पशुशाला की धुलाई सफाई के लिये क्या परामर्श है?

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पशुशाला को हर रोज़ पानी से झाड़ू द्वारा साफ़ कर देना चाहिये। इस से गोबर व मूत्र की गंदगी दूर हो जाती है।
पानी से धोने के बाद एक बाल्टी पानी में 5ग्राम लाल दवाई (पोटाशियम पर्मंग्नते) या 50 मिली लीटर फिनाईल डाल कर धोना चाहिये । इस से जीवाणु ,जूं, किलनी तथा विषाणु इत्यादि मर जाते हैं, पशुओं की बीमारियां नहीं फैलती और स्वच्छ दूध उत्पादन में मदद मिलती है।

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पशुओं के प्रमुख रोग और उनके उपचार क्या है ?

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पशुओं को स्वस्थ रखने और रोग से बचाने के लिए कई मुहिम चलाई जाती है। इसमें सरकार से लेकर कई निजी संस्थान पशुओं से जुड़ी बीमारियों की जानकारियां साझा करती हैं। इन मुहिम का लक्ष्य होता है कि पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाना और पशुओं को स्वस्थ रखना। लेकिन फिर भी कई बार सरकार या निजी संस्थान की बात पशुपालकों तक नहीं पहुंच पाती और पशु गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। 

आज हम आपको पशुओं से जुड़ी ऐसी ही कुछ मुख्य बीमारियों के बारे में बताने वाले हैं। जिनके होने से पशुपालक को नुकसान हो सकता है। अगर आप एक पशुपालक हैं और अपने पशुओं को इन गंभीर रोग से बचाना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख पर अंत तक जरूर पढ़ें।  

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पशुओं में होने वाले प्रमुख रोग और उपचार 

पशुओं में ऐसे कई रोग हैं जिनका असर पशुपालकों की आय पर पड़ता है। नीचे हम आपको ऐसे ही रोगों से जुड़ी जानकारी देने वाले हैं। लेकिन इससे पहले हम आपको रोगों के बारे में बताएं। पहले यह जान लीजिए कि पशुओं में कितने तरह के रोग पाए जाते हैं। 

  • संक्रामक रोग यह बहुत तेजी से फैलते हैं।
  • आम रोग जो सभी पशुओं को मौसम बदलने या आहार की वजह से हो सकते हैं। 
  • परजीवी रोग जो जीवाणुओं और परजीवियों से हो सकते हैं। 

संक्रामक रोग और उसके इलाज 

ऐसी बीमारियां जो छुआछूत की वजह से फैलती हैं। उन्हें ही संक्रामक रोग कहा जाता है। ऐसे रोगों से बचाए रखने के लिए पशुओं को संक्रमित पशुओं से दूर रखना चाहिए। इसके अलावा पशु ज्यादातर किसी छुआछूत की बीमारी की चपेट में तब आते हैं जब उनकी साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता। इसके अलावा पशु को खुले में चराने के दौरान भी पशु किसी ऐसी चीज के संपर्क में आ जाता है, जो जीवाणुओं से भरी है। तब भी पशु रोग का शिकार हो जाता है। इसलिए  किसी भी संक्रामक रोग से पशु को बचाने के लिए उनके खाने पीने से लेकर उनकी साफ सफाई का ध्यान रखा जाना चाहिए।  

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गलघोटू रोग के लक्षण और इलाज 

यह रोग अमूमन भैंस और सूअर में दिखाई देती है। यह रोग अक्सर पशुओं को बरसात के दौरान परेशान करता है।

गलघोंटू रोग के लक्षण – इस रोग के होने पर पशु के ऊपर कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे – तापमान बढ़ना, सुस्त होना, गले में सूजन, गले में दर्द रहना आदि। 

गलघोटू इलाज – गलघोटू का इलाज करने के लिए सबसे जरूरी है, कि इस रोग के होते ही डॉक्टर से संपर्क करें। वहीं पशु को इस रोग से बचाने के लिए बरसात से पहले जरूरी टीकाकरण कराएं।

ब्लैक क्वार्टर रोग के लक्षण और इलाज

यह रोग भी पशुओं में बरसात के दौरान ही देखने को मिलता है। आपको बता दें कि यह रोग अधिकतर 18 महीने से छोटी आयु के पशु को होता है। इसके अलावा आम लोगों के बीच ब्लैक क्वार्टर को सुजवा के नाम से भी जाना जाता है। 

ब्लैक क्वार्टर के लक्षण – यह रोग होने पर पशु के कूल्हों में सूजन आने लगती है। इसके अलावा कई बार पशु लंगड़ा कर चलने लगता है। वहीं कई बार सूजन पशु के अलग – अलग हिस्सों में फैलने लग जाती है। इसके अलावा पशु के शरीर का तापमान 104 से 106 डिग्री तक  पहुंच जाता है। 

ब्लैक क्वार्टर का इलाज – इस रोग से संक्रमित पशु को तुरंत चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। इसके अलावा पशु को ब्लैक क्वार्टर रोग से बचाने के लिए बारिश के मौसम से पहले रोग निरोधक टीका भी जरूर लगवाएं। 

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प्लीहा रोग के लक्षण और इलाज 

पशुओं में पैदा होने वाला यह रोग बेहद खतरनाक है। इस रोग के दौरान पशु की अचानक मौत तक हो जाती है। गाय भैंस के अलावा भेड़, बकरी और घोड़े जैसे पशु भी इस रोग के शिकार हो सकते हैं। 

प्लीहा के लक्षण – यह एक ऐसा रोग है जिसमें पशु के शरीर का तापमान 106 से 107 डिग्री तक पहुंच जाता है। इसके अलावा पशु की नाक पूरी तरह से बंद होती है। जिसकी वजह से उसकी मौत हो जाती है। यही नहीं प्लीहा रोग की वजह से शरीर के कई हिस्सों पर सूजन भी आने लगती है। 

प्लीहा के इलाज – इस रोग के होने पर पशुपालक को तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा पशुओं को समय पर रोग निरोधक टीके लगवाने चाहिए। तभी इस रोग से बचा जा सकता है। 

मुंहपका रोग के लक्षण और इलाज

यह रोग बहुत से पशुपालकों को काफी नुकसान पहुंचाता है। भले ही इस रोग के दौरान पशु की मृत्यु की संभावना बेहद कम होती है। लेकिन पशु इस रोग के दौरान कमजोर हो जाता है और उसकी उत्पादक क्षमता बेहद कमजोर हो जाती है। 

मुंहपका के लक्षण – मुंहपका रोग के समय पशु को तेज बुखार हो जाता है। पशु इस दौरान खाने पीने में कोई रुचि नहीं लेता। इसके अलावा पशु के शरीर पर कुछ दाने भी दिखाई दे सकते हैं। 

मुंहपका का इलाज – इस रोग के दौरान पशु के मुंह और पैरों को फिटकरी से धोना चाहिए। इसके अलावा नीम के पत्ते या तुलसी के पत्ते भी इस रोग में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।  इस रोग से बचाए जाने के लिए आप पशु को हर 6 महीने में मुंहपका का टीका लगवाएं। ताकि पशु को यह रोग हो ही नहीं। 

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थनैला रोग के लक्षण और इलाज 

थनैला रोग ज्यादातर दुधारू पशुओं को होता है। इस रोग की वजह से पशु को भयंकर पीड़ा का सामना करना पड़ता है। यह रोग पशु को तब लगता है जब या तो पशु का दूध पूरी तरह न निकाला जाए या फिर पशु को गंदगी वाले स्थान पर बांध दिया जाए। इसके अलावा अगर पशु के थन में किसी तरह की चोट लग जाए तो भी यह थनैला का कारण बन सकता है।

थनैला रोग के लक्षण – इस रोग के दौरान पशु के थनों  का आकार बढ़ जाता है और इनमें सूजन आ जाती है। इस सूजन की वजह से पशु के थनों में बेहद दर्द होता है। इसके अलावा दूध दुहने के दौरान पशु के थनों से खून या पस भी निकलने लगता है और दूध निकालने का रास्ता संकरा हो जाता है।

थनैला का इलाज – पशुपालक भाइयों को बता दें कि इस रोग के दौरान पशु के थनों की सिकाई करनी चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर से भी संपर्क करना चाहिए। थनैला को पशु से बचाने के लिए पशु की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें। अगर थनों का आकार बढ़ता दिखाई दे तो तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। 

संक्रामक गर्भपात के लक्षण और इलाज

गाय भैंस में होने वाली यह समस्या पशुपालकों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाती है। संक्रामक गर्भपात की वजह से हर साल डेयरी उद्योग को भी खासा नुकसान उठाना पड़ता है। 

संक्रामक गर्भपात के लक्षण – गर्भपात होने से पहले पशु की स्थिति बेहद समान ही प्रतीत होती है। लेकिन अचानक पशु को बेचैनी होती है और उसके योनिमुख तरल पदार्थ बहने लगता है। अमूमन यह लक्षण पशु के गर्भ धारण करने के 5 से 6 महीने बाद ही देखने को मिलते हैं। इसके बाद पशु का गर्भपात हो जाता है। 

संक्रामक गर्भपात के इलाज – पशु को संक्रामक गर्भपात के इलाज के लिए पशु की सफाई समय – समय पर करनी चाहिए। अगर पशु का गर्भपात हो गया हो तो उसके अंगों की सफाई सही तरह से करनी चाहिए। 

हमने अपने इस लेख में पशुओं को होने वाले कुछ मुख्य रोगों के बारे में जानकारी दे दी है। अगर आप इसी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो हमारी Animall App को डाउनलोड कर सकते हैं। हमारी इस ऐप से आप पशु बेच और खरीद भी सकते हैं। इसके अलावा पशु चिकित्सक की सहायता भी पाई जा सकती है। अगर आप इस ऐप को डाउनलोड करना चाहते हैं तो इस विकल्प पर क्लिक करें।  

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नाबार्ड डेयरी सब्सिडी लोन क्या है ? कैसे मिलेगा?

योजना के उद्देश्य

  • स्व-रोजगार पैदा करना और डेयरी क्षेत्र के लिए सुविधाएं उपलब्ध करना
  • मिट्टी की उर्वरता और फसल की पैदावार में सुधार के लिए अच्छा स्रोत।
  • गोबर से गोबर गैस, घरेलू प्रयोजनों के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल, इंजन चलने के लिए, अच्छी तरह से पानी के लिए।
  • दूध के उत्पादन के लिए डेयरी फार्म की स्थापना को बढ़ावा देना।

डेयरी फार्मिंग नाबार्ड सब्सिडी योग्यता

  • किसान व्यक्तिगत उद्यमी और असंगठित और संगठित क्षेत्र का समूह हो।
  • एक आवेदक इस योजना के तहत  केवल एक बार सहायता का लाभ उठाने के पात्र होंगे।
  • इस तरह के दो फार्मों की सीमाओं के बीच की दूरी कम से कम 5oo मीटर होनी चाहिए।

दुग्ध उत्पाद बनाने के लिए उपकरण पर सब्सिडी

  • डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत दुग्ध उत्पाद (मिल्‍क प्रोडक्‍ट) बनाने की यूनिट शुरू करने के लिए भी सब्सिडी दी जाती है|
  • योजना के तहत आप दुग्ध उत्पाद की प्रोसेसिंग के लिए उपकरण खरीद सकते हैं|अगर आप इस तरह की मशीन खरीदते हैं और उसकी कीमत 13.20 लाख रुपये आती है तो आपको इस पर 25 फीसदी (3.30 लाख रुपये) की कैपिटल सब्सिडी मिल सकती है|अगर आप एससी/एसटी कैटेगरी से आते हैं तो आपको इसके लिए 4.40 लाख रुपये की सब्सिडी मिल सकती है|

मिल्‍क कोल्‍ड स्‍टोरेज भी बना सकते हैं

  •  आप डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत दूध और दूधे से बने उत्पाद के संरक्षण के लिए कोल्‍ड स्‍टोरेज यूनिट शुरू कर सकते हैं|
  • इस तरह का कोल्ड स्टोरेज बनाने में अगर आपकी लागत 33 लाख रुपये आती है तो इसके लिए सरकार सामान्‍य वर्ग के आवेदक को 8.25 लाख रुपये और एससी/एसटी वर्ग के लोगों को 11 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है|

 डेरी फार्मिंग योजनाएं

1.संकर गायों / साहीवाल, लाल सिंधी, गिर, राठी आदि जैसे स्वदेशी विवरण दुधारू गायों / श्रेणीबद्ध भैंस 10 पशुओं के लिए छोटे डेयरी इकाइयों को बढ़ने के साथ स्थापना।

निवेश: 10 जानवरों की यूनिट के लिए 5.00 लाख रुपये – न्यूनतम इकाई का आकार 2 और अधिकतम 10 जानवरों की सीमा के साथ है।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33 .33%,) के 25% से 10 जानवरों की एक यूनिट के लिए 1.25 लाख रुपये की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी विषय (अनुसूचित जाति के लिए 1.67 लाख रुपये / अनुसूचित जनजाति के किसानों,) । अधिकतम अनुमेय पूंजी सब्सिडी 25000 रुपये 2 पशु इकाई के लिए (अनुसूचित जाति के लिए 33,300 रुपये / अनुसूचित जनजाति के किसानों) है। सब्सिडी इकाई आकार के आधार पर एक यथानुपात आधार पर प्रतिबंधित किया जाएगा।

2.बछिया बछड़ों के पालन – 20 बछड़ों के लिए ऊपर – पार नस्ल, स्वदेशी मवेशियों और वर्गीकृत भैंसों दुधारू नस्लों का विवरण।

निवेश: 20 बछड़ा इकाई के लिए 4.80 लाख रुपये –  5 बछड़ों की न्यूनतम इकाई आकार और 20 बछड़ों की अधिकतम सीमा के साथ।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) की 25% 20 बछड़ों (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 1.60 लाख रुपये) की एक इकाई के लिए 1.20 लाख रुपये की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन। अधिकतम अनुमेय पूंजी सब्सिडी 30,000 रुपये 5 बछड़ा इकाई के लिए (अनुसूचित जाति के लिए 40,000 रुपये / अनुसूचित जनजाति के किसानों) है। सब्सिडी इकाई आकार के आधार पर एक यथानुपात आधार पर प्रतिबंधित किया जाएगा।

3.वर्मीकम्पोस्ट (दुधारू पशु यूनिट के साथ अलग से नहीं दुधारू पशुओं के साथ विचार किया जा छेनी और)।

निवेश:  20,000 / -रु।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%)                     के 25% या 5,000 रुपये की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी विषय – (रुपये      6700 / – अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए)।

4.दुहना मशीनों की खरीद / दूध परीक्षकों / थोक दूध ठंडा इकाइयों (2000 जलाया क्षमता)।

निवेश: 18 लाख रु।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% 4.50 लाख रुपये (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 6.00 लाख रुपये) की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन।

5.स्वदेशी दूध उत्पादों का निर्माण करने के लिए डेयरी प्रसंस्करण के उपकरण की खरीद।

निवेश: 12 लाख रुपये

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% 3.00 लाख रुपये (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 4.00 लाख रुपये) की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन।

6.डेयरी उत्पाद परिवहन सुविधाओं और कोल्ड चेन की स्थापना।

निवेश: 24 लाख रु।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% से 6.00 लाख रुपये (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 8.00 लाख रुपये) की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन।

7.दूध और दूध उत्पादों के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा।

निवेश: 30 लाख रुपये।

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% 7.50 लाख रुपये (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 10.00 लाख रुपये) की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी अधीन।

8.प्राइवेट पशु चिकित्सा क्लीनिक की स्थापना।

निवेश: मोबाइल क्लिनिक के लिए 2.40 लाख रुपये और स्थिर क्लिनिक के लिए 1.80 लाख रुपये।

सब्सिडी: – परिव्यय के 25% (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी 45,000 / – रुपये और 60,000 / रुपये की सीमा  (रुपये 80,000 / – और 60,000 रुपये / – अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए)क्रमश: मोबाइल और स्थिर क्लीनिक के लिए।

9.डेयरी विपणन आउटलेट / डेयरी पार्लर।

निवेश: 56,000 रुपये / –

सब्सिडी: परिव्यय (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 33.33%) के 25% या14,000 रुपये की सीमा के रूप में वापस समाप्त पूंजी सब्सिडी विषय – (रुपये 18600 / – अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए)।

नाबार्ड डेयरी फार्मिंग सब्सिडी |ऑनलाइन आवेदन फॉर्म, रजिस्ट्रेशन 2020  

  • सबसे पहले नाबार्ड की आधिकारिक वेबसाइट(https://www.nabard.org/) पर जाएँ
  • मेनू में जाकर ” Govt. Sponsored Schemes” लिंक पर क्लिक करें
  • इसके बाद “Dairy Entrepreneurship Development Scheme” लिंक पर क्लिक करें
  • अब दी गई सारी जानकारी ध्यानपूर्वक पढ़ें
  • उसी पेज में नीचे जाकर आवेदन पात्र का प्रारूप डाउनलोड करें और आवेदन कर दें
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पशु खरीदते समय पशु की उम्र कैसे जानें ?

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एक किसान और पशुपालक की आय का बड़ा हिस्सा पशु के जरिए प्राप्त दूध एवं दूध से बने उत्पादों से ही आता है। ऐसे में पशुपालक पशु खरीदते समय उनके दूध की मात्रा का तो ख्याल करते हैं। लेकिन पशु की आयु के बारे में पता नहीं लगाते। जिसकी वजह से कई बार पशुपालक एक बूढ़ी गाय या भैंस खरीद लेते हैं। ऐसे में एक बूढ़ी गाय या भैंस कई बार कुछ ही महीनों में मर जाती है। जिसके चलते पशुपालक को आर्थिक नुकसान हो जाता है। इसलिए पशुपालक को हमेशा एक कम उम्र की ही गाय या भैंस खरीदनी चाहिए।

अब सवाल उठता है कि गाय या भैंस की उम्र का पता कैसे लगाया जाए। अगर आप भी ऐसे ही किसी सवाल से परेशान हैं तो आपकी इस समस्या का अंत हम अपने इस लेख में करने वाले हैं। हम इस लेख के माध्यम से न केवल आपको बताएंगे कि आप किस तरह गाय भैंस की उम्र का पता लगा सकते हैं। बल्कि यह भी बताएंगे कि गाय या भैंस का पूरा जीवन काल है वह कितने साल का होता है। इन सब के अलावा अगर आप एक सही पशु खरीदना या बेचना चाहते हैं तो यह ऑनलाइन कैसे कर सकते हैं, यह भी बताएंगे। 

गाय भैंस का पूरा जीवन काल कितना होता है 

एक पशुपालक को यह मालूम होना चाहिए कि एक भैंस या गाय की उम्र अधिकतम 20 से 22 साल ही हो सकती है। इस आयु के बाद भैंस का जीवित रहना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है। अगर पशुपालक भैंस या गाय को खरीदने का विचार बना रहे हैं तो ध्यान रहे कि हमेशा कम उम्र का ही पशु खरीदें। 

गाय भैंस की उम्र पता लगाने का तरीका 

भैंस की उम्र कम है या अधिक यह उसके सामने के दांतों को देखकर पता लगाया जा सकता है। आपको बता दें कि भैंस के आगे 8 दांत होते हैं। भैंस की उम्र जब छोटी होती है, तो उसके दांतों का आकार तिकोना होता है। वहीं अगर भैंस युवावस्था में है तो उसके दांतों का आकार चौकोर होगा।  इसके अलावा दूध के दांत और बाद में आए दांतों में कई भिन्नताएं हो सकती हैं। आपको बता दें कि दूध के दांत दिखने में छोटे होते हैं। वहीं बाद में आए दांत बड़े होते हैं।  

पता हो कि भैंस के दांत जोड़ों में आते हैं। जब भैंस की आयु 2 साल होती है,तो उसके दूध के दो दांतों की जगह 2 स्थाई दांत आ जाते हैं। इसके बाद भैंस की आयु तीन साल के होने पर उसके 4 स्थाई दांत आ जाते हैं। वहीं जब भैंस की आयु 4 साल होती है, तो भैंस के 6 चौकोर दांत आ जाते हैं। भैंस की उम्र 5 साल होने पर भैंस के 8 दांत आ जाते हैं। यही प्रक्रिया भैंस के पूरे जीवन काल तक देखने को मिलती है। इसी तरह जब भैंस बूढ़ी हो जाती है तो स्थाई दांत भी घिसने लगते हैं। उम्र के साथ सभी स्थाई दांत भी घिस जाते हैं। पशुपालक भैंस के दांतों को देखकर उनकी आयु का अंदाजा लगा सकते हैं और यह तय कर सकते हैं कि उन्हें भैंस खरीदने हैं या नहीं। 

किसान और पशुपालक भाई जो भैंस या गाय की आयु को लेकर चिंतित हैं। वह पशु Animall App के जरिए खरीद सकते हैं। ऐप पर आपको पशु की आयु से लेकर उससे जुड़ी संपूर्ण जानकारियां मिल जाएंगी। यही नहीं अगर आप किसी पशु को बेचना चाहते हैं या किसी पशु को लेकर चिकित्सक की सलाह लेना चाहते हैं तो आप यह भी ऐप के जरिए कर सकते हैं। Animall App को डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 

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गाय-भैंस का ठंड जुकाम का घरेलू तरीके से कैसे इलाज करें?

प्रदेश में इस समय कड़ाके के ठंड पड़ रही है, अपने साथ ही अपने पालतू पशुओं के पास का भी खयाल रखना चाहिए।

ठंड के मौसम में पशुओं को कभी भी ठंडा चारा व दाना नहीं देना चाहिए, क्योंकि इससे पशुओं को ठंड लग जाती है। पशुओं को ठंड से बचाव के लिए पशुओं को हरा चारा व मुख्य चारा एक से तीन के अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए।

ठंड के मौसम में पशुपालकों को पशुओं के आवास प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें। पशुशाला के दरवाजे व खिड़कियों पर बोरे लगाकर सुरक्षित करें। जहां पशु विश्राम करते हैं वहां पुआल, भूसा, पेड़ों की पत्तियां बिछाना जरूरी है। ठंड में ठंडी हवा से बचाव के लिए पशु शाला के खिड़कियों, दरवाजे तथा अन्य खुली जगहों पर बोरी टांग दें। सर्दी में पशुओं को सुबह नौ बजे से पहले और शाम को पांच बजे के बाद पशुशाला से बाहर न निकालें।

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