जानिए मानसून में पशु को क्या खिलाना चाहिए और क्या नहीं

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पशुपालन करने वाले लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां बारिश के दिनों में ही उभर कर आती है। इस दौरान न केवल पशुओं को रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। बल्कि पशुओ की देखरेख से लेकर उनके आहार तक में कई बदलाव करने पड़ते हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में पशुपालक भाइयों की ऐसी ही समस्या को सुलझाने के लिए आए हैं। 

हमारे इस लेख में आप जानेंगे कि बारिश या मानसून के दिनों में पशुआहार को सुरक्षित कैसे रखें और पशु को खाने में क्या दें। अगर आप एक पशुपालक हैं और इसी तरह की चुनैतियों से जूझते रहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। इसके अलावा लेख के साथ – साथ आपको यही जानकारी वीडियो में भी मुहैया कराई जा रही है। वीडियो का लिंक हम आपको नीचे दे रहे हैं। 

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मानसून में पशुआहार के रखरखाव की चुनौती

किसान और पशुपालक भाइयों की आर्थिक स्थिति उतनी बेहतर न होने की वजह से उन्हें पशुआहार के रखरखाव में खासी दिक्कतें आती है, जो कुछ इस प्रकार है। 

  • मानसून में जगह की कमी के चलते पशुआहार को संग्रह नही हो पाता। 
  • पशुशाल में बने खोर के अंदर बारिश का पानी चला जाता है। 
  • दीवारों में आई सीलन की वजह से पशुआहार सील जाता है और खराब हो जाता है। 
  • पशुआहार में बारिश के दौरान कीड़े लगने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। 
  • बारिश के दौरान दाने खराब हो जाते हैं। जिसकी वजह से पशुपालक भाइयों को खासा नुकसान उठना पड़ता है। 

मानसून में पशु आहार कैसा होना चाहिए

ऐसे कई पशुपालक हैं जो बारिश के दिनों में पशुओं को हरा चारा कम मात्रा में देते हैं। लेकिन यह गलती बिल्कुल भी न करें। आप हरे चारे की मात्रा कुछ कम कर सकते हैं। लेकिन इसे अधिक कम न करें। 

  • पशु को 50 से 60 प्रतिशत तक सूखा चारा और 40 से 50 प्रतिशत तक ही हरा चारा खिलाया जा सकता है।
  • पशु को इस दौरान एक  ऐसा आहार जरूर देना चाहिए जो पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकें। इसमें आप पशु को मिनरल मिक्सचर दे सकते हैं। इसके अलावा पशु को डी वार्मिंग की दवा और मीठा सोडा देना चाहिए।  
  • पशु को बारिश के समय ऐसा चारा नहीं देना चाहिए जिसमें अधिक पानी जा चुका हो। अगर पशु गीला चारा खाता है तो उसे गोबर करने में दिक्कत आ सकती है। जिसे आम भाषा में बंद पड़ना कहते हैं। 

मानसून के दौरान पशु को क्या खिलाना जरूरी है

पशु को मानसून के दौरान मिनरल मिक्सचर, सूखा चारा, नमक, सरसो का तेल आदि जरूर देना चाहिए। इन सबके अलावा विटामिन और प्रोटीन से जुड़े पदार्थ पशु को जरूर देने चाहिए। 

पशु अगर खाने पीने में रूचि न दिखा रहा हो तो ऐसे में पशुपालक को बिना वक्त गवाएं पशु की जांच पशु चिकित्सक से करा लेनी चाहिए।

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पशु को मानसून के दौरान क्या नहीं खिलाना चाहिए

पशु को मानसून के दौरान दलिया आदि बिल्कुल भी नहीं खिलाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि दलिया में पानी अधिक होता है और इन दिनों यह आहार पशु के पेट में जम सकता है। 

पशु को मानसून के दौरान घर का बचा हुआ आटा खिलाने से परहेज करना चाहिए। यह आटा पशु के पेट में जाकर जम जाता है और इससे पशु के पेट में कीड़े हो जाते हैं। 

हमें उम्मीद है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। अगर आप इसी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारी एनिमॉल ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप के जरिए पशु बेचने, खरीदने का काम भी किया जा सकता है। इसके अलावा पशु चिकित्सक से भी संपर्क किया जा सकता है। 

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जानिए क्या है मानसून में थनैला रोग फैलने की वजह, लक्षण और उपचार (वीडियो)

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मानसून के दौरान पशुपालक भाइयों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से वह खासे परेशान हो जाते हैं। पशुपालक भाइयों को इसी समस्या का समाधान आज हम लेकर आए हैं। हमारे इस लेख में हम पशुपालक भाइयों को मानसून में होने वाले थनैला रोग के बारे में बताएंगे।

हम कोशिश करेंगे कि पशुपालक भाइयों को थनैला रोग के कारण, लक्षण, उपचार और बचाव की जानकारी से अवगत कराएं। अगर आप एक पशुपालक हैं और मानसून के दौरान पशुओं को थनैला से बचाकर रखना चाहते हैं तो हमारे इस लेख पर अंत तक बने रहें।

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क्या है थनैला रोग 

थनैला रोग बारिश के दिनों में दुधारू पशुओं को हो सकता है। थनैला रोग की वजह कुछ बैक्टीरिया या बाहरी जीव होते हैं जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं।

  • स्टैफाइलोकोकस
  • स्ट्रेप्टोकोकस 
  • माइकोप्लाज्मा
  • कोराइनीबैक्टिरीयम
  • इ.कोलाई,
  • फफूंद 

मानसून में क्यों फैलता है थनैला रोग

  • मौसम में नमी होती है ज्यादातर समय फर्श गीला रहता है। जिसकी वजह से पशु के थनों में परजीवी प्रवेश कर जाते हैं। इसकी वजह से थनैला हो सकता है। 
  • जब पशुपालक भाई दूध दुहने में अंगूठा अंदर की तरफ रखते हैं तो पशु के थनों में गांठ पड़ जाती है, जिसकी वजह से थन खुले रह जाते हैं और बारिश के दिनों में पैदा हुए परजीवी के चलते थनैला की स्थिति पैदा हो सकती है।
  • बारिश के दौरान अगर पशु के थनों पर चोट लग जाए तो घाव नहीं भरता और थनैला की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

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मानसून में थनैला के लक्षणों की पहचान का तरीका

  • थनैला में पशु के थनों में गांठ हो जाती है। 
  • पशु के थन का आकार सामान्य से अधिक बड़ा हो जाता है। 
  • थनों को दबाने पर दूध की जगह खून या पस निकलने लगता है। 
  • पशु के थनों में दर्द रहने लगता है। 
  • थन से फटा हुआ या दूषित दूध निकलने लगता है।

मानसून में थनैला के उपचार और सावधानियां

  • पशु को थनैला होने पर उसे हरा धनिया खिलाया जाना चाहिए।
  • थनैला की स्थिति में पशु को केले के अंदर कुछ कपूर डालकर खिलाया जा सकता है।
  • थनैला रोग होने पर सबसे पहले पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। 
  • रोग के होने पर पशु के नीचे धुआं या गर्म आंच नहीं दिखानी चाहिए। 
  • रोग के हो जाने पर पशु को किसी तरह की बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं देनी चाहिए। 
  • थनैला के लक्षण दिखने पर पशु के दूध की जांच करानी चाहिए। 

मानसून में पशुओं को थनैला से कैसे बचाएं

  • मानसून के दिनों में पशु के रहने के स्थान को गीला न रहने दें।
  • थनों में चोट या गांठ पड़ने पर डॉक्टर की सहायता तुरंत लेनी चाहिए। 
  • पशु को खुरदरे और गीले फर्श पर नहीं छोड़ना चाहिए। 
  • पशु को खुले में चरने के लिए या बैठने के लिए न छोड़ें। 
  • पशु के थनों की सफाई नीम के गर्म पानी से करनी चाहिए।  

अगर आप इसी जानकारी को वीडियो के माध्यम से समझना चाहते हैं, तो नीचे दी गई वीडियो को देख सकते हैं और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब भी कर सकते हैं। इसके अलावा हमारी एनिमॉल ऐप को डाउनलोड कर आप गाय और भैंस खरीद एवं बेच भी सकते हैं। ऐप को डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

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