गाय भैंस के थनों की सूजन ठीक करने के लिए सबसे जबरदस्त ऑइंटमेंट

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देश में पशुपालन करने वाले लोगों को न जाने कितनी ही समस्या का सामना करना पड़ता है। इसमें चाहे पशु का दूध कम देना हो या फिर पशु को किसी तरह की समस्या हो जाना। आज हम आपको एक ऐसी ही समस्या के बारे में बताएँगे, जो लगभग हर पशुपालक को कभी न कभी झेलनी ही पड़ती है। दरअसल हम बात कर रहे हैं पशु के थनों में आने वाली सूजन के बारे में। आज इस लेख और वीडियो में हम इसी समस्या का समाधान बताने वाले हैं. अगर आप एक पशुपालक हैं और पशु के थनों की सूजन की समस्या से परेशान हैं तो ये लेख और वीडियो आपके काफी काम आ सकता है। 

क्यों आती है पशु के थनों में सूजन 

गाय भैंस के थनों में सूजन आने की समस्या बेहद आम है और अक्सर ये सूजन पशु के थनों में किसी तरह की चोट लगने की वजह से होती है, या फिर पशु के सही तरह से दूध न निकालने की वजह से होती है। इसके अलावा अन्य दूसरे कई कारण है जिसकी वजह से ये समस्या पशु में हो सकती है।

पशु के थनों का उपचार कैसे करें 

पशुपालक थनों की सूजन दूर करने के लिए कई तरह के उपाय या उपचार अपनाते हैं। लेकिन फिर भी सूजन की स्थिति ठीक नहीं हो पाती। इसका मुख्य कारण है कि ये उपचार या उपाय उतने कारगर नहीं होते। ऐसे में पशुपालक भाइयों को एक सही जानकारी और उपचार की आवश्यकता होती है। 

इस स्थिति में पशुपालक भाई अपनी गाय और भैंस के थन पर Inflamin ऑइंटमेंट लगा सकते हैं। इस ऑइंटमेंट को अच्छी तरह से पशु के थनों पर लगाना है। इस ऑइंटमेंट को लगाते हुए ध्यान रखें कि इसकी एक परत पशु के थन पर बन जाए। जब ऐसा हो जाएगा तभी पशु के थनों को सूजन से राहत मिलेगी 

दवा लगाने का समय 


अगर पशु के थनों में सूजन अधिक है तो आप इसे पशु को थन में दो से तीन बार लगा सकते हैं। लेकिन अगर सूजन कम है तो आप एक बार सुबह और एक बार शाम को पशु के थनों पर इसे लगाए। 

दवा के अन्य विक्ल्प

अगर पशुपालक भाइयों को Inflamin ना मिले तो वो Thrombophob भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि ये क्रीम इंसानों के लिए है। लेकिन अगर इंफ्लामिन ना मिले तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही पशुपालक भाई देसी उपचार भी कर सकते हैं। ध्यान रहे कि नियमितता से उपचार प्रक्रिया पालन करने से ही पशु ठीक हो पाएगा। 

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जानिए क्या है Calcium Gel और कैसे किया जाता है इसका इस्तेमाल। Ionic Calcium

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डेयरी क्षेत्र से जुड़े किसान और पशुपालक अक्सर अपने पशु की दूध उत्पादन क्षमता को लेकर परेशान रहते हैं। ऐसे में ये लोग अपने पशु का दूध बढ़ाने के लिए उन्हें उचित आहार से लेकर उनका पूरा ध्यान रखते हैं। लेकिन बावजूद इसके कई बार पशु की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ती ही नहीं है। 

आपको बता दें कि ऐसा अक्सर तब होता है जब पशु के शरीर में आयनिक कैल्शियम की कमी हो जाती है। ज्ञात हो कि ये साधारण कैल्शियम से अलग होता है। ऐसे में आज हम आपको समस्या का समाधान बताने वाले हैं। अगर आप भी अपने पशु की दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कैल्शियम जेल से होगी ये समस्या खत्म


पशु के दूध कम देने से पशुपालकों को खासा नुकसान होता है। ऐसे में पशुपालक आहार के साथ  न जाने कितने ही जतन अपनाते हैं। लेकिन पशु का दूध जरा भी नहीं बढ़ता। आपको बता दें ऐसा तब होता है जब पशु के शरीर में आईयनिक कैल्शियम की कमी हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए पशुपालक भाई अक्सर पशु को कैल्शियम के इंजेक्शन दिलवा दे देते हैं। लेकिन ये तरीका कारगर नहीं होता। 

ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्थिति में पशु की हड्डियों और खून में सीधा कैल्शियम चाहिए होता है। इसके लिए पशु को आयनिक कैल्शियम सीधा पशु को देने की जरूरत होती है। जो बाजार में कैल्शियम जेल के नाम से भी जाना जाता है। 

ये कैल्शियम जैल पशु को देते ही उसकी स्थिति में सुधार हो जाता है। आपको बता दें कि ये सीधा पशु की हड्डियों और खून तक पहुंचता है और उनकी दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है। 

कैल्शियम जैल की कीमत और डोज  

इस कैल्शियम जैल को आप आसानी से पशु की दवाओं की दुकान से खरीद सकते हैं। ये महज 170 रुपए से शुरू होता है और 300 रुपए तक इसकी कीमत जाती है। बाजार में कई कैल्शियम जैल मौजूद हैं जो आपकी जेब के लिए सही लगे उसे खरीदें। 

ध्यान रहे कि ये कैल्शियम जैल की तीन डोज पशु को देनी है। इसमें एक डोज कुल 300 एमएल की होगी। इस डोज को पूरा करने के लिए आप तीन डोज खरीदें। लगातार तीन दिन देने पर पशु की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी। 

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जानिए कब साइलेज बन जाता है पशु की उत्पादकता का दुश्मन। Silage

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डेयरी जगत से जुड़े पशुपालक इस बात को भली भातिं जानते हैं कि पशुओं के लिए हरा चारा कितना महत्वपूर्ण है। लेकिन देश के हर हिस्से में पूरे साल हरा चारा मौजूद नहीं होता। ऐसे में पशुपालक या तो पशु को केवल भूसा देने लगते हैं, या फिर साइलेज देते हैं। साइलेज पशुओं को स्वाद भी लगता है और इसके फायदे भी अधिक होते हैं। 

लेकिन बावजूद इसके कई बार साइलेज की वजह से पशु की दूध उत्पादन क्षमता और फैट कम होने लगता है। आज हम इसी समस्या के ऊपर विस्तार से चर्चा करेंगे। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आखिर क्यों साइलेज की  वजह से पशु के दूध की गुणवत्ता कम हो जाती है, तो आप हमार एसि लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

क्या है साइलेज 

साइलेज पशुओं के लिए वो आहार है जो हरे चारे का एक बेहतरीन विकल्प है। लेकिन यही विकल्प अक्सर पशुओं की उत्पादकता और दूध की गुणवत्ता का दुशमन बन जाता है। ऐसा कई कारणों की वजह से हो सकता है। जैसे साइलेज का सही न होना, साइलेज की अधिक मात्रा और साइलेज के साथ अन्य चीजों को मैनेज न करना। 

क्यों दिया जाता है साइलेज


आपको बता दें कि पूरे साल पशुओं का हरा चारा खिला पाना लगभग नामुमकिन है। ऐसे में पशु को सभी पोषक तत्व मुहैया कराने के लिए साइलेज का सहारा लिया जाता है। साइलेज बाजार से भी खरीदा जा सकता है और इसे खुद भी तैयार किया जा सकता है। आपको बता दें कि साइलेज एक ऐसा आहार है जिसमें हरे चारे के सभी पोषक तत्व एवं गुण मौजूद होते हैं। यानी कि इसका इस्तेमाल इसलिए ही किया जाता है कि पशु को सभी गुण और पोषक तत्व मिल जाएं जो उसे हरे चारे से मिलते हैं। इसके साथ ही साइलेज का स्वाद भी पशुओं को काफी पसंद आता है। 

क्यों या कब नुकसान पहुंचाता है साइलेज 

अब सवाल उठता है कि आखिर ये नुकसानदायक कब हो जाता है। तो आपको बता दें कि जब साइलेज बनाया जाता है तो इसमें घुलनशील कार्बोहाइड्रेट  के अंदर किनुअन होता है जिससे लैक्टिक एसिड पैदा होता है। ये पशु के रूमन का पीएच स्तर गिरने लगता है। 

वहीं जब आप साइलेज के साथ अनाज या अन्य पदार्थ देते हैं तो इसका स्तर और भी अधिक गिर जाता है। यही कारण भी है जिसकी वजह से पशु के दूध की गुणवत्ता और उत्पादकता घटने लगती है। 

साइलेज के साथ मीठा सोडा दिलाएगा राहत 

अगर पशु को इस स्थिति से बचाना है तो साइलेज के साथ 50 ग्राम मीठा सोडा उसे खिलाएं। इससे ये पीएच स्तर कम नहीं होगा और पशु को होने वाली समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। अगर पशुपालक भाई रोजाना पशु को 50 ग्राम मीठा सोडा नहीं दे सकते तो उन्हें एक दिन छोड़कर भी ये मीठा सोडा दे सकते हैं। अगर नियमित रूप से पशुओं को साइलेज के साथ मीठा सोडा दिया जाए तो वे पूरी तरह स्वस्थ रहेंगे। 

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जानिए क्या है Downer Cow Syndrome और कैसे होता है इसका उपचार।

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डेयरी जगत और इस उद्योग को बल देने में छोटे पशुपालकों का भी बहुत बड़ा योगदान होता है। लेकिन कई बार इन पशुपालकों पर बहुत सी समस्याएं आन पड़ती है। जिनमें से सबसे खतरनाक होती है पशु के बीमार पड़ने की या उसे किसी तरह की दिक्कत होने की। ऐसी ही एक दिक्कत है जो गाय और भैंस में देखी जाती है। जिसे डाउनर काऊ सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। 

इस स्थिति में मौजूद पशु अक्सर अपने खड़े होने की क्षमता खो देता है। ऐसे में पशु कई बार अनुपयोगी तक हो जाता है। आज हम यही जानेंगे कि आखिर क्यों ऐसा होता है और इस डाउनर काऊ सिंड्रोम समस्या का क्या उपचार किया जा सकता है। अगर आप एक पशुपालक हैं और गाय या भैंस पालते हैं तो ये लेख और वीडियो आप इस पर अंत तक बने रहें। इससे आपको इस समस्या का कारण और उपचार दोनों पता चल जाएंगे। 

किस नस्ल की गाय में होता है डाउनर काऊ सिंड्रोम 

यूं तो डाउनर काऊ सिंड्रोम की समस्या गाय और भैंस में देखी जा सकती है। लेकिन ज्यादातर ये समस्या एचएफ नस्ल की गाय और उन गायों में होती है जिसके अंदर एचएफ नस्ल के सीमेन का इस्तेमाल किया गया हो। 

कब होता है डाउनर काऊ सिंड्रोम 

ये स्थिति एचएफ गाय में ब्याने के बाद पैदा होती है। वह भी तब जब गाय के शरीर में फास्फोरस और प्रोटीन और कैल्शियम की कमी हो जाए। इस बीमारी को ठीक करने के लिए शुरुआती लक्षणों की पहचान होना बहुत ज्यादा जरूरी है। 

डाउनर काऊ सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं 

जब किसी गाय को डाउनर काओ सिंड्रोम की समस्या होती है तो वह अधिक देर तक खड़ी नहीं रह पाती और खाना पीना भी ठीक से नहीं करती। अगर आपको ये लक्षण गाय में नजर आए तो सावधान हो जाएं और तुरंत इसकी उपचार प्रक्रिया प्रारंभ कर दें। 

लक्षण दिखने पर पशुपालक क्या करें 

  • गाय को कुछ – कुछ देर में हिलाते डुलाते रहें। 
  • गाय के लिए ऐसी व्यवस्था करें कि वह किसी चीज के सहारे खड़ी रहे। 
  • गाय के नीचे एक मुलायम बिस्तर या भूसा बिछा दें और समय समय पर इसकी सफाई करते रहें। 
  • गाय को तालाब के पानी में ले जाएं ताकि गाय पैरों की  मूवमेंट करती रहे। 
  • अगर गाय को कैल्शियम और फास्फोरस के डोज दे रहे हैं तो ये काम बिना डॉक्टर की सलाह पर ही करें। 
  • इन सब के अलावा गाय के खाने पीने का सही तरह ध्यान रखें और उनका दूध समय – समय पर निकालते रहे। इसके अलावा दूध दुहने के बाद थनों की अच्छी तरह सफाई करें। 

गाय को इस रोग से बचाने के लिए गर्भावस्था से लेकर प्रसव के समय तक गाय के आहार को अच्छा रखें और अगर पशु को मिल्क फीवर आदि की समस्या है तो इसका तुरंत इलाज कराएं। आपके द्वारा उठाए गए ये छोटे छोटे कदम आपकी गाय को स्वस्थ रखेंगे। 

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जानिए कैसे कड़कनाथ मुर्गी के पालन से बदल सकती है पशुपालकों की किस्मत।

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पशुपालन करने वाले लोगों को अगर एक अच्छी आय अर्जित करनी है तो इसके लिए सबसे जरूरी है कि वो ऐसे पशु या पक्षियों को पालें, जिनकी कीमत और मांग अधिक है। ऐसे लोगों के लिए मुर्गी पालन बहुत फायदेमंद रहता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये कम लागत से शुरू हो सकता है और इसमें कई तरह से मुनाफा कमाया जा सकता है। वहीं अगर मुर्गी पालन में कड़कनाथ नस्ल की मुर्गी पालना शुरू कर दिया जाए तो इससे मुनाफा दोगुना भी हो सकता है। 

आज हम आपको अपने इस लेख में कड़कनाथ मुर्गी पालन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। अगर आप इस जानकारी को सही तरह से समझते हैं और फिर कड़कनाथ मुर्गी पालन करते हैं तो इससे आपकी आय दोगुनी हो सकती है। मुर्गी पालन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कड़कनाथ मुर्गी से होने वाली आय 

कड़कनाथ मुर्गी एक खास किस्म की मुर्गी है, जिसे पालने के और इसका सेवन करने के कई फायदे हैं। ऐसे पशुपालक जिनके पास जगह की खासी कमी है उन लोगों के लिए ये व्यवसाय बहुत फायदेमंद हो सकता है। 

  • ये मुर्गी पूरी तरह काले रंग की होती है और इस मुर्गी का मांस भी काले रंग का ही होता है। 
  • हम आपको बता दें कि अगर आप एक कड़कनाथ मुर्गी को बेचते हैं तो इसके जरिए 3000 से 4000 रुपए कमा सकते हैं।  
  • वहीं केवल इस मुर्गी के एक किलो मास की कीमत करीब 750 रुपए से लेकर 1200 रुपए तक है। वहीं कड़कनाथ मुर्गी के अंडे की कीमत करीब 35 रुपए से लेकर 60 रुपए तक है। 

मुर्गी पालन में आने वाली लागत और संसाधन

वहीं इसे पालने का खर्च भी एक साधारण मुर्गी जितना ही है। बस आपको इसके लिए एक हवादार और खुली जगह की आवश्यकता होगी। यानी की आप एक ऐसा शेड बनाए जहां मुर्गियां आसानी से रह सकें और यहां हवा की आवा जाही भी अच्छी हो। 

ध्यान रहे कि इन मुर्गियों को विकास के लिए एक गर्म जगह की जरूरत है। ऐसे में सर्दियों के दौरान इनके आस पास गर्मी बनाए रखने के लिए हैलोजन लाइट का इस्तेमाल करें। 

क्यों है ये मुर्गी इतनी महंगी 

अब बात करें कि आखिर क्यों ये कड़कनाथ मुर्गी इतनी महंगी है। आपको बता दें कि एक साधारण मुर्गी के मुकाबले इस मुर्गी के मास में फैट बेहद कम होता है और प्रोटीन बहुत ज्यादा होता है। इसके अलावा इस मुर्गी के फैट में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बहुत कम होती है। वहीं इसे पचाने में भी शरीर को अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ती है। ये सभी कारण है जो इसे बाजार में महंगा बनाते हैं।

मुर्गी पालन पर लोन और सब्सिडी कैसे लें

अगर आप ये मुर्गी पालन करना चाहते हैं तो सरकार राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत इसमें सब्सिडी और लोन भी ले सकते हैं। इसके लिए आपको अपने नजदीकी पशुपालन विभाग में जाकर जानकारी एकत्रित करनी होगी और सभी दस्तावेज संलग्न करने होंगे। 

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