अधिकांश पशुपालक अपने पशुओं को आहार के तौर पर भूसा खिलाते हैं। लेकिन पशुपालक इस बात से अनजान रहते हैं कि सिर्फ भूसा खिलाने से पशु को पूरा न्यूट्रिशन नहीं मिल पाता है। इसके लिए और भी कई स्वास्थ्यवर्धक चीजें पशुओं के आहार में शामिल करनी चाहिए। जिससे वह स्वस्थ रहे और दूध उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके। इसलिए आज इस लेख में हम पशुपालकों को एक ऐसी खास चीज के बारे में बताएंगे जिससे पशु को भरपूर न्यूट्रिशन मिलेगा। वह खास चीज है मक्खन और जई घास। यह डेयरी फार्मिंग के लिए रीड की हड्डी मानी जाती है। इस लेख में हम आपको जई और मक्खन घास से होने वाले फायदे के बारे में बताएंगे। इसके साथ ही इस घास को कब और कैसे तैयार करें, इसकी खेती कैसे कर सकते हैं और कितनी जगह में इसे उगा सकते हैं आदि इससे जुड़ी सभी तरह की जानकारी आज हम आपको इस लेख में देने वाले हैं। बस आप पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
अंतर्वस्तु : |
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1. पशुओं में जई और मक्खन घास के फायदे? |
2. घास कब उगाई जाती है? |
3. घास उगाने के लिए खेत को कैसे तैयार करें? |
4. घास को कितने क्षेत्रफल में लगा सकते हैं? |
5. घास उगाने के लिए कितनी बार पानी दिया जाता है? |
6. घास एक बार बिजाई करने के बाद कितनी कटाई देती है? |
हरे चारे का मौसम ग्रीष्मकाल और शीतकाल दोनों में होता है। अक्टूबर से मार्च महीने के मौसम में जई और मक्खन घास को उगा सकते हैं। जई और मक्खन घास की बिजाई एक साथ की जाती है।
जमीन को सबसे पहले पूरी तरीके से समतल कर देना चाहिए। खाली खेत में दो बार रोटावेटर चला दें। इसके बाद खेत को जुताई के बाद सूखने दें। ध्यान रहे उसमें पानी नहीं लगना चाहिए। उसके बाद जई और मक्खन घास के बीज के एक साथ छींटा मारें। जई और मक्खन घास का बीज बहुत ही हल्का होता है। इसीलिए उसमें थोड़ी सी मिट्टी मिलाकर एक साथ छींटा मारना चाहिए। बाद में जई का छींटा मार दें। उसके बाद पानी लगा देना चाहिए।
1 एकड़ में मक्खन घास को 8 किलो तक लगाया जा सकता है। वहीं, जई 6 से 7 किलो के बीच डाली जाती है। आठ कनाल मक्खन घास के साथ 64 से 75 किलो जई घास उगाई जा सकती है।
जई और मक्खन घास तैयार करने के लिए 6 से 7 बार तक पानी दिया जाता है। शुरुआत में 35 दिन तक पानी देने की आवश्यकता नहीं होती। इसके बाद हफ्ता 10 दिन 15 दिन के अंतराल में पानी दे सकते हैं। खेत के हिसाब से पानी देना ज्यादा उचित होता है। गोबर की खाद डालना इसमें सबसे अच्छा माना जाता है। यूरिया और पेस्टीसाइड के इस्तेमाल से बचना चाहिए। जिससे की शुद्ध घास मिल सके।
40 से 45 दिन के बीच में इसकी पहली कटाई होती है। जब पहली कटाई होती है तब थोड़ा छोटा होता यानि लगभग दो से ढाई फीट का होता है। पहली कटाई के बाद इसकी ग्रोथ बढ़ती है। फिर यह जल्दी तैयार होने लगती है। 10 से 20 दिन के अंदर इसकी कटाई की जा सकती है। मक्खन घास 6 से 8 बार कटाई देती है और जई की कटाई 2 से 3 बार होती है। मक्खन घास में चिकनापन बहुत ज्यादा होता है। उसी जगह जई घास बहुत ही रफ होती है। जब दोनों को एक साथ काटा जाता है तो बहुत ही अच्छे तरीके से बारीक कटाई हो जाती है।
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