Aquaponic तकनीक से खेती का तरीका, खर्च और फायदे

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आज के आधुनिक युग में सब कुछ तकनीक के माध्यम या मॉडर्न तरीके से किया जा सकता है। ऐसा ही एक मॉडर्न तरीका खेती के लिए उपयोग में लिया जा रहा है। ये एक ऐसा तरीका है जिसके जरिए फसल दो से तीन गुना तेजी से बढ़ने लगती है। हम बात कर रहें है Aquaponic Technology के बारे में। ये एक ऐसी तकनीक है जिसमें न तो अधिक भूमि की जरूरत है और न ही खाद, फर्टिलाइजर और कीटनाशकों की। इस तकनीक में मिट्टी का उपजाऊ होना भी जरूरी नहीं है। 

यानी कि ये तकनीक पूरी तरह से पानी पर ही काम करती है। आज हम आपको एक्वापोनिक तकनीक से खेती करने का तरीका भी बताएंगे। इसके अलावा एक्वापोनिक तकनीक में कितना खर्च आ सकता है और इसके जरिए कितनी आय अर्जित की जा सकती है। इसके बारे में भी बताएंगे। अगर आप एक्वापोनिक तकनीक से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

क्या है एक्वापोनिक तकनीक 

एक्वापोनिक दो शब्दों के जोड़ से मिलकर बना है। इसमें पहला शब्द है एक्वा और दूसरा है पोनिक। एक्वा का अर्थ होता है पानी। वहीं पोनिक का अर्थ होता है बढ़ना। इसे जोड़ें तो पानी के माध्यम से बढ़ना या ग्रो करना। इस तकनीक में किसान भाई खाद के तौर पर मछली के मल से भरे हुए पानी का उपयोग करते हैं। इस एक्वापोनिक तकनीक में मछली के कंटेनर या टब को फसल से जोड़ा जाता है। इसके बाद मछली के मल वाला पानी फसल तक पहुंचकर उन्हें पोषक तत्व देता है। चलिए विस्तार से समझते हैं इस तकनीक के बारे में। 

एक्वापोनिक तकनीक कैसे काम करती है 

इस तकनीक के लिए आपको कुछ अलग – अलग चीजों की जरूरत पड़ती है। इस तकनीक को हम आपको कुछ चरणों में समझाते हैं। चलिए शुरू करते हैं पहले चरण से। 

सबसे पहले एक्वापोनिक तकनीक से खेती करने के लिए आपको कुछ बड़ी टंकी ये कंटेनर चाहिए होते हैं। इस कंटेनर के अंदर आपको मछलियां रखनी होती हैं और उन्हें समय – समय पर अधिक मात्रा में आहार देना होता है। इसी कंटेनर के अंदर आपको वॉटर पंप रखना होता है जो इस पानी को फसलों तक पहुंचाने का काम करता है। 

अब वाटर पंप से निकला हुआ पानी पूरी फसल तक पहुंचे। इसके लिए आपको एक ऐसी फिटिंग करानी होती है। जिससे फसल तक पानी पहुंचकर अंत में घूमकर वापस मछलियों के वाटर कंटेनर में आ जाए। 

फसल की बेहतर उपज के लिए उनकी जड़ों का हिस्सा पानी में रहता है और ऊपरी हिस्सा हवा में रहता है। फसल को आधा पानी में रखने के लिए एक बोर्ड और कुछ ऐसे प्लास्टिक के पॉट्स की जरूरत होती है, जो नीचे से थोड़े खुले हों ताकि उसमें पानी जा सके और जड़ों को पोषक तत्व मिल सकें। 

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान फसल को पोषक तत्व मिल जाते हैं और फसल पानी से पोषक तत्व ले लेते हैं। इसके बाद फिल्टर हुआ पानी वापस मछलियों के कंटेनर में चला जाता है। इसी तरीके से ये एक्वापोनिक खेती की जाती है। 

फसल को पोषक तत्व कैसे मिलते हैं

साधारण खेती में फसल को पोषक तत्व फर्टिलाइजर और खाद के जरिए मिलते हैं। वहीं इस तकनीक में जब मछलियों को अधिक मात्रा में अच्छा आहार दिया जाता है, तो आहार के अंदर जो  पोषक तत्व होते हैं। वो मछलियों के मल में भी मिल जाते हैं। अब ऐसे जब ये मल वाला पानी फसल तक पहुंचता है तो फसल को जरूरी पोषक तत्व इसी के जरिए मिल जाते हैं। वहीं इसके साथ ही पानी भी अपने आप ही फिल्टर हो जाता है। 

एक्वापोनिक तकनीक से खेती करने के फायदे 

इस तकनीक के जरिए फसल 2 से 3 गुना तेजी से बढ़ती है। जिसके जरिए किसान भाई अधिक आय अर्जित कर सकते हैं। इसके इस तरह की खेती में मौसम का बदलना भी उतना असर नहीं डालता।  इसके अलावा ये तकनीक कम भूमि पर भी आजमाई जा सकती है। इसके जरिए किसान भाइयों को पता चल जाता है कि ये तकनीक उनके लिए कारगर है या नहीं। 

फसल के बढ़ने के अलावा किसान भाई मछलियों को बेचकर भी पैसा कमा सकते हैं। ऐसा बड़े स्तर पर बहुत से किसान कर रहे हैं। इस खेती के जरिए ऐसे कई किसान है जो साल में 5 करोड़ रुपए तक कमा रहे हैं। 

एक्वापोनिक में खर्च 

इस तकनीक के जरिए खेती करने में 5 लाख से अधिक तक का खर्च आ सकता है। ऐसे में हर किसान इस तकनीक के जरिए खेती कर पाए, ये कहना संभव नहीं है। लेकिन ये पूरी तरह फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि इस तकनीक का एक बार का निवेश किसान भाई को जिंदगी भर कमाई करा सकता है।