दुनिया की सबसे महंगी कॉफी की खेती का तरीका। सिवेट कैट कॉफी।

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खेती की दुनिया से ताल्लुक रखने वाले किसान अक्सर कुछ गलतियां कर देते हैं। जिसकी वजह से या तो उनकी फसल कोई खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाता या फिर उन्हें उनकी फसल के सही दाम नहीं मिलते। ऐसे में अगर किसान भाई थोड़ा समझदारी से काम ले तो वो इन दोनों समस्याओं से बच सकते है। आज हम लेकर आए हैं किसानों के लिए दुनिया की सबसे महंगी कॉफी की जानकारी।

इस कॉफी को उगाने के साथ बाजार में उतारने के लिए सिवेट कैट या बीलाऊ बिल्ली की जरूरत भी होती है। शायद आप सोच में पड़ गए होंगे कि आखिर किसी फसल के उत्पादन के लिए बिल्ली की क्या जरूरत है। आज हम आपको इसी सिवेट कैट कॉफी के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। अगर आप इस तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

क्यों है सिवेट कैट कॉफी इतनी महंगी 

सिवेट कैट कॉफी को दुनिया की सबसे महंगी कॉफी भी कहा जाता है। आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस कॉफी की कीमत करीब 20 से 25 हजार रुपए किलो है। दरअसल ये कॉफी बिल्ली की पॉटी के जरिए तैयार की जाती है। इस कॉफी को बनाने के लिए किसान कॉफी की बैरीज के पौधे लगाते हैं। इन्हीं पौधों पर लगे हुए फलों को ये सिवेट कैट खा लेती हैं। 


इसमें ये बिल्ली बैरीज को तो खा लेती है। लेकिन इसके बीज को नहीं पचा पाती। यही बीज बिल्ली के मल के जरिए बाहर आ जाते हैं। इसमें मल को साफ करके बीज अलग किए जाते हैं और इसी से कॉफी तैयार की जाती है। ये भी एक कारण है जिसकी वजह से इस कॉफी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 20 से 25 हजार रुपए किलो है। 

सिवेट कैट कॉफी की खेती कहां होती है 

भारत के अंदर सिवेट कैट कॉफी की खेती कुर्ग में की जाती है। इस कॉफी की खेती को करने के लिए एक खास किस्म की जलवायु की आवश्यकता होती है। लेकिन अगर किसान भाई किसी तकनीक का सहारा लेना चाहें तो वो ऐसा कर सकते हैं। ऐसा करके वे इसकी खेती कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि इसमें ये सिवेट कैट की जरूरत होती है और इसी के मल के जरिए ये तैयार होती है। 

क्यों है ये कॉफी इतनी महंगी 

सिवेट कैट कॉफी इसलिए अधिक महंगी होती है क्योंकि इसे तैयार करने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसमें बिल्ली ने बैरीज खाकर मल कहां पर त्यागती है ये कोई नहीं जानता। जिसके चलते इसके मल को ढूंढने में समय जाता है। यही भी कारण है कि इसकी कीमत इतनी अधिक है। वहीं मल को एकत्रित करने के बाद बीजों की गुणवत्ता के हिसाब से ही कॉफी को बनाया जाता है। जिन बीजों की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। उन्हें फेंक दिया जाता है। 

भारतीय बाजार की कीमत 

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भले ही सिवेट कैट कॉफी की कीमत 20 से 25 हजार रुपए किलो है। लेकिन भारत के अंदर इसकी कीमत 5 से 8 हजार रुपए किलो ही है। वहीं बताया जाता है कि सिवेट कैट कॉफी का स्वाद लोगों को बेहद पसंद आता है। 

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जानिए डेयरी फार्म में एक गाय पर कितना होगा खर्च और मुनाफा

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पशुपालन की शुरुआत करने वाले लोग अक्सर इस दुविधा में रहते है कि अगर एक गाय या भैंस से पशुपालन शुरू किया जाए, तो इसमें कितना खर्च होगा या इससे कितनी आय अर्जित की जा सकती है। आज हम पशुपालक भाइयों को इसी दुविधा से निकालने के काम करेंगे। 

हम अपने पशुपालक भाइयों को बताएंगे कि अगर वो डेयरी फार्म एक पशु से भी शुरू करते हैं तो इससे वे कितना अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो पशुपालन करने की सोच रहे हैं तो ये लेख और वीडियो आपकी समस्या को पूरी तरह हल कर देगा। पशुपालन में शुरुआती समय में कितनी आय अर्जित की जा सकती है इससे जानने के लिए लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

गाय को कितना खाना पीना देना होगा


हम पशुपालक भाइयों को एक सटीक जानकारी देंगे। जिससे वे समझ पाएंगे कि एक गाय के रखरखाव का खर्च कितना होगा और इससे होने वाली आय कितनी होगी। उदाहरण के तौर पर हम मान लेते हैं कि आपके पास एक गाय है जो रोजाना 20 लीटर दूध देती है।

अगर गाय 20 लीटर दूध देती है तो ऐसे में आपको गाय को कम से कम 20 किलो हरा चारा खिलाना होगा। इसके अलावा 2 किलो ड्राई फूडर या तूड़ा देना है। 

वहीं 20 लीटर दूध के हिसाब से गाय को हर 2.5 किलो दूध पर 1 किलो कैटल फीड देनी होगी। इसके साथ मिनरल मिक्सचर भी खिलना होगा। अब अगर देखें कि इस सब में कितना खर्च होगा। 

गाय के खाने पीने में होने वाला खर्च

हम आपको बता दे कि चारे और आहार की बताई गई कीमत थोड़ी बहुत कम ज्यादा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जगह के हिसाब से ये कीमत बदलती रहती है। 

  • इसमें 20 किलो हरे चारे की कीमत 40 रुपए होगी। 
  • दो किलो तूडे़ की कीमत करीब 10 रुपए होगी। 
  • रोजाना के 9 किलो कैटल फीड की कीमत 180 रुपए होगी। 
  • 50 ग्राम मिनरल्स मिक्सचर की 9 रुपए होगी। 
  • इन सबका कुल जोड़ होगा करीब 239 रुपए। आप इस लागत को अधिकतम 250 रुपए भी हो सकते हैं। 

एक गाय से होने वाली आय और मुनाफा

  • अब बात करें दूध की कीमत की तो पशुपालक भाई अपना दूध आसानी से 40 रुपए किलो बेच सकते हैं। 
  • इस लिहाज से 20 किलो दूध की कीमत करीब 800 रुपए दिन की हो जाएगी। 
  • अब अगर इसमें से 250 रुपए खर्च के हटा दिए जाएं तो 550 रुपए रोजाना की कमाई हो सकती है। ये कमाई ग्रामीण क्षेत्र के हिसाब से बताई गई है। 

4 से 5 गाय पालने पर होने वाला लाभ

ऐसे में किसान भाई अगर 20 लीटर दूध देने वाली 4 -5 गाय भी पाल लें तो इन गायों से पशुपालक की रोजाना की आय करीब 2500 रुपए तक हो सकती है। इस तरह से पशुपालक भाई अपनी आय को लगातार बढ़ा सकते हैं। 

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जानिए क्यों डेयरी फार्म हो रहे हैं नुकसान के साथ बंद।

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डेयरी बिजनेस आज के समय का सबसे फायदेमंद बिजनेस माना जाता है। लेकिन बावजूद इसके हमारे देश में हर रोज न जाने कितने ही डेयरी फार्म घाटा खाने के बाद बंद हो जाते हैं। इसके पीछे की कई वजह है। इनमें से एक वजह के बारे में हम आपको बताने वाले हैं। दरअसल ये बात है बछड़ी या कटड़ी के पालन पोषण को लेकर। देश के अंदर ज्यादातर किसान या पशुपालन से जुड़े लोग बछड़ी के पालन पोषण पर ध्यान नहीं देते।

जिसकी वजह से पशु की उत्पादकता खराब ही रहती है। ऐसे में पशुपालक भाइयों को अपनी बछड़ी की किस तरह देखभाल करनी चाहिए और किस तरह उसे भविष्य के लिए तैयार करना चाहिए। यही जानकारी हम देने वाले हैं। अगर आप इसी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कैसे कमाएं डेयरी फार्म से मुनाफा


ऐसे कई पशुपालक हैं जो अक्सर गाय या भैंस सीधा खरीद कर लाते हैं। ये लोग कभी भी बछड़ी को तैयार नहीं करते। जिसकी वजह से डेयरी में नुकसान होता है। लेकिन अगर पशुपालन करने वाले लोग किसान बछड़ियों को सही तरह देखभाल करें तो इससे वो नुकसान से बच सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें बछड़ी तैयार। 

  • इसके लिए जैसे ही बछड़ी या कटड़ी पैदा हो तब से लेकर उसके हीट में आने के समय तक उसके खान पान का पूरा ध्यान रखें। 
  • बछड़ी के पैदा होते ही उसे खीज जरूर पिलाएं। 
  • जन्म के 15 दिन बाद ही बछड़ी की डी वार्मिंग करा लें। 
  • इसके बाद जैसे ही बछड़ी दो से ढाई महीने की हो उसे काल्फ स्टार्टर देना शुरू कर दें।
  • बछड़ी को हर समय बांध कर रखने की गलती न करें। जब वह पानी पी रही हो या चारा खा रही हो तभी उसे बांधे। इसके अलावा उनके लिए एक ऐसी जगह बना दें जहां वह खुल कर घूम सकें या खड़े रह पाएं। इससे बछड़ी का शारीरिक विकास अच्छा होता है। 
  • बछड़े को उसकी मां का दूध पर्याप्त मात्रा में पीने दें और छाछ आदि भी उन्हें जरूर पिलाएं। 
  • कई बार पशुपालक भाई एक गलती यह भी करते हैं कि बछड़ी को मिनरल मिक्सचर नहीं देते उन्हें लगता है कि ये केवल तभी देना चाहिए जब गाय गाभिन हो। लेकिन ये गलती आपको नहीं करनी है। आपको पशु को मिनरल मिक्सचर जरूर देना। 
  • पशु को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में जरूर दें। ऐसा करने से पशु को सभी पोषक तत्व मिलेंगे और उसका विकास बेहतर होगा। 
  • इन सबके अलावा जब वे हीट में हो तो सीमेन या अच्छे बुल का ही इस्तेमाल करें। इससे बछड़ी जब गाय बनेगी तो वह अधिक मात्रा में दूध देगी। 
  • अगर डेयरी फार्म से मुनाफा बनाना है तो पशुपालक भाइयों को खुद से बछड़ी और कटड़ी को तैयार करना होगा। तभी डेयरी फार्म में मुनाफे को बढ़ाया जा सकेगा। 

अगर पशुपालक भाई बछड़ियों की देखभाल करने पर ध्यान दे तो इससे अच्छी गाय तैयार होंगी और दूध उत्पादन भी बेहतर होगा। 

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जानिए लाल भिंडी की खेती का तरीका, लागत और इसका फायदा। RED OKRA

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किसान भाई अगर बाजार की मांग के हिसाब से ही खेती करने लगें तो वो आसानी से एक मोटी आय अर्जित कर सकते हैं। अगर किसान मांग को ध्यान में रखकर खेती करते हैं तो इससे किसानों को फसल बेचने में भी दिक्कत नहीं होगी। आज हम एक ऐसी ही फसल की जानकारी किसान भाइयों के लिए लेकर आए हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं लाल भिंडी की। सुनने में भले ही अजीब लगे। लेकिन हाल ही के दिनों में लाल भिंडी की मांग बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। 

ऐसा हो सकता है कि आप में से ज्यादातर लोगों ने लाल भिंडी के बारे में सुना भी न हो। पर ये सब्जी न केवल बाजार में मांग में है। बल्कि ये हरी भिंडी के मुकाबले काफी फायदेमंद भी है। आज हम आपको लाल भिंडी की खेती से लेकर इसमें निवेश और इसके जरिए होने वाली आय के बारे में विस्तार से बताएंगे। अगर आप इसी लाल भिंडी से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रहें। 

कैसे तैयार की गई है लाल भिंडी 

लाल भिंडी को तैयार करने के लिए हाइब्रिड तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। आपको बता दें कि अक्सर किसी भी सब्जी या फल की नई किस्म को पैदा करने के लिए फसल के अलग – अलग प्रकार की किस्मों को मिलाया जाता है। इसे ही हाइब्रिड तकनीक कहा जाता है। लाल भिंडी भी हाइब्रिड तकनीक के जरिए ही पैदा हुई है। 

लाल भिंडी के गुण 

आपको जानकर हैरानी होगी की लाल भिंडी के अंदर विटामिन ए से लेकर कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो कैंसर जैसी बीमारियों से बचाकर रखते हैं। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, वजन घटाने और हृदय को स्वस्थ रखने में लाल भिंडी बेहद कारगर रहती है। 

कैसे करें लाल भिंडी की खेती 

लाल भिंडी की खेती करने के लिए आपको किसी खास तरह की ट्रेनिंग या जलवायु की आवश्यकता नहीं है. बल्कि आप साधारण जलवायु में ही इसकी खेती कर सकते हैं। लेकिन इसकी खेती करते समय इस बात का ध्यान रखें कि मिट्टी में अधिक पानी न भरे। 

लाल भिंडी से आय निवेश और अन्य जानकारी

  • हरी भिंडी के मुकाबले लाल भिंडी आपको एक पौधे पर 15 से 20 प्रतिशत अधिक पैदावार देती है। 
  • अगर आप लाल भिंडी के जरिए अधिक आय अर्जित करना चाहते हैं तो आप ऑर्गेनिक तरीका ही आजमाएं। इससे आप लाल भिंडी को अधिक कीमत पर भी बेच पाएंगे। 
  • हरी भिंडी के मुकाबले अगर किसान भाई लाल भिंडी की खेती करते हैं तो इनमें कीट लगने का खतरा भी कम रहता है। वहीं एक बार बीज बोने के 45 दिन के भीतर ही आपको इसमें फल दिखने शुरू हो जाते हैं। 
  • इसके अलावा लगभग 4 से 5 महीने के भीतर ही इसकी फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है। 
  • आपको बता दें कि लाल भिंडी के एक पौधे से आपको लगभग 50 भिंडी मिल जाती हैं. 
  • एक किलो बीज के जरिए आप एक एकड़ भूमि में भिंडी बो सकते हैं और इसके जरिए आपको 50 से 60 क्विंटल भिंडी मिल जाती है। 
  • इसकी एक किलो कीमत पर किसान भाई 450 रुपए से लेकर 700 रुपए तक आसानी से कमा सकते हैं। 
  • लाल भिंडी की खेती में निवेश के लिए आपको इसके केवल एक किलो बीज खरीदने होंगे। जिसकी कीमत 2400 रुपए है। 
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जानिए काले टमाटर की खेती का तरीका और फायदे। Black Tomato Farming।

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हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है, ये तो हम सभी जानते हैं। लेकिन इसके बावजूद किसान आज दो वक्त की रोटी के मोहताज हो कर रह गए हैं। पर इस स्थिति को सुधारा जा सकता है। अगर किसान उन फसलों की खेती करें जिनकी मांग अधिक हो। आज हम लेकर आए हैं ऐसी ही एक चीज जो किसानों की आय को बढ़ा सकती है। दरअसल हम बात कर रहे हैं काले टमाटर के बारे में। काले टमाटर के बारे में भारत के बहुत ही कम लोग जानते हैं।

एक ये भी कारण है कि इसकी खेती उतने बड़े स्तर पर नहीं की जाती। आज हम आपको अपने इस लेख और वीडियो में बताएंगे कि काले टमाटर की खेती के लिए आपको क्या चाहिए और ये लाल या बैंगनी टमाटर से ये किस तरह अलग है। अगर आप भी काले टमाटर से जुड़े गुण और इसकी खेती से जुड़ी जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप इस लेख और वीडियो पर अंत तक बने रह सकते हैं। 

कैसे बने हैं काले टमाटर 

किसान भाइयों के अलावा आम लोग भी ये नहीं जानते कि काले टमाटर किस तरह बने हैं। आपको बता दें कि काले टमाटर का निर्माण लाल और बैंगनी टमाटर के जरिए ही हुआ है। ज्ञात हो कि ऐसा करने के लिए हाइब्रिड तकनीक का सहारा लिया जाता है। इस तरह के फसल के बीजों को हाइब्रिड बीज भी कहा जाता है। 

काले टमाटर की खेती का तरीका 

एक साधारण किसान भी काले टमाटर के बीज के जरिए इसकी खेती शुरू कर सकता है। इसके लिए किसी तरह के प्रशिक्षण या ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं है। ना  ही काले टमाटर की खेती के लिए किसी खास तरह के मौसम या जलवायु की जरूरत है। जिस तरह लाल या बैंगनी टमाटर की खेती की जाती है उसी तरह काले टमाटर की खेती भी की जा सकती है। आपको बता दें कि लाल टमाटर को पकने में जहां 3 महीने का समय लगता है। वहीं काले टमाटर को पकने में करीब 4 महीने लग जाते हैं। इसके अलावा शुरुआती समय में ये टमाटर पीले और हरे ही होते हैं और आगे चलकर काले हो जाते हैं। 

काले टमाटर से किसानों का फायदा 

इन दिनों काले टमाटर के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते। ऐसे में बहुत ही कम किसान हैं जो इसकी खेती करते हैं। वहीं दूसरी तरफ इसके अलग होने की वजह से लोगों में काले टमाटर की मांग काफी अधिक है। ऐसे में अगर किसान इसकी खेती करते हैं तो इससे वो काले टमाटर की मांग की पूर्ति कर पाएंगे और आसानी से अपनी फसल को बेच पाएंगे। 

काले टमाटर की कीमत 

काले टमाटर को लाल टमाटर के मुकाबले अधिक गुणकारी माना जाता है। इसके अंदर पाए जाने वाले गुण शरीर में कैंसर जैसे वायरस को पनपने नहीं देते। इसके अलावा काले टमाटर में ऐसे कई पोषक तत्व होते हैं जो इंसान को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। अब अगर काले टमाटर की कीमत की बात करें तो इसकी कीमत करीब 120 रुपए किलो तक है। यानी इसके जरिए किसान और व्यापारी दोनों ही अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 

काले टमाटर का स्वाद 

लाल या बैंगनी टमाटर से काले टमाटर का स्वाद बिल्कुल अलग होता है। एक तरफ जहां लाल टमाटर खट्टे और मीठे होते हैं। वहीं काले टमाटर का स्वाद काफी तीखा होता है। जिसके चलते इनका सेवन अधिक मात्रा में सलाद के तौर पर किया जाता है।

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