देश के अंदर गाय की ऐसी कम ही नस्लें हैं जो दुधारू होने के साथ - साथ खेती बाड़ी में भी इस्तेमाल हो सकें। इन्हीं चुनिंदा नस्लों में से एक नस्ल कांकरेज गाय की है। कांकरेज नस्ल की गाय अपनी ऊंची कद काठी के अलावा दुधारू होने की वजह से भी भारत में काफी प्रसिद्ध है। आज हम आपको अपने इस लेख में कांकरेज गाय की पहचान से लेकर कांकरेज गाय की कीमत और कांकरेज गाय कितना दूध देती है इससे जुड़ी तमाम जानकारियां साझा करेंगे। अगर आप कांकरेज नस्ल की गाय से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप इस लेख पर अंत तक बने रहें।
अंतर्वस्तु : |
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1. कांकरेज गाय कहां पाई जाती है ? |
2. कांकरेज गाय नस्ल की पहचान |
3. कांकरेज गाय की विशेषताएं |
4. कांकरेज गाय के दूध की विशेषताएं |
5. कांकरेज गाय की देखरेख का तरीका |
6. कांकरेज गाय का आहार और उसकी मात्रा |
7. गाभिन कांकरेज गाय का ध्यान कैसे रखें? |
8. कांकरेज गाय का दूध उत्पादन कैसे बढ़ाएं |
9. कांकरेज मवेशी में रोग और इलाज |
10. कांकरेज गाय कहां से खरीदें और कहां बेचें? |
11. कैसे करें कांकरेज गाय की कीमत तय? |
कांकरेज नस्ल की गाय के निशान 5000 साल पहले मोहनजोदाड़ों की सभ्यता में की गई नक्काशी पर भी दिखाई देते हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि कांकरेज गाय सबसे पहले गुजरात के बनासकांठा जिले के कांकरेज तालुका में पाई गई थी। यही कारण भी है जिसकी वजह से इस नस्ल का नाम कांकरेज गाय पड़ा था। गुजरात के अलावा कांकरेज गाय राजस्थान के कुछ इलाकों में भी पाई गई थी। हालांकि आज के समय कांकरेज नस्ल की गाय भारत के दुर्गम स्थानों तक भी पहुंच गई है।
कांकरेज नस्ल की गाय की पहचान मुख्य रूप से इनके सींगों से की जाती है। देसी नस्ल की अन्य गायों के मुकाबले इस गाय के सींग काफी बड़े और अंदर की तरफ हल्के घुमावदार होते हैं। हालांकि ये स्वाभाव में काफी सीधी होती हैं। इसके अलावा आपको बता दें कि कांकरेज नस्ल की गाय की ऊंचाई अच्छी खासी होती है और इनके शरीर पर फैट कम ही होता है। वहीं इनकी कमर का कूबड़ काफी बड़ा होता है और इसकी पूंछ घुटनों से थोड़ा नीचे तक जाती है।
कांकरेज गाय की कई विशेषताएं हैं, जिनकी वजह से इन्हें पाला भी जाता है। आपको बता दें कि कांकरेज नस्ल की गाय खेती बाड़ी के काम आ सकती है। ये नस्ल अधिक गर्म तापमान पर भी आसानी से रह लेती है और ये बिना हरे चारे के भी दूध सही मात्रा में दे सकती है। इन सब बातों के अलावा कांकेरज नस्ल की गाय रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है और ये आसानी से बीमार नहीं पड़ती। कांकरेज गाय एक भारी शरीर वाली गाय के रूप में भी जानी जाती है। इस नस्ल की गाय का वजन 300 से 380 किलो तक हो सकता है।
कांकरेज गाय को देश की बेहतर दुधारू क्षमता वाली नस्लों में गिना जाता है। कांकरेज गाय कितना दूध देती है? आपको बता दें कि कांकरेज गाय एक दिन में 8 से 10 लीटर तक दूध दे सकती है। वहीं एक ब्यात की बात करें तो अपने एक ब्यात में 1750 लीटर से लेकर 1800 लीटर तक दूध दे सकती है। इसके अरलावा कांकरेज गाय ए2 मिल्क देती है जिसे पचाना काफी आसान होता है। कांकरेज गाय के दूध में 4.5 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है।
कांकरेज नस्ल की गाय की देखरेख में कई बातों का ध्यान रखना चाहिए वरना मौसम की वजह से होने वाले साधारण रोग भी इन्हें खासा परेशान कर सकते हैं। कांकरेज गाय की देखरेख में उसके आहार से लेकर टीकाकरण तक का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, वरना ऐसे कई खतरनाक रोग हैं जो पशु को मौत के घाट उतार सकते हैं जैसे गलघोंटू, ब्रुसेला, अफारा आदि। इसके अलावा कांकरेज गाय को एक ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जो हवादार हो और उनके रहने की जगह जमीन से थोड़ी ऊंची होनी चाहिए। इसके साथ ही की साफ सफाई भी समय - समय पर करवाते रहना चाहिए।
कांकरेज गाय को एक तय मात्रा में हरा चारा और सूखा चारा देना चाहिए। हरे चारे की मात्रा 20 से 25 किलो और सूखे चारे की मात्रा 5 से 7 किलो होनी चाहिए। गाय को सूखी घास के तौर पर मक्की, लूर्सन, जई, पराली और दूर्वा आदि दी जा सकती है। वहीं हरे चारे में जो भी विकल्प आस पास मौजूद हों वो देने चाहिए। इसके अलावा दाना मिश्रण, खली, सोयाबीन जैसी खाद्य सामग्री देनी चाहिए। इसके साथ ही कांकरेज गाय को रोजाना 40 लीटर तक पानी जरूर पिलाना चाहिए।
एक साधारण गाय और गाभिन गाय में काफी फर्क होता है, इसलिए की व्यवस्था में थोड़ी सतर्कता बरतनी चाहिए, वरना कई बार गर्भपात की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हम नीचे आपको विस्तार से बता रहे हैं कि गाभिन गाय के आहार से लेकर उसके रहने का स्थान कैसा होना चाहिए।
कांकरेज गाय की हीट साइकिल या मद चक्र वह समय होता है जब गाय ब्रीडिंग के लिए तैयार होती है और इस समय गाय की ब्रीडिंग कराने पर गाय के गाभिन होने की संभावना सबसे अधिक होती है। आपको बता दें कि कांकरेज गाय की हीट साइकिल 18 से 21 दिन के बीच में आती है। हीट साइकिल के दौरान गाय दूसरे पशुओं पर चढ़ने लगती है और रंभाती है। इसके अलावा कई बार पशु के पीछे से चिपचिपा तरल पदार्थ भी गिरने लगता है। यही गाय के हीट साइकिल के लक्षण होते हैं।
कांकरेज तब होता है जब गाय को हीट में आए हुए 24 घंटे ही हुए हों, इस दौरान गाय को गाभिन कराया जाना चाहिए। इसके अलावा गाय को गाभिन कराने के लिए या तो बैल का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर एआई (AI) कृत्रिम गर्भाधान भी करा सकते हैं। आपको बता दें कि कृत्रिम गर्भाधान एक प्रशिक्षित व्यक्ति के द्वारा कराया जा सकता है। इसमें बस बैल का सीमेन गाय के गर्भाशय में एक टूल के जरिए डाला जाता है।
कांकरेज गाय हो या कोई अन्य नस्ल की गाय सभी के काफी मुश्किलों से भरा हुआ होता है। अगर इस दौरान कुछ बातों का ध्यान न रखा जाए तो गाय का गर्भपात हो सकता है और कई बार तो पशु की मौत तक हो सकती है। ऐसी ही कुछ जानकारियां हम आपको नीचे दे रहे हैं कि प्रसव के समय आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
कांकरेज नस्ल की गाय यूं तो हर तरह के मौसम में आसानी से रह लेती है, लेकिन अगर इनकी उत्पादकता सबसे बेहतर रखनी है तो इसके लिए आप राजस्थान या गुजरात में इन्हें पाल सकते हैं। ये स्थान कांकरेज गाय के उत्पत्ति स्थान माने जाते हैं, इसलिए कहा जा सकता है कि यहां इनकी उत्पादकता काफी अच्छी हो सकती है।
कांकरेज गाय की दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के कई तरीके हैं, लेकिन सभी तरीके इस बात पर निर्भर करते हैं कि गाय की समस्या क्या है या वह किस कारण की वजह से दूध कम दे रही है। हम नीचे आपको कुछ तरीके बता रहे हैं जिसके जरिए गाय के दूध देने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
कांकरेज गाय की दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए आहार को बदला जा सकता है। आपको बता दें कि अगर गाय को ऐसा आहार खिलाया जाए जिसमें कैल्शियम की मात्रा अच्छी हो तो इसकी वजह से दूध की उत्पादन क्षमता बढ़ सकती है। इसके अलावा पशु को हरा चारा, सूखा चारा, दाना मिश्रण, और खली जैसी खाद्य सामग्री खिलाकर भी दूध को बढ़ाया जा सकता है।
कांकरेज कई तरह के सप्लीमेंट का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इसमें सबसे पहला नाम आता है कैल्शियम जेल का। ये जेल पशु के शरीर में कैल्शियम की मात्रा को तुरंत बढ़ाता है, जिससे पशु की दूध देने की क्षमता में इजाफा हो जाता है। इसके अलावा कई तरह के पाउडर भी आते हैं जिसकी वजह से गाय अपनी क्षमता के मुताबिक दूध देने लगती है। आप ऐसे किसी भी सप्लीमेंट को पशु को केवल डॉक्टर की सलाह पर ही दें।
कांकरेज गाय के दूध को बढ़ाने के लिए आप एक खास तरह के दाना मिश्रण का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको 250 ग्राम गेहूं का दलिया, 100 ग्राम गुड़ सर्बत, 50 ग्राम मेथी, एक कच्चा नारियल, 25 - 25 ग्राम जीरा व अजवाईन से भी बनाकर 2 महीने तक खिला सकते हैं। इससे गाय का दूध तेजी से बढ़ने लगेगा।
कांकरेज नस्ल की गाय की प्रतिरक्षा प्रणाली यूं तो काफी अच्छी होती है। लेकिन कई बार इन्हें भयंकर रोग भी लग जाते हैं। अब हम आपको ऐसे ही रोग और उनके इलाज के बारे में बता रहे हैं।
ये गाय के थन में होता है जिसकी वजह से पशु खराब हो जाता है। इसके शुरुआती लक्षणों को समझकर पशु का इलाज कराया जा सकता है। अगर पशु के थन में गांठ हो, दूध में छर्रे बन रहे हों, या थन से दूध के साथ खून निकल रहा हो तो ये शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। इन लक्षणों की पहचान कर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और इलाज प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
इस रोग की वजह एनाप्लाज्मा मार्जिनल है और इसकी वजह से पशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है, पशु के शरीर में खून की कमी हो जाती है और गाय के नाक से गाढ़ा तरल पदार्थ गिरने लगता है। अगर गाय में ये लक्षण दिखाई दें तो अकर्डीकल दवा दे सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि दवा डॉक्टर की सलाह के बिना न दें।
ये रोग गाय को 6 से 24 महीने के दौरान हो सकता है, इसमें पशु को तेज बुखार हो जाता है और पशु को सांस लेने में भी दिक्कत हो जाती है। इस स्थिति के अंदर पशु को पैनीसिलिनटीका प्रभावित स्थान पर दिया जा सकता है। लेकिन ये पशु को शुरुआती समय पर डॉक्टर की सलाह पर ही दें। वरना इससे पशु को नुकसान भी हो सकता है।
कांकरेज मवेशी को कई रोगों से बचाने के लिए टीकाकरण का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से सबसे पहला है गलघोंटू रोग, इससे बचाव के लिए करा देना चाहिए। वहीं लंगड़ा बुखार का टीका भी कांकरेज गाय को मानसून के मौसम से पहले लगवाना चाहिए। इसके अलावा खुरपका मुहंपका रोग का टीकाकरण भी पशुपालक गाय को मानसून से पहले लगवाएं। इसके साथ ही प्लीह का टीका, ब्रुसेला का टीका, भी कांकरेज गाय को लगवाना चाहिए।
कांकरेज नस्ल की डीवार्मिंग कराने के लिए आप कई तरह की दवाएं पशु को दे सकते हैं। इसके अलावा काली जीरी के लड्डू बनाकर भी कांकरेज गाय की डीवार्मिंग करा सकते हैं। आपको बता दें कि हर 4 से 6 महीने के दौरान गाय की डीवार्मिंग जरूर करानी चाहिए। अगर गाय गाभिन है तो डीवार्मिंग डॉक्टर की सलाह पर ही होनी चाहिए। ज्ञात हो कि डीवार्मिंग पशु के पेट के कीड़े मारने के लिए की जाती है।
कांकरेज नस्ल की गाय खरीदने के लिए आप अपने आस पास के पशुपालकों से संपर्क कर सकते हैं या फिर किसी पशुमेले में भी जा सकते हैं। लेकिन इन सब में पैसा और समय बहुत बर्बाद होगा। ऐसे में सबसे बेहतर विकल्प है कि आप ऐप को अपने फोन में डाउनलोड करें और अपना रजिस्ट्रेशन करे। इसके बाद आप यहां मौजूद हजारों कांकरेज गाय में से अपनी पसंद की कांकरेज गाय खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो कांकरेज गाय बेचने के लिए भी ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सबसे सस्ती कांकरेज गाय खरीदने का विकल्प भी आपको Animall ऐप पर ही मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां हर रोज हजारों की संख्या में बिकाऊ कांकरेज गाय की लिस्टिंग अपलोड होती है। ऐसे में यहां आपको सबसे सस्ती कांकरेज गाय आसानी से मिल जाएगी।
कांकरेज गाय खरीदने से पहले उसके दूध, ब्यात और लगा लें। इसके अलावा गाय के थनों में कोई समस्या तो नहीं है ये भी चेक कर लें। इसके अलावा कांकरेज गाय को दूध के लिए किसी तरह के इंजेक्शन या दवा तो नहीं दी गई है, ये भी चेक करें।
कांकरेज नस्ल की गाय की कीमत तय करने के लिए आप सबसे पहले उसके दूध और ब्यात देखें। अगर गाय का दूध अच्छा है और वह दूसरे तीसरे ब्यात में है तो उसकी कीमत सबसे अधिक होगी। इसके अलावा गाय की शारीरिक सरंचना और अडर की क्वालिटी भी ठीक से देख कर कीमत तय कर सकते हैं। कांकरेज की कीमत तय करने के लिए उसके दूध की मात्रा को 5000 से गुणा कर दें, अब जो भी कीमत आएगी वह गाय की कीमत हो सकती है। हालांकि कांकरेज गाय की ब्यात अगर दूसरी या तीसरी है तो इसमें 5000 रुपए जोड़ दें और यही काम आप तब भी करें जब गाय के साथ बछड़ी हो। आपको बता दें कि एक सामान्य कांकरेज गाय की कीमत 35000 से लेकर 60000 के बीच हो सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल |
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कांकरेज नस्ल का प्रमुख केंद्र कहां हैं? उत्तरकांकरेज नस्ल का प्रमुख केंद्र भारत के दक्षिण-पश्चिमी भागों बाड़मेर, सिरोही, जालौर तथा जोधपुर के कुछ क्षेत्रों में है। |
क्या कांकरेज देसी गाय है? उत्तरहां कांकरेज एक देसी नस्ल की गाय है और ये सबसे पहले भारत में ही पाई गई थी। |
भारत में कांकरेज गाय की संख्या कितनी है? उत्तरभारत में कांकरेज गाय की संख्या 917081 है। |
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