जानिए क्या है कृत्रिम गर्भाधान का सही तरीका और सावधानियां

feature-image

देश में डेयरी उद्योग और पशुपालन तेजी से फल फूल रहा है। इसलिए  सरकार भी डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती रहती है। लेकिन इन सब के बावजूद कई बार पशु समय पर गर्भधारण नहीं कर पाता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब पशु हीट पर होता है, तो पशुपालकों को बैल या सांड नहीं मिलता।

जिसके चलते पशुपालक समय पर दूध का काम शुरू नहीं कर पाते और उन्हें आर्थिक रूप से काफी नुकसान होता है। इसलिए आज हम यह लेख लेकर आए हैं। आज हम अपने इस लेख मे हम पशुपालक को कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी हुई जानकारी देने वाले हैं। यह एक ऐसा अनोखा तरीका है। जिसके जरिए बिना नर पशु के मादा पशु को गाभिन किया जा सकता है। आइए जानते हैं कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और तरीका। और पढ़ें

क्या है कृत्रिम गर्भाधान

आपको बता दें कि यह आज के समय में पशु को सबसे जल्दी गाभिन करने का तरीका है। इस प्रक्रिया के अंदर बैल या सांड का वीर्य लेकर मादा पशु के शरीर में संचित कर दिया जाता है। इसके जरिए पशु आसानी से गर्भ धारण कर लेता है। इस प्रक्रिया के दौरान नर और मादा पशु का आपस में संभोग करना जरूरी नहीं होता। आपको जानकर हैरानी होगी कि वीर्य तरल नाइट्रोजन में कई सालों तक सुरक्षित रहता है। इसी प्रक्रिया को कृत्रिम गर्भाधान कहा जाता है। 

कृत्रिम गर्भाधान के फायदे 

वह किसान और पशुपालक जो अपनी मासिक आय को बढ़ाना चाहते हैं या फिर अपने पशु के दूध की उत्पादन क्षमता को बेहतर करना चाहते हैं। उनके लिए कृत्रिम गर्भाधान काफी फायदेमंद हो सकता है। दरअसल इस तकनीक के जरिए पशुपालक किसी विदेशी सांड का वीर्य भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जिससे दूध उत्पादन क्षमता तो बेहतर होगी ही। इसके अलावा भैंस की आगे की नस्ल भी बेहतर हो जाएगी। इसके साथ ही पशु के जरिए पूरे साल में जहां कुछ गिनी चुनी भैंस या गाय को गाभिन किया जाता है। वहीं इस तकनीक के जरिए एक साल में हजारो पशुओं को गाभिन किया जा सकता है। और पढ़ें

कृत्रिम गर्भाधान का तरीका और सीमाएं 

कृत्रिम गर्भाधान के लिए भले ही पशु की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन इसमें कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है। इसके अलावा एक पशु चिकित्सक और टेक्नीशियन की जरूरत पड़ती है। इसके साथ ही कुछ उपकरणों की भी आवश्यकता पड़ती है। यही नहीं पशु की साफ सफाई भी ठीक से होनी जरूरी है। अगर इन बातों का ध्यान न रखा जाए तो पशु गाभिन नहीं हो पाता।   

कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें 

  1. कृत्रिम गर्भाधान के दौरान ध्यान रखें कि मादा पशु ऋतु चक्र में हो। 
  2. पशु चिकित्सक गर्भाधान से पहले गन की सफाई अच्छी तरह से करें। 
  3. गन को सही जगह रखें और वीर्य को अंदर छोड़ दे। 
  4. गर्भाधान के लिए कम से कम 10 से 12 मिलियन तक शुक्राणु आवश्यक होते हैं। 

हमें उम्मीद है कि आप कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी सारी बातें समझ गए होंगे। अगर आप ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करना चाहते हैं, या फिर पशु खरीदना और बेचना चाहते हैं तो आप हमारी Animall App डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप डाउनलोड करने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करें। और पढ़ें

… और पढ़ें arrow

दुधारू पशुओं मे बांझपन का कारण और उपचार क्या है ?

feature-image

झडेयरी उद्योग से जुड़े हुए लोगों की आय केवल तभी बढ़ सकती है। जब पशु सही मात्रा में दूध दे और उसके जरिए कुछ दूसरे उत्पाद भी तैयार किए जा सकें। लेकिन यह इतना सरल नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज के समय में बहुत से पशु बांझपन का शिकार हो जाते हैं। जिसकी वजह से डेयरी उद्योग को खासा नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं छोटे स्तर पर पशुपालन करने वाले लोगों पर तो इसका और भी बुरा असर पड़ता है।

 पर ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गाय या भैंस बांझपन का शिकार क्यों हो जाती हैं और क्या इस बांझपन का कोई उपचार भी है। अगर आपके जेहन में भी यही सवाल घूमते रहते हैं तो आप बिल्कुल सही स्थान पर आए हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि पशु बांझपन का शिकार क्यों हो जाते हैं और इसका उपचार क्या किया जा सकता है। पशु बांझपन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। 

ये भी पढ़ें : डेयरी फार्मिंग ट्रेनिंग – 7 |मंडी से पशु कैसे खरीदें।। रखें ये बातें का ध्यान।।

पशु में बांझपन के कारण

पशुओं में बांझपन वह स्थिति है, जिसमें पशु या तो गर्भधारण नहीं कर पाता या फिर पशु का बार – बार गर्भपात हो जाता है। पशुओं में बांझपन की समस्या के कुछ निम्नलिखित कारण हैं जो कुछ इस प्रकार हैं। 

  • जब मादा पशु कुपोषण का शिकार होती है तो उसके लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। 
  • कुछ पशुओं में बांझपन की समस्या जन्म से ही होती है। इसे जन्मजात दोष भी कहा जा सकता है। 
  • पशु के आहार में की गई लापरवाही भी पशु के बांझपन का कारण बन सकती है। 
  • अगर पशु के शरीर में हार्मोन असंतुलित हो तो इसकी वजह से भी पशु बांझपन का शिकार हो सकता है। 
  • पशु की देखरेख में की गई लापरवाही या फिर किसी रोग के चलते भी पशु बांझपन का शिकार हो जाता है।   

ये भी पढ़ें : डेयरी फार्मिंग ट्रेनिंग – 6 |भैंस और गायों कैसे ख़रीदे

पशु के बांझपन हेतु उपाय और उपचार 

ऐसा कई बार होता है कि पशु पूरी तरह बांझपन का शिकार नहीं होता। बल्कि कुछ दूसरे कारणों के चलते गर्भधारण नहीं कर पाता। ऐसे में पशुपालक भाई कुछ उपाय या उपचार को अपनाकर पशु को ठीक कर सकते हैं। यह उपाय कुछ इस प्रकार हैं। 

  • पशु को बांझपन से बचाने का सबसे आसान तरीका है कि उसकी ब्रीडिंग हीट के समय पर ही कराई जाए। 
  • पशु के   हीट में न आने पर पशु चिकित्सक से बात करनी चाहिए। 
  • अगर पशु के पेट में कीड़े हो गए हों तो डीवॉर्मिंग कराए और उसके बाद आने वाली हीट को खाली जाने दें।
  • पशु को बांझपन की समस्या से बचाने के लिए उसे सही मात्रा में प्रोटीन और खनिज पदार्थ देने चाहिए। ऐसा करने से पशु में बांझपन की समस्या खत्म हो सकती है। 
  • पशु की ब्रीडिंग के बाद 60 से 90 दिनों बाद पशु चिकित्सक से पशु के गर्भ की जांच कराएं। 
  • पशु को बांझपन से बचाने के लिए अधिक गर्म तापमान में न रखें।  

आशा करते हैं आप समझ गए होंगे कि पशु के बांझपन का क्या कारण है और इसके उपाय क्या हैं। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो और आप ऐसी जानकारी पढ़ते रहना चाहते हैं तो आप हमारी Animall App डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप के माध्यम से आप पशु खरीद और बेच तो सकते ही है। इसके साथ ही पशु चिकित्सक से भी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। एनिमॉल ऐप डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।   

ये भी पढ़ें : डेयरी फार्मिंग ट्रेनिंग – 5 |डेयरी फार्म गाय से शुरू करें या भैंस से ?

… और पढ़ें arrow

पशु में गर्भपात होने से कैसे बचाये?

feature-image

1.नए पशु को फार्म में लाने से पहले बीमारी की जांच अवश्य करवाएं एवं उन्हें कम से कम एक माह तक अलग रखें।
2.4 से 6 माह की बछिया को ब्रुसेल्ला अबॉरटस स्ट्रेन 19 का टीका अवश्य लगवाएं।
3.पशु के गर्भपात होने पर उसके भ्रूण, जेर व गर्भनाल को गड्ढा खोद कर उचित तरीके से दबाएं व गर्भपात वाले स्थान को किसी भी कीटाणु नाशक घोल अथवा फिनाइल से साफ़ करें।
4.पशुओं के दूध खून की नियमित जांच करवाएं व पशु चकित्सक की सलाह लें।
6.गाभिन पशु को संतुलित आहार, विटामिन एवं खनिज उचित मात्रा में दें।
7.गर्भपात की स्थिति में पशु को चिन्हित कर पशु चिकित्सक की सलाह से पैथोलॉजी के माध्यम से उचित निदान करा कर उपचार करवाएं।
8.पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान का उपयोग कर गर्भपात की समस्या से बचा जा सकता है।

… और पढ़ें arrow

पशुओं में गर्भपात के कारण क्या क्या है?

feature-image

प्रसव के सामान्य काल से पूर्व गर्भ के नष्ट हो जाने को गर्भपात कहा जाता है। गाय तथा भैंसों में कई संक्रामक बीमारियों के कारण गर्भपात हो सकता है। पशुओं में गर्भपात के कारण न केवल नवजात बल्कि दूध का भी नुकसान होता है। इसके कारण किसान भाईयों को आर्थिक संकट होता है, गर्भपात का कोई निश्चित काल नहीं है यह गर्भकाल के किसी भी समय हो सकता है।

गौरतलब है कि अक्सर पहली तिमाही में हुए गर्भपात का पता नहीं चल पाता, क्योंकि इस समय तक भ्रूण का पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाता। विभिन्न प्रकार के जीवाणु, विषाणु, फफूंद व परजीवी भी पशुओं में भ्रूण की क्षति करते हैं। वैसे तो पशुओं में गर्भपात के अनेक कारण हैं पर कुछ प्रमुख कारणों का विश्लेषण निम्नलिखित है।

ब्रुसेल्लोसिस

यह रोग पशुओं में गर्भपात के प्रमुख कारणों में से एक है। यह रोग ब्रुसेल्ला नामक जीवाणु से होता है। ब्रुसेल्ला के संक्रमण के बाद गर्भपात गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में होता है उसके बाद पशुओं में जेर रुक जाती है, इसके अतिरिक्त यह जोड़ों में सूजन भी पैदा कर सकता है। यह संक्रमण स्वस्थ पशुओं में पहले से ही संक्रमित पशुओं के गर्भनाल, भ्रूण, योनि स्राव के संपर्क में आने से फैलता है। मुख्यत: यह अनुभव किया गया है कि इस संक्रमण के कारण पशु में एक ही बार गर्भपात होता है व अगली बार ब्यात बिलकुल सामान्य होती है, कई पशुुओं में जेर सही समय पर नहीं निकलती। यह रोग पशुओं से मनुष्यों में भी फ़ैल सकता है तथा बुखार एवं जोड़ों में दर्द का कारण हो सकता है। पशुओं में इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है।

ट्रायकोमोनियसिस

यह बीमारी ट्रायकोमोनास नमक प्रोटोजोआ के कारण होती है। इस संक्रमण से पशुओं में गर्भावस्था के प्रथम तिमाही में गर्भपात हो जाता है जिसके कारण पशु पालक को गर्भपात का पता नहीं चल पाता। गर्भपात के बाद गर्भाशय में मवाद बन जाती है, पशु बांझपन या अनियमित ऋतु चक्र के लक्षण दिखाता है। यह संक्रमण मादा पशुओं में संक्रमित नर के द्वारा प्रजनन के दौरान होता है। रोग के उपचार हेतु पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, बचाव हेतु कृत्रिम गर्भाधान की सलाह दी जाती है।

विब्रियोसीस

यह बीमारी विब्रियो नामक सूक्ष्म जीव से होती है, यह गर्भपात के साथ-साथ बांझपन व भ्रूणीय क्षय का भी कारण हो सकती है। यह बीमारी कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा गाभिन पशुओं में कम देखने को मिलती है, एंटीबायोटिक्स से इस बीमारी का समाधान किया जा सकता है।

गर्भपात के कुछ अन्य कारण

  • कोर्टीसोन, प्रेडनिसोलोन आदि के उपयोग से गाभिन पशु में गर्भपात हो सकता है।
  • संतुलित आहार एवं विटामिन व खनिज की कमी से।
  • अनेक संक्रमणों के कारण उत्पन्न ज्वर से भी पशुओं में गर्भपात हो सकता है।
  • गाभिन पशु को चोट लगने से।
  • प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन की कमी से।
  • भ्रूण की नाल घूमने से।
  • गलत समय पर एवं अप्रशिक्षित व्यक्ति से जननांगों की जांच अथवा कृत्रिम गर्भाधान करवाने से।
  • जुड़वाँ बच्चों के कारण।
  • अनेक प्रकार के हरे चारे जैसे ज्वार, इसमें एस्ट्रोजन नामक हार्मोन की मात्रा अधिक होती है, गर्भावस्था के दौरान इस तरह के चारे का अधिक सेवन करने वाले पशुओं में गर्भपात हो सकता है।
… और पढ़ें arrow

विब्रियोसीस (vibriosis) क्या है और इससे कैसा बचा सकते है?

feature-image

किसान या पशुपालन करने वाले ज्यादातर लोगों को कई बार आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। किसानों को होने वाले इस नुकसान के कई कारण हो सकते हैं, जैसे गाय की दूध उत्पादन क्षमता घटना, गाय का दूध दूषित होना या फिर गाय का गर्भपात होना आदि। आज हम अपने इस लेख में पशुपालक की इन्हीं समस्याओं में से एक के बारे में बात करने वाले हैं।

दरअसल हम बात कर रहे हैं गाय के गर्भपात होने की स्थिति के बारे में। पशुपालन से जुड़े लोग अक्सर देखते हैं कि, गाय का गर्भपात गर्भधारण करने के तीसरे महीने के आस पास होता है। आपको बता दें कि यह विब्रियोसिस नामक रोग के चलते होता है। आज हम जानेंगे कि इस रोग का कारण क्या है और आखिर किस तरह से पशु को इस रोग से बचाया जा सकता है।

क्या है विब्रियोसीस 

विब्रियोसीस एक ऐसा रोग है, जिसमें गर्भधारण करने के तीन महीने बाद पशु का गर्भपात हो जाता है। आपको बता दें कि विब्रियोसीस नामक यह रोग विब्रियो नाम के सूक्ष्म जीव के जरिए ही पैदा होता है। पशु को यह रोग अमूमन संक्रमित भैंसे या सांड से होता है। इस रोग की वजह से न केवल पशु का गर्भपात हो जाता है। बल्कि इसकी वजह से कई बार पशु पूरी तरह बांझपन का भी शिकार हो जाता है। 

विब्रियोसीस किस तरह का रोग है 

पशुपालन करने वाले भाइयों को बता दें कि यह बहुत ही संक्रामक रोग है जो बहुत तेजी से फैलता है। इस रोग के होने पर स्वस्थ पशुओं को संक्रमित पशु से दूरी पर बांध देना चाहिए। अगर ऐसा समय रहते न किया जाए, तो इसकी वजह से स्वस्थ पशु भी इस रोग की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा पशुपालक इस बात का खास ध्यान रखें कि  किसी भी स्थिति में संक्रमित पशु का कम से कम 6 महीने तक गर्भधारण नहीं करवाना चाहिए। 

विब्रियोसीस रोग का उपचार और बचाव का तरीका 

किसान और पशुपालक भाई अपने पशु को इस रोग की चपेट में आने से बचा सकते हैं। इसके लिए पशुपालक पशु का केवल कृत्रिम गर्भाधान ही कराएं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह रोग अमूमन एक संक्रमित भैंसे या सांड के संपर्क में आने से ही होता है। इसलिए हमेशा पशु का कृत्रिम गर्भाधान ही कराएं।

अगर आपका पशु इस गंभीर रोग से पीड़ित हो चुका है, तो आपको निश्चित रूप से चिकित्सक की सलाह की जरूरत पड़ेगी। ध्यान रहे कि किसी भी तरह की देसी दवा या उपाय इस समस्या का अंत नहीं कर सकता। आपको बता दें कि अमूमन डॉक्टर विब्रियोसीस की समस्या से पशु को छुटकारा दिलाने के लिए एंटीबायोटिक दी जाती है। अगर आप किसी तरह की दवा खुद भी देने की सोच रहे हैं तो पहले पशु चिकित्सक से जरूर बात कर लें। 

आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई विब्रियोसीस रोग से जुड़ी जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो आप ऐसी जानकारी हमारी ऐप पर भी पड़ सकते हैं। आपको बता दें कि हमारी एनिमॉल ऐप आपको कई तरह से फायदे दे सकती है जैसे पशु खरीदना, पशु बेचना या पशु से संबंधित चिकित्सीय सलाह लेने के लिए आदि। अगर आप Animall App डाउनलोड करना चाहें तो इस विकल्प पर क्लिक करके कर सकते हैं। 

… और पढ़ें arrow