देसी गाय और विदेशी गाय की पूरी जानकारी

आखरी अपडेट (last updated): 04 Oct 2024
Infographic depicting 2Cr Litre milk from India and 43% Cow

हमारा देश हर रोज़ करीब 2 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन करता है। जिसमें से 43 प्रतिशत दूध केवल गाय के ज़रिए ही प्राप्त होता है। इसके बाद बचा हुआ दूध अन्य दुधारू पशुओं से मिलता है। आपको बता दें कि भारत समेत दुनियाभर में गाय की 60 से ज्यादा नस्ले पाई जाती हैं, जिन्हें दूध के लिए ही पाला जाता है। इनमें से जो नस्ल भारत या एशियाई देशों में पाई जाती हैं, उन्हें देसी गाय कहा जाता है। वहीं जो गाय यूरोपियन या अन्य देशों में पाई गई उन्हें विदेशी गाय कहा जाता है। आज आप इस लेख से गाय पालन या पशुपालन से लेकर पशुशाला बनाने, पशु आहार, पशु रोग, के घरेलू घरेलू उपाय और देसी गाय एवं विदेशी गाय से जुड़ी तमाम जानकारियां हासिल करेंगे। अगर आप गाय पालन से अपना व्यापार शुरू करना चाहते हैं तो ये लेख आपकी काफी मदद कर सकता है।

अंतर्वस्तु :
1. गाय की सबसे अच्छी नस्लें
2. पशु आहार और उसकी मात्रा
3. पशु रोग और उपचार
4. गाय के लिए सप्लीमेंट
5. गाय या पशु पालन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
6. गाय को गाभिन करने का समय और तरीका
7. गाय का प्रसव और गलतियां
8. गाय पालन के लिए डेयरी टेक और योजनाएं

1. गाय की सबसे अच्छी नस्लें

Desi cow and Videsi Cow comparison

देश दुनिया में गाय की 50 से ज्यादा नस्ल मौजूद हैं। गाय की इन्हीं अलग - अलग नस्लों के लिए हमने दो तालिका (टेबल) तैयार की हैं। जिसमें से एक के अंदर

होंगी जो मुख्य रूप से भारत में पाई जाती हैं। वहीं दूसरी तालिका (टेबल) में विदेशी गायों की सूची दी होगी। इसके अलावा किस नस्ल की गाय की मुख्य पहचान क्या है, इसके बारे में भी आपको बताएंगे। इसके साथ ही कई लोगों के जेहन में ये सवाल चलता है कि सबसे सस्ती गाय कहां से खरीद सकते हैं या फिर ऑनलाइन गाय कैसे खरीदी जा सकती है। इसका जवाब भी तालिका (टेबल) में ही मिल जाएगा।

देसी गाय :

भारत और एशियाई देशों के अंदर पाई जाने वाली गायों को देसी कहा जाता है। देसी गाय की कुछ खास विशेषताएं होती हैं, जिन्हें देखकर आसानी से पहचाना जा सकता है। देसी गाय की कमर पर हम्प होता है जो डेढ़ इंच या उससे ज्यादा उठा हुआ होता है। इसके अलावा देसी गायों की गर्दन के नीचे खाल लटकती रहती है, जिसे गलकंबल भी कहा जाता है। इसके साथ ही देसी गाय के दूध से भी इनकी पहचान हो सकती है। नीचे टेबल में आप देसी गाय की सबसे अच्छी नस्ल के बारे में जानेंगे।

देसी गाय की नस्लेंदूध की क्षमतादूध के प्रकारमुख्य पहचानउत्पत्तिवजनऑनलाइन गाय खरीदें
गिर गाय50 से 80 लीटरए 2 मिल्कलटके हुए कान काली आंखें फैले हुए सींगगुजरात350 - 450 किलोग्राम
साहीवाल गाय10 से 16 लीटरए 2 मिल्कलाल और भूरा होता हैपाकिस्तान450 - 500 किलोग्राम
राठी गाय12 से 18 लीटरए 2 मिल्कभूरे, सफेद और लाल रंग के साथ पैच होते हैंराजस्थान280 - 300 किलोग्राम
दोगली10 से 20 लीटरए 2 मिल्कइनके सींग छोटे और सीधे होते हैंभारत250 - 350 किलोग्राम
मालवी गाय6 से 10 लीटरए 2 मिल्ककाली गर्दनमध्यप्रदेश290 - 340 किलोग्राम
नागोरी गाय3 से 4 लीटरए 2 मिल्कथुथर, सींग और खुर काले होते हैंजोधपुर280 - 350 किलोग्राम
थारपारकर गाय8 से 11 लीटरए 2 मिल्ककान के अंदर की त्वचा का रंग पीला होता हैराजस्थान400 - 500 किलोग्राम
पवार गाय0.5 लीटर से 2.5 लीटरए 2 मिल्ककाले और सफेद रंग की होती हैंउत्तर प्रदेश250 से 300 किलोग्रामपवार गाय खरीदें
भगनारी गाय10 से 15 लीटरए 2 मिल्कइनका रंग सफेद या ग्रे होता है और गर्दन एवं पूछ के बाल काले होते हैंबलूचिस्तान400 से 480 किलोग्रामभगनारी गाय खरीदें
दज्जल गाय9 से 15 लीटरए 2 मिल्कसफेद या ग्रे रंग की होती है। इनकी गर्दन हल्की काली होती हैंपंजाब350 से 390 किलोग्रामदज्जल गाय खरीदें
गावलाव गाय खरीदें2 से 3 लीटरए 2 मिल्कइनकी आंखें बेहद काली और कान बाहर की ओर सीधे होते हैं.मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र300 से 340 किलोग्रामगावलाव गाय खरीदें
हरियाणवी गाय10 से 15 लीटरए 2 मिल्कये सफेद या भूरे रंग के होते हैं और इनका चेहरा संकरा और सींग बड़े होतेहरियाणा290 से 310 किलोग्रामहरियाणवी गाय खरीदें
कांकरेज गाय8 से 10 लीटरए 2 मिल्कइस गाय की पहचान इसके बड़े सींग हैंगुजरात330 से 370 किलोग्रामकांकरेज गाय खरीदें
बद्री गाय3 से 4 लीटरए 2 मिल्कये भूरे, सफेद, लाल और काले रंग की होती हैंउत्तराखंड200 से 225 किलोग्रामबद्री गाय खरीदें
अमृतमहल8 से 12 लीटरए 2 मिल्कगाय का रंग खाकी, मस्तक और गला काले रंग का होता हैकर्नाटक200 से 250 किलोग्रामअमृतमहल गाय खरीदें
बच्चौर गाय2 से 4 लीटरए 2 मिल्कसलेटी या सफेद रंग की होती हैंबिहार180 से 200 किलोग्रामबच्चौर गाय खरीदें
बर्गुर गाय1 से 3 लीटरए 2 मिल्कलाल रंग और पीछे की तरफ हल्के मुड़े हुए पैने सींगतमिलनाडु250 से 300 किलोग्रामबर्गुर गाय खरीदें
डांगी2 से 4 लीटरए 2 मिल्ककाले और सफेद रंग के धब्बेगुजरात200 से 250 किलोग्रामडांगी गाय खरीदें
हल्लीकर4 से 6 लीटर गायए 2 मिल्कइनके लंबे नुकीले सींग होते हैंकर्नाटक220 से 270 किलोग्रामहल्लीकर गाय खरीदें
कंगायम2 से 6 लीटरए 2 मिल्कदेसी गाय में इस नस्ल के सबसे बड़े सींग होते हैंतमिलनाडु300 से 350 किलोग्रामकंगायम गाय खरीदें
केनकथा1 से 3 लीटरए 2 मिल्कये काले और सफेद रंग की शेड में होती हैंउत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश260 से 310 किलोग्रामकेनकथा गाय खरीदें
गाओलाओ6 से 8 लीटरए 2 मिल्कसफेद रंग और पतला शरीरनागपुर300 से 340 किलोग्रामगाओलाओ गाय खरीदें
खेरीगढ़1 से 2 लीटरए 2 मिल्कआंखें चमकदार और बड़ी होती हैंउत्तर प्रदेश400 से 450 किलोग्रामखेरीगढ़ गाय खरीदें
खिलारी8 से 12 लीटरए 2 मिल्कइनका शरीर बेलनाकार का होता हैमहाराष्ट्र और कर्नाटक300 से 370 किलोग्रामखिलारी गाय खरीदें
कृष्णा वैली5 से 6 लीटरए 2 मिल्कइस नस्ल की हाइट छोटी होती हैकर्नाटक300 से 325 किलोग्रामकृष्णा वैली गाय खरीदें
मेवाती4 से 5 लीटरए 2 मिल्कये नस्ल सफेद रंग की और पतली होती हैउत्तर प्रदेश और हरियाणा350 से 400 किलोग्राममेवाती गाय खरीदें
निमाड़ी3 से 4 लीटरए 2 मिल्कलाल रंग पर सफेद रंग के धब्बेमध्य प्रदेश और महाराष्ट्र300 से 350 किलोग्रामनिमाड़ी गाय खरीदें
पुंगनुर3 से 5 लीटरए 2 मिल्कये गाय आकार में छोटी होती हैंआंध्र प्रदेश100 से 150 किलोग्रामपुंगनुर गाय खरीदें
लाल कंधारी1 से 2 लीटरए 2 मिल्कलाल रंग, चपटे माथे से पहचान सकते हैंमहाराष्ट्र450 से 480 किलोग्रामलाल कंधारी खरीदें
लाल सिंधी6 से 8 लीटरए 2 मिल्कलाल रंग और लाल नाकपाकिस्तान325 किलोग्रामलाल सिंधी गाय खरीदें
सीरी3 से 6 लीटरए 2 मिल्कइस नस्ल की त्वचा पर सफेद और काले धब्बे नजर आते हैंदार्जिलिंग और सिक्किम210 से 274 किलोग्रामसीरी गाय खरीदें
गंगातीरी6 से 8 लीटरए 2 मिल्कसफेद रंग और माथा आकर्षक होता हैउत्तर प्रदेश और बिहार200 से 240 किलोग्रामगंगातीरी गाय खरीदें
उम्बलाचेरी500 एम एल से 5 लीटरए 2 मिल्कइस नस्ल के चेहरे पर सफेद रंग का धब्बा होता हैतमिलनाडु300 से 325 किलोग्रामउम्बलाचेरी गाय खरीदें
वेचुर2 से 3 लीटरए 2 मिल्कये इनकी ऊंचाई 2 फुट तक होती हैकेरल100 से 150 किलोग्रामवेचुर गाय खरीदें
मोतू500 एम एल से 1.2 लीटरए 2 मिल्कखुर, पुंछ, सींग काले रंग के होते हैंओडिशा120 से 170 किलोग्राममोतू गाय खरीदें
घुमुसरी1.2 से 2.5 लीटरए 2 मिल्कसफेद और स्लेटी रंग एवं कम ऊंचाईओडिशा150 से 170 किलोग्रामघुमुसरी गाय खरीदें
बिन्झार्पुरी4 से 6 लीटरए 2 मिल्कइनके चेहरे कमर और पैरों पर काले रंग के धब्बे होते हैंओडिशा और जयपुर207 से 211 किलोग्रामबिन्झार्पुरी गाय खरीदें
खरियार1.2 से 1.5 लीटरए 2 मिल्कलाल और काला रंगओडिशा120 से 160 किलोग्रामखरियार गाय खरीदें
कोसली0.4 से 1.2 लीटरए 2 मिल्कहल्का लाल और स्लेटी रंगछत्तीसगढ़125 से 160 किलोग्रामकोसली गाय खरीदें
बद्री3 - 4 से लीटरए 2 मिल्कये काले,ब्राउन, स्लेटी, रंग के होती हैंउत्तराखंड200 से 225 किलोग्रामबद्री गाय खरीदें

विदेशी गाय :

विदेशी गाय वह गाय है जिनकी उत्पत्ति भारत देश में न होकर किसी अन्य देश में हुई है। विदेशी गायों की पहचान इनके शरीर की बनावट ही होती है। विदेश गाय की कमर सीधी होती है और इनकी कमर पर हम्प उठा हुआ नहीं होता। इसके अलावा विदेशी गाय की गर्दन की खाल भी नीचे नहीं लटकती। इसके साथ ही विदेशी गायों के दूध में ए 2 प्रोटीन कम होता है और ए1 प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। आप नीचे दिए गए टेबल के जरिए विदेशी गाय की सबसे अच्छी नस्लों के बारे में जानेंगे।

विदेशी गाय की नसदूध की क्षमतादूध के प्रकारमुख्य पहचानवजनउत्पतऑनलाइन गाय खरीदें
एचएफ25 से 50 लीटरए 1 मिल्कइनके शरीर पर सफेद और काले रंग के धब्बे होते हैं450- 650 किलोग्रमजर्मनीएचएफ गाय खरीदें
जर्सी25 से 35 लीटरए 1 मिल्कइनका रंग हल्का लाल एवं पीला होता है400 से 580 किलोमीटरजर्सीजर्सी गाय खरीदें
चियानिना12 से 20 लीटरए 1 मिल्कसफेद और स्लेटी रंग, एवं ऊंचा आकार की इनकी पहचान है800 से 1000 किलोग्रामइटलीचियानिना गाय खरीदें
ब्राउन स्विस21 से 29 किलोग्रामए 1 मिल्कये अधिकतर ब्राउन रंग में पाई जाती हैं590 से 640 किलोग्रामस्विट्जरलैंडब्राउन स्विस गाय खरीदें
आयरशायर20 से 25 किलोग्रामए 1 मिल्कसफेद रंग पर ब्राउन या लाल धब्बे450 से 600 किलोग्रामआयरशायरआयरशायर गाय खरीदें
ग्वेर्नसे17 से 23 किलोग्रामए 2 मिल्कये सुनहरे रंग की होती हैं400 - 500 किलोग्रामग्वेर्नसेग्वेर्नसे गाय खरीदें
रेड डेन12 से 15 लीटरए 1 मिल्कगहरा लाल रंग600 से 660 किलोग्रामडेनमार्करेड डेन गाय खरीदें
गिरलांडो50 से 100 लीटरए 1 मिल्कसफेद रंग के शरीर पर काले धब्बे400 - 500 किलोग्रामब्राजीलगिरलांडो गाय खरीदें
अमेरिकन ब्राह्मण2 से 4 किलोग्रामए 2 मिल्कऊंचा हम्प और भारी शरीर पहचान500 से 600 किलोग्रामअमेरिकाअमेरिकन ब्राह्मण गाय खरीदें

2. पशु आहार और उसकी मात्रा

आहार इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि पशुओं के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अगर गाय को सही पशु आहार न दिया जाए तो इसका असर न केवल उसकी दूध उत्पादकता पर दिखाई देता है, बल्कि आहार न मिलने की वजह से गाय के शरीर में कमजोरी पैदा हो जाती है और इससे पशु को रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा जगह और तापमान की वजह से आहार को बदला जा सकता है, उदाहरण के लिए देसी गाय का आहार और विदेशी गाय का आहार ठंडे और गर्म तापमान में अलग - अलग हो सकता है। हम नीचे देसी गाय और विदेशी गाय के आहार से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं।

हरा चारा :

पशुओं के लिए हरा चारा बहुत जरूरी होता है। हरा चारा पशु आहार में 12 महीने दिया जाना चाहिए। ये न केवल पशु की दूध उत्पादकता को बढ़ा सकता है, बल्कि इसे पचाना भी गाय के लिए आसान होता है। भारत देश के अंदर कई हरे चारे हैं जो पशुओं को दिए जा सकते हैं जिसकी सूची कुछ इस प्रकार है।

  • ज्वार - पी.सी - 6,9,23, एम. पी. चरी, पूसा चरी, हरियाणा चरी
  • मक्का - गंगा सफेद, 2,3,5 जवाहर, अम्बर, किसान, सोना, मंजरी, मोती
  • बरसीम - मैस्कावी, बरदान, बुन्देला, यू.पी
    Animall सहायी
    assistance
  • सूडान घास - एस.एस-59-3 जी -287, पाईपर, जै - 69
  • दीनानाथ घास - टाईप-3, 10, 15, आई.जी.एफ.आर.आई -एस 3808, जी 73 -1, टी -12
  • अंजन घास - पूसा जाइन्ट अंजन, आई.जी.एफ.आर. आई-एस - 3108,3133, सी -357 358
  • बाजरा - जाइन्ट हाईब्रिउ, के -674, 677, एल- 72, 74, टी-55, डी-1941, 2291
  • लोबिया घास - एस- 450, 457, रष्यिजाइन्ट, यू.पी.सी - 287, 286, एन.पी. एच.एस.पी - 42- 1 सी.ओं - 1,14
  • ग्वार - दुर्गापुरा सफेद, आई, जी.एफ.आर.आई.-212
  • जई - एच.एफ.ओ.-14, ओ.एस.-6 एवं 7, वी.पी.ओ - 94
  • रिजका- टाईप-8,9, आनंद -द्वितीय, आई.जी.एफ.आर.आई. - एस - 244,54, एल.एल.सी.-5 बी.103
  • सरसों- जापानी रेप, आएम - 98, 100, लाही -100, चाइनीज कैबेज एफ 2-902, 916

सूखा चारा :

गाय के लिए हरे चारे की तरह सूखा चारा भी बहुत ज़रूरी होता है। इसकी वजह से पशु को प्रोटीन, विटामिन आदि प्राप्त होते हैं। इसके साथ ही पशु की रूमेन हेल्थ को सही रखने में भी ये काफी कारगर होता है। एक गाय को रोज़ाना 4-5 किलो सूखा चारा आहार में ज़रूर देना चाहिए। आप अपनी गाय को कई तरह के सूखे चारे दे सकते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं।

  • गेहूं का तूड़ा
  • धान की पराली
  • चने की फसल से बना सूखा चारा
  • जई का तूड़ा
  • बाजरे से बना सूखा चारा

दाना मिश्रण :

गाय के लिए दाना मिश्रण देने से वह लंबे समय तक अच्छी मात्रा में दूध देती है। इसके अलावा

पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर करता है। हालांकि केवल दाना मिश्रण का नाम जान लेना ही काफी नहीं है, बल्कि दाना मिश्रण तैयार करने की सामग्री और उनकी मात्रा का भी पता होना चाहिए। हम नीचे आपको बता रहे हैं कि किस - किस चीज़ का उपयोग दाना मिश्रण के अंदर किया जा सकता है।

मक्का, जौ, गेहूं और बाजरा दाना मिश्रण के लिए सबसे मुख्य अनाज हैं। इसके अलावा इसमें नमक, सरसों की खल, नमक, मूंगफली की खल, बिनौले की खल, दाल की चूरी, गेहूं की चोकर, मिनरल मिक्सचर आदि को मिलाकर तैयार किया जाता है। लेकिन इसमें स्थान और मौसम के हिसाब से सामग्रियों की मात्रा घटाई बढ़ाई जा सकती है।

गाय के लिए साइलेज :

एक ऐसा आहार होता है जो गेहूं, मक्के, ज्वार या बाजरे से बनता है। ये पशु आहार पशु के शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी को तो पूरा करने का काम करता ही है। इसके साथ ही ये गाय का दूध उत्पादन भी बढ़ाता है। आपको बता दें कि एक गाय को रोज 15 से 20 किलो साइलेज खिलाया जा सकता है। इसके अलावा साइलेज कैसे बनाया जाता है, इसकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं।

साइलेज को बनाने के लिए गेहूं, मक्के, ज्वार या बाजरे को तब काटा जाता है जब ये अनाज दूधिया अवस्था में हो। इसके बाद साइलेज बनाने के लिए इसके अंदर कई सामग्रियों को मिलाकर लंबे समय के लिए एक गहरे गड्ढे में दबा दिया जाता है। इसके बाद समय - समय पर पशु को खिलाया जाता है।

3. पशु रोग और उपचार

इंसानों की तरह गायों में भी कई तरह के रोगों का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। यही नहीं, गाय के शरीर में कई बार ऐसे रोग भी पैदा हो जाते हैं जिसके चलते उनकी मौत दो दिन के भीतर ही हो जाती है। ऐसे में गाय को रोग से बचाने के लिए और रोगों के इलाज से जुड़ी जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। हम आपको नीचे पशु रोग और उपचार की जानकारियां विस्तार से दे रही हैं।

रोगलक्षणउपचाररोकथाम
गलघोंटूबुखार, सांस लेने में दिक्कत, गले में सूजनएंटीबायोटिक दवा एवं इंजेक्शनबरसात के मौसम से पहले रोग निरोधक टीके
थनैलाथनों में दिक्कत, दूध में छर्रे आना, थनों में सूजनरोग के लक्षण के आधार पर अलग - अलग दवाएं दी जाती हैंपशु के दूध एवं थन की समय - समय पर जांच करते रहना।
लंगड़ा बुखार106 - 107 डिग्री तक बुखार होना, पशु के पैरों में सूजन, पशु का लंगड़ा कर चलना।प्रोकेन पेनिसिलिन नाम की दवा उपयोगी होती हैबरसात से पहले टीकाकरण करवाना और रोगी पशुओं से स्वस्थ पशु को दूर रखना।
मिल्क फीवरशरीर का तापमान कम हो जाना, सांस लेने में परेशानी होनाकैल्शियम साल्ट का इंजेक्शन देते हैं।प्रसव के 15 दिन तक पूरा दूध न निकाले और पशु को कैल्शियम से भरा आहार एवं सप्लीमेंट दे
खुरपका मुहंपकामुंह और खुर में दाने होते हैं, दाने छाला बनकर फट जाते हैं और घाव गहरा हो जाता हैतुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिएबरसात से पहले टीकाकरण कराना चाहिए और बारिश में पशु को खुले में चरने नहीं देना चाहिए
प्लीहा (एंथ्रेक्स)पेशाब और गोबर में खून आना, तेज बुखार होनापशु चिकित्सक से संपर्क करके स्थिति के हिसाब से उपचार करना चाहिएइस रोग से बचाने के लिए वक्त रहते टीकाकरण करा लेना चाहिए
यक्ष्मा (टी.बी)पशु सुस्त हो जाता है , सूखी खांसी और नाक से खून आने लगता हैरोग के लक्षण दिखते ही पशु को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिएपशु के आहार का खास ध्यान रखना चाहिए।
संक्रामक गर्भपात5-6 महीने में योनिमुख से तरल गिरता है, और बच्चे होने के लक्षण दिखते हैं, लेकिन गर्भपात हो जाता हैपशु की ठीक से सफाई करनी चाहिए, डीवॉर्मिंग करनी चाहिए और पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए6 से 8 महीने के पशु को ब्रुसेला का टीका लगवाना चाहिए, फिर इस रोग की संभावना कम होती है
अफारापशु का बायां पेट फूल जाता है, पेट को थपथपाने पर ढोलक की आवाज आती हैपशु की तारपीन के तेल से मालिश करनी चाहिए और शुरुआती समय में पशु को टहलाना चाहिए।पशु को दूषित, चारा, दाना, भूसा और पानी बिल्कुल न दें।

गाय के आम रोग और उनके घरेलू उपाय :

गाय के शरीर में कई ऐसे सामान्य रोग पैदा हो जाते हैं, जो उनकी मौत का कारण तो नहीं बनते, लेकिन उनकी उत्पादकता पर गहरा असर डालते हैं। इन पशु रोग के उपचार तो कराने ही चाहिए। इसके साथ ही पशु रोग के कुछ घरेलू उपाय भी आजमाए जा सकते हैं।

दस्त और मरोड़ :

इस स्थिति के अंदर गाय पतला गोबर करने लगती है और पेट में

उठने लगती है। ये समस्या अमूमन तब पैदा होती है जब गाय के पेट में ठंड लग जाए। इस स्थिति में पशु को हल्का आहार ही देना चाहिए जैसे माड़, उबला हुआ दूध, बेल का गुदा आदि। वहीं साथ ही बछड़े या बछड़ी को दूध कम पिलाना चाहिए और पशु चिकित्सक से भी इलाज हेतु परामर्श ले लेना चाहिए।

जेर का अंदर रह जाना :

गाय के प्रसव के बाद जेर 5 घंटे के भीतर गिर जानी चाहिए। अगर ऐसा न हो तो गाय दूध भी नहीं देती। ऐसे में तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करके जेर से जुड़े समाधान करने चाहिए। इसके अलावा पशु के पिछले भाग को गर्म पानी से धोना चाहिए। इसके साथ ही जेर को हाथ नहीं लगाना चाहिए न ही जबरदस्ती जेर खींचना चाहिए।

योनि का प्रदाह :

ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें गाय के प्रसव के बाद जेर आधी शरीर के बाहर रहती है और आधी अंदर ही रह जाती है। इस दौरान पशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है और योनिमार्ग से बदबू आने लगती है। इसके साथ ही पशु की योनि से तरल पदार्थ गिरने लगता है। इस स्थिति में पशु चिकित्सक की निगरानी में पशु को गुनगुने पानी में डिटॉल और पोटाश मिलाकर साफ करना चाहिए। वहीं पशु चिकित्सक के जरिए इसका संपूर्ण इलाज कराना चाहिए।

गाय के आम रोग और उनके घरेलू उपाय :

गाय के शरीर में कई ऐसे सामान्य रोग पैदा हो जाते हैं, जो उनकी मौत का कारण तो नहीं बनते, लेकिन उनकी उत्पादकता पर गहरा असर डालते हैं। इन पशु रोग के उपचार तो कराने ही चाहिए। इसके साथ ही पशु रोग के कुछ घरेलू उपाय भी आजमाए जा सकते हैं।

निमोनिया :

इंसान के साथ गायों को भी खासा परेशान करती है। ये रोग अक्सर पशु को ज्य़ादा देर भीगने की वजह से होता है। इस रोग के दौरान पशु का तापमान बढ़ जाता है, सांस लेने में दिक्कत होती है और पशु का नाक बहने लगता है। इस स्थिति में उबलते पानी में तारपीन का तेल डालकर उसकी भांप पशु को सुंघानी चाहिए। इसके साथ ही पशु के पंजार में सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करनी चाहिए। पशु को इस रोग से बचाए रखने के लिए सर्दियों में गर्म स्थान पर रखना चाहिए।

चोट या घाव होना :

ये बहुत सामान्य स्थिति है। इसमें गर्म पानी में फिनाइल या पोटाश डालकर घाव की धुलाई करनी चाहिए। अगर घाव में कीड़े लगे हों तो एक पट्टी को तारपीन के तेल में भिगोकर पशु को बांध देनी चाहिए। मुंह के घावों को हमेशा फिटकरी के पानी से ही धोना चाहिए। इसके साथ ही घाव से संबंधित उपाय जानने के लिए पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

जूँ और किलनी की समस्या :

इस समस्या के दौरान नीम के पत्तों को पानी में उबालकर पशु के ऊपर स्प्रे करना चाहिए या एक कपड़े को इस पानी में डालकर पशु को धोना चाहिए। इस उपाय को कुछ दिन लगातार करने से पशु को

से छुटकारा मिल जाएगा।

4. गाय के लिए सप्लीमेंट

cow supplements

गाय के शरीर में कई बार किसी पोषक तत्व की कमी हो जाती है या फिर पशु तनाव में आ जाता है। जिसकी वजह से पशु की उत्पादकता घट जाती है। ऐसे में पशु को कई तरह के सप्लीमेंट दिए जा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि गाय को ये सप्लीमेंट केवल किसी पशु चिकित्सक की सलाह पर ही दिए जाने चाहिए। पशुपालन करने वाले लोग अपने पशुओं के लिए अन्य सप्लीमेंट का इस्तेमाल भी अक्सर करते हैं

समस्यासप्लीमेंट का नाम
कैल्शियम की कमीकैल्शियम जैल
लीवर में दिक्कतलीवर टोनिक
तुरंत ऊर्जा देने के लिएहिमशक्ति
ब्लोटिंग की समस्या मेंब्लोट गो
पाचन क्रिया के लिएडिगो प्लस
दूध बढ़ाने के लिएदूध गेन
गर्भाशय की देखभाल के लिएयूटेराइन टॉनिक
अडर बढ़ाने के लिएअडर प्लस सप्लीमेंट
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिएइम्यून सप्लीमेंट
रूमेन के स्वास्थ्य के लिएरूमेन प्रो सप्लीमेंट
गाभिन गाय के लिएएनोमिनिक मिनरल मिक्सचर
हीट स्ट्रेस से छुटकारे के लिएकाओ कूल
Disclaimer - यह लेख केवल पाठकों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए प्रकाशित किया गया है। इस लेख में बताए गए किसी भी सप्लीमेंट को देने की सलाह हम नहीं देते। अगर पशु को कोई समस्या है तो केवल डॉक्टर की सलाह पर ही सप्लीमेंट का इस्तेमाल करें। यदि कोई व्यक्ति लेख की जानकारी के आधार पर सप्लीमेंट देता है तो उससे होने वाले नुकसान का जिम्मेदार वह व्यक्ति स्वंय होगा।
Animall सहायी
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5. गाय या पशु पालन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

cow milking machine

डेयरी उद्योग से जुड़े हुए हर छोटे बड़े पशुपालक को गाय कैसे पालनी चाहिए और किन मूलभूत बातों का ख्याल रखना चाहिए। इसकी जानकारी होनी चाहिए। अगर ये जानकारी न हो तो पशुपालक को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। नीचे हम आपको उन आधारभूत बातों से रूबरू कराएंगे जिनका ध्यान गाय पालकों को ज़रूरी रखना चाहिए।

गौशाला कैसे बनाएं :

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गाय खरीदने या डेयरी उद्योग में सबसे पहला चरण यही है कि आप पशुओं के रहने की व्यवस्था सही तरह से करें। ताकि गाय पूरी तरह स्वस्थ रहे और उसकी उत्पादकता बेहतर रहे। इसमें पशु के रहने का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है।

  • कि उसके जमीन के स्तर को थोड़ा ऊंचा करके बनाएं। इससे गौशाला में पानी भरने की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
  • गौशाला के अंदर हवा की आवाजाही बाधित न हो इसका ख्याल रखें।
  • गौशाला का निर्माण इस तरह हो के पशु के आस पास गंदगी जमा न रहे और गोबर पेशाब साफ आसानी से हो जाए ऐसी व्यवस्था करें।
  • गौशाला में पानी की हल्की फुहार वाले स्प्रेयर लगवाएं, ताकि पशु को गर्मियों में ठंडक मिलती रहे।

गाय के लिए ज़रूरी चीजें :

गाय पालन करने से पहले गाय के लिए जिन भी वस्तुओं की आवश्यकता है, उनका इंतजाम ज़रूर करें। गाय के लिए जिन वस्तुओं की आवश्यकता हो सकती है, उसके बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बता रहे हैं।

  • गाय के आहार की उचित व्यवस्था करके रखें।
  • गाय के लिए ज़रूरी सप्लीमेंट हमेशा स्टॉक में रखें।
  • गाय के खोर को सीमेंटेड बनवाएं।
  • हो सके तो गाय को चेन से बिल्कुल न बांधे।
  • अगर पशु अधिक हैं तो उन्हें एक दूसरे से उचित दूरी पर रखें
  • गाय का दूध दुहने के लिए मिल्किंग मशीन का इस्तेमाल करें। इससे पशु को थनैला होने की संभावना कम हो जाएगी।
  • पशु के लिए कुछ छोटी मोटी दवाएं हमेशा रखें।
  • पशुशाला की सफाई हेतु ज़रूरी उपकरण रखें, जिससे गोबर और पेशाब को साफ किया जा सके।
  • गाय को रोजाना 70 से 80 लीटर पानी की ज़रूरत होती है। इसलिए गाय के पास पानी का इंतजाम हमेशा होना चाहिए।

6. गाय को गाभिन करने का समय और तरीका

Artificial Insemination Tool and process of creatives

गाय को गाभिन करने का सही समय पता होना बेहद ज़रूरी है। वरना एक बार ये मौका छूट जाता है तो इसके लिए लगभग एक महीने का ही इंतजार करना पड़ता है। जिससे पशुपालक को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसलिए हम आपको नीचे एक तालिका (टेबल) में गाय की हीट साइकिल से लेकर उसे गाभिन करने की प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं।

गाय को गाभिन करने के लिए क्या करें :

गाय को गाभिन करने के मुख्य रूप से दो तरीके होते हैं। इसमें पहला तरीका होता है कि किसी अच्छे नस्ल के सांड से गाय को ब्रीड कराया जाए। लेकिन कई बार आस पास अच्छी नस्ल के सांड मौजूद नहीं होते। ऐसे में आज के समय में कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है। इसमें किसी अच्छे पशु का सीमेन लिया जाता है और उसे पशु की योनि के जरिए गर्भाशय में छोड़ दिया जाता है। इसके लिए एक जानकार व्यक्ति की ज़रूरत होती है। गाय को गाभिन करने के लिए किन दूसरी बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके लिए नीचे हमने एक तालिका (टेबल) दी है उसे भी ज़रूर पढ़ें।

सवालजवाब
गाय की हीट साइकिल कब आती है?गाय 18 से 21 दिन में हीट में आती है
गाभिन करने का सही समय क्या है?गाय के हीट में आने के 24 घंटे के भीतर
गाभिन करने के तरीके क्या हैं?एआई कृत्रिम गर्भाधान या ब्रीडिंग करवाएं
प्रसव के बाद कितने समय बाद गाय वापस हीट में आती है ?45 से 60 दिन में

गाय गाभिन है या नहीं कैसे पता करें :

इसका पता करने के कुछ सामान्य तरीके हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं।

पशुपालन से जुड़ी योजनाएं :

  • गाय गाभिन हो जाती है तो ब्रीडिंग के 21 -23 दिन बाद वह हीट में नहीं आएगी। वहीं अगर गाय ब्रीडिंग के बाद भी हीट में आ रही है तो गाभिन नहीं हुई है।
  • गाय गाभिन है ये पता करने के लिए गाय की योनि में हाथ डालकर जांच की जा सकती है। लेकिन ये कार्य किसी प्रशिक्षित व्यक्ति से ही कराना चाहिए।
  • बाजार के अंदर आज कल रैपिड टेस्ट किट भी आ गई है। जिसके जरिए गाय की लार, पेशाब आदि के ज़रिए गाय की गर्भावस्था का पता चल जाता है।

गाभिन गाय को क्या खिलाना चाहिए :

सामान्य पशु से कुछ अलग हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी कई चीजें हैं जो गाय का गर्भपात भी करा सकती है। इसलिए गाभिन गाय के आहार के प्रति अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। हम नीचे आपको बता रहे हैं कि गाभिन गाय को क्या खिलाना चाहिए।

  • गाय जब गाभिन होती है तो इसके शुरुआती तीन महीनों में उसके आहार में अधिक बदलाव करने की आवश्यकता तो नहीं होती। लेकिन उसके आहार में ऐसी सामग्रियां शामिल करनी चाहिए जिसमें प्रोटीन और लवण थोड़ा अधिक हो।
  • गाय की गर्भावस्था के जब 3 से 6 महीने का समय चल रहा हो तो इस दौरान उसके आहार में खनिज, लवण और प्रोटीन की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए।
  • गाय जब गर्भावस्था के 6 महीने को पार कर ले तो इस स्थिति में उसके आहार में 10 से 15 ग्राम कैल्शियम, पाचक प्रोटीन और विटामिन देनी चाहिए।
  • गर्भावस्था में गाय के सामान्य आहार में उसे 20 से 25 किलो हरा चारा और 2 से 3 किलो सूखा चारा देना चाहिए। इसके साथ ही गाय को 50 ग्राम नमक भी रोजाना खिलाना चाहिए।

7. गाय का प्रसव और गलतियां

गाय के गर्भावस्था का समय जितना सावधान रहने वाला है, उतना ही उसके प्रसव का समय भी है। अगर प्रसव के दौरान या उससे पहले कुछ गलतियां हो जाएं तो इससे पशु पूरी तरह खराब भी हो सकता है। आइए जानते हैं गाय के प्रसव के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्या गलती करने से बचना चाहिए।

प्रसव से जुड़े सवालजवाब
प्रसव के समय पशुपालक को पशु से दूर क्यों खड़े रहना चाहिए ?अगर पशुपालक पशु के पास खड़ा होगा तो इसकी वजह से पशु का ध्यान बट जाएगा और प्रसव में दिक्कत पैदा हो सकती है
पशु को प्रसव से पहले कब ड्राई करना चाहिए ?पशु को प्रसव से 60 दिन पहले ड्राई कर लेना चाहिए
क्या प्रसव के समय बछड़े को जबरदस्ती निकाल सकते हैं ?नहीं ऐसा, नहीं करना चाहिए, अगर बछड़ा निकल न पा रहा हो तो डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए
प्रसव के समय क्या न करें ?प्रसव के समय पशु को गंदे फर्श या बिछौने पर बैठने न दें
गाय के प्रसव में कितना समय लगता है ?गाय के प्रसव में 4 से 5 घंटे का समय लग सकता है।
क्या प्रसव के बाद जेर को खीच कर निकाला जा सकता है ?नहीं ऐसा करने से पशु पूरी तरह खराब हो सकता है
क्या पशु की गर्भनाल को खींच सकते हैं ?नहीं ऐसा करने पर पशु के शरीर से खून बहने लगता है और पशु की मौत भी हो सकती है।

8. गाय पालन के लिए डेयरी टेक और योजनाएं

dairy technology and govt schemes

गाय पालन करने के लिए आज के समय में कई तरह की मशीन या तकनीक आ गई हैं। इसके अलावा सरकार भी गाय खरीदने से लेकर उनके पालन पोषण करने पर कई तरह की योजनाएं चला रही है। नीचे हम आपको नई तकनीक और योजनाओं से जुड़ी कुछ जानकारी दे रहे हैं।

पशुपालन से जुड़ी योजनाएं :

  • पशु किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम
  • गोपालक योजना
  • गाय पालक व्यवसाय लोन योजना
  • मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना
  • राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम
  • राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम
  • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि
  • डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास निधि
  • मिनी डेयरी योजना

डेयरी फार्मिंग से जुड़ी टेक्नोलॉजी :

  • मिल्किंग मशीन
  • काऊ डंग क्लीनर
  • चारा मिक्सर मशीन
  • चारा उगाने वाली मशीन
  • ब्रेन वायर्ड वी स्टॉक मशीन
  • फैट एंड एसएनएफ चेक करने की मशीन
  • गाय की प्रेगनेंसी चेक करने की रैपिड टेस्ट किट
  • ऑटोमेटिक वाटर सिस्टम

गाय की दूध डेयरी के व्यावसायिक फायदे :

गाय पालन का काम आज के समय में केवल घरेलू दूध की ज़रूरत तक ही सीमित नहीं है। बल्कि देश की जीडीपी में इसका योगदान 4.4 प्रतिशत तक का है। गाय पालन हर उस व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है जो अपना खुद का काम शुरू करना चाहता है और लंबे समय तक एक अच्छी आय अर्जित करना चाहता है। नीचे हम आपको गाय पालने के व्यावसायिक फायदे क्या हो सकते हैं, ये बता रहे हैं।

  • गाय से भारत में कुल दूध का 43 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त होता है। ऐसे में गाय पालन करके पशुपालक एक अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं।
  • गाय के दूध से घी, चीज़, मक्खन, व्हे प्रोटीन, दही, छाछ आदि बनाए जाते हैं। जिन्हें अच्छी कीमत पर बेचा जा सकता है।
  • भारत में पाई जाने वाली देसी गायों का दूध ही नहीं, बल्कि गोबर और पेशाब भी इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल ये ऑर्गेनिक खेती में इस्तेमाल होता है।
  • गाय पालन करते हुए कुछ सांड भी पालते हैं और फिर उनके सीमन को बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते हैं।
  • गाय के गोबर के ज़रिए आजकल घर तक बनाए जा रहे हैं। इसे गो क्रीट तकनीक कहा जाता है।
  • गाय के गोबर से लकड़ी और घर पर सजाने की वस्तुएं भी बनाई जाती हैं।
देश में किसी भी नस्ल की गाय अब ऑनलाइन खरीदी जा सकती है। इसके लिए पशुपालक भाइयों को केवल Animall ऐप को डाउनलोड करना होगा। यहां न केवल सभी नस्ल की गाय और भैंस मिल जाएंगी। बल्कि बिना किसी कमीशन के गाय खरीदी और बेची जा सकती हैं। गाय खरीदने या बेचने के लिए Animall ऐप को डाउनलोड करें।
Animall सहायी
assistance
गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां :
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गाय की उम्र का पता लगाने के लिए उसके दांतों को देखा जाता है।
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हिंदू धर्म के मुताबिक गाय के अंदर 33 कोटि देवताओं का वास होता है।
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गाय उन चुनिंदा पशुओं में से है जो अपने शिशु की मांग से ज्यादा दूध देती है।
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गाय अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए अपनी नाक को चाटती है।
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गिरलांडो नस्ल की गाय ने एक दिन में 126 लीटर दूध देने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
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पुंगनुर गाय की नस्ल दुनिया की सबसे छोटी गाय की नस्ल है।
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एक साधारण गाय के दूध में 3 से 4 प्रतिशत फैट होता है।
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दुनिया की सबसे महंगी गाय होल्सटीन नस्ल की 9 करोड़ 81 लाख 63 हजार 6 सौ रुपए में कनाडा के अंदर बिकी थी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गाय गाभिन नहीं हो रही क्या करें ?
उत्तरगाय के गाभिन न होने की वजह कई हो सकती हैं। इसलिए गाय की डीवॉर्मिंग कराएं और पशु चिकित्सक से पशु की जांच कराएं।
सबसे सस्ती गिर गाय कहां मिलेगी ?
उत्तरसबसे सस्ती गाय आपको Animall ऐप पर मिलेगी।
सबसे अच्छी गाय की नस्ल कौन सी होती है ?
उत्तरदेसी गाय में गिर नस्ल को सबसे अच्छा माना जाता है। वहीं विदेशी गाय में एचएफ गाय अच्छी मानी जाती।
कौन सी गाय का दूध सबसे अच्छा होता है ?
उत्तरहाल ही में हुए शोध के मुताबिक बद्री गाय का दूध सबसे ज्यादा अच्छा होता है। इसमें सबसे ज्यादा ए2 प्रोटीन पाया जाता है।
गाय का दूध बढ़ाने की सबसे सस्ती विधि क्या है ?
उत्तरगाय के दूध को बढ़ाने के लिए सबसे सस्ती विधि संतुलित आहार है। इसके अलावा पशु को कैल्शियम से भरपूर आहार देकर भी उसका दूध बढ़ाया जा सकता है।
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