घर पर पशु दाना/आहार बनाने की विधी क्या है कृपया सुझाऐं?

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निम्न लिखित विधी द्वारा पशु दाना/आहार घर पर बनाया जा सकता है:- 10 कि.ग्रा. पशुआहार बनाने के लिए बराबर मात्रा में अनाज, चिकर ओर खल(3.33 कि.ग्रा.प्रत्येक) लें ओर इसमें 200ग्राम नमक व 100 ग्राम खनिज लवण मिलाएं| कृपया यह सुनिश्चित करें कि अनाज पूरी तरह पिसा हुआ व खल पूरी तरह तोडी हुई हो (यदि खल पूरी तरह पाउडर नहीं बना हो तो एक दिन पहले 2 ग्राम को पानी से भिगो दें) अगली सुबह पीसी हुई नरम खल को उपरोक्त अनाज नमक व खनिज लवण में मिलाए| इस पशु दाने को पशु को पशु कि आवश्यकता अनुसार सूखे घास व हरे चारे में खिलाया जा सकता है|

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एक जानवर की पौष्टिक आवश्यकता क्या है?

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सामान्य नीयम के तहत एक दुधारू गौ को 40-50 कि.ग्रा. हरा चारा व 2.5-3.0 कि.ग्रा. दाना (प्रति कि.ग्रा. दूध उत्पादन) देना अनिवार्य है| परन्तु यह एक जानवर की कुल दीध उत्पादन व उसके वज़न पर निर्भर है|

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बछड़ों- बछड़ियों को खीस के इलावा और क्या खुराक देनी चाहिये?

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पहले तीन हफ्ते बछडों को उनके शरीर का दसवां भाग दूध पिलाना चाहिये। चौथे और पांचवे हफ्ते शरीर के कुल भाग का 1/15 वां भाग दूध पिलाएं। इसके बाद 2 महीने की उम्र तक 1/20 वां भाग दूध दें। इसके साथ-साथ शुरुआती दाना यानि काफ स्टार्टर और उस के साथ अच्छी किस्म का चारा देना चाहिये।

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नवजात बछड़ों का पोषण कैसे करें?

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अच्छा पोषण ही बछड़ों- बछड़ियों को दूध / काम के लिये सक्षम बनाता है। नवजात बछड़ों के लिये कोलोस्ट्रल (खीस) का बहुत महत्व है। इस से बिमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। और बछड़े- बछड़ियों का उचित विकास होता है।

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पशुओं के आहर व पानी की दिनचर्या कैसी होनी चहिये?

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किसी महापुरुष ने कहा है कि अपना भोजन समय पर खाएं, जिस तरह दवाई समय पर खाई जाती है। वरना खाने के समय पर जिंदगी भर दवाई ही खानी पड़ेगी। यह बात न केवल इंसानों पर लागू होती है। बल्कि पशुओं पर भी यही बात लागू होती है। लेकिन पशु स्वयं तो कुछ लेकर खा – पी नहीं सकते।

ऐसे में पशुपालकों की यह जिम्मेदारी है कि वह उनके खाने पीने का इंतजाम सही तरह से करके रखें। लेकिन कई बार खुद पशुपालक ही नहीं जानते कि पशु को खाने में क्या दें। अगर आप भी पशुपालन करते हैं और आपकी भी यही समस्या है, तो घबराइए मत। आज हम आपको अपने इस लेख में पशुओं की दिनचर्या में कब क्या और कितनी मात्रा में देनी चाहिए, इसकी जानकारी देने वाले हैं। 

पशु के लिए संपूर्ण आहार

इंसानी शरीर की तरह पशु के शरीर को भी कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। जब यह जरूरत पूरी नहीं होती तो इसकी वजह से न केवल पशु बीमार रहने लगता है। बल्कि इसका असर पशु की दूध देने की क्षमता पर भी पड़ता है। यही नहीं कई बार पशु कमजोरी के चलते मर भी जाता है। इसलिए जरूरी है कि पशु को एक संपूर्ण आहार नियमित रूप से दिया जाए। आप पशु को क्या खिला सकते हैं और कितना खिला सकते हैं। इसकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं। 

कितनी बार दें पशु को आहार 

पशु के आकार और दूसरी कई चीजों के आधार पर ही पशु के आहार को तय किया जाता है। लेकिन एक बात जो इसमें सबसे जरूरी है कि पशु को दिन में कम से कम 3 से 4 बार चारा या आहार देना चाहिए। 

पशु का सूखा और हरा चारा

किसान और पशुपालक भाई अक्सर पशु की दूध उत्पादन क्षमता को बेहतर करने के लिए उन्हें अधिक मात्रा में हरा चारा देने लगते हैं। लेकिन यह पूरी तरह गलत है। जिस तरह पशु को हरा चारा दिया जाता है। ठीक उसी तरह पशु के लिए सूखा चारा भी जरूरी है। इसलिए पशु को सूखा और हरा चारा बराबर मात्रा में मिलाकर दें। 

पशु को दाना देना 

पशु के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए उसे रोजाना कुछ मात्रा में दाना और नमक जरूर देना चाहिए। अगर ऐसा न किया जाए तो इसकी वजह से पशु के शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। ध्यान रहे कि दाना पशु को चारा देने के बाद ही दें।

घास की कमी होने पर 

किसान भाई इस बात से भली भांति परिचित हैं कि पशु को पूरे साल हरा चारा देना संभव नहीं है। ऐसे में जब पशु के लिए हरा चारा उपलब्ध न हो तो पशुपालक को इस स्थिति में पशु के लिए साइलेज का प्रबंध करना चाहिए।   

पशु को कितना पानी दें 

किसान भाई अक्सर आहार की कमी का तो ख्याल कर लेते हैं। लेकिन कई बार उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं दे पाते। जिसकी वजह से पशु डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाता है। पशु को इस स्थिति से बचाने के लिए रोजाना 35 से 40 लीटर पानी पिलाना चाहिए। 

हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई पशु आहार की जानकारी आपके काम आएगी। अगर आप इसी तरह की जानकारी से रूबरू होना चाहते हैं, तो आप हमारी Animall App को डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप के जरिए पशु बेचा और खरीदा भी जा सकता है। इसके अलावा ऐप के माध्यम से पशु चिकित्सक से आपातकालीन स्थिति में सहायता भी ली जा सकती है। आप हमारी एनिमॉल ऐप को इस लिंक के जरिए डाउनलोड कर सकते हैं।  

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