भैंस चार पैरों वाला एक पशु है जिसे दुनियाभर में दूध के लिए और खेती के काम के लिए पाला जाता है। ज्ञात हो कि भारत दुनियाभर में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन करता है। जिसमें से 54 प्रतिशत दूध भैंस के जरिए ही प्राप्त किया जाता है। अब आप में से ज्यादातर लोग ये नहीं जानते होंगे कि भैंस की नस्ल ही नहीं बल्कि इन्हें कई वर्गों में बांटा जाता है, जैसे अफ्रिकन भैंस और एशियन भैंस। इसके बाद एशियन भैंस को भी दो अन्य वर्गों में बांटा जाता है, जैसे पालतू भैंस और जंगली भैंस। इसके बाद भी ये विभाजन खत्म नहीं होता और भैंस को रिवर भैंस और दलदल भैंस में विभाजित किया जाता है।
इसमें जिन भैंसों को रिवर भैंस की श्रेणी में रखा गया है। ये दुधारू भैंस की नस्ले हैं, और इसमें अधिकतर भैंस भारत, पाकिस्तान और पूर्वी एशियाई देश जैसे युनान, दक्षिणी पूर्वी यूरोप, इटली आदि में पाई जाती है। भारत के अंदर भैंस की कुल 13 नस्ल पाई जाती हैं जिनमें से भी इन्हें तीन भागों में विभाजित किया जाता है, जैसे भारी श्रेणी, मध्यम श्रेणी और हल्की श्रेणी। इसके अलवा विदेशों में भी कई ऐसी नस्ल की भैंस हैं जो दूध के लिए पाली जाती है। आज हम अपने इस लेख में आपको भैंस की नस्लों से लेकर उनसे जुड़ी तमाम जानकारियां मुहैया कराएंगे। आइए जानते हैं उन दुधारू भैंस की नस्लों के बारे में जो डेयरी उद्योग की जान हैं।
अंतर्वस्तु : |
---|
1. भैंस की नस्लें और उनके नाम |
2. भैंस की खुराक और उसकी मात्रा |
3. भैंस को हीट में कैसे लाएं? |
4. भैंस का दूध कैसे बढ़ाएं? |
5. भैंस के रोग और उनके इलाज |
6. भैंस के लिए सप्लीमेंट |
7. भैंस को गाभिन करने के बाद क्या खिलाना चाहिए? |
8. भैंस पालन की जानकारी |
9. भैंस को गाभिन करने सही समय और तरीके |
10. भैंस पालन से जुड़ी योजनाएं और टेक्नोलॉजी |
11. भैंस पालन से कमाई और इसके फायदे |
12. भैंस से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां |
डेयरी उद्योग से जुड़े लोग एवं छोटे पशुपालक भी अक्सर एक ही सवाल से घिरे रहते हैं कि सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की प्रमुख नस्लें कौन सी हैं या फिर दुधारू भैंस की पहचान क्या है। आपके भैंस की नस्लों से जुड़े इन सभी सवालों के जवाब आपको नीचे दी गई तालिका (टेबल) में हम दे रहे हैं।
भैंस की नस्ल के नाम | दूध की क्षमता | दूध के प्रकार | भैंस की पहचान | वजन | उत्पत्ति | खरीदें |
---|---|---|---|---|---|---|
मुर्रा भैंस | 10 से 33 लीटर | ए 2 मिल्क | मुड़े हुए सींग | 600 किलो | हरियाणा और पंजाब | मुर्रा ऑनलाइन खरीदें |
नीली रावि भैंस | 10 से 15 लीटर | ए 2 मिल्क | भैंस के माथे के सफेद बाल | 450 किलो | गुजरात | नीली रावि ऑनलाइन खरीदें |
सुरती भैंस | 10 से 19 लीटर | ए 2 मिल्क | दराती के जैसे सींग | 408 किलो | गुजरात | सुरती भैंस खरीदें |
नागपुरी भैंस | 5 से 10 लीटर | ए 2 मिल्क | सींग पीछे की ओर मुड़े हुए होते हैं | 402 किलो | महाराष्ट्र | नागपुरी गाय खरीदें |
जाफराबादी भैंस | 15 से 20 लीटर | ए 2 मिल्क | भारी भरकम शरीर | 750 किलो | गुजरात | जाफराबादी भैंस खरीदें |
बन्नी भैंस | 12 से 18 लीटर | ए 2 मिल्क | मुड़े हुए सींग | 525 किलो | गुजरात | बन्नी भैंस खरीदें |
पंढरपुरी भैंस | 8 से 15 लीटर | ए 2 मिल्क | कुबड़ उठा हुआ होता है | किलो | महाराष्ट्र | पंढरपुरी भैंस खरीदें |
टोडा भैंस | 4 से 6 लीटर | ए 2 मिल्क | इनके सींग बहुत पैने होते हैं | 380 किलो | तमिलनाडु | टोडा भैंस खरीदें |
मेहसाणा भैंस | 15 से 20 लीटर | ए 2 मिल्क | इनके सींग हल्के घुमावदार होते हैं | 480 किलो | गुजरात | मेहसाणा भैंस खरीदें |
भदावरी भैंस | 4 से 5 लीटर | ए 2 मिल्क | माथे का कुछ हिस्सा सफेद होता है | 350 किलो | उत्तर प्रदेश | भदावरी भैंस खरीदें |
गोदावरी भैंस | 6 से 10 लीटर दूध | ए 2 मिल्क | मध्यम आकार का शरीर | 380 किलो | आंध्रप्रदेश | गोदावरी भैंस खरीदें |
तराई भैंस | 5 से 9 लीटर | ए 2 मिल्क | पतली चमड़ी | 320 किलो | उत्तराखंड | भैंस खरीदें |
साथकनार भैंस | 6 से 8 लीटर | ए 2 मिल्क | भारी भरकम शरीर | 430 किलो | कर्नाटक | भैंस खरीदें |
भैंस की खुराक और उसकी मात्रा उसके दूध और वजन पर बहुत हद तक निर्भर करती है। वहीं कुछ लोग भैंस के आहार को दूध के फैट की वजह से भी बदलते रहते हैं। ऐसे में पशुपालक को यह बात खासतौर पर ध्यान रखनी चाहिए कि सबसे जरूरी भैंस के लिए संतुलित आहार है और संतुलित आहार कैसा हो सकता है इसके बारे में हम आपको नीचे बताने वाले हैं।
भैंस या अन्य दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भैंस को हरे चारे कि आवश्यकता पूरे साल होती है। ऐसे में अगर हरे चारे की मात्रा को पशु को कम मिले तो इससे पशु दूध कम देने लगता है और पशु के शरीर में प्रोटीन की कमी भी हो सकती है। पशु को जब भी आहार दिया जाए तो इसमें हरे चारे की मात्रा को 60 प्रतिशत जरूर रखना चाहिए तभी पशु स्वस्थ रहेगा और दूध भी पूरा देगा। भैंस को हरे चारे में आप क्या - क्या दे सकते हैं इसकी कुछ किस्में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
सूखे चारे के महत्व को अक्सर पशुपालक नजरअंदाज कर देते हैं जो कि पूरी तरह गलत है। आपको बता दें कि भैंस को सूखा चारा जरूर देना चाहिए। इससे पशु के पेट का सबसे बड़ा हिस्सा जिसे रूमेन के नाम से जाना जाता है, वह ठीक से काम करता है। जिसका असर पशु के दूध फैट पर भी दिखाई देता है। भैंस को सूखे चारे में कई चीजे़ दी जा सकती है, जो कुछ इस प्रकार हैं।
भैंस के लिए दाना मिश्रण कई तरह से काम करता है। दाना मिश्रण की वजह से भैंस लंबे समय तक दूध दे सकती है। ये जल्दी पच जाता है और इससे भैंस की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। इसके अलावा भैंस के घी और दूध की गुणवत्ता काफी बेहतर हो जाती है। भैंस को ये सारे फायदे मिले इसके लिए दाना मिश्रण के लिए सही सामग्रियों का इस्तेमाल करना होगा। अब हम आपको नीचे उन सामग्रियों के बारे में बता रहे हैं जिनका उपयोग दाना मिश्रण के अंदर किया जा सकता है।
गेहूं, जौ, बाजरा और मक्का जैसे अनाज दाना मिश्रण के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। इसके अलावा दाना मिश्रण के अंदर मूंगफली की खल, सरसों की खल, बिनौले की खल, दाल की चूरी , गेंहू का चोकर मिनरल मिक्सचर आदि को भी शामिल किया जाता है। दाना मिश्रण के अंदर सामग्रियों की मात्रा स्थान और मौसम के हिसाब से बदली या घटाई - बढ़ाई जा सकती है।
भैंस को साइलेज आहार के रूप में तब दिया जाता है जब हरा चारा मौजूद न हो। आपको बता दें कि पूरे साल में ऐसा कई बार होता है, जब पशु के लिए हरा चारा मौजूद नही होता। ऐसे में हरे चारे की कमी को पूरा करने के लिए ही साइलेज दिया जाता है।
साइलेज कई तरह के अनाजों के जरिए बनाया जाता है जैसे मक्का, गेहूं, ज्वार और बाजरा आदि। इन अनाजों को तब काटा जाता है जब ये अनाज दूधिया अवस्था में हो। इनकी कटाई करने के बाद इन्हें एक प्रक्रिया से गुजारा जाता है और एक गहरे गड्ढे में दबा दिया जाता है। इसके बाद जब हरा चारा उपलब्ध नहीं होता। तब ये पशु को दिया जाता है।
एक भैंस का खर्चा कितना हो सकता है ये सवाल बहुत लोगों के ज़हन में आता है। आपको बता दें कि एक भैंस का खर्चा उसकी दूध उत्पादकता पर निर्भर करता है। अगर कोई भैंस 10 से 12 लीटर तक दूध दे रही होगी तो ऐसी भैंस की खुराक का कुल खर्च 200 से 250 रुपए एक दिन का चला जाता है। लेकिन ऐसी भैंस से कमाई भी काफी अच्छी हो सकती है। अगर भैंस का एक लीटर दूध 60 रुपए में भी बिकता है तो आप इस भैंस के जरिए रोजाना 600 से 720 रुपए तक कमा सकते हैं
भैंस पहली बार 28 से 30 महीने के बीच हीट में आती है। ऐसे में अगर भैंस 28 महीने में हीट में आ जाती है तो वह पहली बार 38 महीने की उम्र में बच्चे को जन्म देती है। वहीं एक बार भैंस का प्रसव हो जाए तो इसके बाद वह 45 दिन तक हीट में नहीं आती। लेकिन कई बार भैंस प्रसव के बाद या फिर पहली बार ही हीट में नहीं आती। इस स्थिति में पशुपालक भाई काफी परेशान हो जाते हैं और सोच में पड़ जाते हैं कि भैंस को हीट में कैसे लाएं। पशुपालक भाइयों की इसी समस्या का हल हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।
भैंस को हीट में लाने की दवा बाजार में कई ब्रांड बेचते हैं। लेकिन इनमें से सबसे असरदार REFIT ANIMAL CARE को माना गया है। ये दवा भैंस को आहार के साथ देनी होती है, जिसके बाद भैंस की हीट साइकिल ठीक हो जाती है। हालांकि इस बात के पुख्ता सुबूत तो नहीं है कि भैंस को हीट में लाने की दवा कितनी कारगर है। लेकिन अगर आप चाहें तो ये दवा या फिर कोई अन्य दवा पशु चिकित्सक की सलाह पर पशु को दे सकते हैं। ध्यान रहे कि खुद से कोई भी दवा भैंस को न दें।
भैंस को हीट में लाने के घरेलू उपाय कई हैं जिन्हें आजमाकर बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। ऐसे ही कुछ घरेलू उपाय हम आपको नीचे बता रहे हैं।
भैंस का दूध बढ़ाने के कई तरीके हो सकते हैं। इसमें सबसे पहला तरीका होता है भैंस का आहार। अगर भैंस के आहार को संतुलित रखा जाए और उसके आहार में ऐसी सामग्री को शामिल किया जाए जिसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक हो तो भैंस का दूध बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा अगर भैंस तनाव में है तो इस स्थिति में भैंस को कैल्शियम जेल दिया जा सकता है। इसके जरिए भैंस का दूध 3 से 5 लीटर तक बढ़ जाता है।
भैंस यूं तो एक अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला पशु है। लेकिन कई बार खराब आहार, गंदगी और रखरखाव में की गई लापरवाही की वजह से ये खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं। हम नीचे आपको एक तालिका (टेबल) के माध्यम से भैंस में होने वाले कुछ खतरनाक रोग और इलाज से जुड़ी जानकारी देंगे। इसके अलावा भैंस को रोग से बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए इसकी जानकारी भी मुहैया कराएंगे।
भैंस के रोग | लक्षण | उपचार | रोकथाम |
---|---|---|---|
गलघोंटू | बुखार, सांस लेने में दिक्कत, गले में सूजन | इंजेक्शन या एंटीबॉयोटिक दवा | हर 6 माह में रोग निरोधक टीका |
थनैला | थनों में सूजन, गांठ पड़ना, थन सड़ना, थून से दूध न आना या फटा हुआ दूध देना। | भैंस में थनैला रोग की दवा Calcarea Fluorica दवा हो सकती है | भैंस के थन की बीमारी को फैलने से रोकने के लिए उनके थनों और दूध की जांच करते रहें |
लंगड़ा बुखार | भैंस लंगड़ा कर चलती है, तेज बुखार हो जाता है और पैरों में सूजन भी आ जाती है | पेनिसिलीन, सल्फोनामाइड, टेट्रासाइक्लीन जैसी दवाएं दी जाती हैं | मानसून से पहले भैंस का टीकाकरण कराना और पीड़ित पशु को स्वस्थ पशु से दूर बांधकर रखना |
मिल्क फीवर | इस रोग में भैंस के शरीर का तापमान कम हो जाता है और कपकपी छूटने लगती है | रोग से राहत दिलाने के लिए भैंस को कैल्शियम सॉल्ट का टीका लगाया जाता है | भैंस के प्रसव के 15 दिन तक पूरा दूध न निकालें और उसे कैल्शियम से भरा आहार दें। |
खुरपका मुहंपका | भैंस के मुहं और पैर में घाव या दाने हो जाते हैं। | फिटकरी से पशु की साफ सफाई करनी चाहिए | मानसून में पशु को खुले में चरने से रोकें और 6 महीनें में रोग निरोधक टीक लगवाएं। |
प्लीहा (एंथ्रेक्स) | भैंस को बुखार हो जाता है और गोबर एवं पेशाब में खून आने लगता है। | एंथ्रेक्स का इलाज एंटीबॉयोटिक दवाओं से होता है | भैंस की स्किन के अंदर टीका लगाया जाता है |
यक्ष्मा (टी.बी) | भैंस को इस रोग में खांसी और कमरजोरी होने लगती है | रोग के लक्षण दिखने पर पशु चिकित्सक से संपर्क करें। | इस दौरान भैंस को पोषक तत्वों से भरा आहार देना चाहिए |
संक्रामक गर्भपात | भैंस पांचवे या छठे महीने में प्रसव के लक्षण देती है, लेकिन गर्भपात हो जाता है | भैंस की डीवॉर्मिंग करनी चाहिए और ठीक से साफ सफाई करानी चाहिए | हर 6 से 8 महीने में भैंस को ब्रुसेला का टीका लगवाना चाहिए |
अफारा | भैंस का पेट मोटा हो जाता है और थपथपाने पर ढोलक की आवाज आती है | पशु की तेल से मालिश करें और उसे टहलाएं। | पशु को साफ पानी और आहार ही दें। |
भैंस के रोग और उनके इलाज तो हमने आपको बता दिए, अब बारी है भैंस को होने वाले रोजाना के रोगों की और उनके घरेलू उपायों के बारे में जानने की। यूं तो भैंस को किसी भी तरह का रोग हो तो उसके उपचार हेतु किसी पशु चिकित्सक से ही संपर्क करना चाहिए। लेकिन कुछ ऐसे भी घरेलू उपाय हैं जिन्हें आजमा कर भैंस को बीमारियों से राहत दिलाई जा सकती है।
इंसानी शरीर की तरह भैंस को भी कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और कई बार ये पोषक तत्व भैंस को चारे या आहार में नहीं मिल पाते। ऐसे में भैंस के शरीर को स्वस्थ रखने और उनकी उत्पादकता को बनाए रखने के लिए कई तरह के सप्लीमेंट की जरूरत पड़ती है। हम नीचे आपको इस तालिका (टेबल) में इन्हीं सप्लीमेंट की जानकारी दे रहे हैं।
समस्या | सप्लीमेंट का नाम |
---|---|
रूमेन के लिए | रूमेन प्रो |
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए | इम्यून सप्लीमेंट |
थनैला से बचाने के लिए | मैस्टा मिक्स मैस्टाइटिस |
ब्लोटिंग की समस्या में | ब्लोट गो |
कैल्शियम की कमी में | लिक्विड कैल्शियम सप्लीमेंट |
दूध बढ़ाने के लिए | दूध फ्लो |
गर्भाशय की देखभाल के लिए | यूटेराइन टॉनिक |
अडर बढ़ाने के लिए | अडर एच |
विटामिन मिनरल की कमी में | विटामिन मिनरल सप्लीमेंट |
रूमेन के स्वास्थ्य के लिए | रूमेन प्रो सप्लीमेंट |
गाभिन गाय के लिए | एनोमिनिक मिनरल मिक्सचर |
हीट स्ट्रेस से छुटकारे के लिए | हीट स्ट्रेस रिलीवर |
भैंस को गाभिन करने के बाद या गर्भावस्था के दौरान क्या खिलाना चाहिए? अगर आपको ये भी सवाल परेशान करता है, तो इसका सटीक और सही जवाब हम बता रहे हैं। आइए जानते हैं भैंस को गाभिन करने के बाद क्या खिलाना चाहिए।
भैंस पालन, भारत में बहुत से लोगों के लिए जीवन यापन का जरिया है। लेकिन सालों से भैंस पालन करने के बाद भी कुछ लोग इसमें लापरावाही कर देते हैं। जिसकी वजह से भैंस की दूध उत्पादकता घट जाती है और वह बीमारियों का शिकार भी हो जाती है। इसलिए हम आपको भैंस पालन से जुड़ी उन जानारियों से रूबरू कराएंगे, जिसके जरिए आप डेयरी उद्योग में नुकसान से बचे रहेंगे।
भैंस पालन का सबसे पहला कदम यही है कि आप भैंसों के लिए एक अच्छी सी पशुशाला का निर्माण कराएं। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर समय भैंस पशुशाला के अंदर ही रहती है, ऐसे में अगर पशुशाला के निर्माण में किसी भी तरह की गलती हुई तो भैंस की उत्पादकता घट सकती है। आइए जानते हैं भैंस की पशुशाला बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
भैंस पालन करने के लिए पशुशाला के अलावा कुछ अन्य बातें भी हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जो कुछ इस प्रकार हैं।
भैंस को गाभिन करने का सबसे सही समय है जब भैंस को हीट में आए हुए 9 घंटे से ज्यादा बीत गए हों। इस दौरान भैंस को गाभिन करने से उनके गर्भधारण करने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। भैंस को गाभिन करने के दो तरीके हैं जिन्हें अपनाया जा सकता है।
भैंस की गर्भावस्था के काल को सही तरह से निकल जाने के बाद भैंस के प्रसव का समय सबसे ज्यादा परेशान करने वाला होता है। अगर भैंस के प्रसव के दौरान किसी तरह की कोई गलती हो जाए तो ऐसे में गर्भपात या भैंस की मौत भी हो सकती है। इसलिए हम आपको बताते हैं कि भैंस के प्रसव से पहले आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
भैंस पालन के लिए भारत सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें भैंस खरीदने से लेकर भैंस के जरिए बनाए गए उत्पादों को बेचने पर सब्सिडी या संयोग राशि दी जा रही है। वहीं भैंस पालन से जुड़ी ऐसी कई तकनीक हैं जो बाजार में उतारी जा चुकी हैं। ये तकनीक भैंस पालन के काम को सरल कर रही हैं। हम नीचे आपको डेयरी योजनाओं और टेक्नोलॉजी से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां मुहैया करा रहे हैं।
भैंस पालन से कमाई आज लाखों लोग कर रहे हैं। आपको बता दें कि भारत जितना दूध का उत्पादन करता है, उसमें 53 प्रतिशत दूध भैंस के जरिए ही प्राप्त होता है। इस लिहाज से भी कहा जा सकता है कि भैंस का बाजार काफी बड़ा है। यही नहीं भारत में ही ऐसे कई व्यापारी हैं जो भैंस की कीमत 51 लाख रूपए देकर भी खरीदते हैं। ऐसे ही भैंस पालन के कई फायदे हैं जिसकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं।
भैंस को लेकर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब |
---|
20 लीटर दूध देने वाली भैंस की कीमत क्या है ? उत्तर20 लीटर दूध देने वाली भैंस बाजार में आपको 1,80,000 रुपए तक में मिल जाएगी। |
भैंस का गर्भकाल कितने दिन का होता है? उत्तरभैंस का गर्भकाल 10 महीने 10 दिन तक का होता है। |
भैंस चारा नहीं खा रही है क्या कारण है? उत्तरभैस के चारा न खाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे निमोनिया, बच्चेदानी, संक्रमण, बुखार या मुंह में किसी तरह की दिक्कत होना। |
सबसे अच्छी नस्ल की भैंस कौन सी होती है? उत्तरसबसे अच्छी नस्ल की भैंस की मुर्रा नस्ल की है। ये भैंस एक ब्यात में 310 दिन तक दूध देने की क्षमता रखती है। |
सबसे सस्ती भैंस कहां मिलती है ? उत्तरसबसे सस्ती भैंस आपको Animall App पर मिल सकती है |
To improve the lives of dairy farmers in a meaningful way by making dairy farming significantly more profitable. Further, more than 15,00,000+ cattle have been sold through Animall which amounts to INR 7500cr+ of GTV. Our dairy farmers have rated us 4.8 out of 5 and 65%+ of them refer Animall to at least one friend monthly.