दुधारू नस्ल की गाय के बारे में विस्त्रित जानकारी दें?

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रेड सिन्धी:- यह नस्ल सर्वोतम दूध उत्पादन क्षमता रखती है| इस गाय का कद छोटा होता है, रंग पीला से लाल है, चौड़ा माथा और गिरे हुए कान, सींग छोटे व झालर लम्बी और गर्दन के नीचे तक जाती है|

साहीवाल:- इस नस्ल की उत्पत्ति पकिस्तान से हुई है| आमतौर पर यह रेड सिन्धी की तरह दिखती है| चमड़ी लचीली होती है व रंग गहरा लाल और कुछ लाल धब्बे होते है|

थरपारकर:- यह नस्ल गुजरात व राजस्थान में प्रमुख है| इस गाय का रंग सफेद से भूरा होता है| माथा चौड़ा व चपटा,व लम्बे कान होते है|

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पशुशाला बनाने के बारे में प्रमुख निर्देश क्या है?

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एक इंसान जब अपना घर बनाता है, तो उससे पहले कई बातों का ध्यान रखता है। लेकिन पशुशाला बनाने के समय वह शायद ही किसी चीज को गंभीरता से लेता हो। लेकिन यह पूरी तरह गलत है। पशुशाला  बनवाने में की गई लापरवाही न केवल पशुओं के लिए खतरनाक है। बल्कि इसकी वजह से पशुपालक के लिए भी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। आज हम अपने इस लेख में आपको बताएंगे कि पशुशाला का निर्माण करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा पशुशाल किस तरह बनवाई जाए, इस बात पर भी गौर करेंगे अगर आप एक पशुपालक हैं तो पशुशाल बनवाने से जुड़े दिशा निर्देश आपको पता होने चाहिए। चलिए विस्तार से समझते हैं कि आखिर पशुशाला किस तरह बनाई जानी चाहिए और किन बातों का ध्यान इसे बनवाने के दौरान रखना चाहिए। ……

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पशुशाला बनाने को लेकर जरूरी बातें 

किसान भाई अक्सर अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा पशुपालन पर खर्च करते हैं। ऐसे में उनकी कमाई यूं ही बर्बाद न हो इसके लिए हम बता रहे हैं कि पशुशाला बनवाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • पशुशाला के निर्माण में सबसे जरूरी चीज है जमीन। अगर आप एक पशुशाला का निर्माण किसी ऐसी जगह पर करा रहे हैं, जो निचाई पर है, तो यह घाटे का सौदा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बारिश के दिनों में पशुशाला में पानी भर सकता है और इसे निकालने में तो परेशानी होगी ही। इसके अलावा इस स्थिति में पशु के बीमार होने की संभावना भी बढ़ जाएगी। इसलिए पशुशाला का निर्माण थोड़ी ऊंचाई पर करवाएं। अगर ऐसा किया जाए तो इससे पशुशाला में जलभराव की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। 
  • अगर आप पशुशाला का निर्माण ऐसी जगह करा रहें हैं, जहां बिजली का प्रबंध नहीं है, तो यह आप पर भारी पड़ सकता है। दरअसल गर्मियों के दौरान पशु को ठंडक प्रदान करने के लिए पंखा या कूलर आवश्यक होता है। इसके अलावा पशुशाला के अंदर ट्यूब या बल्ब भी जरूर होना चाहिए। 
  • पशुओं को प्राकृतिक रोशनी भी मिले, इसका इंतजाम भी पशुशाला में होना चाहिए। ऐसे में पशु को प्राकृतिक रोशनी मिले इसके लिए पशुशाला का निर्माण पूर्व – पश्चिम की तरफ कराएं। इस तरह पशु को प्राकृतिक रोशनी आसानी से मिल जाएगी। 
  • पशु जिस खोर में चारा खाते हैं उसकी दिशा उत्तर तरफ होनी चाहिए। 
  • पशुशाला का निर्माण कराते समय अक्सर पशुपालक एक गलती कर देते हैं। पशुपालक आमतौर पर पशुशाला का फर्श को चिकना बनवा देते हैं। जिसकी वजह से कई बार पशु फिसल कर गिर जाता है और चोटिल हो जाता है। इसलिए पशुशाला का फर्श पक्का और खुरदरा होना चाहिए। 

हमें उम्मीद है कि हमारे पशुपालक भाइयों को यह जानकारी पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी हासिल करने के लिए आप हमारे ब्लॉग के साथ ऐप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐप डाउनलोड करने के फायदे आपको कई तरह से हो सकते हैं। इसमें सबसे पहला फायदा है कि आप पशु ऑनलाइन खरीद और बेच सकते हैं। इसके अलावा पशु के बीमार होने पर आप तुरंत चिकित्सक से सहायता ले सकते हैं। हमारी Animall App डाउनलोड करने के लिए इस विकल्प का चुनाव करें। 

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जानें क्या है गाय-भैंस की जेर गिराने का देसी उपाय

अगर आपने गाय या भैंस पाल रखी है, तो आपको उसका पूरा ध्यान रखने की जरूरत होती है। ऐसे में पशुओं के ब्याने के बाद उनका जेर गिरना काफी जरूरी होता है। लेकिन कई बार खुद से जेर नहीं गिरती है। आमतौर पर तो गाभिन पशुओं में ब्याने के कुछ ही घंटों में जेर खुद ही बाहर आ जाती है। लेकिन अगर 12 घंटों तक ऐसा नहीं होता है, तो देर गिराने के उपाय करने की जरूरत होती है। इस आर्टिकल में हम जेर गिराने के देसी उपाय और चिकित्सक उपायों के बारे में जानेंगे।

जब गाय या भैंस में जेर खुद नहीं गिरती है, तो इस स्थिति को जेर का रुकना या रिटेंड प्लेसेंटा कहते हैं। डेरी पशुओं में जेर के अटकने पर तुरंत इलाज करवाने की जरूरत होती है। सबसे पहले जानते हैं पशु में जेर अटकने के कारण।

जेर अटकने के कारण

  • गर्भपात
  • संक्रामक रोग जसे ब्रुसेल्लोसिस, केम्पाईलोबेकटेरी ओसिस आदि
  • पोषक तत्वों का असंतुलन
  • समय से पहले प्रसव
  • कष्टमय प्रसव

जेर न गिरने के क्या है लक्षण

  • जेर घुटनों तक लटकी रहती है
  • पशु के योनि द्वार से बदबूदार स्राव निकलता रहना
  • पशु का तापमान बढ़ना
  • गाय या भैंस की सांसें तेज होना
  • पशु के दुग्ध उत्पादन में कमी हो जाना
  • पशु में भूख की कमी हो जाती है

गाय-भैंस में जेर गिराने के उपाय

गाय-भैंस में जेर गिराने के देसी उपाय

  • अगर आपकी नई ब्याई भैंस या गाय की जेर नहीं गिर रही है तो उसे खुद की ही बाउली पिला दें। इससे पशु की जेर जल्दी गिर जाएगी, क्योंकि बाउली में दूध के मुकाबले कई गुणा ज्यादा खुराकी तत्व होते हैं। ऊर्जा का स्त्रोत होने के साथ-साथ इस में कैलशियम की भी काफी ज्यादा मात्रा होती है।
  • ब्याने के तुरंत बाद पशु को गुड़, सौंफ, अजवायन, मेथी, मिलाकर काढ़ा पिलायें। ये बच्चेदानी के संकुचित होने में भी सहायक होता है, इससे जेर जल्दी गिर जाएगी।
  • जेर ना गिरने में आटा, गुड़, सौंफ, इलायची और जीरा आदि को पशु की खुराक में मिलाकर खिलाएं। आटा और गुड़ ऊर्जा प्रदान करते हैं जो कि ब्याने के बाद सुस्त हुए पशु के लिए काफी जरूरी है। जबकि सौंफ पाचन प्रणाली को दुरूस्त रखती है।
  • अगर आपके पशु की जेर 12 घंटों में नहीं गिरी है तो उसे पीपल के पत्ते खिला दें। दरअसल पीपल के पत्तों में रेशा होता है, जो पशु का पेट भरने में मदद करता है।

जेर गिराने के चिकित्सक उपाय

कई बार ऐसा होता है कि आपकी गाय या भैंस के शरीर में जेर फंस जाती है। जिसके लिए आपको फिर चिकित्सक को बुलाने की जरूरत आ जाती है। लेकिन हमारे किसान भाई डॉक्टर की मदद लेने से डरते हैं। तो अब ऐसे में डरने की जरूरत नहीं है। आप डॉक्टर की मदद लेकर जेर गिरा सकते हैं।

ऐसा करने के लिए अटके हुए जेर को हाथ डालकर धीरे से खींचकर निकाला जाता है। इसे डॉक्टर के द्वारा ही करवाए क्योंकि इसमें थोड़ा खतरा रहता है। अंदर हाथ डालने के कारण गर्भाश्य में संक्रमण हो सकता है। जो पशु में बांझपन का कारण बन सकता है। ये रास्ता ब्याने के 12 घंटों के बाद ही अपनाएं।

अगर आप भी अपने पशु के लिए इस तरह की परेशानियों का समाधान खोज रहे हैं, तो अब कहीं और परेशान होने की जरूरत नहीं है। Animall ऐप पर आप चिकित्सक से बात कर सकते हैं। साथ ही अगर आप पशु खरीदने या बेचने का विचार कर रहे हैं तो उसके लिए भी Animall ऐप डाउनलोड करें।

 

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