बछड़े- बछड़ियों में पैराटाईफाइड़ रोग के बारे में जानकारी दें।

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यह रोग दो सप्ताह से 3 महीने के बछड़ों में होता है। यह रोग गंदगी और भीड़ वाली गौशालाओं में अधिक होता है। इस के मुख्य लक्षण – तेज़ बुखार, खाने में अरुचि, थंथन का सूखना, सुस्ती। गोबर का रंग पीला या गन्दला हो जाता है व बदबू आती है। रोग होते ही पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

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बछड़े- बछड़ियों को पेट के कीड़ों से कैसे बचाया जा सकता है?

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दूध पीने वाले बछड़ों के पेट में आमतौर पर लम्बे गोल कीड़े हो जाते हैं। इससे पशु सुस्त हो जाता है, खाने में अरुचि हो जाती है और आँखों की झिल्ली छोटी हो जाती है। इस से बचने के लिये बछड़ों को साफ़ पानी पिलाएं, स्वस्थ बछड़ों को अलग रखें क्योंकि रोगी बछड़ों के गोबर में कीड़ों के अण्डे होते है।

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बछड़े- बछड़ियों में होने वाले न्यूमोनिया रोग पर प्रकाश डालें।

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यह रोग गन्दे व सीलन वाले स्थानों में रहने वाले पशुओं में अधिक फैलता है। यह रोग 3-4 मास के बछड़ों में सबसे अधिक होता है। इस रोग के लक्षण है – नाक व आंख से पानी बहना,सुस्ती, बुखार,साँस लेने में दिक्कत, खांसी व अंत में मृत्यु। इस घातक रोग से बचाव के लिये पशुओं को साफ़ व हवाद बाड़ों में रखें। और अचानक मौसम/तापमान परिवर्तन से बचाएं।

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बछड़े- बछड़ियों में सफेद दस्त क्यों होती है?

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अंग्रजी में ” व्हाइट सकाऊर ” नामक यह प्राणघातक रोग है जोकि 24 घण्टे में ही बछड़े की मृत्यु का कारण बन सकता है। इसमें बुखार आता है , भूख कम लगती है और बदहज़मी हो जाती है। पतले दस्त होते हैं जिस से बदबू आती है। इस से खून भी आ सकता है। इससे बचाव के लिये बछडों को प्रयाप्त खीस पिलाएं।

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बछड़े – बछड़ियों में नाभि का सड़ना क्या है? इसका उपचार और बचाव जानिए

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ऐसा कहा जाता है कि जितना सुरक्षित बच्चा मां के गर्भ में होता है, उतना सुरक्षित कहीं और नहीं हो सकता। ऐसा ही पशुओं के साथ भी होता है। आमतौर पर जब गाय गर्भवती होती है, तो पशुपालक उसका ध्यान बराबर रखते हैं। लेकिन जब प्रसव हो जाता है, तो इसके बाद बछड़े या बछिया पर ध्यान ही नहीं देते। जिसके चलते कई बार बछड़े या बछिया कई रोग या समस्याओं की चपेट में आ जाते हैं।  इनमें से एक समस्या जो आमतौर पर देखने को मिलती है वह है बछिया की नाभि का सड़ना।

बछड़े या बछिया को जब यह समस्या हो जाती है तो उन्हें बहुत पीड़ा से गुजरना पड़ता है। ऐसे में पशुपालकों को भी समझ नहीं आता कि इस समस्या का क्या किया जाए। पशुपालन करने वाले  लोगों की इसी समस्या का अंत आज हम करने वाले हैं। अपने इस लेख में हम आपको बछिया की नाभि सड़ने की वजह और इसके उपचार से जुड़ी जानकारी देंगे। इस समस्या से जुड़ी संपूर्ण जानकारियां हासिल करने के लिए लेख पर अंत तक बने रहें।

क्या है बछड़े (बछिया) की नाभि का सड़ना ?

जिस तरह एक इंसान के बच्चे का जन्म के बाद उसका ध्यान रखना और उसकी साफ सफाई करना बहुत जरूरी होता है। उसी तरह गाय के बछड़े और बछिया की सफाई करना भी जरूरी होता है। लेकिन जब बछिया के जन्म के बाद उसकी नाभि की सफाई नहीं की जाती, तो ऐसे में उसकी नाभि में मवाद पड़ने लग जाती है।

यही नहीं समय पर इस समस्या का उपचार न करने पर नाभि में पड़ी पस के चलते सूजन आ जाती है और बछिया को बहुत दर्द रहने लगता है। इसके अलावा कई बार स्थिति अधिक गंभीर होने पर बछड़ा या बछिया सुस्त हो जाता है और लंगड़ाकर चलने लगता है। 

बछिया की नाभि सड़ने पर उपचार 

अगर आपकी गाय की बछिया या बछड़े की नाभि सड़ गई है, तो इसका उपचार समय रहते करना बहुत जरूरी है। इसका उपचार करने के लिए आप बछिया की नाभि को एक कीटनाशक से साफ करें और टिंक्चर आयोडीन लगाते रहें। ऐसा आपको तब तक करना होगा जब तक बछिया की नाभि पूरी तरह न सुख जाए। ध्यान रहे कि सफाई किए बिना यह घाव ठीक नहीं होगा। इसलिए इसमें किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें। 

नाभि सड़ने से बचाने का तरीका 

गाय के प्रसव के तुरंत बाद बछिया की नाभि को सही तरह से सफाई करें। इसके लिए आप किसी तरह के तरल पदार्थ या पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा जब तक बछिया की नाभि न सूख जाए तब तक उनका अधिक ध्यान रखें। 

आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करने के लिए आप हमारी Animall App को डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप के माध्यम से आप पशु खरीद और बेच भी सकते हैं। इसके अलावा अगर आपका पशु बीमार है तो आप चिकित्सक से भी सहायता ले सकते हैं। ऐप डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

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