मानसून में पशु की बंद पड़ने की समस्या की वजह, लक्षण और उपाय

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किसान भाई और पशुपालन करने वाले लोगों को मानसून के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मानसून में न केवल पशु की उत्पादकता घट जाती है। बल्कि इस मौसम के दौरान गाय भैंस को कई तरह के रोग भी सताने लगते हैं। आज हम ऐसे ही एक रोग के बारे में पशुपालकों को बताने वाले हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं बंद पड़ने की समस्या के बारे में। 

ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें पशु गोबर नहीं कर पाता और केवल पेशाब ही करता रहता है। ये समस्या कई बार पशु की जान तक ले लेती है। आज हम इस रोग के होने के पीछे की वजह से लेकर इसके लक्षण और इसके उपचार के बारे में जानेंगे। अगर आप भी एक पशुपालक हैं तो ये लेख और वीडियो आपके काफी काम आ सकती है। आइए चलिए जानते हैं बंद पड़ने के उपाय, कारण और लक्षण के बारे में। 

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बंद पड़ना क्या है 

पशुपालन करने वाले बहुत से लोगों ने समस्या अनुभव की होगी। इस दौरान पशु गोबर का त्याग नहीं कर पाता। जिसके चलते पशु का पेट भारी होने लगता है और वह जुगाली भी नहीं कर पाता। पशु को अगर ये समस्या 5 दिन तक बनी रहें तो इसकी वजह से पशु की जान तक चली जाती है। आइए जानते हैं आखिर पशुओं में कब ये समस्या पैदा होती है।   

पशु में बंद पड़ने की समस्या के कारण 

मानसून या अन्य मौसम के दौरान ये पशुओं में बंद पड़ने की दिक्कत पैदा हो जाती है। इस दिक्कत के कुछ कारण हो सकते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं। 

  • पशु को गीला चारा खिलाने की वजह से बंद पड़ने की समस्या पैदा हो जाती है। 
  • मानसून के दौरान मेथी खिलाने से भी पशु को ये दिक्कत हो सकती है। 
  • पशु को अधिक मात्रा में हरा चारा खिलाने की वजह से ये दिक्कत पैदा हो सकती है। 

बंद पड़ने के लक्षण

जब पशु को बंद पड़ने की दिक्कत होती है तो वह गोबर नहीं कर पाता और पेशाब ही करता रहता है। इसके अलावा बंद पड़ने पर पशु जुगाली करना भी छोड़ देता है। वहीं अगर 5 दिन तक पशु पर ध्यान न दिया जाए तो इसकी वजह से पशु की मौत भी हो सकती है। 

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पशु का बंद पड़ने का उपाय और उपचार 

अगर ये समस्या पशु के साथ हो गई है तो इस समस्या से राहत दिलाने के लिए आपके पास कुछ गिने चुने तरीके हैं। इनमें से पहला और सबसे जरूरी है डॉक्टर से राय लेना। दूसरा है कि आप कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैं। ऐसे ही एक उपाय से हम आपको रूबरू कराने वाले हैं। इस उपाय को आप चाहें तो वीडियो के माध्यम से भी समझ सकते हैं। 

बंद पड़ने की समस्या के उपाय के लिए सामग्री

  • मुसब्बर 30 ग्राम 
  • दालचीनी 100 ग्राम
  • अजवाइन  100 ग्राम 

उपाय तैयार करने की विधि

इन तीनों चीजों को एक लीटर पानी में मिलाकर गर्म कर दें। जब पानी आधा रह जाएं तो इसमें 200 ग्राम गुड़ मिला दें। 

पशु के उपाय की प्रक्रिया

जब यह सामग्री अच्छी तरह मिलकर तैयार हो जाए तो ठंडा होने के पश्चात  पशु को नाल या डर्के से पशु को दे दें। इस उपाय को अपनाने से पशु को 30 मिनट से लेकर 60 मिनट तक में राहत मिल जाएगी और वह अपना गोबर त्याग पाएगा। 

अगर पशु को इस उपाय से राहत न हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और पशु का उपचार कराएं। 

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जानिए मानसून में होने वाले गलघोंटू रोग के कारण, लक्षण, बचाव और उपचार के तरीके

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बारिश के दौरान पशुपालक दोहरी चुनौतियों से जूझते हुए दिखाई देते हैं। इसमें एक समस्या पशुपालकों को होती है पशु की उत्पादकता को लेकर और दूसरी होती है पशु से जुड़ी बीमारियों को लेकर। आज हम मानसून में पशुओं को होने वाले ऐसे ही रोग गलघोंटू के बारे में बताने वाले हैं। 

ये एक संक्रामक रोग है जिसके होने पर पशु की मौत 24 घंटे के अंदर – अंदर हो जाती है। आज हम अपने इस लेख और वीडियो में आपको बताएंगे कि गलघोटू रोग के कारण, लक्षण और उपाय के बारे में जानकारी देंगे। अगर आप मानसून में होने वाले इस गलघोंटू रोग से जुड़ी किसी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख पर अंत तक बने रह सकते हैं।  

गलघोंटू रोग के कारक 

गलघोंटू रोग मानसून के दौरान बहुत तेजी से अपने पैर पसारता है। आपको बता दें कि ये रोग पशु को पास्चुरेला मल्टोसिडा नामक जीवाणु की चपेट में आने की वजह से होता है। इस रोग के दौरान पशु के सांस की ऊपर वाली नली बुरी तरह प्रभावित होती है। 

गलघोंटू रोग के लक्षण क्या है 

इस रोग के होने पर पशु के ऊपर इसके कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं। 

  • गलघोंटू रोग में पशु को तेज बुखार होने लगता है। 
  • इस रोग के दौरान पशु की आंखे लाल रहने लगती है। 
  • इस रोग के होने पर पशु को सांस लेने में खासी दिक्कत होती है।
  • यही नहीं गलघोंटू के दौरान पशु की नाक बहने लगती है और उसकी छाती में बेहद दर्द हो जाता है।

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गलघोंटू रोग से पशु को बचाने का तरीका 

कहा जाता है न कि किसी भी रोग के उपचार से बेहतर बचाव होता है। ये बात इंसान और पशु दोनों पर ही लागू होती है। ऐसे में अब हम आपको बताते हैं कि पशु को गलघोंटू रोग से बचाए रखने के लिए आपको क्या करना चाहिए। 

  • मानसून के मौसम से पहले पशु को गलघोटू रोग का टीकाकरण करवाना चाहिए। 
  • पशु के रहने के स्थान की साफ सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए।
  • पशु को खुले में चरने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए।

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गलघोटू रोग का उपचार या उपाय 

ये एक बेहद संक्रामक रोग है, ऐसे में इस रोग के उपाय करने में जरा भी वक्त गवाना भारी पड़ सकता है। इसलिए कोशिश करें कि रोग के लक्षणों की पहचान होते ही किसी चिकित्सक से सहायता ले। पशु चिकित्सक इस दौरान पशु को एंटीबायोटिक दवा दे सकता है। लेकिन इस रोग से ठीक होने की संभावना तब भी बेहद कम है। 

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https://youtu.be/soWP0TQzGOE

 

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जानिए मानसून में पशुओं के लिए कौन से टीके लगवाना है जरूरी

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मानसून का समय इंसानों के लिए जितना सुकून देने वाला होता है। उतना ही खतरनाक ये पशुओं के लिए होता है। इस दौरान पशुओं को कई तरह के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण भी है जिसकी वजह से पशुपालन से जुड़े लोग मानसून के मौसम से नफरत करते हैं। दरअसल इस दौरान मौसम में नमी रहती है। जिसके चलते बहुत से परजीवी पैदा हो जाते हैं जो पशुओं को न केवल बीमार कर देते हैं। बल्कि कई रोगों की वजह से तो पशुओं की मौत तक हो जाती है।

पशुओं को इन्हीं रोगों से बचाने के लिए और पशुपालकों की इस समस्या का निपटारा करने के लिए हम ये लेख और वीडियो लेकर आए हैं। आज हम पशुपालकों को बताएंगे कि मानसून के दौरान पशुओं को रोग से बचाने के लिए कौन से टीके लगवाने चाहिए और किस तरह पशुओं को रोग से बचाकर रखना चाहिए। अगर आप ये जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख पर अंत तक बने रह सकते हैं।

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मानसून में पशुओं को होने वाले रोग

मानसून के दौरान पशुओं को कई रोग होने की संभावना होती है। जिसके कई अलग – अलग कारण हो सकते हैं। 

बंद पड़ना मानसून में पशु जब अधिक गीला चारा खा लेते हैं तो इसकी वजह से पशु मल का त्याग नहीं कर पाते। जिसकी वजह से वह खाना पीना भी बंद कर देते हैं। ऐसे में पशुओं की उत्पादकता भी कमजोर पड़ जाती है। 

थनैला ये रोग अक्सर दुधारू पशुओं में ही होता है। इसमें पशु के थनों में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से उनका आकार बढ़ जाता है और पशु के थनों से दूध की जगह खून और पस आने लगता है। 

गलघोंटू ये रोग सबसे खतरनाक रोगों में से है। इसकी वजह से पशुओं की मौत 1 से 2 दिन के अंदर ही हो जाती है। 

लंगड़ा बुखार – ये रोग पशु को गीली मिट्टी में पैदा होने वाले जीव की वजह से या किसी संक्रमित पशु की चपेट में आने की वजह से होता है। इस रोग का उपचार लगभग नामुमकिन ही है। 

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मानसून में कौन से बीमारियों का टीकाकरण जरूरी 

किसान भाइयों को बता दें कि मानसून से पहले पशुओं को गलघोंटू, थनैला और लंगड़े बुखार का टीकाकरण करवा लेना चाहिए। ये टीके पशु को इन रोगों की चपेट में आने से बचाते हैं। इन टीकाकरण को कराने के लिए आप अपने राज्य या क्षेत्र के पशुपालन विभाग में संपर्क कर सकते हैं। 

मानसून में पशुओं को इन रोगों से बचाने के अन्य तरीके 

  • मानसून के दौरान पशु को सही मात्रा में आहार दें, ताकि पोषक तत्वों की कमी पूरी हो सके। 
  • पशुओं के आस पास साफ सफाई रखें ताकि लंगड़े बुखार की चपेट में न आ जाएं। 
  • पशुओं को दूषित आहार पानी न पिलाएं। इसकी वजह से पशु गंभीर रोग की चपेट में आ सकता है। 
  • पशु के शेड में नमी न होने दें और कच्चे फर्श पर तो बिल्कुल भी न छोड़ें। आपको बता दें कि बारिश के दौरान गिली मिट्टी में बहुत से परजीवी पैदा हो जाता हैं, जो पशु को अपनी चपेट में ले सकते हैं। 

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मानसून में पशु को दाद, खाज, खुजली की समस्या से बचाने का तरीका और उपचार

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पशुपालकों की जिंदगी को खुशियों से भरने और उनकी समस्याओं का अंत करने के लिए ही एनिमॉल की शुरुआत की गई है। हम पशुपालकों को बेहतर नस्ल की गाय भैंस कम दामों में मुहैया कराते हैं। इसके अलावा हमारी कोशिश यही रहती है कि अपने लेख और वीडियो के जरिए पशुपालकों की दूसरी समस्याओं का अंत करें। मानसून के दौरान अक्सर पशुपालकों और पशुओं की कई समस्याएं आती हैं। जिनमें से एक है दाद खाज खुजली की समस्या। 

मानसून के दौरान पशुओं में दाद खाज खुजली की समस्या उनकी उत्पादकता को प्रभावित कर देती हैं। इसके साथ ही वह शारीरिक रूप से काफी परेशान रहने लगते हैं। आज हम अपनी वीडियो और लेख के जरिए पशुपालक भाइयों की इन समस्याओं का अंत करेंगे। अगर आप अपने पशु को दाद खाज खुजली से बचाना चाहते हैं या उनके उपचार के तरीके खोज रहे हैं, तो हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ें। आप चाहें तो नीचे दी गई हमारी वीडियो भी देख सकते हैं।

मानसून में क्यों होती हैं दाद खाज खुजली की समस्या

मानसून के दौरान पशुओं को ये समस्या होने के कई कारण हो सकते हैं। इस समय मौसम में नमी रहती है और कुछ परजीवी पैदा हो जाते हैं जिसके संपर्क में आने से पशु को दाद, खाज, खुजली की समस्या पैदा हो जाती है। इस चरम रोग का सबसे मुख्य कारण गंदगी है। अगर पशु के आस पास बहुत गंदगी एकत्रित हो जाए तो ये रोग पशु को हो सकता है। 

मानसून में पशु को दाद खाज से बचाने का तरीका 

किसान और पशुपालक भाई मानसून के दौरान अगर कुछ सावधानिया बरतें तो इन सावधानियों के चलते पशु को दाद खाज खुजली की समस्या होने की संभावना कम हो जाती है। ये सावधानियां कुछ इस प्रकार हैं। 

  • सबसे पहले पशु गीली मिट्टी या घास में न छोड़ें। 
  • पशु को मानसून के दौरान नीम के पानी से नहलाया जाना चाहिए। 
  • पशुशाला की साफ सफाई में फिनाइल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 
  • पशु को बारिश में भीगने नहीं देना चाहिए। 
  • पशुओं को कीड़े आदि से बचाकर रखना चाहिए। 

दाद खाज खुजली के उपचार और जटिलता

पशुपालक भाइयों को बता दें कि दाद खुजली की होने पर पशु की त्वचा पर घाव दिखाई देने लगते हैं। इनमें बहुत तेज खुजली होती है, जिसकी वजह से पशु इनमें खुजली करते हैं। जिसके चलते घाव से खून तक निकलने लगता है।  पशु की इस समस्या को ठीक करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। जो हम आपको बताने वाले हैं।

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उपाय नंबर 1 

इसके लिए पशुपालक भाइयों को कुछ सामग्रियों को पंसारी की दुकान से लाना होगा। इनके नाम हैं  

  • सत पुदीना
  • सत अजवाइन 
  • भीमसेनी कपूर
  • नारियल तेल

नारियल तेल 200 ग्राम और बाकी सभी चीजें 50 ग्राम लेकर इन्हें अच्छी तरह मिलाकर धूप में 2 घंटे सुखा दें।

अब पशु के घाव या प्रभावित स्थान पर इसे रोजाना लगाएं। यह लेप लगाने से पशु 7 से दिन में पूरी तरह ठीक हो सकता है।

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दाद खाज खुजली के उपाय नंबर 2

अगर पशु को लंबे समय से दाद खाज खुजली परेशान कर रही है तो 200 ग्राम चिरायता, 200 ग्राम पुदीना और 200 ग्राम सौंफ ले। इन्हें अच्छी तरह पीसकर पशु को रोजाना खिलाएं। 

बताए गए उपाय के साथ खिलाई गई ये औषधि आपके पशु को जल्दी ही ठीक कर देगी। पशु को अगर इनसे आराम न पड़े तो बिना वक्त गवाएं डॉक्टर से संपर्क करें। आप हमरी एनिमॉल ऐप के जरिए डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। 

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जानिए मानसून में पशु को क्या खिलाना चाहिए और क्या नहीं

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पशुपालन करने वाले लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां बारिश के दिनों में ही उभर कर आती है। इस दौरान न केवल पशुओं को रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। बल्कि पशुओ की देखरेख से लेकर उनके आहार तक में कई बदलाव करने पड़ते हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में पशुपालक भाइयों की ऐसी ही समस्या को सुलझाने के लिए आए हैं। 

हमारे इस लेख में आप जानेंगे कि बारिश या मानसून के दिनों में पशुआहार को सुरक्षित कैसे रखें और पशु को खाने में क्या दें। अगर आप एक पशुपालक हैं और इसी तरह की चुनैतियों से जूझते रहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। इसके अलावा लेख के साथ – साथ आपको यही जानकारी वीडियो में भी मुहैया कराई जा रही है। वीडियो का लिंक हम आपको नीचे दे रहे हैं। 

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मानसून में पशुआहार के रखरखाव की चुनौती

किसान और पशुपालक भाइयों की आर्थिक स्थिति उतनी बेहतर न होने की वजह से उन्हें पशुआहार के रखरखाव में खासी दिक्कतें आती है, जो कुछ इस प्रकार है। 

  • मानसून में जगह की कमी के चलते पशुआहार को संग्रह नही हो पाता। 
  • पशुशाल में बने खोर के अंदर बारिश का पानी चला जाता है। 
  • दीवारों में आई सीलन की वजह से पशुआहार सील जाता है और खराब हो जाता है। 
  • पशुआहार में बारिश के दौरान कीड़े लगने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। 
  • बारिश के दौरान दाने खराब हो जाते हैं। जिसकी वजह से पशुपालक भाइयों को खासा नुकसान उठना पड़ता है। 

मानसून में पशु आहार कैसा होना चाहिए

ऐसे कई पशुपालक हैं जो बारिश के दिनों में पशुओं को हरा चारा कम मात्रा में देते हैं। लेकिन यह गलती बिल्कुल भी न करें। आप हरे चारे की मात्रा कुछ कम कर सकते हैं। लेकिन इसे अधिक कम न करें। 

  • पशु को 50 से 60 प्रतिशत तक सूखा चारा और 40 से 50 प्रतिशत तक ही हरा चारा खिलाया जा सकता है।
  • पशु को इस दौरान एक  ऐसा आहार जरूर देना चाहिए जो पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकें। इसमें आप पशु को मिनरल मिक्सचर दे सकते हैं। इसके अलावा पशु को डी वार्मिंग की दवा और मीठा सोडा देना चाहिए।  
  • पशु को बारिश के समय ऐसा चारा नहीं देना चाहिए जिसमें अधिक पानी जा चुका हो। अगर पशु गीला चारा खाता है तो उसे गोबर करने में दिक्कत आ सकती है। जिसे आम भाषा में बंद पड़ना कहते हैं। 

मानसून के दौरान पशु को क्या खिलाना जरूरी है

पशु को मानसून के दौरान मिनरल मिक्सचर, सूखा चारा, नमक, सरसो का तेल आदि जरूर देना चाहिए। इन सबके अलावा विटामिन और प्रोटीन से जुड़े पदार्थ पशु को जरूर देने चाहिए। 

पशु अगर खाने पीने में रूचि न दिखा रहा हो तो ऐसे में पशुपालक को बिना वक्त गवाएं पशु की जांच पशु चिकित्सक से करा लेनी चाहिए।

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पशु को मानसून के दौरान क्या नहीं खिलाना चाहिए

पशु को मानसून के दौरान दलिया आदि बिल्कुल भी नहीं खिलाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि दलिया में पानी अधिक होता है और इन दिनों यह आहार पशु के पेट में जम सकता है। 

पशु को मानसून के दौरान घर का बचा हुआ आटा खिलाने से परहेज करना चाहिए। यह आटा पशु के पेट में जाकर जम जाता है और इससे पशु के पेट में कीड़े हो जाते हैं। 

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