जानिए भारत की सबसे दुधारू भैंस की नस्लों से जुड़ी जानकारी

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एक दुधारू पशु किसान या पशुपालक की आय को दोगुना कर सकता है। यही कारण भी है कि ज्यादातर पशुपालक अक्सर एक अच्छी नस्ल के दुधारू पशु की खोज करते रहते हैं। अगर आप भी एक पशुपालक हैं और अपनी डेयरी के लिए एक अच्छी नस्ल की देसी भैंस खरीदना चाहते है, तो बता दें कि आप बिल्कुल सही जगह आए हैं।आज हम अपने इस लेख में आपको भारत की कुछ प्रमुख दुधारू भैंस की नस्लों के बारे में बताने वाले हैं। हमारे द्वारा बताई जा रही सभी देसी नस्ल की दूध उत्पादन क्षमता काफी अधिक है। आइए जानते हैं आखिर भारती वह कौन सी भैंस है जो अधिक दूध उत्पादन क्षमता रखती हैं। और पढ़ें

मुर्रा भैंस

इस भैंस का इतिहास भारत के हरियाणा और पंजाब से जुड़ा हुआ है। मुर्रा भैंस की पहचान उसका जेट काला रंग है। मुर्रा भैंस को दुनिया की सबसे अधिक दूध देने वाली भैंस की श्रेणी में गिना जाता है। यह एक ब्यात में 1678 किलो दूध दे सकती है। 

जाफराबादी भैंस

डेयरी उद्योग के कारोबारियों के लिए जाफराबादी भैंस किसी सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की तरह है। आपको बता दें कि गुजरात के जामनगर से आने वाली यह भैंस, एक ब्यात में 2150 किलोग्राम तक दूध दे सकती है। इस भैंस के दूध में से 7 से 8 प्रतिशत तक फैट होता है। 

सुरती भैंस 

गुजरात की सुरती भैंस भी पशुपालकों को बेहद पसंद है। यह हर तरह के मौसम में आसानी से रह सकती है। आपको बता दें कि यह भैंस एक ब्यात में 1400 किलोग्राम तक दूध देती है।

मेहसाणा भैंस 

छोट किसान और पशुपालक अक्सर एक शांत स्वभाव की भैंस रखना चाहते हैं। ऐसे पशुपालकों के लिए गुजरात की मेहसाणा भैंस काफी फायदेमंद हो सकती है। आपको बता दें कि मेहसाणा भैंस एक ब्यात में 1200 से 1500 किलो तक दूध दे सकती है। इस भैंस के दूध में 7 प्रतिशत तक फैट भी पाया जाता है। और पढ़ें

भदावरी भैंस 

भदावरी भैंस उन पशुपालकों के लिए बेहद खास है, जो दूध के जरिए घी और दूसरे उत्पाद का कारोबार करते हैं। उत्तर प्रदेश की इस भैंस की न केवल दूध उत्पादन क्षमता अधिक है। बल्कि इसके दूध में 13 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है, जो किसी अन्य भैंस के दूध में नहीं होता। 

नागपुरी भैंस 

इस भैंस के नाम से ही कुछ लोग अंदाजा लगा लेते हैं कि नागपुरी भैंस का अस्तित्व महाराष्ट्र से जुड़ा होगा। छोटे पशुपालक इस भैंस को दोहरे काम के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। यह भैंस अपनी एक ब्यात में 1060 किलोग्राम तक दूध दे सकती है। 

तराई भैंस 

तराई नस्ल भैंस की उत्पत्ति तमिलनाडु के नीलगिरी पहाड़ियों से हुई है। तराई भैंस के दूध में भी फैट अधिक मात्रा में पाया जाता है। तराई फैंस अपनी एक ब्यात में करीब 500 से 600 किलो तक दूध दे सकती है। 

हम आशा करते हैं कि किसान और पशुपालक भाइयों को हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई होगी। अगर किसान और पशुपालक भाई ऐसी ही रोचक जानकारियां हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारी Animall App को डाउनलोड कर सकते हैं। हमारी इस ऐप के जरिए आप पशु खरीद और बेच भी सकते हैं। इसके अलावा पशु से संबंधित चिकित्सीय सलाह के लिए आप ऐप को उपयोग कर सकते हैं। अब आप चाहें तो इस लिंक के जरिए Animall App डाउनलोड कर सकते हैं। और पढ़ें

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भारत में कौन-कौन सी गाय की नस्लें हैं?

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भारत में लगभग 27 मान्यता प्राप्त गाय की नस्लें हैं:-
(क) दुधारू नस्लें :- रेड सिन्धी, साहीवाल, थरपारकर
(ख) हल चलाने योग्य :- अमृत महल, हैलिकर,कांगयाम
(ग) दुधारू-व-हल योग्य:- हरयाणा कंकरेज, अंगोल

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पशु खरीदते समय पशु की उम्र कैसे जानें ?

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एक किसान और पशुपालक की आय का बड़ा हिस्सा पशु के जरिए प्राप्त दूध एवं दूध से बने उत्पादों से ही आता है। ऐसे में पशुपालक पशु खरीदते समय उनके दूध की मात्रा का तो ख्याल करते हैं। लेकिन पशु की आयु के बारे में पता नहीं लगाते। जिसकी वजह से कई बार पशुपालक एक बूढ़ी गाय या भैंस खरीद लेते हैं। ऐसे में एक बूढ़ी गाय या भैंस कई बार कुछ ही महीनों में मर जाती है। जिसके चलते पशुपालक को आर्थिक नुकसान हो जाता है। इसलिए पशुपालक को हमेशा एक कम उम्र की ही गाय या भैंस खरीदनी चाहिए।

अब सवाल उठता है कि गाय या भैंस की उम्र का पता कैसे लगाया जाए। अगर आप भी ऐसे ही किसी सवाल से परेशान हैं तो आपकी इस समस्या का अंत हम अपने इस लेख में करने वाले हैं। हम इस लेख के माध्यम से न केवल आपको बताएंगे कि आप किस तरह गाय भैंस की उम्र का पता लगा सकते हैं। बल्कि यह भी बताएंगे कि गाय या भैंस का पूरा जीवन काल है वह कितने साल का होता है। इन सब के अलावा अगर आप एक सही पशु खरीदना या बेचना चाहते हैं तो यह ऑनलाइन कैसे कर सकते हैं, यह भी बताएंगे। 

गाय भैंस का पूरा जीवन काल कितना होता है 

एक पशुपालक को यह मालूम होना चाहिए कि एक भैंस या गाय की उम्र अधिकतम 20 से 22 साल ही हो सकती है। इस आयु के बाद भैंस का जीवित रहना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है। अगर पशुपालक भैंस या गाय को खरीदने का विचार बना रहे हैं तो ध्यान रहे कि हमेशा कम उम्र का ही पशु खरीदें। 

गाय भैंस की उम्र पता लगाने का तरीका 

भैंस की उम्र कम है या अधिक यह उसके सामने के दांतों को देखकर पता लगाया जा सकता है। आपको बता दें कि भैंस के आगे 8 दांत होते हैं। भैंस की उम्र जब छोटी होती है, तो उसके दांतों का आकार तिकोना होता है। वहीं अगर भैंस युवावस्था में है तो उसके दांतों का आकार चौकोर होगा।  इसके अलावा दूध के दांत और बाद में आए दांतों में कई भिन्नताएं हो सकती हैं। आपको बता दें कि दूध के दांत दिखने में छोटे होते हैं। वहीं बाद में आए दांत बड़े होते हैं।  

पता हो कि भैंस के दांत जोड़ों में आते हैं। जब भैंस की आयु 2 साल होती है,तो उसके दूध के दो दांतों की जगह 2 स्थाई दांत आ जाते हैं। इसके बाद भैंस की आयु तीन साल के होने पर उसके 4 स्थाई दांत आ जाते हैं। वहीं जब भैंस की आयु 4 साल होती है, तो भैंस के 6 चौकोर दांत आ जाते हैं। भैंस की उम्र 5 साल होने पर भैंस के 8 दांत आ जाते हैं। यही प्रक्रिया भैंस के पूरे जीवन काल तक देखने को मिलती है। इसी तरह जब भैंस बूढ़ी हो जाती है तो स्थाई दांत भी घिसने लगते हैं। उम्र के साथ सभी स्थाई दांत भी घिस जाते हैं। पशुपालक भैंस के दांतों को देखकर उनकी आयु का अंदाजा लगा सकते हैं और यह तय कर सकते हैं कि उन्हें भैंस खरीदने हैं या नहीं। 

किसान और पशुपालक भाई जो भैंस या गाय की आयु को लेकर चिंतित हैं। वह पशु Animall App के जरिए खरीद सकते हैं। ऐप पर आपको पशु की आयु से लेकर उससे जुड़ी संपूर्ण जानकारियां मिल जाएंगी। यही नहीं अगर आप किसी पशु को बेचना चाहते हैं या किसी पशु को लेकर चिकित्सक की सलाह लेना चाहते हैं तो आप यह भी ऐप के जरिए कर सकते हैं। Animall App को डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 

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उपयुक्त नस्ल का चयन कैसे करें?

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उपयुक्त नस्ल से अभिप्राय है कि उस गाय का चयन करें जिन की दूध उत्पादन क्षमता अधिक हो| पहाड़ी गाय की दूध उत्पादन क्षमता बडाने के लिए इनका उन्नत नस्ल टीके से कृतिम गर्भाधान किया जा सकता है| (जर्सी होलस्तिम) पैदा हुई मादा बछड़ियों की दूध उत्पादन क्षमता ज्यादा होती है|

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