Biofloc से मछली पालन करना हुआ आसान। घर से ही कर सकते हैं शुरु।

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मत्स्य पालन करना भारत में हमेशा ही एक अच्छा विकल्प माना जाता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि भारत में 35 मिलियन मीट्रिक टन मछलियों की मांग है। लेकिन आज भी इस मांग को पूरा करने के लिए भारत को दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए आज हम एक ऐसी तकनीक लेकर आपके सामने आए हैं। जिसके जरिए आप अपने घर से ही मछली पालन करना शुरू कर सकते हैं। 

हम बात कर रहे हैं बायोफ्लॉक तकनीक के बारे में। इस तकनीक के जरिए घर में या बाहर कहीं टैंक बनाकर भी मछली पालन किया जा सकता है। इसके साथ ही टनों मछलियों का उत्पादन किया जा सकता है। अगर आप बायोफ्लॉक तकनीक से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख पर बने रहें, या फिर हमारी वीडियो भी देख सकते हैं। 

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क्या है बायोफ्लॉक तकनीक 

बायोफ्लॉक तकनीक का इजाद इंडोनेशिया में किया गया था। इस तकनीक में तारपोलिन के टैंक में मछलियों को पाला जाता है। इसमें एयरेशन सिस्टम की मदद से मछलियों को ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है।  इसके अलावा इस तकनीक में सबसे खास चीज ये है कि इसमें मछलियों के मल को साफ करके प्रोटीन में तब्दील किया जाता है। बाद में जब ये मल प्रोटीन में तब्दील हो जाता है तो मछलियां इसी मल को खा जाती हैं। इससे मछलियों का आकार तेजी से बढ़ता है और उनका वजन भी बढ़ता है। 

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बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन के फायदे 

बायोफ्लॉक तकनीक के कई ऐसे फायदे हैं, जिसकी वजह से इस तकनीक को तेजी से अपनाया जा रहा है। अब हम आपको नीचे कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में विस्तार से बताएंगे। 

  • इस तकनीक के जरिए मछली पालन में खर्च कम होता है। 
  • बायोफ्लॉक तकनीक के जरिए मछली पालन करने में पानी की खपत कम होती है। 
  • इस तरह मछली पालन करने में मछलियों के चोरी होने का खतरा कम रहता है। 
  • एक तरफ जहां एक एकड़ के तालाब में 5 टन मछलियों का ही उत्पादन हो सकता है। वहीं तारपोलिन या सीमेंट एक स्क्वैर फुट के टैंक से ही 2.5 टन मछलियों का उत्पादन किया जा सकता है। 

बायोफ्लॉक तकनीक के लिए संसाधन

  1. इसमें मछली पालन के लिए सीमेंट या तारपोलिन का टैंक बनाया जाता है। 
  2. मछलियों को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए एयरेशन सिस्टम की जरूरत होती है। 
  3. बायोफ्लॉक में बिजली का होना जरूरी है। इसमें आप घर की बिजली या सोलर पैनल भी लगा सकते हैं। 
  4. मछली पालन के लिए मत्स्य बीज जरूरी होता है। 
  5. शेड का निर्माण ऐसा होना चाहिए जिससे मछलियों को धूप मिले। 
  6. जिस जगह मछली पालन हो वहां के तापमान को 28 से 30 तक रखना चाहिए। इस तापमान को बनाए रखने के लिए मछली पालन सीमेंट में करें। 

बायोफ्लॉक में आने वाली लागत 

बायोफ्लॉक तकनीक में आने वाला खर्च निर्भर करता है कि आप कितने बड़े स्तर पर  मछली पालन करना चाहते हैं। लेकिन एक छोटे स्तर पर भी मछली पालन करने के लिए आपको 50 से 60 हजार रुपए तक खर्च करने होंगे। 

इस तकनीक मछली पालन की आय 

इस तकनीक के जरिए मछली पालन करने से आपकी आय काफी हद तक बढ़ सकती है। इस तकनीक के जरिए आप अगर अच्छा निवेश करते हैं तो आप सालाना लाखों रुपए तक कमा सकते हैं। आ इस कारोबार की शुरुआत अपने घर से ही कर सकते हैं। 

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