लंगड़ा बुखार होने का क्या कारण है?

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पशुपालन के ऊपर निर्भर व्यक्ति के जीवन में कई बड़ी चुनौतियां होती हैं। जिनमें से एक सबसे बड़ी चुनौती है, पशुओं को रोग से बचाए रखने की। पशु के रोगी हो जाने पर न केवल उनकी उत्पादकता घट जाती है। बल्कि कई बार तो पशुओं की मौत भी हो जाती है। ऐसे में पशुपालकों को यह पता होना चाहिए की किसी भी रोग होने का मुख्य कारण क्या है। आज हम ऐसे ही रोग के कारणों पर से पर्दा उठाएंगे।

हम बात कर रहे हैं, लंगड़े बुखार के बारे में। यह एक खतरनाक रोग है जो अमूमन दुधारू पशुओं को होता है। इनमें भी सबसे अधिक खतरा गाय को इस रोग से होता है। लंगड़े बुखार को कुछ लोग ब्लैक क्वार्टर के नाम से भी जानते हैं। आज हम अपने इस लेख में आपको ब्लैक क्वार्टर या लंगड़े बुखार के कारण के बारे में विस्तार से बताएंगे। अगर आप एक पशुपालक हैं और अपने पशुओं को इस रोग से बचाकर रखना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

लंगड़ा बुखार कब होता है

पशुओं में होने वाले ज्यादातर रोग अक्सर बारिश के दिनों में ही होते हैं. इसके पीछे की वजह है, बारिश के दिनों में जीवाणुओं का पनपना और उनका सक्रिय हो जाना। ब्लैक क्वार्टर या लंगड़ा बुखार भी इन्ही रोगों में से एक है। यह भी बारिश के दिनों में ही अक्सर गाय या अन्य पशु को होता है। लंगड़े बुखार को अलग – अलग भाषाओं में अलग – अलग नाम से जाना जाता है जैसे जहरबाद, फडसूजन, काला बाय, कृष्णजंधा, लंगड़िया, एकटंगा आदि। 

किस आयु के पशु को है खतरा 

आपको बता दें यूं तो यह रोग अमूमन हर क्षेत्र में पाया जाता है। लेकिन इसके होने की सबसे अधिक संभावना पशु को तब होती है जब वह छोटा है। बताया जाता है कि गाय या भैंस को यह रोग 6 महीने की आयु से लेकर 3 साल की आयु तक हो सकता है। वहीं एक बार पशु अगर इस आयु को लांघ जाए तो फिर लंगड़े बुखार होने की संभावना बेहद कम रह जाती है। इसके अलावा यह रोग अक्सर उन पशुओं को शिकार बनाता है जो शारीरिक रूप से अधिक स्वस्थ हों। 

लंगड़े रोग का कारण 

लंगड़ा बुखार मिट्टी में पैदा होने वाले एक जीवाणु से होता है। इसका नाम क्लोस्ट्रीडियम चौवाई है। आपको बता दें कि यह जीवाणु बीजाणुओं को पैदा करता है और सालों तक मिट्टी में जीवित रहता है। इसके अलावा अगर कोई पशु इस रोग से संक्रमित हो तो उसके संपर्क में आने से यह दूसरे पशुओं को भी प्रभावित कर सकता है। इस रोग से पशु को बचाने के लिए पशुपालक भाइयों को साफ सफाई का ख्याल रखना चाहिए। इसके साथ ही पशु को बारिश के मौसम में गिली मिट्टी के संपर्क में आने से रोकना चाहिए।  

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जानिए क्या है लंगड़ा बुखार होने की वजह, लक्षण और उपचार

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बारिश के मौसम का लुत्फ हम इंसान भले ही लेते हो। लेकिन यह मौसम पशुओं के लिए इतना अच्छा नहीं होता। ऐसा इसलिए भी क्योंकि बारिश के दौरान मिट्टी में नमी आ जाती है। जिसकी वजह से बहुत से परजीवी या जीवाणु मिट्टी में पैदा होने लगते हैं। यह जीवाणु पशुओं को बहुत से रोगों की चपेट में ले लेते हैं। आज हम बारिश के दौरान होने वाले ऐसे ही रोग के बारे में जानकारी साझा करेंगे। बारिश के दौरान ब्लैक क्वार्टर या लंगड़ा बुखार होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। यह रोग पशु के शरीर में कई गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। अपने इस लेख में हम जानेंगे आखिर लंगड़ा बुखार कैसे फैलता है, इसके कारण क्या है या फिर लंगड़ा बुखार के लक्षण क्या है। अगर आप एक पशुपालक हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि लंगड़ा बुखार क्या है और इसका उपचार क्या है। 

लंगड़ा बुखार या ब्लैक क्वार्टर कैसे फैलता है 

लंगड़ा बुखार बारिश के दिनों में मिट्टी के जरिए पैदा होता है। इस रोग के पीछे जिस जीवाणु का हाथ होता है, उसका नाम क्लोस्ट्रीडियम चौवई है। आपको बता दें कि यह जीवाणु ऐसे बीजाणुओं को पैदा करता है, जो सालों तक मिट्टी में जीवित रह सकते हैं। यह गीली मिट्टी से किसी घाव के जरिए फैलता है। इसके अलावा अगर किसी पशु की मौत लंगड़े बुखार की वजह से हुई हो और दूसरे पशु के उसके संपर्क में आ जाएं तो वह भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। आमतौर पर यह रोग 6 – 24 महीने की उम्र के पशुओं को ही अपनी चपेट में लेता है। 

लंगड़ा बुखार के लक्षण 

अगर पशु लंगड़े बुखार की चपेट में आ गया है, तो इसके कुछ लक्षण आपको देखने को मिल सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं। 

  1. पशु को जब लंगड़ा बुखार हो जाता है तो उसके शरीर का तापमान 107 फैरनहाइट तक पहुंच जाता है। यानी पशु को इस दौरान बहुत तेज बुखार हो जाता है
  2. लंगड़े बुखार के दौरान पशु खाना पीना पूरी तरह छोड़ देता है
  3. लंगड़े बुखार की वजह से पशु के अगले या पिछले पैरों में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से वह लंगड़ा कर चलने लगता है
  4. लंगड़े बुखार के दौरान पशु के पैरों में बहुत ज्यादा दर्द रहने लगता है
  5. पशु के पिछले पैरों में घुटनों से ऊपर सूजन आ जाती है। वहीं अगर इसमें सूजन कम करने के लिए चीरा लगाया जाए, तो इसमें पशु के पैरों से खून निकलने लगता है
  6. लंगड़ा बुखार होने पर सूजन कमर, कंधे तक पहुंच सकती है
  7. लंगड़ा बुखार होने के बाद कई बार पशु दो या तीन दिन में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है

लंगड़े बुखार का उपचार 

लंगड़ा बुखार एक ऐसा रोग है, जिसके होने पर इसका उपचार करना थोड़ा मुश्किल है। इसलिए इस रोग से पशु को बचा कर रखना ही एकमात्र विकल्प है। इसके अलावा अगर पशु को यह रोग हो जाता है और सूजन अधिक हो जाती है, तो पशु को चीरा लगाकर उसे इससे राहत दिलाई जा सकती है। हालांकि इसकी संभावना भी कम है। इन सबके अलावा कई बार पशुओं को कुछ दवाएं भी दी जाती हैं, ताकि पशु को दर्द से राहत मिले और इस रोग से छुटकारा मिल सके। 

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पशुओं में अफारा रोग से कैसे बचाव करना चाहिये?

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(क) पशुओं को चारा डालने से पहले ही पानी पिलाना चाहिये।
(ख) भोजन में अचानक परिवर्तन नहीं करना चाहिये।
(ग) गेहूं, मकाई या दूसरे अनाज अधिक मात्रा में खाने को नहीं देने चाहिये।
(घ) हर चारा पूरी तरह पकने पर ही पशुओं को खाने देना चाहिये।
(ड़) पशुओं को प्रतिदिन कुछ समय के लिये खुला छोड़ना चाहिये।

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पशुओं में अफारा रोग के क्या-क्या कारण हो सकते है।

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(क) पशुओं को खाने में फलीदार हरा चारा, गाजर, मूली,बन्द गोभी अधिक देना विशेषकर जब वह गले सड़े हों।
(ख) बरसीम, ब्यूसॉन , जेई, व रसदार हरे चारे जो पूरी तरह पके न हों व मिले हों।
(ग) भोजन में अचानक परिवर्तन कर देने से।
(घ) भोजन नाली में कीड़ों, बाल के गोले आदि से रुकावट होना।
(ड़) पशु में तपेदिक रोग का होना।
(च) पशु को चारा खिलाने के तुरन्त बाद पेट भर पानी पिलाने से।

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बछड़ों में पेट के कीड़ों (एस्केरियासिस) से कैसे बचा जा सकता है।

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इस रोग की वजह से बछड़े को सुस्ती, खाने में अरुचि, दस्त हो जाते हैं। व इस रोग की आशंका होते ही तुरन्त पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

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