संक्रामक रोग छूआछूत रोगों से किस प्रकार भिन्न हैं ?

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छूआछूत रोग संक्रामित व्यक्तियों एवं पशुओं के निकट संपर्क में आने से ही फैलता है जबकि संक्रामक रोग निकट सम्पर्क के अलावा संक्रमित खाद्य पदार्थ, पेयवस्तु एवंम संक्रामित कपड़े विद्वावन वर्तन इत्यादि द्वारा भी फैल सकते है। (सभी छुआछूत रोग संक्रामक रोग होते हैं परन्तु सभी संक्रामक रोग छुआछूत के रोग नहीं होते हैं!)

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संक्रामक रोग कैसे संक्रामित होते हैं ?

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संक्रामक रोग मुखयतः संक्रामक रोगवाहको के सीधे समपर्क में आने से संक्रमित खाद्य पदार्थों पेय वसतुओं और इसके अलावा संक्रमित वयक्ति एवमं पशु भी इन रोगों को स्वसथ वयक्तियों एवमं पशुओं को संक्रमित करने में शयक होते हैं।

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संक्रामक रोग क्या होते है?

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सूक्ष्मजीवीजनित रोग जैसे जीवनाणु, विषाणु, फंफूद, माइकोपलाज्मा इत्यदि जनित रोगों को संकामक रोग खते हैं। उदाहरणतः एँथरेकस (तिलली रोग), टूयबरकूलोसिस (क्षय रोग), मुहँ-खुर पका , गलघोंटू इतयादि।

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राजस्थान में गाय-भैंस के प्रमुख जीवाणु जनित रोग कौन-कौन से है?

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गाय-भैंस के प्रमुख जीवाणु जनित रोग:- – एंथ्रेक्स (तिल्ली रोग) – टूय्ब्र्कूलोसिस (क्षय रोग) – H.S. (गलघोंटू) – ब्रूसलोसिस – बलैक क्वाट़र (लंगड़ा बुखार) – टिटेनस – मस्टाइटिस (थनैला रोग)

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पशुओं में लंगड़ा रोग की छूत कैसे लगती है?

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गौ जाति के पशुओं में इस रोग कि छूत खाने-पीने की वस्तुओं द्वारा फैलती हैं। भेड़ों में यह रोग ऊन उतारने , पूछँ काटने और नपुँसक करने के पश्चात ही होता है।

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