जानिए क्या है, गाय के दूध की मात्रा बढ़ाने का वैदिक उपाय

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पशु के दूध से आय अर्जित करने वाले लोग, अक्सर पशु के दूध की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे में कई बार तो पशुपालक दूध बढ़ाने के लिए पशु को इंजेक्शन या दवाएं देने लगते हैं। जिसकी वजह से दूध की मात्रा तो बढ़ जाती है। लेकिन इसका विपरीत असर पशु की प्रजनन क्षमता पर होने लगता है। पशुपालक की यह गलती पशु को पूरी तरह से बांझ भी बना सकती है। 

पशु पालन करने वालों की इसी समस्या का देसी उपचार लेकर हम हाज़िर हुए हैं। हम अपने इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे गाय के दूध को बढ़ाने की वैदिक खुराक के बारे में। अगर आप डेयरी उद्योग से जुड़े हुए व्यक्ति हैं, तो यह लेख आपके बहुत काम आ सकता है। आइए चलिए विस्तार से जानते हैं गाय की वैदिक खुराक से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।

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गाय की वैदिक खुराक क्या है 

किसान भाई गाय के दूध को बढ़ाने के लिए कुछ देसी खाद्य सामग्रियों का विकल्प चुन सकते हैं। इनमें से कुछ की सूची हम आपको नीचे दे रहे हैं। इसके अलावा आपको बता दें कि इस सूची में दी गई सामग्री की मात्रा पूरे महीने में इस्तेमाल की जाने वाली है। पशु को एक ही दिन में इस मात्रा में यह चीजें देना पूरी तरह गलत होगा। 

  • 30 किलोग्राम जौ 
  • 5  किलोग्राम तारा 
  • 15 किलोग्राम सोयाबीन या मूंग की दाल का छिलका 
  • 5 किलोग्राम गुड़
  • 3 किलोग्राम मेथी दाना
  • 10 किलोग्राम सरसों
  • 30 किलोग्राम कपास के बिनौले
  • 30 किलोग्राम दलिया 
  • 20 किलोग्राम चने 
  • 3 किलोग्राम मेथी दाना
  • 2 किलोग्राम सूखे आंवले
  • 1 किलो मीठा सोडा
  • 250 ग्राम जीरा 
  • 250 ग्राम सौंफ
  • 1 किलोग्राम साबुत लहसुन 

इस सूची में जो भी सामग्री आपको दिखाई दे रही हैं। यह एक महीने का आहार है, जो आप अपने पशुओं को दे सकते हैं। 

गाय के दूध को बढ़ाने के लिए वैदिक खुराक में आप उन्हें तारामीरा, सरसों, जौ, गेहूँ, कपास के बिनौले, चने छिलका और मीठा सोडा आदि पीसकर दे सकते हैं। इसके अलावा इनका दलिया बनाकर ठंडा करके पशु को दिया जा सकता है। 

पशुपालक इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति में गाय को हरा चारा जरूर दें। इसके अलावा कोशिश करें कि हरे चारे की मात्रा 25 से 30 किलो जरूर हो। 

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गाय को यह न दें

गाय के जरिए आय प्राप्त करने वाले पशुपालक इस बात को जेहन में रखें कि गाय के लिए कच्चा आटा खतरनाक होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह आटा गाय के पेट में जाकर चिपक जाता है। इसके बाद अगर पशु को पेट के कीड़े की दवा दी जाए तो ऐसे में यह कीड़े इस चिपके आटे में छिप जाते हैं। जिसकी वजह से पशु के दूध देने की मात्रा कम हो जाती है। 

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