यहां से जाने अलंबादी गाय की सारी जानकारी

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Source – the hindu

देश के छोटे किसानों के लिए ढुलाई का काम करना एक बड़ी समस्या है। ऐसे में किसान अक्सर ऐसी नस्ल की गाय खोजते हैं जो दूध देने के साथ – साथ ढुलाई भी आसानी से कर लें। ऐसी ही एक नस्ल है अलंबादी गाय। यह भारत की एक देसी नस्ल की गाय है, जिसकी उत्पत्ति तमिलनाडु में हुई थी।

यह एक पहाड़ी क्षेत्र का पशु है जो सभी तरह के मौसम की मार आसानी से झेल सकता है। इसके अलावा अलंबादी गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। यही कारण भी है जिसकी वजह से छोटे किसानों के लिए अलंबादी गाय को खरीदना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

इसके साथ ही यह छोटे किसानों के दूध की थोड़ी बहुत मांग को भी पूरा कर सकती है। आज हम अपने इस लेख में आपको अलंबादी गाय से जुड़ी हुई संपूर्ण जानकारियां मुहैया कराएंगे। वहीं अगर आप अलंबादी गाय को खरीदना या बेचना चाहते हैं तो आप यह भी बिना किसी सिरदर्द के कर सकते हैं। ऐसा करने में हमारी Animall App आपकी सहायता कर सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं अलंबादी गाय से जुड़ी सारी बातें। साथ ही इसे बेचने और खरीदने के आसान तरीकों के बारे में भी जानें। और पढ़ें

 

अलंबादी गाय की पहचान कैसे करें

भारत के तमिलनाडु से आने वाली अलंबादी गाय एक मध्यम आकार की गाय है। यह आपको गहरे भूरे, काले और हल्के भूरे रंग में मिल सकती है। इसके अलावा कुछ दूसरे स्थानों पर यह दूसरे रंग में भी देखने को मिल सकती है। अलंबादी गाय की नस्ल के माथे, पूंछ और सिर पर सफेद निशान देखने को मिलते हैं। वहीं इनका सिर बेहद संकरा होता है और इनके सींग पीछे की तरफ मुड़े हुए होते हैं। अलंबादी गाय का वजन जहां 290 किलो तक होता है। वहीं अलंबादी बैल का वजन 317 किलो से लेकर 362 किलो तक हो सकता है।

 

अलंबादी गाय का दूध और विशेषताएं 

अलंबादी गाय है जिसका मुख्य रूप से उपयोग खेत जोतने और परिवहन के लिए ही किया जाता है। यह गाय बहुत कम मात्रा में ही दूध देती है। लेकिन पशुपालक और विशेषज्ञ ऐसे प्रयोग कर रहे हैं जिनके जरिए वह अलंबादी गाय के दूध देने की क्षमता को बढ़ा सकें। 

 

अलंबादी गाय की देखरेख का तरीका 

यह एक ऐसी गाय है जिसकी देखरेख करना किसानों के लिए बहुत सरल है। इसे रखने के लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती। यह केवल एक शेड के नीचे आसानी से रह सकती है। अलंबादी गाय को चारे के रूप में सूखी घास, रोटी और चावल आदि भी दी जा सकती है। साथ ही अलंबादी गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और यह हर तरह के मौसम में आसानी से रह सकती है।

अलंबादी गाय को लगाए जाने वाले टीके

अलंबादी गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता भले ही मजबूत हो। लेकिन इस गाय को समय-समय पर कई तरह के टीके लगवाए जाते हैं। अलंबादी गाय को जन्म के 6 महीने बाद ब्रुसेला का टीका देना बेहद जरूरी होता है। अगर यह टीका समय पर न दिया जाए तो गाय को ब्रुसेला रोग हो सकता है। वहीं अन्य गायों की तरह ही गलघोटू और खुर का टीका भी अलंबादी गाय को दिया जाना बेहद जरूरी है। और पढ़ें

 

अलंबादी गाय को होने वाली बीमारियां

अलंबादी गाय भले ही हर मौसम को आसानी से झेल सकती है। लेकिन इसके बावजूद कुछ बीमारियों का खतरा अलंबादी गाय को भी बना ही रहता है। इन बीमारियों के बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बताने जा रहे हैं। 

क्या है ब्लैक क्वार्टर रोग और इसका इलाज जानिए

ब्लैक क्वार्टर एक ऐसा रोग है जिसका प्रभाव पशुधन पर पड़ता है। आपको बता दें कि यह जीवाणु बारिश के दौरान मिट्टी में पैदा होता है। इस रोग में पशु को काफी तेज बुखार होने लगता है। इस रोग का खतरा उन पशुओं को अधिक होता है जो दो साल से  भी छोटे हैं। ब्लैक क्वार्टर इतना खतरनाक रोग है जिसमें पशुओं का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। 

ब्लैक क्वार्टर का उपचार – यह इस प्रकार का रोग है। जिसका उपचार केवल समय पर ही हो सकता है। अगर बीमारी का पता समय रहते चल जाए तो इसे पैनसीलिन टीके से ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा कई बार स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर ब्लैक क्वार्टर के दौरान ड्रेसिंग करने की भी सलाह दे सकते हैं। और पढ़ें

एनीप्लाजमोसिस रोग और इसका इलाज 

अलंबादी गाय को एनाप्लाजमोसिस रोग होने की संभावना भी होती है। यह एक खतरनाक और संक्रामक रोग है, जो एनीप्लाजमा मार्जिनल की वजह से होता है। इस बीमारी से पीड़ित गाय के नाक से एक तरल पदार्थ निकलता है और शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। साथ ही शरीर में खून की कमी होने लगती है और मुंह से लार भी गिरती है। 

एनीप्लाजमोसिस बीमारी के उपचार – किसान भाईयों को इस बीमारी के लक्षणों की जानकारी हो तभी वह अपनी गाय को इस रोग से बचा सकते हैं। ऐसे में जब भी गाय के ऊपर इस तरह के लक्षण दिखाई दें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की राय लेकर पशु को अकार्डिकल दवा दें।  

अलंबादी गाय को होने वाली तिल्ली बीमारी और उसका उपचार 

ऐसे किसान या पशुपालक जो गाय की खुराक और पीने के पानी को लेकर सावधानी नहीं बरतते, उन्हें इस बीमारी से सावधान रहना चाहिए। दरअसल यह रोग गाय को केवल खराब आहार और पानी से होता है। यह अचानक भी हो सकता है और धीरे – धीरे भी फैल सकता है। इस रोग के दौरान पशु के कई हिस्सों से लुक जैसा खून का रिसाव होने लगता है। वहीं गाय को इस समस्या में ज्वर हो जाता है और शरीर भी अकड़ जाता है। 

तिल्ली रोग से राहत कैसे पाएं – अगर विज्ञान के नजरिए से देखा जाए तो तिल्ली रोग का कोई ठोस उपचार मौजूद नहीं है। पर इस रोग से पशु को बचाने के लिए कुछ जरूर कदम उठाए जा सकते हैं। गाय को यह रोग न हो इसके लिए एक स्वस्थ आहार और साफ पानी ही पीने के लिए दें। और पढ़ें

 

अलंबादी गाय को होने वाली कुछ आम बीमारियां 

  1. एक पशु का पेट भी इंसानों की भांति ही होता है। इन्हें बदहजमी भी हो सकती है। इससे पशु को बचाए रखने के लिए वह चारा दें, जो वह आसानी से पचा सके। 
  2. कुछ गाय में कब्ज की दिक्कत भी हो जाती है। अगर गाय को कब्ज हो तो ऐसे में 800 ग्राम मैग्नीशियम सल्फेट पानी में 30 ग्राम अदकर घोल कर पीने के लिए दें। 
  3. अगर गाय की मांसपेशियां कमजोर दिखाई दें और तनाव महसूस हो तो समझ जाएं कि यह एनीमिया की वजह से है। ऐसे में पशु को ऐसा आहार दें जिनमें विटामिन ए, बी और ई हो। 
  4. अगर गाय के  शरीर में मैग्नीशियम की कमी हो जाए तो उसे 5 ग्राम मैग्नीशियम ऑक्साइड डालकर दें। 
  5. गाय को गीले फर्श पर सोने से  निमोनिया की बीमारी हो सकती है। इस बीमारी से गाय को बचाने के लिए इस बात का ध्यान रखें, कि पशु एक सूखे स्थान पर ही सोए। 
  6. गाय के थनों में कई बार सूजन आ जाती है और इनका आकार भी बड़ा हो जाता है। यह थनैला रोग के लक्षण होते हैं। इसके अलावा इस रोग में थनों में दूध के साथ खून भी निकलने लगता है। इस स्थिति को गंभीरता से लें। थनैला से गाय को बचाए रखने के लिए गाय के दूध की थोड़े – थोड़े समय में जांच कराते रहें। 

 

Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

आप Animall ऐप को डाउनलोड करके गाय को खरीद या बेच सकते हैं। फोन में यह ऐप डाउनलोड करने के लिए आप प्ले स्टोर पर जाएं, या नीचे दिए गए विकल्प  पर क्लिक करें। Click Here

          

  1. इसके बाद आप इसमें मोबाइल नंबर डालें और अपनी जगह का चुनाव करें।
     
  2. अब आप ऐप की भाषा का चुनाव करें।
     
  3. अब आप ऐप इस्तेमाल करने के लिए तैयार है और यहां पर आपके सामने पशु खरीदने या बेचने का विकल्प दिख जाएगा।
  4. अगर गाय खरीदनी है तो आप गाय के विकल्प का चुनाव कर सकते हैं।
     
  5. यहां आपको बिकाऊ की गाय की सूची दिख जाएगी।
  6. अब पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प दिखाई देंगे। इसमें आप अपनी जरूरत के हिसाब से पशु की सूची हासिल कर सकेंगे।
  7. इस सूची में से अपने लिए गाय का चुनाव करें।
     
  8. आप बेचने वाले व्यक्ति से मोल भाव भी कर सकते हैं और गाय से जुड़ी अन्य जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं।

 

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. अगर आप गाय बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आप ऐप के ठीक नीचे देखें। वहां बीचों बीच आपको पशु बेचने का विकल्प दिखाई देगा।
     
  2. यहां क्लिक करने के बाद आपको पशु से संबंधित जानकारी भरनी होगी। इसमें गाय की ब्यात, नस्ल, कीमत, दूध देने की क्षमता, गाय की फोटो अपलोड कर दें।
     
  3. आपका पशु Animall ऐप पर लिस्ट हो गया है, जो भी खरीदार आपका पशु लेना चाहेगा। वह आपसे खुद संपर्क कर लेगा। और पढ़ें

 

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यहां से पढ़ें कपिला गाय की संपूर्ण जानकारी।

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भारत में गाय की ऐसी कई नस्ल हैं, जिनका इतिहास में वर्णन हैं। ऐसी ही एक देसी नस्ल है, जो किसानों और पशुपालकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। दरअसल हम बात कर रहे हैं कपिला गाय के बारे में।आपको बता दें कि इस गाय की उत्पत्ति भारत देश के गोवा राज्य से हुई है।

किसान और पशुपालकों के बीच यह अधिक इसलिए भी प्रसिद्ध है, क्योंकि इस पशु के द्वारा दिए गए दूध की मांग बहुत अधिक होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कपिला गाय के दूध में एंटी डायबिटिक और ओटिज्म जैसी बीमारियों से बचाने वाले गुण होते हैं। यही नहीं कपिला गाय इसलिए भी खास है, क्योंकि इस नस्ल का महत्व हिंदू धर्म से भी जुड़ा हुआ है। आज हम आपको अपने इस लेख में कपिला गाय से जुड़ी हुई संपूर्ण जानकारियां देंगे। इसके अलावा आपको यह भी बताएंगे कि आप किस तरह कपिला गाय को  Animall App के जरिए खरीद या बेच सकेंगे। चलिए विस्तार से कपिला गाय के बारे में जानते हैं। 

कपिला गाय की पहचान कैसे करें

कपिला गाय को गौंटी/गवती घावी के नाम से भी जाना जाता है। कपिला गाय अधिकतर सफेद रंग की होती हैं। लेकिन यह काले और ब्राउन या हल्के लाल रंग में भी देखने को मिल सकती हैं।  देसी नस्ल की यह कपिला गाय हर मौसम के अंदर आसानी से रह सकती है। यह गाय देखने में बिल्कुल सफेद होती हैं। इनकी बोहें भी सफेद ही नजर आती है। यह एक मध्य आकार का पशु है। सफेद रंग की इस गाय का चेहरा सीधा होता है और पीठ थोड़ी कुबड़ी होती है। इस गाय के सींग सीधे होते हैं और ऊपर की तरफ से कुछ बाहर निकले हुए होते हैं। इस गाय की ऊंचाई करीब 83 सेमी तक हो सकती है। आमतौर पर इस गाय को दूध देने के लिए ही पाला जाता है। 

कपिला गाय का दूध और इसकी विशेषताएं

कपिला गाय के द्वारा दिए गए दूध को ए2 टाइप दूध की श्रेणी में रखा जाता है। आपको बता दें कि ए2 एक उच्च श्रेणी है, जिनमें सबसे अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। कपिला गाय के दूध का सेवन अधिक इसलिए भी किया जाता है। क्योंकि इस गाय का दूध डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाने में भी कारगर सिद्ध होता है। इसके अलावा कपिला गाय के दूध में 5 प्रतिशत से ज्यादा फैट होता है। बता दें कि यह गाय एक ब्यात में 350 से 510 किलो तक दूध देती है। इसके साथ ही कपिला गाय के मूत्र और गोबर का भी उपयोग लोग कई घरेलू उपाय में करते हैं। 

कपिला गाय का चारा 

देसी नस्ल की यह कपिला गाय हर तरह के मौसम की मार को झेल सकती है। इसे चारे में हरी घास, मक्की, ज्वार, बाजरा, गेहूं आदि भी दिया जा सकता है। इसके अलावा घर में इस्तेमाल किया गया आटा, सब्जी चावल और अन्य खाद्य सामग्री भी कपिला गाय आसानी से पचा लेती है। 

कपिला गाय की देखरेख कैसे करें

पशुपालकों और किसानों को इस बात का खास ध्यान रखना है कि यह एक मसौदा पशु नहीं है। इसलिए इसे ढुलाई का कार्य नहीं कराया जा सकता। इसके अलावा कपिला गाय भले ही सभी मौसम को आसानी से झेल सकती है। लेकिन इसके लिए शेड लगाना बहुत जरूरी है। इस गाय को खुले स्थान पर ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता। गाय के लिए लगाए जाने वाले शेड का निर्माण कुछ इस तरह कराएं कि पशु धूप, बारिश से बचा रहे। इसके साथ ही हवा की आवा जाही भी बाधित न हो।  

कपिला गाय को लगवाए जाने वाले टीके 

कपिला गाय थोड़ी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाली गाय है। ऐसे में इस गाय को समय – समय पर कई टीके लगवाने की आवश्यकता है। गाय के बछड़े के पैदा होने के 6 महीने बाद आपको गाय को ब्रुसेला का टीका लगवाना होता है। इसके अलावा गलघोटू और मुंह खुर का टीका भी जरूर लगवाना चाहिए। साथ ही गाय को किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

बीमारियों से बचाए रखने के लिए गाय का टीका कब लगाना चाहिए

कपिला गाय को होने वाले रोग और इलाज

पशुपालकों की सावधानियों और देखरेख के बावजूद कई बार पशुओं को गंभीर रोग हो जाते हैं। ऐसे में आप अपने पशुओं को किस तरह इन रोगों से बचा कर रख सकते हैं और इनका इलाज कैसे करा सकते हैं। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। 

जानिए मानसून में पशुओं के लिए कौन से टीके लगवाना है जरूरी

थनैला बीमारी और इसका इलाज

थनैला अमूमन दुधारू पशुओं को होने वाला रोग है। इस रोग के दौरान पशु के थनों में सूजन आ जाती है। साथ ही दूध निकालने का रास्ता भी संकरा हो जाता है। इसके अलावा थनैला के दौरान दूध के रास्ते से पस, और खून भी निकलने लगता है।  पशु को इस दौरान भयंकर दर्द का सामना करना  पड़ता है। जिसके चलते कई बार पशु खाना पीना भी छोड़ देता है। 

थनैला का उपचार – पशु को अगर यह रोग हो जाए तो पशुपालकों को तुरंत इसका उपचार कराना चाहिए। क्योंकि अगर पशुपालक ऐसे में देर कर देते हैं तो पशु के थनों को काटने की भी नौबत आ सकती है। थनैला की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।  वहीं रोग से बचाने के लिए पशु के थनों और दूध की समय – समय पर जांच कराते रहें। 

ब्लैक क्वार्टर रोग और इलाज 

यह एक खतरनाक जीवाणु है जो पशुधन पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। आपको बता दें कि यह आमतौर पर बारिश के दौरान मिट्टी में पैदा होता है। अमूमन यह पशु उन लोगों को प्रभावित करता है जिनकी उम्र 24 महीने से कम है। इस रोग के दौरान पशु को सांस लेने में दिक्कत होती है और तेज बुखार भी हो जाता है। 

ब्लैक क्वार्टर का उपचार – ब्लैक क्वार्टर भी उन बीमारियों में से है जिसका समय पर पता लगाना बेहद जरूरी है। समय पर रोग का पता लगने पर पशु को संक्रमित स्थान पर पेनिसिलिन का टीका दिया जाता है। साथ ही घाव गहरा होने पर डॉक्टर बार – बार ड्रेसिंग करने की भी सलाह देते हैं। 

तिल्ली रोग और इसके उपचार 

तिल्ली रोग पशु को तब होता है जब उन्हें कोई खराब पानी और खराब भोजन दे दे। यह रोग और इसके लक्षण अधिकतर अचानक ही देखने मिलते हैं। इस रोग में पशु के शरीर के कई हिस्सों से लूक जैसा रक्त निकलने लगता है। साथ ही इस दौरान पानी का तापमान भी बढ़ जाता है। इसके अलावा रोग में शरीर अकड़ भी जाता है। 

तिल्ली रोग का उपचार – इस रोग का ऐसा कोई भी इलाज नहीं है, जिसके जरिए पशु तुरंत ठीक हो जाए। ऐसे में तिल्ली रोग होने पर पशु को शुद्ध पानी और आहार देना चाहिए। वहीं रोग के दौरान रोगी पशु को स्वस्थ पशु से दूर बांध देना चाहिए। पशु की मृत्यु हो जाने पर उसे अन्य पशुओं से दूर एक गहरे गड्ढे में दफना देना चाहिए। 

Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

क्या आप ऑनलाइन माध्यम से कपिला गाय खरीदने की सोच रहे हैं। अगर हां तो आपको बता दें कि गाय खरीदने के आप Animall App डाउनलोड कर सकते हैं। इस ऐप को डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए विकल्प पर क्लिक करें – Click Here

  1. एक बार ऐप डाउनलोड हो जाए तो इस पर अपना मोबाइल नंबर डालें। 
  1. इसके बाद ऐप पर ही भाषा का चुनाव करें।

 

  1. ऐसा करने के बाद आप ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब आप पशु को ऐप के जरिए खरीद या बेच सकते हैं। 
  1. अगर आप गाय खरीदने की सोच रहे हैं तो गाय के विकल्प पर क्लिक करें। 
  1. अब आपके सामने एक सूची आएगी जहां आपको बिकाऊ गाय दिखाई देंगी। 
  2. इसके बाद अगर आप किसी नस्ल की या अधिक दूध देने वाली गाय खरीदना चाहते हैं, तो यहाँ अपने अनुसार जरूरी जानकारी  देकर गाय की सूची हासिल कर सकते हैं।   
  3. अब आपको जो गाय समझ आती है, उसे चुन ले।
  1.  इसके बाद आप गाय बेचने वाले इंसान से मोल भाव की बात कर सकते हैं और गाय से जुड़ी कई दूसरी जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं। और पढ़ें

 

ऐप पर कैसे बेचें पशु

 

  1. गाय बेचने के लिए आप इस प्रक्रिया को फॉलो कर सकते हैं। गाय बेचने हेतु ऐप के नीचे विकल्प पर क्लिक करें। चाहें तो नीचे दिए गए चित्र से भी सहायता ले सकते हैं। 
  1. अब बेचने वाली भैंस से जुड़ी जानकारी जैसे ब्यात, नस्ल, दूध देने की क्षमता की जानकारी दर्ज कराएं। 
  1. इस तरह आपका पशु ऐप के ऊपर लिस्ट हो जाएगा। अब जिस भी व्यक्ति को गाय खरीदनी होगी आपसे संपर्क कर लेगा। 

 

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बारगुर गाय की संपूर्ण जानकारी यहां पढ़ें।

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Source – Wikipedia

भारत देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण इलाकों से ताल्लुक रखता है और इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का गुजारा पशुपालन एवं खेती के जरिए ही होता है। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग अक्सर ऐसी गाय की तलाश में रहते हैं, जो उनके जीवन को आसान बना सकें और उन्हे आर्थिक रूप से फायदा पहुंचा सकें। आज हमने पशुपालकों के लिए ऐसी ही एक गाय की नस्ल खोजी है। दरअसल हम बात कर रहे हैं बारगुर गाय की। आपको बता दें कि बारगुर गाय एक छोटे और मध्यम कद की गाय है। जिसका ताल्लुक तमिलनाडु के डिरोज जिले से है। इसका नाम भी भवानी तहसील में मौजूद बारगुर पहाड़ी क्षेत्र पर ही रखा गया है। बारगुर गाय अपनी सहनशक्ति और गतिशीलता के लिए जानी जाती है। आज हम अपने इस लेख में आपको बारगुर गाय से जुड़ी संपूर्ण जानकारियां देंगे। इसके साथ ही आप किस तरह ऑनलाइन माध्यम से बारगुर गाय को खरीद या बेच सकते हैं, यह भी बताएंगे। बारगुर गाय से जुड़ी दिलचस्प जानकारी हासिल करने के लिए लेख पर अंत तक बने रहें। और पढ़ें

 

बारगुर गाय की पहचान कैसे करें


Source – Tanuvas

बारगुर नस्ल की गाय देखने में काफी खूंखार होती हैं। इनके सींग बाहर की ओर लंबे और पैने होते हैं। बारगुर गाय का रंग गहरा ब्राउन होता है और इनके शरीर पर सफेद रंग के धब्बे मौजूद होते हैं। वहीं इनका माथा सपाट होता है और कान बाहर की तरफ बिल्कुल सीधे रहते हैं। इस गाय का शरीर पर वसा अधिक मौजूद नहीं होता और यह सुडौल शरीर की होती है। बारुगर गाय के चेहरे पर भी सफेद रंग के दाग धब्बे दिखाई दे सकते हैं। गाय की कमर पर मौजूद कूबड़ का आकार हल्का ही ऊपर उठा होता है।

 

बारगुर गाय का दूध और विशेषताएं 

किसानों व पशुपालकों के लिए गाय का दूध देना बहुत महत्व रखता है। इसलिए बता दें कि बारगुर गाय अपनी एक ब्यात में 250 से लेकर 1300 किलोग्राम तक दूध देती है। इस गाय के दूध में फैट अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा यह गाय एक बार गर्भधारण करने बाद 270 से 310 दिन तक दूध दे सकती है। गाय के दूध के साथ – साथ इसके मूत्र और गोबर का भी इस्तेमाल किसान और पशुपालक कर सकते हैं। और पढ़ें

 

बारगुर गाय की देखरेख कैसे करें 

बारगुर गाय एक अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली गाय है। वहीं यह गाय पहाड़ी क्षेत्र से आती है। लेकिन इसके बावजूद गर्म मौसम की मार भी झेल सकती है। लेकिन गाय के रहने के लिए कुछ विशेष इंतजाम करना बेहद जरूरी है। बारगुर गाय को रखने के लिए एक शेड की जरूरत होती है। शेड का निर्माण इस तरह से होना चाहिए। जिससे गाय धूप, बारिश आदि से बच सकें। वहीं शेड में हवा की आवाजाही ठीक से हो, इस बात का भी ध्यान रखना अनिवार्य है। शेड की सफाई अंदर से रोजाना होनी चाहिए। गाय के द्वारा किए गए मल को जल्दी से जल्दी शेड के अंदर से हटा देना चाहिए। इससे गाय कई तरह की गंभीर बीमारियों से बच जाती है। 

बारगुर गाय को दिया जाने वाला चारा 

बारगुर गाय एक मध्यम आकार की गाय है। इसे दिन भर में केवल 5 से 7 किलो ही चारा देने की जरूरत होती है। आप इस गाय को हरा चारा दे सकते हैं जैसे, गेहूं, मक्का, ज्वार आदि। इसके अलावा घर से गेहूं, सब्जी फल आदि भी दिए जा सकते हैं। गाय को दिए जाने वाले चारे की गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए। गाय को किसी भी तरह का अशुद्ध भोजन नहीं देना चाहिए। पशु को अशुद्ध भोजन देने पर उनके बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। और पढ़ें

बारगुर गाय को लगने वाले टीके 

बारगुर गाय को सही देखरेख के साथ – साथ कुछ आवश्यक दवाओं की भी जरूरत होती है। यह दवाएं गाय को टीके के माध्यम से दी जाती हैं। ऐसे में एक पशुपालक को कुछ टीके समय – समय पर जरूर लगवाने चाहिए। इसमें जब गाय 6 माह से लेकर 24 माह तक की हो तो उसे ब्रुसेला का टीका दिया जाना चाहिए। इसके अलावा गाय को कुछ अन्य बीमारियों से बचाने के लिए गलघोटू और मुंह खुर का टीका दिया जाना चाहिए। 

 

बारगुर गाय की बीमारी और इसके इलाज


Source – Dairy Knowledge 

बारगुर नस्ल की गाय की देखरेख में की गई कुछ लापरवाही कई बार इन्हें खतरनाक बीमारियों की गिरफ्त में डाल देती हैं। इसके अलावा कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं जो गाय को परेशान कर सकती हैं। और पढ़ें

 

थनैला रोग और इसके उपचार के तरीके 

थनैला के नाम से ही आप समझ गए होंगे कि यह रोग गाय के थन से संबंधित है। आपको बता दें कि यह रोग आमतौर पर अधिक दूध देने वाली गाय को होता है। लेकिन कई बार कम दुधारू गाय भी इस रोग का शिकार हो जाती हैं। इस रोग के दौरान गाय के थन का आकार बढ़ जाता है और इनमें सूजन आ जाती है। साथ ही दूध निकालने का रास्ता संकरा हो जाता है। साथ ही थनों से पस और खून भी निकलने लगता है।  

थनैला का उपचार – थनैला के उपचार हेतु इस रोग का समय पर पता चलना बहुत जरूरी है। वरना इस रोग की वजह से पशु के थन भी काटने पड़ सकते हैं। इसके अलावा थनैला से पशु को बचाने के लिए गाय के दूध और थनों पर नजर बनाकर रखनी चाहिए। इसके साथ ही पशु की बदलती स्थिति पर नज़र भी बनाकर रखनी चाहिए। और पढ़ें

 

तिल्ली रोग और उपचार

बारगुर गाय या किसी भी अन्य पशु को यह रोग तब होता है, जब उन्हें खराब भोजन और पानी दिया जाए। इस रोग के होने पर पशु के शरीर से लुक जैसा रक्त निकलने लगता है। इसके साथ ही पशु को तेज बुखार भी हो जाता है। साथ ही कई पशुओं में शरीर अकड़ने की दिक्कत भी देखी जा सकती है। 

तिल्ली रोग का इलाज – आपको बता दें कि तिल्ली रोग की कोई ठोस उपचार प्रक्रिया या दवा मौजूद नहीं है। इसलिए पशु को यह रोग होने से बचाना ही एकमात्र विकल्प है। तिल्ली रोग से पशु को बचाने के लिए उसे शुद्ध भोजन और पानी ही देना चाहिए। वहीं अगर किसी पशु को यह रोग हो जाए तो स्वस्थ पशुओं से दूर बांध देना चाहिए। इसके अलावा अगर पशु की मौत तिल्ली रोग से हो जाए तो उसके शव को किसी गहरे गड्ढे में दफना देना चाहिए। और पढ़ें

 

 ब्लैक क्वार्टर रोग और उपचार 

यह एक खतरनाक रोग है जो पशु की जान को खतरे में भी डाल सकता है। आपको बता दें कि ब्लैक क्वार्टर जीवाणु बारिश के दौरान मिट्टी में पैदा होता है। इस रोग का बुरा प्रभाव पशुधन पर पड़ता है। इसके साथ ही पशु को इस रोग में सांस लेने में भी परेशानी होती है। यही नहीं कई बार पशु को बुखार भी हो जाता है। 

ब्लैक क्वार्टर रोग का उपचार – अगर समय पर इस रोग का पता चल जाए तो पेनसिलिन टीके के जरिए ठीक हो सकता है। पर अगर रोग के पता चलने में समय लग जाए तो स्थिति काबू से बाहर चली जाती है। ऐसे में पशु की जान जाने का खतरा भी बढ़ सकता है।

Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

अगर कोई पशुपालक या किसान गाय ऑनलाइन खरीदना चाहता है तो वह Animall ऐप के जरिए ऐसा कर सकता है। ऐनिमॉल ऐप डाउनलोड करने के लिए इस Click Here विकल्प को चुने

  1. जब ऐप डाउनलोड हो जाए तो रजिस्ट्रेशन हेतु अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें।
     
  2. इसके बाद आपको अपने अनुसार भाषा का चुनाव करना है।
     
  3. अब आप का उपयोग करके पशु खरीद या बेच सकते हैं।
  4. उदाहरण के लिए अगर आपको गाय खरीदनी है तो आपको उसके विकल्प को चुनना होगा। सहायता के लिए आप नीचे दिए गए चित्र को देख सकते हैं।
     
  5. विकल्प पर क्लिक करने के बाद आपके सामने गाय की सूची आ जाएगी।
  6. यहां आप अपने अनुसार यह भी तय कर सकते हैं कि आपको कौन सी या किस तरह की गाय चाहिए। इसके लिए आपको गाय के दूध की मांग, नस्ल, और ब्यात आदि दर्ज करनी होगी।
  7. अब एक फिल्टर्ड सूची आपके सामने होगी। इस सूची में अपने अनुसार गाय का चुनाव करें और बेचने वाले व्यक्ति से सीधे बात करें।
     
  8. आप चाहें तो गाय बेचने वाले व्यक्ति से बात करके गाय की कीमत कम भी करवा सकते हैं।

ऐप पर कैसे बेचें पशु

  1. अगर किसी व्यक्ति को अपनी गाय बेचनी है तो वह भी ऐप के जरिए कर सकता है। ऐप के होमपेज के नीचे पशु खरीदें का विकल्प दिखाई देगा। यहाँ क्लिक करें।
     
  2. इस विकल्प पर क्लिक करने के बाद आपके सामने एक अन्य पेज आएगा। यहां आपको पशु से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां दर्ज करनी होगी।
     
  3. आपके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पशु ऐप पर लिस्ट हो जाएगा। इसके बाद जिस भी व्यक्ति को आपके द्वारा बेचे जा रहे पशु में दिलचस्पी होगी और वह आपसे खुद संपर्क कर लेगा। और पढ़ें

 

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जानें हल्लीकर गाय के बारे में सारी जानकारी

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भारत में गायों की बहुत सारी नस्लें हैं, जिनमें से बहुत नस्लों की पहचान आज भी उनके राज्यों और क्षेत्रों के आधार पर की जाती है। इन्हीं में से एक नस्ल है हल्लीकर गाय की। जो कि दक्षिण भारत में बेहद मशहूर है।

हल्लीकर गाय को एक बेहद ही मजबूत शरीर वाली नस्ल माना जाता है। ये गाय कर्नाटक के मैसूर, मंडाया, बैंगलौर, कोलार, तुमकुर, हासन और चित्रदुर्ग जिलों में पाई जाती है। इस गाय को दक्षिणी भारत की गायों की नस्ल में सर्वोत्तम नस्ल मानी जाती है। इस नस्ल के बैल भी काफी ज्यादा उपयोगी माने जाते हैं। हल्लीकर गाय का नाम कर्नाटक की जनजाति हल्लीकर से पड़ा है। इस जनजाति का मुख्य पेशा पशुपालन ही होता है।

गाय की इस नस्ल के सम्मान में भारतीय डाक विभाग ने साल 2000 में एक विशेष डाक टिकट भी चालू की थी। इस नस्ल की खासियत ये है कि काफी दूर तक ये घूम सकती है। हल्लीकर गाय की नस्ल से ही दक्षिण भारत की कई अन्य नस्लों का विकास किया गया है। और पढ़ें

हल्लीकर गाय की पहचान

हल्लीकर नस्ल की गाय का रंग भूरा या गहरा भूरा होता है। ये नस्ल बनावट में मध्यम आकार की होती हैं और मांसल सी प्रतीत होती है। इसका माथे वाला भाग थोड़ा उठा हुआ होता है। तो वहीं चेहरा लंबा और नाक की ओर झुका हुआ होता है। इसका नाक काले या भूरे रंग का होता है। वहीं इसके सींग लंबे और सिरों पर एक दूसरे की ओर मुड़े हुए रहते हैं। इनका झुकाव पीछे की ओर रहता है।

इनकी आंखे और कान छोटे होने के साथ-साथ काफी झुकावदार भी होते हैं। इनके गले की झालर छोटी और कम लटकाव वाली होती है। इसके अलावा हल्लीकर गाय की पूंछ लंबी और काले सिर वाली होती है और पिछले पैरों के जोड़ से नीचे तक लटकी रहती है। हल्लीकर गाय का वजन 270 किलोग्राम के आसपास होता है।

हल्लीकर गाय के दूध की जानकारी

हल्लीकर गाय की पहली ब्यात का समय लगभग 1350 दिनों का होता है। ये गाय तकरीबन 1000 किलोग्राम तक का दूध दे सकती है। इसके दूध में फैट लगभग 5.7 फीसदी होता है।

हल्लीकर गाय बेहद ही मेहनती और सक्रिय नस्ल है। ये दिनभर बिना आराम किए भी काम कर सकती है। इस नस्ल को सभी प्रकार के कृषि कार्यों के इस्तेमाल में लाया जाता है। ये गाय अपनी शक्ति और सहनशीलता के लिए जानी जाती है। और पढ़ें

हल्लीकर गाय की देखरेख कैसे करें

चारे में क्या दें

इस नस्ल की गाय को चारे में इसकी जरूरत के अनुसार ही खाना दें। जरूरत से ज्यादा चारा देने की वजह से इसे बदहजमी जैसी बीमारी हो सकती है। वहीं अगर इसे फलीदार चारा दें तो उसमें तूड़ी या फिर अन्य चारा जरूर मिलाए। ताकि पशु को अफारा बीमारी ना हो।

खुराक

हल्लीकर के लिए जरूरी तत्व – उर्जा, प्रोटीन, विटामिन

क्या दें खाने में

अनाज – मक्की, जौ, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चावलों की पॉलिश, मूंगफली, तिल, अलसी आदि।

हरा चारा – लोबिया, ज्वार, लूसर्न, सुडान घास, सेंजी, नेपियर बाजरा, हाथी घास आदि

अन्य खुराक – चावल की कणी, चोकर, सोयाबीन की खल, सरसों की खल, शीरा, नमक आदि

शेड – हर पशु को अनुकूल परिस्थितियों की जरूरत होती है। ऐसे में पशु को बारिश, घूप, बर्फबारी, ठंड से बचाने के लिए एक शेड की जरूरत होती है। इतना ही नहीं शेड में साफ-सफाई का भी खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। पशुओं के लिए सही भोजन की जगह भी होनी चाहिये।

गाभिन गाय की देखभाल – एक गाभिन गाय का अच्छे से रखा गया ध्यान, उसके बछड़े पर तो पड़ेगा साथ ही उसकी दूध देने की गुणवत्ता भी उससे सुधरेगी। इस वक्त में गाय को 1 किलो ज्यादा फीड करें।

टीके – 6 महीने के बछड़े को सबसे पहला टीका ब्रूसीलोसिस का लगवाने की जरूरत होती है। इसके एक महीने के बाद गलघोटू का टीका लगवाएं। इसके एक महीने के बाद लंगड़े बुखार का टीका लगवाएं। बड़ी गायों को हर 3 महीने के बाद डीवॉर्मिंग का टीका लगवाएं। और पढ़ें

हल्लीकर गाय को होने वाली बीमारियां

बदहजमी: गाय को बदहजमी होने पर ऐसी खुराक दें जो वो जल्दी से पचा सके।

कब्ज: अगर पशु को बार-बार कब्ज हो रहा है तो उसे 800 ग्राम मैगनीशियम सल्फेट पानी में घोलकर और 30 ग्राम अदरक का चूरा मुंह के जरिये दें।

मरोड़/ खूनी दस्त: मरोड़ या फिर खूनी दस्त की स्थिति में गाय को मुंह के द्वारा या फिर टीके के जरिये सलफा दवाइयां दें। इसके अलावा 5 प्रतिशत गुलूकोज और नमक का पानी ज्यादा दें

अफारे: गाय को अफारे होने की स्थिति में तारपीन का तेल 30-60 मिलीलीटर, हींग का अर्क 60 मिलीलीटर या सरसों अलसी का 500 मिलीलीटर तेल दें। लेकिन ध्यान रहें की तारपीन का तेल ज्यादा मात्रा में ना दें, नहीं तो पशु का पेट खराब हो सकता है।

मैगनीश्यिम की कमी: मैगनीश्यिम की कमी को पूरा करने के लिए खाने में 5 ग्राम मैगनीश्यिम ऑक्साइड डाल दें।

रिंडरपैस्ट (शीतला माता): ये गाय में होने वाली गंभीर बीमारी है। इस बीमारी को होने में 6 से 9 दिनों का वक्त लगता हैं। इसमें तेज बुखार, मुंह से पानी बहना और खूनी दस्त लगने की शिकायत होती है। इसका इलाज पेंसीलिन के द्वारा किया जाता है।

निमोनिया: गाय को निमोनिया की बीमारी गीले फर्श की वजह से होती है। इसलिए ध्यान रखें की जगह सूखी रहे।

थनैला: ये बीमारी हर गाय को हो सकती है। थनैला रोग में पशु के थन काफी गर्म हो जाते हैं और उसमें दर्द और सूजन की शिकायत होने लगती है। इसके अलावा गाय के दूध में खून और पस की मात्रा बढ़ने लग जाती है। इसका इलाज अगर शुरुआत में ही हो जाए तभी संभव है, बीमारी ज्यादा बढ़ने के बाद थन बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। और पढ़ें

 

Animall ऐप से कैसे खरीदें हल्लीकर गाय?

अगर आप हल्लीकर गाय खरीदना चाहते हैं, तो अपने फोन में Animall ऐप को डाउनलोड करें। ऐप में अपना मोबाइल नंबर डाल कर खुद को रजिस्टर करें। जिसके बाद आपको गाय का बटन दबाना है। बटन दबाते ही आप ढेर सारी गायों की नस्लों को देख पाएंगे। जिसमें आप हल्लीकर चुन कर अपने पसंद की ब्यात और दूध की क्षमता वाली गाय खरीद सकते हैं। 

इन तीन आसान तरीकों से घर लायें देवनी गाय
     

  1. अपने गांव या जिले का नाम या पिनकोड डालें।
     
  2. पिनकोड डालने के बाद, गाय पर दबायें। यहां पर नस्ल हल्लीकर को चुनें और अपने मन के अनुसार दूध की क्षमता और ब्यात का चुनाव करें।
  3. अब आपको अपने आसपास की सारी हल्लीकर गाय दिखने लगेंगी। इनमे से अपने पसंद की गाय चुन सकते हैं। 

Animall ऐप पर बेचें अपनी हल्लीकर गाय

आप हल्लीकर गाय बेचना चाहते हैं तो Animall ऐप पर कर सकते हैं। सबसे पहले आपको रजिस्टर करना होगा और उसके बाद पशु बेचें पर जाएं। वहां जाकर आप हल्लीकर गाय की दूध क्षमता, ब्यात और कीमत डालें। सारी जानकारियां डालने के बाद आपकी गाय Animall ऐप पर रजिस्टर हो जाएगी। जो भी खरीदार आपकी गाय लेने में इच्छुक होगा वो सीधा आपको फोन कर सकता है।

Animall ऐप पर जहां एक तरफ पशु खरीद और बेच सकते हैं। तो वहीं आपको वहां पर पशु से जुड़ी सारी जानकारी भी मिल जाएगी। तो पशु के बीमार होने पर आप ऐप पर ही डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं। आपको बेहतरीन गुणवत्ता की और वेरिफाइड गाय बेहद ही अच्छे दाम में और वो भी बिना कुछ भी कमीशन दिए मिल जाएगी। और पढ़ें

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कांकरेज गाय की जानकारी यहां पढ़ें

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क्या आप एक ऐसी गाय खोज रहे हैं जो ढुलाई का काम भी कर सके और दूध भी अधिक मात्रा में दे सकें। अगर हां तो भारतीय नस्ल की कांकरेज गाय एक बेहतर विकल्प हो सकती है। कंकरेज गाय का अस्तित्व गुजरात के कच्छ से जुड़ा हुआ है। साथ ही यह पाकिस्तान के थारपारकर जिले में भी पाई जाती है।  आपको बता दें कि कंकरेज गाय को वगाड़िया, बोनई, तालबंदा के नाम से भी जाना जाता है।

कांकरेज गाय को लेकर हैरान कर देने वाली बात यह है, कि ब्राजील में पाई जाने वाली गुजेरा नस्ल इसी नस्ल के जरिए बनी थी। दरअसल 1870 में भारत से कंकरेज गाय और बैल को ले जाया गया था। जिसके बाद गुजेरा नस्ल का जन्म हुआ था। यही नहीं जानकार बताते हैं कि आगे चलकर कई अमेरिकी गाय की कई नस्ल कांकरेज के जरिए ही बनी थी। आज हम आपको अपने इस लेख में कंकरेज गाय से जुड़ी तमाम जानकारियां देंगे।

अगर आप भी कंकरेज गाय को खरीदना या बेचना चाहते हैं तो यह आप Animall ऐप के जरिए ऐसा कर सकते हैं। इसके अलावा कंकरेज गाय से जुड़ी हुई तमाम जानकारियां हासिल करने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

कांकरेज गाय की पहचान कैसे करें 

जानकारों की मानें तो कांकरेज गाय का इतिहास 5000 साल पुराना है। इतिहास में मोहनजोदड़ो के समय पर की गई नक्काशी और रचनाओं में कांकरेज गाय के चित्र दिखाई देते हैं। कांकरेज गाय पहले के समय में गुजरात और पाकिस्तान में पाई जाती थी। आमतौर पर कांकरेज गाय का उपयोग दोहरा होता है। इसके जरिए दूध तो प्राप्त किया ही जाता है। साथ ही यह गाय ढुलाई और हल जोतने के काम भी कर सकती है। यही कारण भी है जिसकी वजह से कांकरेज गाय की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है। 

कांकरेज एक ऊंचे आकार की गाय है जिसके सींग बेहद बड़े होते हैं। इस गाय की कमर भी ऊंट की भांति उभरी हुई रहती है। कांकरेज गाय की पूंछ लंबी होती है पर यह जमीन पर नहीं टिकती। इनके शरीर पर फैट अधिक नहीं होता पर यह सुडौल शरीर की होती है। कांकरेज गाय आपको अलग – अलग रंग में देखने को मिल सकती है जैसे स्टील ब्लैक, सिल्वर ग्रे, और आयरन ग्रे आदि। ज्ञात हो कि कांकरेज गाय और बैल अधिक वजन वाले पशु होते हैं। कांकरेज पशु का वजन 590 किलोग्राम तक हो सकता है। वहीं कांकरेज गाय का वजन 431 किलोग्राम तक होता है। 

कांकरेज गाय के दूध की विशेषताएं 

कांकरेज एक बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली गाय है। यह एक बार के दुग्ध काल में 1738 से लेकर 1800 किलोग्राम तक सालाना दूध दे सकती है। वहीं अगर यह गाय ग्रामीण इलाकों में रहे तो इसकी दूध देने की क्षमता बहुत अधिक बढ़ जाती है। एक शोध के दौरान विशेषज्ञों ने कुछ ऐसी कांकरेज गाय भी देखीं जो ग्रामीण क्षेत्रों में थी और सालाना 4900 किलो दूध देती थी। आपको बता दें कि कांकरेज गाय के दूध में 4.8 प्रतिशत तक फैट होता है। कांकरेज गाय के दूध से प्राप्त घी को भी अधिक दाम पर बेचा जा सकता है। कांकरेज गाय 39 से 56 महीने के बीच गर्भधारण के लिए तैयार हो जाती है।

जानिए क्या है, दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का सही तरीका

कांकरेज गाय की कीमत 

कांकरेज गाय एक नहीं बल्कि पशुपालकों के कई काम कर सकती है। यह परिवहन और सामान ढुलाई का काम भी कर सकती है। साथ ही खेत जोतने के भी काम आ सकती है। इसके अलावा कांकरेज गाय दूध भी अधिक मात्रा में देती है। इसकी वजह से कांकरेज गाय की कीमत अभी के समय में एक लाख रुपए तक पहुंच गई है। वहीं भविष्य में इसकी कीमत और अधिक हो सकती है। 

कांकरेज गाय की देखरेख

कांकरेज गाय को एक निर्धारित मात्रा में ही चारा देना चाहिए। वरना इन्हें बदहजमी की समस्या हो सकती है। अपनी गाय को पूरी तरह तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए आप कई तरह की सूखी घास चारे के रूप में दे सकते हैं, जैसे मक्की, लूर्सन, जई, पराली, और दूर्वा आदि। इसके अलावा गाय को आप मक्की, चावलों की कणी, चोकर, सोयाबीन, मूंगफली की खल, सरसो की खल आदि भी दे सकते हैं। ध्यान रहे कि एक सही आहार ही गाय के दूध की उत्पादन क्षमता को बेहतर कर सकता है।  

कांकरेज गाय को लगवाए जाने वाले टीके 

कांकरेज गाय की बछड़ी के पैदा होने के 6 महीने बाद ही इसे ब्रुसेला का टीका जरूर जरूर लगवाएं। इसके अलावा गाय को दूसरे कई रोगों से बचाने के लिए इन्हें गलघोटू और खुर का टीका भी जरूर लगवाना चाहिए। वहीं अगर गाय की नस्ल के हिसाब से भी कुछ सावधानियां और टीके होते हैं। जिनके बारे में आपको डॉक्टर से राय जरूर लेनी चाहिए।

जानिए मानसून में पशुओं के लिए कौन से टीके लगवाना है जरूरी 

कांकरेज गाय को होने वाले रोग और इलाज 

एक पशुपालक के लिए उसका पशु आय का मुख्य जरिया होता है। ऐसे में अपने पशु को बीमारियों से बचाए रखने के लिए सभी जरूरी उपाय अपनाने चाहिए। साथ ही बीमारियों के लक्षणों की जानकारी होना भी बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कांकरेज गाय को होने वाली ऐसी ही कुछ बीमारियां और उनके इलाज के बारे में। 

थनैला रोग और इलाज 

यह रोग अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस को हो सकता है। इस रोग के शुरुआती लक्षणों को समझ कर पशु के प्राणों को संकट से बचाया जा सकता है। थनैला रोग के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं, थन में सूजन आना, थनों में दर्द होना, थन का आकार बढ़ जाता है, थनों में दूध के साथ खून भी आने लगता है। 

थनैला के इलाज – गाय को होने वाली इस बीमारी का इलाज केवल तभी संभव है, जब बीमारी का पता शुरुआती समय में चल जाए। ऐसे में गाय को इस बीमारी से बचाए रखने के लिए आप समय समय पर दूध की जांच कराते रहें।

एनाप्लजमोसिस एवं इसका इलाज 

कांकरेज गाय के लिए यह रोग बहुत खतरनाक हो सकता है। आपको बता दें कि यह रोग एनाप्लाज़्मा मार्जिनल की वजह से होता है। यह रोग होने पर कांकरेज गाय में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे नाक से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलना, शरीर का तापमान बढ़ना, खून की कमी होना और मुंह से लार गिरना आदि। 

इलाज – पशु पर यह लक्षण दिखाई देने पर आप चाहें तो गाय को अकार्डीकल दवा  दे सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह के बिना बिल्कुल न दे।

तिल्ली रोग और इसका इलाज 

यह एक बेहद खतरनाक रोग है जो खराब भोजन और गंदे पानी की वजह से पशुओं में हो जाता है। इस रोग के दौरान पशुओं को बहुत दर्द रहता है और शरीर के कई हिस्सों से लुक जैसा खून निकलने लगता है। साथ ही इस स्थिति में पशु का शरीर भी अकड़ जाता है। 

तिल्ली का इलाज – इस स्थिति से पीड़ित पशु का कोई भी तय इलाज नहीं है। ऐसे में तिल्ली रोग के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा पशुओं को स्वस्थ आहार और पानी देना चाहिए। साथ ही उनके आस पास साफ सफाई बनाकर रखनी चाहिए। 

ब्लैक क्वार्टर एवं इसका इलाज 

यह रोग गाय को बारिश के दिनों में मिट्टी से पैदा होने वाले जीवाणु की वजह से होता है। उन पशुओं को ब्लैक क्वार्टर से अधिक खतरा होता है जिनकी आयु 6 से 24 महीने के बीच है। यह रोग होने पर कांकरेज गाय को तेज बुखार हो जाता है। साथ ही इस स्थिति में कई बार सांस लेना भी दूभर हो जाता है। 

ब्लैक क्वार्टर का इलाज – इस बीमारी में गाय को पैनसीलिन टीका प्रभावित स्थान पर दिया जाता है। साथ ही डॉक्टर पशु की ड्रेसिंग भी करने की सलाह देते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि ब्लैक क्वार्टर पर टीका केवल तभी कारगर सिद्ध हो सकता है, जब इसे बीमारी के शुरुआती समय में दिया जाए।

Animall ऐप पर कैसे खरीदें गाय:

घर बैठे – बैठे कोई भी गाय खरीदने के लिए आप Animall ऐप को डाउनलोड करें। लेकिन ध्यान रहे कि ऐप केवल एंड्रॉयड फोन में ही डाउनलोड किया जा सकता है। एंड्रॉयड स्मार्ट फोन में यह ऐप डाउनलोड करने के लिए आप प्ले स्टोर पर जाएं, या नीचे दिए गए विकल्प  पर क्लिक करें। Click Here           

  1. ऐप डाउनलोड होने के बाद आप इसमें मोबाइल नंबर डालें और अपनी जगह का चुनाव करें।
  1. इसके बाद आपको भाषा चुन्नी है।
  1. अब आप ऐप को इस्तेमाल कर पाएंगे। यहां से आपको चुनाव करना है कि आपको पशु बेचना है या खरीदना है।
  1. अगर आपको गाय खरीदनी है तो आप गाय के विकल्प का चुनाव करें। 
  1. यहां आपको जो भी गाय बिकाऊ है, उनकी सूची दिख जाएगी।
  2. अब आपको पशु के दूध की क्षमता, ब्यात, नस्ल के विकल्प सामने नजर आएंगे । इन विकल्पों को चुनने के बाद आपके सामने एक सूची आ जाएगी।  
  3. इस सूची के आधार पर आप अपनी गाय चुन सकते हैं। इसके साथ ही गाय बेचने वाले से सीधा बात कर सकते हैं 
  1. आप बेचने वाले व्यक्ति से मोल भाव करके, पशु से जुड़ी अन्य जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं। 

ऐप पर कैसे बेचें पशु

 

  1. अगर आप गाय बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आप ऐप के ठीक नीचे देखें। वहां बीचों बीच आपको पशु बेचने का विकल्प दिखाई देगा।
  1. क्लिक करने के बाद आपको गाय की ब्यात, नस्ल, कीमत, दूध देने की क्षमता, गाय की फोटो अपलोड करनी होगी।
  1. इस तरह आपका पशु Anmall ऐप पर लिस्ट हो जाएगा। अब जिस भी व्यक्ति को गाय खरीदनी होगी, वह आपसे कॉल या मैसेज के जरिए बात कर लेगा। 
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