मलनाड गिद्दा गाय की संपूर्ण जानकारी

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मलनाड गिद्दा एक देसी नस्ल की गाय है। जिसकी उत्पत्ति कर्नाटक राज्य के पहाड़ी क्षेत्र से हुई है। मलनाड गिद्दा गाय को पालने से पशुपालकों को बहुत मुनाफा होता है। आपको  बता दें कि यह गाय दूसरी देसी गायों के मुकाबले आकार में छोटी होती है। लेकिन यह दूध देने के अलावा ढुलाई और खेत जोतने के भी काम आ सकती हैं। साथ ही मलनाड गिद्दा के मूत्र और गोबर को भी अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है। यह नहीं मलनाड गिद्दा गाय के जरिए प्राप्त घी की मांग भी लोगों के बीच काफी है। 

आज अपने इस लेख में हम आपको मलनाड गिद्दा गाय  से जुड़ी संपूर्ण जानकारियां मुहैया कराएंगे। अगर किसान भाई या कोई अन्य पशुपालक मलनाड गिद्दा गाय को पालने का मन बना रहे हैं, तो उनके लिए इससे जुड़ी जानकारी जानना बेहद जरूरी है। इसके अलावा अगर आप मलनाड गाय को बिना किसी सिरदर्द के खरीदना या बेचना चाहते हैं तो आप ऐसा Animall App के जरिए कर सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं मलनाड गिद्दा गाय से जुड़ी जानकारी। 

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मलनाड गिद्दा गाय की पहचान कैसे करें 


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एक मलनाड गिद्दा गाय की अधिकतम ऊंचाई 90 सेमी या 3 फीट तक होती है। मलनाड गिद्दा गाय को बहुत से लोग वर्षागंधी और उरदाना के नाम से भी जानते हैं। गाय की इस नस्ल का शरीर बेहद सुडौल होता है। यह आपको गहरे काले और लाल एवं भूरे रंग में देखने को मिल सकती हैं। इनकी त्वचा पर किसी तरह के धब्बे या निशान दिखाई नहीं देते। इनके सींग छोटे, नोकिले और पीछे की ओर मुड़े हुए होते हैं। वहीं इनका माथा थोड़ा छोटा होता है और गला गहरे रंग का होता है। मलनाड गिद्दा गाय स्वभाव से बेहद शर्मीली और सीधी होती हैं। 

 

मलनाड गिद्दा गाय के दूध और विशेषताएं 

मलनाड गिद्दा गाय एक ऐसी गाय है जो सालाना 220 किलोग्राम तक दूध दे सकती हैं। इस गाय के दूध में 5.5 से लेकर 8 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है। यह गाय ज्यादा बारिश वाले क्षेत्रों और गर्म मौसम में आसानी से रह सकती हैं। एक बार गर्भ धारण करने के बाद मलनाड गिद्दा गाय 250 दिन तक दूध दे सकती है। आपको बता दें कि यह गाय अधिकतम 12 साल तक जीवित रहती हैं। 

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मलनाड गिद्दा गाय की देखरेख कैसे करें 

मलनाड गिद्दा को लगाए जाने वाले टीके

मलनाड गिद्दा गाय की बछड़ी के जन्म के 6 महीने पश्चात इन्हें ब्रुसेला का टीका दिया जाता है। वहीं आमतौर सभी गाय की नस्लों को गलघोटू और खुर का टीका भी जरूर दिया जाता है। इसके अलावा कुछ गाय की किस्म ऐसी भी होती हैं, जिन्हें अन्य टीके लगवाने की आवश्यकता होती है। इसलिए गाय को कब किस टीके की जरूरत है, इस बारे में डॉक्टर की राय जरूर लेनी चाहिए। 

मलनाड गिद्दा गाय का आहार

मलनाड गिद्दा गाय के दूध देने के समय पर बहुत से किसान इन्हें मद्दी देते हैं। आपको बता दें कि मद्दी घोड़े – चने की चुन्नी, टूटे चावल, तेल केक और चावल के आटे के जरिए बनता है। यह आमतौर पर दूध की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

मलनाड गिद्दा को शेड में कैसे रखें

मलनाड गाय की देखरेख में किसानों और पशुपालकों को अधिक खर्च करने की जरूरत नहीं होती। इन्हे केवल एक शेड में रखा जा सकता है। साथ ही आहार के तौर पर इन्हें सुखी घास दी जा सकती है। वहीं मलनाड गिद्दा गाय को पालने वाले पशुपालक या किसान इसके मूत्र और गोबर को बेचकर भी मुनाफा कमा सकते हैं। 

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मलनाड गिद्दा गाय को होने वाली बीमारियां

आपको बता दें कि मलनाड गिद्दा गाय वैसे तो एक मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला पशु है। लेकिन कई बार इस गाय को कुछ खतरनाक रोग लग जाता है। जिसकी वजह से इनकी मृत्यु तक हो जाती है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ बीमारियों के बारे में जो मलनाड गिद्दा गाय को हो सकते हैं। 

थनैला रोग और जानें उसका इलाज

यह रोग गाय के थनों पर होता है और इसकी वजह से थनों में सूजन आने लगती है। साथ ही दूध में खून आने लगता है। इसके अलावा गाय इस रोग के दौरान खाना पीना भी छोड़ देती है। थनैला के दौरान थनों का आकार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और इनमें दर्द भी रहता है।  

इलाज – इस रोग का उपचार केवल तभी संभव है जब बीमारी का पता शुरुआती समय में ही लग जाए। शुरुआती समय में थनैला के बारे में पता लगाने के लिए किसान भाई पशु के दूध की जांच समय – समय पर कराते रहें। आपको बता दें कि एक बार स्थिति बिगड़ गई तो गाय के थन को ही काटना पड़ता है। 

गाय को तिल्ली रोग और इसका इलाज 

यह रोग बेहद खतरनाक होता है और आमतौर पर यह पशुपालकों की गलती की वजह से ही होता है। इस रोग की मुख्य वजह खराब चारा और गंदा पानी हो सकता है। यह अचानक होता है। इस बीमारी के दौरान पशु के शरीर के हिस्सों से लुक जैसा खून आने लगता है। इसके अलावा पशु का शरीर भी अकड़ सकता है। 

इलाज – अगर गाय पर तिल्ली रोग के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हालांकि तिल्ली रोग का कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इस रोग से अपनी गाय को बचाए रखने के लिए आप उन्हें स्वस्थ आहार दें और उनके आस पास सफाई रखें। वहीं अगर किसी पशु को यह रोग हो गया है तो उसे दूसरे पशुओं से बिल्कुल अलग कर दें।  

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मलनाड गिद्दा को होने वाला ब्लैक क्वार्टर रोग और इसका इलाज


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हमने आपको पहले ही बताया है कि यह अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में रहती है और ब्लैक क्वार्टर रोग बारिश के दौरान मिट्टी में ही पैदा होता है। मिट्टी से यह पशु में फैलता है और इस रोग में पशु को तेज बुखार हो जाता है। अमूमन यह रोग 6 से 24 महीने की आयु में ही होता है।

इलाज – इस रोग के दौरान पीड़ित गाय को पैनसीलिन टीका दिया जाता है। इसके अलावा पशु की समय – समय पर ड्रेसिंग भी कराने की जरूरत होती है। लेकिन पशुपालक इस बात का खास ध्यान रखें कि ब्लैक क्वार्टर में दिया गया टीका केवल तभी असरदार हो सकता है। जब इस रोग का पता शुरुआती समय में चल गया हो।  

एनाप्लाजमोसिस रोग और इलाज 

मलनाड गिद्दा को होने वाली यह एक बेहद संक्रामक बीमारी है, जो एनाप्लाज़मा मार्जिनल के कारण होती है। इस रोग के दौरान पशु के नाक से गाढ़ा तरल पदार्थ बहने लगता है। साथ ही इस दौरान गाय के शरीर का तापमान बढ़ जाता है और शरीर में खून की कमी भी हो जाती है। 

इलाज – यह एक खतरनाक रोग है इसलिए इसे जरा भी हल्के में न ले। अगर गाय पर इसके कुछ लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। इसके अलावा डॉक्टर की सलाह पर और पशु को अकार्डीकल की दवा भी दे सकते हैं। साथ ही बीमारी से बचाए रखने के लिए डॉक्टर से पशु की समय – समय पर जांच कराते रहें। 

 

Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

क्या आप भी घर बैठे – बैठे गाय खरीदना चाहते हैं अगर हां तो आप Animall ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। इसके लिए आपके पास एक एंड्रॉयड फोन होना जरूरी है। एंड्रॉयड फोन में Animall App को डाउनलोड करने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें।  Click Here

          

  1. ऐप डाउनलोड होने के बाद इसमें अपना रजिस्ट्रेशन करने के लिए मोबाइल नंबर डालें।
     
  2. अब अपने अनुसार ऐप पर भाषा को चुनें।
     
  3. अब आप ऐप को इस्तेमाल करके गाय, भैंस बेच और खरीद सकते हैं।
  4. गाय खरीदनी है तो गाय के विकल्प को चुने।
     
  5. यहां बिकाऊ गाय की सूची सामने दिखाई देगी।
  6. यहां से  आपको पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के बारे में डालना होगा। इसके बाद एक फिल्टर लिस्ट आपके सामने आ जाएगी।
  7. इस सूची आप गाय चुन सकते हैं और सीधा बेचने वाले पशुपालक  से बात कर सकते हैं।
     
  8. अब बेचने वाले व्यक्ति से बात करके दाम तय कर सकते हैं और पशु से जुड़ी जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। 

 

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. पशु बेचने के इच्छुक लोग ऐप के नीचे और बीचों बीच देखें। सहायता के लिए आप नीचे दिए गए चित्र को भी देख सकते हैं।
     
  2. यहां पशु बेचने वाले व्यक्ति को पशु से जुड़ी हुई संपूर्ण जानकारी दर्ज करनी होगी, जैसे ब्यात, नस्ल, और दूध देने की क्षमता आदि
     
  3. बताए गए तरीके से आपका पशु Animall ऐप पर लिस्ट हो जाएगा।अब अगर किसी भी खरीदार को आपकी गाय खरीदनी होगी, तो वह खुद आपसे संपर्क कर लेगा। 

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होल्सटीन फ्रिसियन के सामने फेल है देसी दुधारू गाय

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भारत में दूध और उससे बने वाली चीजों की मांग काफी ज्यादा है। आज के वक्त में डेयरी फार्मिंग से किसानों को काफी अच्छा मुनाफा हो सकता है, अगर सही तरीका अपनाया जाए। इस बिजनेस की सफलता का मुख्य आधार बेहतरीन नस्ल के पशुओं को माना जाता है।

अगर आप दूधारू पशु की नस्ल का चयन सही तरीके से नहीं कर पाते हैं, तो आपके बिजनेस पर इसका काफी ज्यादा असर होगा। ऐसे में किसान और पशुपालक को हमेशा दुधारू पशुओं की नस्ल पर ध्यान देना होता है। देश में गाय की कई ऐसी नस्लें हैं जो कि डेयरी फार्मिंग में बहुत ज्यादा मुनाफा देती है। लेकिन इनमें 2 विदेशी नस्लें भी शामिल है, जो भारत में काफी ज्यादा मशहूर है। इनमें से एक है होल्सटीन फ्रिसियन नस्ल की गाय।

इस गाय को दुनियाभर में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय कहते हैं। इसका शरीर काफी बड़ा होता है और ये आमतौर पर काले और सफेद रंग की होती है। आमतौर पर इसका वजन लगभग 580 किलोग्राम होता है। जबकि दूध देने में तो इसका कोई मुकाबला नहीं है। एचएफ गाय यानी की होल्सटीन फ्रिसियन को एक संवेदनशील पशु माना जाता है, लेकिन इसकी शुद्ध नस्ल अधिक तापमान सहन नहीं कर पाती है। ये गाय रोज 25 से 30 लीटर दूध दे सकती है और इसके दूध में फैट की मात्रा 3.5 फीसदी होती है। वहीं इसे काफी कम कीमत पर भी खरीदा जा सकता है। ये आमतौर पर 45-50 हजार तक मिल जाती है।

होल्स्टीन फ्रिसियन गाय का इतिहास काफी ज्यादा पुराना है। लगभग 2 हजार साल पहले होल्सटीन फ्रिसियन गाय लीदरलैंड में देखी गई थी। ये वीटाविनस ( काली रंग की गाय) और  एफ.आर.आई.ई.एन.एस. (सफेद रंग की गाय) के क्रॉस से बनी है। इस गाय की प्रजाति 1861 में नीदरलैण्ड से पहली बार अमेरिका लाई गई थी। 

होल्सटीन फ्रिसियन की पहचान

होल्सटीन फ्रिसियन की बनावट की अगर बात करें तो ये गाय बहुत बड़े आकार की होती है। इसके शरीर पर काले – सफेद या लाल सफेद धब्बेदार चिह्न होते हैं। होलस्टीन गाय काफी आकर्षक दिखती है, शरीर चमकदार होता है और आंखें शरारती होते हैं, इसके कान मध्यम आकार के होते हैं। सिर की स्थिति सीधी होती है और पूंछ का रंग सफेद होता है। वहीं इसके नथुने मोटे तौर पर खुले होते हैं। जबकि इसके जबड़े मजबूत होते हैं। वहीं एक स्वस्थ बछरा जन्म के समय पर 40 से 45 किलो वजन का होता है। जबकि एक हॉल्स्टीन गाय का वजन आम तौर पर 580 किलो का होता है और इसकी लंबाई 147 सेमी होती है।

होल्सटीन फ्रिसियन गाय के दूध की जानकारी

होल्सटीन फ्रीजियन प्रजाति कि गाय अधिक दूध देने के लिए जानी जाती है। और इसी वजह से ये डेयरी फार्मिंग में काफी पसंद की जाती है। ये गाय दुनिया में सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल में से एक है। ये गाय रोज 25-25 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। अच्छी सुविधाओं और परिस्थितियों में ये गाय 40 लीटर दिन का दूध भी दे सकती है। इस गाय के दूध में फैट 3.5 फीसदी होता है।

होल्सटीन फ्रिसियन की देखरेख कैसे करें

होल्सटीन फ्रिसियन गाय को खाने में क्या दें

आप सिर्फ होल्सटीन फ्रिसियन गाय को ही नहीं बल्कि किसी भी नसल की गायों को जरूरत के अनुसार ही खुराक दें। होल्सटीन फ्रिसियन गाय को फलीदार चारे खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें। ताकि उसे अफारा या बदहजमी की शिकायत ना हो।

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होल्सटीन फ्रिसियन गाय के लिए उर्जा, प्रोटीन, खनिज पदार्थ और विटामिन जरूरी तत्व होते हैं। इसे अनाज में मक्की, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, चूनी, मूंगफली, सरसों, तिल, अलसी, मक्की से तैयार खुराक, आदि दे सकते हैं। वहीं हरे चारे में बरसीम, लूसर्न, लोबिया, सेंजी, ज्वार, हाथी घास, नेपियर बाजरा, सुडान घास दे सकते हैं।

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शेड की जरूरत होगी

अगर आप एक होल्सटीन फ्रिसियन नस्ल की गाय पालते हैं, तो उसके लिए सबसे पहले एक अच्छे शेड की जरूरत होगी। क्योंकि पशु को भारी बारिश, तेज धूप, ठंड, बर्फबारी से बचाना जरूरी है। सिर्फ शेड लगा देना ही काफी नहीं होगा, उसकी साफ सफाई का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है। शेड में साफ हवा और पानी की सुविधा होना जरूरी है। इसके अलावा पशुओं की संख्या के अनुसार खाने की जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए। 

वहीं एक बछड़े के पैदा होने पर उसका खास ध्यान रखना होता है। उसके जन्म के वक्त मुंह, नाक और शरीर को अच्छे से साफ करें। जन्म के बाद ही अगर बछड़े को सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो उसे बनावटी सांस दें। इसके अलावा, बछड़े की छाती को अच्छी तरह से दबाएं।

कौन सा टीका लगाना चाहिए

बछड़े को जन्म के 6 महीने बाद सबसे पहले ब्रूसीलोसिस का टीका देना होता है। इसके एक महीने बाद उसे गलघोटू, मुंह और खुर पका का टीका लगवाना जरूरी होता है। इन टीकों को लगवाने के एक महीने बाद लंगड़े बुखार का टीका भी लगवा दें। वहीं बात अगर बड़े पशुओं की करें तो हर 3 महीनों के अंतराल में उसे डीवॉर्मिंग करें।

होल्सटीन फ्रिसियन गाय को होने वाली आम बीमारियां

मरोड़/ खूनी दस्त: मरोड़ या फिर खूनी दस्त लगने की स्थिति में पशु को मुंह के द्वारा या फिर टीके के जरिये सलफा दवाइयां देनी है। इसके अलावा 5 प्रतिशत गुलूकोज और नमक का पानी ज्यादा दें

रिंडरपैस्ट (शीतला माता): ये गाय में होने वाली एक बेहद ही गंभीर बीमारी है। ये 6 से 9 दिनों में होती है और इसमें तेज बुखार, खूनी दस्त की शिकायत होती है। इसका इलाज पेंसीलिन के द्वारा होता है।

थनैला: ये बीमारी किसी भी दुधारू पशु को हो सकती है। थनैला में पशु के थन काफी गर्म होने लगते हैं और पशु को दर्द और थनों में सूजन महसूस होने लगती है। इसके अलावा गाय के दूध में भी खून और पस आने लगता है। शुरुआती दिनों में ही इसकगा इलाज किया जा सकता है, बाद में पशु के थन बचाना मुश्किल हो जाता है।

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Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

अगर आप घर बैठे – बैठे कोई भी गाय खरीदना चाहते हैं तो आप Animall ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। अपने एंड्रॉयड स्मार्ट फोन में यह ऐप डाउनलोड करने के लिए आप प्ले स्टोर पर जाएं, या नीचे दिए गए विकल्प  पर क्लिक करें। Click Here

  1. ऐप डाउनलोड होने के बाद आपको इसमें मोबाइल नंबर डालें और अपनी जगह का चुनाव करें।
  2. अब आप ऐप की भाषा का चुनाव करें।
  3. इसके बाद आप ऐप को पूरी तरह इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं और यहां पर आपके सामने पशु खरीदने या बेचने का विकल्प आएगा।
  4. अगर आपको गाय खरीदनी है तो आप गाय के विकल्प का चुनाव करें।
  5. यहां आपको जो भी गाय बिकाऊ है, उनकी सूची दिख जाएगी।
  6. इसके बाद आपको पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प दिखाई देंगे। इसमें आप अपनी जरूरत के हिसाब से पशु की सूची हासिल कर सकेंगे।
  7. इस सूची के आधार पर आप अपनी गाय चुन सकते हैं और सीधा बेचने वाले व्यक्ति से बात कर सकते हैं।
  8. आप बेचने वाले व्यक्ति से मोल भाव भी कर सकते हैं और गाय से जुड़ी अन्य जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं।

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. अगर आप गाय बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आप ऐप के ठीक नीचे देखें। वहां बीचों बीच आपको पशु बेचने का विकल्प दिखाई देगा।
  2. यहां क्लिक करने के बाद आपको पशु से संबंधित जानकारी देनी होगी। इसमें गाय की ब्यात, नस्ल, कीमत, दूध देने की क्षमता, गाय की फोटो अपलोड कर दें।
  3. आपका पशु Animall ऐप पर लिस्ट हो गया है, जो भी खरीदार आपका पशु लेने में रुचि लेगा, वो आपसे सीधा संपर्क कर सकेगा।

आप Animall ऐप पर सिर्फ पशु खरीद या बेच ही नहीं बल्कि उनके अच्छे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी भी ले सकते हैं। पशु बीमार होने पर आप डॉक्टर की मदद भी ऐप के जरिये ले सकते हैं।

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जानें लाल सिंधी गाय के बारे में सारी जानकारी!

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पशुपालक अक्सर ऐसी नस्ल की गाय या भैंस की जानकारी हासिल करना चाहते हैं। जिसके जरिए वह अधिक से अधिक मुनाफा कमा सके। ऐसे पशुपालकों के लिए लाल सिंधी गाय काफी फायदेमंद हो सकती है। लाल सिंधी गाय को एक अधिक दूध देने वाली गाय के तौर पर भी जाना जाता है। यह गाय सालाना करीब 2000 से 3000 लीटर तक दूध दे सकती है। साथ ही लाल सिंधी गाय को पालने का खर्च भी कम ही रहता है।

शुरुआती समय में यह गाय केवल पाकिस्तान में पाई जाती थी। लेकिन आज के समय में यह भारत के अलग – अलग राज्यों समेत श्रीलंका और बांग्लादेश में भी पाई जाती है। आज हम अपने इस लेख में लाल सिंधी गाय की पहचान से लेकर इसे ऑनलाइन बेचने और खरीदने का तरीका भी बताएंगे। 

लाल सिंधी गाय की पहचान कैसे करें 


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लाल सिंधी गाय का नाम इसके लाल रंग के कारण पड़ा है। वहीं इसके सिंधी होने की पीछे की वजह पाकिस्तान का सिंध प्रांत है। दरअसल यह सबसे पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ही पाई जाती थी। बता दें कि कुछ लोग लाल सिंधी गाय को  कराची और माही के नाम से भी जानते हैं। लाल सिंधी गाय एक मध्यम ऊंचाई वाली गाय है, जिसका सिर चौड़ा, सींग छोटे – मोटे और घुमावदार होते हैं। इस गाय की पूंछ लंबी और टांगे छोटी होती है। 

वहीं इसका रंग हल्का लाल होता है और इसकी त्वचा काफी ढीली होती है। लाल सिंधी गाय की नस्ल सभी तरह के मौसम में रह सकती है। इस लाल सिंधी गाय का वजन करीब 350 किलोग्राम तक हो सकता है। यह गाय अमूमन हल्के लाल रंग की ही होती है। लेकिन यह हल्के पीले लाल और गहरे लाल रंग में भी पाई जाती हैं।  पशुपालकों के लिए यह गाय रखना इसलिए भी अधिक फायदेमंद मानी जाती है, क्योंकि इसे बीमारियों का खतरा बेहद कम होता है। 

लाल सिंधी गाय के दूध की जानकारी

यह लाल सिंधी गाय सालाना 2000 से 3000 लीटर तक दूध दे सकती हैं। लाल सिंधी गाय के दूध में 4 – 5 प्रतिशत फैट पाया जाता है। यूरोपीय देशों में भी दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए इन्हीं गायों का उपयोग किया जाता है। यह साल में एक बार गर्भधारण करने के बाद 300 दिन तक दूध दे सकती है। वहीं गाय का ड्राई पीरियड करीब 180 दिन का होता है। वहीं बच्चे देने के बाद यह करीब 380 दिन का हो हो जाता है।  

जानिए क्या है, दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का सही तरीका

लाल सिंधी गाय की देखरेख कैसे करें

लाल सिंधी गाय की देखरेख सही प्रकार से करने के लिए इन्हें समय – समय पर सही चारा देना होता है। साथ ही इन्हें रखने के लिए आपको एक स्टील का शेड भी लगवाना जरूरी है। ताकि पशु धूप, बारिश और अन्य मौसम के प्रकोप से बच सकें। गाय को चारे के रूप में बरसीम की सूखी घास, लूर्सन की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, मक्की के टिंडे, दूर्वा की सूखी घास दे सकते हैं। इसके अलावा अनाज, रोटी, चावल, तुड़ा आदि भी इस गाय को दिया जा सकता है। गाय को आवश्यकता के अनुसार ही चारा देना होगा। वरना उन्हें कब्ज की समस्या होने लगती है। 

लाल सिंधी गाय को लगवाएं यह टीके

यूं तो इस गाय को रोग लगने की संभावना थोड़ी कम होती है। लेकिन एक भारी नुकसान से बचने के लिए बछड़े या बछड़ी के पैदा होने के 6 महीने बाद, ब्रुसेला का टीका लगवाएं। इसके अलावा खुर का टीक लगवाएं और गलघोटू का टीका लगवाएं। टीके कब और कितने अंतराल में लगवाने हैं। इसकी सही जानकारी के लिए डॉक्टर से समय – समय पर बात करते रहें। 

जानिए मानसून में पशुओं के लिए कौन से टीके लगवाना है जरूरी

लाल सिंधी गाय को होने वाली बीमारियां और इलाज 

गायों को कई तरह की बीमारियां और समस्याएं पैदा हो सकती है। ऐसे में बीमारियों का समय पर पता लगना और उसके लक्षण की पहचान होना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ बीमारियों के बारे में, जो आपकी गाय के दूध की उत्पादकता को प्रभावित कर सकती है। 

थनैला रोग और इलाज

यह रोग अक्सर उन गाय और भैंस को होता है जो अधिक दूध देती है। इस रोग के अंदर पशु के थनों में सूजन आ जाती है और दूध से पस एवं खून आने लगता है। इसके अलावा थनों में भयंकर दर्द होने लगता है। जिसके कारण पशु खाना पीना भी छोड़ देता है। यह कई तरह के फंगस, विषाणु और जीवाणु की वजह से हो जाता है। 

थनैला का इलाजथनैला रोग होने पर अगर शुरुआती समय में ही इसका उपचार करा दिया जाए, तो पशु ठीक हो जाता है। वरना स्थिति बिगड़ने पर थनों को कटवाना पड़ता है। अपनी लाल सिंधी गाय को बचाए रखने के लिए गाय के थनों पर नजर बनाकर रखें और समय – समय पर डॉक्टर से दूध की जांच कराएं। 

तिल्ली रोग और उसका इलाज 

लाल सिंधी गाय को होने वाली यह बीमारी बेहद खतरनाक होती है। यह खराब खुराक और गंदे पानी को पीने से हो सकती है। यह बीमारी आमतौर पर अचानक ही होती है। इस दौरान पशु के शरीर के कई हिस्सों से लुक जैसा खून निकलने लगता है। इसके अलावा यह रोग होने पर गाय को तेज बुखार भी होने लगता है और शरीर अकड़ जाता है। साथ ही सांस लेने में दिक्कत होती है और दौरे भी पड़ने लगते हैं। 

इलाज – यूं तो इस बीमारी का कोई असरदार इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन गाय को इससे बचाए रखने के लिए, स्वस्थ खुराक और पानी देना चाहिए। वहीं संक्रमित पशु की मौत हो जाने के बाद उसे एक गहरे गड्ढे में दफनाना चाहिए और उसके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं को भी जला देना चाहिए। 

एनाप्लाजमोसिस और इलाज 

यह एक बेहद संक्रामक रोग है जो एनाप्लाज़मा मार्जिनल की वजह से होती है। इस रोग के दौरान गाय के नाक से एक गाढ़ा तरल पदार्थ निकलने लगता है। साथ ही इस रोग के होने पर पशु के शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। इसके अलावा शरीर में खून की कमी हो जाती है और मुंह से लार गिरती हुई दिखाई दे सकती है। 

इलाज – इस बीमारी के होने पर लक्षणों का ध्यान रखें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा आप चाहें तो डॉक्टर की निगरानी में अकार्डीकल दवा दें। 

ब्लैक क्वार्टर और इलाज 

ब्लैक क्वार्टर नामक जीवाणु पशुधन पर बहुत बुरा असर डालता है। आमतौर पर यह बारिश के दिनों में मिट्टी के जरिए पैदा होता है। इस जीवाणु से सबसे ज्यादा खतरा उन पशुओं को होता है जिनकी आयु 6 से 24 महीने के बीच है। इस रोग में गाय को तेज बुखार तो होता ही है। साथ ही सांस लेने में भी दिक्कत आती है। 

ब्लैक क्वार्टर का इलाज – अगर समय पर रोग का पता चल जाए तो गाय को पेनसिलिन टीका प्रभावित स्थान पर दिया जा सकता है। इसके अलावा यह रोग होने पर पशु की ड्रेसिंग करने के लिए डॉक्टर से सहायता जरूर लें। 

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गाय को होने वाली अन्य आम बीमारियां और इलाज 

  1. लाल सिंधी गाय में बदहजमी की समस्या सबसे अधिक देखने को मिलती है। इससे अपनी गाय को बचाए रखने के लिए वह चारा दें जो उनके लिए उपयुक्त हो। गाय को सदा ऐसा चारा दें जो आसानी से पच सके। अगर आप ऐसा करते हैं तो गाय को बदहजमी नहीं होगी। 
  2. गाय को कब्ज की समस्या होना भी आम है। इससे राहत दिलाने के लिए आप अलसी का 500 एमएल तेल चारे में मिलाएं और गाय को अधिक पानी पिलाएं। 
  3. अगर आपकी लाल सिंधी गाय मरोड़, दस्त और मोक से पीड़ित है तो आप उन्हें, डॉक्टर की राय पर दवा या टीका दें। साथ ही अधिक ग्लूकोज वाला पानी भी दें। अगर गोबर में कीड़े दिखाई दें या मरोड़ की समस्या दिखाई दे तो डॉक्टर से सलाह लेकर गाय को एंटीबायोटिक दवा दें। 
  4. गाय को ब्रुसेला रोग न हो इसके लिए आप ब्रुसेला S-19 टीका समय पर जरूर लगवाएं। टीका कब लगना चाहिए इसकी सही सलाह डॉक्टर से लें। 
  5. गाय को सर्रा रोग होने पर कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे बार – बार बुखार होना,  अधिक पेशाब आना, भूख कम लगना, मुंह से लार गिरना और आंख नाक से पानी गिरना आदि। गाय पर इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

आप गाय खरीदने बेचने या उनसे जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए  Animall App को डाउनलोड करें।  ऐप डाउनलोड करने के लिए  Click Here

          

  1. अब आप इसमें मोबाइल नंबर डालें और अपनी जगह का चुनाव करें।
  2. अब भाषा चुनें।
  3. इसके बाद यहां पर आपके सामने पशु खरीदने या बेचने का विकल्प आएगा।
  4. अगर आपको गाय लेनी है तो आप गाय के विकल्प का चुनाव करें। सहायता के लिए नीचे दिए गए चित्र को देखें।
  5. अब आपके सामने उन सभी गायों की सूची आ जाएगी जो बेचने के लिए ऐप पर डाली गई हैं।
  6. इसके बाद आपको गाय के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प सामने दिखाई देंगे। इन्हें चुनने के बाद आपके लिए एक सही सूची सामने आ जाएगी। 
  7. गाय के चुनाव के बाद आप उस व्यक्ति से सीधा बात कर सकते हैं, जो गाय का मालिक है।
  8. इस सब के बाद आप गाय बेचने वाले व्यक्ति से मोल भाव कर सकते हैं।

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. अगर आप गाय बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ऐप पर जहां क्लिक करना है। इसे जानने के लिए चित्र से सहायता ले सकते हैं।
  2. अब आपको पशु से संबंधित जानकारी देनी होगी। इसमें गाय की ब्यात,  कीमत, दूध देने की क्षमता, गाय की फोटो और नस्ल की जानकारी अपलोड कर दें।
  3. इस तरह आपकी गाय Animall ऐप पर लिस्ट हो जाएगी। अब गाय को जो भी खरीदने की इच्छा रखेगा। वह आपसे फोन के जरिए बात कर लेगा।   ये भी पढ़ें: 12 महीने होने वाला सस्ता चारा|Hydroponic Green Fodder for Dairy
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जानें सुरती भैंस के बारे में सारी जानकारी!

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आज के समय में किसान पशुपालन के जरिये अच्छी कमाई कर पा रहे हैं। भारत में काफी बड़े पैमाने पर पशुपालन का काम किया जा रहा है। भारत पशुपालन के क्षेत्र में पूरी दुनिया में दुसरे स्थान पर आता है। वहीं जब बात दूध उत्पादन और दुधारू पशुओं के पालन की होती है, तो उसमें भैंस को काफी बेहतर माना जाता है। आज हम आपको इस लेख में भैंस की विशेष नस्ल के बारे में बताएंगे, जो काफी ज्यादा मात्रा में दूध का उत्पादन करती हैं। इस नस्ल का नाम है सूरती

सूरती नस्ल आमतौर पर गुजरात में पाई जाती है। ये भूरे और काले रंग की होती है। वहीं अगर वजन की बात करें तो सुरती भैंस आमतौर पर लगभग 400 किलोग्राम की होती है। इस नस्ल के सबसे अच्छे पशु गुजरात के आणंद, बड़ौदा और कैरा में पाए जाते हैं। सुरती को चारोटारी, दक्कनी, गुजराती, नडियादी और तालाबड़ा के नाम से भी जाना जाता है।

सुरती भैंस की पहचान

सुरती के कोट का रंग रस्टी ब्राउन से सिल्वर-ग्रे तक होता है। और इसकी त्वचा काली या भूरी होती है। इसके शरीर पर सफेद धब्बे होते हैं। ये धब्बे माथे, पैर और पूंछ पर भी होते हैं। इसका शरीर अच्छी तरह से आकार और मध्यम आकार का होता है। सुरती का सिर लंबा होता है। इसके सींग मध्यम आकार के होते हैं और नुकीले होते हैं। सुरती की पूंछ काफी लंबी और पतली होती है। इसके कान ढंके हुए और सफेद बालों से घिरे हुए होते हैं। नस्ल की खासियत 2 सफेद कॉलर हैं, एक गोल जबड़े और दूसरा ब्रिस्केट पर। इसका वजन 400 किलोग्राम के आसपास होता है।

सुरती भैंस के दूध की जानकारी

आमतौर पर सुरती भैंस एक ब्यात में 900 से 1300 लीटर तक का दूध देती है। इसकी खासियत ये है कि सुरती बाकी भैंसों की तुलना में कम फीड लेती है। अगर बात करें इसके दूध में मौजूद फैट की तो वो 8 फीसदी से 12 फीसदी तक होता है। इसका दूध काफी अच्छी गुणवत्ता का होता है।

सुरती भैंस के स्तनपान की अवधि 290 दिनों तक की होती है। सुरती भैंस की पहली ब्यात लगभग 40 महीने से 55 महीनों तक होती है। 

सुरती भैंस की देखरेख कैसे करें

सुरती भैंस को चारे में क्या दें

इस नसल की भैंसों को जरूरत के अनुसार ही खुराक दें। वहीं फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें। ताकि अफारा या बदहजमी की शिकायत ना हो। 

एक सुरती भैंस को आवश्यक खुराकी तत्व में उर्जा, प्रोटीन, कैलशियम, फासफोरस, विटामिन ए की जरूरत होती है। उसे दाने के रूप में मक्की, गेहूं, जौं, जई, बाजरा दे सकते हैं। इसके अलावा गेहूं का चोकर, चावलों की पॉलिश, बिना तेल के चावलों की पॉलिश दे सकते हैं।

शेड की आवश्यकता:

भैंस के बेहतर प्रदर्शन के लिए अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। भैंस को भारी वर्षा, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड से बचाने के लिए शेड जरूरी है। ध्यान रखें की शेड में साफ हवा और पानी रहे। इसके अलावा आसानी से चारा खाने के लिए जगह खुली होनी चाहिये। 

गर्भवती जानवरों की देखभाल:

अच्छे प्रबंधन के अभ्यास से अच्छे बछड़े पैदा होंगे और दूध का उत्पादन भी बेहतर होगा। इसके अलावा गर्भवती भैंस को 1 किलो अधिक चारा दें क्योंकि वो भी शारीरिक रूप से बढ़ रही हैं।

कटड़ों की देखभाल और प्रबंधन:

जन्म के बाद नाक या मुंह से कफ को तुरंत हटा दें। अगर बछड़ा सांस नहीं ले पा रहा है, तो उसे बनावटी सांस दे।

ये भी पढ़ें: जानिए गाय को गर्भावस्था में ड्राई करना क्यों है जरूरी?

सुरती भैंस को होने वाली आम बीमारियां और उनका इलाज

बदहजमी: भैंस को बदहजमी होने की स्थिति बेहद आम बात होती है, लेकिन इसमें ध्यान देना जरूरी होता है। जब भी आपकी बैंस को बदहजमी हो जाए तो उसे जल्दी पचने वाली खुराक दें।

भैंसों का गल-घोटू रोग

गल-घोटू रोग भैंसों में होने वाली एक जानलेवा बीमारी है, जो ज्यादातर 6 महीने से लेकर 2 साल के पशु को होती है। गल घोटू रोग का कारण पासचुरेला मलटूसिडा नामक जीवाणु होता है, जो पशु के टांसिल में होता है। इसके अलावा ज्यादा काम का बोझ, खराब पोषण, गर्मी और अन्य बीमारियां जैसे कि खुरपका-मुंहपका रोग होते हैं। ज्यादातर ये बीमारी बारिश के मौसम में होती है।

गल-घोटू के लक्षण

  •   बुखार होना
  •   मुंह से लार टपकना
  •   आंख और नाक से पानी निकलना
  •   भूख न लगना
  •   पेट दर्द होना और दस्त होना आदि

रोकथाम

  •   गर्मियों के मौसम में पशुओं को इक्ट्ठे और तंग जगह पर ना बांधे।
  •   बीमार पशुओं को बाकी पशुओं से अलग रखें।
  •   मॉनसून आने से पहले ही टीकाकरण करवाएं। पशुओं के पहले टीका 6 महीने की उम्र में और फिर हर साल जरूरी करवाएं।
  •   लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स)

इस बीमारी में सुरती भैंस को काफी तेज बुखार होता है। ये बीमारी आमतौर पर कीटाणु और दूषित पानी या फिर खराब खुराक की वजह से होती है। ये बीमारी अचानक होती है या कुछ समय भी ले सकती है।

लक्षण:

  • इसमें जानवर का शरीर अकड़ जाता है
  • चारों टांगे बाहर को खींची जाती हैं।

रोकथाम: इसका कोई असरदायक इलाज नहीं है। हर साल इसके बचाव के लिए टीके लगवाये जाने चाहिए।

Animall पर कैसे खरीदें भैंस

आप अगर अपने घर बैठे ही भैंस खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अब मार्केट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे क्योंकि ये तुरंत Animall की ऐप से आप कर सकते हैं। सबसे पहले आप प्ले स्टोर से Animall ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। अपने एंड्रॉयड स्मार्ट फोन में ये ऐप डाउनलोड करने के लिए आप प्ले स्टोर पर जाएं, या नीचे दिए गए विकल्प  पर क्लिक करें। Click Here

       

  1. ऐप डाउनलोड होने के बाद आप अपना मोबाइल नंबर इसमें डालें और फिर अपनी जगह का चुनाव करें।
  2. अब आप अपनी मर्जी के मुताबिक ऐप की भाषा को चुन सकते हैं।
  3. इसके बाद आप ऐप को पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं। यहां पर आपके सामने पशु खरीदने या बेचने का विकल्प आ जाएगा।
  4. अगर आपको भैंस खरीदनी है तो आपको भैंस के विकल्प का चुनाव करना होगा।
  5. जो भी भैंस बिकाऊ होगी, यहां पर आपको उनकी पूरी सूची दिख जाएगी।
  6. इसके बाद आपको पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प दिखाई देंगे। आप अपनी जरूरत के हिसाब से पशु की सूची हासिल कर सकते हैं।
  7. इस सूची के आधार पर आप अपनी भैंस का चुनाव कर सकते हैं और सीधा बेचने वाले व्यक्ति से बात कर सकते हैं।
  8. आप बेचने वाले व्यक्ति से मोल भाव भी कर सकते हैं और भैंस से जुड़ी अन्य जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें: जानिए गाय को गर्भावस्था में ड्राई करना क्यों है जरूरी?

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. अगर आप भैंस को बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आप ऐप के ठीक नीचे देखें। वहां बीचों बीच आपको पशु बेचने का विकल्प दिखाई दे जाएगा।
  2. यहां पर क्लिक करने के बाद आपको पशु से जुड़ी सारी जानकारी देनी होगी। जैसे की भैंस की ब्यात, नस्ल, कीमत, दूध देने की क्षमता, भैंस की फोटो अपलोड करना।
  3. इसके बाद आपका पशु Animall ऐप पर लिस्ट हो जाता है, और जो भी खरीदार आपका पशु लेने में रुचि लेगा, वो आपसे सीधा संपर्क कर सकेगा।

Animall ऐप पर जहां आप पशु आसानी से बेच या खरीद सकते हैं तो वहीं पर आप पशु से जुड़ी सारी जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। अगर आपका पशु बीमार भी हो जाता है, तो उसके लिए हमारे डॉक्टर आपकी पूरी मदद करेंगे।

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यहां पढ़ें गिर गाय से जुड़ी सारी जानकारी!

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गिर गाय के बारे में

गिर गाय मूल रूप से गुजरात के कठियावाड़ इलाके की नस्ल है। धीरे धीरे देश के कई राज्यों तक पहुंची और अलग अलग नामों से जानी गई। भारत की सबसे पुरानी गाय की नस्ल की सूची में गिर गाय की पहचान होती है।

कितना दूध देती है है गिर गाय?

अगर अच्छे से गाय की देख रेख हुई, बढ़िया पशु आहार सही समय पर मिलता रहा तो एक गिर गाय दिन में 20 से 25 लीटर तक दूध निकाल देगी। वही एक ब्यात की बात करें तो गिर गाय 1600 से 1800 लीटर आसानी से निकाल देगी। बहुत से किसान गिर गाय के फैट के बारे में जानना चाहते हैं। एक गिर गाय के दूध से 4.5 से 5 प्रतिशत तक फैट देखने को मिलता है। जिसके कारण इसका दूध भी डिमांड में रहता है।

इसमे सबसे ख़ास बात गिर गाय का साल के पूरे 300 दिनों तक दूध देने की है। बहुत ही कम समय के लिए गाय रुकती है। इससे किसानों को फ़ायदा होता है, साल के कई महीने दूध निकाल सकते है। 

अपने आस पास की सारी  दुधारू गिर गाय खरीदने के लिए, क्लिक करें

गिर गाय कहाँ से खरीदें ?

गिर गाय खरीद  कर अपने दूध के बिज़नेस से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं। गाय भैंस वाला Animall ऐप पर आसानी से मनचाहा गिर गाय ख़रीद सकते हैं। नीचे दिए गाय लिंक पर क्लिक कर आसपास की दुधारू गिर गाय कुछ ही मिनटों में खोज सकते हैं। आपके से ढेर सारे किसान हर घंटे यहां से हज़ारों पशुओं की ख़रीद करते हैं।

गिर गाय की पहचान ?

80% से अधिक गिर गायें लाल रंग की होती हैं। लाल रंग के गिर गायों पर उजला धब्बा देखने को मिलता है, वहीं कुछ इलाकों में उजले रंग के गिर गायों पर लाल रंग का धब्बा भी देखने को मिलता है।

देश में सबसे अधिक गिर गायों की संख्या गुजरात में है। दूसरे स्थान पर राजस्थान और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र हैं। इनमें से किसी भी राज्यों में दुधारू देसी नस्ल की गिर गाय खरीदने के लिए Animall ऐप अपने फ़ोन में डालेंगिर गायों को उनकी सींगें अलग पहचान दिलाती हैं। इनकी सीगें घुमावदार होती हैं। ध्यान से देखने पर सींगें अर्ध चांद जैसी आकृति जैसी दिखती हैं।

अपनी गिर गाय बेचनी है?

ऐप पर गिर गाय डालकर घर बैठ बैठ पसंदीदा खरीदार खोजें.

आपने अपने गिर गाय बेचने का मन बनाया है। बिना किसी पशु मंडी ले जाए घर बैठ बैठ अपना गाय ऐप पर डाले और अच्छी कीमत पर गिर बेच डालें।

अपना गिर गाय बेचने के लिए क्या करना होगा?

  1. अपने फोन में गाय भैंस वाला Animall ऐप डालें।
  2. अपने मोबाइल नंबर दर्ज़ कर ऐप में रजिस्टर करें।
  3. अपने गिर गाय का फ़ोटो लेकर ऐप पर डालें।
  4. फोटो के साथ साथ पशु के ब्यात, बच्चे और कीमत की जानकारी Animall ऐप पर दर्ज करें
  5. अब आपकी गिर गाय लाइव हो गई है यानी आसपास के सारे खरीदार आपके गिर गाय को देख  कर खरीदने का मन बना रहे हैं।

गिर गाय स्वस्थ्य रखने के लिए क्या खिलाएं?

पशु के दूध के लिए सबसे जरुरी बात उसकी सेहत है। ठीक उसी तरह इन छोटी छोटी बातों को ध्यान में रखकर अपने गिर गाय से अधिक दूध उत्पादन लें।

गिर गाय के खाने में हरा और सुखा दोनों प्रकार के चारा दें। बढ़िया दूध उत्पादन के लिए हरा चारा में बरसीम और जौ खिलाएं। 

गिर गाय के खुराक में गेहूं ,मक्का और बाजरा जैसे अनाज की मात्रा को बढ़ा दें। इसके साथ खली का उपयोग भी इन्ही अनाज के साथ करें। मिनरल मिक्सचर के रूप में चुरी-वाट देकर भी गिर गाय का दूध बढ़ाया जाता है।

ये देसी नुस्खा अपनाकर गिर गाय का दूध बढ़ा सकते हैं।

  • 100 किलो चूरी वाट के लिए 
  • मक्का एवं गेहूं की चापड़ -40 किलो
  • सरसों खल और विनोला -30 किलो
  • सोयाबीन -15 किलो
  • सगा -9.5 किलो
  • मोलासस -5 किलो
  • नमक -1 किलो
  • सोडा -500 ग्राम

इन सब को मिला कर अपने गिर गाय को खिलाएं

गिर गाय खरीद बिक्री के लिए सबसे सरल तरीका गाय- भैंस  वाला ऐप Animall मुहैया कराता है। अपने लिए दुधारू गिर गाय खरीदने के  लिए 95 लाख से अधिक डेयरी किसानों की पसंद Animall ऐप को फ़ोन में डाले। 

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