पशुओं में लंगड़ा रोग फैलने पर क्या करना चाहिये?

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(क) पशु चकित्सक से तुरन्त संपर्क कर के बचाव टीका (वैक्सीन) पशुओं को लगवा लेना चाहिये।
(ख) रोग कि छूत फैलने से रोकने के लिये मरे पशुओं व भूमि में 2-2.5 मीटर की गहरई तक चूने से ढक कर दबा देना चाहिये।
(ग) जिस पशुघर में किसी पशु की मृत्यु हुई हो उसे फिनाईल मिले पानी से धोने चाहिये। कच्चे फर्श की 15 सेंटीमीटर गहरी मिट्टी में चूना मिला कर वहाँ बिछा दें।

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पशुओं को लंगड़ा रोग से कैसे बचाएं?

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जिस क्षेत्र में यह रोग होता है वहाँ के पशुपालक अपने 4 मास से 3 वर्ष के सभी गौ जाति के पशुओं को इस रोग के बचाव का टीका अवश्य लगवाएँ। इस टीके का असर 6 माह तक रहता है। मई में यह टीका अवश्य लगवा लेना चाहिये। भेड़ों में उन कतरने या बच्चा देने से पहले यह टिका लगवा लेने चाहिये।

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पशुओं में लंगड़ा रोग का इलाज कैसे करना चाहिये?

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एंटीबायोटिक दवाओं का टीका लाभकारी होता है। लेकिन ये टीका आरम्भ में ही लाभदायक होते हैं।

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पशुओं में लंगड़ा रोग के लक्षण बताएं?

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एक पशुपालक की आय बहुत हद तक इस बात पर तो निर्भर करती है कि वह कैसी नस्ल का पशु खरीदता है। लेकिन जब बात पशु से आय अर्जित करने की आती है, तो इसमें स्वास्थ्य का भी एक अहम रोल होता है। ऐसे में पशु को स्वस्थ रखने के लिए जितने भी जरूरी इंतजाम है, वह तो किए ही जाने चाहिए। इसके साथ ही पशु के शरीर में होने वाले बदलाव या लक्षणों पर भी बारीकी से नजर रखनी चाहिए। कई बार पशु के शरीर में आने वाले बदलाव या दिखाई देने वाले लक्षण किसी रोग के हो सकते हैं।

आज हम आपको पशुओं में होने वाले लंगड़े बुखार के लक्षणों से रूबरू कराएंगे। इस रोग का बहुत बुरा असर पशुधन पर भी होता है। जिसकी वजह से पशुपालकों की आय भी घट जाती है। अगर आप एक पशुपालक हैं और लंगड़े बुखार के लक्षणों से जुड़ी जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ें। 

लंगड़ा बुखार क्या है 

लंगड़ा बुखार जिसे लोग ब्लैक क्वार्टर के नाम से भी जानते हैं। यह रोग पशुओं में बारिश के दिनों में मिट्टी के जरिए पैदा होता है। इस रोग के पीछे क्लोस्ट्रीडियम चौवाई नामक जीवाणु होता है। आपको बता दें कि यह जीवाणु मिट्टी में बीजाणु पैदा कर देता है, जो लंबे समय तक मिट्टी में मौजूद रहते हैं। इस रोग का असर पशुधन पर भी होता है। नीचे हम आपको लंगड़े बुखार के लक्षण से जुड़ी जानकारी साझा कर देंगे। 

लंगड़े बुखार के लक्षण 

पशुपालक भाइयों को यह जानकारी होनी चाहिए कि किसी भी रोग के उपचार हेतु रोग के लक्षणों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। इसलिए अब हम आपको लंगड़े बुखार के लक्षण नीचे बता रहे हैं। 

  • जब कोई पशु लंगड़े बुखार से संक्रमित होता है, तो उसके शरीर का तापमान बहुत अधिक हो जाता है। जानकार बताते हैं कि लंगड़े बुखार के दौरान पशु के शरीर का तापमान 106 से 107 फारनेहाइट तक हो जाता है। 
  • लंगड़े बुखार के दौरान पशु की खाने पीने में अधिक रुचि नहीं रहती और वह खाना पीना पूरी तरह छोड़ देता है।
  • पशु जब लंगड़े बुखार से संक्रमित होता है तो उसके शरीर को देखकर लक्षण का पता लगाया जा सकता है। आपको बता दें कि लंगड़े बुखार से संक्रमित पशु के आगे और पीछे के पैरों के ऊपरी हिस्से में सूजन आ जाती है। इसके साथ ही वह चलते हुए लंगड़ाने लगता है। 
  • लंगड़े बुखार के दौरान पशु के शरीर में सूजन आती है। इस सूजन को दबाने पर कड़ – कड़ की आवाज आती है। 
  • लंगड़े बुखार में जब पैरों में सूजन आती है, तो इसके शुरुआती समय में सूजन में भयंकर दर्द होता है। वहीं जब सूजन को वक्त हो जाता है तो इसमें पशु को कोई दर्द नहीं होता। 
  • इस सूजन को दूर करने के लिए जब पशु के पैरों पर चीरा लगाया जाता है, तो उसमें से काले रंग का खून निकलता है। जिसमें से झाग भी निकलते हैं। 
  • पैरों के अलावा पशु के कंधे और पीठ पर भी यह सूजन दिखाई दे सकती है। 
  • पशु के जिस भी हिस्से में सूजन आती है उस हिस्से की त्वचा सूखकर टाइट हो जाती है। 
  • आपको बता दें कि लंगड़े बुखार के दौरान पशु की मौत एक से दो दिन  में हो जाती है। 
  • लंगड़े बुखार के दौरान पशु के पुठ्ठों में सूजन आ जाती है। 

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लंगड़ा बुखार होने का क्या कारण है?

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पशुपालन के ऊपर निर्भर व्यक्ति के जीवन में कई बड़ी चुनौतियां होती हैं। जिनमें से एक सबसे बड़ी चुनौती है, पशुओं को रोग से बचाए रखने की। पशु के रोगी हो जाने पर न केवल उनकी उत्पादकता घट जाती है। बल्कि कई बार तो पशुओं की मौत भी हो जाती है। ऐसे में पशुपालकों को यह पता होना चाहिए की किसी भी रोग होने का मुख्य कारण क्या है। आज हम ऐसे ही रोग के कारणों पर से पर्दा उठाएंगे।

हम बात कर रहे हैं, लंगड़े बुखार के बारे में। यह एक खतरनाक रोग है जो अमूमन दुधारू पशुओं को होता है। इनमें भी सबसे अधिक खतरा गाय को इस रोग से होता है। लंगड़े बुखार को कुछ लोग ब्लैक क्वार्टर के नाम से भी जानते हैं। आज हम अपने इस लेख में आपको ब्लैक क्वार्टर या लंगड़े बुखार के कारण के बारे में विस्तार से बताएंगे। अगर आप एक पशुपालक हैं और अपने पशुओं को इस रोग से बचाकर रखना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

लंगड़ा बुखार कब होता है

पशुओं में होने वाले ज्यादातर रोग अक्सर बारिश के दिनों में ही होते हैं. इसके पीछे की वजह है, बारिश के दिनों में जीवाणुओं का पनपना और उनका सक्रिय हो जाना। ब्लैक क्वार्टर या लंगड़ा बुखार भी इन्ही रोगों में से एक है। यह भी बारिश के दिनों में ही अक्सर गाय या अन्य पशु को होता है। लंगड़े बुखार को अलग – अलग भाषाओं में अलग – अलग नाम से जाना जाता है जैसे जहरबाद, फडसूजन, काला बाय, कृष्णजंधा, लंगड़िया, एकटंगा आदि। 

किस आयु के पशु को है खतरा 

आपको बता दें यूं तो यह रोग अमूमन हर क्षेत्र में पाया जाता है। लेकिन इसके होने की सबसे अधिक संभावना पशु को तब होती है जब वह छोटा है। बताया जाता है कि गाय या भैंस को यह रोग 6 महीने की आयु से लेकर 3 साल की आयु तक हो सकता है। वहीं एक बार पशु अगर इस आयु को लांघ जाए तो फिर लंगड़े बुखार होने की संभावना बेहद कम रह जाती है। इसके अलावा यह रोग अक्सर उन पशुओं को शिकार बनाता है जो शारीरिक रूप से अधिक स्वस्थ हों। 

लंगड़े रोग का कारण 

लंगड़ा बुखार मिट्टी में पैदा होने वाले एक जीवाणु से होता है। इसका नाम क्लोस्ट्रीडियम चौवाई है। आपको बता दें कि यह जीवाणु बीजाणुओं को पैदा करता है और सालों तक मिट्टी में जीवित रहता है। इसके अलावा अगर कोई पशु इस रोग से संक्रमित हो तो उसके संपर्क में आने से यह दूसरे पशुओं को भी प्रभावित कर सकता है। इस रोग से पशु को बचाने के लिए पशुपालक भाइयों को साफ सफाई का ख्याल रखना चाहिए। इसके साथ ही पशु को बारिश के मौसम में गिली मिट्टी के संपर्क में आने से रोकना चाहिए।  

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