सहारा लेना चाहें तो वो ऐसा कर सकते हैं। ऐसा करके वे इसकी खेती कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि इसमें ये सिवेट कैट की जरूरत होती है और इसी के मल के जरिए ये तैयार होती है। 

क्यों है ये कॉफी इतनी महंगी 

सिवेट कैट कॉफी इसलिए अधिक महंगी होती है क्योंकि इसे तैयार करने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसमें बिल्ली ने बैरीज खाकर मल कहां पर त्यागती है ये कोई नहीं जानता। जिसके चलते इसके मल को ढूंढने में समय जाता है। यही भी कारण है कि इसकी कीमत इतनी अधिक है। वहीं मल को एकत्रित करने के बाद बीजों की गुणवत्ता के हिसाब से ही कॉफी को बनाया जाता है। जिन बीजों की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। उन्हें फेंक दिया जाता है। 

भारतीय बाजार की कीमत 

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भले ही सिवेट कैट कॉफी की कीमत 20 से 25 हजार रुपए किलो है। लेकिन भारत के अंदर इसकी कीमत 5 से 8 हजार रुपए किलो ही है। वहीं बताया जाता है कि सिवेट कैट कॉफी का स्वाद लोगों को बेहद पसंद आता है। 

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जानिए डेयरी फार्म में एक गाय पर कितना होगा खर्च और मुनाफा

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पशुपालन की शुरुआत करने वाले लोग अक्सर इस दुविधा में रहते है कि अगर एक गाय या भैंस से पशुपालन शुरू किया जाए, तो इसमें कितना खर्च होगा या इससे कितनी आय अर्जित की जा सकती है। आज हम पशुपालक भाइयों को इसी दुविधा से निकालने के काम करेंगे। 

हम अपने पशुपालक भाइयों को बताएंगे कि अगर वो डेयरी फार्म एक पशु से भी शुरू करते हैं तो इससे वे कितना अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो पशुपालन करने की सोच रहे हैं तो ये लेख और वीडियो आपकी समस्या को पूरी तरह हल कर देगा। पशुपालन में शुरुआती समय में कितनी आय अर्जित की जा सकती है इससे जानने के लिए लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

गाय को कितना खाना पीना देना होगा


हम पशुपालक भाइयों को एक सटीक जानकारी देंगे। जिससे वे समझ पाएंगे कि एक गाय के रखरखाव का खर्च कितना होगा और इससे होने वाली आय कितनी होगी। उदाहरण के तौर पर हम मान लेते हैं कि आपके पास एक गाय है जो रोजाना 20 लीटर दूध देती है।

अगर गाय 20 लीटर दूध देती है तो ऐसे में आपको गाय को कम से कम 20 किलो हरा चारा खिलाना होगा। इसके अलावा 2 किलो ड्राई फूडर या तूड़ा देना है। 

वहीं 20 लीटर दूध के हिसाब से गाय को हर 2.5 किलो दूध पर 1 किलो कैटल फीड देनी होगी। इसके साथ मिनरल मिक्सचर भी खिलना होगा। अब अगर देखें कि इस सब में कितना खर्च होगा। 

गाय के खाने पीने में होने वाला खर्च

हम आपको बता दे कि चारे और आहार की बताई गई कीमत थोड़ी बहुत कम ज्यादा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जगह के हिसाब से ये कीमत बदलती रहती है। 

  • इसमें 20 किलो हरे चारे की कीमत 40 रुपए होगी। 
  • दो किलो तूडे़ की कीमत करीब 10 रुपए होगी। 
  • रोजाना के 9 किलो कैटल फीड की कीमत 180 रुपए होगी। 
  • 50 ग्राम मिनरल्स मिक्सचर की 9 रुपए होगी। 
  • इन सबका कुल जोड़ होगा करीब 239 रुपए। आप इस लागत को अधिकतम 250 रुपए भी हो सकते हैं। 

एक गाय से होने वाली आय और मुनाफा

  • अब बात करें दूध की कीमत की तो पशुपालक भाई अपना दूध आसानी से 40 रुपए किलो बेच सकते हैं। 
  • इस लिहाज से 20 किलो दूध की कीमत करीब 800 रुपए दिन की हो जाएगी। 
  • अब अगर इसमें से 250 रुपए खर्च के हटा दिए जाएं तो 550 रुपए रोजाना की कमाई हो सकती है। ये कमाई ग्रामीण क्षेत्र के हिसाब से बताई गई है। 

4 से 5 गाय पालने पर होने वाला लाभ

ऐसे में किसान भाई अगर 20 लीटर दूध देने वाली 4 -5 गाय भी पाल लें तो इन गायों से पशुपालक की रोजाना की आय करीब 2500 रुपए तक हो सकती है। इस तरह से पशुपालक भाई अपनी आय को लगातार बढ़ा सकते हैं। 

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जानिए क्यों डेयरी फार्म हो रहे हैं नुकसान के साथ बंद।

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डेयरी बिजनेस आज के समय का सबसे फायदेमंद बिजनेस माना जाता है। लेकिन बावजूद इसके हमारे देश में हर रोज न जाने कितने ही डेयरी फार्म घाटा खाने के बाद बंद हो जाते हैं। इसके पीछे की कई वजह है। इनमें से एक वजह के बारे में हम आपको बताने वाले हैं। दरअसल ये बात है बछड़ी या कटड़ी के पालन पोषण को लेकर। देश के अंदर ज्यादातर किसान या पशुपालन से जुड़े लोग बछड़ी के पालन पोषण पर ध्यान नहीं देते।

जिसकी वजह से पशु की उत्पादकता खराब ही रहती है। ऐसे में पशुपालक भाइयों को अपनी बछड़ी की किस तरह देखभाल करनी चाहिए और किस तरह उसे भविष्य के लिए तैयार करना चाहिए। यही जानकारी हम देने वाले हैं। अगर आप इसी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कैसे कमाएं डेयरी फार्म से मुनाफा


ऐसे कई पशुपालक हैं जो अक्सर गाय या भैंस सीधा खरीद कर लाते हैं। ये लोग कभी भी बछड़ी को तैयार नहीं करते। जिसकी वजह से डेयरी में नुकसान होता है। लेकिन अगर पशुपालन करने वाले लोग किसान बछड़ियों को सही तरह देखभाल करें तो इससे वो नुकसान से बच सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें बछड़ी तैयार। 

  • इसके लिए जैसे ही बछड़ी या कटड़ी पैदा हो तब से लेकर उसके हीट में आने के समय तक उसके खान पान का पूरा ध्यान रखें। 
  • बछड़ी के पैदा होते ही उसे खीज जरूर पिलाएं। 
  • जन्म के 15 दिन बाद ही बछड़ी की डी वार्मिंग करा लें। 
  • इसके बाद जैसे ही बछड़ी दो से ढाई महीने की हो उसे काल्फ स्टार्टर देना शुरू कर दें।
  • बछड़ी को हर समय बांध कर रखने की गलती न करें। जब वह पानी पी रही हो या चारा खा रही हो तभी उसे बांधे। इसके अलावा उनके लिए एक ऐसी जगह बना दें जहां वह खुल कर घूम सकें या खड़े रह पाएं। इससे बछड़ी का शारीरिक विकास अच्छा होता है। 
  • बछड़े को उसकी मां का दूध पर्याप्त मात्रा में पीने दें और छाछ आदि भी उन्हें जरूर पिलाएं। 
  • कई बार पशुपालक भाई एक गलती यह भी करते हैं कि बछड़ी को मिनरल मिक्सचर नहीं देते उन्हें लगता है कि ये केवल तभी देना चाहिए जब गाय गाभिन हो। लेकिन ये गलती आपको नहीं करनी है। आपको पशु को मिनरल मिक्सचर जरूर देना। 
  • पशु को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में जरूर दें। ऐसा करने से पशु को सभी पोषक तत्व मिलेंगे और उसका विकास बेहतर होगा। 
  • इन सबके अलावा जब वे हीट में हो तो सीमेन या अच्छे बुल का ही इस्तेमाल करें। इससे बछड़ी जब गाय बनेगी तो वह अधिक मात्रा में दूध देगी। 
  • अगर डेयरी फार्म से मुनाफा बनाना है तो पशुपालक भाइयों को खुद से बछड़ी और कटड़ी को तैयार करना होगा। तभी डेयरी फार्म में मुनाफे को बढ़ाया जा सकेगा। 

अगर पशुपालक भाई बछड़ियों की देखभाल करने पर ध्यान दे तो इससे अच्छी गाय तैयार होंगी और दूध उत्पादन भी बेहतर होगा। 

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ऐसा अनाज पशुओं के लिए बन सकता है जहर

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देश के ज्यादातर पशुपालन करने वाले लोग अपने पशु या गाय भैंस को साधारण चारा ही खिलाते हैं। इसके अलावा चारे के साथ अनाज आदि भी अक्सर पशुओं को दे देते हैं। लेकिन यही अनाज पशुओं के लिए मौत बन जाता है। अब अगर आपको ऐसा लग रहा है के अनाज की वजह से ही पशुओं की मौत हो जाती है तो आप गलत है। दरअसल ये तब होता है जब पशुपालक भाई अनाज का रखरखाव ठीक से नहीं करते।

यानी की अनाज के प्रति पशुपालकों की लापरवाही पशुओं की जान ले लेती है। आज हम इसी विषय पर विस्तार से बात करेंगे, कि आखिर कब अनाज पशुओं के लिए जहर बन जाता है। अगर आप ये जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कब जहर बनता है अनाज 

पशुपालन करने वाले ज्यादातर पशुपालक भाई अपनी गाय और भैंसों को चारे के साथ अनाज भी खिला देते हैं या अनाज से बना आटा खिलाते हैं। जिसमें कोई खराबी नहीं है। लेकिन कई बार नमी भरा अनाज भी पशुओं को खिला देते हैं जो वे घर में इस्तेमाल नहीं कर सकते। या इस्तेमाल नहीं करना चाहते। 

ये नमी से भरा पूरा अनाज पशुओं के शरीर में कई समस्याएं पैदा कर देता है। 

आपको बता दें कि पशु को जब नमी वाला अनाज खिलाया जाता है तो इसमें कई बार फंगस भी लग जाती है। 

यही फंगस पशु के पेट में जाकर उन्हें बेहद परेशान करती है। जिसके चलते न केवल उनकी दूध उत्पादकता कम हो जाती है, बल्कि कई बार वो अपनी प्रजनन क्षमता ही खो देते हैं। 

क्यों फंगस भरा अनाज ले लेता है पशु की जान 

ऐसा इसलिए क्योंकि फंगस की वजह से लगे रोगों का कोई ठोस इलाज मौजूद नहीं है। ऐसे में जब पशु को फंगस के कारण रोग लगते हैं तो उनकी स्थिति काबू से बाहर निकल जाती है। यही स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती रहती है और पशु को मौत की नींद तक सुला देती है। 

अनाज को फंगस लगने से कैसे बचाएं

  1. अमूमन पशुपालकों को ये लगता है कि सीलन या नमी केवल बारिश के दिनों में ही आएगी। लेकिन ऐसा होता नहीं है। अनाज सर्दियों के दौरान भी नमी पकड़ लेता है और बाद में इसमें फफूंद लग जाती है और अनाज पूरी तरह काला हो जाता है। 
  2. यही पशु के पेट में जमता है और कीड़े पैदा हो जाते हैं। इसलिए अपने पशु को स्वस्थ अनाज ही दें। 
  3. इसके अलावा हर मौसम के अंदर अनाज की स्टोरेज अच्छी तरह से करें ताकि अनाज में न तो नमी पड़े न ही फंगस आए। 
  4. ऐसा करके न केवल आप अपने अनाज को बर्बादी से बचा पाएंगे। बल्कि अपने पशुओं को भी स्वस्थ आहार दे पाएंगे। इससे पशु स्वस्थ रहेंगे और उनकी दूध उत्पादकता भी बनी रहेगी। 
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