ऐसा अनाज पशुओं के लिए बन सकता है जहर
देश के ज्यादातर पशुपालन करने वाले लोग अपने पशु या गाय भैंस को साधारण चारा ही खिलाते हैं। इसके अलावा चारे के साथ अनाज आदि भी अक्सर पशुओं को दे देते हैं। लेकिन यही अनाज पशुओं के लिए मौत बन जाता है। अब अगर आपको ऐसा लग रहा है के अनाज की वजह से ही पशुओं की मौत हो जाती है तो आप गलत है। दरअसल ये तब होता है जब पशुपालक भाई अनाज का रखरखाव ठीक से नहीं करते।
यानी की अनाज के प्रति पशुपालकों की लापरवाही पशुओं की जान ले लेती है। आज हम इसी विषय पर विस्तार से बात करेंगे, कि आखिर कब अनाज पशुओं के लिए जहर बन जाता है। अगर आप ये जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें।
कब जहर बनता है अनाज
पशुपालन करने वाले ज्यादातर पशुपालक भाई अपनी गाय और भैंसों को चारे के साथ अनाज भी खिला देते हैं या अनाज से बना आटा खिलाते हैं। जिसमें कोई खराबी नहीं है। लेकिन कई बार नमी भरा अनाज भी पशुओं को खिला देते हैं जो वे घर में इस्तेमाल नहीं कर सकते। या इस्तेमाल नहीं करना चाहते।
ये नमी से भरा पूरा अनाज पशुओं के शरीर में कई समस्याएं पैदा कर देता है।
आपको बता दें कि पशु को जब नमी वाला अनाज खिलाया जाता है तो इसमें कई बार फंगस भी लग जाती है।
यही फंगस पशु के पेट में जाकर उन्हें बेहद परेशान करती है। जिसके चलते न केवल उनकी दूध उत्पादकता कम हो जाती है, बल्कि कई बार वो अपनी प्रजनन क्षमता ही खो देते हैं।
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क्यों फंगस भरा अनाज ले लेता है पशु की जान
ऐसा इसलिए क्योंकि फंगस की वजह से लगे रोगों का कोई ठोस इलाज मौजूद नहीं है। ऐसे में जब पशु को फंगस के कारण रोग लगते हैं तो उनकी स्थिति काबू से बाहर निकल जाती है। यही स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती रहती है और पशु को मौत की नींद तक सुला देती है।
अनाज को फंगस लगने से कैसे बचाएं
- अमूमन पशुपालकों को ये लगता है कि सीलन या नमी केवल बारिश के दिनों में ही आएगी। लेकिन ऐसा होता नहीं है। अनाज सर्दियों के दौरान भी नमी पकड़ लेता है और बाद में इसमें फफूंद लग जाती है और अनाज पूरी तरह काला हो जाता है।
- यही पशु के पेट में जमता है और कीड़े पैदा हो जाते हैं। इसलिए अपने पशु को स्वस्थ अनाज ही दें।
- इसके अलावा हर मौसम के अंदर अनाज की स्टोरेज अच्छी तरह से करें ताकि अनाज में न तो नमी पड़े न ही फंगस आए।
- ऐसा करके न केवल आप अपने अनाज को बर्बादी से बचा पाएंगे। बल्कि अपने पशुओं को भी स्वस्थ आहार दे पाएंगे। इससे पशु स्वस्थ रहेंगे और उनकी दूध उत्पादकता भी बनी रहेगी।