इसका मुख्य कारण पशुओं को असंतुलित खुराक की उपलब्धता व सन्तुलित आहार का न मिल पाना व रोगग्रस्त होने के कारण हो सकता है। ऐसे में पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।

इसका मुख्य कारण पशुओं को असंतुलित खुराक की उपलब्धता व सन्तुलित आहार का न मिल पाना व रोगग्रस्त होने के कारण हो सकता है। ऐसे में पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।
एक सही आहार इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि पशुओं के लिए भी जरूरी होता है। अगर गाभिन गाय या भैंस को सही खुराक दी जाए तो इससे न केवल प्रसव की अवस्था बेहतर होती है। बल्कि गाय का होने वाला बछड़ा भी स्वस्थ रहता है और गाय की दूध उत्पादन क्षमता भी बढ़ जाती है। शायद आप समझ गए होंगे कि गाभिन गाय की खुराक के बारे में जानकारी होना कितना ज्यादा जरूरी है।
अगर आपको नहीं पता कि गाभिन गाय की खुराक क्या होनी चाहिए, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। आज हम अपने इस लेख में आपको गाभिन गाय की खुराक से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देंगे। अगर आप भी एक पशुपालक हैं और गाभिन गाय को क्या आहार दें, यह जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
गाय के गाभिन होने पर उसकी देखरेख सही तरह से होनी बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि गाय जब गर्भधारण करती है, तो उसके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। जिसकी वजह से वह बाकी पशुओं से भी दूर रहने लगती है। इस दौरान अगर गाय की देखरेख में लापरवाही न बरती जाए, तो इससे गर्भ में पल रहे बछड़े की सेहत बिगड़ सकती है और कई बार तो गर्भ में ही बछड़े की मौत हो जाती है।
ऐसे में गाय के रहने की व्यवस्था सही तरह होनी जरूरी है। पशुपालक सबसे पहले गाभिन पशु के लिए एक अलग स्थान या शेड बनाएं। इसके अलावा शेड में हवा आती रहे इसका इंतजाम करें। इसके अलावा शेड का निर्माण इस तरह कराएं कि पशु पर धूप और बारिश न पड़े।
एक पशुपालक को अपनी आय बढ़ाने के लिए गाभिन गाय को सही खुराक देना बहुत जरूरी है। गाय के गर्भकाल के दौरान उसके शरीर को अलग – अलग समय पर कई पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की जरूरत होती है। हम आपको बताते हैं कि गाभिन गाय को किस माह में कितनी और क्या खुराक देनी चाहिए।
हमारे किसान और पशुपालक भाई इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारी हमारी Animall App के जरिए भी हासिल कर सकते हैं। यही नहीं पशु के बीमारी से संबंधित दवा और इलाज के बारे में सीधा डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं। वही अगर गाय या भैंस बेचनी है तो वह भी आप आसानी से कर सकते हैं। ऐप डाउनलोड करें अभी
निम्नलिखित लक्षण पशु के मद में आने की स्थिति को दर्शाते है:-
(क) भग/योनी मार्ग से गाडा स्बेस्मिक पदार्थ निकलता है|
(ख) योनी सूज जाती है|
(ग) लागातार पूंछ को उठाना व बार-बार पेशाब करना ऐंठना|
(घ) टींजर साथ के द्वारा भी मदकाल का पता लगाया जा सकता है|
पशुओं में गर्भपात के लिये बहुत से जीवाणु एवं विषाणु उत्तरदायी होते हैं। गर्भपात गर्भवस्था के विभिन्न चरणों में संभव है। प्रमुख जीवाणु एवं विषाणु जो गर्भपात का कारक है: ब्रूसेला,लेप्टोस्पाइरा, कैलमाइडिया एवम् IBR , PPR विषाणु इत्यादि।
(क) ग्याभिन होने पर पशु दोबारा 20-21 दिन गर्मी नही आती।
(ख) तीन चार मास में पशु का पेट फूला नज़र आने लगता है।
(ग) पशु कि गुदां में हाथ डाल कर बच्चेदानी का दो में से एक हॉर्न का बढ़ा होना महसूस किया जा सकता है। लेकि यह परीक्षण केवल प्राशिक्षित व अनुभवी पशु चिकित्सक से ही करवाना चाहिये।