हम अपने जानवरों को संक्रामक रोगों से कैसे बचा सकते है?

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निम्नलिखित उपाए मंदगार है:-
(क) पशुचिकित्सक की सलाह से समय पर टीका करण करवाना|
(ख) बीमार पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना|
(ग) गोबर पेशाब ओर जेरा आदि (बिमार पशुओं) को एक गड्डे में जला देना चाहिए व ऊपर से चूना डालना|
(घ) मरे हुए फू को शव को गड्डे में डालकर ऊपर चूना डालकर दबाना चाहिए|
(ङ) गौशाला के प्रवेश द्वारा पर फुट बाद बनाना चाहिए|
(च) पोटाशियम परमेगनेट व फिनाईल से हमेशा गौशाला की सफाई करनी चाहिए|

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गर्मियों में गर्भाधान के लिए भैंसों का रखरखाव कैसे करें?

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देश के बहुत से हिस्सों में तापमान का पारा चढ़ता जा रहा है। ऐसे में जिन क्षेत्रों में अधिक गर्मी हो गई है, वहां के पशुपालकों को थोड़ा सावधान होना होगा। खासतौर से वह पशुपालक जिनके घरों में भैंस पाली जा रही है। आपको बता दें कि गर्मियों के दौरान भैंस का ध्यान अधिक रखने की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भैंस का रंग अधिकतर काला होता है और उनके शरीर से गर्मी आसानी से नहीं  निकलती। जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की दिक्कत हो सकती हैं।

पशुपालक भाइयों को उस भैंस का ध्यान अधिक रखना होगा जो गर्भावस्था की स्थिति में है। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान अगर शरीर से गर्मी न निकले तो इसकी वजह से प्रसव से जुड़ी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। आज हम अपने इस लेख में पशुपालक भाइयों को बताएंगे कि वह किस तरह गर्मियों में गर्भावस्था में भैंस की देखरेख कर सकते हैं।

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भैंस के शरीर में गर्मी बढ़ने से क्या होता है 

किसान और पशुपालन से जुड़े लोगों को बता दें कि जब भैंस के शरीर में गर्मी अधिक बढ़ जाती है, तो इसकी वजह से एस्ट्रोजन हार्मोन में कमी आ जाती है। जिसके कारण मद के लक्षणों का पता नहीं चल पाता और पशु के शरीर में गर्मी अधिक बढ़ने की वजह से गर्भ भी नहीं ठहरता। जानकारों की मानें तो अगर भैंस के शरीर का तापमान 0.9 डिग्री फारेनहाइट हो तो गर्भाधान की दर 13 प्रतिशत तक घट सकती है। पशु को इस स्थिति से बचाने के लिए गर्मियों के दौरान खास इंतजाम तो करने ही चाहिए। इसके अलावा पशु के मद चक्र की भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। अगर ऐसा न हो तो पशु को गाभिन करा पाना मुश्किल हो सकता है।

गर्मियों में भैंस का रखरखाव किस तरह करें 

पशुपालन से जुड़े लोगों को गर्मियों और सर्दियों में पशु की देखभाल अलग – अलग तरीके से करनी चाहिए। इसमें चारे से लेकर कई तरह के बदलाव जरूरी होते हैं। अगर मौसम के हिसाब से पशु की देखरेख न की जाए तो पशु के गाभिन होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इसके अलावा पशु की उत्पादकता भी कम हो जाती है। आइए चलिए जानते हैं कि गर्मियों के दौरान भैंस की देखरेख कैसे कर सकते हैं। 

  • देश के वह क्षेत्र जहां तापमान बढ़ रहा है या जहां गर्मी बहुत अधिक है। वहां पशुपालकों के लिए पशु को लू से बचाना बहुत जरूरी होता है। इसमें भैंस का ध्यान अधिक रखने की जरूरत है। क्योंकि उसका रंग काला होता है और खाल मोटी होती है। जिसकी वजह से शरीर से गर्मी बाहर नहीं निकलती और भैंस के रोम छिद्र भी कम होते हैं। जिसकी वजह से उसे पसीना भी कम ही आता है। 
  • एक पशुपालक को अपनी भैंस को नहलाने का बेहतर इंतजाम कराना चाहिए। अगर हो सके तो पशुओं को नदी या नहर के पानी में कुछ देर के लिए छोड़ देना चाहिए। इससे पशु के शरीर की गर्मी कुछ हद तक कम हो जाती है। वहीं अगर नदी या नहर न हो तो पशु को 3 से 4 दिन में अच्छी तरह नहलाना चाहिए। 
  • भैंस को गर्मियों के दौरान ऐसा आहार देना चाहिए जो हल्का हो और जिसकी तासीर ठंडी हो। अगर पशु को ऐसा आहार दिया जाता है, तो न केवल पशु के शरीर में ठंडक बनी रहती है। बल्कि पाचन क्रिया भी बेहतर हो जाती है। जिसकी वजह से पशु को भोजन पचाने में अधिक मेहनत नहीं कर पड़ती। 
  • पशु के लिए एक ऐसे शेड का निर्माण करना चाहिए जहां हवा की आवा जाही बेहतर हो। इसके अलावा शेड में पीने के पानी की व्यवस्था भी होनी चाहिए। इसके साथ ही पशु के ऊपर सीधा धूप या सूरज की रोशनी न पड़े इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए। 

कौन से संक्रामक रोग पशुओं में गर्भपात का कारण बनते है?

हम उम्मीद करते हैं आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आप ऐसी जरूरी जानकारी से अवगत होना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख को ऐप पर भी पढ़ सकते हैं। इसके अलावा Animall App के जरिए पशु बेचने और खरीदने का भी काम किया जा सकता है। इसके साथ जरूरत पड़ने पर पशु चिकित्सक से भी सहायता ली जा सकती है।  हमारी एनिमॉल ऐप को स्मार्ट फोन में डाउनलोड करने के लिए इस विकल्प का चुनाव करें। 

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पशुओं में फॉस्फोरस की कमी के लक्षण एवं उपचार क्या है ?

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एक जीवित शरीर को सही तरह से काम करने के लिए कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ऐसे में जब इन पोषक तत्वों की कमी पूरी नहीं होती तो शरीर में कई गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती है और ऐसा केवल इंसानों के साथ ही नहीं होता। बल्कि यह पशुओं के साथ भी होता है। आज हम पशुओं के शरीर में फास्फोरस की कमी के लक्षण से जुड़ी जानकारियां साझा करेंगे। इसके अलावा फास्फोरस की कमी की वजह से होने वाली परेशानियों पर भी नजर डालेंगे। अगर आप एक पशुपालक हैं और आपका पशु किसी तरह की समस्या से पीड़ित है, तो हो सकता है कि यह फास्फोरस की कमी की वजह से हो रहा हो। ऐसे में पशुपालक भाइयों को यह जानना चाहिए कि फास्फोरस की कमी के लक्षण क्या क्या हो सकते हैं और किस तरह इस कमी को ठीक किया जा सकता है।
 

फास्फोरस का काम क्या होता है 

किसान भाइयों को बता दें कि शरीर में 70 प्रतिशत फास्फोरस का उपयोग हड्डियों और दांतों की संरचना के लिए होता है। इसके अलावा फास्फोरस कोशिकाओं के केंद्रक टिशूज के लिए फायदेमंद माना जा सकता है। ऐसे में जब पशु के शरीर में फास्फोरस की कमी हो जाती है तो उन्हें हड्डियों और दांतों से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती है। लेकिन इससे पहले हम आपको फास्फोरस की कमी के लक्षण बताएं। इससे पहले हम आपको फास्फोरस फास्फोरस के कारण बताएंगे।

फास्फोरस की कमी के कारण

  1. एक पशुपालक होने के नाते आपको एक सही आहार की जानकारी होनी चाहिए। अगर आप सही आहार से जुड़ी जानकारी रखते हैं तो पशु के शरीर में किसी तरह की कमी नहीं होगी। आइए फास्फोरस की कमी के कुछ कारणों को जानते हैं। 
  2. अगर पशुपालक पशु को ऐसी घास या चारा दे रहे हैं, जिसमें फास्फोरस कम मात्रा में मौजूद हो, तो पशु के शरीर में फास्फोरस की कमी हो सकती है। 
  3. मिट्टी मृदा में फास्फोरस की कमी होने की वजह से भी शरीर में फास्फोरस की कमी हो सकती है। 
  4. अगर आपके पास एक दुधारू पशु है जो अधिक मात्रा में दूध देता है तो हो सकता है कि उसके दूध में अधिक फास्फोरस शरीर से निकल जाता हो। इसलिए पशु के शरीर में फास्फोरस की कमी हो सकती है। 
  5. पशु की गर्भावस्था के दौरान अगर उसके खाने पीने में कोई दिक्कत हो तो इससे शरीर फास्फोरस को सही तरह से अवशोषित नहीं कर पाता।  यह भी एक कारण हो सकता है जिसकी वजह से शरीर में फास्फोरस की कमी हो जाए। 

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पशु में फास्फोरस की कमी के लक्षण

दोस्तों आपको बता दें कि पशु के शरीर में फास्फोरस की कमी है, इसे कई तरीकों से समझा जा सकता है। फास्फोरस की कमी के कुछ ऐसे ही लक्षण हम आपको बता रहे हैं। 

  • फास्फोरस की कमी होने पर पशु की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। 
  • पशु में फास्फोरस की कमी के चलते उनकी हड्डियों में दर्द रहने लगता है। 
  • पशु के शरीर में रेड ब्लड सेल्स अधिक टूटने लगता है। 
  • पशु को इस दौरान बहुत कम भूख लगने लगती है। 
  • फास्फोरस की कमी के चलते कई बार पशु की हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती है कि वह लंगड़ा कर चलने लगते हैं। 
  • पशु में फास्फोरस की कमी के चलते कई बार वह अपने खड़े होने की ताकत भी खो देता है। 
  • पशु की अचानक हृदय गति बढ़ना भी फास्फोरस की कमी का लक्षण हो सकता है।  

फास्फोरस की कमी को दूर करने के उपाय 

अगर आपका पशु भी फास्फोरस की कमी से पीड़ित है तो आप इसका उपचार घर पर ही कर सकते हैं। इसके लिए केवल आपको अपने पशु को सही समय पर सही आहार देना होगा। अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे आपका पशु जल्दी ही ठीक हो जाएगा। लेकिन अगर पशु ठीक न हो पाए तो आप समय पर डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं। 

हमारे सभी पशुपालक भाइयों के लिए हम अपने ब्लॉग और ऐप पर ऐसी जानकारियां साझा करते रहते हैं। अगर आप हमारे साथ जुड़े रहना चाहते हैं तो आप हमारी Animall App को डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप डाउनलोड करने से आप न केवल जानकारियां हासिल कर पाएंगे। बल्कि पशु को खरीद या बेच भी पाएंगे। यहां से डाउनलोड करें Animall App ।

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मिल्क फीवर को कैसे पहचान सकते है?

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इस रोग के लक्षण ब्याने के 1-3 दिन तक प्रकट होते है। पशु को बेचैनी रहती है। मांसपेशियों में कमजोरी आ जाने के कारण पशु चल फिर नही सकता पिछले पैरों में अकड़न और आंशिक लकवा की स्थिती में पशु गिर जाता है।
उस के बाद गर्दन को एक तरफ पीछे की ओर मोड़ कर बैठा रहता है। शरीर का तापमान कम हो जाता है।

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क्या आपको गाय-भैंस से कोरोना-वायरस (Covid 19) हो सकता है?

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आज तक की रिसर्च के मुताबिक, आपको गाय-भैंस से कोरोना-वायरस (Covid 19) से होने का चांस नहीं है। पर अगर आप सावधानी रखना चाहते हैं तो –

1 – यदि आपको अपने पालतू पशुओं की देखभाल करनी है, तो एक फेसमास्क पहनें।
2 – भोजन साझा न करें या उन्हें गले न लगाएं।
3 – उनसे संपर्क करने से पहले और बाद में अपने हाथ धो लें।

कोरोना-वायरस को लेकर बहुत गलत और अधूरी जानकारी फ़ैल रही है । अभी भी रिसर्च चल रही है, तो आगे जानकारी बदल सकती है।
खुद को और अपने पशुओं को और लोगों से अलग रखें। ज़्यादा से ज़्यादा घर पर रहें। हम आपके और आपके पशु के स्वस्थ्य की कामना करते हैं । और पढ़ें

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