जानिए क्यों डेयरी फार्म हो रहे हैं नुकसान के साथ बंद।

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डेयरी बिजनेस आज के समय का सबसे फायदेमंद बिजनेस माना जाता है। लेकिन बावजूद इसके हमारे देश में हर रोज न जाने कितने ही डेयरी फार्म घाटा खाने के बाद बंद हो जाते हैं। इसके पीछे की कई वजह है। इनमें से एक वजह के बारे में हम आपको बताने वाले हैं। दरअसल ये बात है बछड़ी या कटड़ी के पालन पोषण को लेकर। देश के अंदर ज्यादातर किसान या पशुपालन से जुड़े लोग बछड़ी के पालन पोषण पर ध्यान नहीं देते।

जिसकी वजह से पशु की उत्पादकता खराब ही रहती है। ऐसे में पशुपालक भाइयों को अपनी बछड़ी की किस तरह देखभाल करनी चाहिए और किस तरह उसे भविष्य के लिए तैयार करना चाहिए। यही जानकारी हम देने वाले हैं। अगर आप इसी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कैसे कमाएं डेयरी फार्म से मुनाफा


ऐसे कई पशुपालक हैं जो अक्सर गाय या भैंस सीधा खरीद कर लाते हैं। ये लोग कभी भी बछड़ी को तैयार नहीं करते। जिसकी वजह से डेयरी में नुकसान होता है। लेकिन अगर पशुपालन करने वाले लोग किसान बछड़ियों को सही तरह देखभाल करें तो इससे वो नुकसान से बच सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें बछड़ी तैयार। 

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  • इसके लिए जैसे ही बछड़ी या कटड़ी पैदा हो तब से लेकर उसके हीट में आने के समय तक उसके खान पान का पूरा ध्यान रखें। 
  • बछड़ी के पैदा होते ही उसे खीज जरूर पिलाएं। 
  • जन्म के 15 दिन बाद ही बछड़ी की डी वार्मिंग करा लें। 
  • इसके बाद जैसे ही बछड़ी दो से ढाई महीने की हो उसे काल्फ स्टार्टर देना शुरू कर दें।
  • बछड़ी को हर समय बांध कर रखने की गलती न करें। जब वह पानी पी रही हो या चारा खा रही हो तभी उसे बांधे। इसके अलावा उनके लिए एक ऐसी जगह बना दें जहां वह खुल कर घूम सकें या खड़े रह पाएं। इससे बछड़ी का शारीरिक विकास अच्छा होता है। 
  • बछड़े को उसकी मां का दूध पर्याप्त मात्रा में पीने दें और छाछ आदि भी उन्हें जरूर पिलाएं। 
  • कई बार पशुपालक भाई एक गलती यह भी करते हैं कि बछड़ी को मिनरल मिक्सचर नहीं देते उन्हें लगता है कि ये केवल तभी देना चाहिए जब गाय गाभिन हो। लेकिन ये गलती आपको नहीं करनी है। आपको पशु को मिनरल मिक्सचर जरूर देना। 
  • पशु को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में जरूर दें। ऐसा करने से पशु को सभी पोषक तत्व मिलेंगे और उसका विकास बेहतर होगा। 
  • इन सबके अलावा जब वे हीट में हो तो सीमेन या अच्छे बुल का ही इस्तेमाल करें। इससे बछड़ी जब गाय बनेगी तो वह अधिक मात्रा में दूध देगी। 
  • अगर डेयरी फार्म से मुनाफा बनाना है तो पशुपालक भाइयों को खुद से बछड़ी और कटड़ी को तैयार करना होगा। तभी डेयरी फार्म में मुनाफे को बढ़ाया जा सकेगा। 

अगर पशुपालक भाई बछड़ियों की देखभाल करने पर ध्यान दे तो इससे अच्छी गाय तैयार होंगी और दूध उत्पादन भी बेहतर होगा। 

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ऐसा अनाज पशुओं के लिए बन सकता है जहर

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देश के ज्यादातर पशुपालन करने वाले लोग अपने पशु या गाय भैंस को साधारण चारा ही खिलाते हैं। इसके अलावा चारे के साथ अनाज आदि भी अक्सर पशुओं को दे देते हैं। लेकिन यही अनाज पशुओं के लिए मौत बन जाता है। अब अगर आपको ऐसा लग रहा है के अनाज की वजह से ही पशुओं की मौत हो जाती है तो आप गलत है। दरअसल ये तब होता है जब पशुपालक भाई अनाज का रखरखाव ठीक से नहीं करते।

यानी की अनाज के प्रति पशुपालकों की लापरवाही पशुओं की जान ले लेती है। आज हम इसी विषय पर विस्तार से बात करेंगे, कि आखिर कब अनाज पशुओं के लिए जहर बन जाता है। अगर आप ये जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कब जहर बनता है अनाज 

पशुपालन करने वाले ज्यादातर पशुपालक भाई अपनी गाय और भैंसों को चारे के साथ अनाज भी खिला देते हैं या अनाज से बना आटा खिलाते हैं। जिसमें कोई खराबी नहीं है। लेकिन कई बार नमी भरा अनाज भी पशुओं को खिला देते हैं जो वे घर में इस्तेमाल नहीं कर सकते। या इस्तेमाल नहीं करना चाहते। 

ये नमी से भरा पूरा अनाज पशुओं के शरीर में कई समस्याएं पैदा कर देता है। 

आपको बता दें कि पशु को जब नमी वाला अनाज खिलाया जाता है तो इसमें कई बार फंगस भी लग जाती है। 

यही फंगस पशु के पेट में जाकर उन्हें बेहद परेशान करती है। जिसके चलते न केवल उनकी दूध उत्पादकता कम हो जाती है, बल्कि कई बार वो अपनी प्रजनन क्षमता ही खो देते हैं। 

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क्यों फंगस भरा अनाज ले लेता है पशु की जान 

ऐसा इसलिए क्योंकि फंगस की वजह से लगे रोगों का कोई ठोस इलाज मौजूद नहीं है। ऐसे में जब पशु को फंगस के कारण रोग लगते हैं तो उनकी स्थिति काबू से बाहर निकल जाती है। यही स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती रहती है और पशु को मौत की नींद तक सुला देती है। 

अनाज को फंगस लगने से कैसे बचाएं

  1. अमूमन पशुपालकों को ये लगता है कि सीलन या नमी केवल बारिश के दिनों में ही आएगी। लेकिन ऐसा होता नहीं है। अनाज सर्दियों के दौरान भी नमी पकड़ लेता है और बाद में इसमें फफूंद लग जाती है और अनाज पूरी तरह काला हो जाता है। 
  2. यही पशु के पेट में जमता है और कीड़े पैदा हो जाते हैं। इसलिए अपने पशु को स्वस्थ अनाज ही दें। 
  3. इसके अलावा हर मौसम के अंदर अनाज की स्टोरेज अच्छी तरह से करें ताकि अनाज में न तो नमी पड़े न ही फंगस आए। 
  4. ऐसा करके न केवल आप अपने अनाज को बर्बादी से बचा पाएंगे। बल्कि अपने पशुओं को भी स्वस्थ आहार दे पाएंगे। इससे पशु स्वस्थ रहेंगे और उनकी दूध उत्पादकता भी बनी रहेगी।
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जानिए लाल भिंडी की खेती का तरीका, लागत और इसका फायदा। RED OKRA

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किसान भाई अगर बाजार की मांग के हिसाब से ही खेती करने लगें तो वो आसानी से एक मोटी आय अर्जित कर सकते हैं। अगर किसान मांग को ध्यान में रखकर खेती करते हैं तो इससे किसानों को फसल बेचने में भी दिक्कत नहीं होगी। आज हम एक ऐसी ही फसल की जानकारी किसान भाइयों के लिए लेकर आए हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं लाल भिंडी की। सुनने में भले ही अजीब लगे। लेकिन हाल ही के दिनों में लाल भिंडी की मांग बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। 

ऐसा हो सकता है कि आप में से ज्यादातर लोगों ने लाल भिंडी के बारे में सुना भी न हो। पर ये सब्जी न केवल बाजार में मांग में है। बल्कि ये हरी भिंडी के मुकाबले काफी फायदेमंद भी है। आज हम आपको लाल भिंडी की खेती से लेकर इसमें निवेश और इसके जरिए होने वाली आय के बारे में विस्तार से बताएंगे। अगर आप इसी लाल भिंडी से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

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कैसे तैयार की गई है लाल भिंडी 

लाल भिंडी को तैयार करने के लिए हाइब्रिड तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। आपको बता दें कि अक्सर किसी भी सब्जी या फल की नई किस्म को पैदा करने के लिए फसल के अलग – अलग प्रकार की किस्मों को मिलाया जाता है। इसे ही हाइब्रिड तकनीक कहा जाता है। लाल भिंडी भी हाइब्रिड तकनीक के जरिए ही पैदा हुई है। 

लाल भिंडी के गुण 

आपको जानकर हैरानी होगी की लाल भिंडी के अंदर विटामिन ए से लेकर कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो कैंसर जैसी बीमारियों से बचाकर रखते हैं। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, वजन घटाने और हृदय को स्वस्थ रखने में लाल भिंडी बेहद कारगर रहती है। 

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कैसे करें लाल भिंडी की खेती 

लाल भिंडी की खेती करने के लिए आपको किसी खास तरह की ट्रेनिंग या जलवायु की आवश्यकता नहीं है. बल्कि आप साधारण जलवायु में ही इसकी खेती कर सकते हैं। लेकिन इसकी खेती करते समय इस बात का ध्यान रखें कि मिट्टी में अधिक पानी न भरे। 

लाल भिंडी से आय निवेश और अन्य जानकारी

  • हरी भिंडी के मुकाबले लाल भिंडी आपको एक पौधे पर 15 से 20 प्रतिशत अधिक पैदावार देती है। 
  • अगर आप लाल भिंडी के जरिए अधिक आय अर्जित करना चाहते हैं तो आप ऑर्गेनिक तरीका ही आजमाएं। इससे आप लाल भिंडी को अधिक कीमत पर भी बेच पाएंगे। 
  • हरी भिंडी के मुकाबले अगर किसान भाई लाल भिंडी की खेती करते हैं तो इनमें कीट लगने का खतरा भी कम रहता है। वहीं एक बार बीज बोने के 45 दिन के भीतर ही आपको इसमें फल दिखने शुरू हो जाते हैं। 
  • इसके अलावा लगभग 4 से 5 महीने के भीतर ही इसकी फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है। 
  • आपको बता दें कि लाल भिंडी के एक पौधे से आपको लगभग 50 भिंडी मिल जाती हैं. 
  • एक किलो बीज के जरिए आप एक एकड़ भूमि में भिंडी बो सकते हैं और इसके जरिए आपको 50 से 60 क्विंटल भिंडी मिल जाती है। 
  • इसकी एक किलो कीमत पर किसान भाई 450 रुपए से लेकर 700 रुपए तक आसानी से कमा सकते हैं। 
  • लाल भिंडी की खेती में निवेश के लिए आपको इसके केवल एक किलो बीज खरीदने होंगे। जिसकी कीमत 2400 रुपए है।

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गाय के थनों में छेद और लालिमा का है ये अचूक उपाय।

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एक पशुपालक के लिए उसकी गाय या भैंस उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में अगर पशुओं को किसी तरह की समस्या हो जाती है तो पशुपालक भाई अक्सर बहुत ज्यादा डर जाते हैं। आज हम एक ऐसी ही समस्या के बारे में बात करने वाले हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं गाय के थन में होने वाले छेद के बारे में । कई बार देखा जाता है कि गाय के थन के ऊपरी भाग या साइड पर गाय के थन में सूजन, लालिमा और छेद हो जाते हैं। 

पशुपालक भाई इस समस्या में बेहद घबरा जाते हैं और महंगी – महंगी दवाएं इस्तेमाल करने लगते हैं। लेकिन समस्या ऐसी की ऐसी ही रह जाती है। आज हम इस समस्या का उपचार पशुपालक भाइयों को बताने वाले हैं। अगर आप भी इस तरह की समस्या से इजात पाना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें।  

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क्यों होते हैं ये छेद

पशुओं के थनों में ये छेद किसी कीड़े के काटने या किसी घाव के गहरा होने पर हो जाते हैं। कई बार बारिश के दिनों में गिली मिट्टी पर बैठने की वजह से भी ये घाव हो सकते हैं। ऐसे में अगर आप अपने पशु की इस समस्या से बचना चाहते हैं, तो पशु को साफ सुथरी जगह पर रखें। साथ ही उनके घावों को उभरने का समय भी न दें और समय पर उपचार कराएं। 

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क्यों महंगी दवा या इलाज नहीं आता काम 


इस तरह के घाव अमूमन इसलिए आसानी से ठीक नहीं होते क्योंकि इन छेदों में कीड़े पैदा हो जाते हैं और कोई भी दवा इस तरह से काम नहीं करती की ये कीड़े इसमें मर जाए और घाव भर जाए। इसके लिए सीधा कीड़ों को मारने का प्रबंध करना होता है। जब ये प्रबंध नहीं किया जाता तो कीड़े जीवित रहते हैं और पशु का घाव उभरता रहता है। 

कैसे करें इस घाव का इलाज 

इस तरह के घाव से पशु को उभारने के लिए आप आरती कपूर की गोलियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको बता दें कि ये कपूर की गोलियां न केवल पशु के थनों की सूजन को कम कर सकती हैं। बल्कि इन कीड़ों को भी मार सकती हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले कपूर की गोलियों को चूर्ण बना लेना है। जैसे ही ये चूर्ण तैयार हो तो इसे पशुओं के उस छेद में भर देना है जहां लालिमा या सूजन है। इसके कुछ ही दिनों बाद आप पाएंगे कि सूजन और लालिमा पूरी तरह से गायब हो चुकी है। 

जब ये लालिमा और सूजन बंद हो जाए और कीड़े मर जाएं तो आप घाव को भरने के लिए किसी भी तरह के ऑइंटमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से घाव पूरी तरह से भर जाएगा और आपका पशु पहले की तरह स्वस्थ हो जाएगा। 

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जानिए गाय को गर्भावस्था में ड्राई करना क्यों है जरूरी?

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देश में पशुपालन करने वाले लोग अक्सर अपने पशुओं को लेकर कुछ लापरवाही बरतने लगते हैं। जिसकी वजह से न केवल पशुपालकों को नुकसान होता है। बल्कि पशुओं की सेहत और उत्पादकता भी इसकी वजह से खराब होने लगती है। आज हम अपने पशुपालक भाइयों को गाय से जुड़ी एक ऐसी ही जानकारी देने वाले हैं। जिसके जरिए वो अपने पशु को स्वस्थ भी रख पाएंगे और उनकी उत्पादकता को भी बढ़ा पाएंगे। दरअसल हम बात कर रहे हैं गाय को ड्राई करने की। 

आपको बता दें कि जब गाय गर्भावस्था में दूध देती है तो इसमें 7 से 8 महीने के बाद गाय का दूध सुखा देना बेहद जरूरी होता है। जब ऐसा नहीं किया जाता, तो पशु की सेहत भी खराब होती है और उसकी उत्पादकता भी खराब होने लगती है। अगर आपकी गाय भी प्रसव के करीब पहुंच गई है, तो ये लेख और वीडियो आपके लिए बेहद कारगर हो सकता है। अगर आप भी गाय को ड्राई करने के महत्व को जानना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

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गाय को ड्राई करना क्यों जरूरी 

ऐसे बहुत से पशुपालक भाई हैं। जो अक्सर गाय की गर्भावस्था में तब तक उसका दूध निकालते रहते हैं, जब तक गाय दोबारा से बछड़े को जन्म न दे दे। इस तरह गाय की न केवल उत्पादकता खराब हो सकती है। बल्कि गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। इससे गाय बार – बार बीमार पड़ने लगती है और कई बार तो गाय का गर्भपात तक हो जाता है। ये कुछ जरूरी वजह है, जिसके चलते पशुपालकों को गाय को ड्राई होने का समय देना चाहिए। ताकि उनकी उत्पादकता बेहतर हो। 

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गाय का दूध निकालना कब बंद करें 

जब गाय गर्भावस्था के अपने आखिरी समय में हो तो इस दौरान उसका दूध निकालना बंद कर देना चाहिए और उसके थनों को ड्राई होने का समय देना चाहिए । इससे गाय के वो सेल पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, जो शरीर में दूध बनाते हैं। ऐसे में जब आप गाय के 7वें 8वें महीने तक भी दूध निकालना बंद नहीं करते तो इससे इन सेल्स को रिपेयर होने का समय नहीं मिलता जिससे गाय दूध कम देती है। 

वहीं जब आप गाय का दूध निकालना इस समय पर बंद कर देते हैं तो इससे उसके दूध बनाने वाले सेल रिपेयर हो जाते हैं। गाय की इम्यूनिटी बेहतर होती है। गाय के लंगड़े होने का खतरा नहीं रहता। 

गाय को ड्राई करने के लिए क्या करना चाहिए

अब जब आपको गाय को ड्राई करना हो तो इसके लिए आप उन्हें 12 से 18 घंटे तक पानी न दें। इसके अलावा CEPRAVIN, IVERMEC नामक दवा डॉक्टर की सलाह पर दें। इससे गाय के पेट में कीड़े नहीं होंगे और बछड़ा भी पूरी तरह से स्वस्थ पैदा होगा। अगर ये दवाएं समय रहते न दी जाए तो बछड़ा गाय के गर्भ में ही कीड़ों की वजह से  मर भी सकता है।

इसके अलावा गाय को रोजाना प्रसव के कुछ समय पहले तक डॉक्टर की सलाह पर ही नौसादर खिलाएं और मैक्सवेल खिलाएं। ऐसा करने से पशु के शरीर को कैल्शियम मिलता रहेगा और बछड़े की कूल्हे की हड्डियां मजबूत होंगी। जिसके बाद प्रसव के समय बछड़ा आसानी से गर्भ से निकल सकेगा वहीं गाय की हड्डियां फ्लेक्सीबल भी हो जाएंगी। 

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