मानसून में पशु खरीदते समय रखेंगे इस बात का ध्यान तो नहीं होगा नुकसान

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पशुपालन जगत से जुड़े हुए लोग भारत की जीडीपी में एक अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में पशुपालकों को अगर किसी तरह का आर्थिक नुकसान होता है, तो ये नुकसान देश की जीडीपी का भी है। पशुपालकों को इस तरह के नुकसानों से बचाने के लिए सरकार और कुछ निजी संस्थान बड़े प्रयास करते रहते हैं। लेकिन बावजूद इसके पशुपालकों किसी न किसी वजह से आर्थिक नुकसान हो ही जाता है। आज हमारे इस लेख के जरिए हम पशुपालक भाइयों की आय को बढ़ाने और नुकसान से बचाने का एक तरीका बताएंगे।

 पशुपालकों की आय का बड़ा हिस्सा पशु खरीदने पर ही जाता है। ऐसे में गलत मौसम के दौरान खरीदा गया गलत पशु पशुपालक को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए आज के इस लेख में हम अपने पशुपालक भाइयों को बताएंगे कि वह मानसून के दौरान किस तरह का पशु खरीदें और किस तरह के पशु को बिल्कुल भी न खरीदें। अगर आप एक पशुपालक हैं ये महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख पर अंत तक बने रह सकते हैं।

मानसून में पशु खरीदते समय सावधानी क्यों जरूरी 

मानसून के दौरान पशुओं को रोग की चपेट में आने का खतरा अधिक होता है। ये रोग इतने संक्रामक और खतरनाक होते हैं कि ये पशु की जान रातों रात ले लेते हैं। आज हम इसलिए जरूरी है कि पशुपालक भाई मानसून के  दौरान एक सही पशु का ही चुनाव करें। वरना पशु पर लगाई गई पूरी धनराशि बर्बाद हो सकती है।

मानसून में कैसा पशु न खरीदें 

डेयरी उद्योग में काम करने वाले पशुपालक भाई मानसून के दौरान एक ऐसा पशु बिल्कुल भी न खरीदें जो 7 से 8 महीने के गाभिन हो। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भावस्था के इस समय पशु के रोग की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहद कमजोर हो जाती है। इसके अलावा रोग के चलते पशु का गर्भपात होने का खतरा भी अधिक रहता है। इस मौसम में लगने वाले गलघोटू जैसे रोग पशु को रातों रात मौत की नींद सुला देते हैं। इसलिए मानसून में ऐसा पशु न खरीदें जो 7 से 8 महीने का गाभिन हो।

मानसून में कैसा पशु खरीदें और क्यों

  1. पशुपालक भाइयों को मानसून के समय ऐसा गाय या भैंस खरीदनी चाहिए जो 2 से 3 माह की गाभिन हो। 
  2. ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भावस्था के इस काल में पशु को अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती। 
  3. इसके साथ ही पशु का प्रसव फरवरी से मार्च के बीच होता है। जिस समय बाजार में दूध और उससे बने उत्पादों की मांग काफी हद तक बढ़ जाती है। और दूध के दाम भी बढ़ने लगते हैं।
  4. अगर इस दौरान पशु का प्रसव हो जाता है तो बाजार की डेयरी उत्पादों की मांग का पशुपालक भाई लाभ उठा सकते हैं। पशुपालक भाई अगर इस छोटी सी बात का ध्यान रखें तो वह अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं।

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