बार बार कृत्रिम गर्भ का टीका लगाने के बावजूद पशु के गर्भधारण न कर पाने का उपाय

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इसका मुख्य कारण पशुओं को असंतुलित खुराक की उपलब्धता व सन्तुलित आहार का न मिल पाना व रोगग्रस्त होने के कारण हो सकता है। ऐसे में पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।

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जानिए कैसी होनी चाहिए एक गाभिन गाय की खुराक!

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एक सही आहार इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि पशुओं के लिए भी जरूरी होता है। अगर गाभिन गाय या भैंस को सही खुराक दी जाए तो इससे न केवल प्रसव की अवस्था बेहतर होती है। बल्कि गाय का होने वाला बछड़ा भी स्वस्थ रहता है और गाय की दूध उत्पादन क्षमता भी बढ़ जाती है। शायद आप समझ गए होंगे कि गाभिन गाय की खुराक के बारे में जानकारी होना कितना ज्यादा जरूरी है।

अगर आपको नहीं पता कि गाभिन गाय की खुराक क्या होनी चाहिए, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। आज हम अपने इस लेख में आपको गाभिन गाय की खुराक से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देंगे। अगर आप भी एक पशुपालक हैं और गाभिन गाय को क्या आहार दें, यह जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

गाभिन गाय की देखरेख का तरीका 

गाय के गाभिन होने पर उसकी देखरेख सही तरह से होनी बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि गाय जब गर्भधारण करती है, तो उसके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। जिसकी वजह से वह बाकी पशुओं से भी दूर रहने लगती है। इस दौरान अगर गाय की देखरेख में लापरवाही न बरती जाए, तो इससे गर्भ में पल रहे बछड़े की सेहत बिगड़ सकती है और कई बार तो गर्भ में ही बछड़े की मौत हो जाती है। 

ऐसे में गाय के रहने की व्यवस्था सही तरह होनी जरूरी है। पशुपालक सबसे पहले गाभिन पशु के लिए एक अलग स्थान या शेड बनाएं। इसके अलावा शेड में हवा आती रहे इसका इंतजाम करें। इसके अलावा शेड का निर्माण इस तरह कराएं कि पशु पर धूप और बारिश न पड़े।

गाभिन गाय की खुराक कैसी होनी चाहिए

एक पशुपालक को अपनी आय बढ़ाने के लिए गाभिन गाय को सही खुराक देना बहुत जरूरी है। गाय के गर्भकाल के दौरान उसके शरीर को अलग – अलग समय पर कई पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की जरूरत होती है। हम आपको बताते हैं कि गाभिन गाय को किस माह में कितनी और क्या खुराक देनी चाहिए। 

  • गाय के गाभिन होने के शुरुआती तीन महीने बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान गाय की खुराक में खनिज लवण प्रोटीन की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए
  • गाभिन गाय के तीन महीने पूरे होने के बाद का समय गर्भ में पल रहे बछड़े के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए 3 से 6 महीने के बीच गाय को प्रोटीन अधिक मात्रा में दिया जाना चाहिए। इसके अलावा गाय की खुराक में विटामिन और खनिज लवण को भी जोड़ देना चाहिए
  • 6 महीने के बाद का समय गाभिन गाय के लिए बेहद नाजुक होता है। इस दौरान पशु को पाचक प्रोटीन, 10 से 12 ग्राम तक कैल्शियम और 7 से 8 ग्राम तक फास्फोरस दें। इसके अलावा गाय को नियमित रूप से विटामिन और मिनरल्स जरूर दें
  • गाय को खुराक में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए दाने के साथ कैल्शियम कार्बोनेट भी जरूर दें
  • गाभिन गाय को 25 से 30 किलो हरा और 2 से 4 किलो सूखा चारा रोजाना जरूर दें
  • गाय को रोजाना कम से कम 50 ग्राम नमक का सेवन जरूर कराएं
  • गाभिन गाय के दूध उत्पादन हेतु उन्हें प्रसव से कुछ समय पहले चारे में चोकर मिलाकर खिलाएं

गाभिन पशु के साथ बरतें ये सावधानियां

  1. गाभिन गाय को कभी भी ऐसे स्थान पर न रखें जहां अधिक शोर हो
  2. गाय के गाभिन होने के पश्चात उसके आहार में कोई भी बड़ा बदलाव करने से पहले डॉक्टर से राय ले
  3. गाय के प्रसव से 60 दिन पहले से गाय का दूध निकालना पूरी तरह बंद कर दें
  4. गाभिन गाय के बैठने और खड़े होने के लिए उन्हें उचित स्थान प्रदान करें

हमारे किसान और पशुपालक भाई इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारी हमारी Animall App के जरिए भी हासिल कर सकते हैं। यही नहीं पशु के बीमारी से संबंधित दवा और इलाज के बारे में सीधा डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं। वही अगर गाय या भैंस बेचनी है तो वह भी आप आसानी से कर सकते हैं। ऐप डाउनलोड करें अभी

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एक साधारण आदमी कैसे पता लगा सकता है की पशु (गर्भवस्था) गर्भधारण करने को तैयार है?

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निम्नलिखित लक्षण पशु के मद में आने की स्थिति को दर्शाते है:-
(क) भग/योनी मार्ग से गाडा स्बेस्मिक पदार्थ निकलता है|
(ख) योनी सूज जाती है|
(ग) लागातार पूंछ को उठाना व बार-बार पेशाब करना ऐंठना|
(घ) टींजर साथ के द्वारा भी मदकाल का पता लगाया जा सकता है|

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कौन से संक्रामक रोग पशुओं में गर्भपात का कारण बनते है?

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पशुओं में गर्भपात के लिये बहुत से जीवाणु एवं विषाणु उत्तरदायी होते हैं। गर्भपात गर्भवस्था के विभिन्न चरणों में संभव है। प्रमुख जीवाणु एवं विषाणु जो गर्भपात का कारक है: ब्रूसेला,लेप्टोस्पाइरा, कैलमाइडिया एवम् IBR , PPR विषाणु इत्यादि।

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ग्याभिन पशु की पहचान कैसे की जा सकती है?

(क) ग्याभिन होने पर पशु दोबारा 20-21 दिन गर्मी नही आती।
(ख) तीन चार मास में पशु का पेट फूला नज़र आने लगता है।
(ग) पशु कि गुदां में हाथ डाल कर बच्चेदानी का दो में से एक हॉर्न का बढ़ा होना महसूस किया जा सकता है। लेकि यह परीक्षण केवल प्राशिक्षित व अनुभवी पशु चिकित्सक से ही करवाना चाहिये।

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