हम अपने जानवरों को संक्रामक रोगों से कैसे बचा सकते है?

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निम्नलिखित उपाए मंदगार है:-
(क) पशुचिकित्सक की सलाह से समय पर टीका करण करवाना|
(ख) बीमार पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना|
(ग) गोबर पेशाब ओर जेरा आदि (बिमार पशुओं) को एक गड्डे में जला देना चाहिए व ऊपर से चूना डालना|
(घ) मरे हुए फू को शव को गड्डे में डालकर ऊपर चूना डालकर दबाना चाहिए|
(ङ) गौशाला के प्रवेश द्वारा पर फुट बाद बनाना चाहिए|
(च) पोटाशियम परमेगनेट व फिनाईल से हमेशा गौशाला की सफाई करनी चाहिए|

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जानिए क्या है दुधारू मवेशी योजना और इसके फायदे

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देश के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों की जिंदगी आज भी बहुत कठिनाइयों भरी है। आलम यह है कि पैसों की तंगी के चलते ग्रामीण इलाके के ज्यादातर लोग अपने बच्चों की पढ़ाई तक नहीं करा पाते। ऐसे ही लोगों के लिए सरकार खेती और पशुपालन से जुड़ी कई योजनाएं शुरू चलाती रहती है। ऐसी ही एक योजना से जुड़ी जानकारी हम आपके साथ साझा करेंगे। 

दरअसल हम बात कर रहे हैं दुधारू मवेशी योजना के बारे में। इस योजना के जरिए ग्रामीण इलाकों के गरीब लोगों को पशु खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। अगर आप देश के किसी ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं तो यह योजना आपके काफी काम आ सकती है। अगर आप दुधारू मवेशी योजना से जुड़ी किसी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख पर अंत तक बने रहें। 

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क्या है दुधारू मवेशी योजना 

हम सभी जानते हैं कि भारत दुनियाभर में दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन करता है। इसी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा दुधारू मवेशी योजना शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत पशुपालन करने वाले व्यक्ति को पशु खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। योजना में पशुपालक को दो पशु खरीदने के लिए कुल लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। जबकि बची हुई 50 प्रतिशत धनराशि पशुपालक लोन के जरिए प्राप्त कर सकता है। इन पशुओं से प्राप्त दूध बेचकर पशुपालक अपनी आय को आसानी से बढ़ा सकता है। 

दुधारू मवेशी योजना के लाभ

  1. इस योजना के जरिए पशुपालकों की आय को बढ़ाया जा सकता है। 
  2. योजना के अंतर्गत पशुपालक को 70000 रुपए अनुदान के रूप में दिया जाता है। 
  3. योजना में पशुशाला के निर्माण हेतु अलग से 15000 रुपये की अनुदान राशि प्राप्त की जा सकती है। 
  4. योजना के लाभार्थियों के पशुओं का बीमा भी करवाया जाता है। ताकि पशु की मौत या रोगी होने पर पशुपालक को आर्थिक नुकसान न हो। 
  5. इस योजना के जरिए भारत दुनियाभर में अधिक दूध का निर्यात कर पाने सक्षम होगा। 
  6. योजना के जरिए पशुओं की देखरेख हो सकेगी। 
  7. इस योजना के जरिए भारत की जीडीपी और बेहतर हो सकेगी। 

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योजना के योग्यता 

अगर आप इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो बता दें कि इस योजना का लाभ लेने के लिए अपनी योग्यता सिद्ध करनी होगी। 

  • योजना में आवेदन करने वाला व्यक्ति भारत का निवासी होना चाहिए। 
  • दुधारू मवेशी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदनकर्ता ग्रामीण निवासी होना चाहिए। 
  • दुधारू मवेशी योजना के लिए आपको कुछ जरूरी दस्तावेज की आवश्यकता होगी। इसमें आपको आधार कार्ड. वोटर आईडी कार्ड. पैन कार्ड. बैंक अकाउंट आदि होना चाहिए। 
  • अगर आवेदनकर्ता पहले किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी का डिफॉल्टर है, तो उसे इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। 
  • छोटे किसान या पशुपालक इस योजना का लाभ ले सकते हैं। 
  • योजना में आवेदनकर्ता की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए। 

हमें उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आप इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करना चाहते हैं, तो आप हमारी एनिमॉल ऐप भी डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा Animall App पर आप पशु खरीदने और बेचने का काम भी कर सकते हैं। इसके साथ अगर आपको पशु चिकित्सक की सलाह चाहिए, तो यह भी आप ऐप के जरिए हासिल कर सकते हैं। इस ऐप को डाउनलोड करने के लिए इस विकल्प पर क्लिक करें। 

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पशु के लिए संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनायें, जानें इसका तरीका

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पशु की देखभाल अगर ठीक तरह से की जाए तो न केवल वह अधिक मात्रा में दूध देता है। बल्कि इससे उनके बीमार होने की संभावना भी कम हो जाती है। ऐसे में ज्यादातर पशुपालक आहार और दाने के नाम पर कुछ चीजों के नाम तो जानते हैं। लेकिन पशु को किस मात्रा में क्या देना है यह नहीं जानते। इसलिए आज हम यह लेख लेकर आए हैं।

इस लेख के जरिए पशुपालन के क्षेत्र से जुड़े लोगों को हम बताएंगे कि आखिर संतुलित दाना मिश्रण तैयार कैसे किया जाता है। अगर आप भी अपने पशु को स्वस्थ बनाना चाहते हैं या फिर उनकी उत्पादकता बेहतर करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए ही है। इस लेख के जरिए आपकी यह दोनों ही चिंताए पूरी तरह दूर हो जाएंगी। चलिए जानते हैं आखिर किस तरह संतुलित दाना मिश्रण बनाया जाता है।

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सही दाना मिश्रण तैयार करने की सामग्री

1.

मक्का/जौ/जई 40 किलो मात्रा
बिनौले की खल 16 किलो
मूंगफली की खल 15 किलो
गेहूं की चोकर 25 किलो
मिनरल मिक्सर 02 किलो
साधारण नमक 01 किलो
कुल 100 किलो

2.

जौ 30 किलो
सरसों की खल 25 किलो
बिनौले की खल 22 किलो
गेहूं की चोकर 20 किलो
मिनरल मिक्स 02 किलो
साधारण नमक 01 किलो
कुल 100 किलो

3.

मक्का या जौ 40 किलो मात्रा
मूंगफली की खल 20 किलो
दालों की चूरी 17 किलो
चावल की पालिश 20 किलो
मिनरल मिक्स 02 किलो
साधारण नमक 01 किलो
कुल 100 किलो

4.

गेहूं जौ या बाजरा 20 किलो मात्रा
बिनौले की खल 27 किलो
दाने या चने की चूरी 15 किलो
बिनौला 15 किलो
आटे की चोकर 20 किलो
मिनरल मिक्स 02 किलो
नमक 01 किलो
कुल 100 किलो

ऊपर बताई गई इन सभी सामग्रियों को इसी मात्रा में मिलाकर आप अपने पशु को दे सकते हैं। ध्यान रहे कि पशु को रोजाना 4 से 5 किलो हरा चारा और सूखा भूसा जरूर दें। 

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पशु को दाना मिश्रण देने के फायदे 

  • यह पशुओं को खाने में स्वाद लगता है और इसमें ढेरों पोषक तत्व पाए जाते हैं
  • यह पशुपालक की जेब पर अधिक असर नहीं डालता। यह खल बिनौला से काफी सस्ता पड़ता है
  • पशुओं को पूरी तरह स्वस्थ रखने में दाना मिश्रण एक अहम भूमिका निभाता है
  • दाना मिश्रण के जरिए पशु की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो जाती है
  • गाय या भैंस की दूध देने की क्षमता में वृद्धि होती है
  • दाना मिश्रण के जरिए भैंस का बच्चा जल्दी युवा अवस्था में आ जाता है
  • भैंस की ब्यात नही मरती
  • दाना मिश्रण देने से भैंस लंबे समय तक दूध दे पाती है

पशुपालन करने वाले लोग दाना मिश्रण देने से पहले इस बात को जेहन में रखें कि यह किसी रोग या समस्या का उपचार नहीं है। बल्कि यह पशु को बीमारियों से बचाए रखने और उनकी उत्पादकता बढ़ाने का एक देसी तरीका है। अगर आपके पशु को किसी तरह की समस्या है तो पहले पशु चिकित्सक से संपर्क करें। आप हमारी Animall App के जरिए ऐसा कर सकते हैं। हमारी ऐप पर आपको अनुभवी चिकित्सक मिलेंगे, जो आपके पशु की समस्या का सही उपचार करने में, आपकी सहायता कर सकते हैं।

उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे लेख से अपने कुछ सवालों के जवाब मिल गए होंगे। अगर आप इसी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते है या पशु खरीदना और बेचना चाहते हैं तो आप हमारी एनिमॉल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप डाउनलोड करने हेतु या तो आप प्ले स्टोर पर जा सकते हैं। या फिर इस विकल्प पर क्लिक कर सकते हैं। 

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जानिए क्या है, दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का सही तरीका

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दूध और उससे बने उत्पादों का सेवन दुनिया भर में किया जाता है। ऐसे में पशुपालक अक्सर सोचते हैं कि दूध की मात्रा को कैसे बढ़ाया जाए। जबकि पशुपालक भाई दूध की गुणवत्ता को बेहतर करके भी अधिक आय अर्जित कर सकते हैं। आपको बता दें कि गाय या भैंस के दूध में फैट और एसएनएफ होता है। यह जितना अधिक होता है दूध की गुणवत्ता उतनी ही बेहतर मानी जाती है।

इसके अलावा अधिक फैट और एसएनएफ के दूध से बनी सामग्री की गुणवत्ता भी बेहतर हो जाती है। लेकिन ज्यादातर पशुपालकों को इस बात की जानकारी ही नहीं है। ऐसे में आज हम अपने इस लेख के जरिए बताएंगे कि पशुपालक भाई किस तरह से गाय या भैंस के दूध की गुणवत्ता को सुधार सकते हैं। अगर आप भी एक पशुपालक हैं और अपने पशु के दूध में फैट एसएनएफ बढ़ाने का रास्ता खोज रहे हैं तो आप इस लेख पर अंत तक बने रह सकते हैं।

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दूध में कितना होता है फैट 

देश के ज्यादातर पशुपालक भैंस और गाय के जरिए ही दूध का व्यापार करते हैं। आपको बता दें इनमें से गाय के दूध को पतला और भैंस के दूध को मोटा कहा जाता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि गाय के दूध में कम फैट पाया जाता है और इसमें 90 प्रतिशत तक पानी होता है। वहीं भैंस के दूध में फैट अधिक होता है और इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अधिक होती है। इसके अलावा आंकड़ों की मानें तो गाय के दूध में 4 से 5 प्रतिशत फैट पाया जाता है। वहीं भैंस के दूध में 6 से 10 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है। 

दूध में एसएनएफ क्या होता है

दूध के अंदर पानी और बटरफैट के अलावा जो पदार्थ होते हैं उन्हें एसएनएफ (सोलिड्स-नॉन-फैट) कहते हैं। आपको बता दें कि एसएनएफ में विटामिन, लैक्टोज और खनिज पदार्थ आदि शामिल होते हैं। दूध की गुणवत्ता को बेहतर करने में यह सभी पदार्थ आवश्यक माने जाते हैं। गाय के दूध में अमूमन 8.5 प्रतिशत तक एसएनएफ पाया जाता है।  वहीं भैंस के दूध में 9 प्रतिशत तक एसएनएफ मौजूद होता है। 

पशुओं के आहार में करें यह बदलाव

गाय या भैंस को पालने वाले पशुपालक अक्सर दूध के अंदर फैट और SNF को बढ़ाने के लिए हरे चारे की मात्रा को बढ़ा देते हैं।  जबकि यह पूरी तरह विपरीत असर करता है। गाय या भैंस का हरा चारा अधिक मात्रा में देने से उनकी दूध देने की क्षमता तो बढ़ जाती है। लेकिन दूध से फैट और एसएनएफ कम हो जाता है। वहीं पशु को सूखा चारा देने से दूध में फैट और एसएनएफ की मात्रा को बढ़ जाती है।

लेकिन पुश की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में पशुपालकों को पशुओं को 60 प्रतिशत हरा चारा और 40 प्रतिशत सुखा चारा देना चाहिए। इस तरह पशु को चारा देने से दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होगी और पशु दूध भी सही मात्रा में देगा।

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इसके अलावा पशुपालक इस बात पर भी सावधानी बरते कि अचानक पशु के आहार में कोई बड़ा बदलाव न करें। ऐसा करने से पशु की दूध देने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। इसके साथ ही बछड़े को गाय का आखिरी में दूध न पीने दें। जानकार बताते हैं कि गाय या भैंस जो दूध दोहने के आखिरी समय पर देती हैं। उनमें सबसे अधिक फैट और एसएनएफ पाया जाता है।

दूध में एसएनएफ और फैट क्यों हो सकता है कम

दूध में फैट और एसएनएफ की मात्रा कितनी होगी यह गाय या भैंस की नस्ल पर भी बहुत हद तक निर्भर करता है। ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि दूध में फैट और एसएनएफ का स्तर अधिक से अधिक हो, तो ऐसे में सबसे जरूरी है कि एक उन्नत नस्ल वाली गाय या भैंस खरीदे। इसके अलावा अगर आपके पास कोई भैंस और गाय है तो इन्हें सही मात्रा में आहार दें और बताई गई चारे को नियमित रूप से दें। इस तरह भी दूध में फैट और एसएनएफ को बढ़ाया जा सकता है।  इसके अलावा कुछ अन्य तरीके भी आजमा सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार है। 

दूध में एसएनएफ और फैट क्यों हो सकता है कम

दूध में फैट और एसएनएफ की मात्रा कितनी होगी यह गाय या भैंस की नस्ल पर भी बहुत हद तक निर्भर करता है। ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि दूध में फैट और एसएनएफ का स्तर अधिक से अधिक हो, तो ऐसे में सबसे जरूरी है कि एक उन्नत नस्ल वाली गाय या भैंस खरीदे। इसके अलावा अगर आपके पास कोई भैंस और गाय है तो इन्हें सही मात्रा में आहार दें और बताई गई चारे को नियमित रूप से दें। इस तरह भी दूध में फैट और एसएनएफ को बढ़ाया जा सकता है।  

  • 100 ग्राम टाटा नमक
  • 200 ग्राम सरसों का तेल
  • 100 ग्राम गुड़
  • 100 ग्राम कैल्शियम

यह सभी पदार्थ अपने पशु को चारे में मिलाकर दें ऐसा करने से पशु अधिक से अधिक दूध तो देगा ही। इसके साथ ही दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

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दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का अन्य उपाय

वह पशुपालक भाई जो दूध में फैट बढ़ाने के कुछ दूसरे विकल्प खोज रहे हैं, वह नीचे बताए गए इस उपाय को आजमा सकते हैं। 

  1. सबसे पहले पशुपालक भाई मक्का लें और इसे बिल्कुल बारीक पीस ले ठीक आटे की तरह। 
  2. अब इसे छानकर इसमें कुछ पानी डालें और इसे गूंथ लें। 
  3. इसके बाद इसके छोटे छोटे के पेड़े बनाएं और चकला बेलन से बेल लें। 
  4. अब इसे तवे पर सेकें और रोजाना सुबह इनकी तीन से चार रोटियां अपने पशु को खाने के लिए दें।
  5. इस उपाय को कुछ दिन तक लगातार दोहराते रहें। ऐसा करने से गाय या भैंस के दूध में न केवल फैट की मात्रा बढ़ने लगेगी। बल्कि एसएनएफ भी बढ़ जाएगा।

हमें उम्मीद है कि आप दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का तरीका समझ गए होंगे। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो आप यही जानकारी हमारे एनिमॉल ऐप के जरिए भी जान सकते हैं। हमारी ऐनिमॉल ऐप आपके काफी काम आ सकती है। इस ऐप के जरिए आप पशु बेचने और खरीदने का काम भी कर सकते हैं। इसके अलावा पशु चिकित्सक से सहायता लेनी हो या फिर पशु खरीदते समय किसी तरह का डिस्काउंट हासिल करना चाहते हैं। हमारी एनिमॉल ऐप को डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। और पढ़ें

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मिल्क फीवर को कैसे पहचान सकते है?

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इस रोग के लक्षण ब्याने के 1-3 दिन तक प्रकट होते है। पशु को बेचैनी रहती है। मांसपेशियों में कमजोरी आ जाने के कारण पशु चल फिर नही सकता पिछले पैरों में अकड़न और आंशिक लकवा की स्थिती में पशु गिर जाता है।
उस के बाद गर्दन को एक तरफ पीछे की ओर मोड़ कर बैठा रहता है। शरीर का तापमान कम हो जाता है।

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