जानिए कैसे Aeroponics तकनीक से हवा में की जाती है आलू की खेती।

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अगर भारत को एक विकसित देश बनाना हैं तो इसके लिए जरूरी है कि किसानों की आय बढ़े। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में हो रहे आधुनिक बदलावों को छोटे – छोटे स्तर पर भी अपनाया जा सके। इसलिए आज हम एक ऐसी तकनीक लेकर आए हैं। जिसके जरिए आप आसानी से हवा में आलू की खेती कर सकते हैं। ये बात सुनने में अजीब लग सकती है। लेकिन है पूरी तरह सच। 

आज के समय में बहुत सी जगह पर एरोपोनिक्स तकनीक के जरिए आलू की खेती की जा रही है। आज हम इसी तकनीक को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही एरोपोनिक्स तकनीक के जरिए खेती करने के फायदे और लागत क्या है, ये भी जानेंगे। अगर आप भी हवा में आलू की खेती करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें।

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क्या है एरोपोनिक्स तकनीक 

ये आज के युग की एक ऐसी तकनीक है जिसमें बिना मिट्टी के खेती की जाती है। इसमें पौधों की जड़ों को एक अंधेरी जगह में हवा में रखा जाता है। वहीं फसल के ऊपरी भाग को सूरज कके सामने रखा जाता है। इसमें फसल की जड़ों को सीधा पोषक तत्व दिए जाते हैं और इससे फसल तेजी से बढ़ने लगती है और आलू जैसी सब्जी की फसल भी 40 से 70 दिन में तैयार हो जाती है। 

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एरोपोनिक्स तकनीक से खेती के फायदे 

इस तकनीक के जरिए खेती करने के कई फायदे हैं। जिनमें से सबसे बड़ा फायदा ये है कि इस तरीके से खेती करने से पानी की बचत हो सकेगी और ऐसी जगह भी आलू उगाया जा सकेगा। जहां पानी की कमी बहुत ज्यादा है। 

एरोपोनिक्स तकनीक के जरिए खेती करने का दूसरा बड़ा फायदा ये है कि आलू की गुणवत्ता बहुत बेहतर होगी। इसके अलावा आलू का आकर भी एक जैसा होगा। जिसके चलते इन्हें चिप्स कंपनियों के जरिए बेचा जा सकेगा। 

एरोपोनिक्स तकनीक से खेती करने के लिए आपको उपजाऊ मिट्टी की जरूरत भी नहीं होती। ऐसा इसलिए क्योंकि ये खेती हवा में होती है और इस तकनीक में मिट्टी का योगदान नहीं होता। 

कैसे काम करती है एरोपोनिक्स तकनीक 

  • इसमें फसल का जड़ वाला हिस्सा अंधेरे में और हवा में रहता है। इसके ठीक नीचे कुछ नोजल लगे होते हैं। 
  • ये नोजल समय – समय पर पोषक तत्वों का छिड़काव फसल पर करते हैं। 
  • इन नोजल में मौजूद पोषक तत्व एक टैंक से पानी के जरिए फुहार के रूप में आते हैं। 
  • टैंक में पोषक तत्वों का घोल डाला जाता है और हर दो सप्ताह में बदला जाता है। 
  • फसल पर हर 5 मिनट बाद 30 सेकंड तक पोषक तत्वों की फुहार पड़ती रहती है। 
  • फसल की ताजगी बनाए रखने के लिए इसके पत्तों पर पानी की फुहार ऊपर से छोड़ी जाती है। 
  • ये पूरी यूनिट इलेक्ट्रिसिटी से चलती है और पूरी तरह ऑटोमेटिक होती है। 
  • इसके अलावा फसल को कीड़ो से बचाने के लिए समय – समय पर कीटनाशक डाला जाता है। 

एरोपोनिक्स तकनीक में लागत 

खेती करने की ये तकनीक थोड़ी महंगी जरूर है। लेकिन ये एक बार का निवेश किसान भाइयों को 10 साल तक आराम दे सकता है। इस यूनिट की लागत 6 से 10 लाख रुपए हो सकती है। 

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