देसी और विदेशी भैंस की संपूर्ण जानकारी पढ़ें

आखरी अपडेट (last updated): 26 Apr 2024
Desi Videsi Buffalo

भैंस चार पैरों वाला एक पशु है जिसे दुनियाभर में दूध के लिए और खेती के काम के लिए पाला जाता है। ज्ञात हो कि भारत दुनियाभर में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन करता है। जिसमें से 54 प्रतिशत दूध भैंस के जरिए ही प्राप्त किया जाता है। अब आप में से ज्यादातर लोग ये नहीं जानते होंगे कि भैंस की नस्ल ही नहीं बल्कि इन्हें कई वर्गों में बांटा जाता है, जैसे अफ्रिकन भैंस और एशियन भैंस। इसके बाद एशियन भैंस को भी दो अन्य वर्गों में बांटा जाता है, जैसे पालतू भैंस और जंगली भैंस। इसके बाद भी ये विभाजन खत्म नहीं होता और भैंस को रिवर भैंस और दलदल भैंस में विभाजित किया जाता है।

इसमें जिन भैंसों को रिवर भैंस की श्रेणी में रखा गया है। ये दुधारू भैंस की नस्ले हैं, और इसमें अधिकतर भैंस भारत, पाकिस्तान और पूर्वी एशियाई देश जैसे युनान, दक्षिणी पूर्वी यूरोप, इटली आदि में पाई जाती है। भारत के अंदर भैंस की कुल 13 नस्ल पाई जाती हैं जिनमें से भी इन्हें तीन भागों में विभाजित किया जाता है, जैसे भारी श्रेणी, मध्यम श्रेणी और हल्की श्रेणी। इसके अलवा विदेशों में भी कई ऐसी नस्ल की भैंस हैं जो दूध के लिए पाली जाती है। आज हम अपने इस लेख में आपको भैंस की नस्लों से लेकर उनसे जुड़ी तमाम जानकारियां मुहैया कराएंगे। आइए जानते हैं उन दुधारू भैंस की नस्लों के बारे में जो डेयरी उद्योग की जान हैं।

अंतर्वस्तु :
1. भैंस की नस्लें और उनके नाम
2. भैंस की खुराक और उसकी मात्रा
3. भैंस को हीट में कैसे लाएं?
4. भैंस का दूध कैसे बढ़ाएं?
5. भैंस के रोग और उनके इलाज
6. भैंस के लिए सप्लीमेंट
7. भैंस को गाभिन करने के बाद क्या खिलाना चाहिए?
8. भैंस पालन की जानकारी
9. भैंस को गाभिन करने सही समय और तरीके
10. भैंस पालन से जुड़ी योजनाएं और टेक्नोलॉजी
11. भैंस पालन से कमाई और इसके फायदे
12. भैंस से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां

1. भैंस की नस्लें और उनके नाम

Desi Videsi buffalo breeds

डेयरी उद्योग से जुड़े लोग एवं छोटे पशुपालक भी अक्सर एक ही सवाल से घिरे रहते हैं कि सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की प्रमुख नस्लें कौन सी हैं या फिर दुधारू भैंस की पहचान क्या है। आपके भैंस की नस्लों से जुड़े इन सभी सवालों के जवाब आपको नीचे दी गई तालिका (टेबल) में हम दे रहे हैं।

भैंस की नस्ल के नामदूध की क्षमतादूध के प्रकारभैंस की पहचानवजनउत्पत्तिखरीदें
मुर्रा भैंस10 से 33 लीटरए 2 मिल्कमुड़े हुए सींग600 किलोहरियाणा और पंजाबमुर्रा ऑनलाइन खरीदें
नीली रावि भैंस10 से 15 लीटरए 2 मिल्कभैंस के माथे के सफेद बाल450 किलोगुजरातनीली रावि ऑनलाइन खरीदें
सुरती भैंस10 से 19 लीटरए 2 मिल्कदराती के जैसे सींग408 किलोगुजरातसुरती भैंस खरीदें
नागपुरी भैंस5 से 10 लीटरए 2 मिल्कसींग पीछे की ओर मुड़े हुए होते हैं402 किलोमहाराष्ट्रनागपुरी गाय खरीदें
जाफराबादी भैंस15 से 20 लीटरए 2 मिल्कभारी भरकम शरीर750 किलोगुजरातजाफराबादी भैंस खरीदें
बन्नी भैंस12 से 18 लीटरए 2 मिल्कमुड़े हुए सींग525 किलोगुजरातबन्नी भैंस खरीदें
पंढरपुरी भैंस8 से 15 लीटरए 2 मिल्ककुबड़ उठा हुआ होता हैकिलोमहाराष्ट्रपंढरपुरी भैंस खरीदें
टोडा भैंस4 से 6 लीटरए 2 मिल्कइनके सींग बहुत पैने होते हैं380 किलोतमिलनाडुटोडा भैंस खरीदें
मेहसाणा भैंस15 से 20 लीटरए 2 मिल्कइनके सींग हल्के घुमावदार होते हैं480 किलोगुजरातमेहसाणा भैंस खरीदें
भदावरी भैंस4 से 5 लीटरए 2 मिल्कमाथे का कुछ हिस्सा सफेद होता है350 किलोउत्तर प्रदेशभदावरी भैंस खरीदें
गोदावरी भैंस6 से 10 लीटर दूधए 2 मिल्कमध्यम आकार का शरीर380 किलोआंध्रप्रदेशगोदावरी भैंस खरीदें
तराई भैंस5 से 9 लीटरए 2 मिल्कपतली चमड़ी320 किलोउत्तराखंडभैंस खरीदें
साथकनार भैंस6 से 8 लीटरए 2 मिल्कभारी भरकम शरीर430 किलोकर्नाटकभैंस खरीदें

2. भैंस की खुराक और उसकी मात्रा

buffalo feed

भैंस की खुराक और उसकी मात्रा उसके दूध और वजन पर बहुत हद तक निर्भर करती है। वहीं कुछ लोग भैंस के आहार को दूध के फैट की वजह से भी बदलते रहते हैं। ऐसे में पशुपालक को यह बात खासतौर पर ध्यान रखनी चाहिए कि सबसे जरूरी भैंस के लिए संतुलित आहार है और संतुलित आहार कैसा हो सकता है इसके बारे में हम आपको नीचे बताने वाले हैं।

भैंस का हरा चारा :

भैंस या अन्य दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भैंस को हरे चारे कि आवश्यकता पूरे साल होती है। ऐसे में अगर हरे चारे की मात्रा को पशु को कम मिले तो इससे पशु दूध कम देने लगता है और पशु के शरीर में प्रोटीन की कमी भी हो सकती है। पशु को जब भी आहार दिया जाए तो इसमें हरे चारे की मात्रा को 60 प्रतिशत जरूर रखना चाहिए तभी पशु स्वस्थ रहेगा और दूध भी पूरा देगा। भैंस को हरे चारे में आप क्या - क्या दे सकते हैं इसकी कुछ किस्में हम आपको नीचे बता रहे हैं।

  • लोबिया घास - एस- 450, 457, रष्यिजाइन्ट, यू.पी.सी - 287, 286, एन.पी. एच.एस.पी - 42- 1 सी.ओं - 1,14
  • सरसों- जापानी रेप, आएम - 98, 100, लाही -100, चाइनीज कैबेज एफ 2-902, 916
  • दीनानाथ घास - टाईप-3, 10, 15, आई.जी.एफ.आर.आई -एस 3808, जी 73 -1, टी -12
  • बाजरा - जाइन्ट हाईब्रिउ, के -674, 677, एल- 72, 74, टी-55, डी-1941, 2291
  • मक्का - गंगा सफेद, 2,3,5 जवाहर, अम्बर, किसान, सोना, मंजरी, मोती
  • बरसीम - मैस्कावी, बरदान, बुन्देला, यू.पी
  • अंजन घास - पूसा जाइन्ट अंजन, आई.जी.एफ.आर. आई-एस - 3108,3133, सी -357 358
  • रिजका- टाईप-8,9, आनंद -द्वितीय, आई.जी.एफ.आर.आई. - एस - 244,54, एल.एल.सी.-5 बी.103
  • जई - एच.एफ.ओ.-14, ओ.एस.-6 एवं 7, वी.पी.ओ - 94
  • ज्वार - पी.सी - 6,9,23, एम. पी. चरी, पूसा चरी, हरियाणा चरी
  • सूडान घास - एस.एस-59-3, जी -287, पाईपर, जै - 69
  • ग्वार - दुर्गापुरा सफेद, आई, जी.एफ.आर.आई.-212

भैंस का सूखा चारा :

सूखे चारे के महत्व को अक्सर पशुपालक नजरअंदाज कर देते हैं जो कि पूरी तरह गलत है। आपको बता दें कि भैंस को सूखा चारा जरूर देना चाहिए। इससे पशु के पेट का सबसे बड़ा हिस्सा जिसे रूमेन के नाम से जाना जाता है, वह ठीक से काम करता है। जिसका असर पशु के दूध फैट पर भी दिखाई देता है। भैंस को सूखे चारे में कई चीजे़ दी जा सकती है, जो कुछ इस प्रकार हैं।

  • भैंस को धान की पराली दी जा सकती है।
  • गेहूं का तूड़ा दे सकते हैं।
  • चने की फसल से बना सूखा चारा खिलाया जा सकता है।
  • जई का तूड़ा भी भैंस के लिए फायदेमंद होता है।
  • बाजरे से बना सूखा चारा भी पशु को काफी पसंद आता है।

भैंस के लिए दाना मिश्रण :

भैंस के लिए दाना मिश्रण कई तरह से काम करता है। दाना मिश्रण की वजह से भैंस लंबे समय तक दूध दे सकती है। ये जल्दी पच जाता है और इससे भैंस की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। इसके अलावा भैंस के घी और दूध की गुणवत्ता काफी बेहतर हो जाती है। भैंस को ये सारे फायदे मिले इसके लिए दाना मिश्रण के लिए सही सामग्रियों का इस्तेमाल करना होगा। अब हम आपको नीचे उन सामग्रियों के बारे में बता रहे हैं जिनका उपयोग दाना मिश्रण के अंदर किया जा सकता है।

गेहूं, जौ, बाजरा और मक्का जैसे अनाज दाना मिश्रण के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। इसके अलावा दाना मिश्रण के अंदर मूंगफली की खल, सरसों की खल, बिनौले की खल, दाल की चूरी , गेंहू का चोकर मिनरल मिक्सचर आदि को भी शामिल किया जाता है। दाना मिश्रण के अंदर सामग्रियों की मात्रा स्थान और मौसम के हिसाब से बदली या घटाई - बढ़ाई जा सकती है।

भैंस के लिए साइलेज :

भैंस को साइलेज आहार के रूप में तब दिया जाता है जब हरा चारा मौजूद न हो। आपको बता दें कि पूरे साल में ऐसा कई बार होता है, जब पशु के लिए हरा चारा मौजूद नही होता। ऐसे में हरे चारे की कमी को पूरा करने के लिए ही साइलेज दिया जाता है।

साइलेज कई तरह के अनाजों के जरिए बनाया जाता है जैसे मक्का, गेहूं, ज्वार और बाजरा आदि। इन अनाजों को तब काटा जाता है जब ये अनाज दूधिया अवस्था में हो। इनकी कटाई करने के बाद इन्हें एक प्रक्रिया से गुजारा जाता है और एक गहरे गड्ढे में दबा दिया जाता है। इसके बाद जब हरा चारा उपलब्ध नहीं होता। तब ये पशु को दिया जाता है।

एक भैंस रखने का खर्चा :

एक भैंस का खर्चा कितना हो सकता है ये सवाल बहुत लोगों के ज़हन में आता है। आपको बता दें कि एक भैंस का खर्चा उसकी दूध उत्पादकता पर निर्भर करता है। अगर कोई भैंस 10 से 12 लीटर तक दूध दे रही होगी तो ऐसी भैंस की खुराक का कुल खर्च 200 से 250 रुपए एक दिन का चला जाता है। लेकिन ऐसी भैंस से कमाई भी काफी अच्छी हो सकती है। अगर भैंस का एक लीटर दूध 60 रुपए में भी बिकता है तो आप इस भैंस के जरिए रोजाना 600 से 720 रुपए तक कमा सकते हैं

3. भैंस को हीट में कैसे लाएं?

भैंस पहली बार 28 से 30 महीने के बीच हीट में आती है। ऐसे में अगर भैंस 28 महीने में हीट में आ जाती है तो वह पहली बार 38 महीने की उम्र में बच्चे को जन्म देती है। वहीं एक बार भैंस का प्रसव हो जाए तो इसके बाद वह 45 दिन तक हीट में नहीं आती। लेकिन कई बार भैंस प्रसव के बाद या फिर पहली बार ही हीट में नहीं आती। इस स्थिति में पशुपालक भाई काफी परेशान हो जाते हैं और सोच में पड़ जाते हैं कि भैंस को हीट में कैसे लाएं। पशुपालक भाइयों की इसी समस्या का हल हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।

भैंस को हीट में लाने की दवा :

भैंस को हीट में लाने की दवा बाजार में कई ब्रांड बेचते हैं। लेकिन इनमें से सबसे असरदार REFIT ANIMAL CARE को माना गया है। ये दवा भैंस को आहार के साथ देनी होती है, जिसके बाद भैंस की हीट साइकिल ठीक हो जाती है। हालांकि इस बात के पुख्ता सुबूत तो नहीं है कि भैंस को हीट में लाने की दवा कितनी कारगर है। लेकिन अगर आप चाहें तो ये दवा या फिर कोई अन्य दवा पशु चिकित्सक की सलाह पर पशु को दे सकते हैं। ध्यान रहे कि खुद से कोई भी दवा भैंस को न दें।

भैंस को हीट में लाने के उपाय :

भैंस को हीट में लाने के घरेलू उपाय कई हैं जिन्हें आजमाकर बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। ऐसे ही कुछ घरेलू उपाय हम आपको नीचे बता रहे हैं।

  • भैंस को गुड़ देकर हीट में लाएं। दरअसल गुड़ की तासीर गर्म होती है और जब भैंस को नियमित रूप से तय मात्रा में गुड़ खिलाया जाता है, तो उसकी वजह से भैंस के शरीर में गर्मी पैदा हो जाती है, जिससे भैंस की हीट में आने की संभावना भी बढ़ जाती है।
  • भैंस को बिनौला देकर भी हीट में लाया जा सकता है, इसकी तासीर भी गर्म होती है जो भैंस को जल्दी हीट में लाने का काम करती है।
  • गुड़, तारामीरा और तेल का मिश्रण तैयार करके देने से भैंस के शरीर में गर्मी पैदा हो जाती है, जिसकी वजह से भैंस हीट में आ सकती है।
  • भैंस को हीट में लाने के उपाय के तौर पर लहसुन का उपयोग भी किया जा सकता है। इसमें आपको गुड़, सरसों का तेल और लहसुन को मिलाकर पशु को देना है। इससे भैंस जल्दी ही हीट में आ जाएगी।
  • भैंस को हीट में लाने के उपाय में जयफल भी कारगर हो सकता है। इसके लिए आपको जयफल को भुनना होगा और इसके बाद इसे तोड़ना है। इसके बाद गुंदे हुए आटे के अंदर इसे मिलाकर इसके बाहरी तरफ गुड़ लगाना होगा। अब आप भैंस को ये खिला सकते हैं, ये घरेलू उपाय तीन दिन तक अपनाने के बाद, आपकी भैंस हीट में आ जाएगी

4. भैंस का दूध कैसे बढ़ाएं?

buffalo milk quantity

भैंस का दूध बढ़ाने के कई तरीके हो सकते हैं। इसमें सबसे पहला तरीका होता है भैंस का आहार। अगर भैंस के आहार को संतुलित रखा जाए और उसके आहार में ऐसी सामग्री को शामिल किया जाए जिसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक हो तो भैंस का दूध बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा अगर भैंस तनाव में है तो इस स्थिति में भैंस को कैल्शियम जेल दिया जा सकता है। इसके जरिए भैंस का दूध 3 से 5 लीटर तक बढ़ जाता है।

5. भैंस के रोग और उनके इलाज

buffalo illnesses and remedies

भैंस यूं तो एक अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला पशु है। लेकिन कई बार खराब आहार, गंदगी और रखरखाव में की गई लापरवाही की वजह से ये खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं। हम नीचे आपको एक तालिका (टेबल) के माध्यम से भैंस में होने वाले कुछ खतरनाक रोग और इलाज से जुड़ी जानकारी देंगे। इसके अलावा भैंस को रोग से बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए इसकी जानकारी भी मुहैया कराएंगे।

भैंस के रोगलक्षणउपचाररोकथाम
गलघोंटूबुखार, सांस लेने में दिक्कत, गले में सूजनइंजेक्शन या एंटीबॉयोटिक दवाहर 6 माह में रोग निरोधक टीका
थनैलाथनों में सूजन, गांठ पड़ना, थन सड़ना, थून से दूध न आना या फटा हुआ दूध देना।भैंस में थनैला रोग की दवा Calcarea Fluorica दवा हो सकती हैभैंस के थन की बीमारी को फैलने से रोकने के लिए उनके थनों और दूध की जांच करते रहें
लंगड़ा बुखारभैंस लंगड़ा कर चलती है, तेज बुखार हो जाता है और पैरों में सूजन भी आ जाती हैपेनिसिलीन, सल्फोनामाइड, टेट्रासाइक्लीन जैसी दवाएं दी जाती हैंमानसून से पहले भैंस का टीकाकरण कराना और पीड़ित पशु को स्वस्थ पशु से दूर बांधकर रखना
मिल्क फीवरइस रोग में भैंस के शरीर का तापमान कम हो जाता है और कपकपी छूटने लगती हैरोग से राहत दिलाने के लिए भैंस को कैल्शियम सॉल्ट का टीका लगाया जाता हैभैंस के प्रसव के 15 दिन तक पूरा दूध न निकालें और उसे कैल्शियम से भरा आहार दें।
खुरपका मुहंपकाभैंस के मुहं और पैर में घाव या दाने हो जाते हैं।फिटकरी से पशु की साफ सफाई करनी चाहिएमानसून में पशु को खुले में चरने से रोकें और 6 महीनें में रोग निरोधक टीक लगवाएं।
प्लीहा (एंथ्रेक्स)भैंस को बुखार हो जाता है और गोबर एवं पेशाब में खून आने लगता है।एंथ्रेक्स का इलाज एंटीबॉयोटिक दवाओं से होता हैभैंस की स्किन के अंदर टीका लगाया जाता है
यक्ष्मा (टी.बी)भैंस को इस रोग में खांसी और कमरजोरी होने लगती हैरोग के लक्षण दिखने पर पशु चिकित्सक से संपर्क करें।इस दौरान भैंस को पोषक तत्वों से भरा आहार देना चाहिए
संक्रामक गर्भपातभैंस पांचवे या छठे महीने में प्रसव के लक्षण देती है, लेकिन गर्भपात हो जाता हैभैंस की डीवॉर्मिंग करनी चाहिए और ठीक से साफ सफाई करानी चाहिएहर 6 से 8 महीने में भैंस को ब्रुसेला का टीका लगवाना चाहिए
अफाराभैंस का पेट मोटा हो जाता है और थपथपाने पर ढोलक की आवाज आती हैपशु की तेल से मालिश करें और उसे टहलाएं।पशु को साफ पानी और आहार ही दें।

भैंस में सामान्य रोग और उनके घरेलू उपाय :

भैंस के रोग और उनके इलाज तो हमने आपको बता दिए, अब बारी है भैंस को होने वाले रोजाना के रोगों की और उनके घरेलू उपायों के बारे में जानने की। यूं तो भैंस को किसी भी तरह का रोग हो तो उसके उपचार हेतु किसी पशु चिकित्सक से ही संपर्क करना चाहिए। लेकिन कुछ ऐसे भी घरेलू उपाय हैं जिन्हें आजमा कर भैंस को बीमारियों से राहत दिलाई जा सकती है।

  • भैंस के दस्त का देसी इलाज - भैंस इस समस्या के दौरान पतला गोबर करने लगती है और उसके पेट में मरोड़ उठने लगती है। ये स्थिति आमतौर पर तब पैदा होती है जब भैंस को पेट में ठंड लग जाए। अगर भैंस में दस्त और मरोड़ के लक्षण दिखाई देने लगें तो उसे हल्का आहार ही देना चाहिए जैसे बेल का गुदा, माड़ और उबला हुआ दूध आदि। इसके अलावा भैंस के कटड़े या कटड़ी को भैंस का दूध न पीने दें, वरना इसकी वजह से बच्चे को भी समस्या हो सकती है।
  • जेर का अंदर रह जाना - भैंस अपने प्रसव के 4 से 5 घंटे बाद जेर गिरा देती है। लेकिन अगर भैंस ने ऐसा नहीं किया है तो हो सकता है कि पशु को किसी तरह की दिक्कत हो गई हो। इस स्थिति में खुद से इलाज करने की बजाय तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए और जेर गिराने से जुड़े उपाय अपनाने चाहिए।
  • भैंस में योनि का प्रदाह - इस स्थिति में भैंस के प्रसव के बाद उसकी जेर आधी बाहर आ जाती है और आधी अंदर रह जाती है। इसके अलावा इस दौरान भैंस के योनिमार्ग से बदबू आने लगती है और उसका तापमान भी बढ़ जाता है। यही नहीं कई बार भैंस के योनि द्वार से तरल पदार्थ भी गिरने लगता है। ऐसे में भैंस की सफाई गर्म पानी से करनी चाहिए और पशु चिकित्सक से भी भैंस का संपूर्ण इलाज कराना चाहिए।
  • भैंस में निमोनिया - भैंस की बीमारियों में निमोनिया सामान्य सी समस्या है। ये रोग भैंस में अधिक देर तक पानी में रहने की वजह से या बारिश में भीगने की वजह से होता है। इस रोग की चपेट में आने की वजह से भैंस को तेज बुखार हो जाता है और ठंड लगने लगती है। इसके अलावा भैंस को सांस लेने में भी दिक्क्त होने लगती है। इस स्थिति के दौरान भैंस को उबलते हुए पानी में तारपीन का तेल डालना चाहिए और इससे निकलने वाली भांप को भैंस को सुंघाना चाहिए। इसके अलावा भैंस को निमोनिया से बचाने के लिए उसे सर्दियों में किसी गर्म स्थान पर ही रखें।
  • भैंस को चोट लगना - ये समस्या काफी आम है। इस स्थिति में भैंस की चोट या घाव की सफाई तुरंत करनी चाहिए। इसके लिए गर्म पानी में पोटाश डालकर सफाई करनी चाहिए। वहीं अगर भैंस की चोट या घाव पुराना है और उसमें कीड़े लग गए हैं तो इस स्थिति में घाव के मुंह को फिटकरी के पानी से धोना चाहिए। इसके साथ ही पशु चिकित्सक को भी भैंस की स्थिति के बारे में बताना चाहिए।
  • भैंस में जूं और चिचड़ी लगना - भैंस में अक्सर दूसरे पशुओं से या गंदगी की वजह से जूं और चिचड़ी लग जाती है। इस दौरान भैंस की साफ सफाई करनी बेहद जरूरी हो जाती है। इसके लिए पशुपालक भाई नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उसका छिड़काव भैंस पर कर सकते हैं। ऐसा करने पर दो या तीन दिन में भैंस को जूं और चिचड़ी से छुटकारा मिल जाएगा।
  • भैंस की कीड़े मारने की दवा - भैंस के कीड़े मारने के लिए बाजार में कई तरह की दवाएं मौजूद हैं, जिनमें सबसे बेहतर दवा डीवरमैक्स मानी जाती है। लेकिन ध्यान रहे कि ये दवा या कोई भी अन्य दवा पशु चिकित्सक की सलाह पर न दें।

6. भैंस के लिए सप्लीमेंट

buffalo supplements

इंसानी शरीर की तरह भैंस को भी कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और कई बार ये पोषक तत्व भैंस को चारे या आहार में नहीं मिल पाते। ऐसे में भैंस के शरीर को स्वस्थ रखने और उनकी उत्पादकता को बनाए रखने के लिए कई तरह के सप्लीमेंट की जरूरत पड़ती है। हम नीचे आपको इस तालिका (टेबल) में इन्हीं सप्लीमेंट की जानकारी दे रहे हैं।

समस्यासप्लीमेंट का नाम
रूमेन के लिएरूमेन प्रो
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिएइम्यून सप्लीमेंट
थनैला से बचाने के लिएमैस्टा मिक्स मैस्टाइटिस
ब्लोटिंग की समस्या मेंब्लोट गो
कैल्शियम की कमी मेंलिक्विड कैल्शियम सप्लीमेंट
दूध बढ़ाने के लिएदूध फ्लो
गर्भाशय की देखभाल के लिएयूटेराइन टॉनिक
अडर बढ़ाने के लिएअडर एच
विटामिन मिनरल की कमी मेंविटामिन मिनरल सप्लीमेंट
रूमेन के स्वास्थ्य के लिएरूमेन प्रो सप्लीमेंट
गाभिन गाय के लिएएनोमिनिक मिनरल मिक्सचर
हीट स्ट्रेस से छुटकारे के लिएहीट स्ट्रेस रिलीवर
Disclaimer - यह लेख केवल पाठकों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए प्रकाशित किया गया है। इस लेख में बताए गए किसी भी सप्लीमेंट को देने की सलाह हम नहीं देते। अगर पशु को कोई समस्या है तो केवल डॉक्टर की सलाह पर ही सप्लीमेंट का इस्तेमाल करें। यदि कोई व्यक्ति लेख की जानकारी के आधार पर सप्लीमेंट देता है तो उससे होने वाले नुकसान का जिम्मेदार वह व्यक्ति स्वंय होगा।
Animall सहायी
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7. भैंस को गाभिन करने के बाद क्या खिलाना चाहिए?

भैंस को गाभिन करने के बाद या गर्भावस्था के दौरान क्या खिलाना चाहिए? अगर आपको ये भी सवाल परेशान करता है, तो इसका सटीक और सही जवाब हम बता रहे हैं। आइए जानते हैं भैंस को गाभिन करने के बाद क्या खिलाना चाहिए।

  • भैंस के गाभिन होने के 3 महीने बाद तक भैंस के आहार को सामान्य भैंस जितना ही रखा जा सकता है, यानी की भैंस को आप 20 से 25 किलो तक हरा चारा और 3 से 5 किलो सूखा चारा जरूर खिलाएं। इसके साथ ही हो सके तो भैंस की खुराक में ऐसे आहार को शामिल करें जिसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक हो।
  • भैंस को गाभिन हुए जब 3 से 6 महीने बीत चुके हों तो ऐसे में उसके आहार में खनिज, लवण पदार्थों को बढ़ा देना चाहिए।
  • भैंस के 6 महीने के बाद उसके आहार में 10 से 15 ग्राम कैल्शियम, पाचक प्रोटीन और विटामिन मिनरल्स देने चाहिए।
  • भैंस जब गाभिन हो जाए तो उसे रोजाना 50 ग्राम नमक जरूर देना चाहिए।

8. भैंस पालन की जानकारी

raising buffaloes

भैंस पालन, भारत में बहुत से लोगों के लिए जीवन यापन का जरिया है। लेकिन सालों से भैंस पालन करने के बाद भी कुछ लोग इसमें लापरावाही कर देते हैं। जिसकी वजह से भैंस की दूध उत्पादकता घट जाती है और वह बीमारियों का शिकार भी हो जाती है। इसलिए हम आपको भैंस पालन से जुड़ी उन जानारियों से रूबरू कराएंगे, जिसके जरिए आप डेयरी उद्योग में नुकसान से बचे रहेंगे।

पशुशाला कैसे बनाएं :

भैंस पालन का सबसे पहला कदम यही है कि आप भैंसों के लिए एक अच्छी सी पशुशाला का निर्माण कराएं। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर समय भैंस पशुशाला के अंदर ही रहती है, ऐसे में अगर पशुशाला के निर्माण में किसी भी तरह की गलती हुई तो भैंस की उत्पादकता घट सकती है। आइए जानते हैं भैंस की पशुशाला बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

  • पशुशाला बनवाते समय उसे जमीन से ऊंचे स्थान पर बनाएं, ताकि बारिश के दिनों में पशुशाला में पानी न भरे।
  • भैंस की पशुशाला को झोपड़ी की शेप में रखें और छत के थोड़े से नीचे की जगह को खाली छोड़ दें ताकि पशुशाला में हवा की आवाजाही बनी रहे, या फिर आप चाहें तो पशुशाला में खिड़की लगाकर भी हवा की आवाजाही की जगह बना सकते हैं।
  • पशुशाला में से भैंस का गोबर पेशाब और अन्य गंदगी को साफ करना आसान हो, पशुशाला कुछ इस तरीके से बनाएं।
  • भैंस को गर्मी अधिक लगती है, इसलिए पशुशाला में हल्की फुहार वाला स्प्रेयर लगवाएं, ताकि गर्मी के दौरान पशु को ठंडक मिलती रहे।
  • भैंस के खाने की खौर बनवाते समय उसके साथ ऑटोमेटिक वाटर सिस्टम लगवाएं ताकि भैंस कभी भी पानी पी सके।

भैंस पालन से जुड़ी अन्य जरूरी चीज़ें :

भैंस पालन करने के लिए पशुशाला के अलावा कुछ अन्य बातें भी हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जो कुछ इस प्रकार हैं।

  • भैंस की खुराक या आहार का पूरा इंतजाम करके रखें।
  • भैंस के लिए सभी प्रकार के सप्लीमेंट का स्टॉक अपने पास रखें।
  • गाय के खोर पक्का और सीमेंट से ही बनवाएं।
  • चेन को ज्यादातर समय खुला ही रहने दें, केवल दूध निकालते समय ही उन्हें बांधे।
  • पशुशाला में जितनी भैंस रखी जानी संभव हो उतनी ही रखें। भैंस को अधिक खीच पीच में न रखें।
  • भैंस का दूध दुहने के लिए मिल्किंग मशीन का इस्तेमाल करें, ताकि पशु को थनैला होने की संभावना न रहे।
  • भैंस के लिए कुछ छोटी मोटी दवाएं हमेशा रखें।
  • भैंस के गोबर, पेशाब और दूसरे कचरे को साफ करने का सामान पशुशाला में हमेशा रखें।
  • भैंस को रोजाना 60 से 70 लीटर पानी जरूर पिलाएं और हो सकें तो थोड़ी देर के लिए उन्हें किसी तालाब आदि में नहाने के लिए जरूर ले जाएं।

9. भैंस को गाभिन करने का सही समय और तरीके

banni bhains specialties

भैंस को गाभिन करने का सबसे सही समय है जब भैंस को हीट में आए हुए 9 घंटे से ज्यादा बीत गए हों। इस दौरान भैंस को गाभिन करने से उनके गर्भधारण करने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। भैंस को गाभिन करने के दो तरीके हैं जिन्हें अपनाया जा सकता है।

  • बुल के जरिए - भैंस को गाभिन कराने के लिए आप एक अच्छे रिकॉर्ड रखने वाले बुल का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि बुल का रिकॉर्ड अच्छा ही होना चाहिए।
  • AI के जरिए - भैंस को गाभिन करने के लिए अगर अच्छा बुल आपके आस पास मौजूद नहीं है तो बता दें कि आप ऐसे में बुल के सीमेन का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि सीमेन अच्छा ही होना चाहिए। आपको बता दें सीमेन के जरिए भैंस को गाभिन करने की प्रक्रिया को एआई (AI) गर्भाधान कहते हैं। इसमें एक प्रशिक्षित व्यक्ति भैंस को गाभिन कराने का काम करता है।

भैंस के प्रसव से जुड़ी कुछ गलतियां :

भैंस की गर्भावस्था के काल को सही तरह से निकल जाने के बाद भैंस के प्रसव का समय सबसे ज्यादा परेशान करने वाला होता है। अगर भैंस के प्रसव के दौरान किसी तरह की कोई गलती हो जाए तो ऐसे में गर्भपात या भैंस की मौत भी हो सकती है। इसलिए हम आपको बताते हैं कि भैंस के प्रसव से पहले आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

  • भैंस के प्रसव के दौरान भैंस के पास बिल्कुल भी न खड़े हो। ऐसा करने की वजह से भैंस का ध्यान बट सकता है और प्रसव में दिक्कत पैदा हो सकती है।
  • भैंस के प्रसव से दो महीने पहले भैंस का दूध निकालना बंद कर दें और उसे ड्राई होने दें।
  • प्रसव के दौरान अगर भैंस का बच्चा बाहर न निकल पा रहा हो तो जबरदस्ती बाहर न निकालें।
  • प्रसव के दौरान या प्रसव के बाद भैंस को गंदी जगह पर बैठने न दें।
  • भैंस के प्रसव में 4 से 5 घंटे का समय लग जाता है। इसलिए इस दौरान सयंम से काम लें।
  • भैंस के प्रसव के बाद जेर को खींचकर बाहर न निकालें।

10. भैंस पालन से जुड़ी योजनाएं और टेक्नोलॉजी

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भैंस पालन के लिए भारत सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें भैंस खरीदने से लेकर भैंस के जरिए बनाए गए उत्पादों को बेचने पर सब्सिडी या संयोग राशि दी जा रही है। वहीं भैंस पालन से जुड़ी ऐसी कई तकनीक हैं जो बाजार में उतारी जा चुकी हैं। ये तकनीक भैंस पालन के काम को सरल कर रही हैं। हम नीचे आपको डेयरी योजनाओं और टेक्नोलॉजी से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां मुहैया करा रहे हैं।

भैंस पालन से जुड़ी योजनाएं :

  • पशु किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम
  • दिल्ली दुग्ध योजना
  • गोपालक योजना
  • गाय पालक व्यवसाय लोन योजना
  • मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना
  • राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (योजना)
  • राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम
  • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि
  • डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास निधि
  • मिनी डेयरी योजना

डेयरी फार्मिंग से जुड़ी टेक्नोलॉजी :

  • मिल्किंग मशीन
  • डंग क्लीनर
  • चारा मिक्सर मशीन
  • चारा उगाने वाली मशीन
  • ब्रेन वायर्ड वी स्टॉक मशीन
  • फैट एंड एसएनएफ चेक करने की मशीन
  • गाय की प्रेगनेंसी चेक करने की रैपिड टेस्ट किट
  • ऑटोमेटिक वाटर सिस्टम

11. भैंस पालन से कमाई और इसके फायदे

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भैंस पालन से कमाई आज लाखों लोग कर रहे हैं। आपको बता दें कि भारत जितना दूध का उत्पादन करता है, उसमें 53 प्रतिशत दूध भैंस के जरिए ही प्राप्त होता है। इस लिहाज से भी कहा जा सकता है कि भैंस का बाजार काफी बड़ा है। यही नहीं भारत में ही ऐसे कई व्यापारी हैं जो भैंस की कीमत 51 लाख रूपए देकर भी खरीदते हैं। ऐसे ही भैंस पालन के कई फायदे हैं जिसकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं।

  • भारत में भैंस के जरिए 53 प्रतिशत दूध प्राप्त किया जाता है और इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में जो लोग भैंस पालन का काम करने की सोच रहे हैं , ये उन लोगों को काफी आर्थिक लाभ दे सकता है।
  • डेयरी उद्योग को लेकर हाल ही में एक अनुमान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि साल 2026 तक भारत में डेयरी उद्योग 26 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
  • भैंस के दूध, घी और अन्य उत्पादों की मांग भारत में लगातार बढ़ती जा रही है। जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि ये व्यापार फायदेमंद हो सकता है।
  • भैस पालन करते समय कुछ लोग बुल भी पालते हैं और उनके सीमेन को बेचकर सालाना करोड़ो रुपया तक कमाते हैं।
भारत में अब किसी भी नस्ल को बेचने और खरीदने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत का अपना Animall ऐप भैंस बेचने से लेकर खरदीने तक का काम ऑनलाइन ही कर रहा है। इस ऐप पर न केवल आपको भैंस बल्कि गाय भी खरीदने बेचने का विकल्प मिलता है। इसके अलावा ऐप के जरिए पशु बेचने खरीदने पर किसी तरह की कमीशन भी नहीं लगती। अगर आप भैंस बेचने या खरीदने की सोच रहे हैं तो आप Animall App डाउनलोड कर सकते हैं।
Animall सहायी
assistance

12. भैंस से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां

buffalo info

  • फैक्ट - भारत की मुर्रा नस्ल की भैंस दुनिया में सबसे ज्यादा दूध देने के लिए जानी जाती है।
  • फैक्ट - भैंस के दूध में फैट की मात्रा गाय के दूध से काफी ज्यादा होती है।
  • फैक्ट - भारत में पाई जाने वाली भैंस की नस्लें ए 2 मिल्क देती हैं जो शरीर के लिए फायेदमंद होता है।
  • फैक्ट - भैंस का रंग अधिकतर काला होता है और इनकी चमड़ी मोटी होती है। जिसकी वजह से इन्हें गर्मी बहुत लगती है।
  • फैक्ट - भैंस के शरीर में पोर्स (रोम छिद्र) नहीं होते। इसलिए जब भी उसे गर्मी लगती है वो अपनी नाक को चाटने लगती है।
  • फैक्ट - भैंस की उम्र पता लगाने के लिए उसके दांतों को देखा जाता है।
  • फैक्ट - भैंस के पीछे की ओर दांत नहीं होते।
  • फैक्ट - एक भैंस औसतन 10 से 15 साल तक ही जीवित रहती है।
भैंस को लेकर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब
20 लीटर दूध देने वाली भैंस की कीमत क्या है ?
उत्तर20 लीटर दूध देने वाली भैंस बाजार में आपको 1,80,000 रुपए तक में मिल जाएगी।
भैंस का गर्भकाल कितने दिन का होता है?
उत्तरभैंस का गर्भकाल 10 महीने 10 दिन तक का होता है।
भैंस चारा नहीं खा रही है क्या कारण है?
उत्तरभैस के चारा न खाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे निमोनिया, बच्चेदानी, संक्रमण, बुखार या मुंह में किसी तरह की दिक्कत होना।
सबसे अच्छी नस्ल की भैंस कौन सी होती है?
उत्तरसबसे अच्छी नस्ल की भैंस की मुर्रा नस्ल की है। ये भैंस एक ब्यात में 310 दिन तक दूध देने की क्षमता रखती है।
सबसे सस्ती भैंस कहां मिलती है ?
उत्तरसबसे सस्ती भैंस आपको Animall App पर मिल सकती है
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