पशुओं को कितना चारा पानी देना चाहिए ?

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निम्न लिखित अनुसूची अपनाई जानी चाहिए:-
(क) रोज़ का आहार 3-4 भागों में बांटना चाहिए|
(ख) दाना दो बराबर भागों में दिया जाना चाहिए|
(ग) सूखा व हर चारा अच्छी तरह मिलाकर देना चाहिए|
(घ) कमी के समय साईंलेज दिया जाना चाहिए|
(ङ) चारा खिलने के बाद ही दाना देना चाहिए|
(च) औसतन वज़न की गाय को 35-40 लीटर प्रतिदिन पानी की आवश्यकता होती है|

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पशु लोन के लिए क्या दस्तावेज होना जरुरी है ?

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भारत सरकार द्वारा किसानों और पशुपालकों के लिए बहुत सी योजनाएं चलती रहती है। इन योजनाओं के जरिए पशुपालकों को कई तरह से आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाती हैं। वहीं कुछ योजनाओं में पशु खरीदने या डेयरी निर्माण के लिए लोन तक दिया जाता है। लेकिन ज्यादातर पशुपालक इन योजना का लाभ ले ही नहीं पाते।

ऐसा इसलिए क्योंकि पशुपालकों को यह समझ ही नहीं आता कि लोन हेतु किस तरह के दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। वहीं कई मामलों में तो किसानों और पशुपालकों को बैंक के कर्मचारी भी गुमराह करते रहते हैं। पशुपालकों की इसी समस्या का अंत करने के लिए आज हम यह लेख लिख रहे हैं। अगर आप भी किसी सरकारी या निजी बैंक के जरिए किसी योजना से जुड़ा लोन लेने की सोच रहे हैं तो यह लेख आपके लिए है। 

जानिए SBI से पशुपालन के लिए लोन कैसे ले सकते हैं

पशु लोन के लिए दस्तावेज

किसान और पशुपालक भाइयों को यह बता दें कि किसी भी योजना में आवेदन हेतु पहले अपनी पात्रता जांच लेना बहुत जरूरी है। अगर आप योजना या लोन के लिए पात्रता नहीं रखते तो दस्तावेज होने के बाद भी आपको लोन नहीं मिलेगा। इसलिए किसी भी योजना में आवेदन की योग्यता क्या होनी चाहिए। इसके बारे में संपूर्ण जानकारी लेनी जरूरी है। 

  • अगर आप एक पशुपालक हैं और बैंक से लोन लेना चाहते हैं तो सबसे पहले आपके पास उस जमीन की रजिस्ट्रेशन का दस्तावेज होना चाहिए। जहां आप पशुओं को रखने वाले हैं। वहीं अगर किसान या पशुपालक भाई किसी किराए की जमीन पर पशु रख रहे हैं तो इसके लिए आपके पास एग्रीमेंट होना चाहिए। 
  • किसान और पशुपालक भाई को अपने पशु का पूरा ब्यौरा देना होगा और वह यह जानकारी खुद नहीं बल्कि किसी डॉक्टर से ही लिखवाकर देंगे।  
  • किसान को कितने पैसे की आवश्यकता है और किस चीज के लिए वह लोन लेना चाहता है। यह भी बैंक को बताना होगा। ध्यान रहे कि यह एक जरूरी कदम है अगर आवेदनकर्ता इस चीज की जानकारी सही तरह से नहीं देते, तो ऐसे में लोन की अर्जी खारिज हो सकती है। 
  • किसान और पशुपालक भाई किस जगह रहते हैं या उनका निवास का प्रमाण पत्र क्या है यह भी बैंक को बताना होगा। इसके लिए बिजली बिल या पानी का बिल जमा कराना होगा। 
  • किसान या पशुपालक को अपनी जाति का प्रमाण पत्र देना होगा। आपको बता दें कि ऐसी कई योजनाएं चलाई जाती हैं। जिनमें कुछ विशेष जातियों को अधिक लाभ दिया जाता है। इसलिए अपनी जाति का प्रमाण पत्र जरूर बनवाएं।  

आशा करता हूं हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपके काम आएगी। इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करने के लिए आप हमारे ब्लॉग और ऐप से जुड़े रह सकते हैं। आप हमारी Animall App को डाउनलोड कर के पशु खरीद और बेच भी सकते हैं। आप इस ऐप के माध्यम से पशु चिकित्सक से भी बात कर सकते हैं और पशुओं की समस्याओं का तुरंत समाधान पा सकते हैं। हमारी Animall App डाउनलोड करने के लिए इस लिंक को चुनें। 

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पशुओं में अफारा होने के क्या लक्षण है?

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आम लक्षण निम्नलिखित है:-
(क) ज्यादा मात्रा में गीला हरा चारा, मूली, गाजर आदि यदि सड़ी हुई है|
(ख) आधा पका ल्पूसरन बरसीम व जौ का चारा|
(ग) दाने में अचानक बदलाव|
(घ) पेट के कीड़ों में संक्रमण|
(ङ) जब पशु अधिक चारा खाने के बाद पानी पीए|

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बछड़ों- बछड़ियों को खीस कितना और कैसे पिलाना चाहिये?

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सबसे ध्यान देने योग्य बात है कि पैदा होने के बाद जितना जल्दी हो सके खीस पिलाना चाहिये। इसे गुनगुना (कोसा) कर के बछड़े के भार का 10 वां हिस्सा वज़न खीस कि मात्रा 24 घंटों में पिलाएं। जन्म के 24 घंटों के बाद बछड़े की आंतों की प्रतिरोधी तत्व (इम्यूनोग्लोब्यूलिन) को सीखने की क्षमता कम हो जाती है। और तीसरे दिन के बाद तों लगभग समाप्त हो जाती है। इसलिए बछडों को खीस पिलाना आवश्यक है।

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पशुओं की संक्रामक बीमारियों से रक्षा किस प्रकार की जा सकती है?

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(क) पशुओं को समय-समय पर चिकित्सक के परामर्श के अनुसार बचाव के टीके लगवा लेने चहिये।
(ख) रोगी पशु को स्वस्थ पशु से तुरन्त अलग कर दें व उस पर निगरानी रखें।
(ग) रोगी पशु का गोबर , मूत्र व जेर को किसी गढ़ढ़े में दबा कर उस पर चूना डाल दें।
(घ) मरे पशु को जला दें या कहीं दूर 6-8 फुट गढ़ढ़े में दबा कर उस पर चूना डाल दें।
(ड़) पशुशाला के मुख्य द्वार पर ‘फुट बाथ’ बनवाएं ताकि खुरों द्वारा लाए गए कीटाणु उसमें नष्ट हो जाएँ।
(च) पशुशाला की सफाई नियमित तौर पर लाल दवाई या फिनाईल से करें।

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