हमारा देश हर रोज़ करीब 2 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन करता है। जिसमें से 43 प्रतिशत दूध केवल गाय के ज़रिए ही प्राप्त होता है। इसके बाद बचा हुआ दूध अन्य दुधारू पशुओं से मिलता है। आपको बता दें कि भारत समेत दुनियाभर में गाय की 60 से ज्यादा नस्ले पाई जाती हैं, जिन्हें दूध के लिए ही पाला जाता है। इनमें से जो नस्ल भारत या एशियाई देशों में पाई जाती हैं, उन्हें देसी गाय कहा जाता है। वहीं जो गाय यूरोपियन या अन्य देशों में पाई गई उन्हें विदेशी गाय कहा जाता है। आज आप इस लेख से गाय पालन या पशुपालन से लेकर पशुशाला बनाने, पशु आहार, पशु रोग, के घरेलू घरेलू उपाय और देसी गाय एवं विदेशी गाय से जुड़ी तमाम जानकारियां हासिल करेंगे। अगर आप गाय पालन से अपना व्यापार शुरू करना चाहते हैं तो ये लेख आपकी काफी मदद कर सकता है।
अंतर्वस्तु : |
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1. गाय की सबसे अच्छी नस्लें |
2. पशु आहार और उसकी मात्रा |
3. पशु रोग और उपचार |
4. गाय के लिए सप्लीमेंट |
5. गाय या पशु पालन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें |
6. गाय को गाभिन करने का समय और तरीका |
7. गाय का प्रसव और गलतियां |
8. गाय पालन के लिए डेयरी टेक और योजनाएं |
देश दुनिया में गाय की 50 से ज्यादा नस्ल मौजूद हैं। गाय की इन्हीं अलग - अलग नस्लों के लिए हमने दो तालिका (टेबल) तैयार की हैं। जिसमें से एक के अंदर होंगी जो मुख्य रूप से भारत में पाई जाती हैं। वहीं दूसरी तालिका (टेबल) में विदेशी गायों की सूची दी होगी। इसके अलावा किस नस्ल की गाय की मुख्य पहचान क्या है, इसके बारे में भी आपको बताएंगे। इसके साथ ही कई लोगों के जेहन में ये सवाल चलता है कि सबसे सस्ती गाय कहां से खरीद सकते हैं या फिर ऑनलाइन गाय कैसे खरीदी जा सकती है। इसका जवाब भी तालिका (टेबल) में ही मिल जाएगा।
भारत और एशियाई देशों के अंदर पाई जाने वाली गायों को देसी कहा जाता है। देसी गाय की कुछ खास विशेषताएं होती हैं, जिन्हें देखकर आसानी से पहचाना जा सकता है। देसी गाय की कमर पर हम्प होता है जो डेढ़ इंच या उससे ज्यादा उठा हुआ होता है। इसके अलावा देसी गायों की गर्दन के नीचे खाल लटकती रहती है, जिसे गलकंबल भी कहा जाता है। इसके साथ ही देसी गाय के दूध से भी इनकी पहचान हो सकती है। नीचे टेबल में आप देसी गाय की सबसे अच्छी नस्ल के बारे में जानेंगे।
देसी गाय की नस्लें | दूध की क्षमता | दूध के प्रकार | मुख्य पहचान | उत्पत्ति | वजन | ऑनलाइन गाय खरीदें |
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गिर गाय | 50 से 80 लीटर | ए 2 मिल्क | लटके हुए कान काली आंखें फैले हुए सींग | गुजरात | 350 - 450 किलोग्राम | |
साहीवाल गाय | 10 से 16 लीटर | ए 2 मिल्क | लाल और भूरा होता है | पाकिस्तान | 450 - 500 किलोग्राम | |
राठी गाय | 12 से 18 लीटर | ए 2 मिल्क | भूरे, सफेद और लाल रंग के साथ पैच होते हैं | राजस्थान | 280 - 300 किलोग्राम | |
दोगली | 10 से 20 लीटर | ए 2 मिल्क | इनके सींग छोटे और सीधे होते हैं | भारत | 250 - 350 किलोग्राम | |
मालवी गाय | 6 से 10 लीटर | ए 2 मिल्क | काली गर्दन | मध्यप्रदेश | 290 - 340 किलोग्राम | |
नागोरी गाय | 3 से 4 लीटर | ए 2 मिल्क | थुथर, सींग और खुर काले होते हैं | जोधपुर | 280 - 350 किलोग्राम | |
थारपारकर गाय | 8 से 11 लीटर | ए 2 मिल्क | कान के अंदर की त्वचा का रंग पीला होता है | राजस्थान | 400 - 500 किलोग्राम | |
पवार गाय | 0.5 लीटर से 2.5 लीटर | ए 2 मिल्क | काले और सफेद रंग की होती हैं | उत्तर प्रदेश | 250 से 300 किलोग्राम | पवार गाय खरीदें |
भगनारी गाय | 10 से 15 लीटर | ए 2 मिल्क | इनका रंग सफेद या ग्रे होता है और गर्दन एवं पूछ के बाल काले होते हैं | बलूचिस्तान | 400 से 480 किलोग्राम | भगनारी गाय खरीदें |
दज्जल गाय | 9 से 15 लीटर | ए 2 मिल्क | सफेद या ग्रे रंग की होती है। इनकी गर्दन हल्की काली होती हैं | पंजाब | 350 से 390 किलोग्राम | दज्जल गाय खरीदें |
गावलाव गाय खरीदें | 2 से 3 लीटर | ए 2 मिल्क | इनकी आंखें बेहद काली और कान बाहर की ओर सीधे होते हैं. | मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र | 300 से 340 किलोग्राम | गावलाव गाय खरीदें |
हरियाणवी गाय | 10 से 15 लीटर | ए 2 मिल्क | ये सफेद या भूरे रंग के होते हैं और इनका चेहरा संकरा और सींग बड़े होते | हरियाणा | 290 से 310 किलोग्राम | हरियाणवी गाय खरीदें |
कांकरेज गाय | 8 से 10 लीटर | ए 2 मिल्क | इस गाय की पहचान इसके बड़े सींग हैं | गुजरात | 330 से 370 किलोग्राम | कांकरेज गाय खरीदें |
बद्री गाय | 3 से 4 लीटर | ए 2 मिल्क | ये भूरे, सफेद, लाल और काले रंग की होती हैं | उत्तराखंड | 200 से 225 किलोग्राम | बद्री गाय खरीदें |
अमृतमहल | 8 से 12 लीटर | ए 2 मिल्क | गाय का रंग खाकी, मस्तक और गला काले रंग का होता है | कर्नाटक | 200 से 250 किलोग्राम | अमृतमहल गाय खरीदें |
बच्चौर गाय | 2 से 4 लीटर | ए 2 मिल्क | सलेटी या सफेद रंग की होती हैं | बिहार | 180 से 200 किलोग्राम | बच्चौर गाय खरीदें |
बर्गुर गाय | 1 से 3 लीटर | ए 2 मिल्क | लाल रंग और पीछे की तरफ हल्के मुड़े हुए पैने सींग | तमिलनाडु | 250 से 300 किलोग्राम | बर्गुर गाय खरीदें |
डांगी | 2 से 4 लीटर | ए 2 मिल्क | काले और सफेद रंग के धब्बे | गुजरात | 200 से 250 किलोग्राम | डांगी गाय खरीदें |
हल्लीकर | 4 से 6 लीटर गाय | ए 2 मिल्क | इनके लंबे नुकीले सींग होते हैं | कर्नाटक | 220 से 270 किलोग्राम | हल्लीकर गाय खरीदें |
कंगायम | 2 से 6 लीटर | ए 2 मिल्क | देसी गाय में इस नस्ल के सबसे बड़े सींग होते हैं | तमिलनाडु | 300 से 350 किलोग्राम | कंगायम गाय खरीदें |
केनकथा | 1 से 3 लीटर | ए 2 मिल्क | ये काले और सफेद रंग की शेड में होती हैं | उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश | 260 से 310 किलोग्राम | केनकथा गाय खरीदें |
गाओलाओ | 6 से 8 लीटर | ए 2 मिल्क | सफेद रंग और पतला शरीर | नागपुर | 300 से 340 किलोग्राम | गाओलाओ गाय खरीदें |
खेरीगढ़ | 1 से 2 लीटर | ए 2 मिल्क | आंखें चमकदार और बड़ी होती हैं | उत्तर प्रदेश | 400 से 450 किलोग्राम | खेरीगढ़ गाय खरीदें |
खिलारी | 8 से 12 लीटर | ए 2 मिल्क | इनका शरीर बेलनाकार का होता है | महाराष्ट्र और कर्नाटक | 300 से 370 किलोग्राम | खिलारी गाय खरीदें |
कृष्णा वैली | 5 से 6 लीटर | ए 2 मिल्क | इस नस्ल की हाइट छोटी होती है | कर्नाटक | 300 से 325 किलोग्राम | कृष्णा वैली गाय खरीदें |
मेवाती | 4 से 5 लीटर | ए 2 मिल्क | ये नस्ल सफेद रंग की और पतली होती है | उत्तर प्रदेश और हरियाणा | 350 से 400 किलोग्राम | मेवाती गाय खरीदें |
निमाड़ी | 3 से 4 लीटर | ए 2 मिल्क | लाल रंग पर सफेद रंग के धब्बे | मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र | 300 से 350 किलोग्राम | निमाड़ी गाय खरीदें |
पुंगनुर | 3 से 5 लीटर | ए 2 मिल्क | ये गाय आकार में छोटी होती हैं | आंध्र प्रदेश | 100 से 150 किलोग्राम | पुंगनुर गाय खरीदें |
लाल कंधारी | 1 से 2 लीटर | ए 2 मिल्क | लाल रंग, चपटे माथे से पहचान सकते हैं | महाराष्ट्र | 450 से 480 किलोग्राम | लाल कंधारी खरीदें |
लाल सिंधी | 6 से 8 लीटर | ए 2 मिल्क | लाल रंग और लाल नाक | पाकिस्तान | 325 किलोग्राम | लाल सिंधी गाय खरीदें |
सीरी | 3 से 6 लीटर | ए 2 मिल्क | इस नस्ल की त्वचा पर सफेद और काले धब्बे नजर आते हैं | दार्जिलिंग और सिक्किम | 210 से 274 किलोग्राम | सीरी गाय खरीदें |
गंगातीरी | 6 से 8 लीटर | ए 2 मिल्क | सफेद रंग और माथा आकर्षक होता है | उत्तर प्रदेश और बिहार | 200 से 240 किलोग्राम | गंगातीरी गाय खरीदें |
उम्बलाचेरी | 500 एम एल से 5 लीटर | ए 2 मिल्क | इस नस्ल के चेहरे पर सफेद रंग का धब्बा होता है | तमिलनाडु | 300 से 325 किलोग्राम | उम्बलाचेरी गाय खरीदें |
वेचुर | 2 से 3 लीटर | ए 2 मिल्क | ये इनकी ऊंचाई 2 फुट तक होती है | केरल | 100 से 150 किलोग्राम | वेचुर गाय खरीदें |
मोतू | 500 एम एल से 1.2 लीटर | ए 2 मिल्क | खुर, पुंछ, सींग काले रंग के होते हैं | ओडिशा | 120 से 170 किलोग्राम | मोतू गाय खरीदें |
घुमुसरी | 1.2 से 2.5 लीटर | ए 2 मिल्क | सफेद और स्लेटी रंग एवं कम ऊंचाई | ओडिशा | 150 से 170 किलोग्राम | घुमुसरी गाय खरीदें |
बिन्झार्पुरी | 4 से 6 लीटर | ए 2 मिल्क | इनके चेहरे कमर और पैरों पर काले रंग के धब्बे होते हैं | ओडिशा और जयपुर | 207 से 211 किलोग्राम | बिन्झार्पुरी गाय खरीदें |
खरियार | 1.2 से 1.5 लीटर | ए 2 मिल्क | लाल और काला रंग | ओडिशा | 120 से 160 किलोग्राम | खरियार गाय खरीदें |
कोसली | 0.4 से 1.2 लीटर | ए 2 मिल्क | हल्का लाल और स्लेटी रंग | छत्तीसगढ़ | 125 से 160 किलोग्राम | कोसली गाय खरीदें |
बद्री | 3 - 4 से लीटर | ए 2 मिल्क | ये काले,ब्राउन, स्लेटी, रंग के होती हैं | उत्तराखंड | 200 से 225 किलोग्राम | बद्री गाय खरीदें |
विदेशी गाय वह गाय है जिनकी उत्पत्ति भारत देश में न होकर किसी अन्य देश में हुई है। विदेशी गायों की पहचान इनके शरीर की बनावट ही होती है। विदेश गाय की कमर सीधी होती है और इनकी कमर पर हम्प उठा हुआ नहीं होता। इसके अलावा विदेशी गाय की गर्दन की खाल भी नीचे नहीं लटकती। इसके साथ ही विदेशी गायों के दूध में ए 2 प्रोटीन कम होता है और ए1 प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। आप नीचे दिए गए टेबल के जरिए विदेशी गाय की सबसे अच्छी नस्लों के बारे में जानेंगे।
विदेशी गाय की नस | दूध की क्षमता | दूध के प्रकार | मुख्य पहचान | वजन | उत्पत | ऑनलाइन गाय खरीदें |
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एचएफ | 25 से 50 लीटर | ए 1 मिल्क | इनके शरीर पर सफेद और काले रंग के धब्बे होते हैं | 450- 650 किलोग्रम | जर्मनी | एचएफ गाय खरीदें |
जर्सी | 25 से 35 लीटर | ए 1 मिल्क | इनका रंग हल्का लाल एवं पीला होता है | 400 से 580 किलोमीटर | जर्सी | जर्सी गाय खरीदें |
चियानिना | 12 से 20 लीटर | ए 1 मिल्क | सफेद और स्लेटी रंग, एवं ऊंचा आकार की इनकी पहचान है | 800 से 1000 किलोग्राम | इटली | चियानिना गाय खरीदें |
ब्राउन स्विस | 21 से 29 किलोग्राम | ए 1 मिल्क | ये अधिकतर ब्राउन रंग में पाई जाती हैं | 590 से 640 किलोग्राम | स्विट्जरलैंड | ब्राउन स्विस गाय खरीदें |
आयरशायर | 20 से 25 किलोग्राम | ए 1 मिल्क | सफेद रंग पर ब्राउन या लाल धब्बे | 450 से 600 किलोग्राम | आयरशायर | आयरशायर गाय खरीदें |
ग्वेर्नसे | 17 से 23 किलोग्राम | ए 2 मिल्क | ये सुनहरे रंग की होती हैं | 400 - 500 किलोग्राम | ग्वेर्नसे | ग्वेर्नसे गाय खरीदें |
रेड डेन | 12 से 15 लीटर | ए 1 मिल्क | गहरा लाल रंग | 600 से 660 किलोग्राम | डेनमार्क | रेड डेन गाय खरीदें |
गिरलांडो | 50 से 100 लीटर | ए 1 मिल्क | सफेद रंग के शरीर पर काले धब्बे | 400 - 500 किलोग्राम | ब्राजील | गिरलांडो गाय खरीदें |
अमेरिकन ब्राह्मण | 2 से 4 किलोग्राम | ए 2 मिल्क | ऊंचा हम्प और भारी शरीर पहचान | 500 से 600 किलोग्राम | अमेरिका | अमेरिकन ब्राह्मण गाय खरीदें |
आहार इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि पशुओं के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अगर गाय को सही पशु आहार न दिया जाए तो इसका असर न केवल उसकी दूध उत्पादकता पर दिखाई देता है, बल्कि आहार न मिलने की वजह से गाय के शरीर में कमजोरी पैदा हो जाती है और इससे पशु को रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा जगह और तापमान की वजह से आहार को बदला जा सकता है, उदाहरण के लिए देसी गाय का आहार और विदेशी गाय का आहार ठंडे और गर्म तापमान में अलग - अलग हो सकता है। हम नीचे देसी गाय और विदेशी गाय के आहार से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं।
पशुओं के लिए हरा चारा बहुत जरूरी होता है। हरा चारा पशु आहार में 12 महीने दिया जाना चाहिए। ये न केवल पशु की दूध उत्पादकता को बढ़ा सकता है, बल्कि इसे पचाना भी गाय के लिए आसान होता है। भारत देश के अंदर कई हरे चारे हैं जो पशुओं को दिए जा सकते हैं जिसकी सूची कुछ इस प्रकार है।
गाय के लिए हरे चारे की तरह सूखा चारा भी बहुत ज़रूरी होता है। इसकी वजह से पशु को प्रोटीन, विटामिन आदि प्राप्त होते हैं। इसके साथ ही पशु की रूमेन हेल्थ को सही रखने में भी ये काफी कारगर होता है। एक गाय को रोज़ाना 4-5 किलो सूखा चारा आहार में ज़रूर देना चाहिए। आप अपनी गाय को कई तरह के सूखे चारे दे सकते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं।
गाय के लिए दाना मिश्रण देने से वह लंबे समय तक अच्छी मात्रा में दूध देती है। इसके अलावा पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर करता है। हालांकि केवल दाना मिश्रण का नाम जान लेना ही काफी नहीं है, बल्कि दाना मिश्रण तैयार करने की सामग्री और उनकी मात्रा का भी पता होना चाहिए। हम नीचे आपको बता रहे हैं कि किस - किस चीज़ का उपयोग दाना मिश्रण के अंदर किया जा सकता है।
मक्का, जौ, गेहूं और बाजरा दाना मिश्रण के लिए सबसे मुख्य अनाज हैं। इसके अलावा इसमें नमक, सरसों की खल, नमक, मूंगफली की खल, बिनौले की खल, दाल की चूरी, गेहूं की चोकर, मिनरल मिक्सचर आदि को मिलाकर तैयार किया जाता है। लेकिन इसमें स्थान और मौसम के हिसाब से सामग्रियों की मात्रा घटाई बढ़ाई जा सकती है।
एक ऐसा आहार होता है जो गेहूं, मक्के, ज्वार या बाजरे से बनता है। ये पशु आहार पशु के शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी को तो पूरा करने का काम करता ही है। इसके साथ ही ये गाय का दूध उत्पादन भी बढ़ाता है। आपको बता दें कि एक गाय को रोज 15 से 20 किलो साइलेज खिलाया जा सकता है। इसके अलावा साइलेज कैसे बनाया जाता है, इसकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं।
साइलेज को बनाने के लिए गेहूं, मक्के, ज्वार या बाजरे को तब काटा जाता है जब ये अनाज दूधिया अवस्था में हो। इसके बाद साइलेज बनाने के लिए इसके अंदर कई सामग्रियों को मिलाकर लंबे समय के लिए एक गहरे गड्ढे में दबा दिया जाता है। इसके बाद समय - समय पर पशु को खिलाया जाता है।
इंसानों की तरह गायों में भी कई तरह के रोगों का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। यही नहीं, गाय के शरीर में कई बार ऐसे रोग भी पैदा हो जाते हैं जिसके चलते उनकी मौत दो दिन के भीतर ही हो जाती है। ऐसे में गाय को रोग से बचाने के लिए और रोगों के इलाज से जुड़ी जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। हम आपको नीचे पशु रोग और उपचार की जानकारियां विस्तार से दे रही हैं।
रोग | लक्षण | उपचार | रोकथाम |
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गलघोंटू | बुखार, सांस लेने में दिक्कत, गले में सूजन | एंटीबायोटिक दवा एवं इंजेक्शन | बरसात के मौसम से पहले रोग निरोधक टीके |
थनैला | थनों में दिक्कत, दूध में छर्रे आना, थनों में सूजन | रोग के लक्षण के आधार पर अलग - अलग दवाएं दी जाती हैं | पशु के दूध एवं थन की समय - समय पर जांच करते रहना। |
लंगड़ा बुखार | 106 - 107 डिग्री तक बुखार होना, पशु के पैरों में सूजन, पशु का लंगड़ा कर चलना। | प्रोकेन पेनिसिलिन नाम की दवा उपयोगी होती है | बरसात से पहले टीकाकरण करवाना और रोगी पशुओं से स्वस्थ पशु को दूर रखना। |
मिल्क फीवर | शरीर का तापमान कम हो जाना, सांस लेने में परेशानी होना | कैल्शियम साल्ट का इंजेक्शन देते हैं। | प्रसव के 15 दिन तक पूरा दूध न निकाले और पशु को कैल्शियम से भरा आहार एवं सप्लीमेंट दे |
खुरपका मुहंपका | मुंह और खुर में दाने होते हैं, दाने छाला बनकर फट जाते हैं और घाव गहरा हो जाता है | तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए | बरसात से पहले टीकाकरण कराना चाहिए और बारिश में पशु को खुले में चरने नहीं देना चाहिए |
प्लीहा (एंथ्रेक्स) | पेशाब और गोबर में खून आना, तेज बुखार होना | पशु चिकित्सक से संपर्क करके स्थिति के हिसाब से उपचार करना चाहिए | इस रोग से बचाने के लिए वक्त रहते टीकाकरण करा लेना चाहिए |
यक्ष्मा (टी.बी) | पशु सुस्त हो जाता है , सूखी खांसी और नाक से खून आने लगता है | रोग के लक्षण दिखते ही पशु को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए | पशु के आहार का खास ध्यान रखना चाहिए। |
संक्रामक गर्भपात | 5-6 महीने में योनिमुख से तरल गिरता है, और बच्चे होने के लक्षण दिखते हैं, लेकिन गर्भपात हो जाता है | पशु की ठीक से सफाई करनी चाहिए, डीवॉर्मिंग करनी चाहिए और पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए | 6 से 8 महीने के पशु को ब्रुसेला का टीका लगवाना चाहिए, फिर इस रोग की संभावना कम होती है |
अफारा | पशु का बायां पेट फूल जाता है, पेट को थपथपाने पर ढोलक की आवाज आती है | पशु की तारपीन के तेल से मालिश करनी चाहिए और शुरुआती समय में पशु को टहलाना चाहिए। | पशु को दूषित, चारा, दाना, भूसा और पानी बिल्कुल न दें। |
गाय के शरीर में कई ऐसे सामान्य रोग पैदा हो जाते हैं, जो उनकी मौत का कारण तो नहीं बनते, लेकिन उनकी उत्पादकता पर गहरा असर डालते हैं। इन पशु रोग के उपचार तो कराने ही चाहिए। इसके साथ ही पशु रोग के कुछ घरेलू उपाय भी आजमाए जा सकते हैं।
इस स्थिति के अंदर गाय पतला गोबर करने लगती है और पेट में उठने लगती है। ये समस्या अमूमन तब पैदा होती है जब गाय के पेट में ठंड लग जाए। इस स्थिति में पशु को हल्का आहार ही देना चाहिए जैसे माड़, उबला हुआ दूध, बेल का गुदा आदि। वहीं साथ ही बछड़े या बछड़ी को दूध कम पिलाना चाहिए और पशु चिकित्सक से भी इलाज हेतु परामर्श ले लेना चाहिए।
गाय के प्रसव के बाद जेर 5 घंटे के भीतर गिर जानी चाहिए। अगर ऐसा न हो तो गाय दूध भी नहीं देती। ऐसे में तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करके जेर से जुड़े समाधान करने चाहिए। इसके अलावा पशु के पिछले भाग को गर्म पानी से धोना चाहिए। इसके साथ ही जेर को हाथ नहीं लगाना चाहिए न ही जबरदस्ती जेर खींचना चाहिए।
ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें गाय के प्रसव के बाद जेर आधी शरीर के बाहर रहती है और आधी अंदर ही रह जाती है। इस दौरान पशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है और योनिमार्ग से बदबू आने लगती है। इसके साथ ही पशु की योनि से तरल पदार्थ गिरने लगता है। इस स्थिति में पशु चिकित्सक की निगरानी में पशु को गुनगुने पानी में डिटॉल और पोटाश मिलाकर साफ करना चाहिए। वहीं पशु चिकित्सक के जरिए इसका संपूर्ण इलाज कराना चाहिए।
गाय के शरीर में कई ऐसे सामान्य रोग पैदा हो जाते हैं, जो उनकी मौत का कारण तो नहीं बनते, लेकिन उनकी उत्पादकता पर गहरा असर डालते हैं। इन पशु रोग के उपचार तो कराने ही चाहिए। इसके साथ ही पशु रोग के कुछ घरेलू उपाय भी आजमाए जा सकते हैं।
इंसान के साथ गायों को भी खासा परेशान करती है। ये रोग अक्सर पशु को ज्य़ादा देर भीगने की वजह से होता है। इस रोग के दौरान पशु का तापमान बढ़ जाता है, सांस लेने में दिक्कत होती है और पशु का नाक बहने लगता है। इस स्थिति में उबलते पानी में तारपीन का तेल डालकर उसकी भांप पशु को सुंघानी चाहिए। इसके साथ ही पशु के पंजार में सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करनी चाहिए। पशु को इस रोग से बचाए रखने के लिए सर्दियों में गर्म स्थान पर रखना चाहिए।
ये बहुत सामान्य स्थिति है। इसमें गर्म पानी में फिनाइल या पोटाश डालकर घाव की धुलाई करनी चाहिए। अगर घाव में कीड़े लगे हों तो एक पट्टी को तारपीन के तेल में भिगोकर पशु को बांध देनी चाहिए। मुंह के घावों को हमेशा फिटकरी के पानी से ही धोना चाहिए। इसके साथ ही घाव से संबंधित उपाय जानने के लिए पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
इस समस्या के दौरान नीम के पत्तों को पानी में उबालकर पशु के ऊपर स्प्रे करना चाहिए या एक कपड़े को इस पानी में डालकर पशु को धोना चाहिए। इस उपाय को कुछ दिन लगातार करने से पशु को से छुटकारा मिल जाएगा।
गाय के शरीर में कई बार किसी पोषक तत्व की कमी हो जाती है या फिर पशु तनाव में आ जाता है। जिसकी वजह से पशु की उत्पादकता घट जाती है। ऐसे में पशु को कई तरह के सप्लीमेंट दिए जा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि गाय को ये सप्लीमेंट केवल किसी पशु चिकित्सक की सलाह पर ही दिए जाने चाहिए। पशुपालन करने वाले लोग अपने पशुओं के लिए अन्य सप्लीमेंट का इस्तेमाल भी अक्सर करते हैं
समस्या | सप्लीमेंट का नाम |
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कैल्शियम की कमी | कैल्शियम जैल |
लीवर में दिक्कत | लीवर टोनिक |
तुरंत ऊर्जा देने के लिए | हिमशक्ति |
ब्लोटिंग की समस्या में | ब्लोट गो |
पाचन क्रिया के लिए | डिगो प्लस |
दूध बढ़ाने के लिए | दूध गेन |
गर्भाशय की देखभाल के लिए | यूटेराइन टॉनिक |
अडर बढ़ाने के लिए | अडर प्लस सप्लीमेंट |
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए | इम्यून सप्लीमेंट |
रूमेन के स्वास्थ्य के लिए | रूमेन प्रो सप्लीमेंट |
गाभिन गाय के लिए | एनोमिनिक मिनरल मिक्सचर |
हीट स्ट्रेस से छुटकारे के लिए | काओ कूल |
डेयरी उद्योग से जुड़े हुए हर छोटे बड़े पशुपालक को गाय कैसे पालनी चाहिए और किन मूलभूत बातों का ख्याल रखना चाहिए। इसकी जानकारी होनी चाहिए। अगर ये जानकारी न हो तो पशुपालक को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। नीचे हम आपको उन आधारभूत बातों से रूबरू कराएंगे जिनका ध्यान गाय पालकों को ज़रूरी रखना चाहिए।
गाय खरीदने या डेयरी उद्योग में सबसे पहला चरण यही है कि आप पशुओं के रहने की व्यवस्था सही तरह से करें। ताकि गाय पूरी तरह स्वस्थ रहे और उसकी उत्पादकता बेहतर रहे। इसमें पशु के रहने का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है।
गाय पालन करने से पहले गाय के लिए जिन भी वस्तुओं की आवश्यकता है, उनका इंतजाम ज़रूर करें। गाय के लिए जिन वस्तुओं की आवश्यकता हो सकती है, उसके बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बता रहे हैं।
गाय को गाभिन करने का सही समय पता होना बेहद ज़रूरी है। वरना एक बार ये मौका छूट जाता है तो इसके लिए लगभग एक महीने का ही इंतजार करना पड़ता है। जिससे पशुपालक को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसलिए हम आपको नीचे एक तालिका (टेबल) में गाय की हीट साइकिल से लेकर उसे गाभिन करने की प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं।
गाय को गाभिन करने के मुख्य रूप से दो तरीके होते हैं। इसमें पहला तरीका होता है कि किसी अच्छे नस्ल के सांड से गाय को ब्रीड कराया जाए। लेकिन कई बार आस पास अच्छी नस्ल के सांड मौजूद नहीं होते। ऐसे में आज के समय में कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है। इसमें किसी अच्छे पशु का सीमेन लिया जाता है और उसे पशु की योनि के जरिए गर्भाशय में छोड़ दिया जाता है। इसके लिए एक जानकार व्यक्ति की ज़रूरत होती है। गाय को गाभिन करने के लिए किन दूसरी बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके लिए नीचे हमने एक तालिका (टेबल) दी है उसे भी ज़रूर पढ़ें।
सवाल | जवाब |
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गाय की हीट साइकिल कब आती है? | गाय 18 से 21 दिन में हीट में आती है |
गाभिन करने का सही समय क्या है? | गाय के हीट में आने के 24 घंटे के भीतर |
गाभिन करने के तरीके क्या हैं? | एआई कृत्रिम गर्भाधान या ब्रीडिंग करवाएं |
प्रसव के बाद कितने समय बाद गाय वापस हीट में आती है ? | 45 से 60 दिन में |
इसका पता करने के कुछ सामान्य तरीके हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं।
सामान्य पशु से कुछ अलग हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी कई चीजें हैं जो गाय का गर्भपात भी करा सकती है। इसलिए गाभिन गाय के आहार के प्रति अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। हम नीचे आपको बता रहे हैं कि गाभिन गाय को क्या खिलाना चाहिए।
गाय के गर्भावस्था का समय जितना सावधान रहने वाला है, उतना ही उसके प्रसव का समय भी है। अगर प्रसव के दौरान या उससे पहले कुछ गलतियां हो जाएं तो इससे पशु पूरी तरह खराब भी हो सकता है। आइए जानते हैं गाय के प्रसव के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्या गलती करने से बचना चाहिए।
प्रसव से जुड़े सवाल | जवाब |
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प्रसव के समय पशुपालक को पशु से दूर क्यों खड़े रहना चाहिए ? | अगर पशुपालक पशु के पास खड़ा होगा तो इसकी वजह से पशु का ध्यान बट जाएगा और प्रसव में दिक्कत पैदा हो सकती है |
पशु को प्रसव से पहले कब ड्राई करना चाहिए ? | पशु को प्रसव से 60 दिन पहले ड्राई कर लेना चाहिए |
क्या प्रसव के समय बछड़े को जबरदस्ती निकाल सकते हैं ? | नहीं ऐसा, नहीं करना चाहिए, अगर बछड़ा निकल न पा रहा हो तो डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए |
प्रसव के समय क्या न करें ? | प्रसव के समय पशु को गंदे फर्श या बिछौने पर बैठने न दें |
गाय के प्रसव में कितना समय लगता है ? | गाय के प्रसव में 4 से 5 घंटे का समय लग सकता है। |
क्या प्रसव के बाद जेर को खीच कर निकाला जा सकता है ? | नहीं ऐसा करने से पशु पूरी तरह खराब हो सकता है |
क्या पशु की गर्भनाल को खींच सकते हैं ? | नहीं ऐसा करने पर पशु के शरीर से खून बहने लगता है और पशु की मौत भी हो सकती है। |
गाय पालन करने के लिए आज के समय में कई तरह की मशीन या तकनीक आ गई हैं। इसके अलावा सरकार भी गाय खरीदने से लेकर उनके पालन पोषण करने पर कई तरह की योजनाएं चला रही है। नीचे हम आपको नई तकनीक और योजनाओं से जुड़ी कुछ जानकारी दे रहे हैं।
गाय पालन का काम आज के समय में केवल घरेलू दूध की ज़रूरत तक ही सीमित नहीं है। बल्कि देश की जीडीपी में इसका योगदान 4.4 प्रतिशत तक का है। गाय पालन हर उस व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है जो अपना खुद का काम शुरू करना चाहता है और लंबे समय तक एक अच्छी आय अर्जित करना चाहता है। नीचे हम आपको गाय पालने के व्यावसायिक फायदे क्या हो सकते हैं, ये बता रहे हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल |
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गाय गाभिन नहीं हो रही क्या करें ? उत्तरगाय के गाभिन न होने की वजह कई हो सकती हैं। इसलिए गाय की डीवॉर्मिंग कराएं और पशु चिकित्सक से पशु की जांच कराएं। |
सबसे सस्ती गिर गाय कहां मिलेगी ? उत्तरसबसे सस्ती गाय आपको Animall ऐप पर मिलेगी। |
सबसे अच्छी गाय की नस्ल कौन सी होती है ? उत्तरदेसी गाय में गिर नस्ल को सबसे अच्छा माना जाता है। वहीं विदेशी गाय में एचएफ गाय अच्छी मानी जाती। |
कौन सी गाय का दूध सबसे अच्छा होता है ? उत्तरहाल ही में हुए शोध के मुताबिक बद्री गाय का दूध सबसे ज्यादा अच्छा होता है। इसमें सबसे ज्यादा ए2 प्रोटीन पाया जाता है। |
गाय का दूध बढ़ाने की सबसे सस्ती विधि क्या है ? उत्तरगाय के दूध को बढ़ाने के लिए सबसे सस्ती विधि संतुलित आहार है। इसके अलावा पशु को कैल्शियम से भरपूर आहार देकर भी उसका दूध बढ़ाया जा सकता है। |
To improve the lives of dairy farmers in a meaningful way by making dairy farming significantly more profitable. Further, more than 15,00,000+ cattle have been sold through Animall which amounts to INR 7500cr+ of GTV. Our dairy farmers have rated us 4.8 out of 5 and 65%+ of them refer Animall to at least one friend monthly.