जानिए क्या हैं दूध निकालने वाली मशीन के फायदे

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तकनीक के इस युग ने न केवल इंसान के काम को आसान बना दिया है। बल्कि यही तकनीक लोगों का बहुत सा कीमती समय भी बचा रही  है। इसके अलावा उत्पादकता बढ़ाने में भी तकनीक का एक अहम योगदान है। आज तकनीक का उपयोग देश के हर हिस्से अलग – अलग स्तर पर किया जा रहा है। आज ऐसी ही तकनीक के कुछ फायदे हम आपको बताने वाले हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं दूध निकालने वाली मशीन के बारे में।

आज देश के बड़े – बड़े हिस्सों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक दूध दुहने की मशीन पहुंच चुकी है। लेकिन फिर भी कुछ लोग दूध दुहने की इस मशीन का उपयोग करने से कतराते हैं। आज हम ऐसे ही लोगों के लिए यह लेख लेकर आए हैं। हमारे इस लेख में हम आपको दूध दुहने की मशीन के फायदे क्या हो सकते हैं। यह बताने वाले हैं। दूध दुहने की मशीन के फायदे जानने के लिए हमारे लेख पर अंत तक बने रहें। 

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मशीन के जरिए दूध निकालने के फायदे 

पशुपालन के जरिए आय अर्जित करने वाले ज्यादातर लोग कई तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं। पशुपालकों की इन्हीं चुनौतियों को कम करने और उनकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कई तरह की मशीन या तकनीक आती रहती है। ऐसी ही एक मशीन दूध दुहने के लिए भी आई है। इस मशीन का उपयोग करने वाले बहुत ही कम लोग है। इसलिए इस मशीन के जरिए क्या फायदे हो सकते हैं, यह भी लोग नहीं जानते। इसलिए हम आपको बताते हैं कि दूध दुहने की मशीन के फायदे क्या हैं।

  • दूध निकालने की इस मशीन का उपयोग कई पशुओं पर किया जा सकता है। यानी कि अगर आप एक बड़ी डेयरी के मालिक हैं तो आपको इसके लिए अधिक लोग रखने की जरूरत नहीं होगी। यह मशीन आसानी से कुछ ही देर में कई पशुओं का दूध निकाल पाएगी। 
  • यह मशीन एक वैक्यूम तकनीक के जरिए ही काम करती है। इसके लिए किसी तरह की बिजली या ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता नहीं होती। 
  • मशीन चलाने में जितनी सरल है उससे कहीं ज्यादा आसान है इस मशीन को साफ करना। यानी आपको मशीन की साफ सफाई में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। 
  • इस मशीन के जरिए निकाला गया दूध अधिक शुद्ध और साफ रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मशीन का एक सिरा जहाँ थनों पर लगा होता है। वहीं इसका दूसरा सिरा एक मुंह बंद कंटेनर में होता है। जिससे दूध में कुछ भी गिरने की संभावना कम हो जाती है। 
  • इस मशीन के जरिए दूध दुहने से दूध की मात्रा 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि दूध निकालने के लिए वैक्यूम तकनीक का उपयोग किया जाता है। जिसकी वजह से थनों से पूरा दूध आसानी से निकल जाता है। 
  • मशीन के जरिए दूध निकालना इसलिए भी फायदेमंद है क्योंकि इस तकनीक के जरिए एक मिनट में 1.5 से 2.0 लीटर तक दूध निकाला जा सकता है। 
  • दूध में बाहरी कण नहीं गिरते जिसकी वजह से दूध अधिक साफ और शुद्ध होता है। 

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क्या अजोला से पशुओं में दूध बढ़ा सकते है ?

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अजोला में मौजूद पोषक तत्व पशुओं के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। इसमें लगभग 30 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा होती है साथ ही लाइसिन, अर्जिनीन और मेथियोनीन से भरपूर है। अजोला में लिग्निन की सूक्ष्म मात्रा से पशुओं में पाचन सरलता से होता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि यूरिया की जगह अजोला का प्रयोग किया जाए तो फिर उत्पादन भी अच्छा होता है। क्योंकि इसमें नाइट्रोजन की मात्रा 30 फीसदी होती है, इसके अतिरिक्त खनिज भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं।

दूध उत्पादन में उपयोगी अजोला-

दूध उत्पादन में अजोला काफी उपयोगी है। इससे दूध में वसा की मात्रा बढ़ती है। अजोला के चलते दूध का उत्पादन बीस फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। संकर नस्लीय गायों में अजोला की सहायता से खर्च भी कम होता है साथ ही दूध का उत्पादन भी 35 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इसे राशन के साथ समान अनुपात में मिलाकर पशु को खिलाया जा सकता है। इस प्रकार महंगे राशन से खर्च कम किया जा सकता है।

शुद्ध प्रजाति का इस्तेमाल-

यदि अजोला की शुद्ध प्रजाति का इस्तेमाल किया जाए तो इससे अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसका अधिक उत्पादन लेने के लिए इसकी कटाई 1 सेमी. पर कर दें। भारत में अजोला की औसत लंबाई 2 से 3 सेमी. तक होती है।

महत्वपूर्ण तथ्य-

यदि अजोला की बात करें तो यह देश में चारा की उपलब्धता कम खर्च में बढ़ाई जा सकती है। इसे अधिक सरलता से बढ़ाया जा सकता है। इसे गाय, भैंस, बकरी आदि के लिए अच्छा चारा के रूप में दिया जा सकता है। इसे तालाब, नदी और गड्ढे में आसानी से उत्पादित किया जा सकता है। अजोला को रबी और खरीफ के मौसम में आसानी से उगा सकते हैं। यह रासायनिक खाद का एक विकल्प के तौर पर है। इसके उपयोग से पशुओं में बांझपन की समस्या में कमी लायी जा सकती है।

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कैसे उगाएं अजोला-

नेशनल रिसोर्स डेवलेपमेंट विधि के अनुसार इसे प्लास्टिक शीट के साथ 2 मी.X 2मी. X 0.2मी का क्षेत्र तैयार कर इसमें 15 किग्रा. तक उपजाऊ मिट्टी डालते हैं। फिर इसे 2 किग्रा. गोबर और 30 ग्राम सुपर फास्फेट डालते हैं। इसके बाद में पानी डालकर इसका स्तर 10 सेमी. तक पहुंचा दिया जाता है। अब अजोला की एक किग्रा. की मात्रा को डालते हैं। देखते ही देखते 10 से 15 दिन बाद अजोला की लगभग आधा किलो मात्रा मिलनी शुरु हो जाती है। अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 20 ग्राम सुपर फास्फेट तथा एक किग्रा. की मात्रा हर पांच साल बाद डालनी चाहिए।

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गाय – भैंस का दूध निकलेगा आटोमेटिक तरीके से ||Automatic Milk Parlour ||

 
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